Tuesday, October 31, 2023

करवा चौथ व्रत कब से शुरू हुआ , क्यों किया जाता है और व्रत विधि क्या है !? जानिए.......

1 November, 2023

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🚩यह तो लगभग सभी को पता है कि, कार्तिक माह के कृष्णपक्ष की चतुर्थी तिथि को सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस साल करवा चौथ का व्रत 1 नवंबर, 2023 , बुधवार को रखा जाएगा।


🚩करवा चौथ , संकष्टी चतुर्थी अर्थात्‌ भगवान गणेश की प्रसन्नता के निमित्त उपवास करने का दिन होता है। विवाहित महिलाएँ पति की दीर्घ आयु के लिए करवा चौथ का व्रत और इसकी रस्मों को पूरी निष्ठा से करती हैं।


🚩छान्दोग्य उपनिषद के अनुसार करवा चौथ के दिन व्रत रखने से सारे पाप नष्ट होते हैं और जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। इससे आयु में वृद्धि होती है और इस दिन गणेश तथा शिव-पार्वती और चंद्रमा की पूजा की जाती है।


🚩विवाहित महिलाएँ भगवान शिव, माता पार्वती और कार्तिकेय के साथ-साथ भगवान गणेश की पूजा करती हैं और अपने व्रत को चन्द्रमा के दर्शन और उनको अर्घ्य अर्पण करने के बाद ही तोड़ती हैं।


🚩करवा चौथ के दिन को करक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। करवा या करक मिट्टी के पात्र को कहते हैं जिससे चन्द्रमा को जल अर्पण, ( अर्घ्य अर्पण ) किया जाता है। पूजा के दौरान करवा बहुत महत्वपूर्ण होता है और इसे ब्राह्मण या किसी योग्य महिला को दान में भी दिया जाता है।


🚩करवा चौथ व्रत विधि :-


🚩नैवेद्य: शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य के रूप में उपयोग में लें।


🚩करवा: काली मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी से तैयार किए गए मिट्टी के करवे का उपयोग किया जा सकता है।


🚩करवा चौथ पूजन के लिए मंत्र: ‘ॐ शिवायै नमः’ से पार्वती का, ‘ॐ नमः शिवाय’ से शिवजी का, ‘ॐ षड्मुखाय नमः’ से स्वामी कार्तिकेय का, ‘ॐ गं गणपतये नमः’ से गणेश का तथा ‘ॐ सोमाय नमः’ से चन्द्रदेव का पूजन करें।


🚩करवा चौथ की थाली : करवा चौथ की रात्रि के समय चाँद देखने के लिए आप पहले से ही थाली को सजाकर रख लेवें। थाली में आप निम्न सामग्री को रखें-


🚩•करवा चौथ का कलश (ताम्बे का कलश इसके लिए श्रेष्ठ होता है )

•छलनी

•कलश को ढकने के लिए वस्त्र

•मिठाई या ड्राई फ्रूट

•चन्दन और धुप

•मोली और गुड़/चूरमा


🚩व्रत के दिन प्रातः स्नानादि करने के पश्चात यह संकल्प बोलकर करवा चौथ व्रत का आरंभ करें-

मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।


🚩गौरी-गणेश और चित्रित करवा की परंपरानुसार पूजा करें। पति के दीर्घायुष्य की कामना करें।

नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।


🚩इस पावन अवसर पर करवा चौथ व्रत कथा सुनी जाती है और रात्रि के समय चाँद को देखने के उपरान्त स्त्रियाँ अपने पति के हाथों से अन्न,जल ग्रहण करके व्रत खोलती हैं। करवा चौथ का यह व्रत पति की लम्बी आयु, उत्तम स्वास्थ्य और सुखद वैवाहिक जीवन के उद्देश्य से किया जाता है।


🚩करवा चौथ व्रत कथा:


🚩बहुत समय पहले इन्द्रप्रस्थपुर के एक शहर में वेदशर्मा नाम का एक ब्राह्मण रहता था। वेदशर्मा का विवाह लीलावती से हुआ था जिससे उसके सात महान पुत्र और वीरावती नाम की एक गुणवान पुत्री थी। सात भाईयों की वह केवल एक अकेली बहन थी जिसके कारण वह अपने माता-पिता के साथ-साथ अपने भाईयों की भी लाड़ली थी।


🚩जब वह विवाह के लायक हो गयी तब उसकी शादी एक योग्य ब्राह्मण युवक से हुई। शादी के बाद वीरावती जब अपने माता-पिता के यहाँ थी तब उसने अपनी भाभियों के साथ पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखा। करवा चौथ के व्रत के दौरान वीरावती को भूख सहन नहीं हुई और कमजोरी के कारण वह मूर्छित होकर जमीन पर गिर गई।


🚩सभी भाईयों से उनकी प्यारी बहन की दयनीय स्थिति सहन नहीं हो पा रही थी। वे जानते थे, वीरावती जो कि एक पतिव्रता नारी है चन्द्रमा के दर्शन किये बिना भोजन ग्रहण नहीं करेगी चाहे उसके प्राण ही क्यों ना निकल जायें। सभी भाईयों ने मिलकर एक योजना बनाई जिससे उनकी बहन भोजन ग्रहण कर ले। उनमें से एक भाई कुछ दूर वट के वृक्ष पर हाथ में छलनी और दीपक लेकर चढ़ गया। जब वीरावती मूर्छित अवस्था से जागी तो उसके बाकी सभी भाईयों ने उससे कहा कि चन्द्रोदय हो गया है और उसे छत पर चन्द्रमा के दर्शन कराने ले आये।


🚩वीरावती ने कुछ दूर वट के वृक्ष पर छलनी के पीछे दीपक को देख विश्वास कर लिया कि चन्द्रमा वृक्ष के पीछे निकल आया है। अपनी भूख से व्याकुल वीरावती ने शीघ्र ही दीपक को चन्द्रमा समझ अर्घ्य अर्पण कर अपने व्रत को तोड़ा। वीरावती ने जब भोजन करना प्रारम्भ किया तो उसे अशुभ संकेत मिलने लगे। पहले कौर में उसे बाल मिला, दूसरे में उसे छींक आई और तीसरे कौर में उसे अपने ससुराल वालों से निमंत्रण मिला। फिर अपने ससुराल पहुँचने के बाद उसने अपने पति के मृत शरीर को पाया।


🚩अपने पति के मृत शरीर को देखकर वीरावती रोने लगी और करवा चौथ के व्रत के दौरान अपनी किसी भूल के लिए खुद को दोषी ठहराने लगी। उसका विलाप सुनकर देवी इन्द्राणी जो कि इन्द्र देवता की पत्नी हैं, वीरावती को सान्त्वना देने के लिए पहुँचीं।


🚩वीरावती ने देवी इन्द्राणी से पूछा कि करवा चौथ के दिन ही उसके पति की मृत्यु क्यों हुई और अपने पति को जीवित करने के लिए वह देवी इन्द्राणी से विनती करने लगी। वीरावती का दुःख देखकर देवी इन्द्राणी ने उससे कहा कि उसने चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पण किये बिना ही व्रत को तोड़ा था, जिसके कारण उसके पति की असामयिक मृत्यु हो गई। देवी इन्द्राणी ने वीरावती को करवा चौथ के व्रत के साथ-साथ पूरे साल में हर माह की चौथ को व्रत करने की सलाह दी और उसे आश्वासित किया कि ऐसा करने से उसका पति जीवित लौट आएगा।


🚩इसके बाद वीरावती सभी धार्मिक कृत्यों और मासिक उपवास को पूरे विश्वास के साथ करती रही । अन्त में उन सभी व्रतों से मिले पुण्य के कारण वीरावती को उसका पति पुनः प्राप्त हो गया।


🚩विशेषः

व्रत के दिनों में साबूदाने नहीं खायें, साबूदाने खाने से व्रत टूट जाता है।

व्रत के दिनों में ब्रह्मचर्य का पालन करें, संयम से रहें।


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Monday, October 30, 2023

सरदार वल्लभ भाई पटेल के महान कार्यो को जानिए

31 October 2023


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🚩सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी थे । भारत की आजादी के बाद वे प्रथम गृहमंत्री और उप-प्रधानमंत्री बने । बारडोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहाँ की महिलाओं ने सरदार की उपाधि प्रदान की । आजादी के बाद विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू-राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरूष भी कहा जाता है ।


🚩1857 के स्वातंत्र्य-समर में युवा झवेरभाई ने बड़ी वीरता के साथ अंग्रेजों को चुनौती दी थी । वल्लभभाई के बड़े भाई विट्ठलभाई भी प्रसिद्ध देशभक्त थे । वल्लभभाई को निर्भयता व वीरता के संस्कार तो खून में ही मिले थे । वल्लभ भाई की निर्भयता से जहाँ बड़ों के सिर हर्ष व गर्व से ऊँचे हो जाते थे, वहीं छोटे भी उन्हें बेहद चाहते थे । स्वभाव से ही वे अन्याय के खिलाफ थे । अपने सहयोगियों के कल्याण में उनकी प्रामाणिक दिलचस्पी थी ।


🚩जीवन परिचय

पटेलजी का जन्म नडियाद गुजरात में 31 अक्टूबर 1875 को एक लेवा कृषक #परिवार में हुआ था। वे झवेरभाई पटेल एवं लाडबा देवी की चौथी संतान थे। सोमाभाई, नरसीभाई और विट्ठल भाई उनके अग्रज थे। उनकी शिक्षा मुख्यतः स्वाध्याय से ही हुई । लन्दन जाकर उन्होंने बैरिस्टर की पढ़ाई की और वापस आकर अहमदाबाद में वकालत करने लगे । महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होने भारत के स्वतन्त्रता आन्दोलन में भाग लिया ।


🚩खेड़ा संघर्ष

स्वतन्त्रता आन्दोलन में सरदार पटेल का सबसे पहला और बड़ा योगदान खेड़ा संघर्ष में हुआ । गुजरात का खेड़ा खण्ड (डिविजन) उन दिनो भयंकर सूखे की चपेट में था। किसानों ने अंग्रेज सरकार से भारी कर में छूट की मांग की। जब यह स्वीकार नहीं किया गया तो सरदार पटेल, गांधीजी एवं अन्य लोगों ने किसानों का नेतृत्व किया और उन्हे कर न देने के लिये प्रेरित किया। अन्त में सरकार झुकी और उस वर्ष करों में राहत दी गयी। यह सरदार पटेल की पहली सफलता थी।


🚩बारडोली सत्याग्रह

बारडोली कस्बे में सशक्त सत्याग्रह करने के लिये ही उन्हे पहले #बारडोली का #सरदार और बाद में केवल सरदार कहा जाने लगा।


🚩आजादी के बाद

यद्यपि अधिकांश प्रान्तीय कांग्रेस समितियां पटेल के पक्ष में थी, गांधी जी की इच्छा का आदर करते हुए पटेल जी ने प्रधानमंत्री पद की दौड़ से अपने को दूर रखा और इसके लिये नेहरू का समर्थन किया । उन्हें उपप्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री का कार्य सौंपा गया किन्तु इसके बाद भी नेहरू और पटेल के सम्बन्ध तनावपूर्ण ही रहे । इसके चलते कई अवसरों पर दोनों ने ही अपने पद का त्याग करने की धमकी दे दी थी ।


🚩गृहमंत्री के रूप में उनकी पहली प्राथमिकता देसी #रियासतों (राज्यों) को #भारत में मिलाना था। इसको उन्होने बिना कोई खून बहाये सम्पादित कर दिखाया। केवल हैदराबाद के आपरेशन पोलो के लिये उनको सेना भेजनी पड़ी । भारत के एकीकरण में उनके महान योगदान के लिये उन्हे भारत के लौह पुरूष के रूप में जाना जाता है। सन #1950 में उनका #देहान्त हो गया। इसके बाद नेहरू का कांग्रेस के अन्दर बहुत कम विरोध शेष रहा।


🚩देसी राज्यों (रियासतों) का एकीकरण

सरदार पटेल ने आजादी के ठीक पूर्व (संक्रमण काल में) ही पीवी मेनन के साथ मिलकर कई देसी राज्यों को भारत में मिलाने के लिये कार्य आरम्भ कर दिया था। पटेल और मेनन ने देसी राजाओं को बहुत समझाया कि उन्हे स्वायत्तता देना सम्भव नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप तीन को छोडकर शेष सभी राजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। केवल जम्मू एवं कश्मीर, जूनागढ तथा हैदराबाद के राजाओं ने ऐसा करना नहीं स्वीकारा। जूनागढ के नवाब के विरुद्ध जब बहुत विरोध हुआ तो वह भागकर पाकिस्तान चला गया और जूनागढ़ भी भारत में मिल गया। जब हैदराबाद के निजाम ने भारत में विलय का प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया तो सरदार पटेल ने वहाँ सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा लिया। किन्तु नेहरू ने काश्मीर को यह कहकर अपने पास रख लिया कि यह समस्या एक अन्तराष्ट्रीय समस्या है।


🚩गांधी, नेहरू और पटेल

स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू व प्रथम उप प्रधानमंत्री सरदार पटेल में आकाश-पाताल का अंतर था। यद्यपि दोनों ने इंग्लैण्ड जाकर बैरिस्टरी की डिग्री प्राप्त की थी परंतु सरदार पटेल वकालत में पं॰ नेहरू से बहुत आगे थे तथा उन्होंने सम्पूर्ण ब्रिटिश साम्राज्य के विद्यार्थियों में सर्वप्रथम स्थान प्राप्त किया था। नेहरू प्राय: सोचते रहते थे, सरदार पटेल उसे कर डालते थे। नेहरू शास्त्रों के ज्ञाता थे, पटेल शस्त्रों के पुजारी थे। पटेल ने भी ऊंची शिक्षा पाई थी परंतु उनमें किंचित भी अहंकार नहीं था। वे स्वयं कहा करते थे, “मैंने कला या विज्ञान के विशाल गगन में ऊंची उड़ानें नहीं भरी। मेरा विकास कच्ची झोपड़ियों में गरीब किसान के खेतों की भूमि और शहरों के गंदे मकानों में हुआ है।” नेहरू को गांव की गंदगी, तथा जीवन से चिढ़ थी। नेहरू अंतरराष्ट्रीय ख्याति के इच्छुक थे तथा समाजवादी प्रधानमंत्री बनना चाहते थे ।


🚩देश की स्वतंत्रता के पश्चात सरदार पटेल उप-प्रधानमंत्री के साथ प्रथम गृह, सूचना तथा रियासत विभाग के मंत्री भी थे । #सरदार पटेल की महानतम देन थी #562 छोटी-बड़ी #रियासतों का #भारतीय संघ में विलीनीकरण करके भारतीय एकता का निर्माण करना । विश्व के इतिहास में एक भी व्यक्ति ऐसा न हुआ जिसने इतनी बड़ी संख्या में राज्यों का एकीकरण करने का साहस किया हो । 


🚩5 जुलाई 1947 को एक रियासत विभाग की स्थापना की गई थी। एक बार उन्होंने सुना कि बस्तर की रियासत में कच्चे सोने का बड़ा भारी क्षेत्र है और इस भूमि को दीर्घकालिक पट्टे पर हैदराबाद की निजाम सरकार खरीदना चाहती है । उसी दिन वे परेशान हो उठे । उन्होंने अपना एक थैला उठाया, वी.पी. मेनन को साथ लिया और चल पड़े । वे उड़ीसा पहुंचे, वहां के 23 राजाओं से कहा, “कुएं के मेढक मत बनो, महासागर में आ जाओ।” उड़ीसा के लोगों की सदियों पुरानी इच्छा कुछ ही घंटों में पूरी हो गई। फिर नागपुर पहुंचे, यहां के 38 राजाओं से मिले। इन्हें सैल्यूट स्टेट कहा जाता था, यानी जब कोई इनसे मिलने जाता तो तोप छोड़कर सलामी दी जाती थी। पटेल ने इन राज्यों की बादशाहत को आखिरी सलामी दी। इसी तरह वे काठियावाड़ पहुंचे। वहां 250 रियासतें थी। कुछ तो केवल 20-20 गांव की रियासतें थीं। सबका एकीकरण किया। एक शाम मुम्बई पहुंचे। आसपास के राजाओं से बातचीत की और उनकी राजसत्ता अपने थैले में डालकर चल दिए। पटेल पंजाब गये। पटियाला का खजाना देखा तो खाली था। फरीदकोट के राजा ने कुछ आनाकानी की। सरदार पटेल ने फरीदकोट के नक्शे पर अपनी लाल पैंसिल घुमाते हुए केवल इतना पूछा कि “क्या मर्जी है?” राजा कांप उठा। आखिर 15 अगस्त 1947 तक केवल तीन रियासतें-कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद छोड़कर उस लौह पुरुष ने सभी रियासतों को भारत में मिला दिया। इन तीन रियासतों में भी जूनागढ़ को 9 नवम्बर 1947 को मिला लिया गया तथा जूनागढ़ का नवाब पाकिस्तान भाग गया। 13 नवम्बर को सरदार पटेल ने सोमनाथ के भग्न मंदिर के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया, जो पंडित नेहरू के तीव्र विरोध के पश्चात भी बना। 1948 में हैदराबाद भी केवल 4 दिन की पुलिस कार्रवाई द्वारा मिला लिया गया। न कोई बम चला, न कोई क्रांति हुई, जैसा कि डराया जा रहा था।


🚩जहां तक कश्मीर रियासत का प्रश्न है इसे पंडित नेहरू ने स्वयं अपने अधिकार में लिया हुआ था, परंतु यह सत्य है कि सरदार पटेल कश्मीर में जनमत संग्रह तथा कश्मीर के मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ में ले जाने पर बेहद क्षुब्ध थे। नि:संदेह सरदार पटेल द्वारा यह 562 रियासतों का एकीकरण विश्व इतिहास का एक आश्चर्य था। भारत की यह रक्तहीन क्रांति थी । महात्मा गांधी ने सरदार पटेल को इन रियासतों के बारे में लिखा था, “रियासतों की समस्या इतनी जटिल थी जिसे केवल तुम ही हल कर सकते थे।”


🚩यद्यपि विदेश विभाग नेहरू का कार्यक्षेत्र था, परंतु कई बार उप प्रधानमंत्री होने के नाते कैबिनेट की विदेश विभाग समिति में उनका जाना होता था। उनकी दूरदर्शिता का लाभ यदि उस समय लिया जाता तो अनेक वर्तमान समस्याओं का जन्म न होता । 


🚩1950 में पंडित नेहरू को लिखे एक पत्र में पटेल ने चीन तथा उसकी तिब्बत के प्रति नीति से सावधान किया था और चीन का रवैया कपटपूर्ण तथा विश्वासघाती बतलाया था । अपने पत्र में चीन को अपना दुश्मन, उसके व्यवहार को अभद्रतापूर्ण और चीन के पत्रों की भाषा को किसी दोस्त की नहीं, भावी शत्रु की भाषा कहा था। उन्होंने यह भी लिखा था कि तिब्बत पर चीन का कब्जा नई समस्याओं को जन्म देगा। 1950 में नेपाल के संदर्भ में लिखे पत्रों से भी नेहरू सहमत न थे। 1950 में ही गोवा की स्वतंत्रता के संबंध में चली दो घंटे की कैबिनेट बैठक में लम्बी वार्ता सुनने के पश्चात सरदार पटेल ने केवल इतना कहा “क्या हम गोवा जाएंगे, केवल दो घंटे की बात है।” नेहरू इससे बड़े नाराज हुए थे। यदि पटेल की बात मानी गई होती तो 1961 तक गोवा की स्वतंत्रता की प्रतीक्षा न करनी पड़ती।


🚩गृहमंत्री के रूप में वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं (आई.सी.एस.) का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं (आई.ए.एस.) बनाया। अंग्रेजों की सेवा करने वालों में विश्वास भरकर उन्हें राजभक्ति से देशभक्ति की ओर मोड़ा। यदि सरदार पटेल कुछ वर्ष जीवित रहते तो संभवत: नौकरशाही का पूर्ण कायाकल्प हो जाता।


🚩सरदार पटेल जहां पाकिस्तान की छद्म व चालाकी पूर्ण चालों से सतर्क थे वहीं देश के विघटनकारी तत्वों से भी सावधान करते थे । विशेषकर वे भारत में मुस्लिम लीग तथा कम्युनिस्टों की विभेदकारी तथा रूस के प्रति उनकी भक्ति से सजग थे । अनेक विद्वानों का कथन है कि सरदार पटेल बिस्मार्क की तरह थे । लेकिन लंदन के टाइम्स ने लिखा था “बिस्मार्क की सफलताएं पटेल के सामने महत्वहीन रह जाती हैं । यदि पटेल के कहने पर चलते तो कश्मीर, चीन, तिब्बत व नेपाल के हालात आज जैसे न होते। पटेल सही मायनों में मनु के शासन की कल्पना थे । उनमें कौटिल्य की कूटनीतिज्ञता तथा महाराज शिवाजी की दूरदर्शिता थी । वे केवल सरदार ही नहीं बल्कि भारतीयों के ह्रदय के सरदार थे ।


🚩महान आत्माओं की महानता उनके जीवन – सिद्धांतों में होती है । उन्हें अपने सिद्धांत प्राणों से भी अधिक प्रिय होते हैं । 


🚩सामान्य मानव जिन परिस्थितियों में अपनी निष्ठा से डिग जाता है, महापुरुष ऐसे प्रसंगों में भी अडिग रहते हैं । सत्य ही उनका एकमात्र आश्रय होता है, वे फौलादी संकल्प के धनी होते हैं । उनका अपना पथ होता है, जिससे वे कभी विपथ नहीं होते ।

सरदार वल्लभ भाई पटेल जिन्हें देश ‘लौह पुरुष के नाम से भी जानता है, ऐसे ही एक वल्लभ भाई थे ।


🚩उनके जीवन का यह प्रसंग उनके इसी सद्गुण की झाँकी कराता है ।

वल्लभ भाई अपने पुत्र-पुत्री को शिक्षा हेतु यूरोप भेजना चाहते थे । इस हेतु रुपये भी कोष में जमा कर दिये गये थे लेकिन ज्यों ही असहयोग आंदोलन की घोषणा की गयी, त्यों ही उन्होंने पूर्वनिर्धारित योजना को ठप कर दिया ।


🚩उन्होंने दृढ़ निश्चय किया कि ‘चाहे जो हो, मैं मन, वचन और कर्म से असहयोग के सिद्धांतों पर दृढ़ रहूँगा । जिस देश के निवासी हमारी बोटी-बोटी के लिए लालायित हैं, जो हमारे रक्त-तर्पण से अपनी प्यास बुझाते हैं, उनकी धरती पर अपनी संतान को ज्ञानप्राप्ति के लिए भेजना अपनी ही आत्मा को कलंकित करना है । भारत माता की आत्मा को दुखाना है ।


🚩उन्होंने सिर्फ सोचा ही नहीं, अपने बच्चों को इंग्लैंड में पढ़ाने से साफ मना कर दिया । ऐसी थी उनकी सिद्धांत-प्रियता । तभी तो थे वे #लौह पुरुष है।

#वल्लभ भाई पटेल को सन 1991 में मरणोपरान्त #भारत रत्न से #सम्मानित #किया गया है ।


🚩पटेल के प्रति हरिवंशराय बच्चन के उदगार…

यही प्रसिद्ध लौहपुरुष प्रबल,

यही प्रसिद्ध शक्ति की शिला अटल,

हिला इसे सका कभी न शत्रु दल,

पटेल पर, स्वदेश को गुमान है ।

सुबुद्धि उच्च श्रृंग पर किये जगह,

हृदय गंभीर है समुद्र की तरह,

कदम छुए हुए ज़मीन की सतह,

पटेल देश का, निगहबान है।

हरेक पक्ष के पटेल तौलता,

हरेक भेद को पटेल खोलता,

दुराव या छिपाव से इसे गरज ?

कठोर नग्न सत्य बोलता ।

पटेल हिंद की नीडर जबान है ।


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Sunday, October 29, 2023

मदरसे में मौलवी ने कई बच्चों के साथ किया दुष्कर्म, पुलिस ने दबोचा, पर मिडिया मौन.....

30 October 2023

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🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक सुरेश चव्हाणके जी ने कई बार बताया है, कि अधिकतर मीडिया को ईसाई मिशनरियों की वेटिकन सिटी और मुस्लिम देश जैसे अरब, दुबई आदि से फंडिग होती है, जिससे वे हिन्दू संस्कृति तोड़ने के लिए हिन्दुओं के आस्था स्वरूप हिन्दू साधु-संतों के प्रति भारत की जनता के मन में नफरत पैदा करने का काम करते हैं । वे हिन्दुओं के मन में ये डालने का प्रयास करते हैं कि आपके धर्मगुरु तो अपराधी हैं। आप हिन्दू धर्म छोड़कर हमारे धर्म में आ जाओ । ये उनकी थ्योरी है, जबकि वे मौलवी और ईसाई पादरियों के कुकर्म नहीं बताते ।


🚩आज वही बात आई है, मौलवी पकड़ा गया पर कोई खबर नही जबकि कोई हिंदू साधु संत पर झूठा केस भी लग जाता है , तो अब तक मीडिया वाले गला फाड़कर चिल्लाते दिखते।


🚩आपको बता दें कि गुजरात के एक मदरसे में छात्रों ने मौलाना पर अप्राकृतिक कुकर्म के आरोप लगाए हैं। पीड़ित छात्रों की कुल तादाद 7 बताई जा रही है। आरोपित 25 वर्षीय मौलाना का नाम मोहम्मद अब्बास है। कुकर्म के लिए मौलाना बच्चों को मालिश के बहाने कमरे में बुलाया करता था। इस मामले में मदरसे के ट्रस्टी दाऊद फकीरा पर भी शिकायत के बावजूद कार्रवाई न करने का आरोप है। पुलिस ने मौलाना और ट्रस्टी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने इस कार्रवाई की जानकारी सोमवार (23 अक्टूबर 2023) को दी है।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला जूनागढ़ में मांगरोल थाना क्षेत्र का है। यहाँ ‘मुफ़्ती साहेब दाऊद फकीरा के ट्रस्ट’ और ‘उलूम एजुकेशन ट्रस्ट’ के माध्यम से एक मदरसा संचालित होता है। इस मदरसे में स्थानीय बच्चों के साथ कुछ बाहर के छात्र भी पढ़ते हैं। लगभग 2 साल पहले यहाँ मौलाना मोहम्मद अब्बास बच्चों को उर्दू और दीनी तालीम देने के लिए आया था। आरोप है कि अब्बास छात्रों को अपने कमरे में मालिश के बहाने बुलवाया करता था। यहाँ वो छात्रों से अप्राकृतिक दुष्कर्म करता था।


🚩अपनी हवस का शिकार बनाने के बाद मौलाना अब्बास बच्चों को मुँह बंद रखने की धमकी भी दिया करता था। कुछ बच्चों को संबंध बनाने के लिए पैसे का भी लालच दिया गया था। बच्चों ने मौलाना अब्बास की इस करतूत की शिकायत मदरसे के 55 वर्षीय ट्रस्टी दाऊद फकीरा से की थी। आरोप है कि उसने इस शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। ट्रस्टी दाऊद इस मदरसे के साथ ABSC नाम से एक इंग्लिश स्कूल भी चला रहा था।


🚩इस बीच मौलाना द्वारा कुकर्म का शिकार एक 15 वर्षीय छात्र अपने घर में गुमसुम सा रहने लगा। छात्र के परिजनों ने इसकी वजह पूछी तो उसने सारी बात बता दी। बच्चे ने बताया कि वो पिछले 6 माह से मौलाना की हवस का शिकार बन रहा है। इस करतूत की जानकारी होने के बाद नाराज परिजन पुलिस में गए और उन्होंने मौलाना अब्बास और ट्रस्टी दाऊद के खिलाफ शिकायत दर्ज की। इस शिकायत पर पुलिस ने IPC की धारा 377, 323, 506 और 144 के साथ पॉक्सो एक्ट में केस दर्ज कर लिया।


🚩अपने खिलाफ केस दर्ज होने की भनक लगते ही मौलाना अब्बास फरार हो गया। पुलिस को उसकी लोकेशन सूरत में मिली। रविवार (22 अक्टूबर, 2023) को पुलिस टीम में दबिश दे कर मौलाना अब्बास को सूरत से धर दबोचा। वहीं इस केस के दूसरे आरोपित मदरसे के ट्रस्टी दाऊद की गिरफ्तारी मदरसे से हुई। पुलिस यह पता लगाने की कोशिश में जुटी है कि मौलाना अब्बास ने कुल कितने छात्रों को अपनी हवस का शिकार बनाया है। मामले की जाँच और आगे की कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जा रही है।


🚩बिकाऊ मीडिया का एक ही लक्ष्य रहता है, ईसाई धर्मगुरु हो या मुस्लिम धर्मगुरु उनके ऊपर कोई आरोप लगता है अथवा अपराध सिद्ध भी हो जाये तो उसको इस तरीके से दिखाएंगे की जैसे कोई हिन्दू साधु-संत है क्योंकि उनका उद्देश्य है हिन्दू संस्कृति के स्तम्भ साधु-संतों को बदनाम करके हिन्दू धर्म को नीचा दिखाना और कुछ भोले हिन्दू उनकी बातों में आ जाते हैं । बिकाऊ मीडिया की बात को सच मानकर अपने धर्मगुरुओं को गलत बोलने लग जाते हैं।

 

🚩मुस्लिमपरस्ती में कुछ मीडिया वाले इस कदर मदमस्त हैं कि उसे गलती से कहीं कोई अपराधी मुस्लिम समुदाय का या कई बार ईसाई भी दिख गया तो ये पूरा गिरोह चटपट येन-केन प्रकारेण दर्शकों/पाठकों के सामने मामले को ऐसा स्पिन देने की कोशिश में लग जाएगा कि समुदाय विशेष का अपराध भी ढक जाए और कोई निरपराध समुदाय या व्यक्ति खास तौर पर हिन्दू धर्म प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सवालों के घेरे में भी आ जाए। इसलिए बिकाऊ मीडिया से सावधान रहें।


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रत्नाकर से बने महर्षि वाल्मीकि ने कैसे लिख दिया रामायण ? जानिए

29 October 2023

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भारतीय संस्कृति के साधु-संतों और भगवान के नाम की कितनी ताकत है वे दुनिया के किसी भी पलडु से तोल नही सकते है। हम लोग जो आज घरो में रामायण देख रहे है और उसको देखकर हमारा जीवन उन्नत कर रहे है लेकिन ये रामायण कैसे लिखी गई है और लिखने वाले एक साधारण व्यक्ति से महान कैसे बन गए वे भी आप जनोगों तो सनातन हिंदू संस्कृति पर आपको गर्व होने लगेगा और दुनिया मे इसके जैसे कोई श्रेष्ठ धर्म आपको नही दिखाई देगा।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि जी का परिचय

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की कहानी बडी अर्थपूर्ण है । सत्पुरुषों की संगति में आकर लोगोंकी उन्नति कैसे होती है, महर्षि वाल्मीकि इसका एक महान उदाहरण हैं । नारदमुनि के संपर्क में आकर वे एक महान ऋषि, ब्रम्हर्षि बने, तथा उन्होंने ‘रामायण’ की रचना की, जिसे संपूर्ण विश्व कभी भूल नहीं सकता । पूरे विश्वके महाकाव्यों में से वह एक है । दूसरे देशों के लोग उसे अपनी-अपनी भाषाओं में पढते हैं । रामायण के चिंतन से हमारा जीवन सुधर सकता है । हमें यह महाकाव्य देनेवाले महर्षि वाल्मीकि को हम कभी भूल नहीं सकते । इस महान ऋषि एवं चारण को हमारा कोटि-कोटि प्रणाम ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत भाषाका पहला काव्य है, अत: उसे ‘आदि-काव्य’ अथवा ‘पहला काव्य’ कहा जाता है तथा महर्षि वाल्मीकिको `आदि कवि’ अथवा ‘पहला कवि’ कहा जाता है ।

 

🚩जिस कवि ने ‘रामायण’ लिखी तथा लव एवं कुशको यह गाना तथा कहानी सिखाई, वे एक महान ऋषि, महर्षि वाल्मीकि थे । यह व्यक्ति महर्षि तथा गायक कवि कैसे बने यह बडी बोधप्रद कहानी है । महर्षि वाल्मीकि की रामायण संस्कृत भाषा में है तथा बहुत सुंदर काव्य है ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि की रामायण गायी जा सकती है । कोयल की आवाज की तरह वह कानों को भी बडी मीठी (कर्णप्रिय) लगता है । महर्षि वाल्मीकि को काव्य के पेड पर बैठी तथा मीठा गानेवाली कोयल कहा गया है । जो भी रामायण पढते हैं, प्रथम महर्षि वाल्मीकि को प्रणाम कर तदुपरांत महाकाव्य की ओर बढते हैं ।

 

🚩महर्ष‍ि वाल्मीकि और नारद की कथा

 

🚩महर्ष‍ि वाल्मीकि और नारद को लेकर एक पौराण‍िक कथा है। वाल्‍मीक‍ि बनने से पूर्व उनका नाम रत्‍नाकर था और वह परिवार के भरण पोषण के लिए लोगों को लूटा करते थे। एक बार उनकी मुलाकात नारद जी से हो गई। जब वह उन्‍हें लूटने लगे तो नारदजी ने प्रश्न क‍िया क‍ि, जिन परिवार के लिए वह ये काम कर रहे हैं, क्‍या वह उनके पापा में भागीदार बनेगे ?

 

🚩जब रत्‍नाकर ने यह सुना तो वह अचरज में पड गए और तुरंत अपने पर‍िवार के पास जाकर ये प्रश्न क‍िया। उनको यह जानकर झटका लगा क‍ि कोई भी उनका अपना उनके पाप में हिस्‍सेदार नहीं बनना चाहता है। इसके बाद उन्‍होंने नारद जी से क्षमा मांगी और साथ ही राम-नाम के जप का उपदेश भी दिया। किंतु वाल्‍मीक‍ि जी राम नाम नहीं बोल पा रहे थे जिस पर उन्‍होंने उनका ‘मरा मरा’ जपने की सीख दी। यही जाप उनका राम नाम हो गया और वह एक लुटेरे से महर्ष‍ि वाल्मीकि हो गए।

 

बता दें क‍ि ये जब श्री राम ने जनता की बातें सुनकर माता सीता को त्‍याग द‍िया था, तब वह महर्ष‍ि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं। उनके पुत्रों लव-कुश के गुरु भी महर्ष‍ि वाल्मीकि ही थे।

 

🚩महाकाव्य रामायणकी रचना

 

🚩नारदमुनिके जानेके पश्चात महर्षि वाल्मीकि गंगा नदी पर स्नान करने गए । भारद्वाज नाम का शिष्य उनके वस्त्र संभाल रहा था । चलते-चलते वे एक निर्झरके पास आए । निर्झर का पानी बिल्कुल स्वच्छ था । वाल्मीकि ने अपने शिष्यसे कहा, `देखो, कितना स्वच्छ पानी है, जैसे किसी अच्छे मानवका स्वच्छ मन! आज मैं यहीं स्नान करूंगा।’

 

🚩महर्षि वाल्मीकि पानी में पांव रखने हेतु उचित स्थान देख रहे थे, तभी उन्हें पंछियों की मीठी आवाज सुनाई दी । ऊपर देखने पर उन्हें दो पंछी एक साथ उडते हुए दिखे । उन पंछियों की प्रसन्नता देख कर महर्षि वाल्मीकि अति प्रसन्न हुए । तभी तीर लगने से एक पंछी नीचे गिर गया । वह एक नर पक्षी था । उसकी घायल हालत देखकर उसकी साथी दुखसे चिल्लाने लगी । यह ह्रदयविदारक दृश्य देखकर महर्षि वाल्मीकि का ह्रदय पिघल गया । पंछीपर किसने तीर चलाया यह देखने हेतु उन्होंने इधर-उधर देखा । तीर-कमान के साथ एक आखेटक निकट ही दिखाई दिया । आखेटक ने (शिकारीने) खाने हेतु पंछीपर तीर चलाया था । महर्षि वाल्मीकि बडे क्रोधित हुए । उनका मुंह खुला, और ये शब्द निकल गए : `तुमने एक प्रेमी जोडे में से एककी हत्या की है, तुम खुद अधिक दिनोंतक जीवित नहीं रहोगे !’ दुखमें उनके मुंह से एक श्लोक निकल गया । जिसका अर्थ था, तुम अनंत काल के लंबे साल तक शांति से न रह सकोगे । तुमने एक प्रणयरत पंछी की हत्या की है ।

 

🚩पंछी का दुख देखकर महर्षि वाल्मीकि ने बडे दुखी होकर आखेटक को (शिकारी को) शाप दिया; किंतु किसीको शाप देने से वे भी दुखी हो गए । उनके साथ चलने वाले भारद्वाज मुनि के पास उन्होंने अपना दुख प्रकट किया । महर्षि वाल्मीकि के मुंहसे श्लोक निकल जाने के कारण उन्हें भी आश्चर्य हुआ था । उनके आश्रम वापिस आने पर तथा उसके पश्चात भी वे श्लोक के विषय में ही सोचते रहे ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि का मन अभी भी उनके मुंह से निकले श्लोक का ही विचार कर रहा था, कि सृष्टि के देवता भगवान ब्रह्मा स्वयं उनके सामने प्रकट हुए । उन्होंने महर्षि वाल्मीकि से कहा, `हे महान ऋषि, आपके मुंह से जो श्लोक निकला, उसे मैंने ही प्रेरित किया था । अब आप श्लोकों के रूपमें ‘रामायण’ लिखेंगे । नारद मुनिने तुम्हें रामायण की कथा सुनाई है । तुम अपनी आंखों से सब देखोगे । तुम जो भी कहोगे, सच होगा । तुम्हारे शब्द सत्य होंगे । जबतक इस दुनिया में नदियां तथा पर्वत हैं, लोग ‘रामायण’ पढेंगे । ’ भगवान ब्रह्मा ने उन्हें ऐसा आशीर्वाद दिया और वे अदृश्य हो गए ।

 

🚩महर्षि वाल्मीकि ने ‘रामायण’ लिखी । सर्वप्रथम उन्होंने श्रीराम के सुपुत्र लव एवं कुश को श्लोक सिखाए । उनका जन्म महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में हुआ तथा वहीं पर वे बडे हुए।

 

🚩आपने जाना कि कैसे एक व्यक्ति अपनी आजीविका चलाने के लोए लुटमार करते है और एक साधु देवर्षि नारद मिलते है और भगवान के नाम की दीक्षा लेते है और उस मार्गदर्शन के अनुसार रत्नाकर अपना जीवन बना देते है और महान हो जाते है और आज भी उनकी महर्षि वाल्मीकि बनकर पूरी दुनिया को मार्गदर्शन दे रहे है, धन्य भारतीय संस्कृति और साधु संत।


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Friday, October 27, 2023

चंद्रग्रहण में क्या करें?क्या न करें ? एवं खीर कब खाए जानिए.....

28 October 2023


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🚩28 अक्टूबर 2023 शनिवार शरद पूर्णिमा को खंडग्रास चन्द्रग्रहण (भारत में दिखेगा, नियम पालनीय।


*🚩चंद्रग्रहण 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 06 मिनट पर शुरू होगा और रात्रि में 2 बजकर 22 मिनट तक ग्रहण रहेगा ।*


*🚩भारतीय समय अनुसार चंद्र ग्रहण लगने के 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की शाम 04 बजकर 06 मिनट से सूतक काल लग जाएगा ।*


*🚩बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और रोगी के लिए सूतक प्रारम्भ समय रात्रि 08:36 से ।*


*🚩दक्षिण पूर्वी भाग ऑस्ट्रेलिया को छोड़कर विश्व के सभी देशों में जैसे भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, चीन, ईरान, कज़ाख़िस्तान, उज़्बेकिस्तान, सऊदी अरब, जर्मनी, जापान, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन, स्वीडन, मलेशिया, अमेरिका एवं अन्य देशों में दिखाई देगा ।*


 *🚩चंद्रग्रहण में ग्रहण से चार प्रहर (09 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए । बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं ।*


*🚩 ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है ।*


*🚩 सूतक से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसी-पत्र डाल के रखें ताकि सूतक काल में उसे उपयोग में ला सकें । ग्रहणकाल में रखे गये पानी का उपयोग ग्रहण के बाद नहीं करना चाहिए किंतु जिन्हें यह सम्भव न हो वे उपरोक्तानुसार कुशा आदि डालकर रखे पानी को उपयोग में ला सकते हैं ।*


*🚩 ग्रहण-वेध के पहले जिन पदार्थों में कुश या तुलसी की पत्तियाँ डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते । पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण वेध के प्रारम्भ में तिल या कुश मिश्रित जल का उपयोग भी अत्यावश्यक परिस्थिति में ही करना चाहिए और ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण पूरा होने पर स्नान के बाद सूर्य या चन्द्र, जिसका ग्रहण हो उसका शुद्ध बिम्ब देखकर अर्घ्य दे कर भोजन करना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए । स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं ।*


*🚩 ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए । ग्रहण के स्नान में गरम जल की अपेक्षा ठंडा जल, ठंडे जल में भी दूसरे के हाथ से निकाले हुए जल की अपेक्षा अपने हाथ से निकाला हुआ, निकाले हुए की अपेक्षा जमीन में भरा हुआ, भरे हुए की अपेक्षा बहता हुआ, (साधारण) बहते हुए की अपेक्षा सरोवर का, सरोवर की अपेक्षा नदी का, अन्य नदियों की अपेक्षा गंगा का और गंगा की अपेक्षा भी समुद्र का जल पवित्र माना जाता है ।*


*🚩 ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है ।*


*🚩 ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए । बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए ।*


*🚩 ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं ।*


*🚩 ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए ।*


*🚩खीर प्रसादी कब बनानी है और कब सेवन करना है ?*

*रात्रि 2:22 (29 अक्टूबर 2:22 AM) के बाद स्नान आदि करके खीर बना के चाँदनी में रख लें । यथासम्भव 1-2 घंटें पुष्ट होने के बाद खा लें ।*


*🚩सूतक काल में बाहर भ्रमण कर सकते हैं या नहीं ?*


*🚩अनावश्यक नहीं । परंतु समय लंबा होता है सूतक का, पूरा बैठ पाना संभव नहीं होता इसलिए सेवा आदि गतिविधि चालू रख सकते हैं, समस्या नहीं, समय हो तो जप, ध्यान में लगाना चाहिए ।*


*🚩पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देते हैं तो ग्रहण के दिन देना है या नहीं ?*


*🚩क्योंकि सूतक काल शाम 4:06 बजे से लग रहा है इसलिए चंद्र ग्रहण में अर्घ्य नहीं देना चाहिए ।*


*🚩सूतक काल में चंद्रमा की किरणों में बैठकर लाभ ले सकते हैं या नहीं ?*

*ले सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के समय लैट्रिन बाथरूम जा सकते हैं ?*

*नहीं, ग्रहण के समय लघुशंका करने से दरिद्र व मल त्यागने से कीड़ा होता है ।*


*🚩ग्रहण के समय सोना चाहिए या नहीं ?*

*नहीं, ग्रहण के समय सोने से रोगी हो जाता है ।*


*🚩ग्रहण के समय खा सकते है ?* 

*चंद्र ग्रहण में सूतक लगने से चंद्र ग्रहण पूर्ण होने तक भोजन करना वर्जीत है ।*


*🚩सूतक में स्नान, पेशाब & शौच कर सकते हैं या नहीं ?*

*कर सकते हैं ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान अध्ययन कर सकते हैं क्या ?*


*🚩बिल्कुल नहीं । नारद पुराण के अनुसार – ‘‘चन्द्रग्रहण और सूर्यग्रहण के दिन, उत्तरायण और दक्षिणायन प्रारम्भ होने के दिन कभी अध्ययन न करे । अनध्याय (न पढ़ने के दिनों में) के इन सब समयों में जो अध्ययन करते हैं, उन मूढ़ पुरुषों की संतति, बुद्धि, यश, लक्ष्मी, आयु, बल तथा आरोग्य का साक्षात् यमराज नाश करते हैं ।’’*


*🚩सूतक काल में खाने का त्याग करना है तो पानी पी सकते हैं या नहीं ?*

*🚩इस बात का विशेष ध्यान रखें कि जल-पान के बाद 2 से 4 घंटों के अंदर लघुशंका (पेशाब) की प्रवृत्ति होती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के 4 घंटे पूर्व से जलपान करने से भी बचना चाहिए नहीं तो ग्रहण के दौरान समस्या आती है ।*


*🚩ग्रहणकाल में धूप, दीप, अगरबत्ती, कपूर जला सकते हैं या नहीं ?*

*जला सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के समय घर में पूजा कर सकते है ?*

*हाँ, साथ ही अधिक से अधिक जप करना चाहिए ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग कर सकते हैं ?*

*ग्रहणकाल के दौरान मोबाइल का उपयोग आंखों के लिए अधिक हानिकारक है ।*


*🚩चंद्र ग्रहण के बाद क्या करना चाहिए ?*

*ग्रहणकाल में स्पर्श किए हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी पहने हुए वस्त्र सहित स्नान करना चाहिए ।*

*आसन, गोमुखी व मंदिर में बिछा हुआ कपड़ा भी धो दें । और दूषित औरा के शुद्धिकरण हेतु गोमूत्र या गंगाजल का छिड़काव पूरे घर में कर सकें तो अच्छा है ।*


*🚩भोजन कब तक करना है ?*

*सूतक लगने ( शाम 04:06) से पहले भोजन कर लीजिए उसके बाद कोई भी स्वस्थ व्यक्ति (बच्चे, बुढ़े, गर्भिणी स्त्रियों व रोगियों को छोड़कर) भोजन नहीं करें ।*


*🚩ग्रहणकाल में तुलसी के पत्तों का उपयोग किस प्रकार करना है ?*

*सूतक से पहले ही तुलसी पत्र कुशा आदि तोड़कर रख लें (अनाज, खाद्य पदार्थों में रखने हेतु), ध्यान रखें कि दूध में कभी भी तुलसी पत्र नहीं डाला जाता ।*

*नोट : पूर्णिमा के दिन तुलसी नहीं तोड़ सकते हैं शुक्रवार के दिन दोपहर पहले तोड़ के रख सकते हैं ।*


*🚩ग्रहण के सूतक काल में सोना चाहिए या नहीं ?*

*सो सकते हैं लेकिन चूंकि सोकर तुरंत उठने के बाद जल-पान, लघुशंका-शौच आदि की स्वाभाविक प्रवृत्ति की आवश्यकता पड़ती है अतः ग्रहण प्रारम्भ होने के करीब 4 घंटें पहले उठ जाना चाहिए जिससे लघुशंका-शौच आदि की आवश्यकता होने पर इनसे निवृत्त हो सके और ग्रहणकाल में समस्या न आये ।*


*🚩ग्रहण देख सकते है ?*

*नहीं, ग्रहण के समय बाहर न जायें न ही ग्रहण को देखें ।*


*🚩 ग्रहणकाल में गर्भवती महिलायें क्या करें, क्या ना करें ?*


*🚩गर्भिणी के लिए ग्रहण के कुछ नियम विशेष पालनीय होते हैं । इन्हें कपोलकल्पित बातें अथवा अंधविश्वास नहीं मानना चाहिए, इनके पीछे शास्त्रोक्त कारण हैं ।*


*🚩ग्रहण के प्रभाव से वातावरण, पशु-पक्षियों के आचरण आदि में परिवर्तन दिखाई देते हैं इससे स्पष्ट है कि मानवीय शरीर तथा मन के क्रिया-कलापों में भी परिवर्तन होते हैं ।*


*🚩ग्रहणकाल में कुछ कार्य करने से आशातीत लाभ होते हैं और कुछ से अत्याधिक हानि । सभी उन्हें न भी समझ सकें परंतु उनका पालन करना अति आवश्यक है इसलिए हमारे हितैषी ऋषि-मुनियों के द्वारा इन कार्यों का नियम के रूप में समाज में प्रचलन किया गया है । ध्यान रहे, इन नियमों से गर्भवती को भलीभाँति अवगत करायें परंतु भयभीत नहीं करें । भय का गर्भ पर विपरीत असर पड़ता है ।*


*🚩ग्रहण के दौरान गर्भिणी को लोहे से बनी वस्तुओं से दूर रहना चाहिए । वह अगर चश्मा लगाती हो और चश्मा लोहे का हो तो उसे ग्रहणकाल के दौरान निकाल देना चाहिए ।*


*🚩बालों पर लगी पिन या शरीर पर धारण किये हुए नुकीली गहने भी उतार दें । चाकू, कैंची, पेन, पेंसिल, सुई जैसी नुकीली चीजों का प्रयोग कदापि न करें । किसी भी लोहे की वस्तु, बर्तन, दरवाजे की कुंडी, ताला आदि को स्पर्श न करें ।*


*🚩 ग्रहण काल में भोजन बनाना, साफ-सफाई आदि घरेलू काम, पढ़ाई-लिखाई, कम्प्यूटर वर्क, नौकरी या बिजनेस आदि से संबंधित कोई भी काम नहीं करने चाहिए क्योंकि इस समय काम करने से शारीरिक और बौद्धिक क्षमता क्षीण होती है ।*


*🚩 ग्रहणकाल में घर से बाहर निकलना, यात्रा करना, चन्द्र अथवा सूर्य के दर्शन करना निषिद्ध है ।*


*🚩ग्रहणकाल के दौरान पानी पीना, भोजन करना, लघुशंका अथवा शौच जाना, सोना या स्नान करना, वज्रासन में बैठना भी निषिद्ध है । ग्रहणकाल से 4 घंटे पूर्व इस प्रकार अन्न-पान करें कि ग्रहण के दौरान शौचादि के लिए जाना न पड़े ।*


*🚩 ग्रहण के दौरान सेल्युलर फोन (मोबाइल) से निकले रेडिएशन्स से शिशु में स्थायी विकृति या मानसिक तनाव उत्पन्न हो सकता है अत: इस समय मातायें फोन से दूर रहें ।*


*🚩 सूर्यग्रहण में 4 प्रहर (12 घंटे) पहले से सूतक माना जाता है । जो गर्भवती माताएँ हैं वे ग्रहण से 1 से 1.5 प्रहर (4 से 4.30 घंटे) पहले तक खा-पी लें तो चल सकता है ।*


*🚩 गर्भवती ग्रहणकाल में गले में तुलसी की माला व चोटी में कुश धारण कर लें ।*


*🚩ग्रहण से पूर्व देशी गाय के गोबर में तुलसी के पत्तों का रस मिलाकर पेट पर गोलाई से लेप करें । देशी गाय का गोबर उपलब्ध न हो तो गेरु मिट्टी अथवा शुद्ध मिट्टी का ही लेप कर लें, इससे ग्रहण के दुष्प्रभाव से गर्भ की रक्षा होती है ।*


*🚩 कश्यप ऋषि कहते हैं – चन्द्रग्रहण तथा सूर्यग्रहण का ज्ञान होने पर गर्भिणी को गर्भवेश्म अर्थात घर के भीतरी भाग (अंत: पुर) में जाकर शान्ति होम आदि कार्यों में लगकर चन्द्र तथा सूर्य की ग्रह द्वारा मुक्ति के लिए प्रार्थना करनी चाहिए ।*


*🚩 गर्भिणी सम्पूर्ण ग्रहण काल में कमरे में बैठकर यज्ञों में सर्वश्रेष्ठ भगवन्नाम जप रूपी यज्ञ करें । ॐ कार का दीर्घ उच्चारण करें । अगर लम्बे समय तक नहीं बैठ पाये तो लेटकर भी जप कर सकती है । जप करते समय गंगाजल पास में रखें । ग्रहण पूर्ण होने पर माला को गंगाजल से पवित्र करे व स्वयं वस्त्रों सहित सिर से स्नान कर लें ।*


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मिडिया की बातो पर भरोसा करते है तो सावधान ! न्यू यॉर्क टाइम्स ने गलत खबर की मांगी माफी.....

27 October 2023

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🚩टीआरपी की जद्दोजहतों के बीच खबरें शायद बिल्कुल गुम सी हो गई हैं। तड़कते भड़कते ग्राफ़िक्स को लेकर बनाया गया प्रोमो, एंकर-एंकराओं के बदलते हाव भाव, और उन सबके बीच ख़बरों के एक राई जितने छोटे हिस्से को आज के ज़माने में कुछ तथाकथित पढ़े लिखे न्यूज़ चैनल “खबर” कहते हैं। कुछ ऐसा ही वाकया सामने आया है आज…


🚩हुजूर आते आते बहुत देर कर दी… तवायफ फिल्म का यह गाना ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ पर सही बैठ रहा है। पहले पूरी दुनिया में सैकड़ों लोगों की मौत की झूठी खबर फैलाई, अब कई दिनों के बाद ‘पत्रकारिता के आदर्श’ बाँच एक संपादकीय नोट जारी कर दिया।


🚩‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने सोमवार (23 अक्टूबर,2023) को एक नोट प्रकाशित कर ये स्वीकार किया है कि गाजा के अस्पताल पर हुए हमले पर उनकी शुरुआती कवरेज हमास के दावों पर अधिक केंद्रित थी। उन्होंने माना (हालाँकि शब्द चयन ऐसा है, जिससे लग रहा कि आधे-अधूरे मन से माना) कि इसका कवरेज पत्रकारीय मानकों पर खरा होना चाहिए था।


🚩गौरतलब है कि इजरायल और हमास के बीच चल रहे युद्ध के दौरान 17 अक्टूबर 2023 को 


🚩गाजा के अस्पताल पर रॉकेट से हमला हुआ था। इसमें 500 लोगों के मारे गए थे । इसको लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स ने बार-बार छापा था कि अस्पताल में हुआ विस्फोट इजरायली हवाई हमले की वजह से हुआ। 


🚩अब न्यूयॉर्क टाइम्स ने माफी मांगी की की गलती से झूठी खबर छप गई थी।


🚩पूरी दुनिया में आम लोगों के साथ प्रसिद्ध हस्तियों तथा बुद्धिजीवियों का भी भरोसा मीडिया से उठ रहा है, जिस तरह से मीडिया टीआरपी और पैसे की अंधी दौड़ में झूठी, मनगढ़ंत खबरें दिखा रही है इससे जनता का विश्वास खत्म होता जा रहा है ।


🚩इस तरह की रिपोर्ट तब प्रकाशित की जा रही थी, जब इजरायल डिफेंस फोर्स (आईडीएफ) बार-बार सबूतों सहित कहती रही कि ये हमला फिलिस्तीन के इस्लामी आतंकियों के इजरायल की तरफ फेंके गए रॉकेट के मिसफायर होने से हुआ।


🚩द न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक हफ्ते तक 500 लोगों की मौत की फेक न्यूज फैला कर अब माना कि 17 अक्टूबर को प्रकाशित खबर में संपादकीय गड़बड़ी हुई थी। ऐसा शायद इसलिए करना पड़ा होगा न्यूयॉर्क टाइम्स को क्योंकि अमेरिकी और अन्य अंतरराष्ट्रीय अधिकारियों ने कहा है कि सबूत बताते हैं कि रॉकेट फिलिस्तीनी लड़ाकू ठिकानों से आया था।


🚩न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है कि 17 अक्टूबर 2023 को हुए विस्फोट की उसकी शुरुआती कवरेज और उसके साथ हेडलाइन्स, न्यूज अलर्ट और सोशल पोस्ट हमास के दावों पर बहुत अधिक निर्भर थे। उन्होंने माना कि इस रिपोर्ट ने पाठकों को इस हमले की जानकारी को लेकर गलत धारणा दी।


🚩वेबसाइट के संपादकों ने माना कि संघर्ष के दौरान खबर की संवेदनशील प्रकृति और इसे मिले अहम प्रचार को देखते हुए टाइम्स संपादकों को शुरुआती न्यूज देने में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए थी। इसके साथ ही इस बारे में अधिक सतर्क और साफ होना चाहिए था कि किस जानकारी को सत्यापित किया जा सकता है।


🚩आपको बता दें कि अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने बयान दिया है कि, ‘मीडिया के लोग धरती पर मानव जाति में सबसे बेईमान हैं ।’ 


🚩पूरी दुनिया में आम लोगों के साथ बड़ी-बड़ी प्रसिद्ध हस्तियों तथा बुद्धिजीवियों का भी भरोसा मीडिया से उठ रहा है, जिस तरह से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिंट मीडिया टीआरपी और पैसे की अंधी दौड़ में झूठी, मनगढ़ंत खबरें दिखा रही है इससे जनता का विश्वास खत्म होता जा रहा है ।


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Wednesday, October 25, 2023

इजरायल तो केवल झांकी मात्र है, पूरी दुनिया को बनाना चाहते है,इस्लामिक स्टेट .....

26 October 2023

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🚩इस्लामी आतंकी संगठन हमास ने इजरायल में जो बर्बरता दिखाई है उससे पूरी दुनिया सन्न है। लेकिन सोशल मीडिया में वायरल हो रहे एक वीडियो से पता चलता है कि इजरायल केवल पहला निशाना है। हमास का प्लान पूरी दुनिया में ऐसी ही बर्बरता अंजाम देने की है। वह पूरी दुनिया पर अपना निजाम चाहता है।


🚩वायरल वीडियो हमास के कमांडर महमूद अल जहर का है। इसमें वह बता रहा है कि पूरी दुनिया पर राज उनका लक्ष्य है। कोई यहूदी, कोई ईसाई गद्दार नहीं बचेगा। यह वीडियो ‘मेमरी टीवी’ ने दिसंबर 2022 में प्रकाशित किया था। ताजा हमलों के बाद यह इंटरनेट पर फिर से वायरल हो रहा है।


🚩78 साल का महमूद अल जहर (Hamas Commander Mahmoud Al Zahar) 2004 से हमास का सरगना है। वह इस आतंकी संगठन का संस्थापक सदस्य भी है। 2006 में वह फिलिस्तीन की सरकार में विदेश मंत्री भी बना था।


🚩करीब एक मिनट के वायरल वीडियो में महमूद कह रहा है, “इजरायल केवल पहला लक्ष्य है। पूरी पृथ्वी का 510 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र एक ऐसे निजाम के अधीन आएगा जहाँ कोई अन्याय नहीं होगा। कोई उत्पीड़न नहीं होगा। वे जुल्म और अपराध नहीं होंगे जो सभी अरब देश, लेबनान, सीरिया और फिलिस्तीन के लोग झेल रहे हैं।”

https://twitter.com/AmyMek/status/1711988348544491909?t=EWtlYY0ukuUgDupvXIHreA&s=19


🚩यह बयान बताता है कि हमास का मिशन वह नहीं है जो लिबरल-सेकुलर बुद्धिजीवी बताते हैं। उसका मिशन अन्य इस्लामी कट्टरपंथी संगठनों की तरह ही पूरी दुनिया में इस्लामी निजाम कायम करना है। इजरायल में महिलाओं के साथ रेप, उनकी शवों के नग्न परेड, बच्चों के सिर काटने से लेकर लोगों को जिंदा जलाने तक की घटनाओं को अंजाम देकर भी उसने यही साबित किया है।


🚩खुद महमूद अल जहर भी इजरायल के भीतर बच्चों की हत्या की बात पहले कर चुका है। उसने 2009 में इजरायल पर फिलिस्तीनी बच्चों की हत्या का आरोप लगते हुए कहा था कि इससे अब इजरायल में बच्चों की हत्याएँ जायज हो गई हैं।


🚩आपको बता दे की इस्लामिक जिहादी बर्बरता के कुछ साल पहले के आंकड़े हैं, वो न सिर्फ हैरान करने वाले हैं, बल्कि काफी भयावह भी हैं। इस्लामिक जिहादी बर्बरता का आंकड़ा कुछ इस प्रकार है कि 2017 में दुनिया भर में इस्लामिक आतंकवादियों ने 84 हजार से ज्यादा निर्दोष लोगों की हत्याएं की हैं, हजारों अव्यवस्क लड़कियों की इज्जत लूटी हैं, हजारों अव्यस्क लड़कियों को सेक्स स्लेव यानी गुलाम बना कर रखा, कोई एक नहीं बल्कि 66 देशों में इस्लामिक आतंकवादियों ने हिंसा की खतरनाक साजिश रची है और हिंसा को साजिशपूर्ण ढंग से अंजाम देने का कार्य भी किया है ।


🚩इस्लामिक जिहादी बर्बरता के यह आकंडे और यह निष्कर्ष ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की संस्था ‘इस्टीट्यूट फॉर ग्लोबर चेज’ ने दिए हैं । ये आंकडे कोई हवा-हवाई नहीं हैं. बल्कि ये आकंडे चाकचौबंद हैं, यह निष्कर्ष भी चाकचौबंद हैं ।


🚩इस्लामिक बर्बरता के आंकड़ों ने दुनिया को शर्मसार कर दिया है, दुनिया को चिंता में डाल दिया है, दुनिया को फिर से यह सोचने के लिए बाध्य कर दिया है कि आखिर इस इस्लामिक बर्बरता के रोकने के सिद्धांत और नीति क्या हैं, अब तक जितने भी प्रयास हुए हैं वे सबके सब नकाफी साबित हुए हैं, बेअसर साबित हुए हैं । इस्लामिक आतंकवाद से जुड़े घृणा और हिंसा का दायरा दिनों-दिन बढ़ता ही चला जा रहा है, सिर्फ बर्बर सामाजिक व्यवस्था वाले देशों की ही बात नहीं है बल्कि सभ्यताशील और विकसित सामाजिक व्यवस्था वाले देशों में भी इस्लामिक घृणा और इस्लामिक हिंसा ने अपने पैर पसारे हैं ।


🚩अब यहां यह प्रश्न उठता है कि इस्लामिक बर्बरता के इन घृणित आंकडों से भी दुनिया कोई सबक लेगी और इस्लामिक बर्बरता के खिलाफ कोई चाकचौबंद अभियान चलेगा ?


🚩इन आंकड़ों में बताया गया है कि 121 देशों में इस्लामिक आतंकवादी सक्रिय हैं जहां पर उनका नेटवर्क गंभीर रूप से सक्रिय हैं और इस नेटवर्क को सुरक्षा एजेंसियां भी समाप्त करने में विफल रही हैं । सर्वाधिक खतरा उन देशों से पर बढ़ा है जहां पर इस्लामिक राज नहीं है पर इस्लामिक राज के लिए किसी न किसी प्रकार का मजहबी हिंसक अभियान जारी है, इस्लामिक आतंकवादी सरेआम कहते हैं कि दुनिया को कुरान का शासन मानना ही होगा अन्यथा हिंसा का शिकार होना होगा, हम तलवार के बल पर पूरी दुनिया में कुरान का शासन लागू करेंगे।


🚩दुनिया में एक मात्र आईएस ही खूंखार, हिंसक या फिर मानवता को शर्मसार करने वाला आतंकवादी संगठन नहीं है, बल्कि दुनिया में दो सौ से अधिक मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं जो सीधे तौर पर इस्लाम की मान्यताओं को लेकर जेहादी हैं । सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि स्थानीय स्तर पर दुनिया में हजारों और लाखों मुस्लिम आतंकवादी संगठन हैं ।


🚩स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन भी कम खतरनाक नहीं होता है । स्थानीय स्तर का मुस्लिम आतंकवादी संगठन बड़े आतंकवादी संगठनों के लिए जमीन तैयार करता है, आतंकवादी मानसिकताओं का प्रचार-प्रसार करता है, आतंकवाद का बीजारोपण करता है। बड़े आतंकवादी संगठन पर कार्यवाही तो आसान होता है पर स्थानीय स्तर पर सक्रिय आतंकवादी संगठनों पर कार्यवाही बड़ी मुश्किल होती है, क्योंकि इनकी पहचान अति गोपनीय होती है और मुस्लिम समुदाय ऐसे संगठनों की पहचान जाहिर करना इस्लाम विरोधी मान लेते हैं।


🚩ये सारे आंकड़े इस बात का साफ़ संकेत हैं कि आपको आतंक को धर्म से नहीं जोड़ना है तो मत जोड़िए, लेकिन इस्लामिक जिहाद के नाम पर हो रही बर्बरता, नरसंहार के खिलाफ दुनिया को एकजुट होकर खड़ा होना ही होगा अन्यथा, आगे की स्थिति काफी भयावह होने वाली है ।


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Tuesday, October 24, 2023

जय श्री राम का नारा भारत में नहीं तो क्या पाकिस्तान में लगाया जाएगा ❓

25 October 2023

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🚩भारत में और वह भी उत्तर प्रदेश में जहाँ पर एक योगी मुख्यमंत्री का शासन है, क्या वहाँ पर भी यह हो सकता है कि जय श्रीराम के नारे लगाने पर बच्चों के विरुद्ध कार्यवाही हो जाए ? क्या जय श्री राम का नारा लगाने पर बच्चों को कॉलेज के किसी प्रोग्राम में स्टेज से उतारा जा सकता है ? क्या जय श्रीराम का नारा लगाने को लेकर कॉलेज के प्रोफेसर द्वारा आपत्तिजनक टिप्पणी भी की जा सकती है ? और क्या अगर ऐसा कहीं हुआ भी है, तो फिर उसे ठीक भी ठहराया जा सकता है❓


🚩यदि यह कहा जाए कि यह सब हुआ और उत्तर प्रदेश में हुआ, तो सहज में विश्वास नहीं होगा क्योंकि यह हमारी अपेक्षा से परे है। लेकिन सच्चाई यही है कि यह हुआ है गाज़ियाबाद के एबीईएस कॉलेज में। यहाँ पर एक बच्चे ने मंच पर चढ़कर साथियों का अभिवादन करते हुए जय श्रीराम कह दिया और उसके ऐसा करते ही उसे एक शिक्षिका द्वारा मंच से नीचे उतार दिया गया।


🚩जैसे ही यह वीडियो वायरल हुआ, सोशल मीडिया पर शोर मचा, वैसे ही लोगों ने विरोध करना आरम्भ कर दिया। प्रश्न जायज भी है कि आखिर क्यों प्रभु श्रीराम का नारा लगाने पर विरोध हो ? और ऐसा क्या गलत कह या कर दिया था उस बच्चे ने ?


🚩लोगों ने शोर मचाया और उसके बदले में आरोपी शिक्षिका ममता गौतम ने वीडियो जारी करके अपनी सफाई दी। यह सफाई कम और उस विद्यार्थी पर आक्षेप अधिक थी। इसमें उन्होंने कहा कि चूँकि वह सनातनी परम्परा को मानने वाली हैं और शारदीय नवरात्रि में वह विधि - विधान से पूजा करती हैं, अत: प्रभु श्रीराम को लेकर न ही उन्हें कोई समस्या है और न ही होगी। ये तो उन्होंने कह दिया पर वास्तव में उन्हें कोई समस्या नही थी तो बच्चे के साथ ऐसा दुर्व्यवहार उन्होंने क्यों किया और तत्काल उसे मंच से उतारा क्यों ? ये ध्यान देने वाली बात है।


🚩परन्तु यह सफाई क्या उस पीड़ा को कम कर सकती है, जो लाखों हिन्दू लोगों को हुई कि लड़के को जय श्रीराम बोलने को लेकर मंच से नीचे उतार दिया गया ? हालाँकि जब मामला बढ़ा तो कॉलेज की ओर से जाँच की गई और जाँच के बाद 2 शिक्षिकाओं को निलंबित कर दिया गया।


🚩बात सिर्फ एबीईएस कॉलेज तक सीमित नहीं है। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में आधुनिक इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर विक्रम हरिजन ने तो यहाँ तक कह दिया कि वो भगवान राम और भगवान कृष्ण यदि अभी होते तो दोनों को जेल भेज देते। अब ऐसे में प्रश्न कई उठते हैं। सबसे महत्वपूर्ण और जरूरी कुछ प्रश्न हैं:


🚩क्या कथित पढ़ाई का झंडा उठाने वाले लोग हिन्दू जड़ों से कटे हुए लोग होते हैं ?


🚩क्या जैसे-जैसे इंसान किताबें पढ़ता जाता है, वह अपनी हिन्दू पहचान से विमुख होता जाता है ?


🚩क्या आज की शिक्षा व्यवस्था में ही दोष है, जो धर्म से विमुख कर रहा है जिसे अब बदलना अनिवार्य हो गया है ?


🚩यदि ऐसा नहीं है तो क्या कारण है कि स्कूल और कॉलेज जैसे शिक्षा के संस्थानों में बहुसंख्यक हिन्दू धर्म को निरंतर अपमानित किया जाता है ?


🚩आखिर क्यों ऐसी घटनाएँ होती हैं, जिनके चलते हिंदुस्तान में हिन्दू समाज को न्याय के लिए शोर मचाना पड़ता है ?


🚩एक और प्रश्न: जय श्रीराम का नारा भारत में नहीं तो क्या पाकिस्तान में लगाया जाएगा ❓


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Monday, October 23, 2023

इजराइल पर हमास के ये हमले आतंकवाद हैं या युद्ध ?

24 October 2023

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🚩(इजराइल में हुए हमास के हमले की पीछे की मानसिकता को समझने के लिए यह डॉ शंकर शरण जी का पूर्व लिखित लेख अत्यंत लाभदायक है)


🚩एक बार प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी ने पूछा था, ''जिस मजहबी विश्वास में मुसलमानों की इतनी श्रद्धा है, उसमें ऐसा क्या है जो सब जगह इतनी बड़ी संख्या में हिंसक प्रवृत्तियों को पैदा कर रही है?'' दुर्भाग्य से अभी तक इस पर विचार नहीं हुआ। जबकि पिछले दशकों में अल्जीरिया से लेकर अफगानिस्तान और लंदन से लेकर श्रीनगर, बाली, गोधरा, ढाका तक जितने आतंकी कारनामे हुए, उनको अंजाम देने वाले इस्लामी विश्वास से ही चालित रहे हैं। अधिकांश ने कुरान और शरीयत का नाम ले-लेकर अपनी करनी को फख्र से दुहराया है। इस पर ध्यान न देना राजनीतिक-बौद्धिक भगोड़ापन ही है।


🚩कानून और न्याय-दर्शन की दृष्टि से भी यह अनुचित है। सभ्य दुनिया की न्याय-प्रणाली किसी अपराधी, हत्यारे के अपने बयान को महत्व देती है। उसकी जांच भी होती है। मगर उसे उपेक्षित कभी नहीं किया जाता, क्योंकि उससे हत्या की प्रेरणा (मोटिव) का पता चलता है। अत: जब अनगिनत जिहादी, बार-बार अपने कारनामों का कारण कुरान का आदेश बता रहे हों, तब इससे नजर चुराना आतंकवाद को प्रकारान्तर से बढ़ावा देना ही हुआ। इससे नए-नए जिहादी बनने कैसे रुकेंगे? आखिर, दुनियाभर में मुसलमान अपने को आत्मघाती मानव-बम में कैसे बदलते रहते हैं, किस प्रेरणा से?

विचित्र बात है कि जिहादियों द्वारा हमले की घटनाओं को “आतंकवाद” कहा जाता रहा है, जबकि खुद हमला करने वाले अपने काम को युद्ध, 'होली वार' कहते रहे हैं। लेकिन इसे नजरअंदाज कर, उनसे पीडि़त लोग उसे “आतंक” कहते हैं! यह तो निमोनिया को मौसमी बुखार कहने जैसी बुनियादी भूल है। रोग की पहचान में ही गलती, बल्कि जानबूझकर की गई गलती। तब इलाज हो... तो कैसे?


🚩एक गलती दूसरी गलती की ओर ले गई। हमला करने वाले सामान्य लोग हैं, मानवीय रूप से उनमें कोई विशेषता या गड़बड़ी नहीं पाई गई है। मारे गए जिहादी हों या पकड़े गए या अपने सुरक्षित अड्डों से बयान जारी करने वाले, पत्र-पत्रिकाएं प्रकाशित करने वाले, मदरसे चलाने वाले, जिहादी प्रशिक्षण देने वाले, साथ ही मौका मिलने पर आई.एस.आई. और सी.आई.ए. से संवाद और समझौते करने वाले... ये सभी मुसलमान बिल्कुल सामान्य तरीके से सोचने-समझने, लिखने-बोलने वाले पाए गए हैं। लेकिन जब देखो, उन्हें 'पागल', 'सिरफिरा' कहा जाता है, जबकि अपनी ओर से वे अपने को सैनिक, 'कमांडर', 'चीफ', 'शेख', 'खलीफा' आदि कहते, कहलाते हैं।


🚩ध्यान दें, उनके समर्थक भी दुनियाभर के लाखों, करोड़ों सामान्य मुसलमान ही हैं। ओसामा बिन लादेन, जवाहिरी, मुल्ला उमर या उमर अल शाशनी के प्रशंसक भी वैसे ही आम मुसलमान रहे हैं। बिन लादेन की फोटो वाले खिलौने, पोस्टर, टीशर्ट आदि पाकिस्तान में बरसों लोकप्रिय रहे। उसे सामान्य मुसलमान बनाते, बेचते और खरीदते थे। याद रहे, पाकिस्तान सरकार और सामान्य स्थानीय अधिकारियों को भी उसमें कुछ गलत नहीं दिखता था। (अभी अगर खलीफा बगदादी की फोटो वाले खिलौने, टीशर्ट आदि पाकिस्तान या अरब के बाजारों में नहीं हैं, तो कारण मात्र यह है कि बगदादी ने सारे मुस्लिम शासकों को भी “काफिर” करार देकर उन्हें भी हटाने, मारने का नारा दे रखा है। इसलिए मुस्लिम सत्ताधारी बगदादी के प्रति उत्साही नहीं, और उसके प्रति वही उदारता नहीं है जो बिन लादेन के लिए थी।)


🚩वही स्थिति कश्मीर में हुर्रियत, लश्कर, हिज्बुल आदि गुटों के नेताओं, समर्थकों, कार्यकर्ताओं की है। जब भी, जो भी इनसे मिला, सबने पाया है कि वे बड़े सलीकेदार, सामान्य लोग हैं। वैसे ही व्यवहार करते हैं जैसे कोई और। सिमी, इंडियन मुजाहिदीन के लोग और समर्थक भी इसी तरह सामान्य लोग रहे हैं। अभी जाकिर नाइक को लेकर कुछ बावेला हो रहा है, मगर केवल इसलिए क्योंकि बंगलादेश के जिहादी उसके प्रशंसक थे। लेकिन बरसों से जाकिर के लाखों मुसलमान प्रशंसक रहे हैं। जबकि 2006 में मुंबई में ही सीरियल आतंकी हमलों में जाकिर का नाम प्रमुखता से आ चुका था। उसकी संस्था आई.आर.एफ. में ही बैठकर आतंकियों ने योजनाएं बनाईं और अंजाम दिया। वैसे भी जाकिर बिन लादेन का खुला समर्थक है और सारे मुसलमानों को आतंकी बनने की जरूरत बता चुका है। यानी, जाकिर भी सामान्य व्यक्ति है, बल्कि इस्लाम का जाना-माना विद्वान है। अभी उसके समर्थन में कितने ही भारतीय मुस्लिम नेता, संगठन और आलिम सामने आ चुके हैं।


🚩यानी, इनमें कोई भी पागल या सिरफिरा नहीं है। फिर भी, हर आतंकी घटना के बाद हमलावरों, उनके प्रशिक्षकों, सरपरस्तों आदि को थोक भाव में ‘पागल’ या 'भटके हुए' आदि कहा जाता है। मजा यह कि ओसामा या उमर का बचाव करने वाले भी आतंकी हमलों के बाद हमलावरों को 'सिरफिरे' कह देते हैं। यानी, जिहादियों को सिरफिरे कहना केवल कूटनीति है - दोतरफा कूट। जिहाद का निशाना बनने वाले और जिहादियों के समर्थक, दोनों समय-समय पर उन्हें ‘सिरफिरे’ कहते हैं, ताकि असली बात का बचाव हो। असली बात इतनी सीधी है कि उसे न पहचानना और तदनुरूप उपाय न करना एक अर्थ में आश्चर्यजनक है। जिहादियों की अपनी घोषणाओं, नारों, दस्तावेजों में, उन्हें प्रेरित करने वाली किताबों में, हर जगह मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा है कि उनका उद्देश्य ‘काफिरों’ के विरुद्ध मजहबी युद्ध चलाना है - तब तक 'जब तक की सारी धरती अल्लाह की न हो जाए।' जब तक 'निजामे-मुस्तफा’ पूरी दुनिया में कायम न हो जाए। इसकी प्रेरणा, बल्कि आदेश उन्हें खुद 'प्रोफेट मुहम्मद ने स्थायी रूप से दे रखा है कि 'जो मुसलमान इसे भूल गए हैं, वे खुद काफिर और मौत के भागी हैं।' इसीलिए, पाकिस्तानी तालिबान से लेकर इस्लामी स्टेट तक, कई जिहादी संगठनों ने मुस्लिम शासकों को भी निशाना बनाया।

जिहाद राजनीतिक युद्ध है, इसकी पुष्टि बड़ी सरलता से संपूर्ण इस्लामी इतिहास और मूल किताबों से होती है। इस में समझने के लिए ऐसा कुछ नहीं है, जिसके लिए विशेष संस्थान या शिक्षक के पास जाना पड़े। कम से कम बुनियादी बातों पर कहीं, कोई असहमति नहीं। जैसे, 'इस्लाम ही एक मात्र सत्य है’, ‘प्रोफेट मुहम्मद सब से मुकम्मिल प्रोफेट थे और उनकी अवज्ञा या अपमान का दंड मौत है’, ‘मुहम्मद द्वारा किया गया व्यवहार हर मुसलमान के लिए अनुकरणीय और कानून है’, ‘कुरान अल्लाह के शब्द हैं; जो इस पर संदेह करे उसे मौत के घाट उतारो’, ‘मूर्तिपूजक और देवी-देवताओं को मानने वाले लोग सब से गंदे, घृणित होते हैं’, ‘सारी दुनिया को इस्लाम के झण्डे तले लाना है, मगर किसी के द्वारा इस्लाम छोड़ने की सजा मौत है’, ‘जिहाद लड़ना मुसलमानों का सबसे पवित्र कर्तव्य है’, ‘जिहाद की राह में मरने वाला उसी क्षण जन्नत पहुंचता है, जहां सारी नियामतें उस की खातिर में तैयार रहती हैं।’ इन बुनियादी बातों पर मुस्लिम आलिमों में कभी कहीं कोई मतभेद नहीं रहा। जो व्याख्यात्मक मतभेद हैं, वे इसके बाद। इन इस्लामी आदेशों, उदाहरणों को कैसे, कहां, कितना, लागू करें आदि।


🚩सौभाग्य की बात है कि उपर्युक्त बातों को सिद्धांतत: मानते हुए भी अधिकांश मुसलमान व्यवहार में उसे अक्षरश: लागू करने की चाह नहीं रखते। रोजी-रोटी, बाल-बच्चे, हंसी-खुशी, मेहनत-मशक्कत आदि ही उनका पूरा ध्यान या समय खा जाती हैं, लेकिन जो भी मुसलमान उन बातों को दिल से लगा ले, उसके लिए अल कायदा या इस्लामी स्टेट बिल्कुल सही और जरूरी लगने लगते हैं। किशोर और युवा सहज आदर्शवादी होते हैं, इसलिए जिसे वे बातें छू जाएं वह इस्लामी स्टेट का रास्ता पकड़ता है या उसकी मदद करने लगता है।


🚩इस स्पष्ट स्थिति को जान-बूझकर न पहचानना ही पिछले तीन दशकों से हाल बिगड़ते जाने की वजह रही है। कुछ मुसलमानों ने गैर-मुसलमानों के खिलाफ और कुरान का शासन सारी दुनिया पर लागू करने के लिए युद्ध छेड़ा हुआ है। इसे लड़ने वाले संगठन, कमांडर, कार्यकर्ता बदलते रहते हैं। मगर युद्ध की घोषणा, उसका लक्ष्य, तरीके आदि नहीं बदलते। यदि पूरे घटनाक्रम को या बीमारी को इसी स्पष्टता से पहचान कर उपाय सोचा जाता तो उत्तर, इलाज बिल्कुल आसान था।


🚩किसी ने युद्ध छेड़ा है तो उससे लड़िए।

आक्रमणकारी और उसके बाहरी-भीतरी समर्थकों को शत्रु मानकर उपाय कीजिए। उसके द्वारा किए जा रहे बहाने, ध्यान भटकाने, संधि या विराम के नाटक, शर्तबंदी, आदि-आदि की सही पहचान कीजिए कि उसमें असली-नकली क्या है और जीतने का उपाय कीजिए। याद रहे, युद्ध में जीतने के सिवा कोई लक्ष्य नहीं होता। इसके सिवा कोई और लक्ष्य रखना अपने को नष्ट करने की तैयारी है।


इस युद्ध का चरित्र मुख्यत: मानसिक है। सारे जिहादी नेताओं ने वैचारिक जमीन पर अपने कार्यकर्ता एकत्र किए हैं। सब की किताब एक है; दूसरे कारण गौण हैं। अत: उस जमीन को खिसकाए बिना उन्हें कमजोर नहीं किया जा सकता। इसीलिए बड़े-बड़े जिहादी संगठनों, सरदारों के खत्म होने के बाद दूसरे उभरते रहे हैं। बम, बंदूक, जहाज, विस्फोटक भरी गाडि़यां आदि उनके साधन हैं। ये सब अपने आप में समस्या नहीं हैं। आतंकवाद मूल समस्या नहीं है। आतंक एक साधन मात्र है इस्लाम का लक्ष्य प्राप्त करने के लिए। यानी, आतंकवाद एक रणनीतिक, कार्यनीति मात्र है, मूल शत्रु नहीं। जैसे दो देशों के बीच युद्ध में मिसाइलें, बमवर्षक जहाज या पनडुब्बी किसी के साधन होते हैं, उसी तरह आतंक भी इस्लामवाद नामक पक्ष की ओर से एक साधन मात्र है। यह गैर-मुस्लिम विश्व और मुसलमानों में भी तटस्थ को अपनी इच्छा के प्रति झुकाने का एक हथियार है। उसके दूसरे हथियार भी हैं जो उसी उद्देश्य से प्रयोग होते रहे हैं। तरह-तरह के फतवे, खुमैनी और तालिबान जैसे राज्य, हर कहीं शरीयत कानून की जिद, मदरसों के पाठ्यक्रम और उनमें सचेत बदलाव, तसलीमा विरोध, यहूदी विरोध, जनसांख्यिकी दबाव, 'इस्लामोफोबिया' पर प्रस्ताव, इस्लामिक बैंकिंग, अप्रवासन नीति आदि भी उसी उद्देश्य के अन्य हथियार हैं। बड़ी सरलता से दिखता है कि यह सब करने, मांगने वाले जिहादियों के प्रति भी सद्भाव रखते हैं या कभी बिना किन्तु-परंतु उनकी भर्त्सना नहीं करते।


🚩अत: मूलत: सारी लड़ाई इस्लामी विश्वासों की है। लड़ना उसी से होगा। कि कुरान की बातें, प्रोफेट के वे काम, उनके आदेश, उदाहरण, कानून और जन्नत आदि सब मानवीय कल्पनाएं हैं। यह बात और बहस बार-बार उठती रही है। कुरान की बातों की हैसियत तब भी यही थी जब वह पहली बार बताई गई थीं। उसे अरबों ने भी, एक भी जगह, स्वेच्छा से नहीं माना था। मुहम्मद के प्रोफेट होने पर संदेह, उनकी बातों को ‘पागल’ या ‘कवि’ की कल्पना, यह खुद मुहम्मद के समकालीनों ने कहा था। कुरान में ही इसके अनेक उल्लेख हैं, पर किसी को विचारों, तथ्यों से कायल करने की बजाए, तलवार से सबका काम तमाम कर ही प्रोफेट की जीत हुई थी।



🚩इस प्रकार, सातवीं सदी में भी इस्लामी सिद्धांतों को किसी ने सही मानकर स्वीकार नहीं किया था, यह प्रोफेट की सारी आधिकारिक जीवनी और पूरा इतिहास खुद बताता है।

तब ऐसी विचारधारा, मतवाद और उद्देश्य को आज गलत कहने में क्या गलत है? कुछ भी नहीं।

'भावनाओं' के नाम पर चुप्पी भी निरी मूर्खता रही है। यह तो युद्ध छेड़ने वाले की चाल में फंसना हुआ! वैसे भी, जो दूसरे मत-पंथों, विश्वासों, देवी-देवताओं को झूठा कहता है, उसके मजहब को झूठा कहने में अनुचित क्या है? वह भी तब जब कि इस्लाम की किसी भी बात के लिए कोई प्रमाण न सातवीं सदी में था, न आज है। तब भी तलवार, छल, दमन और युद्ध से काम निकाला गया था, आज भी तलवार और धमकी ही हर बात का उत्तर होती है। गैर-मुस्लिम ही नहीं, मुसलमानों को भी उनके हरेक प्रश्न का उत्तर केवल मारने की कोशिश या धमकी से दिया जाता है। रुशदी से लेकर वफा, अय्यान, तारिक, तसलीमा आदि सब के संदेह का एक ही उत्तर है: “मार डालो!”


🚩इस विचारधारा की सनक खत्म करना, या कम करना, सब से जरूरी और सब से आसान उपाय भी है। बात का जवाब बात से दो, मौत की धमकी से नहीं। अपनी 'भावना' की बात करने से पहले मूल इस्लामी किताबों में यहूदियों, ईसाइयों, हिन्दुओं, बौद्धों की भावनाओं को रौंदने वाली सारी बातों को खुल कर, इश्तहार देकर खारिज करो। विभिन्न मतों का सह-अस्तित्व लाचारी में नहीं, सिद्धांत रूप में घोषित करो। इस बात की खुली मांग, प्रचार, तथा इस्लामी मान्यताओं को कल्पनाएं बताना जरूरी है। 


🚩वस्तुत: ऐसा मानने वाले मुसलमान भी बड़ी संख्या में हैं, लेकिन उन्हें सामने आने की छूट नहीं है। उन्हें इस्लाम से बाहर आने की खुली छूट घोषित करवाना भी जरूरी है। इस तानाशाही को दो-टूक ठुकराना होगा कि कोई इस्लाम में आ तो सकता है, इस से बाहर नहीं जा सकता। सातवीं सदी की जिद इक्कीसवीं सदी में चलते देना, वह भी हिंसा के बल पर, सब से बड़ी भूल रही है।


🚩अत: इस पूरे वैचारिक-मजहबी ताने-बाने को खुली चुनौती देना, इसे गलत बताना, इस युद्ध को जीतने का पहला हथियार है। इस से संकोच करने से ही नए-नए मामले जिहाद के सामने आ जाते हैं। इसे उनकी अपनी गवाहियां शीशे की तरह साफ-साफ दिखाती रही हैं। इस्लामी विचारधारा बड़ी कमजोर है और आसानी से टूट सकती है, इसका रहस्य बात-बात में आने वाली धमकियों में है। किसी सत्य के टूटने का भय, इसलिए हिंसा की जरूरत भी नहीं होती। यह युद्ध के दोनों पक्षों को समझने की जरूरत है।


       - लेखक : डॉ० शंकर शरण


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Sunday, October 22, 2023

क्या करने से विघ्न चले जाएंगे

 दशहरे का इतिहास क्या हैं ?जानिए......

23 October 2023

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🚩सभी पर्वों की अपनी-अपनी महिमा है, किंतु दशहरा पर्व की महिमा जीवन के सभी पहलुओं के विकास, सर्वांगीण विकास की तरफ इशारा करती है। दशहरे के बाद पर्वों का झुंड आएगा, लेकिन सर्वांगीण विकास का श्रीगणेश कराता है दशहरा। इस साल दशहरा 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा।


🚩दशहरा दस पापों को हरनेवाला, दस शक्तियों को विकसित करनेवाला, दसों दिशाओं में मंगल करनेवाला और दस प्रकार की विजय देनेवाला पर्व है, इसलिए इसे ‘विजयादशमी’ भी कहते हैं।


🚩यह अधर्म पर धर्म की विजय, असत्य पर सत्य की विजय, दुराचार पर सदाचार की विजय, बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय, अन्याय पर न्याय की विजय, तमोगुण पर सत्त्वगुण की विजय, दुष्कर्म पर सत्कर्म की विजय, भोग-वासना पर संयम की विजय, आसुरी तत्त्वों पर दैवी तत्त्वों की विजय, जीवत्व पर शिवत्व की और पशुत्व पर मानवता की विजय का पर्व है।


🚩दशहरे का इतिहास!!


🚩1. भगवान श्री राम के पूर्वज अयोध्या के राजा रघु ने विश्वजीत यज्ञ किया। सर्व संपत्ति दान कर वे एक पर्णकुटी में रहने लगे। वहां कौत्स नामक एक ब्राह्मण पुत्र आया। उसने राजा रघु को बताया कि उसे अपने गुरु को गुरुदक्षिणा देने के लिए 14 करोड़ स्वर्ण मुद्राओं की आवश्यकता है तब राजा रघु स्वर्ण मुद्राएं लेने के लिए कुबेर पर आक्रमण करने के लिए तैयार हो गए। डरकर कुबेर राजा रघु की शरण में आए तथा उन्होंने अश्मंतक एवं शमी के वृक्षों पर स्वर्णमुद्राओं की वर्षा की। उनमें से कौत्स ने केवल 14 करोड़ स्वर्णमुद्राएं ली। जो स्वर्णमुद्राएं कौत्स ने नहीं ली, वह सब राजा रघु ने बांट दी तभी से दशहरे के दिन एक दूसरे को सोने के रूप में लोग अश्मंतक/शमी के पत्ते देते हैं।


🚩2. त्रेतायुग में प्रभु श्री राम ने इस दिन रावण वध के लिए प्रस्थान किया था। श्री रामचंद्र ने रावण पर विजयप्राप्ति की, रावण का वध किया। इसलिए इस दिन को ‘विजयादशमी’ का नाम प्राप्त हुआ। तब से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाने लगा।


 🚩3. द्वापरयुग में अज्ञातवास समाप्त होते ही, पांडवों ने शक्तिपूजन कर शमी के वृक्ष में रखे अपने शस्त्र पुनः हाथों में लिए एवं विराट की गायें चुराने वाली कौरव सेना पर आक्रमण कर विजय प्राप्त की, वो भी इसी विजयादशमी का दिन था।


🚩4. दशहरे के दिन इष्टमित्रों को सोना (अश्मंतक के पत्ते के रूप में) देने की प्रथा महाराष्ट्र में है।


🚩इस प्रथा का भी ऐतिहासिक महत्त्व है। मराठा वीर शत्रु के देश पर मुहिम चलाकर उनका प्रदेश लूटकर सोने-चांदी की संपत्ति घर लाते थे। जब ये विजयी वीर अथवा सिपाही मुहिम से लौटते, तब उनकी पत्नी अथवा बहन द्वार पर उनकी आरती उतारती फिर परदेश से लूटकर लाई संपत्ति की एक-दो मुद्रा वे आरती की थाली में डालते थे। घर लौटने पर लाई हुई संपत्ति को वे भगवान के समक्ष रखते थे तदुपरांत देवता तथा अपने बुजुर्गों को नमस्कार कर उनका आशीर्वाद लेते थे। वर्तमान काल में इस घटना की स्मृति अश्मंतक के पत्तों को सोने के रूप में बांटने के रूप में शेष रह गई है।


🚩5. वैसे देखा जाए, तो यह त्यौहार प्राचीन काल से चला आ रहा है। आरंभ में यह एक कृषि संबंधी लोकोत्सव था, वर्षा ऋतु में बोई गई धान की पहली फसल जब किसान घर में लाते, तब यह उत्सव मनाते थे।


🚩नवरात्रि में घटस्थापना के दिन कलश के स्थंडिल (वेदी) पर नौ प्रकार के अनाज बोते हैं एवं दशहरे के दिन उनके अंकुरों को निकालकर देवता को चढ़ाते हैं। अनेक स्थानों पर अनाज की बालियां तोड़कर प्रवेशद्वार पर उन्हें बंदनवार के समान बांधते हैं। यह प्रथा भी इस त्यौहार का कृषि संबंधी स्वरूप ही व्यक्त करती है। आगे इसी त्यौहार को धार्मिक स्वरूप दिया गया और यह एक राजकीय स्वरूप का त्यौहार भी सिद्ध हुआ।


🚩इसी दिन लोग नया कार्य प्रारम्भ करते हैं, शस्त्र-पूजा की जाती है। प्राचीनकाल में राजा लोग इस दिन विजय की प्रार्थना कर रण-यात्रा के लिए प्रस्थान करते थे।


🚩दशहरा अर्थात विजयादशमी भगवान राम की विजय के रूप में मनाया जाए अथवा दुर्गा पूजा के रूप में, दोनों ही रूपों में यह शक्ति-पूजा का पर्व है, शस्त्र पूजन की तिथि है। रामचन्द्रजी रावण के साथ युद्ध में इसी दिन विजयी हुए। अपनी सीमा के पार जाकर औरंगजेब के दाँत खट्टेे करने के लिए शिवाजी ने दशहरे का दिन चुना था। दशहरे के दिन कोई भी वीरतापूर्ण काम करनेवाला सफल होता है।


🚩दशहरा हर्ष और उल्लास तथा विजय का पर्व है। भारतीय संस्कृति वीरता की पूजक है, शौर्य की उपासक है। व्यक्ति और समाज के रक्त में वीरता प्रकट हो इसलिए दशहरे का उत्सव रखा गया है।


🚩दशहरे का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग की सद्प्रेरणा प्रदान करता है।


🚩देश के कोने-कोने में यह विभिन्न रूपों से मनाने के साथ-साथ यह उतने ही जोश और उल्लास से दूसरे देशों में भी मनाया जाता है।


🚩दशहरे की शाम को क्या करें ? जानिए:-


🚩दशहरे की शाम को सूर्यास्त होने से कुछ समय पहले से लेकर आकाश में तारे उदय होने तक का समय सर्व सिद्धिदायी विजयकाल कहलाता है।


🚩उस समय शाम को घर पर ही स्नान आदि करके, दिन के कपड़े बदल कर धुले हुए कपड़े पहनकर ज्योत जलाकर बैठ जाएँ। इस विजयकाल में थोड़ी देर “राम रामाय नम:” मंत्र के नाम का जप करें।


🚩फिर मन-ही-मन भगवान को प्रणाम करके प्रार्थना करें कि हे भगवान! सर्व सिद्धिदायी विजयकाल चल रहा है, हम विजय के लिए “ॐ अपराजितायै नमः” मंत्र का जप कर रहे हैं। इस मंत्र की एक- दो माला जप करें।


🚩अब श्री हनुमानजी का सुमिरन करते हुए नीचे दिए गए मंत्र की एक माला जप करें- “पवन तनय बल पवन समाना, बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना।”


🚩दशहरे के दिन विजयकाल में इन मंत्रों का जप करने से अगले साल के दशहरे तक गृहस्थ में जीनेवाले को बहुत अच्छे परिणाम देखने को मिलते हैं।


🚩दशहरा पर्व व्यक्ति में क्षात्रभाव का संवर्धन करता है। शस्त्रों का पूजन क्षात्रतेज कार्यशील करने के प्रतीकस्वरूप किया जाता है। इस दिन शस्त्रपूजन कर देवताओं की मारक शक्ति का आवाहन किया जाता है।


🚩इस दिन प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन में नित्य उपयोग में लाई जाने वाली वस्तुओं का शस्त्र के रूप में पूजन करता है। किसान एवं कारीगर अपने उपकरणोें एवं शस्त्रों की पूजा करते हैं। लेखनी व पुस्तक, विद्यार्थियों के शस्त्र ही हैं इसलिए विद्यार्थी उनका पूजन करते हैं। इस पूजन का उद्देश्य यही है- उन विषय-वस्तुओं में ईश्वर का रूप देख पाने अर्थात ईश्वर से एकरूप होने का प्रयत्न करना।


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Saturday, October 21, 2023

भारतीय क्रिकेट टीम जब मैच खेलने पाकिस्तान गई थी, तब क्या हुआ था ? जानिए.....

22 October 2023

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🚩पुरुषों की भारतीय क्रिकेट टीम ने क्रिकेट विश्वकप प्रतिस्पर्धा में पाकिस्तान की पुरुष क्रिकेट टीम को पराजित कर दिया है। यह एक प्रकार से एकतरफा मैच रहा था। परन्तु यहाँ पर बात हार-जीत की नहीं, उस व्यवहार की की जा रही है, जो हमारे पुरुष भाइयों के साथ पाकिस्तान में हुआ था, जब वो लोग पाकिस्तान में क्रिकेट खेलने गए थे।


🚩भारत के अहमदाबाद में जिस प्रकार से पाकिस्तान की क्रिकेट टीम का स्वागत किया गया, उसने कई लोगों को नाराज कर दिया। पुरुष आयोग जैसे संगठन ने भी ख़ासा नाराज़गी प्रकट की है।

उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर यह सब क्यों और कैसे हो गया !

क्या चंद पैसों का लालच इस सीमा तक है कि सीमा पर पाकिस्तान के हाथों प्राण गँवाते हुए अपने सैनिक नहीं दिखाई दे रहे?

क्या इस सीमा तक क्रिकेट का उन्माद बढ़ गया है?


🚩लोग गुस्से में थे... और यह गुस्सा कोई व्यक्तिगत गुस्सा नहीं था, बल्कि यह गुस्सा बहुत बढ़कर था क्योंकि यह हमारे भाइयों, बेटों और उससे बढ़कर पाकिस्तान में हिन्दू बेटियों से जुड़ा था। यह इससे भी जुड़ा था कि पाकिस्तान में लगभग रोज ही हिन्दू बेटियों का अपहरण और जबरन निकाह हो रहे हैं और हम यहाँ आए पाकिस्तानी क्रिकेटरों का स्वागत सत्कार करते हैं और तो और उनके स्वागत में अपनी बेटियों से स्वागत-नृत्य करवाते हैं!


🚩ये तमाम बातें पुरुष आयोग को और पुरुष आयोग की अध्यक्ष होने के नाते मुझे भी परेशान कर रही थीं। आखिर ऐसी क्या विवशता थी कि एक मैच को इतना विशेष बना दिया गया? जब हम क्रिकेट की बात करते हैं तो इस स्वागत पर इसलिए भी हैरानी हो रही थी क्योंकि इंटरनेट पर कई ऐसी तस्वीरें बिखरी थीं, जो उस अपमान को दिखा रही हैं, जो हमारे भाइयों अर्थात हमारी टीम के खिलाड़ियों पर पाकिस्तान में हुए हमले को दिखाती हैं।


🚩1989 में पाकिस्तान गई भारतीय टीम के कप्तान श्रीकांत पर पाकिस्तान के लोगों ने मैदान पर हमला किया था।


🚩भारत की टीम जब वर्ष 1997 में पाकिस्तान गई थी, तो उस समय पाकिस्तान के लोगों द्वारा भारत के खिलाड़ियों पर दर्शक दीर्घा से पत्थर फेंके गए थे।


🚩उस समय भारत के कप्तान सचिन तेंदुलकर थे और जब भारतीय खिलाड़ियों पर चार बार पत्थर फेंके गए, तो सचिन ने यह कहते हुए आगे खेलने से इंकार कर दिया था कि वह अपने खिलाड़ियों की सुरक्षा की कीमत पर खेल नहीं सकते।


🚩इस पर पाकिस्तान की पारी को वहीं रोक दिया गया था। उस समय पाकिस्तान की पारी के 47.2 ओवर हुए थे। भारत के लिए मैच 47 ओवर का कर दिया था और भारत ने वह मैच तीन गेंदे शेष रहते हुए जीत लिया था।


🚩यह व्यवहार हमारे भाइयों के साथ पाकिस्तान में किया जाता है और भारत में जब पाकिस्तान टीम आई तो उसके इस्तकबाल में इतना इंतजाम!


🚩सच कहा जाए तो सभी का दिल दुःख गया। हाँ, यह बात सच है कि एकतरफा मैच की विजय ने इस दुःख को कुछ कम कर दिया, परन्तु अपने भाइयों के उस अपमान पर दिल दुखता तो है ही।


🚩और यह दुःख तब और बढ़ जाता है जब हम देखते हैं कि भारत की सेक्युलर ब्रिगेड के लिए मोहम्मद रिजवान का मैदान में नमाज पढ़ना अपने मजहब के प्रति समर्पण है तो वहीं दर्शकों का जय श्री राम के नारे लगाना साम्प्रदायिकता या कहें असहिष्णुता?


🚩उनके लिए असहिष्णुता की सीमा इतनी एकतरफा क्यों है?


       - बरखा त्रेहन


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Friday, October 20, 2023

ये देश हिन्दुओं का है और रहेगा , हमें मत पढ़ाओ सेक्युलरिज्म - मुख्यमंत्री , असम

21 October 2023

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🚩असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक संबोधन के दौरान कहा कि हम हिन्दू हैं, हमें सेक्युलरिज्म का पाठ मत पढ़ाइए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि ये देश हिन्दुओं का देश है और ये देश हिन्दुओं की तरफ रहेगा। उन्होंने कहा, “ये सेक्युलरिज्म की भाषा हमें मत सिखाओ। हमें आपसे सेक्युलरिज्म की भाषा नहीं सीखनी है। हमलोग ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को मानते हैं, ये सिद्धांत विश्व को हमने दिया है। सेक्युलरिज्म का अर्थ ये नहीं है कि कोई राम मंदिर को तोड़ कर बाबर के नाम पर मस्जिद बनाएगा।”


🚩असम के मुख्यमंत्री ने स्पष्ट कहा कि इसे सेक्युलरिज्म नहीं कहा जाता।इसे तो हिन्दुओं के उनके धर्मानुसार आचरण पर परोक्ष रूप से रोक टोक ही कहा जाना चाहिए। 

उन्होंने ये बातें छत्तीसगढ़ में एक चुनावी जनसभा के दौरान कही।


🚩संक्षेप में सेक्युलरिज्म क्या है?


🚩1. दीपक जलाने का विरोध और घर दुकान जलाने पर चुप्पी।


🚩2. निर्दोष साधुओं के भीड़ द्वारा बेरहमी से मारने पर 33 सेकंड और चोर तबरेज के पुलिस कस्टडी में मरने पर 33 घण्टे चैनल कवरेज।


🚩3. थाली बजाना गलत, पर डॉक्टर और पुलिस के सिर पर पत्थर बजाने पर चुप


🚩4. बंगाल और राजस्थान में दलितों पर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी। नक्सलियों और आतंकवादियों द्वारा रक्षकों को मार देने पर चुप्पी। केरल में लव जिहाद पर चुप परन्तु उत्तरप्रदेश पर शोर।


🚩5. लव जेहाद में बेटियों के मारे जाने पर चुप्पी परन्तु कानून बनाने पर शोर।


🚩कुछ साल पहले कुछ बुद्धिजीवी और सेक्युलर मित्रों ने कहा कि ,.....

🚩दलितों और अल्पसंख्यकों में वर्षों से भाईचारा है। कभी कभी गलतफहमी हो जाती है। भटके हुए युवा गुस्से में बम विस्फोट भी कर देते हैं या आग लगा देते हैं और उसे तुम्हारे जैसे लोग ( जागरूक बहुसंख्यक ) साम्प्रदायिक दंगे का नाम दे देते हैं।


🚩साथ ही इन बुद्धिजीवियों ने हमारा ज्ञान वर्धन करते हुए कहा कि,.....

🚩औरंगजेब ने किसी की मजहब में दखलअंदाजी नहीं की। किसान नायक गोकुला जाट का झगड़ा तो केवल लगान का था।


🚩एक भाई को इस बात का गुस्सा था कि.....

राज्य में उनकी जाति 25% है परन्तु मुख्यमंत्री और प्रधानमन्त्री उनकी जाति का नहीं है। जब मैंने पूछा कि तुगलक, खिलजी, ऐबक, अकबर, औरंगजेब किस जाति के थे। ब्रिटिश वायसराय किस जाति के थे तो गुस्से से बेकाबू हो गया।


🚩एक भाई ने कहा कि......

गुरु अर्जुन देव और गुरु तेग बहादुर के बलिदान की बात पुरानी हो चुकी है। आज हम पढे लिखे हैं। इन बातों को भूल कर सेक्युलरिज़्म को आगे बढ़ाना चाहिए।


🚩एक ने बताया कि.....

जम्मू कश्मीर में धारा 370 और 35A के कारण 2 लाख से अधिक वाल्मीकि पिछले 66 साल से वोट नहीं दे सकते तो इसके लिए हरियाणा या दिल्ली में शोर नहीं करना चाहिए।


🚩बेंगलुरु के दंगे का पता चला और इसमें भीम-मीम भाईचारा खोजने की कोशिश की। भाईचारा मिल भी गया...

पूर्वी बेंगलुरु के पुल्केशी नगर के दलित कॉन्ग्रेस विधायक अखंड श्रीनिवास मूर्ति के घर की ओर 1000 से भी अधिक की अल्पसंख्यक (मुस्लिम) भीड़ ने हमलाकर आगजनी, पत्थरबाजी और दंगे किए, जिसके बाद इलाक़े में कर्फ्यू लगा दिया गया। 


🚩सेक्युलरिज्म की महिमा अपरम्पार है। यह तो सेक्युलरिज्म की एक छोटी सी झलक मात्र है।

सेक्युलरिज्म अनन्त, सेक्युलरिज्म कथा अनन्ता। हिन्दुओं अपनी आँखों से सेक्युलरिज्म की पट्टी हटाओ तब बच पाओगे !!


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Thursday, October 19, 2023

फिर से कश्मीर में धमकी भरे लगे पोस्टर : हिन्दू - सिख इस इलाके को छोड़ दें

20  October 2023

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🚩जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में हिन्दुओं और सिखों को इलाका छोड़ने की धमकी दी गई है। हिन्दुओं और सिखों के घरों पर उर्दू में लिखे पोस्टर लगा कर यह धमकी दी गई है और कहा गया है कि अगर वह ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।


🚩यह पूरा मामला जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले के देगवार मल्दियालाँ गाँव का है, जहाँ 14 अक्टूबर 2023 की शाम को इलाके में अल्पसंख्यक हिन्दू और सिख परिवारों के घरों पर तीन पोस्टर चिपके हुए पाए गए।

धमकी भरे इन पोस्टरों पर उर्दू में लिखा हुआ है कि “सभी हिन्दू और सिख इस इलाके को जल्द से जल्द छोड़ दें। अगर वो ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।” यह पोस्टर इलाके के कुछ घरों के दरवाजों पर लगाए गए जबकि कुछ घरों के आँगन में फेंके गए।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वकील महिंदर पियासा के घर के दरवाजे से एक पोस्टर बरामद किया गया जबकि दो अन्य निवासियों सुजान सिंह और किशोर कुमार के घर के आँगन से यह पोस्टर बरामद किए गए हैं।


🚩इस मामले की जानकारी होने पर पुंछ के एसएसपी दीपक पठानिया ने देगवार गाँव जाकर यह पोस्टर गाँव के सरपंच परविंदर सिंह की मौजूदगी में जब्त करवाए हैं। घरों पर धमकी भरे पोस्टर लगाए जाने के कारण हिन्दू और सिख परिवार अब अपनी सुरक्षा को लेकर बहुत ही चिंतित हैं।


🚩इजरायल के द्वारा गाजा पट्टी में हमास को नेस्तानाबूद करने को लेकर जो अभियान चलाया जा रहा है, कहीं यह उसकी प्रतिक्रिया तो नहीं ❓इस सवाल को खारिज करना आसान नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस्लामी आतंकी कहीं के भी हों, कहीं भी उनको मारा जा रहा हो, भारत में रहने वाले कट्टर मुस्लिम सड़कों पर उतर कर अपने ‘मुस्लिम भाई’ के प्रति वफादारी जरूर दिखाते हैं।


🚩गौरतलब है कि इससे पहले भी जम्मू कश्मीर में लगातार हिन्दू और सिख परिवारों को निशाना बनाया जाता रहा है। 1 और 2 जनवरी 2023 को जम्मू कश्मीर के राजौरी जिले के डांगरी गाँव में इस्लामी आतंकियों ने हिन्दू परिवारों को निशाना बनाते हुए 7 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी थी।


🚩इस आतंकी हमले में छोटे बच्चों को भी नहीं बख्शा गया था। इस इस्लामी आतंकी हमले में बच्चों को IED धमाका कर के मार दिया गया था। हमले के जवाब में सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को मार गिराया था।

हिन्दू और सिखों को इलाका खाली करने की धमकी से वर्ष 1990 के कश्मीरी पंडितों के नरसँहार की भयंकर स्मृतियाँ भी सामने आ गई हैं। तब इस्लामी आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों के घरों पर ‘रलिव-गलिव-चलिव’ (इस्लाम अपना के हमारे साथ मिल जाओ, या मरो या फिर भाग जाओ) के पोस्टर लगाए थे।


🚩उस समय हिंदुओं के घरों पर लाल घेरे बनाए गए थे ताकि उनकी पहचान हो सके। उनके घर की दीवारों पर लिख दिया गया – “कश्मीर छोड़ दो, नहीं तो मार दिए जाओगे।” अब पुंछ वाले इस मामले में सुरक्षा एजेंसियाँ जाँच कर रही हैं कि धमकी भरे यह पोस्टर किसने लगाए हैं।


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Wednesday, October 18, 2023

सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग करते हैं, तो इस लेख को एक बार अवश्य पढ़ लें......

19 October 2023

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🚩‘सौन्दर्य-प्रसाधन’ एक ऐसा नाम है जिससे प्रत्येक व्यक्ति परिचित है । गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन जीने वालों को छोड़कर समाज के सभी वर्ग सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग करके अपने को भीड़ में खूबसूरत तथा विशेष दिखाने की होड़ में रहते हैं । सौन्दर्य प्रसाधनों का प्रयोग करके अपने को खूबसूरत तथा विशेष दिखने वाले होड़ में आज सिर्फ नारी ही नहीं, वरन् पुरूष भी पीछे नहीं हैं । समाज का कोई भी आयु वर्ग इनकी गुलामी से नहीं बचा है ।


🚩हम विभिन्न प्रकार के तेल, क्रीम, शैम्पू एवं इत्र आदि लगाकर भीड़ में अपने को आकर्षक बनाना चाहते हैं । परन्तु इसी आकर्षण की होड़ में हमने समाज में व्यभिचार एवं शोषण को भी महत्त्वपूर्ण स्थान दे दिया है । विषयलोलुप बनती जा रही वर्त्तमान समय की युवापीढ़ी के पतन के पीछे इन सौन्दर्यों प्रसाधनों का भी बहुत बड़ा हाथ है ।


🚩आकर्षक डिब्बों तथा बोतलो आदि की पैकिंग में आने वाले प्रसाधनों की कहानी इतनी ही नहीं है । सच तो यह है कि इसकी वास्तविकता का हमें ज्ञान ही नहीं होता ।

हजारों लाखों निरपराध बेजुबान प्राणियों की मूक चीखें इन सौन्दर्य प्रसाधनों की वास्तविकता है । मनुष्य की चमड़ी को खूबसूरत बनाने के लिए कई निर्दोष प्राणियों की हत्या…. यही इन प्रसाधनों की सच्चाई है । जिस सेंट को छिड़ककर मनुष्य स्वयं को विशेष तथा आकर्षक दिखाना चाहता है उसके निर्माण के लिए लाखों बेजुबान प्राणियों की हत्या की जाती है ।


🚩सेंट उत्पादन के लिए मारे जाने वाले प्राणियों में बिज्जू का नाम भी आता है । बिज्जू बिल्ली के आकार का एक नन्हा सा प्राणी है । इसे सेंट उत्पादन के लिए पकड़ा जाता है । बिज्जू से जिस प्रकार से सेंट प्राप्त किया किया जाता है वह क्रिया जल्लादी से कम नहीं । बिज्जू को बेंतो से पीटा जाता है । बेंतों एवं कोड़ों की मार सहता यह प्राणी चीखता हुए भी अपनी कहानी किसी भी अदालत में नहीं सुना पाता । अत्यधिक मार से उद्विग्न होकर बिज्जू की यौन-ग्रन्थि से एक सुगन्धित पदार्थ स्रावित होता है । इस पदार्थ को तेज धारवाले चाकू से निर्ममता से खरोंच लिया जाता है जिसमें कैमिकल मिलाकर विभिन्न प्रकार के इत्र बनाये जाते हैं ।


🚩मूषक के आकार का बीबर नामक प्राणी भी इसी उत्पादन के लिए तड़पाया जाता है । बीबर से केस्टोरियम नामक गन्ध प्राप्त होती है । बीबर के शरीर से प्राप्त होने वाला तेल भी सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण में काम आता है । बीबर को पकड़कर उसे 15-20 दिनों तक एक जाली में बन्द करके तड़पाया जाता है । जब भूखा-प्यासा एवं नाना प्रकार के संत्रास सहता यह प्राणी अपनी जान गँवा बैठता है, तब इसके शरीर से प्राप्त गंध का उपयोग मनुष्य अपनी गन्ध-तृप्ति के लिए करता है ।


🚩मनुष्य की घ्राणेन्द्रिय की परितृप्ति के लिए ही बिल्ली की जाति के सीवेट नाम के प्राणी की भी जान ले ली जाती है । हिन्दी में इसे गन्ध मर्जार के नाम से भी जाना जाता है । सीवेट जितना अधिक क्रोधित होता जाता है उससे उतनी ही अधिक तथा उत्तम गन्ध प्राप्त होती है । अतः इसे एक पिंजरे में डालकर इस प्रकार से सताया जाता है कि इसकी करूण चीखों से प्रकृति भी रो पड़ती होगी ।

इस प्रकार मानव के जुल्मों को सहते-सहते यह प्राणी अपनी जान से हाथ धो बैठता है । तब उसका पेट चीरकर उससे वह ग्रन्थि निकाल ली जाती है, जिसमें गन्ध एकत्रित होती है तथा आकर्षक डिजाइनों में इसे सौन्दर्य प्रसाधनों की दुकानों पर रख दिया जाता है ।


🚩लेमूर जाति के लोरिस नामक छोटे बंदर को भी उसकी सुन्दर आँखों एवं जिगर के लिए मारा जाता है जिन्हें पीसकर सौन्दर्य प्रसाधन बनाये जाते हैं ।


🚩पुरूष अपनी दाढ़ी बनाने के लिए जिन लोशनों का उपयोग करता है, उसके लिए भी गिनी पिग नामक एक प्राणी की जान ली जाती है । गिनी पिग चूहों की जाति का एक छोटा-सा प्राणी है । यह विश्वभर में पाया जाता है । मनुष्य की दाढ़ी बनाने के लिए निर्मित साबुन (सेविंग लोशन) की संवेदनशीलता की जाँच का प्रयोग इस प्राणी पर किया जाता है क्योंकि इसकी त्वचा कोमल तथा रोयेंदार होती है । लोशन से मनुष्य की त्वचा को कोई हानि न पहुँचे इसलिए उस लोशन को पहले गिनी पिग पर आजमाया जाता है । इस प्रकार त्वचा के रोग अथवा तो रासायनिक दुष्प्रभाव (कैमिकल रिएक्शन) के कारण हजारों गिनी तड़प-तड़पकर मर जाते हैं ।


🚩बाजारों में रासायनिक पदार्थों से बने कई प्रकार के शैम्पू मिलते हैं जिनका प्रयोग मनुष्य अपने केशों को सुन्दर एवं चमकदार बनाने के लिए करता है । पर शायद आप नहीं जानते कि उनमें खरगोश का अंधत्व एवं उसकी मौत घुली हुईसौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग करते हैं, तो इस लेख को एक बार अवश्य पढ़ लें......


19 October 2023

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🚩‘सौन्दर्य-प्रसाधन’ एक ऐसा नाम है जिससे प्रत्येक व्यक्ति परिचित है । गरीबी की रेखा से नीचे का जीवन जीने वालों को छोड़कर समाज के सभी वर्ग सौन्दर्य प्रसाधनों का उपयोग करके अपने को भीड़ में खूबसूरत तथा विशेष दिखाने की होड़ में रहते हैं । सौन्दर्य प्रसाधनों का प्रयोग करके अपने को खूबसूरत तथा विशेष दिखने वाले होड़ में आज सिर्फ नारी ही नहीं, वरन् पुरूष भी पीछे नहीं हैं । समाज का कोई भी आयु वर्ग इनकी गुलामी से नहीं बचा है ।


🚩हम विभिन्न प्रकार के तेल, क्रीम, शैम्पू एवं इत्र आदि लगाकर भीड़ में अपने को आकर्षक बनाना चाहते हैं । परन्तु इसी आकर्षण की होड़ में हमने समाज में व्यभिचार एवं शोषण को भी महत्त्वपूर्ण स्थान दे दिया है । विषयलोलुप बनती जा रही वर्त्तमान समय की युवापीढ़ी के पतन के पीछे इन सौन्दर्यों प्रसाधनों का भी बहुत बड़ा हाथ है ।


🚩आकर्षक डिब्बों तथा बोतलो आदि की पैकिंग में आने वाले प्रसाधनों की कहानी इतनी ही नहीं है । सच तो यह है कि इसकी वास्तविकता का हमें ज्ञान ही नहीं होता ।

हजारों लाखों निरपराध बेजुबान प्राणियों की मूक चीखें इन सौन्दर्य प्रसाधनों की वास्तविकता है । मनुष्य की चमड़ी को खूबसूरत बनाने के लिए कई निर्दोष प्राणियों की हत्या…. यही इन प्रसाधनों की सच्चाई है । जिस सेंट को छिड़ककर मनुष्य स्वयं को विशेष तथा आकर्षक दिखाना चाहता है उसके निर्माण के लिए लाखों बेजुबान प्राणियों की हत्या की जाती है ।


🚩सेंट उत्पादन के लिए मारे जाने वाले प्राणियों में बिज्जू का नाम भी आता है । बिज्जू बिल्ली के आकार का एक नन्हा सा प्राणी है । इसे सेंट उत्पादन के लिए पकड़ा जाता है । बिज्जू से जिस प्रकार से सेंट प्राप्त किया किया जाता है वह क्रिया जल्लादी से कम नहीं । बिज्जू को बेंतो से पीटा जाता है । बेंतों एवं कोड़ों की मार सहता यह प्राणी चीखता हुए भी अपनी कहानी किसी भी अदालत में नहीं सुना पाता । अत्यधिक मार से उद्विग्न होकर बिज्जू की यौन-ग्रन्थि से एक सुगन्धित पदार्थ स्रावित होता है । इस पदार्थ को तेज धारवाले चाकू से निर्ममता से खरोंच लिया जाता है जिसमें कैमिकल मिलाकर विभिन्न प्रकार के इत्र बनाये जाते हैं ।


🚩मूषक के आकार का बीबर नामक प्राणी भी इसी उत्पादन के लिए तड़पाया जाता है । बीबर से केस्टोरियम नामक गन्ध प्राप्त होती है । बीबर के शरीर से प्राप्त होने वाला तेल भी सौन्दर्य प्रसाधन के निर्माण में काम आता है । बीबर को पकड़कर उसे 15-20 दिनों तक एक जाली में बन्द करके तड़पाया जाता है । जब भूखा-प्यासा एवं नाना प्रकार के संत्रास सहता यह प्राणी अपनी जान गँवा बैठता है, तब इसके शरीर से प्राप्त गंध का उपयोग मनुष्य अपनी गन्ध-तृप्ति के लिए करता है ।


🚩मनुष्य की घ्राणेन्द्रिय की परितृप्ति के लिए ही बिल्ली की जाति के सीवेट नाम के प्राणी की भी जान ले ली जाती है । हिन्दी में इसे गन्ध मर्जार के नाम से भी जाना जाता है । सीवेट जितना अधिक क्रोधित होता जाता है उससे उतनी ही अधिक तथा उत्तम गन्ध प्राप्त होती है । अतः इसे एक पिंजरे में डालकर इस प्रकार से सताया जाता है कि इसकी करूण चीखों से प्रकृति भी रो पड़ती होगी ।

इस प्रकार मानव के जुल्मों को सहते-सहते यह प्राणी अपनी जान से हाथ धो बैठता है । तब उसका पेट चीरकर उससे वह ग्रन्थि निकाल ली जाती है, जिसमें गन्ध एकत्रित होती है तथा आकर्षक डिजाइनों में इसे सौन्दर्य प्रसाधनों की दुकानों पर रख दिया जाता है ।


🚩लेमूर जाति के लोरिस नामक छोटे बंदर को भी उसकी सुन्दर आँखों एवं जिगर के लिए मारा जाता है जिन्हें पीसकर सौन्दर्य प्रसाधन बनाये जाते हैं ।


🚩पुरूष अपनी दाढ़ी बनाने के लिए जिन लोशनों का उपयोग करता है, उसके लिए भी गिनी पिग नामक एक प्राणी की जान ली जाती है । गिनी पिग चूहों की जाति का एक छोटा-सा प्राणी है । यह विश्वभर में पाया जाता है । मनुष्य की दाढ़ी बनाने के लिए निर्मित साबुन (सेविंग लोशन) की संवेदनशीलता की जाँच का प्रयोग इस प्राणी पर किया जाता है क्योंकि इसकी त्वचा कोमल तथा रोयेंदार होती है । लोशन से मनुष्य की त्वचा को कोई हानि न पहुँचे इसलिए उस लोशन को पहले गिनी पिग पर आजमाया जाता है । इस प्रकार त्वचा के रोग अथवा तो रासायनिक दुष्प्रभाव (कैमिकल रिएक्शन) के कारण हजारों गिनी तड़प-तड़पकर मर जाते हैं ।


🚩बाजारों में रासायनिक पदार्थों से बने कई प्रकार के शैम्पू मिलते हैं जिनका प्रयोग मनुष्य अपने केशों को सुन्दर एवं चमकदार बनाने के लिए करता है । पर शायद आप नहीं जानते कि उनमें खरगोश का अंधत्व एवं उसकी मौत घुली हुई है । है ।


🚩जैसा कि स्पष्ट है, शैम्पू कई प्रकार के रसायनों से बनाया जाता है । अतः इनका उपयोग करने वाले मनुष्य की कोमल आँखों को शैम्पू से कोई हानि न पहुँचे, इसके लिए उसका परीक्षण इस मासूम , निर्दोष प्राणी खरगोश पर करके उस को बलि की बेदी पर चढ़ाया जाता है । शैम्पू को बाजार में लाने से पहले खरगोश की नन्हीं सी आँखों में डाला जाता है । इससे खरगोश को कितनी वेदना होती होगी, उसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते । इस क्रिया के लिए उसे बाँध लिया जाता है । खरगोश की आँखें खुली रहें इसके लिए ‘आई ओपनर्स’ का उपयोग किया जाता है तथा खरगोश की आकर्षक आँखों में शैम्पू की बूँदे डाली जाती हैं । इससे खरगोश की आँखों से खून निकलने लगता है। क्योंकि मनुष्य खरगोश को उसकी खाल के लिए भी मारता है अतः उस तड़पते हुए प्राणी का इलाज करने की भी आवश्यकता नहीं होती और वह स्वतः ही तड़प-तड़पकर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है ।


🚩अपनी इन्द्रियों की तृप्ति के लिए मानव इन निर्दोष प्राणियों पर जो कहर ढ़ा रहा है, इस लेख में तो उसका 1% भी नहीं लिखा गया है।यह तो उसकी एक झलक मात्र है , पूर्ण अध्याय नहीं !


ज़रा सोचिए... अपनी इन्द्रिय-लोलुपता और महत्त्वकांक्षा में हम कितना बड़ा और घृणित पापकर्म कर रहे हैं ।


🚩ईश्वर से मनुष्य शरीर तथा सर्व प्राणियों में श्रेष्ठ बुद्धि हमें इसलिए मिली है ताकि आत्मा-परमात्मा का ज्ञान प्राप्त कर सकें और ईश्वर की सृष्टि को सँवारने में भागीदार बन सकें । वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना से सबकी सेवा करके सबमें बसे उस वासुदेव को प्राप्त कर लें तथा उसी के हो जायें । सबमें उसी का दर्शन करके उसी मय हो जायें ।


🚩तो आज से हम संकल्प करें कि जिन सौन्दर्य प्रसाधनों में हजारों-लाखों निर्दोष बेजुबान प्राणियों की दर्दनाक मृत्यु की गाथा छिपी है, उन सौन्दर्य प्रसाधनों का त्याग करेंगे व करवाएँगे । लाखों प्राणियों की आह लेकर बनाये गये सौन्दर्य प्रसाधनों से नहीं, वरन् सत्संग एवं सदगुणों से अपने शाश्वत सौन्दर्य को प्राप्त करेंगे । सबमें उसी राम का दर्शन कर श्रीराम, श्रीकृष्ण, रामतीर्थ, विवेकानन्द, लीलाशाहजी बापू तथा मीरा, मदालसा, गार्गी, अनुसूया, सावित्री और माता सीता की तरह परम सौन्दर्यवान् हो जाएँगे । 


                स्त्रोत : महिला उत्थान मंडल


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