06 मई 2020

कोरोना महामारी चलते देश मे लॉकडाउन किया गया और जीवन उपयोगी वस्तु मिलती रहे उसके लिए सरकार ने सरहानीय प्रयास भी किया। वर्तमान में लॉकडाउन चालू है लेकिन शराब की दुकानें खुलवा दी जिसके कारण दुकानों पर शराब पीने वालों की लंबी लाइनें लगी थी कहीं कहीं तो 1 किलोमीटर से भी अधिक लाइनें थी । इससे पता चला कि भारत में दारू पीने वालों की संख्या कम नही हैं।
शराब पीने वालों की संख्या देखकर जनता की मांग उठी है कि शराब पीने वालों का आधार कार्ड लिया जाए और यही आधार कार्ड जिला पुरवठा अधिकारी के पास जमा किया जाए । जिससे शराब पीने वालों का राशन, शिक्षा, पानी , चिकित्सा पर छूट आदि सरकारी सुविधाएं मिलती है, वे बंद की जा सके क्योंकि इसमें जो जनता ईमादारी से पसीने की कमाई का टैक्स भरती है उनके पैसे से दारू पीने वालों को भी सुविधाएं मिल जाती हैं।
जिस राज्य में दारू पर पाबंदी है उस जगह पर पुलिस रेड क्यो मारे ?? जिसके परिवार में जो दारू पीता है वो ही बता दे .. अन्यथा तो पुलिस को जिसको भी दारू पीने का पता लगे उसको मिल रही सरकारी सुविधाओं को बंद कर देना चाहिए।
टैक्स का सदुपयोग करे सरकार !!
टैक्स भरने वाले जनता को हमेशा एक चिंता सताती है कि हमारे टैक्स का सदुपयोग हो लेकिन सरकार ऐसे दारू पीने वाले लोगों को राशन, शिक्षा, चिकित्सा आदि और मंदिर के पैसे मस्जिद, चर्च , मौलवियों के पगार देने आदि में उपयोग करती है । इससे दुःख होता है!! जैसे हमारा एक परिवार होता है उसमें अगर एक भाई कमाए और दूसरा भाई दारू पीकर उड़ाता रहे तो कमाने वाला भाई कबतक उसकी भरपाई करेगा ? ऐसे ही सरकार अगर टैक्स भरने वाले लोगों से टैक्स लेकर दारू पीने और अल्पसंख्यक लोगों में उपयोग कर रहे हैं तो कबतक चलता रहेगा ?*
राजनीति फायदों के लिए अल्पसंख्यक लोगों का अथवा जाती विशेष की तुस्टीकरण करने में दुरुपयोग कर रहे है इस अन्याय पर लोग कबतक सहन करेंगे?*
जाती धर्म और राष्ट्र इन तीनो के हितों की बीच मे कोई विरोधभास होता हैं तब लोग अपने जाती-मत-पंथ में संकीर्ण हो जाते हैं कुछ अल्पसंख्यक अपने मत-पंथ से न राष्ट्र को बड़ा मानते है और नही मानवता को तो ऐसे संकीर्ण मानसिकता वाले अल्पसंख्यक लोगों को बहुसंख्यक लोगों के पसीने के पैसे के टैक्स उनको क्यों दिया जाएं?
जब कोरोना महामारी चलते लॉकडाउन किया गया और प्रधानमंत्री ने अपील की कि अपने अडोस-पड़ोस का ख्याल रखें । किसी को भूखा न रहने दें तो अनेक धार्मिक संस्था, निजी संस्था, कुछ स्वदेशी कम्पनियां और मध्यमवर्गीय लोगों ने भी इसका ध्यान रखा ओर जिनके पास भोजन की व्यवस्था नहीं थी उनको भोजन-राशन दिया । किसी को भूखे नहीं मरने दिया जबकि सिर्फ प्रधानमंत्री ने अपील की थी कोई आदेश जारी नहीं किया था । यही लोग बढ़चढकर अन्य को राशन दे रहे थे और यही लोग सरकार से टैक्स बचाने के लिए अनेक युक्तियां भी खोजते हैं ऐसा क्यों ? क्योंकि उनका जो टैक्क्स सरकार के पास जा रहा है उसपर पूरा भरोसा नहीं है कि उसका सदुपयोग होगा कि दुरुपयोग ? इसलिए कुछ लोग टैक्स देने में छुपाते हैं। अगर बहुसंख्यक के पैसे अल्पसंख्यक में और मंदिर के पैसे मस्जिदों एवं चर्चों में उपयोग नहीं किये जायें और जिनको वास्तविकता में जरूरत है उनपर खर्च किया जाए तो कोई टैक्स नही छुपायेगा सभी लोग पूरा टैक्स भरेंगे जैसे मंदिरों में दान देते हैं वैसे ही टैक्स भी देंगे।
कीमती शराब बिगाड़ दी...
डायोजिनीज को उनके मित्रों ने महँगे शराब का जाम भर दिया। डायोजिनीज ने कचरापेटी में डाल दिया।
मित्रों ने कहाः "इतनी कीमती शराब आपने बिगाड़ दी ?"
"तुम क्या कर रहे हो ?" डायोजिनीज ने पूछा।
"हम पी रहे हैं।" जवाब मिला।
"मैंने जो चीज कचरापेटी में उड़ेली वही चीज तुम अपने मुँह में उड़ेलकर अपना विनाश कर रहे हो। मैंने तो शराब ही बिगाड़ी लेकिन तुम शराब और जीवन दोनों बिगाड़ रहे हो।"
विदेशी अर्थशास्त्रीयों का भी कहना है कि विदेशो में सरकार को जिनती शराब की बिक्री से आय नही होती उनसे कई ज्यादा गुना उनके इलाज में दवाइयों पर खर्च करना पड़ता हैं। ये तो वही बात हो गई कि पहले बोलो आग रात को लगाओं इससे उजाला होगा फिर बोलो की आग बढ़ गई है उसको बुजाने के लिए फायर बिग्रेड लाना है तो पैसे दो ये तो सरासर मूर्खता के अलावा कुछ नही हैं।
जिस शराब से व्यक्ति का जीवन तबाह होता हैं, परिवार का पतन होता हैं, समाज मे अराजकता फैलती हैं ऐसी अनीति और अधर्म के पैसे जिस राजकोष में हो वहाँ कैसे बरकत आएगी ऐसे पैसे विनाश की तरफ ही जाते हैं, कभी समृद्धि नही ला सकते हैं।
जो व्यक्ति शराब पीकर अपना जीवन का बिगाड़ कर रहा हो और पाप कमा रहे हो उनको सरकार अगर सरकारी सुविधाएं देती है तो जनता के टैक्स का दुरुपयोग ही होगा । इसलिए सभी शराबियों का आधार कार्ड लिया जाए और उनको सरकारी सुविधाएं देना बंद किया जाए जिसके कारण लोग शराब पीना धीरे-धीरे बंद करेंगे और घरेलू हिंसा कम होगी। स्वास्थ्य लोगो का अच्छा रहेगा, परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी होगी और टैक्स भरेंगे तो देश भी समृद्ध होगा। इसलिए ये उपाय समाज और देशहित मे हैं।
Official Azaad Bharat Links:
🏻
No comments:
Post a Comment