Tuesday, March 26, 2024

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट को किया खत्म, कहा सेक्युलरिज्म के है खिलाफ यह एक्ट

26  March 2024

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🚩इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उत्तर प्रदेश मदरसा एक्ट को खत्म कर दिया है। हाईकोर्ट ने इसे धर्मनिरपेक्षता विरोधी और असंवैधानिक भी बताया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि मदरसे की शिक्षा सेक्युलरिज्म के सिद्धांतों के विरुद्ध है और सरकार को ये कार्यान्वित करना होगा कि मदरसों में मजहबी शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों को औपचारिक शिक्षा पद्धति में दाखिल करें। जस्टिस विवेक चौधरी और जस्टिस सुभाष विद्यार्थी ने इसके साथ ही यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया।


🚩अंशुमान सिंह राठौड़ नामक शख्स ने इस संबंध में याचिका दायर की थी। उन्होंने इस एक्ट की कानूनी वैधता को चुनौती दी थी। इसके साथ-साथ उन्होंने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार संशोधन अधिनियम, 2012 के कुछ प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई थी। इससे पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केंद्र व राज्य सरकारों से पूछा था कि मदरसा बोर्ड को शिक्षा विभाग की जगह अल्पसंख्यक विभाग द्वारा क्यों संचालित किया जा रहा है।


🚩देश से आतंकवादी संगठनों में जो मुस्लिम युवक- युवतियां भर्ती होने जाते हैं उसका कारण मदरसों में दी जा रही कट्टरपंथी शिक्षा ही है ।


🚩मदरसों में जब कट्टरपंथी की शिक्षा दी जाती है और कई मदरसों में बच्चों का मौलवी यौन शोषण कर रहे है तो ऐसे मदरसों पर बेन तो लगना ही चाहिए । 


🚩सरकार को तो मदरसों पर बैन लगाना चाहिए किंतु उसके विपरित सरकार मदरसों को अनुदान देती है। जबकि ‘मदरसों को अनुदान देना अर्थात सरकारी (जनता के टैक्स ) पैसों से आतंकवादियों का निर्माण करना है ।


🚩जनता का कहना है की मदरसे बंद करके उसी जगह स्कूल खोल देना चाहिए। जिससे बच्चों और देश का भविष्य उज्ज्वल बने।


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Monday, March 25, 2024

प्रह्लाद को गोदी में लेकर होलिका कोन सी जगह बैठी थी ?

आज उस स्थान की कैसी स्थिति है ?

25  March 2024

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🚩होली पर होलिका दहन और प्रह्लाद की याद भी आएगी, जिन्हें नहीं याद आया उन्हें इस कहानी में छुपे किसी तथाकथित नारीविरोधी मानसिकता की याद दिला दी जायेगी। कभी-कभी होलिका को उत्तर प्रदेश का घोषित कर के इसमें दलित विरोध और आर्यों के हमले का मिथक भी गढ़ा जाता है। ऐसे में सवाल है कि प्रह्लाद को किस क्षेत्र का माना जाता है ? आखिर किस इलाक़े को पौराणिक रूप से हिरण्याक्ष-हिरण्यकश्यप का क्षेत्र समझा जाता था ?


🚩वो इलाक़ा होता था कश्यप-पुर जिसे आज मुल्तान (पाकिस्तान का एक शहर) के नाम से जाना जाता है। ये कभी प्रह्लाद की राजधानी थी। यहीं कभी प्रहलादपुरी का मंदिर हुआ करता था, जिसे भगवान नरसिंह के लिए बनवाया गया था। कथित रूप से ये एक चबूतरे पर बना कई खंभों वाला मंदिर था। अन्य कई मंदिरों की तरह इसे भी इस्लामिक हमलावरों ने तोड़ दिया था। जैसी कि इस्लामिक परंपरा है, इसके अवशेष और इस से जुड़ी यादें मिटाने के लिए इसके पास भी हज़रत बहाउल हक़ ज़कारिया का मकबरा बना दिया गया। डॉ. ए.एन. खान के हिसाब से जब ये इलाक़ा दोबारा सिक्खों के अधिकार में आया तो 1810 के दशक में यहाँ फिर से मंदिर बना।


🚩मगर जब एलेग्जेंडर बर्निस इस इलाक़े में 1831 में आए तो उन्होंने वर्णन किया कि ये मंदिर फिर से टूटे-फूटे हाल में है और इसकी छत नहीं है। कुछ साल बाद जब 1849 में अंग्रेजों ने मूल राज पर आक्रमण किया तो ब्रिटिश गोला किले के बारूद के भण्डार पर जा गिरा और पूरा किला बुरी तरह नष्ट हो गया था। बहाउद्दीन ज़कारिया और उसके बेटों के मकबरे और मंदिर के अलावा लगभग सब जल गया था। इन दोनों को एक साथ देखने पर आप ये भी समझ सकते हैं कि कैसे पहले एक इलाक़े का सर्वे किया जाता है, फिर बाद में कभी 10 साल बाद हमला होता है। डॉक्यूमेंटेशन, यानि लिखित में होना आगे के लिए मदद करता है।


🚩एलेग्जेंडर कन्निंगहम ने 1853 में इस मंदिर के बारे में लिखा था कि ये एक ईंटों के चबूतरे पर काफी नक्काशीदार लकड़ी के खम्भों वाला मंदिर था। इसके बाद महंत बावलराम दास ने जनता से जुटाए 11,000 रुपए से इसे 1861 में फिर से बनवाया। उसके बाद 1872 में प्रहलादपुरी के महंत ने ठाकुर फ़तेह चंद टकसालिया और मुल्तान के अन्य हिन्दुओं की मदद से फिर से बनवाया। सन 1881 में इसके गुम्बद और बगल के मस्जिद के गुम्बद की ऊँचाई को लेकर दो समुदायों में विवाद हुआ जिसके बाद दंगे भड़क उठे।


🚩दंगे रोकने के लिए ब्रिटिश सरकार ने कुछ नहीं किया। इस तरह इलाके के 22 मंदिर उस दंगे की भेंट चढ़ गए। मगर मुल्तान के हिन्दुओं ने ये मंदिर फिर से बनवा दिया। ऐसा ही 1947 तक चलता रहा, जब इस्लाम के नाम पर बँटवारे में पाकिस्तान हथियाए जाने के बाद ज्यादातर हिन्दुओं को वहाँ से भागना पड़ा। बाबा नारायण दास बत्रा वहाँ से आते समय भगवान नरसिंह का विग्रह ले आए। अब वो विग्रह हरिद्वार में है।

टूटी-फूटी, जीर्णावस्था में मंदिर वहाँ बचा रहा। सन 1992 के दंगे में ये मंदिर पूरी तरह तोड़ दिया गया। अब वहाँ मंदिर का सिर्फ अवशेष बचा है।


🚩सन् 2006 में बहाउद्दीन ज़कारिया के उर्स के मौके पर सरकारी मंत्रियों ने इस मंदिर के अवशेष में वजू की जगह बनाने की इजाजत दे दी। वजू मतलब जहाँ नमाज पढ़ने से पहले नमाज़ी हाथ-पाँव धो कर कुल्ला कर सकें। इसपर कुछ एन.जी.ओ. ने आपत्ति दर्ज करवाई और कोर्ट से वहाँ वजू की जगह बनाने पर स्टे ले लिया। अदालती मामला होने के कारण यहाँ फ़िलहाल कोई कुल्ला नहीं करता, पाँव नहीं धोता, वजू नहीं कर रहा। वो सब करने के लिए बल्कि उस से ज्यादा करने के लिए तो पूरा हिन्दुओं का धर्म ही है ना! इतनी छोटी जगह क्यों ली जाए उसके लिए भला?

बाकी, जब गर्व से कहना हो कि हम सदियों में नहीं हारे, हज़ारों साल से नष्ट नहीं हुए तो अब क्या होंगे ? या ऐसा ही कोई और मुंगेरीलाल का सपना आये, तो ये मंदिर जरूर देखिएगा। हो सकता है सेकुलर नींद से जागने का मन कर जाए।


🚩इस्लामिक आक्रमणकारीयों ने भारत मे आकर हजारों-लाखों मदिरों तोड़े, उसकी जगह मस्जिदें बनवा दी और आज बड़े-बड़े मन्दिर सरकारी नियंत्रण में है वे अपनी मनमानी से उसमें से धन खर्च करते हैं, ऑफिसर भ्रष्टाचार करते हैं, हिंदुओं के पैसे से हिंदुओं के विकास के लिए उन पैसे का उपयोग नहीं हो रहा है, बल्कि अल्पसंख्यक समुदाय के लिए किया जाता है, पहले भी हिंदू समाज सो रहा था, आज भी वही हाल है, इसलिए हर जगह लुटा जा रहा है, अब समय है जगने का नहीं तो देरी हो जाएगी फिर कुछ हाथ नहीं आएगा।


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Saturday, March 23, 2024

होली का इतिहास और सालभर स्वथ्य रहने के उपाय क्या हैं ?

24  March 2024

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🚩होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। होली भारत का अत्यंत प्राचीन पर्व है जो होली, होलिका या होलाका नाम से मनाया जाता है । वसंत की ऋतु में हर्षोल्लास के साथ मनाए जाने के कारण इसे वसंतोत्सव भी कहा गया है।

 

🚩वैदिक, प्राचीन एवं विश्वप्रिय उत्सव

 

🚩यह होलिकोत्सव प्राकृतिक, प्राचीन व वैदिक उत्सव है। साथ ही यह आरोग्य, आनंद और आह्लाद प्रदायक उत्सव भी है, जो प्राणिमात्र के राग-द्वेष मिटाकर, दूरी मिटाकर हमें संदेश देता है कि हो… ली… अर्थात् जो हो गया सो हो गया।

 यह वैदिक उत्सव है। लाखों वर्ष पहले भगवान रामजी हो गये। उनसे पहले उनके पिता, पितामह, पितामह के पितामह दिलीप राजा और उनके बाद रघु राजा… रघु राजा के राज्य में भी यह महोत्सव मनाया जाता था।

 

🚩होली का प्राचीन इतिहास…

 

🚩पृथ्वी, अप, तेज, वायु एवं आकाश इन पांच तत्त्वों की सहायतावल से देवता के तत्त्व को पृथ्वी पर प्रकट करने के लिए यज्ञ ही एक माध्यम है। जब पृथ्वी पर एक भी स्पंदन नहीं था, उस समय के प्रथम त्रेतायुग में पंचतत्त्वों में विष्णुतत्त्व प्रकट होने का समय आया। तब परमेश्वर द्वारा एक साथ सात ऋषि-मुनियोंको स्वप्नदृष्टांत में यज्ञ के बारे में ज्ञान हुआ । उन्होंने यज्ञ की सिद्धताएं (तैयारियां) आरंभ की। नारदमुनि के मार्गदर्शनानुसार यज्ञ का आरंभ हुआ। मंत्रघोष के साथ सबने विष्णुतत्त्व का आवाहन किया। यज्ञ की ज्वालाओं के साथ यज्ञकुंड में विष्णुतत्त्व प्रकट होने लगा। इससे पृथ्वी पर विद्यमान अनिष्ट शक्तियों को कष्ट होने लगा। उनमें भगदड़ मच गई। उन्हें अपने कष्ट का कारण समझ में नहीं आ रहा था। धीरे-धीरे श्रीविष्णु पूर्ण रूप से प्रकट हुए। ऋषि-मुनियों के साथ वहां उपस्थित सभी भक्तों को श्रीविष्णुजीके दर्शन हुए। उस दिन फाल्गुन पूर्णिमा थी। इस प्रकार त्रेतायुग के प्रथम यज्ञ के स्मरणमें होली मनाई जाती है। होली के संदर्भ में शास्त्रों एवं पुराणों में अनेक कथाएं प्रचलित हैं।

 

 🚩प्रह्लाद की भक्ति के कारण होली परम्परा शुरू हुई:


🚩प्राचीन काल में अत्याचारी राक्षसराज हिरण्यकश्यपु ने तपस्या करके भगवान ब्रह्माजीसे वरदान पा लिया कि, संसार का कोई भी जीव-जन्तु, देवी-देवता, राक्षस या मनुष्य उसे न मार सके। न ही वह रात में मरे, न दिन में, न पृथ्वी पर, न आकाश में, न घर में, न बाहर । यहां तक कि कोई शस्त्र भी उसे न मार पाए।

 ऐसा वरदान पाकर वह अत्यंत निरंकुश बन बैठा । हिरण्यकश्यपु के यहां प्रह्लाद जैसा परमात्मा में अटूट विश्वास करने वाला भक्त पुत्र पैदा हुआ । प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था और उस पर भगवान विष्णु की कृपा-दृष्टि थी।

 

🚩हिरण्यकश्यपु ने प्रह्लाद को आदेश दिया कि वह उसके अतिरिक्त किसी अन्य की स्तुति न करे। प्रह्लाद के न मानने पर हिरण्यकश्यपु ने उसे जान से मारने का निश्चय किया । उसने प्रह्लाद को मारने के अनेक उपाय किए लेकिन प्रभु-कृपा से वह बचता रहा।

 

🚩हिरण्यकश्यपु की बहन होलिका को अग्नि से बचने का वरदान था। हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका की सहायता से प्रहलाद को आग में जलाकर मारने की योजना बनाई।


 🚩होलिका बालक प्रह्लाद को गोद में उठा जलाकर मारने के उद्देश्य से आग में जा बैठी । लेकिन परिणाम उल्टा ही हुआ । होलिका ही अग्नि में जलकर वहीं भस्म हो गई और भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गया । तभी से होली का त्यौहार मनाया जाने लगा ।

 

🚩तत्पश्चात् हिरण्यकश्यपु को मारने के लिए भगवान विष्णु नरसिंह अवतार में खंभे से प्रगटे और संधिकाल में दरवाजे की चौखट पर बैठकर अत्याचारी हिरण्यकश्यपु को मार डाला।

 

🚩पूरे साल स्वस्थ्य रहने के लिए क्या करें होली पर..??

 

🚩1- होली के बाद 15-20 दिन तक बिना नमक का अथवा कम नमकवाला भोजन करना स्वास्थ्य के लिए हितकारी है ।

 

🚩2- इन दिनों में भुने हुए चने – ‘होला का सेवन शरीर से वात, कफ आदि दोषों का शमन करता है।

 

🚩3- एक महीना इन दिनों सुबह नीम के 20-25 कोमल पत्ते और एक काली मिर्च चबा के खाने से व्यक्ति वर्षभर निरोग रहता है ।

 

🚩4- होली के दिन चैतन्य महाप्रभु का प्राकट्य हुआ था। इन दिनों में हरिनाम कीर्तन करना-कराना चाहिए। नाचना, कूदना-फाँदना चाहिए जिससे जमे हुए कफ की छोटी-मोटी गाँठें भी पिघल जायें और वे ट्यूमर कैंसर का रूप न ले पाएं और कोई दिमाग या कमर का ट्यूमर भी न हो। होली पर नाचने, कूदने-फाँदने से मनुष्य स्वस्थ रहता है।

 

🚩5 – लट्ठी-खेंच कार्यक्रम करना चाहिए, यह बलवर्धक है।

 

🚩6 – होली जले उसकी गर्मी का भी थोड़ा फायदा लेना, लावा का फायदा लेना।

 

🚩7 – मंत्र सिद्धि के लिए होली की रात्रि को भगवान नाम का जप अवश्य करें।

 

🚩हमारे ऋषि-मुनियों ने विविध त्यौहारों द्वारा ऐसी सुंदर व्यवस्था की जिससे हमारे जीवन में आनंद व उत्साह बना रहे।

( स्त्रोत्र : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका से)


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Friday, March 22, 2024

सेंसर बोर्ड में अटक गई वीर सावरकर पर बनी फिल्म...

23 March 2024

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🚩विश्व में भारत एकमात्र ऐसा देश होगा की जहां पर देशभक्तों और भारतीय संस्कृति रक्षकों को इतिहास में नीचा गया है और राष्ट्र विरोधी व संस्कृती विरोधियों को महिमा मंडन किया गया है ओर आश्चर्य की बात है की देशभक्तों व संस्कृति रक्षकों को प्रताड़ना जेलनी पड़ती है और उनके सच्चे इतिहास पर कोई फिल्म बनती है तो सेंसर बोर्ड पास भी नही करता है जैसे थोड़े दिन पहले छत्रपति संभाजी पर बनी फ़िल्म को रिलीजी होने से सेंसर बोर्ड ने रोक लगा दी थी अब महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर बनी फिल्म पर रोक लगा दी हैं।


🚩आपको बता दे कि अभिनेता रणदीप हुड्डा महान स्वतंत्रता सेनानी वीर विनायक दामोदर सावरकर के जीवन पर फिल्म लेकर आए हैं। ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ फिल्म का निर्देशन भी उन्होंने ही किया है। गहन शोध के बाद बनाई गई इस फिल्म के लिए उन्होंने खासी मेहनत की है। कालापानी के दौर को पर्दे पर जीवंत करने के लिए रणदीप हुड्डा को अपने शरीर को काफी कमजोर करना पड़ा। हालाँकि, अब खबर आ रही है कि सेंसर बोर्ड में ये फलम अटक गई है, इसकी रिलीज को लेकर अनिश्चितता है।


🚩फिल्म कारोबार विश्लेषक सुमित काडेल ने एक ट्वीट के जरिए बताया, “कई सूत्रों से मुझे ये सुनने को मिल रहा है कि ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का सेंसर सर्टिफिकेट जानबूझकर रोक दिया गया है। इस कारण इसके कई शो रद्द हो रहे हैं। इससे फिल्म की रिलीज में बाधा आ सकती है और इसके प्रदर्शन का जो अधिकार है उसे नकारा जा सकता है। इससे संबद्ध संस्थाओं को इसकी अच्छी तरह जाँच करनी चाहिए। उन्हें कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि न्याय हो।”


🚩सुमित काडेल ने कहा कि कलात्मक स्वतंत्रता को बनाए रखने और फिल्म निर्माण प्रक्रिया की अखंडता की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने ये आशंका भी जताई कि जब हिंदी सेंसर को इतने लंबे समय तक रोक कर रखा गया है तो मराठी के लिए अप्लाई करने का समय ही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि अगर इस कारण फिल्म मराठी भाषा में रिलीज नहीं हो पाती है तो ये त्रासद होगा। बता दें कि वीर सावरकर मराठी ही थे।


🚩इस खबर के सामने आने के बाद लोगों ने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को टैग कर के हस्तक्षेप करने की माँग की। ‘मिस्टर सिन्हा’ नामक ट्विटर हैंडल ने कहा कि ये परेशान करने वाला है। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि वामपंथी इकोसिस्टम सेंसर बोर्ड का प्रबंधन कर रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ़्तों में ये दूसरी ऐसी घटना है। बता दें कि लेफ्ट लॉबी वीर सावरकर का विरोध करती है और उनके योगदानों को नकारती है, क्योंकि उन्होंने हिंदुत्व के लिए आवाज़ उठाई।


🚩जनता का कहना है की सेंसर बोर्ड और बॉलीवुड हमेशा भारतीय संस्कृति विरोधी रहा है, आजतक जितनी फिल्म बनाई है उसमे भारतीय इतिहास का अपमान किया होगा अथवा अश्लीलता वाले फिल्में बनाकर समाज में परोसी हैं, देशभक्तों व सही इतिहास अथवा हिंदुत्व पर फिल्मे बनती है उसपर सेंसर बोर्ड रोक लगा देते हैं। अब जनता का मूड बन रहा है की भारतीय संस्कृति विरोधी फिल्में का संपूर्ण बहिष्कार करेगें।


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Wednesday, March 20, 2024

भारत की न्याय व्यवस्था और सरकार का रवैया अंग्रेजों जैसा ?

21  March 2024
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🚩जोधपुर हाईकोर्ट का ड्रामे का 11 मार्च का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। हिंदू संत आशारामजी बापू की मरणासन्न स्थिति में भी हाईकोर्ट की व्यवस्था और उसके बाबू केवल भारत के संत आशारामजी का ही नहीं बल्कि उनके 12 करोड़ से अधिक शिष्यों का भी अपनी कार्यशैली से अपमान कर रहे हैं। हाईकोर्ट के बाबू की गंभीर लापरवाही है कि किसी याचिका की जगह दूसरी याचिका कम्प्यूटर में फीड कर दी, वो भी उस महापुरुष की जो गंभीर हृदयरोगी है।

🚩आपको बता दे कि बापू आशारामजी को 3 बार हार्ट अटैक आ चुका है। ऐसी स्थिति में कोई और मरीज रहता है तो अस्पताल पहुंचने पर डाक्टर कह देता है, सोरी आप 30 मिनट पहले आ जाते तो शायद मरीज की जान बच जाती। जहां मिनटों की कीमत होनी चाहिये, वहां घंटों तो ठीक है, दिनों की कीमत नहीं हो रही। ऐसी गंभीर हालत में कभी सुप्रीम कोर्ट तो कभी हाईकोर्ट इधर से उधर भटका रहे हैं। खुद कोर्ट की गलतियों का खामियाजा भी मरीज ही भुगतने को मजबूर हैं। 

🚩जोधपुर हाईकोर्ट ने 11 तारीख को डबल बेंच लगाकर भी पता नहीं क्या प्रदर्शन करने की कोशिश की। बापू आशारामजी ने याचिका में आयुर्वेदिक इलाज ही तो मांगा था। उस याचिका में जो पेज लगाये गये हाईकोर्ट के बाबू ने, वो पेज ही बदल दिये। उसके बाद बापू आशारामजी की ओर से लगे वकील ने अगली तारीख मांगी उसी याचिका को संशोधित करने के लिये तो भी उसे खारिज कर दिया। जबकि सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार ने एक केस में टाइपिंग की ग़लती के नाम पर पूरे का पूरा जवाब पेश करने के लिये समय ले लिया था और पूरा जबाब नया टाईप करके कोर्ट में दिया था। 

🚩न्यायालय जनता को न्याय देने के नाम पर बनाये गये हैं। न्यायाधीशों के वेतन से लेकर आर्डर सीट के कागज तक का खर्च जनता के उस खून पसीने की कमाई से आता है, जो प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में जमा होता है। उस पर अगर भारत के 12 करोड़ लोगों के देश-भर में प्रदर्शन, देश के जाने-माने सुप्रीम कोर्ट के वकील हाईकोर्ट की डबल बेंच से एक गंभीर हृदयरोगी के लिये आयुर्वेदिक इलाज की याचना या प्रार्थना कर रहे हैं तो उन वकीलों को न्यायाधीशों द्वारा कुत्तों की तरह दुत्कारा जा रहा है।

🚩क्या यह न्याय है या अन्याय भारत की जनता खुद ही फैसला करे,क्योंकि भविष्य में आपके परिवार का कोई सदस्य भी इसी तरह झूठे केस में फंसकर जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा होगा तो, इस तरह की न्याय व्यवस्था में आप कितना पैसा, कितने वकील और कितना धैर्य रख पायेंगे ? क्या आपको नहीं लगता बाबा राम रहीम  को बार बार पैरोल इस लिये दी जा रही है कि कहीं सरदार इंदिरा गांधी कांड न दोहरा दें? क्या इस देश के हिन्दू और सनातनी लोगों को देश की निचली अदालतें, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट नपुंसक समझती है ? - सैनिक गर्जना समाचार पत्र

🚩आपको बता दे कि जोधपुर हाईकोर्ट में बापू आशारामजी को महाराष्ट्र पुणे स्थित माधव बाग अस्पताल में इलाज के लिए अपील पर 20 मार्च को सुनवाई हुई उसमे भी महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में बताया कि हम लो एंड ऑर्डर नही संभाल सकते हैं। इसलिए इलाज के लिए कोर्ट ने मना कर दिया, इससे तो साफ होता है की कोर्ट और सरकार मिली भगत है, क्योंकी हिंदू संत आशाराम बापू की उम्र 87 वर्ष की है, 11 साल से जेल में रहने से मूलभूत सुविधाएं नही मिलने पर आज उनके शरीर में गंभीर बीमारियां हो गई हैं। फिर भी उनको आयुर्वेद इलाज के लिए भी जमानत नही मिल पा रही हैं,ये कैसा कानून और सरकार है ?

🚩बस उनका कसूर यही है कि वे हमेशा जनता के पक्ष लेते है, सरकार के गलत निर्णयों पर टोकते है, जिसके कारण सरकार नही चाहती है की बापू बाहर आएं और मीडिया और न्यायलय किसके इशारे पर कार्य कर रही है आप सभी को अच्छे से पता है, बस कहने का तात्पर्य यही है कि बापू आशारामजी ने 70 साल तक समाज, राष्ट्र और संस्कृती की सेवा किया , कांग्रेस सरकार के समय में जब कोई हिंदुत्व के लिए बोलता नही था, उस समय बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, करोड़ो लोगों को में सनातन धर्म की लो जगाई, करोड़ो लोगों के व्यसन और व्यभिचार छुड़ाए, मिशनरी और विदेशी कंपनियों को उखाड़ फेके और उनके पास निर्दोष होने के कई प्रमाण है, फिर जूठा केस लगाकर प्रताड़ित किया जा रहा है और आज तक जमानत तक नही मिल रही ये कैसा न्याय हैं ? जबकि नेता अभिनेता और आतंकवादियों तक को रिहा किया जा रहा हैं।

🚩बापूजी के अनुकूल आयुर्वेद इलाज के  लिए देशभर में पिछले 2 महीनो से महिला मंडलों  द्वारा लगातार रेलियां  निकाली गई है फिर भी 87 वर्षीय हिंदू संत श्री आशारामजी बापूजी को न्याय तो दूर बेल तक नही मिल रही है,ये इस सदी का सबसे बड़ा अन्याय है।

🚩करोड़ो लोगों की मांग है कि सरकार बापू आशारामजी को शीघ्र रिहा करवाए।

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Tuesday, March 19, 2024

होली इस रंग से खेलिए सालभर निरोग रहिए और कालसर्पदोष से मुक्ति पाइए...

19 March 2024

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होली का त्यौहार हास्य-विनोद करके छुपे हुए आनंद-स्वभाव को जगाने के लिए है, लेकिन आजकल केमिकल रंगों से होली खेलने का जो प्रचलन चल रहा है वो बहुत नुकसानदायक है । अगर पलाश के रंगों से होली खेलेंगे तो इतने फायदे होंगे कि आपको डॉक्टर की ज्यादा आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी ।


🚩पलाश को हिंदी में ढ़ाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं ।

इसके पत्त्तों से बनी पत्तलों पर भोजन करने से चाँदी – पात्र में किये भोजन के तुल्य लाभ मिलते हैं ।


🚩कालसर्प दोष से मुक्ति


🚩कालसर्प दोष बहुत भयंकर माना जाता है और ये करो, वो करो, इतना खर्चा करो, इतना जप करो, कई लोग इनको ठग लेते हैं । फिर भी कालसर्प दोष से उनका पीछा नहीं छूटता, लेकिन ज्योतिष के अनुसार उनका कालसर्प योग नहीं रहता जो पलाश के रंग अपने पर डालते हैं ।  कालसर्प दोष के भय से पैसा खर्चना नहीं और अपने को ग्रह दोष है, कालसर्प है ऐसा मानकर डरना नहीं पलाश के रंग शरीर पर लगाओ जिससे काल कालसर्प दोष चला जायेगा ।


🚩पलाश से पाएं अनेक रोगों से मुक्ति


🚩‘लिंग पुराण’ में आता है कि पलाश की समिधा से ‘ॐ नम: शिवाय’ मंत्र द्वारा 10 हजार आहुतियाँ दें तो सभी रोगों का शमन होता है ।


🚩पलाश के फूल : प्रेमह (मूत्रसंबंधी विकारों) में: पलाश-पुष्प का काढ़ा (50 मि.ली.) मिश्री मिलाकर पिलायें ।


🚩रतौंधी की प्रारम्भिक अवस्था में : फूलों का रस आँखों में डालने से लाभ होता है । आँखे आने पर (Conjunctivitis) फूलों के रस में शुद्ध शहद मिलाकर आँखों में आँजे ।


🚩वीर्यवान बालक की प्राप्ति : एक पलाश-पुष्प पीसकर, उसे दूध में मिला के गर्भवती माता को रोज पिलाने से बल-वीर्यवान संतान की प्राप्ति होती है ।


🚩पलाश के बीज : 3 से 6 ग्राम बीज-चूर्ण सुबह दूध के साथ तीन दिन तक दें | चौथे दिन सुबह 10 से 15 मि.ली. अरंडी का तेल गर्म दूध में मिलाकर पिलाने से कृमि निकल जायेंगे ।


🚩पत्ते : पलाश व बेल के सूखे पत्ते, गाय का घी व मिश्री समभाग मिला के धूप करने से बुद्धि की शुद्धि व वृद्धि होती है ।


🚩बवासीर में : पलाश के पत्तों की सब्जी घी व तेल में बनाकर दही के साथ खायें ।


🚩छाल : नाक, मल-मूत्र मार्ग या योनि द्वारा रक्तस्त्राव होता हो तो छाल का काढ़ा (50 मि.ली.) बनाकर ठंडा होने पर मिश्री मिला के पिलायें ।


🚩पलाश का गोंद : पलाश का 1 से 3 ग्राम गोंद मिश्रीयुक्त दूध या आँवला रस के साथ लेने से बल-वीर्य की वृद्धि होती है तथा अस्थियाँ मजबूत बनती हैं । यह गोंद गर्म पानी में घोलकर पीने से दस्त व संग्रहणी में आराम मिलता है ।


🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आसाराम बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।


🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामूहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. से कम पानी लगता है ।


🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है ।

पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है ।


🚩इतना ही नहीं, पलाश के फूलों का रंग रक्त-संचार में वृद्धि करता है, मांसपेशियों को स्वस्थ रखने के साथ-साथ मानसिक शक्ति व इच्छाशक्ति को बढ़ाता है । शरीर की सप्तधातुओं एवं सप्तरंगों का संतुलन करता है ।  (स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा प्रकाशित ऋषि प्रसाद पत्रिका)


🚩आपको बता दें कि पलाश से वैदिक होली खेलने का अभियान हिन्दू संत आसाराम बापू ने शुरू किया था जिसके कारण केमिकल रंगों का और उससे फलने-फूलनेवाला अरबों रुपयों का दवाइयों का व्यापार प्रभावित हो रहा था ।


🚩बापू आसारामजी के सामूहिक प्राकृतिक होली अभियान से शारीरिक मानसिक अनेक बीमारियों में लाभ होकर देश के अरबो रुपयों का स्वास्थ्य-खर्च बच रहा है । जिससे विदेशी कंपनियों को अरबों का घाटा हो रहा था इसलिए एक ये भी कारण है उनको फंसाने का । साथ ही उनके कार्यक्रमों में पानी की भी बचत हो रही है ।


🚩पर मीडिया ने तो ठेका लिया है समाज को गुमराह करने का।  5-6 हजार लीटर प्राकृतिक रंग (जो कि लाखों रुपयों का स्वास्थ्य व्यय बचाता है) के ऊपर बवाल मचाने वाली मीडिया को शराब, कोल्डड्रिंक्स उत्पादन तथा कत्लखानों में गोमांस के लिए प्रतिदिन हो रहे अरबों-खरबों लीटर पानी की बर्बादी जरा भी समस्या नही लगती। ऐसा क्यों ???


🚩कुछ सालों से अगर गौर करें तो जब भी कोई हिन्दू त्यौहार नजदीक आता है तो दलाल मीडिया और भारत का तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग हमारे हिन्दू त्यौहारों में खोट निकालने लग जाता है ।


🚩जैसे दीपावली नजदीक आते ही छाती कूट कूट कर पटाखों से होने वाले प्रदूषण का रोना रोने वाली मीडिया को 31 दिसम्बर को आतिशबाजियों का प्रदूषण नही दिखता । आतिशबाजियों से क्या ऑक्सीजन पैदा होती है?


🚩जन्माष्टमी पर दही हांडी कार्यक्रम नहीं हो लेकिन  खून-खराबा वाला ताजिया पर आपत्ति नही है।

ऐसे ही शिवरात्रि के पावन पर्व पर दूध की बर्बादी की दलीलें देने वाली मीडिया हजारों दुधारू गायों की हत्या पर मौन क्यों हो जाती है?


🚩अब होली आई है तो बिकाऊ मीडिया पानी बजत की दलीलें लेकर फिर उपस्थित होंगी । लेकिन पानी बचाना है तो साल में 364 दिन बचाओ पर पलाश की वैदिक होली अवश्य मनाओं । क्योंकि बदलना है तो अपना व्यवहार बदलो….त्यौहार नहीं ।


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दक्षिण में हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे वकीलों की फोज

17 March 2024

https://azaadbharat.org 


🚩हिंदू मंदिरों को वापस से उनकी सही पहचान दिलाने के लिए आज जहाँ उत्तर भारत में वरिष्ठ वकील हरी शंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन ने अपनी जी जान लगाई हुई है, तो वहीं दक्षिण में भी हिंदू मंदिरों और देवी-देवताओं की ओर से लड़ाई लड़ने के लिए वकीलों का एक समूह आ खड़ा हुआ है। अयोध्या-काशी के कारण हम पिता-पुत्र की जोड़ी को तो जान गए लेकिन केरल के इन वकीलों को अभी जानना हमारे लिए बाकी है।


🚩हाल में केरल की विभिन्न अदालतों में हिंदू मंदिरों की खोई संपत्ति वापस दिलाने के लिए सैंकड़ों याचिकाएँ दायर की गई। ये याचिका इन्हीं वकीलों की मेहनत का परिणाम है। यही वकील एकजुट होकर हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं जिसकी वजह से आज इनकी चर्चा है। द न्यूज मिनट पर तो इन्हें लेकर विस्तार से खबर भी प्रकाशित हुई है।


🚩इस समूह में एक वकील कृष्णा राज भी हैं। उन्हीं के नेतृत्व में हिंदू मंदिरों की जमीन पर अतिक्रण करने वाले लोगों, ट्रस्टों और संगठनों को लक्षित करते हुए 100 केसों को उठाया गया है। इस समूह के प्रयास के चलते ही ईसाई मिशनरी नेटवर्क सेंट फिलोमेना साधु जन संगम को अदालत में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने खुद धोखाधड़ी से कोन्नमकुलंगरा भगवती मंदिर की जमीन खरीदी थी और अब इस समूह के प्रयास ने उन्हें कोर्ट में लाकर खड़ा कर दिया है।


🚩बता दें कि केरल के वकीलों के इस समूह का नेतृत्व करने वाले कृष्णा राज अपने हिंदुत्व विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी टीम में प्रथीश विश्वनाथ जैसे साथी वकील हैं और कुछ अन्य दक्षिणपंथी कार्यकर्ता हैं। इन लोगों ने अपने इस अभियान के लिए SaveDeities नाम का संगठन भी खोला हुआ जिसमें 7 वकीलों का समूह है।


🚩इस संगठन की शुरुआत साल 2018 में की गई थी। इस टीम का हिस्सा- सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के वकील आर कृष्णा राज तो हैं हीं, इनके अलावा केरल हाई कोर्ट के बीएन शिवशंकर, प्रथीस विश्वनाथन, के ए बालन, वकील ई एस सोनी, कुमारी संगीता एस नायर और राजेश वीआर भी हैं। ये सारे वकील इस संगठन से जुड़कर और मिलकर हिंदू मंदिरों को पहचान दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।


🚩SaveDeities पर इस बात को भी विस्तार से बताया गया है कि इस समूह ने किन केसों को अदालतों में उठाया है। कहाँ-कहाँ मंदिरों की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हो रखा है और कैसे केरल में स्थिति यह है कि सरकार के हस्तक्षेप से राजस्व विभाग के माध्यम से अतिक्रमणकारियों को पट्टायम (खरीद प्रमाण पत्र) और अन्य कानूनी कब्ज़ा/स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी करके मंदिर संपत्तियों के अतिक्रमण को वैध बनाया जा रहा है।


🚩यही साइट ये भी बताती है कि इन वकीलों ने इस काम की शुरुआत इसलिए की थी क्योंकि ये केरल राज्य में किसी ने भी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने और मंदिर की संपत्तियों को देवताओं, असली मालिकों को वापस करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया है। ऐसी परिस्थितियों में, ये समूह कब्जे वाले क्षेत्रों से मंदिरों की खोई संपत्ति को बचाने के लिए ऐसे प्रयास कर रहे हैं।


🚩द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, वकील कृष्ण राज कहते हैं, “मैं किसी संघ परिवार से जुड़ा नहीं हूँ। कानूनी मामलों में मैं बस उनकी सहायता करता हूँ। मैं गौरवान्वित हिंदू हूँ पर क्षमाप्रार्थी नहीं। मेरा उद्देश्य भगवान की खोई संपत्तियों को पुन: प्राप्त करना है। अकेले मैं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा हूँ।”


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