Monday, May 20, 2024
पाकिस्तान से आए CAA के तहत नागरिकता पाने वालों ने सुनाई आपबीती
पाकिस्तान से आए CAA के तहत नागरिकता पाने वालों ने सुनाई आपबीती
21 May 2024
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🚩भारत सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून CAA (सीएए) के तहत एक साथ 350 लोगों को भारत की नागरिकता दे दी है। इनमें से 14 लोगों को गृह मंत्रालय ने बुलाकर नागरिकता के पत्र सौंपे, तो बाकियों को सारे कागजात ऑनलाइन उपलब्ध कराए गए। भारत की नागरिकता पाए लोगों में अधिकाँश लोग पाकिस्तान से आए हिंदू अल्पसंख्यक हैं, जो अपनी जान बचाकर पाकिस्तान से भारत आए थे।
🚩दिल्ली के आदर्श नगर में रह रहीं भावना ने कहा, “वहाँ हमें बहुत मुश्किलें झेलनी पड़ती हैं। लड़कियाँ पढ़ नहीं सकतीं और घरों से बाहर निकलना मुश्किल होता है। मुस्लिम हिंदू लड़कियों को किडनैप कर लेते हैं और उन्हें जबरन इस्लाम कबूल करवाया जाता है। लड़कियों को इतना खौफ रहता है कि वे घरों से बाहर नहीं निकलतीं। मैं काफी छोटी थी, तब से ही यहाँ हूँ। मुझे तो पाकिस्तान के अपने घर के अलावा ज्यादा कुछ याद नहीं है। इसकी वजह यह थी कि घर से बाहर ही नहीं निकलते थे। अब भी हमारे तमाम रिश्तेदार वहाँ हैं, जो भारत आना चाहते हैं। लेकिन उन्हें वीजा पाने में मुश्किल हो रही है।”पाकिस्तान से उत्पीड़न का शिकार होकर आए हिंदू परिवार की बेटी ने कहा कि हम अपने देश में लौटकर खुश हैं।
🚩भावना ने कहा कि ‘मैं एक टीचर बनना चाहती हूं और यहाँ की महिलाओं को पढ़ाना चाहती हूँ।’
🚩दिल्ली के मजनूँ का टीला में रहने वाली मीरा को भी भारत की नागरिकता मिल गई है। सीएए के माध्यम से नागरिकता मिलने के बाद मीरा ने कहा, “हमने 3-4 साल पहले नागरिकता के लिए आवेदन किया था। हमें आए हुए 8-9 साल हो गए थे जब यह घोषणा की गई थी कि हमें नागरिकता मिलेगी। हमने अपनी पोती का नाम भी ‘नागरिकता’ रखा है। कल जब हमें नागरिकता मिली तो हमने भगवान कृष्ण को मिठाइयाँ अर्पित कीं और विशेष भोजन तैयार किया।”
🚩दिल्ली में रहने वाले शीतल दास 5 अक्टूबर 2013 को पाकिस्तान छोड़कर दिल्ली पहुँचे थे। तब से वो यहीं पर हैं। शीतल दास ने कहा, “हमने पिछले महीने ही नागरिकता के लिए अप्लाई किया था और 15 मई को हमें नागरिकता मिल गई। अब हम सामान्य जीवन जी सकेंगे। काम कर सकेंगे और बच्चों को पढ़ा लिखा सकेंगे। अब हमारे बच्चों का भविष्य भी सुधर जाएगा।”
🚩यशोधरा नाम की महिला ने कहा, “हम 2013 में आए, लेकिन हमारे पास पानी और बिजली की सुविधा तक नहीं थी। हमनें नागरिकता के लिए काफी कोशिश की, लेकिन अब जाकर मिली है। हमारा तो जो हुआ, वो हुआ, हमारे बच्चों का भविष्य संवर जाएगा। हम बहुत खुश हैं। प्रधानमंत्री को बहुत शुक्रिया, अब हमारे बच्चे भी पढ़ लिख पाएँगे और अपना भविष्य संवार पाएँगे। हम पाकिस्तानी कहे जाते थे, लेकिन अब हमें कोई पाकिस्तानी नहीं कहेगा। अब हम हिंदुस्तानी हो गए हैं।”
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🚩अमृता नाम की बच्ची ने कहा, “हम 2013 में पाकिस्तान से आए थे। न बिजली की सुविधा थी और न ही स्कूल की। अब दोनों सुविधाएँ मिलेंगी। मैं बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती हूँ।”
🚩गौरतलब है कि भारत सरकार ने नागरिकता संसोधन विधेयक को 2019 में ही पारित कर दिया था और इस साल मार्च से इसे कानून के तौर पर लागू कर दिया। सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जानी है। इन अल्पसंख्यकों में हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म के लोग हैं। सरकार ने इस साल मार्च में इस कानून को लागू करते समय इसके प्रावधानों के बारे में भी बताया था।
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Sunday, May 19, 2024
चाय-कॉफी पीने वाले सावधान, ICMR ने बचने की दी सलाह
चाय-कॉफी पीने वाले सावधान, ICMR ने बचने की दी सलाह
20 May 2024
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🚩भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के शोधकर्ताओं ने बताया कि चाय (Tea) और कॉफी (Coffee) में कैफीन (caffeine) होता है, जो केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (Central nervous system) को उत्तेजित करता है और शारीरिक निर्भरता को बढ़ावा देता है। कैफीन (Caffeine) का यह प्रभाव हमारे दैनिक जीवन और स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
🚩भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने चाय और कॉफी के सेवन में संयम बरतने की सलाह दी है, जो भारतीय संस्कृति में गहराई से रची-बसी हैं। हाल ही में, ICMR ने राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) के साथ मिलकर 17 नए आहार दिशानिर्देश प्रस्तुत किए हैं, जिनका उद्देश्य पूरे भारत में स्वस्थ खानपान की आदतों को बढ़ावा देना है। इन दिशानिर्देशों में विविध आहार और सक्रिय जीवनशैली के महत्व पर विशेष जोर दिया गया है।
🚩चिकित्सा संगठन ने चाय या कॉफी से बचने की सलाह दी है, क्योंकि इनमें टैनिन्स होते हैं, जो शरीर में आयरन के अवशोषण को कम कर सकते हैं। टैनिन्स पेट में आयरन से जुड़कर उसके अवशोषण को कठिन बना देते हैं, जिससे आयरन की कमी और एनीमिया जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। अत्यधिक कॉफी सेवन उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधी असामान्यताएं भी पैदा कर सकता है।
🚩200 वर्ष पहले भारतीय घरों में चाय नहीं होती थी। पहले घर पर अतिथि आते थे, तो देशी गाय का दूध-लस्सी ,छाछ,नींबू पानी,आदि दिया जाता था, लेकिन आज कोई भी घर आये अतिथि को पहले चाय पूछते हैं। ये बदलाव अंग्रेजों की देन है।
🚩कई लोग घर, दुकान, ऑफिस या यात्रा के दौरान दिन में कई बार चाय लेते रहते हैं, यहाँ तक कि उपवास में भी चाय लेते हैं! किसी भी डॉक्टर के पास जायेंगे तो वो शराब-सिगरेट-तम्बाखू छोड़ने को कहेगा, पर चाय नहीं, क्योंकि यह उसे पढ़ाया नहीं गया और वह भी खुद चाय का गुलाम है। परन्तु किसी अच्छे वैद्य के पास जायेंगे तो वह पहली सलाह देगा- चाय ना पीयें।
🚩सुखी,स्वस्थ रहना हैं तो चाय-कॉफी को हमेशा के लिए त्याग दें,क्योंकि चाय, कॉफी के हर कप के साथ एक चम्मच या उससे अधिक शक्कर ली जाती है, जो पेट की चर्बी बढ़ाती है और अनेक बीमारियां को बुलाती है। अगर पीनी ही पड़ी तो गुड़, नींबू मिलाकर काली चाय पीएं, पर ध्यान रहें काली चाय में शक्कर और दूध नहीं मिलाएं। चाय के साथ नमकीन, खारे बिस्कुट, पकौड़ी आदि लेते हैं, यह विरुद्ध आहार है; इससे कई प्रकार के त्वचा रोग होते हैं।
🚩चाय का विकल्प
🚩संकल्प कर लें कि चाय नहीं पियेंगे। 2 दिन से 7 दिन तक याद आएगी ; फिर सोचेंगे अच्छा हुआ छोड़ दी। 1 या 2 दिन तक सिर दर्द हो सकता है,फिर नार्मल हो जाओगे ।
🚩सुबह ताजगी के लिए गर्म पानी लें, चाहे तो उसमें आंवले के टुकड़े मिला दें तो और स्फूर्ति आ जाएगी।
🚩5 पत्ते तुलसी के पत्ते का गर्म पानी, गुड़ का गर्म पियें तो चाय की लत भी छूट जाएगी और शरीर निरोग होने लगेगा।
🚩चाय की जगह देशी गाय के दूध , लस्सी, छाछ,नींबू पानी,का उपयोग करना चाहिए,इससे स्वास्थ्य में चार चांद लग जायेंगे और सभी बीमारियां भी भाग जाएंगी।
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Saturday, May 18, 2024
रामचरितमानस को UNESCO ने अपनी सूची में दिया खास स्थान
रामचरितमानस को UNESCO ने अपनी सूची में दिया खास स्थान
19 May 2024
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🚩भारत में मानवता के विरोधी रामचरितमानस का भी विरोध करते रहते है, वास्तव में यह रामचरितमानस का विरोध नही है यह मानवता को खत्म करने का प्रयास हैं क्योंकि रामचरितमानस ग्रंथ अद्भुत है, उसके पढ़ने से मानव स्वथ्य, सूखी और सम्मानित, भक्तिमय, त्यागमय जीवन जी सकता हैं और यहां तक कि अपना इह लोक और परलोक दोनों भी सुधार सकता है रामचरितमानस में इतनी शक्ति हैं।
🚩आपको बता दे की भारत की सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक विरासत को यूनेस्को की ‘मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में जगह मिली है। भारत के राम चरित मानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को इस खास रजिस्टर में शामिल किया गया है। रामचरितमानस’, ‘पंचतंत्र’ और ‘सहृदयलोक-लोकन’ ने भारत के सामाजिक, धार्मिक एवं जीवन दर्शन पर गहरा असर डाला है और भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है, देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है।
🚩इन साहित्यिक कृतियों ने समय और स्थान से परे जाकर भारत के भीतर और बाहर दोनों जगह पाठकों और कलाकारों पर एक अमिट छाप छोड़ी है। उल्लेखनीय है कि ‘सहृदयालोक-लोकन’, ‘पंचतंत्र’ और ‘रामचरितमानस’ की रचना क्रमशः पं. आचार्य आनंदवर्धन, विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।
https://twitter.com/ANI/status/1790599441440759850?t=Xo4amXlghP_Pf-HXB8XVsw&s=19
🚩रामचरितमानस : भगवान राम के जीवन चरित - रामचरितमानस को तुलसीदास ने 16वीं शताब्दी में हिंदी भाषा की अवधी बोली में लिखा था। यह रामायण से भिन्न है जिसे ऋषि वाल्मीकि ने संस्कृत भाषा में लिखा था। रामचरितमानस चौपाई रूप में लिखा गया ग्रंथ है। रामकथा को देश दुनिया में प्रसारित करने में रामचरितमानस को सबसे अहम माना जाता है। आज भी रामचरितमानस का पाठ सामूहिक रूप से भी किया जाता है।
🚩पंचतंत्र की कथाएँ: पंचतंत्र दुनिया की दंतकथाओं के सबसे पुराने संग्रहों में से एक है जो संस्कृत में लिखा गया था। विष्णु शर्मा जो महिलारोप्य के राजा अमर शक्ति के दरबारी विद्वान थे, उन्हें पंचतंत्र का श्रेय दिया जाता है। इसकी रचना संभवतः 300 ईसा पूर्व के आसपास हुई थी। इसका अनुवाद 550 ईसा पूर्व में पहलवी (ईरानी भाषा) में किया गया था।
🚩‘सहृदयालोक-लोकन: ‘सहृदयालोक-लोकन’ की रचना आचार्य आनंदवर्धन ने संस्कृत में की थी। आचार्य आनंदवर्धन,10वीं शताब्दी के उत्तरार्ध और 11वीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध के दौरान कश्मीर में रहते थे।
🚩इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं बैठक के दौरान एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उलानबटार में हुई इस सभा में, सदस्य देशों के 38 प्रतिनिधि, 40 पर्यवेक्षकों और नामांकित व्यक्तियों के साथ एकत्र हुए। तीन भारतीय नामांकनों की वकालत करते हुए, आईजीएनसीए ने ‘यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर’ में उनका स्थान सुनिश्चित किया।
🚩आईजीएनसीए में कला निधि प्रभाग के डीन (प्रशासन) और विभाग प्रमुख प्रोफेसर रमेश चंद्र गौड़ ने भारत से इन तीन प्रविष्टियों- राम चरित मानस, पंचतंत्र और सहृदयालोक-लोकन को सफलतापूर्वक प्रस्तुत किया। प्रो. गौर ने उलानबटार सम्मेलन में नामाँकनों का प्रभावी ढंग से समर्थन किया। यह उपलब्धि भारत की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए आईजीएनसीए के समर्पण को प्रदर्शित करती है, साथ ही वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण और भारत की साहित्यिक विरासत की उन्नति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है।
🚩बता दें कि यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर के बारे में 2008 में ही सहमति बना ली गई थी, लेकिन पहली बार इसके लिए नामाँकन जमा किए गए। गहन विचार-विमर्श से गुजरने और रजिस्टर उपसमिति (आरएससी) से सिफारिशें प्राप्त करने और बाद में सदस्य देशों के प्रतिनिधियों द्वारा मतदान के बाद, सभी तीन नामांकनों को शामिल किया गया, जिससे 2008 में रजिस्टर की स्थापना से पहले की महत्वपूर्ण भारतीय प्रविष्टियों को चिह्नित किया गया।
🚩जो प्राणिमात्र का कल्याण करने का सामर्थ रखता है ऐसे पवित्र ग्रंथ श्री रामचरितमानसके मानस के बारे में गलत बोलना भी भयंकर पाप है इसलिए इस पवित्र ग्रंथ का जितना आदर करो उतना कम है क्योंकि सही जीवन जीने की राह यही ग्रंथ देता है और मरने के बाद मोक्ष तक की यात्रा करवा देता हैं।
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Friday, May 17, 2024
मौलाना बोला बंगाल की जमीन मुस्लिमों की, वक्फ बोर्ड देशभर में हड़प रही है जमीन
मौलाना बोला बंगाल की जमीन मुस्लिमों की, वक्फ बोर्ड देशभर में हड़प रही है जमीन
18 May 2024
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🚩पिछले दिनों सोशल मीडिया पर एक बंगाली मौलाना की वीडिया वायरल हुई थी। इस वीडियो में मौलाना दावा करता दिखाई दे रहा था कि बंगाल में इंच-इंच जमीन मुस्लिमों की है। वीडियो में सुनाई पड़ रहा था कि मौलाना कहता है- कलकत्ता हाईकोर्ट-मुस्लिमों की जमीन पर है, मुख्यमंत्री कार्यालय मुस्लिमों की जमीन पर है, कोलकाता एयरपोर्ट मुस्लिमों की जमीन पर है और ईडन गार्डन स्टेडियम तक मुस्लिमों की जमीन पर है।
https://twitter.com/epanchjanya/status/1787425384092377529?t=IgTj0JqW1kjMvTNX1KR8yA&s=19
🚩मौलाना की इस छोटी सी वीडियो में कितनी सच्चाई है ये तो नहीं पता, लेकिन ये हकीकत जरूर है कि देश में वक्फ बोर्ड मजहबी जमींदार बनकर उभरा हुआ है। इन्होंने अपने हिस्से इतनी जमीन दिखाई हुई है कि सिर्फ देश में रेल और सेना के लोग ही इनके ऊपर आते हैं। आप खबरें उठाकर देख लीजिए आपको कभी वक्फ वाले मंदिर की संपत्ति पर अपना कब्जा बताते हुए मिलेंगे तो कभी कहेंगे पूरा का पूरा गाँव वक्फ की जमीन पर बसा है।
🚩इनकी कोई सीमा नहीं है कि ये कहाँ तक वक्फ जमीन का दावा कर दें। वैसे असल में वक्फ की जमीन का कॉन्सेप्ट ये था कि जो कोई मुस्लिम व्यक्ति अपनी संपत्ति को अल्लाह के नाम पर दान करना चाहेगा वो वक्फ के हिस्से आ जाएगी। अब इसी क्रम में ये वक्फ बोर्ड वाले अल्लाह के नाम पर इकट्ठा कितनी जमीन पर अपना दावा ठोंक दें इसकी कोई सीमा है ही नहीं।
🚩30 साल पहले वक्फ ने किया था कब्जा, फ्रॉड उजागर
🚩हालिया खबर आज सामने आई है जिसमें बताया गया है कि कैसे दशकों पहले सहारनपुर की नगर निगम की तीन हेक्टेयर जमीन पर वक्फ द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया था। इस खुलासे के बाद कमिश्नर ने डीएम को पत्र लिखकर 1994 के आदेश को निरस्त कर भूमि को पहले की तरह अभिलेखित करने के आदेश जारी किए। ये आदेश पूरी पड़ताल के बाद दिए गए। बताया जा रहा है कि उक्त भूमि 1874 से नगर पालिका परिषद की थी लेकिन वर्ष 1994 में सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सचिनव ने इस जमीन को वक्फ की जमीन में दर्ज करने के आदेश दे दिए थे। इसके बाद अन्य अधिकारियों ने इसका अनुपालन किया। साथ ही पूर्व में जिस पालिका के पास ये जमीन थी उन्हें अपना पक्ष रखने का कोई मौका भी नहीं मिला। इस तरह 3 हेक्टेयर की सरकारी जमीन को वक्फ अपने नाम कर गया। अब जब इस मामले में जाँच हुई है तो मंडलायुक्त ने जिलाधिकारी को निर्देश दिए कि ये जमीन वक्फ की नहीं है इसे सहारनपुर नगर निगम के नाम पूर्व की भाँति अभिलेखों में दर्ज करवाया जाए।
🚩ये सिर्फ कोई हालिया खबर नहीं है। 2022 में खबर आई थी कि वक्फ बोर्ड ने तमिलनाडु में हिंदुओं के गाँव पर कब्जा किया है जिसमें 1500 पुराना मंदिर भी बना हुआ। इसके अलावा हाल में जामा मस्जिद के पास बने सरकारी पार्कों को लेकर भी शिकायत आई थी कि उसे मस्जिद अपने काम में लेने लगा है, कोशिश करने पर भी वो उस जगह को नहीं छोड़ते। इससे पूर्व 2021 में बाराबंकी के कतुरीकला में वक्फ के फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ था जहाँ पता चला था कि जमीनें धोखाधड़ी से वक्फ के नाम की गई हैं।
🚩क्या है वक्फ बोर्ड और एक्ट
🚩गौरतलब है कि वक्फ की धोखेधड़ियों की खबरें आने से मीडिया में सवाल अक्सर उठता ही रहता है कि इस तरह कैसे कोई बोर्ड आम लोगों की संपत्ति पर कब्जा कर लेता है और अगर कर लेता है, या उसे अपने अंतर्गत दर्ज करा लेता है तो क्यों वो वापस नहीं हो सकती? इसके अलावा सवाल ये भी उठते हैं कि आखिर लोकतांत्रिक देश में ऐसा बोर्ड क्यों बनाया गया कि एक मजहब के नाम पर प्रॉपर्टी इकट्ठा की जाए… तो इन सारे सवालों का जवाब नेहरू काल से मिलता है।
🚩दरअसल, भारत में ‘वक्फ एक्ट’ की शुरुआत 1954 में नेहरू सरकार में हुई थी। इसके बाद 1964 में सेंट्रल वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया बना दिया गया। इसका काम केंद्रीय निकाय वक्फ अधिनियम, 1954 की धारा 9 (1) के प्रावधानों के तहत स्थापित विभिन्न राज्य वक्फ बोर्डों के तहत काम की देखरेख करने का था। साल 1995 में एक्ट में कुछ संशोधन हुए और इसे और मजबूती मिली। इन संशोधनों के बाद प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों में वक्फ बोर्डों के गठन की अनुमति दी गई, जिसमें कुछ ऐसे बदलाव भी हुए जिनपर अक्सर विवाद होता रहता है।
🚩बता दें कि आज के समय में देश में एक सेंट्रल वक्फ काउंसिल और 32 स्टेट बोर्ड है। हर राज्य के अलग-अलग वक्फ बोर्ड होते हैं। इस बोर्ड का काम हर जकात में मिली संपत्ति की देखरेख करना होता है। वक्फ जकात में आई सारी संपत्ति को अल्लाह की संपत्ति मानता है और इससे जुड़ी हर कानूनी काम खुद संभालता है। चाहे इसे खरीदना हो या लीज पर देना। इसके अलावा एक बार अगर कोई संपत्ति इस बोर्ड के अधीन आ जाती है तो व्यक्ति उसे वापस नहीं ले सकती चाहे वो पहले उसी की क्यों न रही हो। वहीं वक्फ उसका जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल कर सकता है।
🚩वक्फ बोर्ड के खिलाफ खड़े वकील अश्विनी उपाध्याय
🚩हाल में इस पर सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने भी ट्वीट किया था। उन्होंने मौलाना वाली वीडियो पर प्रतिक्रिया देते हुए वक्त के मामले को उठाया था। साथ ही राहुल गाँधी के परिवार पर निशाना साधा था। अपने ट्वीट में उन्होंने कहा था, “परनाना ( जवाहरलाल नेहरू) ने वक्फ एक्ट बनाया दादी (इंदिरा गाँधी) ने वक्फ एक्ट को मजबूत किया पिता (राजीव गाँधी) ने वक्फ एक्ट को और मजबूत किया 1995 में पुराना कानून वापस और नया कानून 2013 में वक्फ बोर्ड को असीमित शक्ति दिया कॉन्ग्रेस ने भारत को बर्बाद करने के लिए 50 घटिया कानून बनाए हैं।”
🚩उन्होंने तो इस वक्फ बोर्ड को असंवैधानिक करार देने के लिए याचिका भी डाली थी लेकिन उसे कोर्ट ने यह कहकर खारिज कर दिया कि याचिकाकर्ता व्यक्तिगत रूप से प्रभावित नहीं हुए। इस मामले में अश्विनी उपाध्याय साफ कहा था, “वक्फ के नाम से भारतीय संविधान में एक शब्द नहीं है। सरकार ने 1995 में वक्फ एक्ट बनाया और इसे मुस्लिमों का नाम कर दिया…। वक्फ बोर्ड को असीमित शक्तियाँ दे दी गईं। उन्हें ये अधिकार दे दिया गया है कि उनके सब धार्मिक संपत्तियों से जुड़े मामले ट्रिब्यूनल कोर्ट में जाएँगे। वो सवाल करते हैं कि देश में इतनी ट्रिब्यूनल कोर्ट नहीं है ऐसे में अगर वक्फ जाकर किसी की संपत्ति पर दावा ठोंकता है तो लोगों को दर-दर भटकना पड़ता है तब सुनवाई होती है जबकि बाकी धर्मों के मामले आराम से सिविल कोर्ट में सुन लिए जाते हैं।”
🚩वक्फ बन रहा तीसरा सबसे बड़ा जमींदार
🚩यहाँ आपको जानकर शायद हैरानी होगी कि वक्फ का कॉन्सेप्ट इस्लामी देशों तक में नहीं है। फिर वो चाहे तुर्की, लिबिया, सीरिया या इराक हो। लेकिन भारत में मुस्लिम तुष्टिकरण के चलते आज हालात ऐसे हैं कि इन्हें देश में तीसरा सबसे बड़ा जमींदार बताया जा रहा है। इनके पास अकूत संपत्ति है। अल्पसंख्यक मंत्रालय के अनुसार वक्फ बोर्ड के पास पूरे देश भर में 8,65,646 संपत्तियाँ पंजीकृत हैं। इनमें से 80 हजार से ज्यादा संपत्ति वक्फ के पास केवल बंगाल में हैं। इसके बाद पंजाब में वक्फ बोर्ड के पास 70,994, तमिलनाडु में 65,945 और कर्नाटक में 61,195 संपत्तियाँ हैं। देश के अन्य राज्यों में भी इस संस्थान के पास बड़ी संख्या में संपत्तियाँ हैं।
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Thursday, May 16, 2024
कोर्ट ने झूठे केस करने वाली लड़की को 1653 दिन की जेल और 6 लाख का जुर्माना लगाया
कोर्ट ने झूठे केस करने वाली लड़की को 1653 दिन की जेल और 6 लाख का जुर्माना लगाया
17 May 2024
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🚩महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून जरूरी है परंतु आज साजिश या प्रतिशोध की भावना से निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के आरोप लगाकर कानून का भयंकर दुरुपयोग हो रहा है।
🚩निर्दोष लोगों को फँसाने के लिए बलात्कार के नए कानूनों का व्यापक स्तर पर हो रहा इस्तेमाल आज समाज के लिए एक चिंतनीय विषय बन गया है । राष्ट्रहित में क्रांतिकारी पहल करने वाली सुप्रतिष्ठित हस्तियों, संतों-महापुरुषों एवं समाज के आगेवानों के खिलाफ इन कानूनों का राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतों द्वारा कूटनीतिपूर्वक अंधाधुंध इस्तेमाल हो रहा है।
🚩बरेली की घटना
🚩2019 में बरेली में रहने वाली 15 साल की लड़की ने अजय कुमार पर दिल्ली ले जाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने पॉक्सो समेत कई धाराओं में केस दर्ज कर अजय को अरेस्ट कर लिया था। वह साढ़े चार सालों से जेल में बंद था। अब लड़की रेप के आरोप से मुकर गई है।
🚩यूपी के बरेली से एक ऐसी खबर आई है जो झूठे मुकदमों में फंसे निर्दोष युवकों के लिए नजीर बन सकती है। अदालत ने दुष्कर्म मामले में बयान से मुकरने वाली युवती को उतने ही दिन जेल में रहने की सजा सुनाई है जितने दिन तक आरोपी युवक कैद में रहा। साथ ही उस पर पांच लाख 88 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया है जो निर्दोष को बतौर मुआवजा दिया जाएगा। कोर्ट ने सजा सुनाते हुए कड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध में फंसाने के लिए युवती ने सुरक्षा के लिए बनाए गए कानून का दुरुपयोग किया। इस कानून के तहत आरोपी को आजीवन कारावास तक की सजा मिल सकती थी।
🚩अपर सेशन जज 14 ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि यह मामला अत्यंत गंभीर है। उन्होंने आरोपी युवक अजय उर्फ राघव को बाइज्जत बरी करने का आदेश दिया। झूठे मुकदमे की वजह से अजय को जेल में 1653 दिन (चार साल छह महीने और आठ दिन) बिताने पड़े। वह 2019 से आठ अप्रैल, 2024 तक जेल में रहा। जज ने आरोपी युवती को 1653 दिनों तक कैद की सजा सुनाई है। यह पूरा मामला 2019 का है। अजय कुमार पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने साथ काम करने वाले सहयोगी की 15 साल की बहन का अपहरण कर रेप किया। नाबालिग ने पुलिस और कोर्ट को दिए बयान में बताया कि उसके साथ अजय ने दुष्कर्म किया।
🚩मां को नहीं पसंद था अजय और बड़ी बहन की नजदीकी'
सरकारी वकील सुनील पांडेय ने बताया कि अजय कुमार के ऊपर पॉक्सो समेत कई धाराओं में पुलिस ने एफआईआर दर्ज की थी। नाबालिग ने कोर्ट को बयान दिया था कि अजय कुमार उसे दिल्ली लेकर गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। चार साल बाद लड़की अपने बयान से मुकर गई और बताया कि अजय कुमार निर्दोष है। इस साल फरवरी में सुनवाई के दौरान लड़की ने बताया कि उसने अपनी मां के दबाव में आकर अजय पर झूठा आरोप लगाया था। अजय की उसकी बहन के साथ निकटता थी जो मां को पसंद नहीं था। लड़की की अब शादी हो चुकी है। उसके पति ने कोर्ट को बताया कि वह ट्रायल के चलते तंग आ चुका है। इसलिए उसकी पत्नी बयान बदलना चाहती है।
🚩जुर्माना न देने पर छह महीने और जेल में काटने पड़ेंगे
सरकारी वकील सुनील पांडेय ने कहा कि लड़की के झूठ की वजह से एक निर्दोष व्यक्ति को जीवन के बहुमूल्य साढ़े चार साल जेल में बिताने पड़े। झूठी गवाही के आधार पर युवक को उम्रकैद की सजा हो सकती थी। आरोपी को जेल में रहने का कलंक झेलना पड़ा। कोर्ट ने झूठा बयान देने वाली लड़की को 1653 दिनों की सजा सुनाई है। पांच लाख 88 हजार का जुर्माना भी लगाया है। जुर्माना न देने पर उसे छह महीने और जेल में काटने होंगे।
🚩देश में ऐसे कई मामले है,आखिर कब तक इस देश में निर्दोष पुरुषों को झूठे केस में जेल में रहना पड़ेगा???
🚩जनता की भारत सरकार से मांग है कि वे पुरुषों के लिए भी सुरक्षा के लिए कानून बनाये और निर्दोष पुरुषों को जल्द रिहा किया जाय
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Wednesday, May 15, 2024
करीना कपूर करवा चौथ की मजाक उड़ा रही थी अब बाइबिल पर फंस गई
करीना कपूर करवा चौथ की मजाक उड़ा रही थी अब बाइबिल पर फंस गई
16 May 2024
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🚩बॉलीवुड ने फिल्मों और उसके संवादों के माध्यम से हिंदू समाज और उसकी संस्कृति का बड़े ही भद्दे ढंग से मजाक उड़ाया है। ये बात किसी फिल्म विशेष की नहीं, बल्कि एक दौर की है। हिंदू धर्म, उसके त्योहारों, उसके आचार-विचार, उसकी आस्था, उसकी मान्यता, उसके विश्वास से लेकर उसके अनुयायियों को बेहद फूहड़ता से दिखाने का जैसे फिल्मों में रिवाज सा चल पड़ा है। हालाँकि, किसी दूसरे समुदाय के साथ इस तरह का प्रयोग मुश्किल में डालने वाला होता है।
🚩दरअसल, बॉलीवुड अभिनेत्री एवं सैफ अली खान की बीवी करीना कपूर खान ने अपनी गर्भावस्था को लेकर एक पुस्तक लिखी है। उस पुस्तक के शीर्षक में उन्होंने बाइबिल शब्द का प्रयोग किया है। इसको लेकर ईसाई समाज के लोगों में रोष फैल गया। आखिरकार क्रिस्टोफर एंथनी नाम के एक वकील ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में याचिका डालकर अभिनेत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग की है।
🚩इस मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति गुरपाल सिंह अहलूवालिया ने गुरुवार (9 मई 2024) को करीना कपूर खान को नोटिस जारी किया। वकील एंथनी ने फरवरी 2022 में अतिरिक्त सत्र न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था। अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने करीना के खिलाफ मामला दर्ज करने की माँग वाली उनकी याचिका खारिज कर दी थी।
🚩याचिकाकर्ता ने कहा कि करीना ने अपनी किताब ‘करीना कपूर खान्स प्रेग्नेंसी बाइबिल‘ के शीर्षक में ‘बाइबिल’ शब्द का उपयोग करके ईसाई समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुँचाया है। इसलिए करीना कपूर खान के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज की जानी चाहिए। करीना के अलावा याचिका के अन्य प्रतिवादी अमेज़ॅन ऑनलाइन शॉपिंग, जगरनॉट बुक्स और पुस्तक के सह-लेखक हैं।
🚩दरअसल, वकील एंथनी ने शुरू में जबलपुर के एक स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि करीना कपूर खान के कृत्य ने ईसाई समुदाय की भावनाओं को आहत किया है। इसके पीछे उन्होंने तर्क दिया था ‘पवित्र पुस्तक बाइबिल’ की तुलना अभिनेत्री की गर्भावस्था से नहीं की जा सकती है। हालाँकि, पुलिस ने मामला दर्ज करने से इनकार कर दिया।
🚩इसके बाद वकील एंथनी ने मजिस्ट्रेट अदालत का रुख किया और इसी तरह की राहत की माँग करते हुए एक निजी शिकायत दर्ज कराई। हालाँकि, मजिस्ट्रेट ने भी इस आधार पर याचिका खारिज कर दी कि शिकायतकर्ता यह बताने में विफल रहा कि ‘बाइबिल’ शब्द के इस्तेमाल से ईसाई समुदाय की भावनाएँ कैसे आहत हुईं।
🚩इसके बाद एडवोकेट क्रिस्टोफर एंथनी ने अतिरिक्त सत्र न्यायालय का रुख किया, लेकिन वहाँ भी उन्हें राहत नहीं मिली और कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद क्रिस्टोफर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के दरवाजे पर पहुँचे। यहाँ पर हाई कोर्ट ने नोटिस जारी कर सात दिन में जवाब माँगा है।
🚩दरअसल, हिंदुओं के दिवाली के त्योहार, मंगलसूत्र-बिंदी, कन्यादान आदि पर बॉलीवुड वाले मज़ाक उड़ाते रहते हैं। हालाँकि, अपनी सहिष्णुता की वजह से हिंदू समाज चुप रह जाता है। वहीं, हिंदुओं की तरह वे दूसरे समाज का माखौल उड़ाने की कोशिश करते हैं तो उन्हें परेशानी भोगनी पड़ती है। चाहे वह किसी मुद्दे पर फिल्म बनानी हो या फिल्म का कोई दृश्य हो, गैर-हिंदू समुदाय बॉलीवुड को ऐसा करने की स्वतंत्रता नहीं देता है। इसके कई उदाहरण सामने आ चुके हैं।
🚩यही करीना कपूर हैं, जिन्होंने करवा चौथ का माखौल उड़ाया था। करीना कपूर ने एक बार कहा था, “जब बाकी औरतें भूखी रहेंगी, मैं खूब खाऊँगी। क्योंकि मुझे अपना प्यार साबित करने के लिए भूखे रहने की कोई भी जरूरत नहीं है।” नसीरुद्दीन शाह की बीवी रत्ना पाठक शाह ने भी इसे पिछड़ेपन से जोड़ दिया था।
🚩रत्ना पाठक ने कहा था, “एक बार मुझसे किसी ने पूछा था कि आप करवा चौथ का व्रत क्यों रखती। तो मैंने यही सोचा कि मैं क्या पागल हूँ क्या? ये बहुत ही अजीब है कि पढ़ी-लिखी महिलाएँ भी अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रख रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा था कि इससे पता चलता है कि असहिष्णुता कितनी बढ़ गई है कि करवा चौथ तक का प्रश्न किया जाता है।
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Tuesday, May 14, 2024
रिपोर्ट में आया सामने : नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए सेरेलेक में चीनी (Sugar) मिलाता है...
रिपोर्ट में आया सामने : नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए सेरेलेक में चीनी (Sugar) मिलाता है...
15 May 2024
15 May 2024
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🚩खाने पीने के उत्पाद बनाने वाली कम्पनी नेस्ले के भारतीय समेत तमाम विकाशील या गरीब देशों के बच्चों पर दोहरे मानक सामने आ गए हैं। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि नेस्ले भारतीय बच्चों के लिए बेचे जाने फूड सेरेलेक में मिठास के लिए चीनी जैसे उत्पाद मिलाती है जबकि यही काम यूरोप के बच्चों के लिए नहीं किया जाता। भारतीय बच्चों और यूरोपियन बच्चों के लिए बेंचे जानेवाले एक ही उत्पाद में इतना अंतर कैसे है? अब नेस्ले से इस बात का जवाब देते नहीं बन रहा है। अब भारत सरकार भी इस मामले का संज्ञान ले रही है।
🚩क्या है पूरा मामला❓
🚩स्विटज़रलैंड के पब्लिक आई और इंटरनेशनल बेबीफूड एक्शन नेटवर्क (IBFAN) ने पूरे विश्व से नेस्ले के बच्चों के लिए बेंचें जाने वाले उत्पादों के सैंपल की जाँच की है। भारत समेत कई देशों में यह उत्पाद सेरेलेक के नाम से बेचा जाता है। यह उत्पाद छोटे बच्चों को खाने के रूप में दिया जाता है। फिलिपीन्स में बेचे जाने वाले इसी उत्पाद में प्रति खुराक में 7.3 ग्राम चीनी पाई गई। स्विटज़रलैंड समेत अन्य यूरोपियन देशों में बेंचे जाने वाले इन्हीं उत्पादों में बिलकुल भी चीनी नहीं थी।
🚩इस रिपोर्ट में बताया गया कि नेस्ले सेरेलेक के सभी उत्पादों में चीनी डाली जाती है। औसतन यह 4 ग्राम होती है। सबसे ज्यादा फ़िलीपीन्स के सैंपल में चीनी पाई गई। यूरोपियन बाजारों के सैंपल में चीनी नहीं मिली। भारत से लिए गए सैंपल की जाँच में भी बड़े खुलासे हुए। भारत में बिकने वाले सेरेलेक में औसतन हर खुराक में 3 ग्राम चीनी पाई गई है। यह भी बताया गया है कि चीनी इस उत्पाद में डाली गई लेकिन उसके विषय में डिब्बों पर स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया।
🚩नेस्ले सेरेलेक सुगर
रिपोर्ट में बताया गया है, “भारत में, जहाँ इस उत्पाद की बिक्री 2022 $250 मिलियन (लगभग ₹2000 करोड़) के पार थी, सभी सेरेलैक बेबीफूड में प्रति खुराक लगभग 3 ग्राम अतिरिक्त चीनी होती है। यही स्थिति अफ्रिका के मुख्य बाज़ार दक्षिण अफ़्रीका में भी है, जहाँ सभी सेरेलैक प्रति खुराक में 4 ग्राम या अधिक चीनी होती है।"
🚩सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण अफ्रीका, बांग्लादेश और पाकिस्तान समेत तमाम देशों में भी नेस्ले ने यही किया। यह भी बताया गया कि इनमें से कुछ पैकेज पर इनमें चीनी होने की बात लिखी तक नहीं थी। इन उत्पादों में शहद के रूप में चीनी थी जिसको लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) मना करता है।
🚩नेस्ले का यह कदम बच्चों के लिए खतरनाक क्यों❓
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के खाने में छोटी उम्र से ही अधिक चीनी दिया जाना ठीक नहीं है। इससे उनमें मोटापा, ह्रदय सम्बंधित बीमारियाँ और कैंसर आदि का खतरा बढ़ा सकती हैं। इसके अलावा बच्चों के दाँतो पर भी चीनी का विपरीत प्रभाव पड़ता है। मिठास के लिए उत्पाद कम्पनियाँ उपयोग करती हैं, वह भी शुद्ध चीनी ना होकर अन्य मिठास वाले उत्पाद होते हैं। ऐसे में इनसे बचने की सलाह दी जाती है।
https://twitter.com/OpIndia_in/status/1780931085095813555?t=XUYEICWvK7jsg05pf1JNxw&s=19
🚩औपनिवेशिक सोच का नतीजा
🚩नेस्ले के दोहरे मानकों पर सवाल उठाते हुए, जोहान्सबर्ग में विटवाटरसैंड विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य के प्रोफेसर और एक बाल रोग विशेषज्ञ करेन हॉफमैन ने पब्लिक आई से कहा, ”मुझे समझ में नहीं आता कि दक्षिण अफ्रीका बिकने वाले उत्पाद उन उत्पादों से अलग क्यों है जो विकसित देशों में बेचे जाते हैं। यह औपनिवेशीकरण का एक रूप है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। बच्चों के खाने में चीनी मिलाना भी एकदम सही नहीं है।”
🚩भारत में खाने-पीने की वस्तुओं की गुणवता का प्रमाणन करने वाली एजेंसी FSSAI ने भी इस मामले का संज्ञान लिया है और पब्लिक आई की रिपोर्ट के बाद इस पर कार्रवाई करेगी।
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