सितम्बर 26, 2017
#राष्ट्रपति #रामनाथ कोविंद सोमवार को दिव्य-प्रेम सेवा मिशन के कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। तभी उन्होंने कहा कि इस राष्ट्र ने गंगा व #साधु-संतों के विचार-प्रभाव से अपना स्वरूप ग्रहण किया है और वही इस #राष्ट्र की #पहचान है, न कि इंडिया गेट या लाल किला ।
राष्ट्रपति जी का ये #बयान भारत के #विश्वगुरु बनने की दिशा में सबसे #महत्वपूर्ण कदम है। महामहिम जी के इस बयान का धर्मनिष्ठ और राष्ट्रवादियों के समूह में दिल खोल कर स्वागत हो रहा है और धर्मसंस्थापना के लिए एक बड़ा कदम माना जा रहा है ।
President: India is identified as nation with Ganga and saints, not 'India Gate or Red Fort' |
राष्ट्रपति जी की बात बिल्कुल सही है क्योंकि भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति है ईसाई धर्म की स्थापना 2017 पहले हुई थी, मुस्लिम धर्म की स्थापना 1450 साल पहले हुई थी लेकिन #हिन्दू धर्म #सनातन धर्म है उसकी किसी ने स्थापना नही की है बल्कि जब से सृष्टि का उद्गम हुआ है तब से है, सृष्टि की रचना भारत में पुष्कर में बैठकर ब्रह्माजी ने बनाई थी इसलिए भारत देश ऋषि-मुनियों का देश रहा है, भगवान श्री राम का अवतार भी ऋषि-मुनियों ने हवन करने के बाद ही हुआ था, भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के भी गुरुजी थे।
भारत में ऋषि-मुनियों ने प्राणिमात्र के लिए दिव्य खोजे की हैं, जब दुनिया में लोग कपड़े भी पहनना नही जानते थे तब भारत में रेशमी वस्त्र बन रहे थे, दुनिया में सबसे पहले भारत में गांव-गांव नगर-नगर में गुरुकुल थे जिसमें कैसे दिव्य जीवन जीया जाए उसकी पढ़ाई होती थी, आज जितनी भी दुनिया में खोजे की हैं परमाणु बम, हवाई जहाज, सर्जरी आदि आदि छोटे से लेकर बड़े-बड़े जितनी भी दुनिया भर में अभी तक खोज हुई है या कर रहे हैं वे सब ऋषि-मुनियों द्वारा पहले की गई थी वही आज के वैज्ञानिक कर रहे हैं ।
पहले #राज सत्ता हमेशा #धर्म सत्ता के #नीचे रहती थी और ऋषि-मुनियों के पास बेमाप सम्पत्ति रहती थी, जिससे वे समाज के उत्थान के कार्य कर सकते थे, अगर राजसत्ता में पैसे की कमी आ जाती तो ऋषि-मुनि राजा को सम्पत्ति देते थे। उस समय भारत सोने की चिड़िया कहलाता था ।
कलियुग का प्रभाव बढ़ता गया, भारत में आक्रमणकारियों मुगलो का राज आया, उन्होंने #हिन्दू #संस्कृति को तोड़ने के लिए अनेक कार्य किये और जबरन #धर्म-परिवर्तन करवाया । बाद में अंग्रेजों का राज आया उन्होंने गुरुकुल खत्म कर दिए और विदेशी पढ़ाई चालू कर दी और धर्म सत्ता के ऊपर राज सत्ता रख दी तबसे भारत में सनातन संस्कृति खतरे में पड़ गई ।
भारत में विदेशी पढ़ाई शुरू हुई उसमें ऐसे पढ़ाया जाने लगा कि भारतीय संस्कृति देशी संस्कृति है उसमें कुछ दम नहीं है हमारी पश्चिमी संस्कृति महान है उसको अपनाओ । उसके बाद बचपन से ही गलत पढाई पढ़ने के कारण, बड़े होने के बाद अपनी ही भारतीय संस्कृति से हम घृणा करने लगे, देवी-देवताओं का पूजन बन्द करने लगे, हिन्दू त्यौहारों से उपराम होने लगे, मन्दिरों में जाना कम कर दिया, हिन्दू साधु-संतों को ढोंगी समझने लगे, #ब्रह्मचर्य का पालन #तोड़ने लगे और लड़का-लड़की से प्यार करना, #वेलेंटाइन डे मनाना, #गले मे क्रॉस लटकाना, #टाई-जीन्स आदि पहनकर अपने को बुद्धिमान समझने लगे । बस यही से #भारतीय संस्कृति का #पतन शुरू हो गया ।
भारत में फिर अखबार का सिलसिला शुरू हो गया, उसके बाद टीवी और बाद में मीडिया और इंटरनेट आ गया इन सभी में भारतीय संस्कृति को नीचा दिखाने के लिए हिन्दू देवी-देवताओं का अपमान शुरू हो गया। जैसे कि भगवान हनुमानजी तो एक बंदर थे, गणपति हाथी थे ये भगवान नही । इस तरीके से भगवान के प्रति घृणा पैदा की गई, फिर हिन्दू त्यौहारों को लके अंध विश्वास बताया गया, बाद में साधु-संत केवल ढोंग करते हैं,जनता को लूटने के लिए इस तरीके से बताकर उनकी हीन पाश्चत्य संस्कृति को महान बता भारतीय संस्कृति से विमुख करते गए ।
वर्तमान में हिन्दू साधु-संतों ने इन सबका विरोध किया, विदेशी कम्पनियां जो लेबल अच्छा लगाकर अपनी लो क्वालिटी की चीजें बेचने लगे उसका विरोध किया, नशे का विरोध किया, उनके सम्पर्क में आने से लोग धर्म का पालन करने लगे, ब्रह्मचर्य पालन करने लगे जिससे उनको अरबो-खबरों का नुकसान होने लगा,जो साधु-संत आदिवासी इलाकों में जाकर जीवन जरूरियात वस्तुएं देने लगे जिससे धर्मान्तरण में रुकावट आई तो #विदेशी कम्पनियों और #ईसाई मिशनरियों ने मिलकर #मीडिया में पैसा देकर #साधु-संतों को #खूब बदनाम #करवाना #शुरू किया । जिससे जनता में उनकी छवि धूमिल हो और जनता उनपर विश्वास खो दे । फिर राजसत्ता से मिलकर उनके ऊपर झूठे आरोप लगाकर जेल भिजवाया गया ।
भारतीय मीडिया अधिकतर विदेशी फंड से चलती है इसलिए हिन्दू साधु-संतों को ही बदनाम करती है कभी भी ईसाई पादरी या मौलवी को बदनाम नही करती है ।
आपको बता दें कि #साधु-संतों के #जेल जाने के बाद भारत मे #ईसाई धर्म वाले #धर्मान्तरण #तेजी से करवा रहे हैं, जिससे भारतीय संस्कृति खत्म हो जाये और उनकी संस्कृति की स्थापना हो और #भारत को फिर से #गुलाम बनाया जाये ।
वर्तमान में अभी #हिंदुत्ववादी पार्टी के बड़े #नेता और बड़ा हिंदुत्ववादी संगठन को भी एक भ्रांति हो गई है जिससे वे चाहते है कि सभी बड़े-बड़े #साधु-संतों को #खत्म कर दो एक राष्ट्र बना दो और हम उनके पास बार-बार वोट लेने नही जाना पड़े पर उनको थोड़ा विचार करना चाहिए कि जो साधु-संत समाज को अच्छी शिक्षा दे रहे थे वो ही नही रहेंगे तो समाज में अच्छे संस्कार नही रहेंगे और अच्छे संस्कार नही रहेंगे तो फिर वे देशहित में कार्य कर ही नही सकते इसलिए उस पर उनको पुनः विचार करना चाहिए ।
गंगा मैया को भगवान श्री राम के पूर्वज राजा भगीरथ लोगों के उद्धार के लिए स्वर्ग से पृथ्वी पर लाये थे और आज उसमें नाले का पानी जा रहा है, उसमें भी शीघ्र सुधार करना चाहिए ।
भारतवासियों को एक बार गहराई से पुनः विचार करना चाहिए और #गौ-गीता- गंगा और #संतो पर हो रहे #अत्याचार को #बंद करने के खिलाफ एक होकर लड़ना #चाहिए नही तो आनेवाली पीढ़ी और राष्ट्र के लिए भारी नुकसान होगा ।
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