Monday, September 3, 2018

शोधकर्ता : श्रीमद्भगवदगीता पाठ से ठीक हो सकती हैं भयंकर बीमारियां

03 September 2018

🚩जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए श्रीमद्भगवदगीता ग्रंथ अद्भुत है । विश्व की 578 भाषाओं में भगवद्गीता का अनुवाद हो चुका है । हर भाषा में कई चिन्तकों, विद्वानों और भक्तों ने मीमांसाएँ की हैं और अभी भी हो रही हैं, और आगे भी होती रहेंगी । क्योंकि इस ग्रन्थ में सब देशों, जातियों, पंथों के तमाम मनुष्यों के कल्याण की अलौकिक सामग्री भरी हुई है । अतः हम सबको गीताज्ञान में अवगाहन करना चाहिए । भोग, मोक्ष, निर्लेपता, निर्भयता आदि तमाम दिव्य गुणों का विकास करने वाला यह गीता ग्रन्थ, विश्व में अद्वितिय है । यह बात स्वामी श्री लीलाशाहजी महाराज ने बताई थी ।
Researcher: Srimadbhavadgita lessons
can be cured by terrible diseases

🚩अमेरिकन महात्मा थॉरो ने बताया था कि
प्राचीन युग की सर्व रमणीय वस्तुओं में गीता से श्रेष्ठ कोई वस्तु नहीं है । गीता में ऐसा उत्तम और सर्वव्यापी ज्ञान है कि उसके रचयिता देवता को असंख्य वर्ष हो गये फिर भी ऐसा दूसरा एक भी ग्रन्थ नहीं लिखा गया है ।

🚩श्रीमद्भगवदगीता की कितनी ही महिमा गाओ कम है । आज के शोधार्थियों ने सिद्ध कर दिया कि श्रीमद्भगवदगीता से डायबिटीज जैसी अनेक बीमारियां भी ठीक हो सकती हैं ।
भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान के शोधार्थियों के एक दल ने डायबिटीज को ठीक करने का आध्यात्मिक तरीका खोज निकाला है । इसकी खोज श्रीमद्भगवत गीता से की गई है । शोधार्थियों का कहना है कि, भगवद्गीता में अर्जुन और भगवान श्रीकृष्ण के बीच जो संवाद हुआ है, उसका उपयोग विशेष रूप से पुरानी बीमारियां जैसे डायबिटीज को दूर करने के लिए किया जा सकता है । वे भगवद्गीता के उन श्लोकों के बारे में बता रहे हैं, जो जिंदगी की विभिन्न स्थितियों का वर्णन करता है । 

🚩टाईम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, शोधार्थियों ने कहा कि,"गीता नकारात्मक अवस्था को चिन्हित करता है और भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा इस अवस्था से निपटने के लिए सकारात्मक सलाह इस ग्रंथ में दिए गए हैं । अर्जुन उन्हें लागू करते हैं । डायबिटीज भी खराब जीवन शैली की वजह से होने वाली बीमारी है, जो पूरी तरह खाना और व्यायाम जैसी बुनियादी आदतों में बदलाव की वजह से हाेता है । भगवद्गीता में बताई गई बातों का उपयोग कर इससे निपटा जा सकता है।”

🚩इंडियन जर्नल ऑफ एंडोक्राइनोलॉजी एंड मेटाबोलिज्म में प्रकाशित रिसर्च को डॉक्टरों व शोधकर्ताओं ने देश के भीतर और बाहर कई अस्पतालों और शोध संस्थानों में अध्ययन कर तैयार किया था । इसमें विदेशी विशेषज्ञ "ढाका मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल और मिटफोर्ड अस्पताल, ढाका, बांग्लादेश" और "आगा खान विश्वविद्यालय अस्पताल, कराची, पाकिस्तान" से थे ।

🚩शोधकर्ताओं ने कहा कि “भगवद्गीता एक धार्मिक या दार्शनिक पाठ से कहीं अधिक है । इसके 700 से अधिक छंद जीवन के हर पहलू पर प्रकाश डालते हैं । ये व्यक्ति को नाकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर ले जाते हैं । ये श्लोक व्यक्ति के जीवन में पूरी तरह से बदलाव ला सकते हैं । 

🚩मधुमेह के शिकार व्यक्ति को, अपनी कई चीजों में बदलाव करना पड़ता है, जो पहले उन्हें काफी पसंद होता है । गीता के अध्ययन से उन्हें संयम का प्रयोग करने, जीवनशैली बदलने और चिकित्सा सलाह का पालन करने के लिए प्रेरणा मिलती। इसे पढकर और उसमें बताई गई बातों को अपने जीवन में लागू कर मरीज डायबिटीज जैसी बीमारियों से निदान पा सकते हैं। साथ ही कई बीमारियों और परेशानी से छुटकारा मिल सकता है।” स्त्रोत : जनसत्ता

🚩इंग्लैन्ड के एफ.एच.मोलेम लिखते हैं कि
"बाईबल का मैंने यथार्थ अभ्यास किया है, उसमें जो दिव्यज्ञान लिखा है वह केवल गीता के उद्धरण के रूप में है । मैं ईसाई होते हुए भी गीता के प्रति इतना सारा आदरभाव इसलिए रखता हूँ क्योंकि जिन गूढ़ प्रश्नों का समाधान पाश्चात्य लोग अभी तक नहीं खोज पाए हैं, उनका समाधान गीता ग्रंथ ने शुद्ध और सरल रीति से दिया है । उसमें कई सूत्र अलौकिक उपदेशों से भरपूर लगे इसीलिए गीता जी मेरे लिए साक्षात् योगेश्वरी माता बन रही हैं । वह तो विश्व के तमाम धन से भी नहीं खरीदा जा सके, ऐसा भारतवर्ष का अमूल्य खजाना है ।"

🚩श्रीमद्भगवद्गीता जैसे ग्रंथों की बहुउपयोगिता के कारण ही विदेश के कई स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, प्रबंधन #संस्थानों ने इस ग्रंथ की सीख व उपदेश को अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया है ।

🚩अमेरिका के #न्यूजर्सी में स्थापित कैथोलिक सेटन #हॉ यूनिवर्सिटी में, गीता को #अनिवार्य पाठ्यक्रम के रूप में शामिल किया है ।

रोमानिया देश में कक्षा 11 की पाठ्यपुस्तकों में रामायण और महाभारत के अंश हैं ।

🚩कई विशेषज्ञों का मानना है कि गीता में दिया गया ज्ञान, आधुनिक मैनेजमेंट के लिए भी एकदम सटीक है और उससे काफी कुछ सीखा जा सकता है । 

🚩श्रीमद्भगवद्गीता की महिमा विदेशी लोग जानकर उसका फायदा उठा रहे हैं, फिर भारतवासीयों को उससे वंचित नहीं रहना चाहिए ।

🚩भारत के मदरसों में कुरान पढ़ाई जाती है, #मिशनरी के स्कूलों में बाइबल, तो सभी स्कूलों-कॉलेजों श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ानी चाहिए ।

🚩अब समय आ गया है कि पश्चिमी #संस्कृति के #नकारात्मक प्रभाव को दूर किया जाए और अपनी भारतीय #संस्कृति को अपनाया जाए । #हिंदुत्व को बढ़ावा दिया जाना "भगवाकरण" नहीं है, अपितु उसमें मानवमात्र का कल्याण और उन्नति छुपी है ।

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Sunday, September 2, 2018

अनेक देशों मनाई जाती है जन्माष्टमी,मुस्लिम देश में होता है नेशनल हॉलीडे

02 September 2018


🚩श्रीमद् भगवदगीता के चौथे अध्याय के सातवें एवं आठवें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अपने श्रीमुख से कहते हैं-

*यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।*
*अभ्युत्थानधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।*

*परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।*
*धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।*

🚩'हे भरतवंशी अर्जुन ! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। साधुजनों (भक्तों) की रक्षा करने के लिए, पापकर्म करने वालों का विनाश करने के लिए और धर्म की भली भाँति स्थापना करने के लिए मैं युग-युग में प्रकट हुआ करता हूँ।'
Many countries are celebrated Janmashtami,
 Muslim country has National Holiday

🚩श्रीमद् भागवत में भी आता है कि दुष्ट राक्षस जब राजाओं के रूप में पैदा होने लगे, प्रजा का शोषण करने लगे, भोगवासना-विषयवासना से ग्रस्त होकर दूसरों का शोषण करके भी इन्द्रिय-सुख और अहंकार के पोषण में जब उन राक्षसों का चित्त रम गया, तब उन आसुरी प्रकृति के अमानुषों को हटाने के लिए तथा सात्त्विक भक्तों को आनंद देने के लिए भगवान का अवतार हुआ।

🚩जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं। 

🚩भारत समेत विश्व के कई कोनों में कृष्ण भक्त भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। हालांकि आपको बता दें कि एक ऐसा भी मुस्लिम बहुल देश है जहां जन्माष्टमी के दिन देश में अधिकारिक छुट्टी होती है। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में जन्माष्टमी के दिन नेशनल हॉलीडे होता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पुराने ढाका शहर के ढाकेश्वरी मंदिर में जन्माष्टमी बड़े धूम धाम से मनायी जाती है। 

🚩ढाका में इस उत्सव की शुरुआत साल 1902 में हुई थी, लेकिन 1948 में ढाका पाकिस्तान का हिस्सा बनने के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि जब बांग्लादेश पाकिस्तान से आजाद हुआ तो साल 1989 से एक बार फिर यह उत्सव मनाया जाने लगा। 

🚩आपको जानकर ये हैरानी होगी कि उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर में ही 400 से अधिक भगवान कृष्ण के मंदिर हैं। वहीं भगवान कृष्ण को 108 अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है। 

🚩कैरेबियाई देशों में भी रहती है धूम । भारत के बाद जन्माष्टमी का सबसे बड़ा उत्सव कैरेबियाई राष्ट्रों में होता है। कैरेबियाई देश गुयाना, त्रिनानद एंड टोबागो, जमैका और सुरीनाम में जन्माष्टमी का बड़े पैमाने पर जश्न होता है।।। 

🚩ऑस्ट्रेलिया में भी धूम-धाम से जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है ।

🚩निर्गुण, निराकार,  माया को वश करनेवाले, जीवमात्र के परम सुहृद प्रकट हुए, वह पावन दिन ‘जन्माष्टमी है । 

🚩भगवान श्री कृष्ण का साधु पुरुषों का उद्धार तथा दुष्कृत करनेवालों का विनाश करने के लिए अवतार होता है । तमाम परेशानियों के बीच रहकर भी श्रीकृष्ण जैसी मधुरता और चित्त की समता को  बनाये रखने का संदेश जन्माष्टमी देती है ।

🚩श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव तब पूर्ण माना जायेगा जब हम उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारेगें ।

🚩आज संकल्प करें कि ‘गीता के संदेश आत्मज्ञान के अमृत को हम जीवन मे लायेंगे और जगत में भी इस का प्रचार करेंगे ।


🚩जन्माष्टमी का व्रत करने से 1000 एकादशी व्रत करने का फल मिलता है और 100 जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है ।

🚩जन्माष्टमी की रात्रि को जप करने से मंत्र सिद्धि मिलती है ।

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Saturday, September 1, 2018

जन्माष्टमी : भगवान विष्णु को पृथ्वी पर श्रीकृष्ण के रूप में अवतार क्यों लेना पड़ा ?

01 September 2018

🚩भगवान श्रीकृष्ण का प्रागट्य:- 

#पृथ्वी आक्रान्त होकर श्रीहरि से अपने त्राण के लिए #प्रार्थना करती है । जो पृथ्वी इन आँखों से दिखती है वह पृथ्वी का #आधिभौतिक स्वरूप है, किंतु कभी-कभी #पृथ्वी नारी या #गाय का रूप लेकर आती है वह पृथ्वी का #आधिदैविक स्वरूप है ।

🚩पृथ्वी से कहा गयाः "इतनी बड़ी-बड़ी इमारतें तुम पर बन गयी हैं, इससे तुम पर कितना सारा बोझ बढ़ गया ।"तब पृथ्वी ने कहाः "इन इमारतों का कोई बोझा नहीं लगता किंतु जब साधु-संतों और भगवान को भूलकर, सत्कर्मों को भूलकर, सज्जनों को तंग करने वाले विषय-विलासी लोग बढ़ जाते हैं, तब मुझ पर बोझ बढ़ जाता है।"
Janmashtami: Why did Lord Vishnu have to
 incarnate as Lord Krishna in the form of Lord Krishna?

🚩जब-जब पृथ्वी पर इस प्रकार का बोझ बढ़ जाता है, तब-तब पृथ्वी अपना बोझ उतारने के लिए भगवान की शरण में जाती है । कंस आदि दुष्टों के पापकर्म बढ़ जाने पर भी, पापकर्मों के भार से बोझिल पृथ्वी देवताओं के साथ भगवान के पास गई और उसने श्रीहरि से प्रार्थना की, तब भगवान ने कहाः "हे देवताओं ! पृथ्वी के साथ तुम भी आये हो, धरती के भार को हल्का करने की तुम्हारी भी इच्छा है, अतः जाओ, तुम भी वृन्दावन में जाकर गोप-ग्वालों के रूप में अवतरित हो मेरी लीला में सहयोगी बनो । मैं भी समय पाकर #वसुदेव-देवकी के यहाँ अवतार लूँगा ।"

🚩वसुदेव-देवकी कोई साधारण मनुष्य नहीं थे । स्वायम्भुव मन्वंतर में वसुदे 'सुतपा' नाम के #प्रजापति और देवकी उनकी पत्नी 'पृश्नि' थीं । सृष्टि के विस्तार के लिए ब्रह्माजी की आज्ञा मिलने पर उन्होंने भगवान को पाने के लिये बड़ा तप किया था ।

🚩#समाज में जब शोषक लोग बढ़ गए, दीन-दुखियों को सताने वाले व चाणूर और मुष्टिक जैसे पहलवानों और दुर्जनों का पोषण करने वाले क्रूर राजा बढ़ गए, समाज त्राहिमाम पुकार उठा, सर्वत्र भय व आशंका का घोर अंधकार छा गया तब भाद्रपद मास (गुजरात-महाराष्ट्र में श्रावण मास) में कृष्ण पक्ष की उस अंधकारमयी अष्टमी, #रोहिणी_नक्षत्र को #कृष्णावतार हुआ । जिस दिन वह निर्गुण, निराकार, अच्युत, माया को वश करने वाले जीवमात्र के परम सुहृद प्रकट हुए वह आज का पावन दिन जन्माष्टमी कहलाता है। 

🚩#श्रीमद्_भागवत में भी आता है कि दुष्ट राक्षस जब राजाओं के रूप में पैदा होने लगे, प्रजा का शोषण करने लगे, भोगवासना-विषयवासना से ग्रस्त होकर दूसरों का शोषण करके भी इन्द्रिय-सुख और अहंकार के पोषण में जब उन राक्षसों का चित्त रम गया, तब उन आसुरी प्रकृति के अमानुषों को हटाने के लिए तथा सात्त्विक भक्तों को आनंद देने के लिए भगवान का अवतार हुआ ।

🚩जब समाज में अव्यवस्था फैलने लगती है, सज्जन लोग पेट भरने में भी कठिनाइयों का सामना करते हैं और दुष्ट लोग शराब-कबाब उड़ाते हैं, कंस, चाणूर, मुष्टिक जैसे दुष्ट बढ़ जाते है और निर्दोष गोप-बाल जैसे लोग अधिक सताए जाते हैं, तब उन सताए जाने वालों की संकल्प शक्ति और भावना शक्ति उत्कट होती है और सताने वालों के दुष्कर्मों का फल देने के लिए भगवान का अवतार होता है ।

🚩भगवान अवतरित हुए तब जेल के दरवाजे खुल गए । पहरेदारों को नींद आ गयी । रोकने-टोकने और विघ्न डालने वाले सब निद्राधीन हो गए । जन्म हुआ है जेल में, एकान्त में, वसुदेव-देवकी के यहाँ और लालन-पालन होता है नंद-यशोदा के यहाँ ।  श्रीकृष्ण का प्राकट्य देवकी के यहाँ हुआ है, परंतु पोषण यशोदा माँ के वहाँ होता है । 

🚩#श्रीकृष्ण के जीवन में एक महत्त्वपूर्ण बात झलकती है कि बुझे दीयों को प्रकाश देने का कार्य और उलझे हुए दिलों को सुलझाने का काम तो वे करते ही हैं, साथ ही साथ इन कार्यों में आने वाले विघ्नों को, फिर चाहे वह मामा कंस हो या पूतना या शकटासुर-धेनकासुर-अघासुर-बकासुर हो फिर केशि हो, सबको श्रीकृष्ण किनारे लगा देते हैं ।


🚩श्रीमद् भगवदगीता के चौथे अध्याय के सातवें एवं आठवें श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अपने श्रीमुख से कहते हैं-

🚩यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।।

🚩परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।

1.परित्राणय साधुनाः साधु स्वभाव के लोगों का, सज्जन स्वभाववाले लोगों का रक्षण करना ।

2. विनाशाय च दुष्कृताम् जब समाज में बहुत स्वार्थी, तामसी, आसुरी प्रकृति के कुकर्मी लोग बढ़ जाते हैं तब उनकी लगाम खींचना।

3.धर्मसंस्थापनार्थायः धर्म की स्थापना करने के लिए अर्थात् अपने स्वजनों को, अपने भक्तों को तथा अपनी ओर आने वालों को अपने स्वरूप का साक्षात्कार हो सके इसका मार्गदर्शन करना।

🚩भगवान के अवतार के समय तो लोग लाभान्वित होते ही हैं किंतु भगवान का दिव्य विग्रह जब अन्तर्धान हो जाता है, उसके बाद भी भगवान के गुण, कर्म और लीलाओं का स्मरण करते-करते हजारों वर्ष बीत जाने के बाद भी मानव समाज लाभ उठाता रहता है ।

🚩व्रत से लाभ:-

जन्माष्टमी का व्रत करने से 1000 एकादशी व्रत करने का पुण्य प्राप्त होता है और उसके रोग, शोक, दूर हो जाते हैं।” धर्मराज सावित्री देवी को कहते हैं किः “जन्माष्टमी का व्रत सौ जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाने वाला है ।” 
(ब्रह्मवैवर्त पुराण)

🚩अकाल मृत्यु व गर्भपात से करे रक्षा:-

ʹभविष्य पुराणʹ में लिखा है कि ʹजन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है । जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता । बच्चा ठीक से पेट में रह सकता है और ठीक समय पर बालक का जन्म होता है।ʹ ( स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा साहित्य से )
🌹अधिक जानकारी के लिए देखे👇

🚩विशेष : इस साल 2 सितम्बर शाम 8:48 से अष्टमी शुरू हो जाएगी इसलिए व्रत उपवास व जागरण 3 सितम्बर को ही किया जाएगा ।

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