26 जुलाई 2019
🚩हिंदु संत आशाराम बापू ने देश को मजबूत व हिंदू धर्म की रक्षा के लिए बनाने के लिए बच्चों को बचपन से ही दिव्य संस्कार देने के लिए देशभर में अनेक वैदिक गरुकुल खोले, जिससे जो बच्चे कॉन्वेंट स्कूल में पढ़कर जो बच्चें हिंदू धर्म व देश को भूल रहे थे और उनके गुरुकुल में शिक्षा के साथ आध्यात्मिक व धर्म की शिक्षा पा रहे थे वो राष्ट्रविरोधी ताकते व मिशनरियों को रास नही आया जिसके कारण उनके खिलाफ षडयंत्र शुरू हुआ।
🚩2008 में हिंदू संत आसाराम बापू के खिलाफ षडयंत्र शुरू हुआ, उनके अहमदाबाद गरुकुल में पढ़ने वाले दो बच्चों की मौत हो गई और बच्चों की लाश उनके आश्रम के पीछे से मिली और मीडिया इतना शोर मचाने की तांत्रिक विधि से बच्चों की मौत कर दी गई, ऐसी ऐसी झूठी कहानियां बनाई गई कि जनता भी गुमराह हो गई और उनको भला-बुरा बोलने लगी, उनके आश्रम में पुलिस ही पुलिस दिखने लगी, किसी भी सेवक को उठाकर ले जाने लगी, कईयों को गिरफ्तार भी कर लिया पर उस समय ये सब सच लग रहा था क्योंकि एक षडयंत्र पूर्वक कार्य चल रहा था।
🚩पर जब सीआईडी क्राइम ब्रांच और सुप्रीम कोर्ट ने क्लीन चिट दे दी तो कोई खबर नही दिखाई यहां तक कि क्राइम ब्रांच ने अखबार में छपवाया था की बापू आसारामजी के आश्रम में कोई भी गलत कार्य या तांत्रिक विधि होती है तो हमे बता सकते है उनका नाम गोपनीय रखा जायेगा और उनको ईमान दिया जाएगा फिर भी आजतक उनके सामने ऐसा कोई आया नही ओर उनको क्लीनचिट दे दी गई।
🚩जानें, क्या है मामला
हिंदू संत आशारामजी बापू आश्रम में पढ़ाई कर रहे दीपेश-अभिषेक वाघेला तीन जुलाई, 2008 को आश्रम से लापता हो गए थे। पांच जुलाई को उनके क्षत-विक्षत शव साबरमती नदी के पट में पड़े मिले थे। उनके पिता शांति वाघेला व प्रफुल्ल वाघेला ने आसारामजी बापू पर आश्रम में तांत्रिक विधि करने का आरोप लगाते हुए बच्चों की हत्या का आरोप लगाया था। सीआइडी क्राइम को इस मामले की जांच सौंपी गई थी।
🚩बच्चों की मौत के बाद अहमदाबाद के राणिप से लेकर साबरमती आसारामजी बापू आश्रम तक जोरदार विरोध-प्रदर्शन हुआ तथा पीड़ित परिवार अनशन पर बैठ गया था। निष्पक्ष जांच का भरोसा देते हुए गुजरात सरकार ने तब उनका अनशन समाप्त कराया था। सरकार ने जांच के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश डीके त्रिवेदी आयोग का गठन किया।
🚩आयोग ने जांच कर वर्ष 2013 में सरकार 179 पेज की रिपोर्ट सौंप दी, जिसे सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में पेश किया। ग्यारह साल बाद आई इस रिपोर्ट में बच्चों की मौत डूबने से होना बताया है तथा बच्चों पर तंत्र विधि तथा आश्रम में तांत्रिक क्रियाओं के कोई सबूत नहीं मिलना बताया है।
आयोग ने साफ बताया कि बच्चों के शरीर से अंग गायब होने के भी सबूत नहीं मिले हैं।
🚩आयोग ने जांच कर वर्ष 2013 में सरकार 179 पेज की रिपोर्ट सौंप दी, जिसे सरकार ने शुक्रवार को विधानसभा में पेश किया। ग्यारह साल बाद आई इस रिपोर्ट में बच्चों की मौत डूबने से होना बताया है तथा बच्चों पर तंत्र विधि तथा आश्रम में तांत्रिक क्रियाओं के कोई सबूत नहीं मिलना बताया है।
आयोग ने साफ बताया कि बच्चों के शरीर से अंग गायब होने के भी सबूत नहीं मिले हैं।
🚩न्यायमूर्ति त्रिवेदी जाँच आयोग में बयानों के दौरान संत श्री आसारामजी आश्रम पर झूठे, मनगढ़ंत आरोप लगानेवाले लोगों के झूठ का भी विशेष जाँच में पर्दाफाश हो गया है ।
🚩आपको बता दे कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने भी उनको पहले क्लीनचिट दे दी थी।
🚩गुजरात में इन दो बालकों के मामले को लेकर पिछले काफी समय से संत श्री आशारामजी आश्रम और आश्रम के साधकों के विरुद्ध एक सुनियोजित भ्रामक प्रचार चलाया जा रहा था, जिसकी आड़ में असामाजिक तत्त्व आश्रम की सत्प्रवृत्तियों व हिन्दू संत आसाराम बापू के सत्संग का द्वेषपूर्ण विरोध कर रहे थे । सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और डीके त्रिवेदी आयोग की रिपोर्ट के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि ये तत्त्व सिर्फ राजकीय हथकंडे बन के हिन्दू संत आशारामजी बापू जैसे संतों पर झूठे व मनगढ़ंत आरोप लगाकर सत्संग और सत्प्रवृत्तियों में बाधा उत्पन्न करने का घोर पाप कर रहे थे । किंतु कहते हैं न, कि
साँच को आँच नहीं और झूठ को पैर नहीं ।
🚩इसलिए झूठी बातों को लम्बे समय तक नहीं चलाया जा सकता । हिन्दू संत आसाराम बापू का इस मामले में उल्लेख तक नहीं आता, फिर भी जो उनका विरोध कर रहे हैं, उनके षड्यंत्र की यहाँ पोल खुल जाती है । बापू आसारामजी कहते है कि : ‘‘आश्रम के प्रति द्वेषबुद्धि रखनेवालों को भी भगवान सद्बुद्धि प्रदान करें, ऐसी ही प्रार्थना है ।’’
🚩सर्वोच्च न्यायालय व डीके त्रिवेदी के उपरोक्त निर्णय ने संत श्री आशारामजी आश्रम की पवित्रता पर लगाये गये आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है और उनके आश्रम के विरुद्ध कुप्रचार अभियान छेड़नेवालों के मुँह पर भी करारा तमाचा जड़ दिया है ।
🚩बिना किसी तथ्य व प्रमाण के आधार पर ऐसे विश्वप्रसिद्ध हिन्दू संत पर बेबुनियाद आरोप लगानेवाले व उसको तूल देकर समाज में अशांति फैलानेवाले प्रचार माध्यमों पर से भी लोगों का विश्वास उठ चुका है ।
🚩आजकल झूठे आरोप लगानेवालों की संख्या बढ़ रही है । झूठे आरोप लगानेवालों को यदि सरकार द्वारा दंडित नहीं किया जायेगा तो इनकी संख्या और बढ़ती जायेगी । आरोप झूठे सिद्ध होने तक जो निर्दोष लोगों की प्रतिष्ठा को हानि होती है तथा आर्थिक हानि भी होती है, उसके लिए जिम्मेदार हैं झूठे आरोप लगानेवाले; उनको कड़ी सजा अवश्य मिलनी चाहिए ।
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