Thursday, September 7, 2023

विश्व के अनेक देशों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है जन्माष्टमी महापर्व......

07 September 2023 


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🚩भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक जन्माष्टमी, सिर्फ भारत में ही नहीं दुनियाभर में मनाई जाती है। नटखट कन्हैया की लीलाओं के चर्चे सिर्फ भारत ही नहीं कई देशों में फैली हुई हैं। विश्व के कई देशों हिंदुओं के इस प्रमुख त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है। साथ ही कई जगह तो माखनचोर कान्हा के भव्य मंदिर भी मौजूद हैं।


🚩जन्माष्टमी पर्व को भगवान श्रीकृष्ण के अवतार के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व पूर्ण आस्था एवं श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। जन्माष्टमी को भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी पूरी आस्था व उल्लास से मनाते हैं।


🚩भारत समेत विश्व के कई देशों में कृष्ण भक्त भगवान श्री कृष्ण का जन्मदिन मनाते हैं। हालांकि आपको बता दें कि एक ऐसा भी मुस्लिम बहुल देश है,जहां जन्माष्टमी के दिन देश में अधिकारिक छुट्टी होती है। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में जन्माष्टमी के दिन नेशनल हॉलीडे होता है। कृष्ण जन्माष्टमी के दिन पुराने ढाका शहर के ढाकेश्वरी मंदिर में जन्माष्टमी बड़े धूम धाम से मनायी जाती है।


🚩ढाका में इस उत्सव की शुरुआत साल 1902 में हुई थी, लेकिन 1948 में ढाका पाकिस्तान का हिस्सा बनने के बाद इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया। हालांकि जब बांग्लादेश पाकिस्तान से आजाद हुआ तो साल 1989 से एक बार फिर यह उत्सव मनाया जाने लगा।


🚩कैरेबियाई देशों में भी रहती है धूम । भारत के बाद जन्माष्टमी का सबसे बड़ा उत्सव कैरेबियाई राष्ट्रों में होता है। कैरेबियाई देश गुयाना, त्रिनानद एंड टोबागो, जमैका और सुरीनाम में जन्माष्टमी का बड़े पैमाने पर जश्न होता है।


🚩नेपाल:

नेपाल में जन्माष्टमी भारत की तरह ही मनाई जाती है। यहां काफी संख्या में लोग इसे मनाते हैं। 


🚩अमेरिका 

अमेरिका में भी जन्माष्टमी विशेष रूप में मनाई जाती है। यहां पर बीसवीं सदी के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक श्रील भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने कृष्ण भक्ति का अनोखा माहौल बनाया था जो आज भी यहां पर देखने को मिलता है। अमेरिका में जन्माष्टमी के दिन सुबह से ही यहां पर कुछ खास मंदिरों में लोगों की भीड़ी होने लगती है। यहां पर यूरेपियन व एशियन लोग रंग बिरंगे कपड़ो को पहनकर जन्माष्टमी पर होने वाले कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। भारत की तरह ही यहां भी आधी रात में जन्मोत्सव मनाया जता है और प्रसाद आदि वितरित होता है। प्रसाद में दूध से बने प्रोडक्ट बांटे जाते हैं।


🚩कनाडा:

कनाडा के टोरंटो में भी जन्माष्टमी पर काफी जोश दिखाई देता है। कनाडा में काफी संख्या में भारतीय लोग रहते हैं। जिससे यहां पर भी पूरे रीतिरिवाज के साथ यह त्योहार मनाया जाता है। लोग एक जगह पर इकट्ठा होते हैं। राधा कृष्ण के मंदिरों में लोग श्लोक आदि बोलकर पूजा करते हैं। इसके अलावा यहां पर मंदिरों में रातभर भक्ति से भरे कार्यक्रम आदि होते हैं। जिनमें डांस म्यूजिक आदि का बोलबाला होता है। इसके अलावा लोग घरों में भी इसका कृष्ण जन्म मनाया जाता है। इसके अलावा यहां पर आधी रात में प्रसाद वितरित किया जाता है।


🚩मलेशिया: 

मलेशिया में भी जन्माष्टमी का खास प्रभाव है। यहां पर मुस्लिम कम्यूनिटी होने के बाद भी इसका बड़ा महत्व है। यहां पर लगभग 2 करोड़ दक्षिण भारतीय लोग रहते हैं। जिससे यहां पर कृष्ण भक्ति का विंहगम दृश्य देखने को मिलता है। यहां पर इस त्योहार की चमक कई दिनों तक देखने को मिलती है। रात के समय जन्म मनाने के साथ आरती भजन आदि होते हैं। मंदिर में मौजूद भक्तों को प्रसाद आदि वितरित किया जाता है। प्रसाद में फल, मिठाई के साथ और भी कई स्पेशल चीजे वितरित की जाती हैं।


🚩 सिंगापुर:

जन्माष्टमी का असर सिंगापुर में भी दिखाई देता है। हालांकि यहां भी कई विभिन्न समुदाय और संस्कृति के लोग रहते हैं, लेकिन बावजूद इसके जन्माष्टमी का असर काफी शानदार है। यहां पर मनाए जाने वाले इस त्योहार में भारत की एक विशाल तस्वीर दिखाई है। यहां पर कृ्ष्णा जन्माष्टमी पर झांकी आदि सजाई जाती है। इसके अलावा यहां के मंदिरों में भव्य तरीके से कृष्ण जन्म मनाया जाता है। जन्म के समय मंत्र आदि जपे जाते हैं। इसके बाद आरती और जयकारे लगाए जाते हैं। यहां पर भारत की तरह ही त्योहार का समापन होता है। इस दौरान कई प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती है।


🚩पैरिस


 🚩जन्माष्टमी के दिन इस शहर में स्थित राधा पैरिसीसवारा मंदिर में खूब धूमधाम से भगवान श्रीकृष्ण का जन्मदिन मनाया जाता है। यहां व्रत किए हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते लोग आपको दिख जाएंगे।


🚩न्यूज़ीलैंड 

न्यूज़ीलैंड ऑस्ट्रेलिया के पास स्थित देश है. 'सिटी ऑफ सेल्स' के नाम से मशहूर न्यूज़ीलैंड के शहर ऑकलैंड में भगवान श्रीकृष्ण और राधा का लोकप्रिय मंदिर स्थित है। जन्माष्टमी के दिन इसकी खूबसूरती देखते बनती है। इस दिन मध्यरात्रि में, मंदिर रोशनी, प्रार्थना और भक्ति संगीत के साथ उत्सव में रमा हुआ रहता है। न्यूजीलैंड में रहने वाले सबसे अधिक भारतीय ऑकलैंड शहर में ही रहते हैं।


🚩ऑस्ट्रेलिया में भी धूम-धाम से जन्माष्टमी पर्व मनाया जाता है ।


🚩निर्गुण, निराकार, माया को वश करने वाले, जीवमात्र के परम सुहृद प्रकट हुए, वह पावन दिन ‘जन्माष्टमी है ।


🚩भगवान श्री कृष्ण का साधु पुरुषों का उद्धार तथा दुष्कृत करनेवालों का विनाश करने के लिए अवतार होता है । तमाम परेशानियों के बीच रहकर भी श्रीकृष्ण जैसी मधुरता और चित्त की समता को बनाये रखने का संदेश जन्माष्टमी देती है ।


🚩श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव तब पूर्ण माना जायेगा जब हम उनके सिद्धांतों को जीवन में उतारेगें ।


🚩आज संकल्प करें कि ‘गीता के संदेश आत्मज्ञान के अमृत को हम जीवन मे लायेंगे और विश्व में भी इस का प्रचार करेंगे ।


🚩जन्माष्टमी का व्रत करने से 1000 एकादशी व्रत करने का फल मिलता है और 100 जन्मों के पाप नष्ट हो जाते है ।


🚩जन्माष्टमी की रात्रि को भगवान नाम के जप करने से मंत्र सिद्धि मिलती है।


🚩जप,तप,उपवास और भगवान के नाम का जप ,कीर्तन करके ऐसे पावन पर्व का लाभ सभी को लेना चाहिए। जय श्रीकृष्ण


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पृथ्वी पर अष्टमी को ही श्रीकृष्ण क्यों आए ? जन्माष्टमी व्रत से कितने फायदे होते है ? जानिए....

 06 September 2023

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🚩जब समाज में अव्यवस्था फैलने लगती है, सज्जन लोग पेट भरने में भी कठिनाइयों का सामना करते हैं और दुष्ट लोग शराब-कबाब उड़ाते हैं, कंस, चाणूर, मुष्टिक जैसे दुष्ट बढ़ जाते है और निर्दोष गोप-बाल जैसे लोग अधिक सताए जाते हैं, तब उन सताए जाने व शक्ति और भावना शक्ति उत्कट होती है और सताने वालों के दुष्कर्मों का फल देने के लिए भगवान का अवतार होता है ।

🚩जब-जब पृथ्वी पर पापियों का बोझ बढ़ जाता है, तब-तब पृथ्वी अपना बोझ उतारने के लिए भगवान की शरण में जाती है । कंस आदि दुष्टों के पापकर्म बढ़ जाने पर भी, पापकर्मों के भार से बोझिल पृथ्वी देवताओं के साथ भगवान के पास गई और उसने श्रीहरि से प्रार्थना की, तब भगवान ने कहाः “हे देवताओं ! पृथ्वी के साथ तुम भी आये हो, धरती के भार को हल्का करने की तुम्हारी भी इच्छा है, अतः जाओ, तुम भी वृन्दावन में जाकर गोप-ग्वालों के रूप में अवतरित हो मेरी लीला में सहयोगी बनो । मैं भी समय पाकर वसुदेव-देवकी के यहाँ अवतार लूँगा।”


🚩जन्माष्टमी व्रत से लाभ:-

जन्माष्टमी का व्रत ( 7 सितंबर) को करने से 1000 एकादशी व्रत करने का पुण्य प्राप्त होता है और उसके रोग, शोक, दूर हो जाते हैं।” धर्मराज सावित्री देवी को कहते हैं किः “जन्माष्टमी का व्रत सौ जन्मों के पापों से मुक्ति दिलाने वाला है ।” (ब्रह्मवैवर्त पुराण)

🚩अकाल मृत्यु व गर्भपात से करे रक्षा:-

ʹभविष्य पुराणʹ में लिखा है कि ʹजन्माष्टमी का व्रत अकाल मृत्यु नहीं होने देता है । जो जन्माष्टमी का व्रत करते हैं, उनके घर में गर्भपात नहीं होता । बच्चा ठीक से पेट में रह सकता है और ठीक समय पर बालक का जन्म होता है।ʹ ( स्त्रोत : संत श्री आशारामजी आश्रम द्वारा साहित्य से )

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Wednesday, September 6, 2023

सांसद की मांग देश का नाम इंडिया हटावो भारत रखों....

 05 to  September 2023


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🚩हमारे देश का नाम ' भारत' चक्रवर्ती सम्राट महाराज भरत के नाम पर पड़ा है किन्तु क्या आप यह जानते हैं कि ये भरत कौन थे? निश्चय ही आपका उत्तर होगा 'दुष्यन्त-शकुन्तला के पुत्र', लेकिन यह असत्य है। 

 

🚩यह बात सही है कि दुष्यन्त-शकुन्तला के पुत्र का नाम भी भरत था किन्तु इन भरत के नाम पर इस देश का नाम भरत नहीं रखा गया। इस देश का नाम भारत जिन चक्रवर्ती सम्राट महाराज भरत के नाम पर रखा गया वे ऋषभदेव-जयन्ती के पुत्र थे। ये वही ऋषभदेव हैं जिन्होंने जैन धर्म की नींव रखी। ऋषभदेव महाराज नाभि व मेरूदेवी के पुत्र थे। महाराज नाभि और मेरूदेवी की कोई सन्तान नहीं थी। महाराज नाभि ने पुत्र की कामना से एक यज्ञ किया जिसके फ़लस्वरूप उन्हें ऋषभदेव पुत्र रूप में प्राप्त हुए। 

 

🚩ऋषभदेव का विवाह देवराज इन्द्र की कन्या जयन्ती से हुआ। ऋषभदेव व जयन्ती के सौ पुत्र हुए जिनमें सबसे बड़े पुत्र का नाम 'भरत' था। भरत चक्रवर्ती सम्राट हुए। इन्हीं चक्रवर्ती सम्राट महाराज भरत के नाम पर इस देश का नाम 'भारत' पड़ा। इससे पूर्व इस देश का नाम 'अजनाभवर्ष' या 'अजनाभखण्ड' था क्योंकि महाराज नाभि का एक नाम 'अजनाभ' भी था। 


🚩अजनाभ वर्ष जम्बूद्वीप में स्थित था, जिसके स्वामी महाराज आग्नीध्र थे। आग्नीध्र स्वायम्भुव मनु के पुत्र प्रियव्रत के ज्येष्ठ पुत्र थे। प्रियवत समस्त भू-लोक के स्वामी थे। उनका विवाह प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्री बर्हिष्मती से हुआ था। महाराज प्रियव्रत के दस पुत्र व एक कन्या थी। महाराज प्रियव्रत ने अपने सात पुत्रों को सप्त द्वीपों का स्वामी बनाया था, शेष तीन पुत्र बाल-ब्रह्मचारी थे। इनमें आग्नीध्र को जम्बूद्वीप का स्वामी बनाया गया था। श्रीमदभागवत (५/७/३) में कहा है कि-

'अजनाभं नामैतदवर्षभारतमिति यत आरभ्य व्यपदिशन्ति।'  

 

🚩इस बात के पर्याप्त प्रमाण हमें शिलालेख एवं अन्य धर्मंग्रन्थों में भी मिलते हैं। इसका उल्लेख अग्निपुराण, मार्कण्डेय पुराण व भक्तमाल आदि ग्रन्थों में भी मिलता है। अत: दुष्यन्त-शकुन्तला के पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम 'भारत' होना केवल एक जनश्रुति है सत्य नहीं।


🚩सांसद की मांग इंडिया नही भारत रखिए


🚩राज्यसभा सांसद नरेश बंसल ने माँग की है कि देश का नाम सिर्फ ‘भारत’ रखा जाए और ‘इंडिया’ को हटा दिया जाए। उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद-1 को संशोधित कर के इस पुण्य पावन धरा का नाम केवल ‘भारत’ रखा जाना चाहिए। 


🚩उन्होंने याद दिलाया कि विगत स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद कहा था कि देश को दासता के चिह्नों से मुक्ति दिलाए जाने की आवश्यकता है। बता दें कि प्रधानमंत्री ने ‘5 प्रण’ की बात की थी, जिसमें गुलामी की मानसिकता से देश को मुक्ति दिलाने की बात कही गई थी। नरेश बंसल ने कहा कि औपनिवेशिक सोच से मुक्ति दिलाने की ज़रूरत है और परंपरागत भारतीय मूल्यों और सोच को लागू करने की आवश्यकता है।


🚩नरेश बंसल ने कहा, “आज़ादी के अमृत महोत्सव से देश को एक नई ऊर्जा और प्रेरणा मिली है। गुजरे हुए कल को हम पीछे छोड़ रहे हैं और आने वाले भविष्य में रंग भर रहे हैं। अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे कई कानूनों को बदला गया है। भारतीय बजट की तारीख़ भी बदली गई है, जो अब तक अंग्रेजी नियमों का अनुसरण कर रहा था। नई शिक्षा नीति के तहत युवाओं को विदेशी भाषा से आज़ाद किया जा रहा है। इंडिया गेट पर जॉर्ज पंचम की मूर्ति हटा कर नेताजी बोस की लगाई गई।”


🚩नरेश बंसल ने कहा कि अंग्रेजों ने 250 वर्षों तक भारत पर राज़ किया और देश का नाम बदल कर ‘इंडिया’ रख दिया। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों के कारण राष्ट्र को स्वतंत्रता मिली, और 1950 में भारत का संविधान लिखा तब, तब भी इसे ‘इंडिया दैट इज भारत’ कहा गया। उन्होंने कहा कि अब इसे हटा कर ‘भारत’ करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि महाराज भरत ने संपूर्ण देश को विस्तार किया और उनके नाम पस ये देश भारत कहलाया।


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Monday, September 4, 2023

शिक्षक दिवस पर विशेष : चाणक्य नीति से जानिए शिक्षक की कितनी महत्वपूर्ण भूमिका है ?

 04 September 2023

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🚩हर वर्ष हम 5 सितंबर को शिक्षक दिवस तो मना लेते हैं,पर शिक्षक का हमारे जीवन और राष्ट्र के लिए कितना महत्व है, ये नही जानते हैं। हर व्यक्ति के जीवन के निर्माण के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका अगर किसी की है, तो वे शिक्षक की है, अगर शिक्षक सही शिक्षा विद्यार्थी को दे, तो वो महानता को छू लेगा और राष्ट्र व संस्कृति के प्रति जागरूक रहेगा, अगर उसको शिक्षक ने सही शिक्षा नही दी तो वो अपने जीवनकाल में हताश निराश रहेगा और कोई महत्वपूर्ण कार्य नही कर सकेगा और राष्ट्र व अपनी संस्कृति के विरुद्ध भी जा सकता है।


🚩आइए चाणक्य नीति से जानते है क्या कहते थे, वे शिक्षकों के लिए…


🚩आचार्य चाणक्य ने बताया कि शिक्षक गौरव घोषित तब होगा, जब ये राष्ट्र गौरवशाली होगा और ये राष्ट्र गौरवशाली तब होगा जब ये राष्ट्र अपने जीवन मूल्यों एवं परम्पराओं का निर्वाह करने में सफल एवं सक्षम होगा और ये राष्ट्र सफल एवं सक्षम तब होगा, जब शिक्षक अपने उतरदायित्व का निर्वाह करने में सफल होगा और शिक्षक सफल तब कहा जाएगा, जब वह राष्ट्र के प्रत्येक व्यक्ति में राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण करने में सफल हो। यदि व्यक्ति राष्ट्र भाव से शून्य है, राष्ट्र भाव से हिन है, अपनी राष्ट्रीयता के प्रति सजग नही है, तो ये शिक्षक की असफलता है।

और हमारा अनुभव साक्षी है, की राष्ट्रीय चरित्र के अभाव में हमने अपने राष्ट्र को अपमानित होते देखा है। हमारा अनुभव है की शस्त्र से पहले हम शास्त्र के अभाव से पराजित हुए है। हम शस्त्र और शास्त्र धारण करने वालो को राष्ट्रीयता का बोध नही करा पाए और व्यक्ति से पहले खंड खंड हमारी राष्ट्रीयता हुई। शिक्षक इस राष्ट्र की राष्ट्रीयता व सामर्थ्य को जाग्रत करने में असफल रहा। यदि शिक्षक पराजय स्वीकार कर ले तो पराजय का वो भाव राष्ट्र के लिए घातक होगा।


🚩अत: वेद वन्दना के साथ साथ राष्ट्र वन्दना का स्वर भी दिशाओं में गूंजना आवश्यक है। आवश्यक है, व्यक्ति एवं व्यवस्था को ये आभास कराना की यदि व्यक्ति की राष्ट्र की उपासना में आस्था नहीं रही तो , तो उपासना के अन्य मार्ग भी संघर्ष मुक्त नहीं रह पायेंगे। अत: व्यक्ति से व्यक्ति, व्यक्ति से समाज, व समाज से राष्ट्र का एकीकरण आवश्यक है।


🚩अत: शीघ्र ही व्यक्ति समाज एवं राष्ट्र को एक सूत्र में बांधना होगा और वह सूत्र राष्ट्रीयता ही हो सकती है। शिक्षक इस चुनोती को स्वीकार करे व शीघ्र ही राष्ट्र का नव निर्माण करने के लिए सिद्ध हो। संभव है की आपके मार्ग में बाधाएं आयेगी , पर शिक्षक को उन पर विजय पानी होगी और आवश्यकता पड़े तो शिक्षक शस्त्र उठाने में भी पीछे ना हटे।


🚩मैं स्वीकार करता हु की शिक्षक का सामर्थ्य शास्त्र है, और यदि मार्ग में शस्त्र बाधक हो और राष्ट्र मार्ग के कंटक सिर्फ शस्त्र की ही भाषा समझते हो तो शिक्षक उन्हें अपने सामर्थ्य का परिचय अवश्य दे,अन्यथा सामर्थ्यहीन शिक्षक अपने शास्त्रों की भी रक्षा नही कर पायेगा। संभव है की इस राष्ट्र को एक सूत्र में बाँधने के लिए शिक्षक को सत्ताओ से भी लड़ना पड़े, पर स्मरण रहे की सत्ताओ से राष्ट्र महत्वपूर्ण है। राजनैतिक सत्ताओ के हितो से राष्ट्रीय हित महत्वपूर्ण है। अत: राष्ट्र की वेदी पर सत्ताओ की आहुति देनी पड़े तो भी शिक्षक संकोच न करे। इतिहास साक्षी है की सत्ता व स्वार्थ की राजनीति ने इस राष्ट्र का अहित किया है। हमे अब सिर्फ इस राष्ट्र का विचार करना है। यदि शासन सहयोग दे तो ठीक अन्यथा शिक्षक अपने पूर्वजो के पुण्य व कीर्ति का स्मरण कर अपने उतरदायित्व का निर्वाह करने में सिद्ध हो विजय निश्चित है। सप्त सिंधु की संस्कृति की विजय निश्चित है। विजय निश्चित है, इस राष्ट्र के जीवन मूल्यों की । विजय निश्चित है, इस राष्ट्र की, आवश्यकता मात्र आवाहन की है। – आचार्य चाणक्य


🚩हमारी प्राचीन गुरुकुल शिक्षा-प्रणाली के साथ आधुनिक शिक्षा-प्रणाली की तुलना करेंगे, तो दोनों के बीच बहुत बड़ी खाई दिखाई पड़ेगी। गुरुकुल में प्रत्येक विद्यार्थी नैतिक शिक्षा प्राप्त करता था। प्राचीन संस्कृति का यह महत्त्वपूर्ण अंग था। प्रत्येक विद्यार्थी में विनम्रता, आत्मसंयम, आज्ञा-पालन, सेवा और त्याग-भावना, सद्व्यवहार, सज्जनता, शिष्टता तथा अंततः बल्कि अत्यंत प्रमुख रूप से आत्मज्ञान की जिज्ञासा रहती थी। आधुनिक प्रणाली में शिक्षा का नैतिक पक्ष सम्पूर्णतः भुला दिया गया है।


🚩शिक्षकों का कर्तव्य-


🚩विद्यार्थियों को सदाचार के मार्ग में प्रशिक्षित करने और उनका चरित्र सही ढंग से मोड़ने में स्कूल तथा कॉलेजों के शिक्षकों और प्रोफेसरों पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आती है। उनको स्वयं पूर्ण सदाचारी और पवित्र होना चाहिए। उनमें पूर्णता होनी चाहिए। अन्यथा वैसा ही होगा जैसा एक अंधा दूसरे अंधे को रास्ता दिखाये। शिक्षक-वृत्ति अपनाने से पहले प्रत्येक शिक्षक को शिक्षा के प्रति अपनी स्थिति की पूरी जिम्मेदारी जान लेनी चाहिए। केवल शुष्क विषयों को लेकर व्याख्यान देने की कला सीखने से ही काम नहीं चलेगा,यह प्राध्यापक की पूरी योग्यता नहीं है।


🚩संसार का भावी भाग्य पूर्णतया शिक्षकों और विद्यार्थियों पर निर्भर है । यदि शिक्षक अपने विद्यार्थियों को ठीक ढंग से सही दिशा में, धार्मिक वृत्ति में शिक्षा दें तो संसार में अच्छे नागरिक, योगी और जीवन्मुक्त भर जायेंगे, जो सर्वत्र प्रकाश, शांति, सुख और आनंद बिखेर देंगे।


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Sunday, September 3, 2023

कन्हैयालाल हत्याकांड में जिसके घर मिली तलवार, उस फरहाद को कोर्ट से मिली जमानत

03 September 2023


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🚩NIA स्पेशल कोर्ट ने उदयपुर के कन्हैयालाल हत्याकांड में आरोपित फरहाद मोहम्मद को जमानत दे दी है। 24 अगस्त 2023 को फरहाद की जमानत अर्जी पर बहस हुई थी। इस पर शुक्रवार (1 सितम्बर) को फैसला आया। आरोप था कि फरहाद के पारिवारिक मकान से तलवार बरामद की गई थी। 


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फरहाद की जमानत की सुनवाई न्यायाधीश रविंद्र कुमार की अदालत में हुई। कन्हैयालाल हत्याकांड में NIA ने फरहाद को आर्म्स एक्ट 4/25 का आरोपित बनाया था। आरोपित की तरफ से बहस एडवोकेट अखिल चौधरी ने की।


 🚩NIA के वकील टीपी शर्मा ने कोर्ट से फरहाद को आदतन अपराधी बताया और उस पर पहले से ही 3 केस दर्ज होने की जानकारी भी दी । सरकारी वकील के मुताबिक फरहाद ने नूपुर शर्मा के खिलाफ हुए एक प्रदर्शन के दौरान सिर तन से जुदा के नारे भी लगाए थे। 


🚩गौरतलब है कि 28 जून 2022 को कन्हैयालाल की मोहम्मद रियाज अत्तारी और गौस मोहम्मद ने निर्मम तरीके से गला काटकर हत्या कर दी थी। कत्ल की वजह कन्हैयालाल के बेटे द्वारा सोशल मीडिया पर नूपुर शर्मा का सपोर्ट करना बताया गया था।


🚩फरहाद को जमानत देने पर चक्रपाणी महाराज ने बताया कि

आसाराम बापू जैसे हिंदू संत को 10 वर्षों से जमानत नहीं और कन्हैया कुमार के हत्यारे आतंकी जिहादी को 1 वर्ष में ही जमानत,अत्यंत निंदनीय,दो विधान,संतो को जेल,आतंकी को बेल स्वीकार नहीं, सरकारें वोट के लिए जिहादियों की तुष्टिकरण बंद करें,अन्यथा चुनाव में परिणाम भुगतने को तैयार रहे..।

https://twitter.com/SwamyChakrapani/status/1697854996895977937?t=tpImvKQUPZqa8C2F0qIWsA&s=19


🚩एक तरफ लालू यादव जो जातिवाद की राजनीति कर बिहार में आग लगाई खुल्ला घूम रहा है वही संत आशाराम बापू जो राष्ट्र विरोधियों के खिलाफ आवाज उठाते थे, इसलिए उनको जेल भेज दिया गया।


🚩क्या सरकार और न्यायलय जनता की आवाज सुनकर निर्दोष संत को रिहा करेगी?


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पाकिस्तान में 20 चर्च जले:कर्ता-धर्ता चुप !!

 पाकिस्तान में 20 चर्च जलाए गए...

पर चर्च के कर्ता-धर्ता चुप हैं, ऐसा क्यों !?


02 September  2023


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🚩लगभग 10 दिन पहले पाकिस्तान में कई चर्च (अनुमानित 20) जला दिए गए। ईसाइयों के लगभग 86 घर जला दिए गए। इस पर विश्व के मानवाधिकार संगठनों में लगभग चुप्पी है। भारत में चर्च की खिड़की का कांच भी टूट जाए तो प्रधानमंत्री तक शोर पहुंचता है।

अब पता नहीं क्यों भारत से लेकर वेटिकन तक के सभी चर्च पाक में घटित इस घटना पर लगभग चुप हैं? इनकी सहायता के लिए न तो कोई मदर टेरेसा है और न ही पाल दिनाकरन।


🚩क्या हुआ था...?

भारत विभाजन के समय बड़ी संख्या मे दलित हिंदूओ को पाकिस्तान मे ही रोक लिया गया। उनको भारत ना आने देने का कारण नाले/ गटर/ शौचालय की सफाई करवाना व सिर पर मैला ढोने का काम करवाना आदि था । इन्हे मुस्लिम नहीं बनाया गया , क्योंकि इस्लाम के मुताबिक़ ऐसी सफाई करना नापाक काम है और मुस्लिमो से सफाई कर्मचारी जैसा नापाक कार्य नहीं करवाया जा सकता। 

भारत की तत्कालीन नेहरू सरकार ने भी उनकी कोई सुध नहीं ली और ये दलित (हिन्दू) इस्लामिक रिपब्लिक पाकिस्तान की चक्की मे पिसते रहे...


🚩भारत के कश्मीर में भी सफाई कर्मचारी केवल गैर मुस्लिम ही होता था। 2019 तक इन्हें न कश्मीर की नागरिकता मिलती थी, न विधानसभा में वोट देने का हक, न आरक्षण और न ही अन्य कोई नौकरी। परन्तु भीम-मीम भाईचारे के चलते समूचे भारत के दलित नेता चुप थे। इसी भीम-मीम भाईचारे के चलते हरियाणा और मेवात में भी दलित पीड़ित हैं।  


🚩पाकिस्तान की संघीय जाँच एजेंसी की तफ़्तीश में पता ये चला था , कि कई मामलों में तो पाकिस्तान की इन ग़रीब ईसाई लड़कियों के अंग निकाल कर अंगों के अंतरराष्ट्रीय ब्लैक मार्केट में बेच दिया गया था।  जाँच में पता ये भी चला था, कि जिन लड़कियों को वेश्यावृत्ति के 'लायक़' नहीं समझा जाता था, उनके अंग निकाल कर बेच दिए जाते थे।


🚩ये है कम्युनिस्ट चीन और इस्लामिक रिपब्लिक पाकिस्तान की " गरीब इसाइयों " के प्रति हमदर्दी। तो इस बात पर ही पाकिस्तान में फूंक दिए गए चर्च और इसाइयों के घर...

बहरहाल अभी फिलहाल तो चर्च भी इस पर चुप हैं !!


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इतिहास: हिन्दुओं के साथ किया गया बड़ा धोखा !!

इतिहास में रक्षाबंधन के नाम पर हिन्दुओं के साथ किया गया बड़ा धोखा ! पूरा लेख अवश्य पढ़ें....



31 August 2023

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🚩बचपन से हमें पाठ्यक्रम में पढ़ाया जाता रहा है,कि रक्षाबंधन के त्योहार पर बहनें अपने भाई को राखी बांध कर उनकी लम्बी आयु की कामना करती हैं। रक्षाबंधन का सबसे प्रचलित उदाहरण चितौड़ की रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूँ का दिया जाता है। कहा जाता है, कि जब गुजरात के शासक बहादुर शाह ने चित्तौड़ पर हमला किया तब चित्तौड़ की रानी कर्णावती ने मुगल बादशाह हुमायूँ को पत्र लिख कर सहायता करने का निवेदन किया। पत्र के साथ रानी ने भाई समझ कर राखी भी भेजी थी। हुमायूँ रानी की रक्षा के लिए आया मगर तब तक देर हो चुकी थी। रानी ने जौहर कर आत्महत्या कर ली थी। इस इतिहास को हिन्दू-मुस्लिम एकता के तौर पर पढ़ाया जाता है।


🚩अब सेक्युलर घोटाला पढ़िए


🚩हमारे देश का इतिहास सेक्युलर इतिहासकारों ने लिखा है। भारत के पहले शिक्षा मंत्री मौलाना अब्दुल कलाम थे। जिन्हें साम्यवादी विचारधारा के नेहरू ने सख्त हिदायत देकर यह कहा था कि जो भी इतिहास पाठ्यक्रम में शामिल किया जाये उस इतिहास में यह न पढ़ाया जाये कि मुस्लिम हमलावरों ने हिन्दू मंदिरों को तोड़ा, हिन्दुओं को जबरन धर्मान्तरित किया, उनपर अनेक अत्याचार किये। मौलाना ने नेहरू की सलाह को मानते हुए न केवल सत्य इतिहास को छुपाया अपितु उसे विकृत भी कर दिया।


🚩रानी कर्णावती और मुगल बादशाह हुमायूँ के किस्से के साथ भी यही अत्याचार हुआ। जब रानी को पता चला कि बहादुर शाह उसपर हमला करने वाला है तो उसने हुमायूँ को पत्र तो लिखा। मगर हुमायूँ को पत्र लिखे जाने का बहादुर शाह को पता चल गया। बहादुर शाह ने हुमायूँ को पत्र लिखकर इस्लाम की दुहाई दी और एक काफिर की सहायता करने से रोका।

मिरात-ए-सिकंदरी में गुजरात विषय में पृष्ठ संख्या 382 पर लिखा मिलता है-


🚩सुल्तान के पत्र का हुमायूँ पर बुरा प्रभाव हुआ। वह आगरे से चित्तौड़ के लिए निकल गया था। अभी वह ग्वालियर ही पहुंचा था। उसे विचार आया, “सुल्तान चित्तौड़ पर हमला करने जा रहा है। अगर मैंने चित्तौड़ की मदद की तो मैं एक प्रकार से एक काफ़िर की मदद करूँगा। इस्लाम के अनुसार काफ़िर की मदद करना हराम है। इसलिए देरी करना सबसे सही रहेगा।” यह विचार कर हुमायूँ ग्वालियर में ही रुक गया और आगे नहीं सरका।


🚩इधर बहादुर शाह ने जब चित्तौड़ को घेर लिया। रानी ने पूरी वीरता से उसका सामना किया। हुमायूँ का कोई नामोनिशान नहीं था। अंत में जौहर करने का फैसला हुआ। किले के दरवाजे खोल दिए गए। केसरिया बाना पहनकर पुरुष युद्ध के लिए उतर गए। पीछे से राजपूत वीरांगनाएं जौहर की आग में कूद गईं। रानी कर्णावती 13000 स्त्रियों के साथ जौहर में कूद गईं। 3000 छोटे बच्चों को कुएँ और खाई में फेंक दिया गया ताकि वे मुसलमानों के हाथ न लगे। कुल मिलकर 32000 निर्दोष हिन्दुओं को अपने प्राणों से हाथ धोना पड़ा।


🚩बहादुर शाह किले में लूटपाट कर वापिस चला गया। हुमायूँ चित्तौड़ आया। मगर पूरे एक वर्ष के बाद आया। परन्तु किसलिए आया? अपने वार्षिक लगान को इकठ्ठा करने आया।

ध्यान दीजियेगा... यही हुमायूँ जब शेरशाह सूरी के डर से रेगिस्तान की धूल छानता फिर रहा था। तब उमरकोट सिंध के हिन्दू राजपूत राणा ने हुमायूँ को आश्रय दिया था। यहीं उमरकोट में अकबर का जन्म हुआ था। एक काफ़िर का आश्रय लेते हुमायूँ को कभी इस्लाम याद नहीं आया।


🚩और धिक्कार है ऐसे राणा पर... जिसने अपने हिन्दू राजपूत रियासत चित्तौड़ से दगा करने वाले हुमायूँ को आश्रय दिया। अगर हुमायूँ वहीं रेगिस्तानों में मर जाता , तो शायद भारत से मुग़ल साम्राज्य का अंत तभी हो गया होता ।

और ना ही आगे चलकर अकबर से लेकर औरंगज़ेब तक के अत्याचार हिन्दुओं को सहने पड़ते।


🚩यहां यह भी याद दिलाना जरूरी है , कि यह हुमायूँ उसी बाबर का बेटा , जिसने न जाने कितने हजारों मन्दिरों को विध्वंस करवाया । हिन्दुओ पर कहर बनकर बरसा और हिन्दू महिलाओं पर अत्याचार, बलात्कार किया/ करवाया । इसी बाबर ने अयोध्या जी स्थित भगवान श्री राम के जन्मभूमि को हड़प कर , मन्दिर को नष्ट कर वहां बाबरी मस्जिद खड़ी कर दी थी ।


🚩इरफ़ान हबीब, रोमिला थापर सरीखे इतिहासकारों ने इतिहास का केवल विकृतिकरण ही नहीं किया अपितु यह कहना ही उचित होगा कि , उसका पूरा बलात्कार ही कर दिया।


🚩हुमायूँ द्वारा इस्लाम के नाम पर की गई दगाबाजी को हिन्दू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का जामा पहनाने के लिए, रक्षाबंधन जैसे परम् पवित्र त्यौहार का नाम भी बड़ी कुटिलता से इस बनावटी कहानी में जोड़ दिया गया ।


🚩हमारे पाठ्यक्रम में बचपन से ही ऐसा सब कचरा पढ़ा-पढ़ा कर हिन्दू बच्चों को इतना भ्रमित किया गया , कि उन्हें कभी सत्य का ज्ञान ही न हुआ और अगर कोई सच्चाई सुनाए भी तो विश्वास ही न आए ।


🚩 विड़बना ही है कि आज हिन्दुओं के बच्चे दिल्ली में उसी धोखेबाज और अहसानफरामोश हुमायूँ के मकबरे के दर्शन करने जाते हैं। जहाँ पर गाईड भी उन्हें हुमायूँ को हिन्दू-मुस्लिम भाईचारे के प्रतीक के रूप में बताता हैं।


🚩इस लेख को आज रक्षाबंधन के दिन इतना फैलाएं, इतना फैलाएं कि देशभर में दीमक की तरह चिपके हुए और नासूर की तरह सड़न फैलाने वाले सेक्युलर घोटालेबाजों तक भी यह अवश्य अवश्य पहुंच जाए।

सत्य सनातनधर्म की जय हो !!

जय हिन्द ! जय भारत माता !!


           -डॉ. विवेक आर्य


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