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Monday, November 16, 2020

मीडिया ने आसाराम बापू की इस बड़ी खबर को कर दिया गायब, जानिए कोनसी खबर है

16 नवंबर 2020


 टीआरपी और पैसे की अंधीदौड़ में अधिकितर मीडिया कई बार झूठी खबरें दिखा देती है और सहीं खबरें छुपा देती है। इसके कारण आज मीडिया ने विश्वसनीयता खो दी है।




 दीपावली के पावन पर्व पर एक तरफ हम मिठाई खाते हैं, नये कपड़े पहनते हैं, खुशियां मनाते हैं, लेकिन उन गरीबों का क्या जिनके पास पैसे नहीं हैं वो कैसे दीपावली मनायेंगे? गरीब भी अच्छी दिवाली मना जा सकें इस निमित्त हिंदू संत आशाराम बापू के अनुयाइयों ने देशभर में आदिवासी क्षेत्रों में जाकर मिठाई, कपड़े, खजूर, चप्पल, बर्तन आदि जीवनोपयोगी सामग्री एवं नगद पैसे और शिरा पुलाव आदि का
 इस अभियान से आदिवासी लोगों की दीपावली अच्छी मनी और दूसरा कि जो मिशनरियां धर्मांतरण करवाती थीं उनका धंधा चौपट हो गया और आदिवासियों की हिंदू धर्म के प्रति आस्था बढ़ी, लेकिन खेद की बात है कि जो मीडिया चिल्ला चिल्लाकर हिंदू संत आशाराम बापू के खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर बदनाम कर रही थी उसने यह खबर कहीं भी नहीं दिखाई।

 आपको बता दें कि बापू आशारामजी द्वारा 50 सालों से समाज उत्थान के कार्य कर रहे हैं । उन्होंने सत्संग के द्वारा देश व समाज को तोड़ने वाली ताकतों से देशवासियों को बचाया। कत्लखाने जा रही हजारों गायों को कटने से बचाया, कई गौशालाओं की व्यवस्था की। लाखों लोगो को धर्मान्तरण से बचाया व धर्मान्तरित लाखों हिंदुओं को अपने धर्म में वापसी कराई । गरीब आदिवासी क्षेत्रों में जहाँ खाने की सुविधा तक नहीं थी वहाँ "भोजन करो, भजन करो दक्षिणा पाओ", गरीबों में राशन कार्ड के द्वारा अनाज का वितरण, कपड़े, बर्तन व जीवन उपयोगी सामग्री एवं मकान आदि का वितरण किया जाता है ।
 
 प्राकृतिक आपदाओं में जहाँ प्रशासन भी नहीं पहुँच सका वहाँ बापू आशारामजी की के शिष्यों द्वारा कई सेवाकार्य (निःशुल्क भोजन भंडार, कम्बल, कपड़े का वितरण व स्वास्थ्य शिविर लगाए जाते हैं) होते हैं । इसके अलावा महिला सुरक्षा (WOMEN SAFETY & EMPOWERMENT) के कई अभियान चलाए, नारी जाति के सम्मान व उनमें पूज्यभाव के लिए सबको प्रोत्साहित किया, बड़ी कंपनीयों में काम कर रही महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाई, महिला संगठन बनाया।

 परिवार में सुख-शांति व परस्पर सद्भाव से जीना सिखाया, पारिवारिक झगड़ों से मुक्ति दिलायी, महिलाओं के मार्गदर्शन व सर्वांगीण विकास हेतु देशभर में ‘महिला उत्थान मंडलों’ की स्थापना की तथा नारी उत्थान हेतु कई अभियान चलाये। बापू आसारामजी ने बाल व युवा पीढ़ी में नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों के सिंचन हेतु हजारों बाल संस्कार केन्द्रों, युवा सेवा संघों व गुरुकुलों की स्थापना की, आज की युवापीढ़ी को माता पिता का सम्मान सिखाकर वैलेंटाइन के बदले में मातृ-पितृ पूजन दिवस मानना सिखाया । 25 दिसम्बर को संस्कृति की रक्षा के लिए तुलसी पूजन दिवस अभियान एक नई पहल की। केमिकल रंगों से बचा कर प्राकृतिक रंगों से होली खेलने की पहल की, जिससे पानी व स्वास्थ्य की रक्षा हो। व्यसन मुक्ति के अभियान चलाकर करोड़ों लोगों को व्यसन मुक्त कराया। बच्चों, युवाओं व महिलाओं में अच्छे संस्कार के लिए ढेरों अभियान चलाये जाते हैं । World's Religions Parliament, शिकागो अमेरिका में 1993 में स्वामी विवेकानन्दजी के बाद यदि कोई दूसरे संत ने प्रतिनिधित्व किया है तो वे बापू आसारामजी, जिन्होंने हिंदू धर्म का प्रतिनिधित्व कर सनातन संस्कृति का परचम लहराया। इन सेवाकार्यों से देश-विदेश के करोड़ों लोग किसी भी तरह के धर्म- जाति -मत - पंथ -सम्प्रदाय-राज्य व लिंग के हो भेदभाव के बिना लाभान्वित हो रहे हैं ।

 मीडिया ने हिंदू संत आशारामजी बापू द्वारा देश व धर्म के हित में हो रहे अनेक सेवाकार्य को नहीं दिखाया, पर उनके खिलाफ अनेक झूठी कहानियां बनाकर जनता को गुमराह किया ।

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Thursday, June 25, 2020

आसाराम बापू अभी भी जेल में क्यों हैं? सवाल आपका - जवाब हमारा...

25 जून 2020

🚩हिंदुस्तान में अधिकतर लोगों में एक धारणा बनी रहती है कि कोई व्यक्ति जेल में है तो समझो की वे अपराधी होगा लेकिन ये बात सभी जगह लागू नही होती कुछ व्यक्ति जेल में होते है तो उसके पीछे ओर भी बहुत कारण होते हैं। कई बार राष्ट्र और संस्कृति का कार्य करने पर जेल भेजा हैं।

1.) स्वदेशी अभियान आंदोलन 
🚩इसके अंतर्गत बापू आसारामजी आयुर्वेद विज्ञान को लोगों की जीवनशैली में वापस लाए और गरीबों को उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाई।

2.) 50 से भी ज्यादा सनातन धर्म शैली के गुरुकुलों की शुरूआत की जिससे छोटी उम्र में ही बच्चे वैदिक संस्कृति से जुड़ने लगें । इनके गुरुकुल इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि सभी स्थानीय कॉन्वेंट स्कूलों में प्रवेश में गिरावट आने लगी।

3.) 10,000 से ज्यादा गायों को कत्लखाने जाने से बचाकर, स्व-निर्भर गौशालाओं की शुरुआत की, जो बिना किसी बाहरी दान के चलायी जाती हैं । जहाँ गौ सेवा अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर की जा रही है। इनके गौमूत्र से बने अर्क, गौवटी और गोधूप इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि अन्य बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे 100 से ज्यादा अलग-अलग जगहों पर आदिवासी परिवारों को रोजगार मिलने लगा।

4.) जो लोग उनके सत्संग को सुनते और उनके संपर्क में आने लगे, वे गर्व से कहने लगे कि हिंदू होने पर वे अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानते हैं।

5.)  बापू आसारामजी ने कई संस्थाओं के मार्गदर्शक बनकर उन्हें भी प्रेरित किया और खुद भी जनजातीय क्षेत्र में बहुत से सेवा और रोजगार के अवसरों का नेतृत्व किया और सनातन धर्म के मार्ग को खोने वाले लाखों धर्मान्तरित हिंदुओं की घरवापसी करवाई। 

6.) बापू आशारामजी के प्रत्येक आश्रम (450 आश्रम) को एक आत्मनिर्भर इकाई के रूप में बनाया गया ताकि उन्हें किसीके सामने धनराशि के लिए प्रार्थना न करनी पड़े और वे आसानी से व्यसन मुक्ति अभियान, मातृपितृ पूजन दिवस, संस्कार सिंचन अभियान, वैदिक मंत्र विज्ञान प्रचार, संस्कृति रक्षक सम्मेलन, संकीर्तन यात्राएं और सत्संग जैसे सेवाकार्यों द्वारा समाज में जागृति लाये।

7.) किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी युवा होते हैं। हिंदू संत आशारामजी बापू ने युवाधन सुरक्षा अभियान (दिव्य प्रेरणा प्रकाश) द्वारा युवाओं को संयमित जीवन का महत्व समझाया। आज बापू आसारामजी के कारण आधुनिक अश्लीलता भरे वातावरण में भी करोड़ों युवा ब्रह्मचर्यं का महत्व समझ रहे हैं और अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व करने लगे हैं।

8.) बापू आसारामजी ने देश विदेश में 17,000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र शुरू करवाये जहां बच्चों को अपने माता-पिता का आदर करना, स्मृति क्षमता में वृद्धि और अपने जीवन को कैसे ऊर्जावान बनाया जाये, ये शिक्षा दी जाने लगी। उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति, पराक्रम जैसे सद्गुणों से बच्चे विद्यार्थी जीवन से ही उन्नत, विचारवान और संस्कृति प्रेमी बनने लगे।

9.) हमारी खोई हुई गरिमा और संस्कृति की महिमा को जनमानस के हृदय में पुनः स्थापित करने के लिए समाज में वैश्विक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया गया 14 फरवरी वेलेंटाइन डे को "मातृपितृ पूजन दिवस" और  25 दिसंबर क्रिसमस डे को "तुलसी पूजन दिवस" और करोड़ो लोग इस दिन 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस और 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाने लगें।

🚩इन सभी गतिविधियों को आम व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा शुरू नहीं किया जा सकता है। यह केवल किसी महापुरुष द्वारा किया जा सकता है जो आत्मनिर्भर और दिव्य हैं। ऐसे संतों से लाभान्वित होना न होना ये समाज पर निर्भर करता है। विकल्प हमारा है क्योंकि आत्मरामी संतों को हमसे किसी चीज की आवश्यकता नहीं है और न ही उनको कोई घाटा है पर उनकी उपेक्षा करने से समाज को आने वाले समय में बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

🚩तो अब सवाल यह है पिछले पचास साल से देश और संस्कृति की सेवा करनेवाले बापू आसाराम जी को जेल क्यों भेजा गया ?

🚩सब जानते हैं कि भारत को 1947 में आजादी मिली पर पर्दे के पीछे का सत्य कोई नहीं जानता। केजीबी जासूस के मुताबिक़ अंतर्राष्ट्रीय मिशनरियों के पास भारत की संस्कृति को ध्वस्त करने का लक्ष्य है। असल में वे दुनिया पर शासन करना चाहते हैं पर किसी भी देश को नष्ट करने के लिए सबसे पहले उस देश की संस्कृति को नष्ट करना होता है और इसलिए वे उस देश की संस्कृति को नष्ट करने के लिए देश के प्रति वफादार नेताओं और संतों पर हमला करते हैं।

🚩जैसे सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव दीक्षित और संत लक्ष्मणानंदजी आदि आदि की कैसे मृत्यु हुई आज तक पता नही चला।

🚩कुछ साल पहले यूरी बेज़मेनोव, जो पूर्व केजीबी जासूस है, उनके इन्टरव्यू के अंश एक अद्भुत अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

"किसी भी देश की पूरी आबादी की सोच और व्यवहार को बदलने के लिए चार कदम हैं।

1. अनैतिकता

2. अस्थिरता

3. संकट

4. सामान्यीकरण

हम युवाओं को शिक्षण के द्वारा गुमराह करके अनैतिक बना देते हैं। भारत में अनैतिकता प्रक्रिया मूल रूप से पहले ही पूरी हो चुकी है।"

🚩अब यह स्पष्ट होना चाहिए कि आशाराम बापू अभी भी जेल में क्यों हैं?
कुछ लोग कहते हैं, कांग्रेस (विशेष रूप से सोनिया गांधी का षड्यंत्र) आशाराम बापू पर बनाये गये मामले के पीछे छिपी हुई है लेकिन अब जब मोदी सत्ता में हैं, तब भी आशाराम बापू जेल में हैं।

🚩वास्तविक सत्य यह है: यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साजिश है। बड़े शक्तिशाली लोग जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों और मिशनरियों से जुड़े हुए हैं, जिन्होंने भारतीय मीडिया कई समूहों को खरीद रखा है, यहां भारतीय मीडिया पूरी तरह से दूषित है और खरीदने में मुश्किल नहीं है, वे भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता को खरीदते हैं। वे हमेशा किसी भी चेहरे के पीछे काम करते हैं, जैसे उन्होंने सोनिया गांधी के चेहरे के पीछे किया था। भारतीय लोगों को मीडिया द्वारा आसानी से बेवकूफ़ बना दिया जाता है और बाकि भ्रष्ट राजनेता और अधिकारी केस को लंबा बनाते हैं।

🚩जब हम आसाराम बापू पर की गई FIR पढ़ते हैं तो सबकुछ स्पष्ट होता है। FIR में कोई बलात्कार का जिक्र नहीं है, लेकिन मीडिया ब्रेकिंग न्यूज 24X7 में "रेप" शब्द बोलता है और लड़की की कॉल डिटेल के अनुसार लड़कीं ने जिस समय पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है उस समय वहाँ थी ही नही और आशारामजी बापू किसी कार्यक्रम में व्यस्त थे वहां 60 लोग भी मौजूद थे इससे स्पष्ट होता है कि सोची समझी साजिश के तहत जेल भिजवाया हैं।

🚩बापू आशारामजी के आश्रम में फैक्स भी किया था उसमे लिखा था कि 50 करोड़ दे दीजिए नही तो लड़की के केस में जेल जाने को तैयार रहिये लेकिन बापू आशारामजी ने इसपर ध्यान ही नही दिया वे देश व संस्कृति की सेवा में लगे रहे पैसे गरीबों और गायों की सेवा में लगाते रहे जिसके कारण वे आज भी जेल में है और अगर उनको बाहर निकालेंगे तो फिर से धर्मान्तरण वालो और मल्टीनेशनल कंपनियों की दुकानें बंद हो जायेगी।

🚩अगर देश को बचाना चाहते हैं तो भारतीयों को एकजुट होना चाहिए। लेकिन केजीबी के जासूसी प्रभावित लोगों का मीडिया द्वारा ब्रेनवोश किया गया है, इसलिए वे कभी भी सच नहीं पढ़ते और ना बोलते हैं।

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Monday, April 13, 2020

जानिए आसाराम बापू कौन थे, कैसे बने संत और उनकी कितनी संस्था है?

*13 अप्रैल 2020*

*🚩 सोमवार को हिन्दू संत आशाराम बापू का जन्मदिन था, ट्वीटर पर टॉप ट्रेंड कर रहा था #विश्व_सेवा_दिवस अर्थात उनके  अनुयायी उनका जन्मदिन विश्व सेवा दिवस के रूप में मनाते हैं।*

*🚩बापू आशारामजी के बचपन का नाम आसुमल था । उनका जन्म अखंड भारत के सिंध प्रांत के बेराणी गाँव में चैत्र कृष्ण षष्ठी विक्रम संवत् 1994 के दिन हुआ था । उनकी माता महँगीबा व पिताजी थाऊमल नगरसेठ थे ।*

*🚩बालक आसुमल को देखते ही उनके कुलगुरु ने भविष्यवाणी की थी कि "आगे चलकर यह बालक एक महान संत बनेगा, लोगों का उद्धार करेगा ।"*

*🚩 बापू आसारामजी का बाल्यकाल संघर्षों की एक लंबी कहानी है। 1947 में भारत-पाकिस्तान विभाजन के कारण अथाह सम्पत्ति को छोड़कर बालक आसुमल परिवार सहित अहमदाबाद आ बसे। उनके पिताजी द्वारा लकड़ी और कोयले का व्यवसाय आरम्भ करने से आर्थिक परिस्थिति में सुधार होने लगा । तत्पश्चात् शक्कर का व्यवसाय भी आरम्भ हो गया ।*

*🚩माता-पिता के अतिरिक्त बालक आसुमल के परिवार में एक बड़े भाई तथा दो छोटी बहनें थी।*
     
*🚩बालक आसुमल को बचपन से ही प्रगाढ़ भक्ति प्राप्त थी । प्रतिदिन ब्रह्ममुहूर्त में उठकर ठाकुरजी की पूजा में लग जाना उनका नित्य नियम था ।*

*🚩दस वर्ष की नन्ही आयु में बालक आसुमल के पिताजी थाऊमलजी देहत्याग कर स्वधाम चले गये ।*

*🚩पिता के देहत्यागोपरांत आसुमल को पढ़ाई (तीसरी कक्षा) छोड़कर छोटी-सी उम्र में ही कुटुम्ब को सहारा देने के लिये सिद्धपुर में एक परिजन के यहाँ नौकरी करनी पड़ी ।  3 साल तक नौकरी के साथ-साथ साधना में भी प्रगति करते रहे ।*

*🚩3 साल बाद वे वापिस अहमदाबाद आ गए और भाई के साथ शक्कर की दुकान पर बैठने लगे ।*

*🚩लेकिन उनका मन सांसारिक कार्यो में नही लगता था, ज्यादातर जप-ध्यान में ही समय निकालते थे ।*

*🚩21 साल की उम्र में घर वाले आसुमल जी की शादी करना चाहते थे लेकिन उनका मन संसार से विरक्त और भगवान में तल्लीन रहता था । इसलिए वे घर छोड़कर भरुच के अशोक आश्रम चले गए । पर घरवालो ने उन्हें ढूंढ कर जबरदस्ती उनकी शादी करवा दी ।*

*🚩लेकिन मोह-ममता का त्याग कर ईश्वर प्राप्ति की लगन मन में लिए शादी के बाद भी तुरंत पुनः घर छोड़ दिया और आत्म पद की प्राप्ति हेतु जंगलों-बीहडों में घूमते और ईश्वर प्राप्ति के लिए तड़पते रहे ।*

 *🚩नैनीताल के जंगल में योगी ब्रह्मनिष्ठ संत साईं लीलाशाहजी बापू को उन्होंने सद्गुरु के रूप में स्वीकार किया ।*

 *🚩ईश्वरप्राप्ति की तीव्र तड़प देखकर सद्गुरु लीलाशाहजी बापू का ह्रदय छलक उठा और उन्हें 23 वर्ष की उम्र में सद्गुरु की कृपा से आत्म-साक्षात्कार हो गया । तब सद्गुरु लीलाशाह जी ने उनका नाम आसुमल से आशारामजी रखा ।*

*🚩अपने गुरु लीलाशाहजी बापू की आज्ञा शिरोधार्य कर संत आसारामजी बापू समाधि-अवस्था का सुख छोड़कर तप्त लोगों के हृदय में शांति का संचार करने हेतु समाज के बीच आ गये।*

*🚩सन् 1972 में अहमदाबाद साबरमती के तट पर आश्रम स्थापित किया । उसके बाद देश-विदेश में बढ़ते गए आश्रम आज उनके आश्रम करीब 450 है और समितियां 1400 से अधिक है जो देश-समाज और संस्कृति के उत्थान कार्य कर रही है। भारत की राष्ट्रीय एकता, अखंडता और विश्व शांति के लिए हिन्दू संत आशारामजी बापू ने राष्ट्र के कल्याणार्थ अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया ।*

*🚩 हिन्दू संत आशाराम बापू के मार्गदर्शन में देश-विदेश में हजारों ‘बाल संस्कार केन्द्र निःशुल्क चलाये जा रहे हैं । इनमें बालकों को माता-पिता का आदर करने के संस्कार, पढ़ाई में अव्वल आने के उपाय और यौगिक प्रयोग आदि सिखाये जाते हैं ।*

*🚩विद्यालयों में ‘योग व उच्च संस्कार शिक्षा अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें विद्यार्थियों को माता-पिता एवं गुरुजनों का आदर, अनुशासन, यौगिक शिक्षा, आदर्श दिनचर्या, परीक्षा में अच्छे अंक पाने की कुंजियाँ आदि महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर अनुभवी वरिष्ठों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाता है । अब तक देश के लाखों विद्यालय इस अभियान से लाभान्वित हो चुके हैं ।*

*🚩विद्यार्थियों के बाल, छात्र व कन्या मंडल भी बनाये गए है जो व्यसनमुक्ति अभियान, गौ-रक्षा अभियान, पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम आदि सेवाकार्य करते हैं ।*

*🚩‘वेलेंटाइन डे जैसे त्यौहारों से भी बचने हेतु हर वर्ष 14 फरवरी को देशभर के विभिन्न स्थानों के विभिन्न विद्यालयों के साथ साथ घर-घर में ‘मातृ-पितृ पूजन दिवस' मनाया जा रहा है ।*

*🚩अब ‘संत श्री आशारामजी गुरुकुलों ' की भी श्रृंखला बढ़ने लगी है, जिनमें विद्यार्थियों को लौकिक शिक्षा के साथ-साथ स्मृतिवर्धक यौगिक प्रयोग, योगासन, प्राणायाम, जप, ध्यान आदि के माध्यम से उन्नत जीवन जीने की कला सिखायी जाती है । उनमें सुसंस्कारों का सिंचन किया जाता है तथा उन्हें अपनी महान वैदिक संस्कृति का ज्ञान प्रदान किया जाता है ।* 

 *🚩‘युवाधन सुरक्षा अभियान चलाया जा रहा है तथा ‘युवा सेवा संघ एवं ‘महिला उत्थान मंडल की स्थापना की गयी है । इन संगठनों द्वारा भारतभर में ‘संस्कार सभाएँ चलायी जा रही हैं, जिनका लाभ लेकर युवक-युवतियाँ अपना सर्वांगीण विकास कर रहे हैं ।*

*🚩समाज के पिछडे, शोषित, बेरोजगार व बेसहारा लोगों की सहायता के लिए बापू आशारामजी द्वारा ‘भजन करो, भोजन करो, दक्षिणा पाओ' योजनायें चलायी जा रही है ।*

 *🚩इसके अंतर्गत उन्हें कहा जाता है कि वे आश्रम में अथवा आश्रम द्वारा संचालित समितियों के केन्द्रों में आकर दिनभर केवल भजन, कीर्तन और ध्यान करें । उन्हें दिन का भोजन और शाम को घर जाते समय 50 रुपये तक की नकद राशि दी जाती है । इसमें भाग लेनेवालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है । जिससे ईसाई मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण में रोक लग रही है और जहाँ लोगों को भोजन की विकट समस्या से निजात मिलती है, वहीं उनका आध्यात्मिक उत्थान भी हो रहा है । इससे बेरोजगार लोगों में आपराधिक प्रवृत्ति को रोकने में बहुत मदद मिल रही है ।*

*🚩कहा जाता है कि हिन्दू संत आसाराम बापू का बहुत बड़ा साधक-समुदाय है । लगभग करीब 8 करोड़ लोग देश-विदेश में है और इतने सालों से जेल में होते हुए भी उनके अनुयायियों की श्रद्धा टस से मस नहीं हुई है । उन करोड़ो भक्तों का एक ही कहना है कि हमारे गुरुदेव (संत आशारामजी बापू) निर्दोष हैं उन्हें षड़यंत्र के तहत फंसाया गया है । वे जल्द से जल्द निर्दोष छूटकर हमारे बीच शीघ्र ही आयेगे ।*

*🚩गौरतलब है संत आशारामजी बापू का जन्म दिवस 13 अप्रैल को था अभी उनका 84 वां साल चल रहा है, पिछले 7 साल से जेल में बन्द होने पर भी उनके करोड़ों अनुयायियों द्वारा देश-विदेश में एक अनोखे अंदाज में मनाया जाता है ये दिन "विश्व सेवा दिवस" के नाम पर।*

*🚩वैसे तो हर साल इस दिन देशभर में जगह-जगह पर निकाली जाती हैं भगवन्नाम संकीर्तन यात्रायें, वृद्धाश्रमों,अनाथालयों व अस्पतालों में निशुल्क औषधि, फल व मिठाई वितरित की जाती है। गरीब व अभावग्रस्त क्षेत्रों में होता है विशाल भंडारा जिसमें वस्त्र,अनाज व जीवन उपयोगी वस्तुओं का वितरण किया जाता है। उस दिन जगह जगह पर छाछ,पलाश व गुलाब के शरबत के प्याऊ लगाये जाते हैं । एवं सत्साहित्य आदि का वितरण किया जाता है।*

*🚩इस बार कोरोना महामारी में लोक डाउन होने के कारण इसबार देशभर में अनेक स्थानों पर ज़रूरतमंद लोगों में भोजन प्रसादी, राशनकिट, जीवनुपयोगी सामग्री आदि का वितरण किया जा रहा है।*

*🚩मीडिया ने दिन-रात हिन्दू संत आसाराम बापू के खिलाफ समाज को भ्रमित करने और उनकी छवि को धूमिल करने का भरसक प्रयास किया लेकिन उनको मानने वाले करोड़ों अनुयायियों की आज भी अटल श्रद्धा है उनमें ।*

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