माना कि वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए राष्ट्र व समाजहित में बलात्कार कानून की अत्यंत आवश्यकता है पर उसका उचित प्रयोग और पालन भी आवश्यक है। परंतु इस कानून में अनेकों अपभ्रंश है जिसे नकारा नहीं जा सकता क्योंकि ऐसे तथ्य भी सामने आ रहे हैं कि इस कानून का दुरुपयोग कर कई निर्दोष, सामाजिक, प्रतिष्ठासम्पन्न व्यक्तियों या सामान्य नागरिकों पर झूठे आरोप दर्ज करायें जा रहे हैं और आरोप मात्र से बिना किसी सबूत या जांच के जेल भेजने की कार्रवाई भी हो रही है। ऐसे कृत्य में असामाजिक तत्वों की संलिप्तता है जो रंजिशवश, बदले की भावना से या पैसे ऐंठने के लिए किसी निर्दोष पर झूठे आरोप लगाकर बेहिचक जेल की सजा दिलाने में कामयाब हो जाते हैं। किसी निर्दोष को फंसाने में इन्हें कोई न शर्म महसूस होती है और न ही आत्मग्लानि होती है। इनका एकमात्र लक्ष्य पैसा कमाना होता है।
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Wednesday, December 9, 2020
महिला सुरक्षा कानून का दुरुपयोग चरम सीमा पर...
बलात्कार कानून के अनियमितता एवं अपभ्रंशता पर स्वयं महिला जज निवेदिता शर्मा ने कहा है कि वर्तमान बलात्कार कानून में झूठे आरोपों में फंसे पुरुषों को भी बचाने का कोई प्रावधान नहीं है। और भी कई कानून के जानकार, न्यायविद् एवं अधिवक्ताओं का मानना है कि वर्तमान बलात्कार कानून में अनेकों अनियमितताएँ हैं - यह कानून एकतरफा है।
किसी भी राष्ट्र में महिला एवं पुरुष समाज के अभिन्न अंग होते हैं। एक दूसरे के बिना सामाजिक विकास की कल्पना कपोल कल्पित है। महिला एवं पुरुष दोनों की अथक परिश्रम एवं योगदान से स्वस्थ, सुंदर एवं गौरवपूर्ण राष्ट्र का निर्माण होता है। यदि इस प्रकार बलात्कार कानून को एकतरफा बनाया गया है तो उसकी वजह से पुरुष वर्ग के साथ महा अन्याय एवं राष्ट्रीय विघटन की कल्पना भी कोई अतिश्योक्ति नहीं है। कानून निर्माताओं से इस पहलू पर भूल क्यों हुआ कि जब किसी निर्दोष को बलात्कार कानून का मोहरा बनाया जाएगा तो उसके साथ उसका पूरा परिवार, रिश्तेदार सभी बिखर जाएंगे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा धूमिल हो जाएगी, उनके बच्चों का भविष्य अंधकारमय हो जाएगा आदि आदि...
इसी वर्तमान बलात्कार कानून की वजह से भारतीय संस्कृति की गरिमा की रक्षा करने वाले, देशहित में अनेकों महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विश्व सुप्रसिद्ध संत श्री आशाराम जी बापू पर मिथ्या आरोप लगाकर उनको कारावास में डाला गया है जबकि उन्हें मेडिकल रिपोर्ट में क्लीनचिट मिली हुई है एवं उनके निर्दोषिता के अनेक प्रमाणित सबूत न्यायालय में पेश किए गए हैं फिर भी 7+ वर्ष हो गए अभी तक उन्हें उचित न्याय नही दिया जा रहा है न ही जेल से मुक्त किया जा रहा है। इसी प्रकार स्वामी नित्यानंद जी, कृपालु जी महाराज एवं नामी-अनामी कई निर्दोषों को भी मिथ्या आरोप में कानूनी यातनाएं सहनी पड़ी है।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर भी यौन शोषण का आरोप लगा था हालांकि विशेष सेलिब्रिटी एवं राष्ट्रीय गरिमा को देखते हुए साजिश है कहकर उनका केस खारिज कर दिया गया। अब प्रश्न यह है उठता है कि जब कोई जज जैसे विशेष सेलिब्रिटी पर आरोप लगता है तो साजिश है कहकर केस खारिज कर दिया जाता है तो फिर करोड़ों लोगों को धर्म के मार्ग पर प्रशस्त कर व्यसन छुड़ाने वाले उनके जीवन में आशातीत परिवर्तन लाकर सच्चाई के मार्ग पर चलाने वाले निर्दोष संतो के मामले में न्याय व्यवस्था की उत्तरदायित्व रखने वाले अर्थात न्याय व्यवस्था संचालन करने वालों की कदाचित निष्क्रियता आखिर क्यों?
इन सब कारणों का अवलोकन करने से राष्ट्र की गरिमा को सुदृढ़ करने एवं राष्ट्रहितैषी सन्तों की रक्षा करने हेतु एक तथ्य सामने आ रहा है कि वर्तमान एकतरफा बलात्कार कानून पर आवश्यक संशोधन के साथ देश में पुरुष आयोग की स्थापना एकमात्र विकल्प है।
बसन्त कुमार मानिकपुरी
स्थान - पाली (कोरबा)
छत्तीसगढ़
Thursday, May 28, 2020
रेप कानून के दुरुपयोग के कारण एक संत को करनी पड़ी आत्महत्या, कब बदलाव होगा?
28 मई 2020
प्रतापगढ़ जिला न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि 90 प्रतिशत बलात्कार के केस साबित ही नही हो पाते हैं। दलालों के माध्यम से प्रतिवर्ष काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैं।
बलात्कार के कड़े कानून महिलाओं की सुरक्षा के लिए बनाए थे लेकिन इन कानूनों का कुछ गिरोह अथवा महिलाओं द्वारा भयंकर दुरुपयोग किया जा रहा है, इस कानून के दुरुपयोग से निर्दोष पुरुषों की ज़िंदगी तबाह हो रही है। कुछ पुरुष निर्दोष होते हुए भी आरोपी सिद्ध होकर सालों साल जेल की प्रताड़ना सहन करते हैं बाद में निर्दोष बरी होते हैं। कुछ पुरुष तो आरोप के सदमे में खुदकुशी तक कर लेते हैं।
संत ने त्याग दी देह...
राजस्थान के राजसमंद के भीम उपखंड में मंदिर के संत ने सोमवार को आश्रम स्थित पीपल के पेड़ पर फंदा लगाकर देह त्याग दी। इससे पहले संत ने वीडियो वायरल कर खुद पर लगे दुष्कर्म के आरोप को झूठा बताया। उन्होंने एक दंपती और महिला आयोग की सदस्या पर रुपए वसूलने का आरोप लगाया।
संत पर 20 मई को दिवेर थाने में नशीला पेय पिलाकर दुष्कर्म करने का आरोप लगा था। थानाधिकारी लक्ष्मण सिंह चुंडावत ने बताया कि प्रेमदास (50) ने पीपल के पेड़ पर फंदे पर लटक आत्महत्या कर ली।
संत पर एक महिला ने 21 मई को दुष्कर्म का केस दर्ज करवाया था। पुलिस संत की तलाश में थी।
गुणिया निवासी एक दंपती 20 अप्रैल को संत प्रेमदास के आश्रम पर पेट दर्द की समस्या लेकर पहुंचा था। उसके एक माह बाद पति ने फिर से संत के पास जाने को कहा। महिला ने वहां से लौटकर बताया कि उसके साथ दुष्कर्म किया गया। दंपती ने 20 मई को एसपी ओफिस में शिकायत की। इसके बाद 21 मई को दिवेर थाने में संत प्रेमदास के खिलाफ पॉक्सो एक्ट में केस दर्ज किया गया। जांच के लिए पुलिस आश्रम पहुंची तो संत नहीं मिले। इस दौरान आश्रम पर रहने वाले छगनलाल सुथार को संत के आने पर पुलिस को सूचना देने के लिए कहा गया।
सोमवार सुबह छगनलाल आश्रम गया तो संत को पेड़ पर लटका देखकर ग्रामीणों को सूचना दी। छगनलाल ने बताया कि रविवार रात आश्रम से गया तो संत नहीं थे। संत ने आत्महत्या से पहले एसपी के नाम एक वीडियो बनाकर वायरल किया। इसमें दंपती समेत महिला आयोग की सदस्या पर 25 लाख रुपए वसूलने का आरोप लगाया। रुपए नहीं होने पर आत्म-सम्मान और संत सम्मान को बचाने के लिए देहत्याग करने का कदम उठाया।
आगे की जांज होगी तब पता चलेगा कि सही क्या है? लेकिन इस तरह की घटनाएं पहले भी बहुत हुई है जिसके कारण निर्दोष पुरुषों को आत्महत्या करनी पड़ी है, इस कानून के जरिये पैसे ऐंठने का धंधा शुरू किया गया है, इसमे भी हिंदू साधु-संतों को खास निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि साधु-संत सनातन संस्कृति की रक्षा के लिए कार्य करते हैं, धर्मातरण का विरोध करते हैं, घरवापसी कार्यक्रम चलाते हैं, विदेशी सामान का बहिष्कार करके स्वदेशी का प्रचार करते हैं, व्यसन मुक्त समाज को बनाते है और भी समाज की कई बुराइयां को दूर करते हैं और राष्ट्र के लिए जनता को जागरूक करते हैं, इन कारणों से भी साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है, आज भी एक निर्दोष संत 7 साल से जेल में बंद हैं, कई साधु-संत सालो से जेल में रहकर निर्दोष बरी हुए।
रेप कानूनों का निर्माण महिला सुरक्षा के लिये किया गया लेकिन कुछ गिरोह और पथभ्रष्ट महिलाएं इसका धड़ल्ले से दुरुपयोग कर रही हैं। सरकार को इन पथभ्रष्ट महिलाओं द्वारा किये जा रहे हर फर्जी केस पर कठोर कार्यवाही करनी चाहिए तथा ऐसी महिलाओं को कठोर से कठोर दंड देने चाहिए जो अपनी स्वार्थपूर्त्ति के लिए किसी के जीवन से खेल रही हैं।
करोड़ों लोगों के आस्था-केन्द्र धर्मगुरुओं, प्रसिद्ध गणमान्य हस्तियों एवं आम लोगों को रेप एवं यौन-शोषण से संबंधित कानूनों की आड़ में फँसाकर देश की जड़ें काटी जा रही हैं। स्वार्थी तत्त्वों एवं राष्ट्र-विरोधी ताकतों का मोहरा बनी महिलाओं के कारण समस्त महिला समुदाय कलंकित हो रहा है। महिलाओं को नौकरी नहीं मिल रही है, महिलाओं पर से लोगों का विश्वास घटता जा रहा है। इसलिए जनता की मांग है कि सरकार बलात्कार निरोधक कानूनों का दुरुपयोग रोकने के लिए इनमें शीघ्र संशोधन करें और पुरुष आयोग का गठन करें।
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Wednesday, May 6, 2020
जनता की अपील : टैक्स के पैसे का दुरुपयोग न करे सरकार !!
06 मई 2020
कोरोना महामारी चलते देश मे लॉकडाउन किया गया और जीवन उपयोगी वस्तु मिलती रहे उसके लिए सरकार ने सरहानीय प्रयास भी किया। वर्तमान में लॉकडाउन चालू है लेकिन शराब की दुकानें खुलवा दी जिसके कारण दुकानों पर शराब पीने वालों की लंबी लाइनें लगी थी कहीं कहीं तो 1 किलोमीटर से भी अधिक लाइनें थी । इससे पता चला कि भारत में दारू पीने वालों की संख्या कम नही हैं।
शराब पीने वालों की संख्या देखकर जनता की मांग उठी है कि शराब पीने वालों का आधार कार्ड लिया जाए और यही आधार कार्ड जिला पुरवठा अधिकारी के पास जमा किया जाए । जिससे शराब पीने वालों का राशन, शिक्षा, पानी , चिकित्सा पर छूट आदि सरकारी सुविधाएं मिलती है, वे बंद की जा सके क्योंकि इसमें जो जनता ईमादारी से पसीने की कमाई का टैक्स भरती है उनके पैसे से दारू पीने वालों को भी सुविधाएं मिल जाती हैं।
जिस राज्य में दारू पर पाबंदी है उस जगह पर पुलिस रेड क्यो मारे ?? जिसके परिवार में जो दारू पीता है वो ही बता दे .. अन्यथा तो पुलिस को जिसको भी दारू पीने का पता लगे उसको मिल रही सरकारी सुविधाओं को बंद कर देना चाहिए।
टैक्स का सदुपयोग करे सरकार !!
टैक्स भरने वाले जनता को हमेशा एक चिंता सताती है कि हमारे टैक्स का सदुपयोग हो लेकिन सरकार ऐसे दारू पीने वाले लोगों को राशन, शिक्षा, चिकित्सा आदि और मंदिर के पैसे मस्जिद, चर्च , मौलवियों के पगार देने आदि में उपयोग करती है । इससे दुःख होता है!! जैसे हमारा एक परिवार होता है उसमें अगर एक भाई कमाए और दूसरा भाई दारू पीकर उड़ाता रहे तो कमाने वाला भाई कबतक उसकी भरपाई करेगा ? ऐसे ही सरकार अगर टैक्स भरने वाले लोगों से टैक्स लेकर दारू पीने और अल्पसंख्यक लोगों में उपयोग कर रहे हैं तो कबतक चलता रहेगा ?*
राजनीति फायदों के लिए अल्पसंख्यक लोगों का अथवा जाती विशेष की तुस्टीकरण करने में दुरुपयोग कर रहे है इस अन्याय पर लोग कबतक सहन करेंगे?*
जाती धर्म और राष्ट्र इन तीनो के हितों की बीच मे कोई विरोधभास होता हैं तब लोग अपने जाती-मत-पंथ में संकीर्ण हो जाते हैं कुछ अल्पसंख्यक अपने मत-पंथ से न राष्ट्र को बड़ा मानते है और नही मानवता को तो ऐसे संकीर्ण मानसिकता वाले अल्पसंख्यक लोगों को बहुसंख्यक लोगों के पसीने के पैसे के टैक्स उनको क्यों दिया जाएं?
जब कोरोना महामारी चलते लॉकडाउन किया गया और प्रधानमंत्री ने अपील की कि अपने अडोस-पड़ोस का ख्याल रखें । किसी को भूखा न रहने दें तो अनेक धार्मिक संस्था, निजी संस्था, कुछ स्वदेशी कम्पनियां और मध्यमवर्गीय लोगों ने भी इसका ध्यान रखा ओर जिनके पास भोजन की व्यवस्था नहीं थी उनको भोजन-राशन दिया । किसी को भूखे नहीं मरने दिया जबकि सिर्फ प्रधानमंत्री ने अपील की थी कोई आदेश जारी नहीं किया था । यही लोग बढ़चढकर अन्य को राशन दे रहे थे और यही लोग सरकार से टैक्स बचाने के लिए अनेक युक्तियां भी खोजते हैं ऐसा क्यों ? क्योंकि उनका जो टैक्क्स सरकार के पास जा रहा है उसपर पूरा भरोसा नहीं है कि उसका सदुपयोग होगा कि दुरुपयोग ? इसलिए कुछ लोग टैक्स देने में छुपाते हैं। अगर बहुसंख्यक के पैसे अल्पसंख्यक में और मंदिर के पैसे मस्जिदों एवं चर्चों में उपयोग नहीं किये जायें और जिनको वास्तविकता में जरूरत है उनपर खर्च किया जाए तो कोई टैक्स नही छुपायेगा सभी लोग पूरा टैक्स भरेंगे जैसे मंदिरों में दान देते हैं वैसे ही टैक्स भी देंगे।
कीमती शराब बिगाड़ दी...
डायोजिनीज को उनके मित्रों ने महँगे शराब का जाम भर दिया। डायोजिनीज ने कचरापेटी में डाल दिया।
मित्रों ने कहाः "इतनी कीमती शराब आपने बिगाड़ दी ?"
"तुम क्या कर रहे हो ?" डायोजिनीज ने पूछा।
"हम पी रहे हैं।" जवाब मिला।
"मैंने जो चीज कचरापेटी में उड़ेली वही चीज तुम अपने मुँह में उड़ेलकर अपना विनाश कर रहे हो। मैंने तो शराब ही बिगाड़ी लेकिन तुम शराब और जीवन दोनों बिगाड़ रहे हो।"
विदेशी अर्थशास्त्रीयों का भी कहना है कि विदेशो में सरकार को जिनती शराब की बिक्री से आय नही होती उनसे कई ज्यादा गुना उनके इलाज में दवाइयों पर खर्च करना पड़ता हैं। ये तो वही बात हो गई कि पहले बोलो आग रात को लगाओं इससे उजाला होगा फिर बोलो की आग बढ़ गई है उसको बुजाने के लिए फायर बिग्रेड लाना है तो पैसे दो ये तो सरासर मूर्खता के अलावा कुछ नही हैं।
जिस शराब से व्यक्ति का जीवन तबाह होता हैं, परिवार का पतन होता हैं, समाज मे अराजकता फैलती हैं ऐसी अनीति और अधर्म के पैसे जिस राजकोष में हो वहाँ कैसे बरकत आएगी ऐसे पैसे विनाश की तरफ ही जाते हैं, कभी समृद्धि नही ला सकते हैं।
जो व्यक्ति शराब पीकर अपना जीवन का बिगाड़ कर रहा हो और पाप कमा रहे हो उनको सरकार अगर सरकारी सुविधाएं देती है तो जनता के टैक्स का दुरुपयोग ही होगा । इसलिए सभी शराबियों का आधार कार्ड लिया जाए और उनको सरकारी सुविधाएं देना बंद किया जाए जिसके कारण लोग शराब पीना धीरे-धीरे बंद करेंगे और घरेलू हिंसा कम होगी। स्वास्थ्य लोगो का अच्छा रहेगा, परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी होगी और टैक्स भरेंगे तो देश भी समृद्ध होगा। इसलिए ये उपाय समाज और देशहित मे हैं।
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