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Monday, June 29, 2020

कोरोना काल मे जेलों में कैदियों की भीड़ खतरनाक साबित हो रही हैं!

29 जून 2020

🚩हम ये मान लेते हैं कि जो जेल में हैं, वे सभी अपराधी हैं। कुछ साल पहले ज्ञात हुआ कि देश में लगभग दो - तिहाई कैदी वास्तव में अभी अपराधी करार नहीं दिए गए। वे 'अंडर ट्रायल्स' हैं। यानी उनका और उनके गुनाह का फैसला नहीं हुआ है। वे अदालती निर्णय के इंतजार में जेल में समय बिता रहे हैं। 2015 के आंकड़ों के अनुसार, लगभग 40% अंडर ट्रायल्स ने जेल में एक साल से कम समय बिताया था। लगभग 20% ऐसे थे जिन्होंने 1-2 साल कैद में बिताए। कई बार ऐसा भी हुआ कि कैदी को खुद पर लगे इल्जाम के लिए जो सजा हो सकती है, उससे भी ज्यादा समय जेल में बिता दिया, बिना अदालती फैसला आए। इनमें कुछ स्वामी असिमानन्द जैसे हैं, जिन्हें अदालत ने बाइज्जत बरी कर दिया। न्यायिक प्रक्रिया ने ही अन्याय किया।
🚩ज्यादातर अंडर ट्रायल्स कम पढ़े-लिखे, कमजोर तबके के लोग हैं। समाज में उन्हें गुनहगार ही माना जाएगा और निजी जिंदगी में, रोजगार में दिक्कतें आ सकती हैं। लेकिन अंडर ट्रायल्स के सामने और भी दुःख हैं। देश में कई राज्यों में जेलों में उनकी क्षमता से बहुत ज्यादा कैदी हैं। इससे कैद की जिंदगी और कठिन हो जाती है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। 2015 की सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 115 कैदियों की मौत ख़ुदकुशी से हुई।

🚩आज अंडर ट्रायल्स की बात करना क्यों जरूरी है? हमें पता है कि कोरोना वायरस एक व्यक्ति से दूसरे में फैलता है और इससे बचने के लिए आपस में दूरी रखना जरूरी है। इस वजह से जेलों में कैद लोगों को भी बहुत खतरा है, खासकर जहां क्षमता से ज्यादा कैदी हैं। जेलों में भीड़ की समस्या केवल भारत में ही नहीं, ईरान, अमेरिका, इंग्लैंड में भी है। इन देशों में धीरे - धीरे सहमति बनी है कि इस समय कैदियों को रिहा कर देना न सिर्फ मानवीयता के नजरिये से सही है बल्कि इसमें ही समझदारी है।

🚩ईरान में करीब 50 हजार कैदियों को मार्च में छोड़ा गया, अमेरिका में ट्रम्प पहले इसका विरोध कर रहे थे लेकिन वहां भी कई राज्यों ने कैदी रिहा किए। भारत में खबरें आ रही हैं कि जेलों में कैदी कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इस हफ्ते दिल्ली की मंडोली जेल में कोरोना से पहले कैदी की मौत का तब पता चला जब मौत के बाद जांच हुई। उसके साथ रहने वाले 17 कैदी भी पॉजिटिव मिलें। जब देश की स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है, तो जेलों में क्या हाल होगा। मार्च में सर्वोच्च न्यायलय ने आदेश दिया कि हर राज्य में कमेटी गठित हो ताकि जेलों में भीड़ घटाने पर विचार हो। दिल्ली के तिहाड़ से मार्च में चार सौ कैदी रिहा किए गए थे और येरवडा, पुणे में हजार कैदियों को रिहा किया गया। इस सब पर सरकार की तरफ से और तीव्रता की जरूरत है। 

🚩तमिलनाडु के थूथूकुड़ी में एक पिता-पुत्र को लॉकडाउन के उल्लंघन पर टोका गया तो उन्होंने दुकान तो बंद कर ली लेकिन अपशब्द इस्तेमाल करने पर गिरफ्तार किया गया और इतना टॉर्चर किया कि उनकी मौत हो गई। न्यायिक प्रक्रिया को हमेशा से सत्ता ने राजनैतिक मकसदों के लिए इस्तेमाल किया है। महामारी में सत्ता का ऐसा उपयोग अनैतिक, अमानवीय है। लेखिका - रितिका खेड़ा, अर्थशास्त्री

🚩डब्ल्यूएचओ की सलाह 

🚩कोरोना के चलते डब्ल्यूएचओ ने भी सलाह दी है कि सभी देश, जेलों में भीड़ कम करने के उपाय ढूंढें, रिहाई, नियमित स्वास्थ्य जांच और मिलने आने वालों पर रोक। निकारागुआ में कैदियों को जेल से घर पर कैदी रखा गया हैं। रिहाई में अंडर ट्रायल्स, वृद्ध कैदियों, छोटे और अहिंसक गुनाहों के लिए कैद लोगों, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त, को प्राथमिकता दी जा रही हैं।

🚩जो देशद्रोह जैसे गंभीर आरोप में जेल में हैं उनको रिहा नही कर सकते है लेकिन जो अंडर ट्रायल में है और उन पर गंभीर आरोप नही है, गर्भवती महिलाएं, वृद्ध लोग है जिनके आचरण जेल में अच्छे है उनको जमानत अथवा पेरोल मिलनी चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।

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Thursday, June 25, 2020

आसाराम बापू अभी भी जेल में क्यों हैं? सवाल आपका - जवाब हमारा...

25 जून 2020

🚩हिंदुस्तान में अधिकतर लोगों में एक धारणा बनी रहती है कि कोई व्यक्ति जेल में है तो समझो की वे अपराधी होगा लेकिन ये बात सभी जगह लागू नही होती कुछ व्यक्ति जेल में होते है तो उसके पीछे ओर भी बहुत कारण होते हैं। कई बार राष्ट्र और संस्कृति का कार्य करने पर जेल भेजा हैं।

1.) स्वदेशी अभियान आंदोलन 
🚩इसके अंतर्गत बापू आसारामजी आयुर्वेद विज्ञान को लोगों की जीवनशैली में वापस लाए और गरीबों को उच्च गुणवत्ता वाली और सस्ती दवाइयां उपलब्ध करवाई।

2.) 50 से भी ज्यादा सनातन धर्म शैली के गुरुकुलों की शुरूआत की जिससे छोटी उम्र में ही बच्चे वैदिक संस्कृति से जुड़ने लगें । इनके गुरुकुल इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि सभी स्थानीय कॉन्वेंट स्कूलों में प्रवेश में गिरावट आने लगी।

3.) 10,000 से ज्यादा गायों को कत्लखाने जाने से बचाकर, स्व-निर्भर गौशालाओं की शुरुआत की, जो बिना किसी बाहरी दान के चलायी जाती हैं । जहाँ गौ सेवा अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर की जा रही है। इनके गौमूत्र से बने अर्क, गौवटी और गोधूप इतने लोकप्रिय हो गए हैं कि अन्य बाहरी स्रोतों पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं पड़ी और इससे 100 से ज्यादा अलग-अलग जगहों पर आदिवासी परिवारों को रोजगार मिलने लगा।

4.) जो लोग उनके सत्संग को सुनते और उनके संपर्क में आने लगे, वे गर्व से कहने लगे कि हिंदू होने पर वे अपने आपको बहुत भाग्यशाली मानते हैं।

5.)  बापू आसारामजी ने कई संस्थाओं के मार्गदर्शक बनकर उन्हें भी प्रेरित किया और खुद भी जनजातीय क्षेत्र में बहुत से सेवा और रोजगार के अवसरों का नेतृत्व किया और सनातन धर्म के मार्ग को खोने वाले लाखों धर्मान्तरित हिंदुओं की घरवापसी करवाई। 

6.) बापू आशारामजी के प्रत्येक आश्रम (450 आश्रम) को एक आत्मनिर्भर इकाई के रूप में बनाया गया ताकि उन्हें किसीके सामने धनराशि के लिए प्रार्थना न करनी पड़े और वे आसानी से व्यसन मुक्ति अभियान, मातृपितृ पूजन दिवस, संस्कार सिंचन अभियान, वैदिक मंत्र विज्ञान प्रचार, संस्कृति रक्षक सम्मेलन, संकीर्तन यात्राएं और सत्संग जैसे सेवाकार्यों द्वारा समाज में जागृति लाये।

7.) किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी युवा होते हैं। हिंदू संत आशारामजी बापू ने युवाधन सुरक्षा अभियान (दिव्य प्रेरणा प्रकाश) द्वारा युवाओं को संयमित जीवन का महत्व समझाया। आज बापू आसारामजी के कारण आधुनिक अश्लीलता भरे वातावरण में भी करोड़ों युवा ब्रह्मचर्यं का महत्व समझ रहे हैं और अपनी प्राचीन विरासत पर गर्व करने लगे हैं।

8.) बापू आसारामजी ने देश विदेश में 17,000 से भी अधिक बाल संस्कार केंद्र शुरू करवाये जहां बच्चों को अपने माता-पिता का आदर करना, स्मृति क्षमता में वृद्धि और अपने जीवन को कैसे ऊर्जावान बनाया जाये, ये शिक्षा दी जाने लगी। उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति, पराक्रम जैसे सद्गुणों से बच्चे विद्यार्थी जीवन से ही उन्नत, विचारवान और संस्कृति प्रेमी बनने लगे।

9.) हमारी खोई हुई गरिमा और संस्कृति की महिमा को जनमानस के हृदय में पुनः स्थापित करने के लिए समाज में वैश्विक आंदोलन के रूप में प्रस्तुत किया गया 14 फरवरी वेलेंटाइन डे को "मातृपितृ पूजन दिवस" और  25 दिसंबर क्रिसमस डे को "तुलसी पूजन दिवस" और करोड़ो लोग इस दिन 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस और 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस मनाने लगें।

🚩इन सभी गतिविधियों को आम व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह द्वारा शुरू नहीं किया जा सकता है। यह केवल किसी महापुरुष द्वारा किया जा सकता है जो आत्मनिर्भर और दिव्य हैं। ऐसे संतों से लाभान्वित होना न होना ये समाज पर निर्भर करता है। विकल्प हमारा है क्योंकि आत्मरामी संतों को हमसे किसी चीज की आवश्यकता नहीं है और न ही उनको कोई घाटा है पर उनकी उपेक्षा करने से समाज को आने वाले समय में बहुत बड़े नुकसान का सामना करना पड़ेगा।

🚩तो अब सवाल यह है पिछले पचास साल से देश और संस्कृति की सेवा करनेवाले बापू आसाराम जी को जेल क्यों भेजा गया ?

🚩सब जानते हैं कि भारत को 1947 में आजादी मिली पर पर्दे के पीछे का सत्य कोई नहीं जानता। केजीबी जासूस के मुताबिक़ अंतर्राष्ट्रीय मिशनरियों के पास भारत की संस्कृति को ध्वस्त करने का लक्ष्य है। असल में वे दुनिया पर शासन करना चाहते हैं पर किसी भी देश को नष्ट करने के लिए सबसे पहले उस देश की संस्कृति को नष्ट करना होता है और इसलिए वे उस देश की संस्कृति को नष्ट करने के लिए देश के प्रति वफादार नेताओं और संतों पर हमला करते हैं।

🚩जैसे सुभाष चन्द्र बोस, लाल बहादुर शास्त्री, राजीव दीक्षित और संत लक्ष्मणानंदजी आदि आदि की कैसे मृत्यु हुई आज तक पता नही चला।

🚩कुछ साल पहले यूरी बेज़मेनोव, जो पूर्व केजीबी जासूस है, उनके इन्टरव्यू के अंश एक अद्भुत अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।

"किसी भी देश की पूरी आबादी की सोच और व्यवहार को बदलने के लिए चार कदम हैं।

1. अनैतिकता

2. अस्थिरता

3. संकट

4. सामान्यीकरण

हम युवाओं को शिक्षण के द्वारा गुमराह करके अनैतिक बना देते हैं। भारत में अनैतिकता प्रक्रिया मूल रूप से पहले ही पूरी हो चुकी है।"

🚩अब यह स्पष्ट होना चाहिए कि आशाराम बापू अभी भी जेल में क्यों हैं?
कुछ लोग कहते हैं, कांग्रेस (विशेष रूप से सोनिया गांधी का षड्यंत्र) आशाराम बापू पर बनाये गये मामले के पीछे छिपी हुई है लेकिन अब जब मोदी सत्ता में हैं, तब भी आशाराम बापू जेल में हैं।

🚩वास्तविक सत्य यह है: यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साजिश है। बड़े शक्तिशाली लोग जो बहुराष्ट्रीय कंपनियों और मिशनरियों से जुड़े हुए हैं, जिन्होंने भारतीय मीडिया कई समूहों को खरीद रखा है, यहां भारतीय मीडिया पूरी तरह से दूषित है और खरीदने में मुश्किल नहीं है, वे भ्रष्ट अधिकारी और राजनेता को खरीदते हैं। वे हमेशा किसी भी चेहरे के पीछे काम करते हैं, जैसे उन्होंने सोनिया गांधी के चेहरे के पीछे किया था। भारतीय लोगों को मीडिया द्वारा आसानी से बेवकूफ़ बना दिया जाता है और बाकि भ्रष्ट राजनेता और अधिकारी केस को लंबा बनाते हैं।

🚩जब हम आसाराम बापू पर की गई FIR पढ़ते हैं तो सबकुछ स्पष्ट होता है। FIR में कोई बलात्कार का जिक्र नहीं है, लेकिन मीडिया ब्रेकिंग न्यूज 24X7 में "रेप" शब्द बोलता है और लड़की की कॉल डिटेल के अनुसार लड़कीं ने जिस समय पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया है उस समय वहाँ थी ही नही और आशारामजी बापू किसी कार्यक्रम में व्यस्त थे वहां 60 लोग भी मौजूद थे इससे स्पष्ट होता है कि सोची समझी साजिश के तहत जेल भिजवाया हैं।

🚩बापू आशारामजी के आश्रम में फैक्स भी किया था उसमे लिखा था कि 50 करोड़ दे दीजिए नही तो लड़की के केस में जेल जाने को तैयार रहिये लेकिन बापू आशारामजी ने इसपर ध्यान ही नही दिया वे देश व संस्कृति की सेवा में लगे रहे पैसे गरीबों और गायों की सेवा में लगाते रहे जिसके कारण वे आज भी जेल में है और अगर उनको बाहर निकालेंगे तो फिर से धर्मान्तरण वालो और मल्टीनेशनल कंपनियों की दुकानें बंद हो जायेगी।

🚩अगर देश को बचाना चाहते हैं तो भारतीयों को एकजुट होना चाहिए। लेकिन केजीबी के जासूसी प्रभावित लोगों का मीडिया द्वारा ब्रेनवोश किया गया है, इसलिए वे कभी भी सच नहीं पढ़ते और ना बोलते हैं।

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