14 फरवरी को विश्वभर में छाया रहा #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस !!
आज जहाँ एक ओर वैलेंटाइन डे का प्रभाव अंधाधुन बढ़ता आ रहा है तथा इसके कुप्रभाव व दुष्परिणाम समाज के सामने प्रत्यक्ष हो रहे हैं ।
एड्स, नपुसंकता, दौर्बल्य, छोटी उम्र में ही गर्भाधान (Teenage Pregnency), ऑपरेशन आदि गुप्त बिमारियों का सामना समाज को करना पड़ रहा है ।
वहीं दूसरी ओर समाज में युवावर्ग का चारित्रिक पतन होते देख तथा देश भर में वृद्धाश्रमों की माँग बढ़ते देख हिन्दू संत बापू आसारामजी ने 2006 से एक अनूठी मुहिम की तरफ युवावर्ग को आकर्षित किया। जो है #14 फरवरी_मातृ_पितृ_पूजन_दिवस
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जिसका देश- विदेश की सभी सम्मानीय एवं प्रतिष्ठित हस्तियों ने स्वागत किया। और देश-विदेश में पिछले 11 वर्षों से 14 फरवरी को वेलेंटाइन डे की जगह #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस मनाना शुरू किया गया।
जब इस विषय को लेकर सोशल साइट पर देखा गया तो देखने को मिला कि बापू आसारामजी के अनुयायियों ने जनवरी से ही 14 फरवरी #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस निमित्त देश-विदेश में मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम शुरू कर दिया था ।
ऐसे ही लगातार 15 दिन से Twitter, Facebook, Instagram, google, Whatsapp आदि पर भी उनके भक्तगण बहुत सक्रिय थे ।
सोशल मीडिया से लेकर ग्राउंड लेवल तक बड़े जोरों से #ParentsWorshipDay मनाया जा रहा है ।
विश्व भर में अमेरिका, दुबई, सऊदी अरब, केनेडा, पाकिस्तान, बर्मा, नेपाल, इटली, लन्दन आदि कई देशों में स्कूल, कॉलेज, जाहिर स्थल, वृद्धाश्रम, समाज सेवी संस्थाओं, घर, परिवार, मोहल्ले आदि में जगह-जगह पर #मातृ_पितृ_पूजन_दिवस मनाया गया ।
माता-पिता अपने बच्चों सहित अपने-अपने क्षेत्रों में जहाँ-जहाँ ये कार्यक्रम आयोजित किये गए वहाँ वहाँ बड़ी संख्या में पधारे और एक नये उत्साह, एक नए जीवन, नये संस्कारों, एक नयी दिव्य अनुभूति, और एक अनोखे हर्ष के साथ सबके मुखमंडल प्रफुल्लित हो उठे।
सच में जिन्होंने भी इसे मनाया, अपने माता-पिता की पूजा की, अपनी दिव्य संस्कृति को अपनाया उनके जीवन में कुछ नया देखने को जरूर मिला ।
कुछ पाश्चात्य संस्कृति (VALENTINE DAY) मनाने वाले मनचले लोग तर्क-कुतर्क करने लगे कि माता-पिता की पूजा एक ही दिन क्यों ?
उन्हें हमारा जवाब इस तरह का है कि क्या आपने अपने जीवन में दिल से कभी अपने माता-पिता की पूजा की भी या नहीं ? जरा ईमानदारी से अपने दिल पर हाथ रखकर तो कहना ।
और अगर सच्चे ह्रदय से माँ-बाप की पूजा होती तो क्या आप #वैलेंटाइन-डे के इस कचरे को अपनाते ??
आज के कल्चर में वैलेंटाइन डे मनाने वाले आगे जाकर लड़कियों के चक्कर में क्या-क्या कर बैठते हैं ये दुनिया जानती है । फिर समाज में और घर-परिवार में मुँह दिखाने लायक नहीं रहते । फिर या तो घर से भाग जाते हैं या तो आत्महत्या के विचार कर बैठते हैं और इसको अंजाम देते हैं ।
कुछ समय पूर्व ही कई अखबारों में पढ़ने को मिला कि जवान लड़के-लड़कियाँ नदी में कूदकर अथवा ट्रेन से कूदकर जान दे बैठे।
क्या यही है आज का
#VELANTINE_DAY....???
अनादिकाल से भारत के महान संत ही समाज की रक्षा करते आये हैं । समाज को संवारने का दैवीकार्य महान ब्रह्मवेत्ता तत्वज्ञ संतों द्वारा ही होता आया है ।
और जब-जब समाज कुकर्म और पाप की गहरी खाई में गर्क हो रहा होता है, अधर्म बढ़ रहा होता है तो किसी न किसी महापुरुष को परमात्मा (ईश्वर) धरती पर प्रकटाते हैं या स्वयं भगवान् धरती पर अवतार लेते हैं और इस दिशाहीन समाज को एक नयी दिशा देकर, समाज को सुसंस्कारित कर, समाज में धर्म की स्थापना करते हैं जैसा कि भगवद्गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है।
महापुरुषों की गाथा सुज्ञ समाज अनंत काल तक गाता रहता है । ऐसे ही कई #महापुरुष जैसे संत कबीर, गुरु नानक जी, संत तुलसीदास जी, संत लीलाशाह जी महाराज, संत तुकाराम जी, संत ज्ञानेश्वर जी, स्वामी विवेकानंद जी, स्वामी अखंडानन्द जी आदि महान सन्तों का यश आज भी जीवित है ।
करोड़ो-अरबों लोग धरती पर आते हैं यूँ ही चले जाते हैं लेकिन किसी का नाम सुना नहीं लेकिन संतों का नाम,आदर,पूजन व यश सभी के हृदयों में अंकित है ।
ऐसे ही संत आज इस धरा पर हैं लेकिन बहिर्मुख व कृतघ्न समाज को दिखता कहाँ है!
कहाँ पहचान पाते हैं हम उन संतों को!!
गुरुनानक जैसे महान संतों को जेल डलवा दिया जाता है । दो बार तो गुरुनानक जी को भी जेल जाना पड़ा । संत कबीरजी जैसों को वेश्याओं द्वारा बदनाम करवाया जाता है । स्वामी नित्यानंद जी के ऊपर यौन शोषण का आरोप लगाया गया था । लेकिन उनकी पूजा आज भी होती है क्योंकि
"धर्म की जय और अधर्म का नाश" ये प्राकृतिक सिद्धांत है ।
आज समाज को एक अद्भुत प्यारा सा पर्व देकर हिन्दू संत आसारामजी बापू ने सभी के दिलों में राज किया है । सबको प्रेम दिया है । सभी को सन्मार्ग पर ले चलने का बड़ा महान कार्य किया है ।
कई समाज के बुद्धिजीवी तो संत आसारामजी बापू के प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन भारत में ही विदेशी षड़यंत्र द्वारा ( क्रिश्चयन मिशनरीज, विदेशी कंपनियों के मुआवजे से ) उन्हें जेल भिजवा दिया जाता है और समाज देखता रहता है ।
गौरतलब है कि संत आसारामजी बापू 40 महीनों से जेल में है लेकिन उनके करोड़ो भक्त अभी तक उनसे जुड़े हैं ।
क्या ये उन महान संत की निर्दोषता का प्रमाण नहीं..??
क्या किसी बलात्कारी के पीछे करोड़ों का जन-समूह हो सकता है..??
आज का मानव बिना चमत्कार के किसी को नमस्कार नहीं करता वहीं इनके करोड़ों अनुयायी आज भी इनके लिए पलकें बिछाये बैठे हैं ।
बिना सत्य के बल के कोई करोड़ों के जनसमूह को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर सकता इतना तो हर समझदार इंसान समझ सकता है ।
लेकिन कई मुर्ख लोग मीडिया की बातों में आकर अपने ही संतों पर लांछन लगाने से पीछे नहीं हटते..!!
अगर मीडिया इतनी ही निष्पक्ष है तो क्यों संत आसारामजी बापू द्वारा किये गए और किये जा रहे समाज सेवा के कार्यों को क्यों छुपा रही है ??
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं मीडिया ने कहा बापू रेपिस्ट आपने मान लिया पर कभी आपने ये जानने का प्रयास किया कि उन पर आज तक एक भी आरोप सिद्ध नहीं हुआ है । पर न्यायालय से उनको जमानत तक नही मिल पा रही है। न उनकी उम्र का लिहाज किया जा रहा है और न उनके द्वारा हुए और हो रहे समाज उत्थान के सेवाकार्यों को दृष्टिगोचर किया जा रहा है ।
एक ओर 80 वर्षीय वरिष्ठ संत बापू आसारामजी को जमानत का भी अधिकार नहीं दूसरी ओर ऐसे ही कई केस हमारे सामने हैं जिनमें सबूत मिलने पर भी वो मजे से बाहर घूम रहे हैं ।
जैसे तरुण तेजपाल आदि आदि।
क्या न्याय पालिका की नजर में हिन्दू संत होना ही गुनाह है..??
क्योंकि यही एक गुनाह है जो संत आसारामजी बापू द्वारा हुआ है ।
#ShameOnSystem
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