Sunday, January 21, 2024

भगवान श्री राम जी के अवतरण को आज लाखों वर्ष हुए , पर आज भी इतनी लोकप्रियता क्यों है ?

22 January 2024

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🚩भगवान श्री राम का जन्म त्रेता युग में माना जाता है। धर्मशास्त्रों में, विशेषतः पौराणिक साहित्य में उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार एक चतुर्युगी में 43,20,000 वर्ष होते हैं, जिनमें कलियुग के 4,32,000 वर्ष तथा द्वापर के 8,64,000 वर्ष होते हैं। श्री रामजी का जन्म त्रेता युग में अर्थात द्वापर युग से पहले हुआ था। चूंकि कलियुग का अभी प्रारंभ ही हुआ है (लगभग 5,144 वर्ष ही बीते हैं) और श्री रामजी का जन्म त्रेता के अंत में हुआ तथा अवतार लेकर धरती पर उनके वर्तमान रहने का समय 11,000 वर्ष से भी अधिक माना गया है। अतः श्री राम राज्य के 11,000 से अधिक वर्ष + द्वापर युग के 8,64,000 वर्ष + द्वापर युग के अंत से अब तक बीते 5,144 वर्ष = कुल लगभग 8,80,144 वर्ष हुए। अतएव भगवान श्री रामजी का जन्म आज से लगभग 8,80,144 वर्ष पहले माना जाता है।


🚩एक आदर्श पुत्र, आदर्श भाई, आदर्श पति, आदर्श पिता, आदर्श शिष्य, आदर्श योद्धा और आदर्श राजा के रूप में यदि किसीका नाम लेना हो तो मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्रीरामजी का ही नाम सबकी ज़ुबान पर आता है। इसलिए राम-राज्य की महिमा आज लाखों-लाखों वर्षों के बाद भी गायी जाती है।


🚩भगवान श्रीरामजी के सद्गुण ऐसे विलक्षण थे कि पृथ्वी के प्रत्येक धर्म, सम्प्रदाय और जाति के लोग उन सद्गुणों को अपनाकर लाभान्वित हो सकते हैं ।


🚩भगवान श्रीरामजी सारगर्भित बोलते थे। उनसे कोई मिलने आता तो वे यह नहीं सोचते थे कि पहले वह बात शुरू करे या पहले वह ही मुझे प्रणाम करे। सामनेवाले को संकोच न हो इसलिए श्रीरामजी अपनी तरफ से ही बात शुरू कर देते थे।


🚩श्रीरामजी प्रसंगोचित बोलते थे। जब उनके राजदरबार में धर्म की किसी बात पर निर्णय लेते समय दो पक्ष हो जाते थे, तब जो पक्ष उचित होता श्रीरामजी उसके समर्थन में इतिहास, पुराण और पूर्वजों के निर्णय उदाहरण रूप में कहते, जिससे अनुचित बात का समर्थन करनेवाले पक्ष को भी लगे कि दूसरे पक्ष की बात सही है ।


🚩श्रीरामजी दूसरों की बात बड़े ध्यान व आदर से सुनते थे। बोलनेवाला जब तक स्वयं तथा औरों के अहित की बात नहीं कहता, तब तक वे उसकी बात सुन लेते थे। जब वह किसी की निंदा आदि की बात करता तब देखते कि इससे इसका अहित होगा या इसके चित्त का क्षोभ बढ़ जाएगा या किसी दूसरे की हानि होगी, तो वे सामनेवाले को सुनते-सुनते इस ढंग से बात मोड़ देते कि बोलनेवाले का अपमान नहीं होता था। श्रीरामजी तो शत्रुओं के प्रति भी कटु वचन नहीं बोलते थे ।


🚩युद्ध के मैदान में श्रीरामजी एक बाण से रावण के रथ को जला देते, दूसरा बाण मारकर उसके हथियार उड़ा देते फिर भी उनका चित्त शांत और सम रहता था। वे रावण से कहते : ‘लंकेश! जाओ, कल फिर तैयार होकर आना। ऐसा करते-करते काफी समय बीत गया तो देवताओं को चिंता हुई कि रामजी को क्रोध नहीं आता है, वे तो समता-साम्राज्य में स्थिर हैं, फिर रावण का नाश कैसे होगा? लक्ष्मणजी, हनुमानजी आदि को भी चिंता हुई, तब दोनों ने मिलकर प्रार्थना की: ‘प्रभु ! थोड़े कोपायमान होईए। तब श्रीरामजी ने क्रोध का आह्वान किया :

क्रोधं आवाह्यामि ।

‘क्रोध! अब आ जा।’


🚩श्रीरामजी क्रोध का उपयोग तो करते थे, किंतु क्रोध के हाथों में नहीं आते थे। श्रीरामजी को जिस समय जिस साधन की आवश्यकता होती थी, वे उसका उपयोग कर लेते थे। श्रीरामजी का अपने मन पर बड़ा विलक्षण नियंत्रण था। चाहे कोई सौ अपराध कर दे फिर भी रामजी अपने चित्त को क्षुब्ध नहीं होने देते थे।


🚩श्रीरामजी अर्थव्यवस्था में भी निपुण थे। “शुक्रनीति” और “मनुस्मृति” में भी आया है कि जो धर्म, संग्रह, परिजन और अपने लिए- इन चार भागों में अर्थ की ठीक से व्यवस्था करता है वह आदमी इस लोक और परलोक में सुख-आराम पाता है।


🚩श्रीरामजी धन के उपार्जन में भी कुशल थे और उपयोग में भी। जैसे मधुमक्खी पुष्पों को हानि पहुँचाए बिना उनसे परागकण से रस ले लेती है, ऐसे ही श्रीरामजी प्रजा से ऐसे ढंग से कर (टैक्स) लेते कि प्रजा पर बोझ नहीं पड़ता था। वे प्रजा के हित का चिंतन तथा उनके भविष्य का सोच-विचार करके ही कर( टैक्स ) लेते थे।


🚩प्रजा के संतोष तथा विश्वास-सम्पादन के लिए श्रीरामजी राज्यसुख, गृहस्थ-सुख और राज्य-वैभव का त्याग करने में भी कभी संकोच नहीं किया। जिसका उदाहरण है राम वनवास और राम जी द्वारा माता सीता को वन भेजना। इसलिए श्रीरामजी का राज्य आदर्श राज्य माना जाता है।


🚩राम-राज्य का वर्णन करते हुए ‘श्री रामचरितमानस में आता है :

बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग ।

चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहिं भय,सोक न रोग।।


🚩अर्थात्...

‘राम-राज्य में सब लोग अपने-अपने वर्ण और आश्रम के अनुकूल धर्म में तत्पर रहते हुए सदा वेद-मार्ग पर चलते और सुख पाते हैं। उन्हें न किसी बात का भय है, न शोक और न कोई रोग ही सताता है।’


🚩राम-राज्य में किसी को आध्यात्मिक, आधिदैविक और आधिभौतिक ताप नहीं व्यापते थे। सब मनुष्य परस्पर प्रेम करते थे और वेदों में बताई हुई नीति (मर्यादा) में तत्पर रहकर अपने-अपने धर्म का पालन करते थे ।


🚩उस काल में धर्म अपने चारों चरणों (सत्य, शौच, दया और दान) से जगत में परिपूर्ण हो रहा था, स्वप्न में भी कहीं पाप नहीं था। पुरुष और स्त्री सभी रामभक्ति के परायण थे और सभी परम गति (मोक्ष) के अधिकारी हुए थे।

स्रोत : संत श्री आशारामजी बापू के प्रवचन से


🚩देश के नेता भी भगवान श्री रामजी से कुछ गुण ले लें तो प्रजा के साथ-साथ उन नेताओं का भी कितना कल्याण होगा, यह अवर्णनीय है और सदियों तक उनका यश भी फैला रहेगा।


🚩सभी देशवासी रामराज्य की स्थापना का संकल्प करें…


🚩रामराज्य में प्रजा धर्माचारिणी थी इसलिए उनको भगवान श्रीराम जैसे सात्त्विक राजा मिले और वे प्रजाजन आदर्श रामराज्य का उपभोग कर पाए।

इसके साथ यदि हम भी धर्मनिष्ठ और ईश्‍वर भक्त बनें, तो पहले के समान ही रामराज्य (धर्माधिष्ठित हिन्दूराष्ट्र) अब भी होगा ही, इसमें रंच मात्र संशय नहीं है।


🚩नित्य धर्माचरण में रत रह कर और परहित परायण भाव से राज्य कार्य करने वाले मर्यादापुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम को बारम्बार प्रणाम।

उस काल में प्रजा का जीवन सुखमय व संपन्न करने और सभी को परमार्थ ( ईश्‍वर प्राप्ति )हेतु प्रेरित करने वालेे रामराज्य की ख्याति थी , जिसमें अपराध , भ्रष्टाचार आदि के लिए कोई स्थान ही नहीं था।


🚩यहाँ सर्वोपरि ध्यान देने योग्य बात यह है कि राम-राज्य में साधु-संतों और आत्मज्ञानी महापुरुष को खूब खूब आदर-सम्मान होता था।श्रीराम जी स्वयं "महर्षि वशिष्ट जी" के श्रीचरणों में नित्य शीश नवाते थे और प्रत्येक कार्य व धर्मानुष्ठान अपने गुरुदेव के मार्गदर्शन में ही करते थे। यहाँ तक कि अयोध्या लौटकर रावण पर विजय का संपूर्ण श्रेय भी उन्होंने अपने सद्गुरुदेव को ही दिया था।

ऐसे आदर्श राज्य “हिन्दूराष्ट्र” की स्थापना का निश्‍चय हम सभी देशवासी करें... !!


🚩 जय श्रीराम 🚩


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भगवान श्री राम के पूर्वज कौन थे और आज कौनसी पीढ़ी चल रही है ?

20 January 2024

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🚩रामायण के बालकांड में गुरु वशिष्ठजी द्वारा राम के कुल का वर्णन किया गया है जो इस प्रकार है:- ब्रह्माजी से मरीचि का जन्म हुआ। मरीचि के पुत्र कश्यप हुए। कश्यप के विवस्वान् और विवस्वान् के वैवस्वत मनु हुए। वैवस्वत मनु के समय जल प्रलय हुआ था। वैवस्वत मनु के दस पुत्रों में से एक का नाम इक्ष्वाकु था। इक्ष्वाकु ने अयोध्या को अपनी राजधानी बनाया और इस प्रकार इक्ष्वाकु कुल की स्थापना की।


🚩इक्ष्वाकु के पुत्र कुक्षि हुए। कुक्षि के पुत्र का नाम विकुक्षि था। विकुक्षि के पुत्र बाण और बाण के पुत्र अनरण्य हुए। अनरण्य से पृथु और पृथु से त्रिशंकु का जन्म हुआ। त्रिशंकु के पुत्र धुंधुमार हुए। धुन्धुमार के पुत्र का नाम युवनाश्व था। युवनाश्व के पुत्र मान्धाता हुए और मान्धाता से सुसन्धि का जन्म हुआ। सुसन्धि के दो पुत्र हुए- ध्रुवसन्धि एवं प्रसेनजित। ध्रुवसन्धि के पुत्र भरत हुए।


🚩भरत के पुत्र असित हुए और असित के पुत्र सगर हुए। सगर अयोध्या के बहुत प्रतापी राजा थे। सगर के पुत्र का नाम असमंज था। असमंज के पुत्र अंशुमान तथा अंशुमान के पुत्र दिलीप हुए। दिलीप के पुत्र भगीरथ हुए। भगीरथ ने ही गंगा को पृथ्वी पर उतार था। भगीरथ के पुत्र ककुत्स्थ और ककुत्स्थ के पुत्र रघु हुए। रघु के अत्यंत तेजस्वी और पराक्रमी नरेश होने के कारण उनके बाद इस वंश का नाम रघुवंश हो गया। इसी कारण से राम जी के कुल को रघुकुल भी कहते हैं।


🚩रघु के पुत्र प्रवृद्ध हुए। प्रवृद्ध के पुत्र शंखण और शंखण के पुत्र सुदर्शन हुए। सुदर्शन के पुत्र का नाम अग्निवर्ण था। अग्निवर्ण के पुत्र शीघ्रग और शीघ्रग के पुत्र मरु हुए। मरु के पुत्र प्रशुश्रुक और प्रशुश्रुक के पुत्र अम्बरीष हुए। अम्बरीष के पुत्र का नाम नहुष था। नहुष के पुत्र ययाति और ययाति के पुत्र नाभाग हुए। नाभाग के पुत्र का नाम अज था। अज के पुत्र दशरथ हुए और दशरथ के ये चार पुत्र राम, भरत, लक्ष्मण तथा शत्रुघ्न हैं। वाल्मीकि रामायण- ॥1-59 से 72।।


🚩श्री राम जी के दो पुत्रों लव और कुश में से कुश की निम्नलिखित वंशावली भी मिलती है।

फिलहाल इसकी पुष्टि नहीं की जा सकी है अबतक , क्योंकि अलग अलग ग्रंथों में यह अलग अलग मिलती है। कारण यह कि कुश से लेकर राजा सवाई भवानी सिंह के बीच जिन राजाओं का उल्लेख मिलता है उनके अन्य भाई भी थे, जिनके अन्य वंश चले हैं। इस तरह संपूर्ण भारत देश में राम के वंशजों का एक ऐसा नेटवर्क फैला है जिसकी संपूर्ण वंशावली को यहां देना संभव नहीं है।


🚩 कुश की एक यह वंशावली-


🚩राम के जुड़वा पुत्र लव और कुश हुए। कुश के अतिथि हुए, अतिधि के निषध हुए, निषध के नल हुए, नल के नभस, नभस के पुण्डरीक, पुण्डरीक के क्षेमधन्वा, क्षेमधन्वा के देवानीक, देवानीक के अहीनर, अहीनर के रुरु, रुरु के पारियात्र, पारियात्र के दल, दल के शल , शल के उक्थ, उक्थ के वज्रनाभ, वज्रनाभ के शंखनाभ, शंखनाभ के व्यथिताश्व, व्यथिताश्व से विश्वसह, विश्वसह से हिरण्यनाभ, हिरण्यनाभ से पुष्य, पुष्य से ध्रुवसन्धि, ध्रुवसन्धि से सुदर्शन, सुदर्शन से अग्निवर्णा, अग्निवर्णा से शीघ्र, शीघ्र से मरु, मरु से प्रसुश्रुत, प्रसुश्रुत से सुगवि, सुगवि से अमर्ष, अमर्ष से महास्वन, महास्वन से बृहदबल, बृहदबल से बृहत्क्षण (अभिमन्यु द्वारा मारा गया था), वृहत्क्षण से गुरुक्षेप, गुरक्षेप से वत्स, वत्स से वत्सव्यूह, वत्सव्यूह से प्रतिव्योम, प्रतिव्योम से दिवाकर, दिवाकर से सहदेव, सहदेव से बृहदश्व, वृहदश्व से भानुरथ, भानुरथ से सुप्रतीक, सुप्रतीक से मरुदेव, मरुदेव से सुनक्षत्र, सुनक्षत्र से किन्नर, किन्नर से अंतरिक्ष, अंतरिक्ष से सुवर्ण, सुवर्ण से अमित्रजित्, अमित्रजित् से वृहद्राज, वृहद्राज से धर्मी, धर्मी से कृतन्जय, कृतन्जय से रणन्जय, रणन्जय से संजय, संजय से शुद्धोदन, शुद्धोदन से शाक्य, शाक्य (गौतम बुद्ध) से राहुल, राहुल से प्रसेनजित, प्रसेनजित् से क्षुद्रक, क्षुद्रक से कुंडक, कुंडक से सुरथ, सुरथ से सुमित्र और कुरुम , कुरुम से कच्छ, कच्छ से बुधसेन।


 🚩बुधसेन से क्रमश: धर्मसेन, भजसेन, लोकसेन, लक्ष्मीसेन, रजसेन, रविसेन, करमसेन, कीर्तिसेन, महासेन, धर्मसेन, अमरसेन, अजसेन, अमृतसेन, इंद्रसेन, रजसेन, बिजयमई, स्योमई, देवमई, रिधिमई, रेवमई, सिद्धिमई, त्रिशंकुमई, श्याममई, महीमई, धर्ममई, कर्ममई, राममई, सूरतमई, शीशमई, सुरमई, शंकरमई, किशनमई, जसमई, गौतम, नल, ढोली, लछमनराम, राजाभाण, वजधाम (वज्रदानम), मधुब्रह्म, मंगलराम, क्रिमराम, मूलदेव, अनंगपाल, श्रीपाल (सूर्यपाल), सावन्तपाल, भीमपाल, गंगपाल, महंतपाल, महेंद्रपाल, राजपाल, पद्मपाल, आनन्दपाल, वंशपाल, विजयपाल, कामपाल, दीर्घपाल (ब्रह्मपाल), विशनपाल, धुंधपाल, किशनपाल, निहंगपाल, भीमपाल, अजयपाल, स्वपाल (अश्वपाल), श्यामपाल, अंगपाल, पुहूपपाल, वसन्तपाल, हस्तिपाल, कामपाल, चंद्रपाल, गोविन्दपाल, उदयपाल, चंगपाल, रंगपाल, पुष्पपाल, हरिपाल, अमरपाल, छत्रपाल, महीपाल, धोरपाल, मुंगवपाल, पद्मपाल, रुद्रपाल, विशनपाल, विनयपाल, अच्छपाल (अक्षयपाल), भैंरूपाल, सहजपाल, देवपाल, त्रिलोचनपाल (बिलोचनपाल), विरोचनपाल, रसिकपाल, श्रीपाल (सरसपाल), सुरतपाल, सगुणपाल, अतिपाल, गजपाल (जनपाल), जोगेंद्रपाल, भौजपाल (मजुपाल), रतनपाल, श्यामपाल, हरिचंदपाल, किशनपाल, बीरचन्दपाल, त्रिलोकपाल, धनपाल, मुनिकपाल, नखपाल (नयपाल), प्रतापपाल, धर्मपाल, भूपाल, देशपाल (पृथ्वीपाल), परमपाल, इंद्रपाल, गिरिपाल, रेवन्तपाल, मेहपाल (महिपाल), करणपाल, सुरंगपाल (श्रंगपाल), उग्रपाल, स्योपाल (शिवपाल), मानपाल, परशुपाल (विष्णुपाल), विरचिपाल (रतनपाल), गुणपाल, किशोरपाल (बुद्धपाल), सुरपाल, गंभीरपाल, तेजपाल, सिद्धिपाल (सिंहपाल), गुणपाल, ज्ञानपाल (तक गढ़ ग्वालियर में राज किया), काहिनदेव, देवानीक, इसैसिंह (तक बांस बरेली में राज फिर ढूंढाड़ में आए), सोढ़देव, दूलहराय, काकिल, हणू ( आमेर में राज्य किया ), जान्हड़देव, पंजबन, मलेसी, बीजलदेव, राजदेव, कील्हणदेव, कुंतल, जीणसी (बाद में जोड़े गए), उदयकरण, नरसिंह, वणबीर, उद्धरण, चंद्रसेन, पृथ्वीराज सिंह (इस बीच पूणमल, भीम, आसकरण और राजसिंह भी गद्दी पर बैठे), भारमल, भगवन्तदास, मानसिंह, जगतसिंह (कंवर), महासिंह (आमेर में राजा नहीं हुए), भावसिंह गद्दी पर बैठे, महासिंह (मिर्जा राजा), रामसिंह प्रथम, किशनसिंह (कंवर, राजा नहीं हुए), कुंअर, विशनसिंह, सवाई जयसिंह, सवाई ईश्वरसिंह, सवाई मोधोसिंह, सवाई पृथ्वीसिंह, सवाई प्रतापसिंह, सवाई जगतसिंह, सवाई जयसिंह, सवाई जयसिंह तृतीय, सवाई रामसिंह द्वितीय, सवाई माधोसिंह द्वितीय, सवाई मानसिंह द्वितीय, सवाई भवानी सिंह (वर्तमान में गद्दी पर विराजमान हैं)


🚩अन्य तथ्य:

राजा लव से राघव राजपूतों का जन्म हुआ जिनमें बर्गुर्जर, जयास और सिकरवारों का वंश चला। इसकी दूसरी शाखा थी सिसोदिया राजपूत वंश की जिनमें बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) वंश के राजा हुए। कुश से कुशवाह (कछवाह) राजपूतों का वंश चला।


🚩राम के दोनों पुत्रों में कुश का वंश आगे बढ़ा तो कुश से अतिथि और अतिथि से, निषधन से, नभ से, पुण्डरीक से, क्षेमन्धवा से, देवानीक से, अहीनक से, रुरु से, पारियात्र से, दल से, शल से, उक्थ से, वज्रनाभ से, गण से, व्युषिताश्व से, विश्वसह से, हिरण्यनाभ से, पुष्य से, ध्रुवसंधि से, सुदर्शन से, अग्रिवर्ण से, पद्मवर्ण से, शीघ्र से, मरु से, प्रयुश्रुत से, उदावसु से, नंदिवर्धन से, सकेतु से, देवरात से, बृहदुक्थ से, महावीर्य से, सुधृति से, धृष्टकेतु से, हर्यव से, मरु से, प्रतीन्धक से, कुतिरथ से, देवमीढ़ से, विबुध से, महाधृति से, कीर्तिरात से, महारोमा से, स्वर्णरोमा से और ह्रस्वरोमा से सीरध्वज का जन्म हुआ।


🚩कुश वंश के राजा सीरध्वज को सीता नाम की एक पुत्री हुई। सूर्यवंश इसके आगे भी बढ़ा जिसमें कृति नामक राजा का पुत्र जनक हुआ जिसने योग मार्ग का रास्ता अपनाया था। कुश वंश से ही कुशवाह, मौर्य, सैनी, शाक्य संप्रदाय की स्थापना मानी जाती है। एक शोधानुसार लव और कुश की 50वीं पीढ़ी में शल्य हुए, जो महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़े थे। यदि इसकी गणना की जाए तो लव और कुश महाभारत काल के 2500 वर्ष पूर्व से 3000 वर्ष पूर्व हुए थे अर्थात आज से 6,500 से 7,000 वर्ष पूर्व।


 🚩इसके अलावा शल्य के बाद बहत्क्षय, ऊरुक्षय, बत्सद्रोह, प्रतिव्योम, दिवाकर, सहदेव, ध्रुवाश्च, भानुरथ, प्रतीताश्व, सुप्रतीप, मरुदेव, सुनक्षत्र, किन्नराश्रव, अन्तरिक्ष, सुषेण, सुमित्र, बृहद्रज, धर्म, कृतज्जय, व्रात, रणंजय, संजय, शाक्य, शुद्धोधन, सिद्धार्थ, राहुल, प्रसेनजित, क्षुद्रक, कुलक, सुरथ, सुमित्र हुए। माना जाता है कि जो लोग खुद को शाक्यवंशी कहते हैं वे भी श्रीराम के वंशज हैं।


🚩तो यह सिद्ध हुआ कि वर्तमान में जो सिसोदिया, कुशवाह (कछवाह), मौर्य, शाक्य, बैछला (बैसला) और गैहलोत (गुहिल) आदि जो राजपूत वंश हैं वे सभी भगवान प्रभु श्रीराम के वंशज है। जयपुर राजघराने की महारानी पद्मिनी और उनके परिवार के लोग भी राम के पुत्र कुश के वंशज हैं। महारानी पद्मिनी ने एक अंग्रेजी चैनल को दिए वक्तव्य में कहा था कि उनके पति भवानी सिंह कुश के 309वें वंशज थे।


 🚩इस घराने के इतिहास की बात करें तो 21 अगस्त, 1921 को जन्में महाराजा मानसिंह ने तीन शादियां की थी। मानसिंह की पहली पत्नी मरुधर कंवर, दूसरी पत्नी का नाम किशोर कंवर था और मानसिंह ने तीसरी शादी गायत्री देवी से की थी। महाराजा मानसिंह और उनकी पहली पत्नी से जन्में पुत्र का नाम भवानी सिंह था। भवानी सिंह का विवाह राजकुमारी पद्मिनी से हुआ। लेकिन दोनों का कोई बेटा नहीं है एक बेटी है जिसका नाम दीया है और जिसका विवाह नरेंद्र सिंह के साथ हुआ है। दीया के बड़े बेटे का नाम पद्मनाभ सिंह और छोटे बेटे का नाम लक्ष्यराज सिंह है।

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🚩क्या भारतीय मुसलमान भी राम के वंशज हैं?


🚩हालांकि ऐसे कई राजा और महाराजा हैं जिनके पूर्वज श्रीराम थे। राजस्थान में कुछ मुस्लिम समूह कुशवाह वंश से ताल्लुक रखते हैं। मुगल काल में इन सभी को जबरन धर्म परिवर्तन करना पड़ा था, लेकिन ये सभी आज भी खुद को प्रभु श्रीराम का वंशज ही मानते हैं।


 🚩इसी तरह मेवात में दहंगल गोत्र के लोग भगवान राम के वंशज हैं ( और छिरकलोत गोत्र के मुस्लिम यदुवंशी माने जाते हैं )। राजस्थान, बिहार, उत्तर प्रदेश, दिल्ली आदि जगहों पर ऐसे कई मुस्लिम गांव या समूह हैं जो राम के वंश से संबंध रखते हैं। डीएनए शोधाधुसार उत्तर प्रदेश के 65 प्रतिशत मुस्लिम ब्राह्मण , बाकी राजपूत, कायस्थ, खत्री, वैश्य और दलित वंश से ताल्लुक रखते हैं।

      - संकलक व लेखक : राजेश पंडित


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Friday, January 19, 2024

कश्मीरी हिन्दुओं के लिए 19 जनवरी की रात कैसे बन गई कातिल ?

19 January 2024

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🚩जनवरी 19 जब-जब यह तारीख आती है, कश्मीरी हिन्दुओं के जख्म हरे हो जाते हैं । यही वह तारीख है जिस दिन जम्मू कश्मीर में बसे हिन्दुओं को अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर कर दिया गया था । इस तारीख ने उनके लिए जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे ।


🚩आपको बता दें कि उस दौर में कश्मीर से केवल पंडितों को ही नहीं बल्कि तमाम हिन्दुओं को प्रताड़ित करके भगाया गया था। हमारे अधूरे इतिहास में केवल पंडितों का नाम इसलिए ऊपर किया गया है ताकि दूसरे हिन्दू भाई शांत रहें । क्योंकि ये नकली इतिहासकार अच्छे से जानते हैं कि हिंदू जाति-पाति में बंटे हैं, एक नहीं है... इसलिए केवल ब्राह्मणों का ही उल्लेख किया गया है।


🚩कश्मीेरी हिन्दुओं को बताया काफिर-


🚩देश की आजादी के बाद धरती के स्वर्ग कश्मीर में नरक का मौहाल बन चुका था । 19 जनवरी 1990 की काली रात को करीब 3 लाख कश्मीरी हिंदुओं ( जिनमें बड़ी संख्या में पंडित थे ) को अपना घर,दुकान,जमीन आदि छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था । अलगावादियों ने हिन्दुओ के घर पर एक नोटिस चस्पा की थी, जिसपर लिखा था कि ‘या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ…या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’


🚩20 जनवरी 1999 को कश्मीर की मस्जिदों से कश्मीरी हिन्दुओं को काफिर करार दिया गया । मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के जरिए ऐलान किया गया, ‘कश्मीरी पंडित समेत सभी हिन्दू या तो मुसलमान धर्म अपना लें, या चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें ।’ यह ऐलान इसलिए किया गया ताकि कश्मीरी हिंदुओं के घरों को पहचाना जा सके और उन्हें या तो इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाए या फिर उन्हें मार दिया जाए ।


🚩कश्मीरी हिन्दुओं के सिर काटे गए, कटे सिर वाले शवों को चौक-चौराहों पर लटकाया गया था ।

बड़ी संख्या में कश्मीरी हिन्दुओं ने अपने घर छोड़ दिए । आंकड़ों के मुताबिक 1990 के बाद करीब 7 लाख से अधिक कश्मीरी हिन्दू अपने घरों को छोड़कर कश्मीर से विस्थापित होने को मजबूर हुए ।


🚩खुलेआम हुए थे बलात्कार!!


🚩एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ जिहादियों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद मार-मार कर उसकी हत्या कर दी । घाटी में कई कश्मीरी हिन्दुओं की लड़कियों के साथ जिहादियों ने सामूहिक बलात्कार किया और लड़कियों के अपहरण किए गए ।


🚩मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरियों को कहा गया कि इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं ।


🚩डर की वजह से वापस लौटने से कतराते!!


🚩आज भी कश्मीेरी हिन्दुओं के अंदर का डर उन्हें वापस लौटने से रोक देता है । कश्मीरी हिन्दुओं ने घाटी छोड़ने से पहले अपने घरों को कौड़‍ियों के दाम पर बेचा था । 34 वर्षों में कीमतें कई गुना तक बढ़ गई हैं । आज अगर वह वापस आना भी चाहें तो नहीं आ सकते क्योंकि न तो उनका घर है और न ही घाटी में उनकी जमीन बची है । इस मौके पर अभिनेता अनुपम खेर ने एक कविता शेयर की है । आप भी देखिए अनुपम ने कैसे कश्मीरी हिन्दुओं का दर्द बयां किया है ।


🚩कर्नाटक के श्री प्रमोद मुतालिक, श्रीराम सेना (राष्ट्रिय अध्यक्ष) ने बताया कि यह कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन का प्रश्न नहीं, यह पूरे भारत की समस्या है । हिंदुओं को 1990 में कश्मीर से क्यों निकाला गया ? क्या वो कोई दंगा कर रहे थे ? या उनके घर में हथियार थे ?

उन्हें केवल इसलिए वहां से निकाल दिया गया क्योंकि वे ’हिन्दू´ हैं । आज यही समस्या भारत के विविध राज्यों में उभरनी शुरू हो गई है । इसलिए आज एक भारत अभियान की/राष्ट्र निर्माण की आवश्यकता है ।


🚩अधिवक्ता श्रीमती चेतना शर्मा, हिन्दू स्वाभिमान, उत्तर प्रदेश ने बताया कि राजनैतिक दलों ने हर जगह जाति का नाम देकर हर मामले को राजनैतिक करने का प्रयास किया है । परंतु आज समय आ गया है कि जो स्थिति जैसी है, वैसा ही सत्य रूप दुनिया के सामने लाया जाए । जब भी, जहां भी जनसांख्यिकी बदली है, वहां कश्मीर बना है । अब उत्तर प्रदेश की भी स्थिति वैसी ही होना शुरु हो गई है । कैराना में जो हुआ, वही आज उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में भी होने लगा है । अब मात्र 10 वर्ष में या तो भारत हिन्दू राष्ट्र होगा या हिन्दू विहीन राष्ट्र !


🚩आपको बता दें कि 14 सितंबर 1989 को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष टिक्कू लाल टपलू की हत्या से कश्मीर में शुरू हुए आतंक का दौर समय के साथ और वीभत्स होता चला गया ।


🚩टिक्कू की हत्या के महीने भर बाद ही जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल बट को मौत की सजा सुनाने वाले सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई । फिर 13 फरवरी को श्रीनगर के टेलीविजन केंद्र के निदेशक लासा कौल की निर्मम हत्या के साथ ही आतंक अपने चरम पर पहुंच गया था । उस दौर के अधिकतर हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई । उसके बाद 300 से अधिक हिंदू-महिलाओं और पुरुषों की आतंकियों ने हत्या की ।


🚩उन कश्मीर हिन्दुओं की हालात की कल्पना कीजिये जब उनके घरों में सामान बिखरा पड़ा था । गैस स्टोव पर देग़चियां और रसोई में बर्तन इधर-उधर फेंके हुए थे । घरों के दरवाज़े खुले थे । हर घर का ऐसा ही हाल था । ऐसा लगता था कि कोई बहुत बड़ा भूकंप के कारण घर वाले अचानक अपने घरों से भाग खड़े हुए हों..कश्मीरी हिन्दू हिंसा, आतंकी हमले और हत्याओं के माहौल में जी रहे थे । सुरक्षाकर्मी थे लेकिन उन्हें मना किया गया था चुप रह कर सब देखते रहने के लिये... ये बात आज तक रहस्य है !

शुरू में उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं । “जम्मू में पहले वो लोग सस्ते होटल में रहे, छोटी-छोटी जगहों पर रहे । बाद में एक धर्मशाला में रहे.. इतना ही नहीं, उनके पेट भीख माग कर भी पले… ।


🚩सरकार प्रयास करें कि वहाँ पुनः हिन्दू बसें।

अन्य राज्यों में हिंदू कम हो रहे हैं। उसके लिए जनता भी ध्यान दे कि जिस तरह से पिछले 75 साल से मुसलमान 8-8 , 10-10 बच्चों को पैदा कर रहे हैं तो हिंदुओं को कम से कम अपनी भी संख्याबल, जन बल पर विचार करना चाहिए और हम दो हमारे दो के फार्मूले को दूर से ही तिलांजलि दे देनी चाहिए ।


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Thursday, January 18, 2024

केके मुहम्मद बोले, ‘जो राम-कृष्ण को नहीं मानता, वो सच्चा मुसलमान नहीं’

19 January 2024

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🚩अयोध्या में 22 जनवरी, 2024 को पुनर्निर्मित राम जन्मभूमि मंदिर में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। इससे पहले एक वीडियो वायरल हो रहा है। यह वीडियो पुरातत्व विशेषज्ञ केके मुहम्मद का है। केके मुहम्मद बाबरी ढाँचे में हुई खुदाई में शामिल थे। राम मंदिर के सच को बाहर लाने में उनका बड़ा योगदान माना जाता है।


🚩केके मुहम्मद की जो वीडियो वायरल हो रही है, वह लगभग चार साल पुरानी है। उन्होंने साल 2019 में एक लिट फेस्ट में बोलते हुए राम जन्मभूमि में हुई खुदाई के साथ ही देश में मंदिरों को तोड़कर बनाई गईं कई मस्जिदों के बारे में बताया था। इस दौरान उन्होंने कहा था कि कैसे वामपंथी इतिहासकार इस पर बोलने का कभी साहस नहीं जुटा सके।


🚩केके मुहम्मद ने बताया था, कि हिंदुत्व में कोई भी व्यक्ति किसी भी तरीके से रह सकता है। उन्होंने कहा था, “मैं मुस्लिम विद्वानों से बताता हूँ कि पाकिस्तान नाम का मुस्लिम देश बनाने के बाद भी भारत सेक्युलर है तो ये हिन्दुओं के कारण ही संभव है।” केके मोहम्मद ने इस वीडियो में भारतीय मुस्लिमों के भारतीय संस्कृति से सम्बन्ध के विषय में भी बात की।


🚩उन्होंने कहा कि यदि भारत में मुस्लिमों के लिए राम और कृष्ण उनके लिए हीरो नहीं हैं तो वे परफेक्ट मुस्लिम नहीं हैं। उन्होंने कहा कि मलेशिया और इंडोनेशिया में भी मुस्लिम राम और कृष्ण को मानते हैं, जबकि वे उनके देश में नहीं हुए। इसी तरह भारत के मुस्लिमों को भी यही करना था, लेकिन वे समझ नहीं पाए।


🚩उन्होंने ईरान का उदाहरण देते हुए कहा कि ईरान के आज भी राष्ट्रीय हीरो रूस्तम और सोहराब हैं। ये दोनों पर्शिया, जो अब मुस्लिम शासन होने के बाद ईरान बन गया है, के हीरो थे। ये मुस्लिम भी नहीं थे, फिर भी इन्हें ईरान अपना नेशनल हीरो मानता है। 


🚩इस वीडियो में केके मुहम्मद को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि साल 1990 में राम जन्मभूमि के विषय में सच बोलने के कारण उन्हें निलंबित कर दिया गया था। हालाँकि, बाद में निलंबन को स्थानांतरण में बदल दिया गया। उन्होंने कहा कि मुस्लिम पक्ष का दावा था कि बाबरी को खाली जमीन पर बनाया गया था, लेकिन बाद में हुए सर्वे ने स्पष्ट कर दिया कि यहाँ एक बड़ा मंदिर था।


🚩उन्होंने बताया कि वहाँ कई स्तंभ मिले। ढाँचे वाली जगह से 263 मूर्तियाँ मिलीं। इनमें वराह समेत अन्य कई प्रतीक मिले, जो एक मस्जिद में से कभी नहीं मिल सकते। उन्होंने एक शिलालेख के विषय में भी बताया, जिसमें लिखा था कि यह मंदिर उस अवतार को समर्पित है, जिसने बालि को मारा था। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिमों के लिए बाबरी कोई बहुत बड़े महत्व की नहीं थी।

https://twitter.com/ARanganathan72/status/1747518681301868926?t=hAHWNaxkvDfJCvWtwFHkGw&s=19


🚩केके मुहम्मद ने यह भी कहा कि यदि मुस्लिमों ने इस जगह को हिन्दुओं को दे दिया होता तो ये मामला शांति से निपट जाता। इस दौरान एक दर्शक ने उनसे पूछा कि राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद ऐसा दिखाया गया कि इसमें किसी की हार नहीं हुई है। हिन्दू-मुस्लिम एक है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी हार मार्क्सवादियों की हुई। इस पर दर्शक ने उनकी राय पूछी।


🚩केके मुहम्मद ने इसका जवाब देते हुए कहा कि 34-35 साल की लड़ाई के बाद मार्क्सवादी और वामपंथी इतिहासकारों की बड़ी हार हुई है। उन्होंने कुछ कम्युनिस्टों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये लोग अच्छे होते हैं, मगर इरफान हबीब जैसे कुछ इतिहासकार बिल्कुल इसके विपरीत अपना नैरेटिव गढ़ते हैं, जो कि अब पूरी तरह से फेल हो चुका है।


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Wednesday, January 17, 2024

गुरु गोविन्द सिंह के इस सन्देश को पढ़ लिया होता तो हिंदू नही बंटते जातिवाद में

19 January 2024

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🚩गुरु गोविन्द सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ साथ महान विद्वान् भी थे। वे ब्रज भाषा, पंजाबी, संस्कृत और फारसी भी जानते थे और इन सभी भाषाओँ में कविता भी लिख सकते थे। जब औरंगजेब के अत्याचार सीमा से बढ़ गए तो गुरूजी ने मार्च 1705 को एक पत्र भाई दयाल सिंह के हाथों औरंगजेब को भेजा। इसमे उसे सुधरने की नसीहत दी गयी थी। यह पत्र फारसी भाषा के छंद शेरों के रूप में लिखा गया है। इसमे कुल 134 शेर हैं। इस पत्र को “ज़फरनामा” कहा जाता है।


🚩यद्यपि यह पत्र औरंगजेब के लिए था। लेकिन इसमे जो उपदेश दिए गए है वह आज हमारे लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इसमे औरंगजेब के आलावा मुसलमानों के बारे में जो लिखा गया है, वह हमारी आँखें खोलने के लिए काफी हैं। इसीलिए ज़फरनामा को धार्मिक ग्रन्थ के रूप में स्वीकार करते हुए दशम ग्रन्थ में शामिल किया गया है।


🚩जफरनामा से विषयानुसार कुछ अंश प्रस्तुत किये जा रहे हैं। ताकि लोगों को इस्लाम की हकीकत पता चल सके ।


🚩1 – शस्त्रधारी ईश्वर की वंदना–

बनामे खुदावंद तेगो तबर, खुदावंद तीरों सिनानो सिपर।

खुदावंद मर्दाने जंग आजमा, ख़ुदावंदे अस्पाने पा दर हवा।

अर्थ : उस ईश्वर की वंदना करता हूँ, जो तलवार, छुरा, बाण, बरछा और ढाल का स्वामी है और जो युद्ध में प्रवीण वीर पुरुषों का स्वामी है, जिनके पास पवन वेग से दौड़ने वाले घोड़े हैं।


🚩2 – औरंगजेब के कुकर्म :

तो खाके पिदर रा बकिरादारे जिश्त, खूने बिरादर बिदादी सिरिश्त

वजा खानए खाम करदी बिना, बराए दरे दौलते खेश रा

अर्थ :- तूने अपने बाप की मिट्टी को अपने भाइयों के खून से गूँधा और उस खून से सनी मिटटी से अपने राज्य की नींव रखी और अपना आलीशान महल तैयार किया।


🚩3 – अल्लाह के नाम पर छल–

न दीगर गिरायम बनामे खुदात, कि दीदम खुदाओ व् कलामे खुदात

ब सौगंदे तो एतबारे न मांद, मिरा जुज ब शमशीर कारे न मांद

अर्थ : तेरे खु-दा के नाम पर मैं धोखा नहीं खाऊंगा, क्योंकि तेरा खु-दा और उसका कलाम झूठे हैं। मुझे उनपर यकीन नहीं है। इसलिए सिवा तलवार के प्रयोग से कोई उपाय नहीं रहा।


🚩4 – छोटे बच्चों की हत्या–

चि शुद शिगाले ब मकरो रिया, हमीं कुश्त दो बच्चये शेर रा.

चिहा शुद कि चूँ बच्च गां कुश्त चार, कि बाकी बिमादंद पेचीदा मार.

अर्थ : यदि सियार शेर के बच्चों को अकेला पाकर धोखे से मार डाले तो क्या हुआ। अभी बदला लेने वाला उसका पिता कुंडली मारे विषधर की तरह बाकी है। जो तुझ से पूरा बदला चुका लेगा।


🚩5 – मु-सलमानों पर विश्वास नहीं–

मरा एतबारे बरीं हल्फ नेस्त, कि एजद गवाहस्तो यजदां यकेस्त.

न कतरा मरा एतबारे बरूस्त, कि बख्शी ओ दीवां हम कज्ब गोस्त.

कसे कोले कुरआं कुनद ऐतबार, हमा रोजे आखिर शवद खारो जार.

अगर सद ब कुरआं बिखुर्दी कसम, मारा एतबारे न यक जर्रे दम.

अर्थ : मुझे इस बात पर यकीन नहीं कि तेरा खुदा एक है। तेरी किताब (कु-रान) और उसका लाने वाला सभी झूठे हैं। जो भी कु-रान पर विश्वास करेगा, वह आखिर में दुखी और अपमानित होगा। अगर कोई कुरान कि सौ बार भी कसम खाए, तो उस पर यकीन नहीं करना चाहिए।


🚩6 – दुष्टों का अंजाम —

कुजा शाह इस्कंदर ओ शेरशाह, कि यक हम न मांदस्त जिन्दा बजाह.

कुजा शाह तैमूर ओ बाबर कुजास्त, हुमायूं कुजस्त शाह अकबर कुजास्त.

अर्थ : सिकंदर कहाँ है, और शेरशाह कहाँ है, सब जिन्दा नहीं रहे। कोई भी अमर नहीं हैं, तैमूर, बाबर, हुमायूँ और अकबर कहाँ गए। सब का एकसा अंजाम हुआ।


🚩7 – गुरूजी की प्रतिज्ञा —

कि हरगिज अजां चार दीवार शूम, निशानी न मानद बरीं पाक बूम.

चूं शेरे जियां जिन्दा मानद हमें, जी तो इन्ताकामे सीतानद हमें.

चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त, हलालस्त बुर्दन ब शमशीर दस्त.

अर्थ : हम तेरे शासन की दीवारों की नींव इस पवित्र देश से उखाड़ देंगे। मेरे शेर जब तक जिन्दा रहेंगे, बदला लेते रहेंगे। जब हरेक उपाय निष्फल हो जाएँ तो हाथों में तलवार उठाना ही धर्म है।


🚩8 – ईश्वर सत्य के साथ है —

इके यार बाशद चि दुश्मन कुनद, अगर दुश्मनी रा बसद तन कुनद.

उदू दुश्मनी गर हजार आवरद, न यक मूए ऊरा न जरा आवरद.

अर्थ : यदि ईश्वर मित्र हो, तो दुश्मन क्या क़र सकेगा, चाहे वह सौ शरीर धारण क़र ले। यदि हजारों शत्रु हों, तो भी वह बाल बांका नहीं क़र सकते है। सदा ही धर्म की विजय होती है।


🚩गुरु गोविन्द सिंह ने अपनी इसी प्रकार की ओजस्वी वाणियों से लोगों को इतना निर्भय और महान योद्धा बना दिया कि अब भी शांतिप्रिय — सिखों से उलझाने से कतराते हैं। वह जानते हैं कि सिख अपना बदला लिए बिना नहीं रह सकते। इसलिए उनसे दूर ही रहो।


🚩इस लेख का एकमात्र उद्देश्य है कि आप लोग गुरु गोविन्द साहिब कि वाणी को आदर पूर्वक पढ़ें और श्री गुरु तेगबहादुर और गुरु गोविन्द सिंह जी के बच्चों के महान बलिदानों को हमेशा स्मरण रखें और उनको अपना आदर्श मनाकर देश धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो जाएँ । वरना यह सेकुलर और जिहादी एक दिन हिन्दुओं को विलुप्त प्राणी बनाकर मानेंगे।

गुरु गोविन्द सिंह का बलिदान सर्वोपरि और अद्वितीय है।


🚩सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, बढे धर्म हिन्दू सकल भंड भागे…।


🚩गुरु गोविन्द सिंह के महान संकल्प से खालसा की स्थापना हुई। हिन्दू समाज अत्याचार का सामना करने हेतु संगठित हुआ। पंच प्यारों में सभी जातियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसका अर्थ यही था कि अत्याचार का सामना करने के लिए हिन्दू समाज को जात-पात मिटाकर संगठित होना होगा। तभी अपने से बलवान शत्रु का सामना किया जा सकेगा…


🚩खेद है की हिन्दुओं ने गुरु गोविन्द सिंह के सन्देश पर अमल नहीं किया। जात-पात के नाम पर बटें हुए हिन्दू समाज में संगठन भावना शुन्य हैं। गुरु गोविन्द सिंह ने स्पष्ट सन्देश दिया कि कायरता भूलकर, स्व बलिदान देना जब तक हम नहीं सीखेंगे तब तक देश, धर्म और जाति की सेवा नहीं कर सकेंगे।


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Tuesday, January 16, 2024

आशाराम बापू ने वास्तव में ऐसा क्या किया था, जिससे उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गयी...?

17 January 2024

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🚩आशाराम बापू ने ईसाई बना दिए गए लाखों हिंदू आदिवासियों की घर वापसी करवाई। करोड़ों लोगों को सनातन धर्म के प्रति आस्थावान बना दिया। सैंकड़ों गुरुकुल और 17000 से अधिक बाल संस्कार केंद्र खोलकर बच्चों को भारतीय संस्कृति के अनुसार संस्कारवान जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। कत्लखाने जाती हजारों गायों को बचाकर अनेकों गौशालाएं खोल दी। वेलेंटाइन डे के दिन करोडों लोगों द्वारा मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया ।

विदेशों में भी उनके लाखों अनुयायी बन चुके थे और वे सनातन संस्कृति का वहाँ प्रचार करने लगे हैं। करोड़ों लोगों को व्यभिचारी से सदाचारी बना दिया उसके बाद उन करोडों लोगों ने व्यसन छोड़ दिये, सिनेमा में जाना छोड़ दिया बापूजी ने...

उनके अनुयाइयों ने क्लबों में जाना छोड़ दिया। ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे। स्वदेशी अपनाने लगे इसके कारण बहुराष्ट्रीय कंपनियों को अरबों-खरबों रुपयों का घाटा हुआ और ईसाई मिशनरियों की धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने लगीं। इन्हीं कारणों से पूरे सुनियोजित ढंग से उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया।


🚩बताया जाता है कि विदेशी कंपनियों को अरबों-खरबों का घाटा होने और धर्मान्तरण की दुकानें बंद होने के कारण हिन्दू धर्म विरोधी व राष्ट्र विरोधी ताकतों ने उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा । डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी और सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान सम्पादक सुरेश चव्हाणके जी ने बताया है कि इन दोनों ने ही आशाराम बापू को पहले ही बता दिया था कि आप जो धर्मान्तरण रोकने का कार्य कर रहे हैं, उसके कारण वेटिकन सिटी बहुत नाराज है और वे देश में पल रहे विदेशी एजेंट्स के साथ सांठ-गांठ से आपको जेल भेजने की तैयारी कर रहा है... पर आशारामजी बापू ने कहा कि “देश व धर्म की रक्षा के लिए सूली पर चढ़ जाऊंगा लेकिन हिन्दू धर्म की हानि नहीं होने दूंगा।”


🚩आपको बता दें कि उनके खिलाफ षडयंत्र तो 2004 से शुरू हो गया था और 2008 में उसने जोर पकड़ा। नतीजतन 2013 में झूठे केस में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।


🚩भारत के अस्तित्व को बचाने के लिए जितना कार्य आशाराम बापू ने किया है, उतना तो आज कोई करने का सोच भी नहीं सकता । देश-विदेश के लोगों को हिन्दू धर्म से न सिर्फ अवगत कराया बल्कि इसकी महानता से भी ओत-प्रोत किया और देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऊंचा किया ।  https://youtu.be/wmswegtRqus


🚩प्राणिमात्र के हितैषी नाम से जाने जाने वाले बापू आशारामजी का हृदय विशाल होने के साथ-साथ देश के कल्याण और मंगल के लिए द्रवीभूत भी रहता है । जब बापू आसारामजी ने देखा कि कई अत्याचारों से जूझ रहा भारत देश धीरे-धीरे अप्रत्यक्ष रूप से फिर से गुलाम बनाया जा रहा है और देशवासियों को भ्रष्ट कर अपनी संस्कृति से, अपनी प्रगति से दूर किया जा रहा है तब बापूजी ने ठाना कि देश से पतन-कारक विदेशी सभ्यता को निकाल फेंकना होगा और फिर उनके 60 सालों से अनवरत, अथक प्रयासों और सेवा प्रकल्पों द्वारा भारत-वासियों को मिली सही राह ।


🚩आज बापू आशारामजी कारागृह में हैं तो सिर्फ इसी वजह से, क्योंकि उन्होंने 50 वर्षों से भी अधिक समय देश और समाज के उत्थान और रक्षा में लगा दिए । बापू आशारामजी की वजह से भारत बार-बार विदेशी षड्यंत्रों से बचा और करोड़ों देशवासियों की धर्म-परिवर्तन से रक्षा हुई। कई विदेशी अंतरराष्ट्रीय कंपनियों की दाल नहीं गली और भटकते हुए देशवासियों को सही दिशा मिली । बापूजी के द्वारा किये जाने वाले ये सारे देश मांगल्य के कार्य देश को फिर से गुलाम बनने से रोक रहे हैं इसलिए राष्ट्र-विरोधी ताकतों के इशारे पर कुछ स्वार्थी नेताओं ने बापू आशारामजी के खिलाफ षड्यंत्र रच के झूठे केस के जरिए उन्हें देश और समाज से दूर किया । https://youtu.be/j1cCIdlT50c


🚩लेकिन वे स्वार्थी नेता समझते हैं कि बापू आशारामजी केवल एक शरीर हैं अब उन्हें कौन बताए कि जो करोड़ों हृदयों में वास करते हैं और जो सत्य के प्रतीक हैं वे सर्वव्याप्त हैं । जब इतने कुप्रचार के बाद भी सेवाएं और मंगल कार्य आदि आयोजन रुकने के बजाय और भी व्यापक हुए तब इन षड्यंत्रकारियों को मुंह की खानी पड़ी और इनके दलाल मीडिया की भी कई गलत और विरोधी खबरों के बावजूद, बापू आशारामजी के द्वारा हो रहे सेवाकार्यों पर आंच भी नहीं आयी । आखिर साँच को आंच नहीं और झूठ को पैर नहीं !

बापू आसारामजी का निर्मल पवित्र हृदय पहले भी सभी को लोकहित सेवा और आत्मज्ञान के प्रति प्रेरित कर रहा था और आज भी कर रहा है और वर्षों-वर्ष आगे भी प्रेरित करता रहेगा । 


🚩भारत का स्वर्णिम इतिहास था उसका “विश्वगुरु” होना । हम सभी ने भारत देश का इतिहास पढ़ा है और भारत माता की महिमा की गाथाएं सुनी हुई हैं । इतिहास के पन्नो में भारत को विश्व गुरु यानी की विश्व को पढ़ाने वाला अथवा पूरी दुनिया का शिक्षक कहा जाता था क्योंकि भारत देश के ऋषि-मुनि संत आदि ज्ञानीजन और उनका विज्ञान और अर्थव्यवस्था, राजनीति और यहाँ के लोगों का ज्ञान इतना समृद्ध था कि पूरब से लेकर पश्चिम तक सभी देश भारत के कायल थे । अब बापू आसारामजी की दूरदृष्टि के कारण और उनके अद्भुत अद्वैत अभियान के कारण भारत वास्तव में भीतर से बाहर तक विश्वगुरु बन कर रहेगा । 

https://youtu.be/U-kryE2VPc4


🚩राष्ट्र संस्कृति और समाज सेवा में अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले आशाराम बापू को शीघ्र रिहा करना चाहिए ऐसी विश्व भर के सनातन प्रेमियों की मांग है।


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Monday, January 15, 2024

वैश्विक होगा प्राण-प्रतिष्ठा समारोह, एफिल टॉवर से लेकर टाइम्स स्क्वायर तक होगा राममय...

16 January 2024

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🚩राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि अमेरिका और यूरोप तक के श्रद्धालु उत्साहित हैं। फ्रांस का एफिल टॉवर हो या न्यूयॉर्क का टाइम्स स्क्वायर, हर जगह विशाल पर्दों पर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के प्रसारण की तैयारी है। इतना ही नहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका के विभिन्न इलाकों में कार रैली भी निकाली जाएगी। यहाँ तक कि इस्लामिक मुल्कों में भी रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा अनुष्ठान का लाइव प्रसारण होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कार्यक्रम की तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं।


🚩लोगों के उत्साह का आलम देखिए कि अयोध्या में होने वाले इस कार्यक्रम को लेकर विदेश तक में लोग इंतज़ार कर रहे हैं। इस तरह से अब ये एक वैश्विक कार्यक्रम बन रहा है, जिस पर पूरी दुनिया की नज़रें बनी हुई हैं। फ्रांस की राजधानी पेरिस में 21 जनवरी, 2024 को ‘राम रथ यात्रा’ भी प्रस्तावित है, जिसमें पूरे यूरोप से श्रद्धालु जुट रहे हैं। साथ ही एफिल टॉवर के पास भी कार्यक्रम का आयोजन होगा। अमेरिका के टाइम्स स्क्वायर पर तो राम मंदिर के शिलान्यास के कार्यक्रम का भी लाइव प्रसारण हुआ था, अब प्राण-प्रतिष्ठा के कार्यक्रम का होगा।


🚩नॉर्थ अमेरिका के कई इलाकों, कनाडा में भी मंदिरों में 22 जनवरी को धार्मिक आयोजन होंगे, विशेष पूजा-अर्चना होगी। कैलिफोर्निया, वाशिंगटन और शिकागो सहित USA के कई शहरों में कार रैलियाँ होंगी। भारतीय समय के अनुसार 12:30 बजे कार्यक्रम होना है। उस दौरान जहाँ पेरिस में सुबह होगी, वहीं अमेरिका में रात होगी।

चूँकि 500 वर्षों के संघर्ष के बाद रामलला अपने मंदिर में विराजने जा रहे हैं, इसीलिए श्रद्धालुओं ने तैयारियाँ भी ख़ास कर के रखी हैं।


🚩पेरिस में रहने वाले अविनाश मिश्रा ने बताया कि इस ऐतिहासिक क्षण का हिस्सा बनते हुए यूरोप के लोग पेरिस में ‘राम रथ यात्रा’ में भाग लेंगे और एफिल टॉवर के पास प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव प्रसारण देखेंगे। उन्होंने इस यात्रा का नक्शा शेयर करते हुए श्रद्धालुओं से इसका हिस्सा बनने की अपील की। ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट ने भी इस कार्यक्रम से जुड़ी सूचना को रीट्वीट किया है। अविनाश ने कहा कि इस प्राण-प्रतिष्ठा आयोजन का लाइव प्रसारण देखना श्रद्धालुओं के लिए सौभाग्य की बात है।


🚩नॉर्थ अमेरिका और कनाडा में ‘द मांडू मंदिर एम्पावरमेंट काउंसिल’ ने कई देवस्थानों में कार्यक्रम की योजना बनाई है। वाशिंगटन और शिकागो के बाद अब कैलिफोर्निया में कार रैली होनी है। श्रद्धालुओं ने कहा कि भले ही वो सदेह अयोध्या में उपस्थित रहने में अक्षम हैं, लेकिन भगवान राम उनके हृदय में रहते हैं और वो उनकी वापसी से हर्षित हैं।


🚩न्यूयॉर्क सिटी के मेयर एरिक एडम्स ने कहा कि ये हिन्दुओं की जनसंख्या को देखते हुए ये एक बहुत महत्वपूर्ण घटना है, ये आध्यात्मिकता के पथ पर बढ़ने और त्योहार मनाने का एक अच्छा अवसर है।


🚩इतना ही नहीं, 160 अलग-अलग देशों में कई कार्यक्रमों का आयोजन होना है। VHP (विश्व हिन्दू परिषद) ने इसकी रूपरेखा तैयार की है। 50 देशों में बड़े आयोजन होने हैं। अमेरिका में 300, मॉरीशस में 100, UK में 25, ऑस्ट्रेलिया में 30 और कनाडा में 30 लोकेशनों से अयोध्या में राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा कार्यक्रम का लाइव प्रसारण होगा। आयरलैंड, फिजी, इंडोनेशिया और जर्मनी में भी बड़े-बड़े कार्यक्रम होंगे, जहाँ लाइव प्रसारण दिखाया जाएगा।


🚩अमेरिका, कनाडा, जर्मनी और फिजी समेत 50 देशों के प्रतिनिधियों को अयोध्या इस समारोह में उपस्थित रहने के लिए बुलाया गया है। इंडोनेशिया और सऊदी अरब जैसी इस्लामिक मुल्कों में भी लाइव स्ट्रीमिंग की योजना है। हवन पूजा और हनुमान चालीसा पाठ जैसे कार्यक्रम 160 देशों में होने हैं।


🚩खुशी की बात ये भी है कि अब देश का सबसे बड़ा राज्य, उत्तर प्रदेश भी इस कार्यक्रम के जरिए विश्व पटल पर अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। दुनिया भर में हिन्दू पुनरुत्थान की एक इस नई गाथा के लोग साक्षी बनेंगे।


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