26-Apr-2018
प्रसिद्ध कहावत - सुनने में ऐसा आता है कि भारत में कानून के ऊपर कोई नहीं है और इससे हम सहमत भी हैं वो भी तब जब हमारे देश की न्यायव्यवस्था किसी के दवाब में आकर फैसला देती है ताकि वो अपने प्रधान को रिझा सके ।
#बापू आसारामजी के #केस में ऐसा ही कुछ देखने को मिला है । इस केस में कोर्ट ने आसानी से सच्चाई और उन सभी #सबूतों को #अनदेखा कर दिया जो बयां कर रहे थे बापू आसारामजी की निर्दोषता को ।
समय-समय पर बचाव पक्ष के द्वारा कोर्ट में जो सबूत पेश किए गए, उन सभी सबूतों को एक साइड पर रखकर निर्णय दिया गया, पोक्सो एक्ट के तहत चल रहे इस केस में उन सभी सबूतों को अनदेखा किया गया जो ये सिद्ध कर रहे थे कि लड़की के अलग-अलग सर्टिफिकेट में #लड़की की #उम्र अलग अलग सिद्ध हो रही है । कहीं वो 19 साल की तो कहीं 20 साल की सिद्ध हो रही थी । उन सभी सबूतों को अनदेखा किया गया जो ये सिद्ध कर रहे थे कि लड़की बापू आसारामजी के कमरे में गई ही नहीं । उन मैसेज को भी आसानी से अनदेखा कर दिया गया जो तथाकथित घटना की रात लड़की और किसी संदिग्ध व्यक्ति के बीच हुए थे । जिसको बचाव पक्ष ने नोडल ऑफिसर के बयान व सबूतों सहित कोर्ट में पेश किया था । अनुसंधान अधिकारी द्वारा उन सभी तथ्यों को मिटाया गया जो बापू आसारामजी की निर्दोषता की हकीकत बयां कर रहे थे । जज ने उन सभी सबूतों को भी अनदेखा कर दिया गया जो चिल्ला-चिल्ला कर कह रहे थे कि FIR में रेप का जिक्र नही, FIR और FIR की कार्बन कॉपी अलग-अलग है । दिल्ली में रात 2:45 को कराई गई FIR की वीडियो रिकॉर्डिंग गायब कर दी गई, जोधपुर में हुई FIR में 13 जगह व्यवधान पाए गए जो ये सिद्ध करते हैं कि वीडियो रिकॉर्डिंग के साथ छेड़छाड़ की गई है । मेडिकल रिपोर्ट में एक खरोंच का भी निशान नहीं पाया गया । अगर किसी लड़की का डेढ़ घंटे तक यौन-शोषण या छेड़छाड़ हो तो क्या उसके शरीर पर एक खरोंच का भी निशान नहीं आएगा ? और सबसे बड़ी बात कि निर्णय के 15-20 दिन पहले लड़की के वकील ने 311 की एप्लीकेशन लगाई थी जिसमें उसका कहना था कि हम कुछ सिद्ध नहीं कर पा रहे हैं इसलिए हम लड़की को दोबारा बुलाने की अपील करते हैं । कुछ समय पहले तक अभियोजन पक्ष (लड़की का पक्ष) के पास कुछ भी सबूत नहीं थे बापू आसारामजी के खिलाफ फिर अचानक 15 दिन बाद निर्णय ने कैसे पलटी मारी ???
विचार कीजिये !!
पर भारत में सब भेड़चाल चलती है । मीडिया चाहे भगवान को शैतान बनाकर दिखा दें चाहे तो शैतान को भगवान बनाकर दिखा दें । पूरी दुनिया मीडिया की बातों में आकर बिना सोचे समझें टिप्पणियां करना चालू कर देती है पर पर्दे के पीछे की हकीकत तक तो समझदार ही पहुचते हैं ।
बापू आसारामजी का पूरा केस 210% छल और राजनीतिक रूप से प्रेरित रहा । #मिशनरियों, #राजनीतिक पार्टियों व #मीडिया के #निशाने पर सदा से रहे हैं बापू आसारामजी । #षड्यंत्र के रास्ते आसान किये आश्रम में विरुद्ध कार्यों के कारण निकाले गए भूतपूर्व आश्रमवासियों ने।
बापू आसारामजी के बारे में मीडिया में बहुत कुछ गलत दिखाया जाता रहा है और न जाने कैसे कैसे एक संत का मजाक बनाया गया और हिन्दू मूक दर्शक बनकर देखता रहा । किसी हिन्दू को बापू आसारामजी की और उनके अनुयायियों की समता नहीं दिखी । किसी ने ये देखने का प्रयास नहीं किया कि करोड़ों समर्थकों के दिल में वास करने वाले संत को सजा मिलने पर भी देश में वैसी ही शांति बनी हुई है । क्या ये बापू आसारामजी के दिये संस्कार नहीं हैं उनके अनुयायियों में ?
क्या किसी भी एक मीडिया ने कानूनी दस्तावेज देखें ? जो वो इतना गलत-गलत दिखा रही है । देशहित के मुद्दों को छोड़कर 24*7 घंटे किसी की छवि धूमिल करने में लगी मीडिया को वैश्या की उपाधि देना कुछ गलत नहीं होगा । जो किसी की भी ज़िंदगी से खेल सकती है चंद रुपयों और TRP के लिए।
जिन संत ने विश्वभर में धर्म की ध्वजा लहराई, देशहित समाजहित प्राणिमात्र के हित में जिस संत ने अपने जीवन के 55 साल दे दिए । चुपचाप जो अपने साथ हो रहे अन्याय को सहते चले जा रहे हैं उन बापू आसारामजी की छवि धूमिल करने में मीडिया ने कोई कसर नहीं छोड़ी ।
आखिर कबतक TRP की भूखी मीडिया की भूख मिटायेंगे भारतवासी ???
आखिर कब तक मूकदर्शक बनकर हिन्दू संतों के साथ हो रहे अन्याय को सहते रहेंगे भारतवासी ???
आखिर कबतक न्यायपालिका में फैले भ्रष्टाचार पर चुप्पी साधे रहेंगे भारतवासी ???
एक बात तो स्पष्ट हो गई कि अपने देश की न्यायपालिका में न्याय नहीं बोलता पैसा बोलता है ।
#25 अप्रैल 2018 #भारत के #इतिहास का वो #काला #दिन जिस दिन एक #निर्दोष #संत को ऐसे #अपराध की #सजा सुनाई गई जो उन्होंने किया ही नहीं । जिनके सत्संग सुनने मात्र से हजारों ने लाखों नहीं करोड़ों लोग संयम के रास्ते पर चले क्या वो किसी कन्या को उसके माता-पिता के साथ बुलाकर ऐसा घृण्डित कार्य कर सकते हैं ?
हमारी न्यायपालिका माल्या को देश से बाहर जाने देती है, नीरव मोदी की करतूत समाज के सामने आए उससे पहले ही बड़ी ही सफाई से देश के बाहर जाने देती है, अपने दोस्तों को बचाने के लिए न्यायाधीश लोया का कत्ल करवाया गया आदि ऐसे तो बहुत से प्रसंग आपको देखने सुनने को मिल जायेंगे जिससे न्यायतंत्र में फैल रहे भ्रष्टचार की बू आती है ।
न्यायालय पर दवाब डालकर एक 82 वर्षीय संत जिनकी प्रेरणा से पूरे विश्व के #करोड़ों #लोगों का #जीवन #उन्नति की ओर अग्रसर हुआ है ऐसे संत को #आजीवन #कारावास दिया गया इस पर हिन्दू का मूक दर्शक बनकर बैठना #भारत के #भविष्य के लिए #खतरे का #संकेत है ।
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