Saturday, January 23, 2021

जनता ने अभी से 14 फरवरी निमित्त मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाना किया प्रारंभ

23 जनवरी 2021


भारत में वैलेंटाइन डे की गंदगी अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां लेकर आई हैं और वो ही कम्पनियां मीडिया में पैसा देकर वैलेंटाइन डे का खूब प्रचार प्रसार करवाती हैं । जिसके कारण उनका व्यापार लाखों नहीं, करोड़ों नहीं, अरबों नहीं लेकिन खरबों में हो जाता है, इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगता है, जिसके कारण विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक सामग्री, नशीले पदार्थ आदि 10 गुना बिकते हैं और उन्हें खरबों रुपये का फायदा होता है ।




वैलेंटाइन डे से युवाओं का अत्यधिक पतन हो रहा है इसलिए अब तो ऐसा समय आ गया है कि वैलेंटाइन डे की जगह लोगों ने अभी से 14 फरवरी के दिन "मातृ-पितृ पूजन दिवस" निमित्त मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम और सोशल मीडिया पर केम्पेन शुरू कर दिया है ।

गौरतलब है कि पिछले 50 वर्षों से सनातन संस्कृति के सेवाकार्यों में रत रहने वाले तथा सनातन संस्कृति की महिमा से विश्व के जन-मानस को परिचित करवाने वाले हिन्दू संत बापू आसारामजी ने जब अपने देश के युवावर्ग को पाश्चत्य अंधानुकरण से चरित्रहीन होते देखा तो उनका हृदय व्यथित हो उठा और उन्होंने साल 2006 से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस शुरू किया। वर्षों से एक नयी दिशा की ओर युवावर्ग को अग्रसर करते हुए एक विश्वव्यापी अभियान चलाया 14 फरवरी मातृ पितृ पूजन दिवस जो आज विश्वव्यापी बन चुका है और करोड़ों लोगों के द्वारा मनाया जा रहा है ।

भारत के युवक-युवतियां अगर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हुए तो परिणाम भयंकर आने वाला है ।

अब युवक-युवतियों का यह कहना होगा कि “क्या हम प्यार न करें, तो उनको एक सलाह है कि दुनिया में आपको सबसे पहले प्यार किया था आपके माँ-बाप ने । आप दुनिया में आने वाले थे, तबसे लेकर आज तक आपको वो प्यार करते रहे लेकिन उनका प्यार तो आप भूल गये उनको ठुकरा दिया । जब आप बोलना भी नहीं जानते थे तब उन्होंने आपका भरण पोषण किया । आपको ऊंचे से ऊँचे स्थान पर पहुँचाने के लिए खुद भूखे रहकर भी आपको उच्च शिक्षा दिलाई । उनका केवल एक ही सपना रहा कि मेरा बेटा या बेटी सबसे अधिक तेजस्वी, ओजस्वी और महान बने । ऐसा अनमोल उनका प्यार आप भुलाकर किसी लड़के-लड़की के चक्कर में आकर अपने माँ-बाप को कितना दुःख दे रहे हैं, उसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते इसलिए आप यदि स्वयं को बर्बादी से बचाना चाहते हैं, माँ-बाप के प्यार का बदला चुकाना चाहते हैं, तो आपको एक ही सलाह है कि आप मीडिया, टीवी, अखबार पढ़कर वैलेंटाइन डे न मनाकर उस दिन अपने माता-पिता का पूजन करें ।

भारतवासी आइए एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं। आओ एक सच्ची दिशा की ओर कदम बढ़ाएं। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे नहीं माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाएं ।

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Friday, January 22, 2021

कई लड़कियों को शिकार बना चुका मौलाना नाबालिग छात्रा को लेकर फरार

22 जनवरी 2021


मदरसों को मयखाने में तब्दील करते मौलाना, ऐसा हम इसलिए कह रहे हैं क्योंकि मदरसों में बच्चों के साथ बलात्कार, शोषण, भगा ले जाने की खबरें अब आम होती जा रहीं हैं। कुछ मदरसों में मौलाना शिक्षा से ज्यादा अपने शौक पूरे कर रहें हैं और मासूम बच्चें इनका शिकार हो रहें हैं। ऐसी ही एक खबर बिहार से सामने आयी है जहां मस्जिद में पढ़ाने वाला एक मौलाना नाबालिग छात्रा को लेकर फरार हो गया है।




पवित्र हिंदू साधु-संतों पर कोई साजिश के तहत झूठे आरोप भी लगा दे तो मीडिया 24 घण्टे चिल्लाने लगती है पर मौलवी और ईसाई पादरियों के दुष्कर्मों पर मौन धारण कर लेती हैं।

दरअसल बिहार के बक्सर के धनसोई में मस्जिद में पढ़ाने वाला एक मौलाना अपनी ही नाबालिग छात्रा को लेकर फरार हो गया। यह शातिर मौलाना कई लड़कियों के साथ गंदा काम कर चुका है। नाबालिग को भगा ले जाने वाले मौलाना का नाम शाहीद अंसारी है और वो दो बच्चों का पिता है। पुलिस ने छापेमारी कर मौलाना को गिरफ्तार कर लिया है।

45 साल का है मौलाना,14 की नाबालिग

बता दें कि मौलाना की उम्र 45 साल है और दो बच्चों का पिता भी है फिर भी कुकर्म करने में पीछे नहीं है क्यो कि जिस नबालिग को भगा के ले गया उसकी उम्र 14 वर्ष है जो कि उसके बच्चों से भी छोटी है। बता दें कि मौलाना इटाढ़ी का रहने वाला है और वहीं की मस्जिद में उर्दू पढ़ाता था, इस दौरान गांव की कई लड़कियां उसके पास पढ़ाई करने के लिए जाती थी। वह कई लड़कियों के साथ भी गंदा काम कर चुका है, लेकिन किसी ने उसके खिलाफ शिकायत दर्ज नहीं कराई थी।

छापेमारी के दौरान गिरफ्तार हुआ मौलाना
 
बता दें कि छात्रा मस्जिद में पढ़ाई करने गई थी पर पढ़ने के बाद वापस नहीं लौटी तो परिजन परेशान हो गए। बता दें कि मौलाना पर लोग पहले से ही शक करते थे, क्योंकि उसकी हरकतों से बच्चे परेशान रहते थे। जिसके बाद छात्रा के पिता ने धनसोई थाना में मौलाना शाहिद अंसारी के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज कराया था जिसके बाद पुलिस ने छापेमारी कर मौलाना को गिरफ्तार कर लिया है।

देश में आये दिन मदरसों से ऐसी घटनाओं का आना कहीं न कहीं मदरसों में बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है । अब सरकार को ऐसे मदरसों और मौलानाओं पर खास ध्यान देने की आवश्यकता है। या तो छात्रों को स्कूलों की ओर ले जाये या मदरसों को अपने अधीन ले लें।

भारत में साधु-संत देश, समाज और संस्कृति के उत्थान के लिए कार्य कर रहे हैं उनको साजिश के तहत बदनाम किया जाता है, झूठे केस में जेल भेजा जाता है और मीडिया द्वारा तथा "आश्रम" जैसी फिल्में बनाकर उनको बदनाम किया जाता है। वहीं दूसरी ओर जो मौलवी व ईसाई पादरी मासूम बच्चे-बच्चियों और ननों के साथ रेप करते हैं उनकी जिंदगी तबाह कर देते हैं फिर भी मीडिया, प्रकाश झा जैसे बिकाऊ निर्देशक इसको देखकर आँखों पर पट्टी बांध लेते हैं क्योंकि इनको पवित्र हिन्दू साधु-संतो को बदनाम करने के पैसे मिलते है और हिंदू सहिष्णु हैं।

कुछ सेक्युलर हिंदू भी बिकाऊ मीडिया की बात में आकर अपने ही धर्मगुरुओं को बदनाम करने लग जाते है जैस उन्होंने खुद गलत करते देखा हो, मीडिया की बात को सच मानेंगे लेकिन उनके मठ-मंदिर-आश्रम में जाकर वास्तविकता नहीं जानेंगे कि उन साधु-संतों ने कितनी मेहनत करके सनातन संस्कृति को जीवित रखने का कार्य किया है और कर रहे हैं, अब समय आ गया है अपने साधु-संतों पर हो रहे षड्यंत्र का पर्दाफाश करके उनको सहयोग करें।

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Thursday, January 21, 2021

ईसाई धर्म प्रचारक पॉल दिनाकरन के 28 ठिकानों पर छापेमारी

21 जनवरी 2021


भारत मे ईसाई मिशनरी जोरो से धर्मांतरण में लगे हैं, हिंदू आदिवासियों व गरीबों को लालच देकर अथवा प्रलोभन देकर धर्म बदलने का कार्य पुरजोर से चल रहा है, आतंकवाद से इतना खतरा नहीं है जितना इन धर्मांतरण कराने वाले मिशनरियों से है, ये लोग जनता का ब्रेनवाश करके अपनी वोटबैंक बढ़ाकर राष्ट्र पर सत्ता हासिल करना चाहते हैं इसके लिए उनको भारी फडिंग भी मिलती है।




आपको बता दें की तमिलनाडु के चेन्नई में आयकर विभाग की कई इलाको में छापेमारी चल रही है। यह छापेमारी चेन्नई, कोयम्बटूर सहित ‘जीसस कॉल्स’ के नाम से ईसाई मिशनरी चलाने वाले विवादास्पद ईसाई धर्म प्रचारक पॉल दिनाकरन के 28 ठिकानों पर हुई है।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, आयकर विभाग ने बुधवार को ईसाई धर्म प्रचारक पॉल दिनाकरण के 28 ठिकानों पर आयकर विभाग ने छापेमारी की है। जिन परिसरों में आयकर विभाग ने छापेमारी की है, उनमें करुणा प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान संस्थान और जीसस कॉल्स भी शामिल हैं।

बता दें जीसस कॉल्स, पॉल दिनकरन द्वारा संचालित एक संगठन है, जो पूरे तमिलनाडु में ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करता है। आईटी अधिकारियों ने बुधवार (20 जनवरी, 2021) की सुबह चेन्नई के कोयम्बटूर और तमिलनाडु के विभिन्न अन्य स्थानों पर दिनाकरन की संपत्तियों की तलाशी ली। आयकर विभाग ने ईसाई संगठन द्वारा संचालित करुण्या क्रिश्चियन स्कूल पर भी छापा मारा है।

दरअसल, आयकर विभाग को दिनाकरन और जीसस कॉल्स के खिलाफ टैक्स चोरी और विदेशी फंडिंग में अनियमितता की शिकायत मिली थी, जिसके बाद आयकर विभाग ने यह छापेमारी शुरू की है। गौरतलब है कि पॉल दिनाकरन, टीवी पर लगातार ईसाई धर्म का प्रचार-प्रसार करने और उसके जरिए फंड इकट्ठा करने वाले डीजीएस दिनाकरन के बेटे हैं। पॉल तमिलनाडु में ईसाई धर्म प्रचारक के रूप में जाने जाते है। उनके काफी फॉलोवर्स हैं और वे ईसाई प्रचार-प्रसार के लिए कई संगठन भी चलाते हैं।

बताया जा रहा है कि मदर टेरेसा के बाद सबसे ज्यादा धर्मांतरण कराने में पॉल दिनाकरन का हाथ है, बताया गया है कि उसके लिए उनको विदेश से भारी फडिंग भी मिलती होगी।

महान विचारक वीर सावरकर धर्मान्तरण को राष्ट्रान्तरण मानते थे। उन्होंने कहा कि "यदि कोई व्यक्ति धर्मान्तरण करके ईसाई या मुसलमान बन जाता है तो फिर उसकी आस्था भारत में न रहकर उस देश के तीर्थ स्थलों में हो जाती है जहाँ के धर्म में वह आस्था रखता है, इसलिए धर्मान्तरण यानी राष्ट्रान्तरण है।

ईसाई मिशनरियों का उद्देश्य भी धर्मांतरण के साथ-साथ राष्ट्रान्तरण का है, वे अपना भारत में शासन चलाना चाहते हैं, इसलिए कोई हिंदुनिष्ठ अगर धर्मांतरण का विरोध करें तो उसकी हत्या कर दी जाती है अथवा झूठे केस में जेल भिजवाया जाता है जैसे ओडिशा में स्वामी लक्ष्मणानन्दजी की हत्या करवा दी, शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती व हिंदू संत आशाराम बापू को जेल भिजवाया गया।

भारतवासी मिशनरियों के षड़यंत्र को समझे और उनपर कड़ी कानूनी कार्यवाही करें। सरकार भी इनपर प्रतिबंध लगाए ऐसी जनता की मांग है।

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Wednesday, January 20, 2021

गुरु गोविंद सिंह ने औरंगजेब को जो पत्र लिखा था आज भारतीयों के लिए प्रेरणादायी है

 20 जनवरी 2021


गुरु गोविन्द सिंह जी एक महान योद्धा होने के साथ साथ महान विद्वान् भी थे। वह ब्रज भाषा, पंजाबी, संस्कृत और फारसी भी जानते थे और इन सभी भाषाओँ में कविता भी लिख सकते थे। जब औरंगजेब के अत्याचार सीमा से बढ़ गए तो गुरूजी ने मार्च 1705 को एक पत्र भाई दयाल सिंह के हाथों औरंगजेब को भेजा। इसमे उसे सुधरने की नसीहत दी गयी थी। यह पत्र फारसी भाषा के छंद शेरों के रूप में लिखा गया है। इसमे कुल 134 शेर हैं। इस पत्र को "ज़फरनामा" कहा जाता है।




यद्यपि यह पत्र औरंगजेब के लिए था। लेकिन इसमे जो उपदेश दिए गए है वह आज हमारे लिए अत्यंत उपयोगी हैं। इसमे औरंगजेब के आलावा मुसलमानों के बारे में जो लिखा गया है, वह हमारी आँखें खोलने के लिए काफी हैं। इसीलिए ज़फरनामा को धार्मिक ग्रन्थ के रूप में स्वीकार करते हुए दशम ग्रन्थ में शामिल किया गया है।

जफरनामा से विषयानुसार कुछ अंश प्रस्तुत किये जा रहे हैं। ताकि लोगों को इस्लाम की हकीकत पता चल सके ---

1 - शस्त्रधारी ईश्वर की वंदना --

बनामे खुदावंद तेगो तबर, खुदावंद तीरों सिनानो सिपर।
खुदावंद मर्दाने जंग आजमा, ख़ुदावंदे अस्पाने पा दर हवा। 2 -3.

अर्थ : उस ईश्वर की वंदना करता हूँ, जो तलवार, छुरा, बाण, बरछा और ढाल का स्वामी है और जो युद्ध में प्रवीण वीर पुरुषों का स्वामी है, जिनके पास पवन वेग से दौड़ने वाले घोड़े हैं।

2 - औरंगजेब के कुकर्म :-

तो खाके पिदर रा बकिरादारे जिश्त, खूने बिरादर बिदादी सिरिश्त
वजा खानए खाम करदी बिना, बराए दरे दौलते खेश रा

अर्थ :- तूने अपने बाप की  मिट्टी को अपने भाइयों के खून से गूँधा, और उस खून से सनी मिटटी से अपने राज्य की नींव रखी। और अपना आलीशान महल तैयार किया।

3 - अल्लाह के नाम पर छल --

न दीगर गिरायम बनामे खुदात, कि दीदम खुदाओ व् कलामे खुदात
ब सौगंदे तो एतबारे न मांद, मिरा जुज ब शमशीर कारे न मांद.

अर्थ : तेरे खु-दा के नाम पर मैं धोखा नहीं खाऊंगा, क्योंकि तेरा खु-दा और उसका कलाम झूठे हैं। मुझे उनपर यकीन नहीं है। इसलिए सिवा तलवार के प्रयोग से कोई उपाय नहीं रहा।

4 - छोटे बच्चों की हत्या --

चि शुद शिगाले ब मकरो रिया, हमीं कुश्त दो बच्चये शेर रा.
चिहा शुद कि चूँ बच्च गां कुश्त चार, कि बाकी बिमादंद पेचीदा मार.

अर्थ : यदि सियार शेर के बच्चों को अकेला पाकर धोखे से मार डाले तो क्या हुआ। अभी बदला लेने वाला उसका पिता कुंडली मारे विषधर की तरह बाकी है। जो तुझ से पूरा बदला चुका लेगा।

5 - मु-सलमानों पर विश्वास नहीं --

मरा एतबारे बरीं हल्फ नेस्त, कि एजद गवाहस्तो यजदां यकेस्त.
न कतरा मरा एतबारे बरूस्त, कि बख्शी ओ दीवां हम कज्ब गोस्त.
कसे कोले कुरआं कुनद ऐतबार, हमा रोजे आखिर शवद खारो जार.
अगर सद ब कुरआं बिखुर्दी कसम, मारा एतबारे न यक जर्रे दम.

अर्थ : मुझे इस बात पर यकीन नहीं कि तेरा खुदा एक है। तेरी किताब (कु-रान) और उसका लाने वाला सभी झूठे हैं। जो भी कु-रान पर विश्वास करेगा, वह आखिर में दुखी और अपमानित होगा। अगर कोई कुरान कि सौ बार भी कसम खाए, तो उस पर यकीन नहीं करना चाहिए।

6 - दुष्टों का अंजाम --

कुजा शाह इस्कंदर ओ शेरशाह, कि यक हम न मांदस्त जिन्दा बजाह.
कुजा शाह तैमूर ओ बाबर कुजास्त, हुमायूं कुजस्त शाह अकबर कुजास्त.

अर्थ : सिकंदर कहाँ है, और शेरशाह कहाँ है, सब जिन्दा नहीं रहे। कोई भी अमर नहीं हैं, तैमूर, बाबर, हुमायूँ और अकबर कहाँ गए। सब का एकसा अंजाम हुआ।

7 - गुरूजी की प्रतिज्ञा --

कि हरगिज अजां चार दीवार शूम, निशानी न मानद बरीं पाक बूम.
चूं शेरे जियां जिन्दा मानद हमें, जी तो इन्ताकामे सीतानद हमें.
चूँ कार अज हमां हीलते दर गुजश्त, हलालस्त बुर्दन ब शमशीर दस्त.

अर्थ : हम तेरे शासन की दीवारों की नींव इस पवित्र देश से उखाड़ देंगे। मेरे शेर जब तक जिन्दा रहेंगे, बदला लेते रहेंगे। जब हरेक उपाय निष्फल हो जाएँ तो हाथों में तलवार उठाना ही धर्म है।

8 - ईश्वर सत्य के साथ है --

इके यार बाशद चि दुश्मन कुनद, अगर दुश्मनी रा बसद तन कुनद.
उदू दुश्मनी गर हजार आवरद, न यक मूए ऊरा न जरा आवरद.

अर्थ : यदि ईश्वर मित्र हो, तो दुश्मन क्या क़र सकेगा, चाहे वह सौ शरीर धारण क़र ले। यदि हजारों शत्रु हों, तो भी वह बल बांका नहीं क़र सकते है। सदा ही धर्म की विजय होती है।

गुरु गोविन्द सिंह ने अपनी इसी प्रकार की ओजस्वी वाणियों से लोगों को इतना निर्भय और महान योद्धा बना दिया कि अब भी शांतिप्रिय -- सिखों से उलझाने से कतराते हैं। वह जानते हैं कि सिख अपना बदला लिए बिना नहीं रह सकते। इसलिए उनसे दूर ही रहो।

इस लेख का एकमात्र उद्देश्य है कि आप लोग गुरु गोविन्द साहिब कि वाणी को आदर पूर्वक पढ़ें, और श्री गुरु तेगबहादुर और गुरु गोविन्द सिंह जी के बच्चों के महान बलिदानों को हमेशा स्मरण रखें। और उनको अपना आदर्श मनाकर देश धर्म की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो जाएँ। वरना यह सेकुलर और जिहा दी एक दिन हिन्दुओं को विलुप्त प्राणी बनाकर मानेंगे।

गुरु गोविन्द सिंह का बलिदान सर्वोपरि और अद्वितीय है।

सकल जगत में खालसा पंथ गाजे, बढे धर्म हिन्दू सकल भंड भागे...।
Source-Vedic Sikhism.

गुरु गोविन्द सिंह के महान संकल्प से खालसा की स्थापना हुई। हिन्दू समाज अत्याचार का सामना करने हेतु संगठित हुआ। पंच प्यारों में सभी जातियों के प्रतिनिधि शामिल हुए थे। इसका अर्थ यही था कि अत्याचार का सामना करने के लिए हिन्दू समाज को जात-पात मिटाकर संगठित होना होगा। तभी अपने से बलवान शत्रु का सामना किया जा सकेगा...

खेद है की हिन्दुओं ने गुरु गोविन्द सिंह के सन्देश पर अमल नहीं किया। जात-पात के नाम पर बटें हुए हिन्दू समाज में संगठन भावना शुन्य हैं। गुरु गोविन्द सिंह ने स्पष्ट सन्देश दिया कि कायरता भूलकर, स्वबलिदान देना जब तक हम नहीं सीखेंगे तब तक देश, धर्म और जाति की सेवा नहीं कर सकेंगे।

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Tuesday, January 19, 2021

भगवान की जगह अल्लाह का मजाक उड़ाने की है हिम्मत? - कंगना

19 जनवरी 2021


अमेजन प्राइम पर आने वाली सीरीज तांडव को लेकर बवाल जीशान अयूब के सीन पर हुआ है। इस सीन में जीशान भगवान शिव बने हुए हैं। उस वीडियो में जीशान कैंपस के छात्रों की आजादी की बात कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि इन छात्रों को देश में रहकर आजादी चाहिए, देश से आजादी नहीं चाहिए। आरोप है कि जीशान ने इस सीन में भगवान शिव का मजाक उड़ाया है।




इस पर जनता का गुस्सा फुट निकला हैं, आम जनता के बाद अब बड़ी-बड़ी हस्तियों ने इस सीरीज के मेकर्स को घेरना शुरू किया है।

अभिनेत्री कंगना रनौत ने सीरीज के मेकर्स से पूछा कि क्या उनमें ‘अल्लाह’ का मजाक बनाने की हिम्मत है? उन्होंने कपिल मिश्रा के ट्वीट को रीट्वीट करके लिखा, “माफी माँगने के लिए बचेगा कहाँ? ये सीधा गला काट देते हैं, जिहादी देश फतवा निकाल देते हैं, लिब्रु मीडिया वर्चुअल लिंचिंग कर देती है, तुम्हें ना सिर्फ़ जान से मार दिया जाएगा बल्कि उस मौत को भी जस्टिफ़ाई किया जाएगा, बोलो अली अब्बास जफर, है हिम्मत अल्लाह का मज़ाक़ उड़ाने की?”
इससे पहले बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने लिखा था, “अली अब्बास जफर, कभी अपने मजहब पर मूवी बनाकर माफी माँगिए। सारी अभिव्यक्ति की आज़ादी हमारे ही धर्म के साथ क्यों? कभी अपने एकमात्र ईष्ट का भद्दा मजाक उड़ा कर भी शर्मिंदा होइए। आपके अपराधों का हिसाब भारत का कानून करेगा, जहरीला कंटेट वापस लीजिए, तांडव को हटाना ही पड़ेगा।” https://twitter.com/KanganaTeam/status/1351172718004154381?s=19

वहीं कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव ने वीडियो जारी करके कहा,  “मैं बहुत समय से कह रहा हूँ। ये हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। ये किसी साजिश के तहत हिंदू धर्म को बदनाम किया जा रहा है। शर्म करो! डूब मरो! ऐसे फिल्म वालों, ऐसी वेब सीरीज बनाने वालों। हमारे हिंदू देवी देवताओं का मजाक उड़ाते हो। तुम्हें शर्म आनी चाहिए। अगर हिम्मत है तो दूसरे धर्म पर भी ऐसी कॉमेडी करो। लेकिन तुम नहीं करोगे। क्योंकि तुम्हारा सिर कलम कर दिया जाएगा।”

श्रीवास्तव कहते हैं, “हर बार वेबसीरीज में सैफ अली खान बार-बार ये हरकत करता है। उसे कोई रोकने वाला नहीं है। कोई कानून नहीं है। हिंदू धर्म में हर कोई सहिष्णु। हिंदुओं का दिल बड़ा होता है, माफ करते जा रहे हैं। क्षमा करते जा रहे हैं। अब समय आ गया है हिंदुओं जागो। तुम्हें जागना होगा। ये जो माँग हो रही है सीन को हटा दो… सीन को हटाने से काम नहीं चलेगा। तुम्हें कड़ी से कड़ी सजा देनी पड़ेगी। ऐसा कानून बनाना पड़ेगा कि दोबारा कोई ऐसी हरकत न करे।”
गौरतलब है कि तांडव वेब सीरीज को लेकर हुए विवाद के कारण इसके मेकर्स ने सोमवार को इस संबंध में माफी माँगी थी। लेकिन लोगों का गुस्सा और अधिक बढ़ गया। 

हिंदुत्व जिस प्रकार से पहले बॉलीवुड और अब वेब सीरीज ने निशाना बनाया है और जितना आघात सनातन धर्म को तथाकथित मनोरंजन ने दिया है संभवतः उतना आघात बड़े से बड़े और क्रूर से क्रूर मजहबी आक्रांता और विदेशी लुटेरे भी नहीं दे पाए होंगे। 

अब हिंदुओं को जागना होगा और ऐसे फिल्मों व वेब सिरिजो का बहिष्कार करना होगा तभी ये लोग सुधरेंगे, आज ट्वीटर पर ट्रेंड भी चल रहा था कि जैसे पाकिस्तान आदि मुस्लिम देश में ईशनिंदा का कानून है वैसे ही भारत मे देव निंदा का कानून बने और ऐसे लोगों को कड़ी सजा देनी चाहिए।

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Monday, January 18, 2021

वो काली रात जब लाखों हिंदुओं को कश्मीर छोड़ने को किया मजबूर...

18 जनवरी 2021



 इतिहास का वो काला दिन 19 जनवरी 1990 जब लाखों हिन्दू बंधुओं को जिहादियों ने धमकी देकर उन्हें वहां से विस्थापित होने के लिए विवश किया था ।




 19 जनवरी जब-जब यह तारीख आती है, कश्मीरी पंडितों के जख्म हरे हो जाते हैं । यही वह तारीख है जिस दिन जम्मू कश्मीर में बसे कश्मीरी पंडितों को अपने ही देश में शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर कर दिया गया । इस तारीख ने उनके लिए जिंदगी के मायने ही बदल दिए थे । 

आपको बता दें कि कश्मीर में केवल पंडितों को ही नही सभी जाति के हिंदुओं भगाया गया था, इतिहास में केवल पंडितों का नाम इसलिए बताया है कि जिसके कारण दूसरे जाति के हिंदू शांत रहे क्योंकि नकली इतिहासकार अच्छे से जानते हैं कि हिंदू जाति-पाति में बंटे है, एक नहीं है इसलिए केवल ब्राह्मणों का ही उल्लेख किया गया है।


कश्मीेरी पंडितों को बताया काफिर-

देश की आजादी के बाद धरती के जन्नत कश्मीर में जहन्नुम का मौहाल बन चुका था । 19 जनवरी 1990 की काली रात को करीब तीन लाख कश्मीरी पंडितों व हिंदुओं को अपना आशियाना छोड़कर पलायन को मजबूर होना पड़ा था । अलगावादियों ने हिन्दुओ के घर पर एक नोटिस चस्पा की गई । जिसपर लिखा था कि ‘या तो मुस्लिम बन जाओ या फिर कश्मीर छोड़कर भाग जाओ…या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ ।’


 20 जनवरी 1999 को कश्मीर की मस्जिदों से कश्मीरी पंडितों को काफिर करार दिया गया । मस्जिदों से लाउडस्पीकरों के जरिए ऐलान किया गया, 'कश्मीरी पंडित या तो मुसलमान धर्म अपना लें, या चले जाएं या फिर मरने के लिए तैयार रहें ।' यह ऐलान इसलिए किया गया ताकि कश्मीरी पंडितों (हिंदुओं) के घरों को पहचाना जा सके और उन्हें या तो इस्लाम कुबूल करने के लिए मजबूर किया जाए या फिर उन्हें मार दिया जाए ।


कश्मीरी पंडितों के सर काटे गए, कटे सर वाले शवों को चौक-चौराहों पर लटकाया गया था  ।


बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडितों ने अपने घर छोड़ दिए । आंकड़ों के मुताबिक 1990 के बाद करीब 7 लाख कश्मीरी पंडित (हिंदू) अपने घरों को छोड़कर कश्मीर से विस्थापित होने को मजबूर हुए ।

सरेआम हुए थे बलात्कार!!

एक कश्मीरी पंडित नर्स के साथ आतंकियों ने सामूहिक बलात्कार किया और उसके बाद मार-मार कर उसकी हत्या कर दी । घाटी में कई कश्मीरी पंडितों की बस्तियों में सामूहिक बलात्कार और लड़कियों के अपहरण किए गए ।

मस्जिदों में भारत एवं हिंदू विरोधी भाषण दिए जाने लगे। सभी कश्मीरियों को कहा गया कि इस्लामिक ड्रेस कोड अपनाएं ।

डर की वजह से वापस लौटने से कतराते!!

आज भी कश्मीेरी पंडितों के अंदर का डर उन्हें वापस लौटने से रोक देता है । कश्मीरी पंडितों ने घाटी छोड़ने से पहले अपने घरों को कौड़‍ियों के दाम पर बेचा था । 27 वर्षों में कीमतें तीन गुना तक बढ़ गई हैं । आज अगर वह वापस आना भी चाहें तो नहीं आ सकते क्योंकि न तो उनका घर है और न ही घाटी में उनकी जमीन बची है । इस मौके पर अभिनेता अनुपम खेर ने एक कविता शेयर की है । आप भी देखिए अनुपम ने कैसे कश्मीररी पंडितों का दर्द बयां किया है ।

 कर्नाटक के श्री प्रमोद मुतालिक, श्रीराम सेना (राष्ट्रिय अध्यक्ष) ने बताया कि यह कश्मीरी हिंदुओं के विस्थापन का प्रश्न नहीं, यह पूरे भारत की समस्या है । हिंदुओं को 1990 में कश्मीर में से क्यों निकाला गया ? क्या वो कोई दंगा कर रहे थे ? या उनके घर में हथियार थे ?

उन्हें केवल इसलिए वहां से निकल दिया गया कि वो ’हिन्दू´ हैं । आज यही समस्या भारत के विविध राज्यों में उभरनी शुरू हो गई है । इसलिए आज एक भारत अभियान की आवश्यकता है ।

 डॉ. चारुदत्त पिंगळे, राष्ट्रीय मार्गदर्शक, हिन्दू जनजागृति समिती ने बताया कि जिस प्रकार महाभारत के काल में भगवान श्रीकृष्ण ने 5 गांव मांगे थे किंतु कौरवों ने वो भी देने से इन्कार कर दिया था , तदुपरांत महाभारत हुआ । उसी प्रकार आज कश्मीरी हिंदुओं के लिए पूरे भारत के हिन्दुत्वनिष्ठ और राष्ट्रप्रेमी संगठन पनून कश्मीर मांग रहे हैं।

कश्मीर भारत माता का मुकुट है । कश्मीर भूभाग नहीं, कश्यप ऋषि की तपोभूमि है । वहां से हिंदुओं का पलायन हुआ है, परंतु उन्हाेंने हार नहीं मानी है  । कश्मीर में पुनः कश्मीर और भारत हिन्दू राष्ट्र बनने तक हम कार्य करते रहेंगे यह हमारा धर्मदायित्व है  ।

अधिवक्ता श्रीमती चेतना शर्मा, हिन्दू स्वाभिमान, उत्तर प्रदेश ने बताया कि राजनैतिक दलों ने हर जगह जाति का नाम देकर हर मामले को राजनैतिक करने का प्रयास किया है । परंतु आज समय आ गया है कि जो स्थिति जैसी है, वैसा ही सत्य रूप दुनिया के सामने लाया जाए । जब भी, जहां भी जनसांख्यिकी बदली है, वहां कश्मीर बना है । अब उत्तर प्रदेश की भी स्थिति वैसी ही होना शुरु हो गई है । कैराना में जो हुआ, वही आज उत्तर प्रदेश के बाकी क्षेत्रों में भी होने लगा है । अब मात्र 10 वर्ष में या तो भारत हिन्दू राष्ट्र होगा , या हिन्दू विहीन राष्ट्र !

आपको बता दें कि 14 सितंबर, 1989 को बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष टिक्कू लाल टपलू की हत्या से कश्मीर में शुरू हुए आतंक का दौर समय के साथ और वीभत्स होता चला गया ।

टिक्कू की हत्या के महीने भर बाद ही जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मकबूल बट को मौत की सजा सुनाने वाले सेवानिवृत्त सत्र न्यायाधीश नीलकंठ गंजू की हत्या कर दी गई । फिर 13 फरवरी को श्रीनगर के टेलीविजन केंद्र के निदेशक लासा कौल की निर्मम हत्या के साथ ही आतंक अपने चरम पर पहुंच गया था । उस दौर के अधिकतर हिंदू नेताओं की हत्या कर दी गई । उसके बाद 300 से अधिक हिंदू-महिलाओं और पुरुषों की आतंकियों ने हत्या की ।

सुप्रीम कोर्ट में 27 साल पहले हुए पंडितों पर नरसंहार की जांच करने से इंकार कर दिया था ।  जिसमें 700 लोगों की मौत हुई थी । कोर्ट ने कहा कि इतने साल से आप कहां थे, अब 27 साल बाद इन मामलों में सबूत कैसे मिलेंगे ?  कुल मिला कर अब वो सभी हिन्दू कम से कम भारत के तंत्र से न्याय से सदा वंचित ही रहेंगे जबकि अदालत ने ही लगभग 30 साल पुराने मेरठ के हाशिमपुरा दंगो में मारे गए मुस्लिमों के केस में कई PAC के जवानों को सज़ा दी ।

उन कश्मीर पंडितों की हालात की कल्पना कीजिये जब उनके घरों में सामान बिखरा पड़ा था । गैस स्टोव पर देग़चियां और रसोई में बर्तन इधर-उधर फेंके हुए थे । घरों के दरवाज़े खुले थे । हर घर में ऐसा ही समान था । ऐसा लगता था कि कोई बहुत बड़ा भूकंप के कारण घर वाले अचानक अपने घरों से भाग खड़े हुए हों..कश्मीरी पंडित हिंसा, आतंकी हमले और हत्याओं के माहौल में जी रहे थे । सुरक्षाकर्मी थे लेकिन उन्हें किस ने मना किया था चुप रह कर सब देखते रहने के लिये ये आज तक रहस्य है...शुरू में उन्हें दर-दर की ठोकरें खानी पड़ीं । “जम्मू में पहले हम सस्ते होटल में रहे, छोटी-छोटी जगहों पर रहे । बाद में एक धर्मशाला में रहे.. इतना  ही नहीं, उनके पेट भीख माग कर भी  पले... ।

सरकार प्रयास करें कि वहाँ पुनः हिन्दू बसें और अन्य राज्यों में हिंदू कम हो रहे हैं। उसके लिए जनता ध्यान दें,  हिंदुओं को कम से कम 4 बच्चें पैदा करना चाहिए।

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Sunday, January 17, 2021

फिल्मों का प्रभाव : ‘आश्रम’ वेब सीरीज देखकर जंगल में की युवती की हत्या

17 जनवरी 2021


जो लोग कहते हैं कि फिल्मों का हमारे वास्तविक जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता है और उन्हें कला के नाम पर जो आवश्यक लगे वो दिखाने की आजादी दी जानी चाहिए इस प्रकार का ज्ञान लिखने या सुनाने वाले लोग ऐसा करते समय इसके दूसरे पहलू से आँखें बंद कर लेना बेहतर समझते हैं। लेकिन ओरमाँझी में जो वीभत्स घटना घटी है, वह इस दावे पर मोहर लगाती है कि समय के साथ भारतीय सिनेमा का जो स्वरुप बदला है, उसने समाज पर अपना पूरा प्रभाव छोड़ा है।




झारखंड की राजधानी राँची स्थित ओरमाँझी से कुछ ही दिन पहले एक युवती की सिर कटी लाश बरामद हुई थी। इस युवती के हत्यारे आरोपित शेख बेलाल ने कहा है कि उसे हाल ही में विवाद के कारण चर्चा में आई वेब सीरीज ‘आश्रम’ ने ऐसा करने की प्रेरणा दी और इसे देखकर ही उसने इस क्रूरता को अंजाम दिया।

रविवार (जनवरी 10, 2021) को जिराबार जंगल से एक युवती की सिर कटी हुई लाश मिली थी, जो नग्न अवस्था में थी। सिर न मिलने के कारण मृतका की पहचान नहीं हो सकी थी। पुलिस ने मामले में आरोपित बिलाल खान उर्फ शेख बेलाल की तलाश की और उसे दबोचने में कामयाब रही। लाश मिलने के बाद राँची के पुलिस अधीक्षक नौशाद आलम ने बताया था कि उन्हें निर्वस्त्र अवस्था में महिला की सिर कटी लाश मिली और युवती का कटा हुआ सिर उसके पहले पति बिलाल खान के खेत से बरामद किया। युवती का सिर बिलाल खान के खेत में दफ़नाया गया था, जिसे पुलिस अधिकारियों ने खोद कर निकलवाया।

इस हत्या की जाँच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने हत्या के तरीके से कयास लगाए हैं कि फ़िल्मी तरीके से बिलाल ने हत्‍या के बाद युवती की लाश की पहचान ना हो सके, इसलिए उसका धड़ और सिर अलग-अलग जगहों पर दो किलोमीटर दूर फेंक दिए। पुलिस का कहना है कि ‘आश्रम’ वेब सीरीज के पहले भाग की थीम की तरह ही इस हत्या को भी अंजाम दिया गया और जंगल में हत्या कर लाश को ठिकाने लगाया गया। पुलिस ने कहा कि पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में ये बात सामने आई कि पहले युवती की गला दबाकर हत्या की गई, उसके बाद सिर और चेहरे पर 15 बार वार किए गए।

उल्लेखनीय है कि निर्देशक प्रकाश झा और अभिनेता बॉबी देओल की ‘आश्रम’ वेब सीरीज की कहानी ड्रग्स, बलात्कार, नरसंहार और राजनीति से सम्बंधित है और फिल्म में ‘बाबा’ को सनातन धर्म का बाबा दिखाकर हिंदुत्व को बदनाम करने का जमकर प्रयास किया गया।

‘आश्रम’ के रिलीज होने के साथ ही इसकी पटकथा और हिन्दूघृणा चर्चा का विषय रही। इसमें कई ऐसे तथाकथित दृश्य भी डाले गए जो सनातन धर्म से जुड़ी धार्मिक भावनाओं को चोट पहुँचाते हैं।

भारतीय संस्कृति तोड़ने का कार्य व युवा पीढ़ी को बर्बाद करने का सबसे अधिक कार्य फिल्मों ने किया है, फिल्मों में अश्लीलता, नशा करना, हत्या करना, रेप करना, चोरी करना आदि आदि अनेक प्रकार की गंदगी परोसी जा रही है जिसके कारण देश का भविष्य बच्चे व युवा-युवतियां बर्बाद हो रहे है, और आजकल तो हिंदी विरोधी फिल्में, वेब सीरीज आदि बनाकर हिंदू धर्म को नष्ट करने का षड्यंत्र रचा जा रहा है।

हिंदू धर्म के कारण ही आज मानवता टिकी है, फिर भी झूठी कहानियां बनाकर हिंदू धर्म को बदनाम किया जाता है, जबकि मजहब-पंथ आदि दूसरे धर्मों में अनेक बुराइयां है जिसको नही दिखाया जाता है यह एक बड़ी साजिक है भारत की जनता को जागरूक होने की आवश्यकता हैं।

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