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Sunday, June 28, 2020

भामाशाह से धनाढ्य लोग कुछ सीखें, देश व धर्म की रक्षा के लिए कैसा त्याग किया था?

28 जून 2020

🚩दान की चर्चा होते ही भामाशाह का नाम स्वयं ही मुँह पर आ जाता है। देश रक्षा के लिए महाराणा प्रताप के चरणों में अपनी सब जमा पूँजी अर्पित करने वाले दानवीर भामाशाह का जन्म अलवर (राजस्थान) में 28 जून, 1547 को हुआ था। उनके पिता श्री भारमल्ल तथा माता श्रीमती कर्पूरदेवी थीं। श्री भारमल्ल राणा साँगा के समय रणथम्भौर के किलेदार थे। अपने पिता की तरह भामाशाह भी राणा परिवार के लिए समर्पित थे।

🚩एक समय ऐसा आया जब अकबर से लड़ते हुए राणा प्रताप को अपनी प्राणप्रिय मातृभूमि का त्याग करना पड़ा। वे अपने परिवार सहित जंगलों में रह रहे थे। महलों में रहने और सोने चाँदी के बरतनों में स्वादिष्ट भोजन करने वाले महाराणा के परिवार को अपार कष्ट उठाने पड़ रहे थे। राणा को बस एक ही चिन्ता थी कि किस प्रकार फिर से सेना जुटाएँ, जिससे अपने देश को मुगल आक्रमणकारियों के चंगुल से मुक्त करा सकें।

🚩इस समय राणा के सम्मुख सबसे बड़ी समस्या धन की थी। उनके साथ जो विश्वस्त सैनिक थे, उन्हें भी काफी समय से वेतन नहीं मिला था। कुछ लोगों ने राणा को आत्मसमर्पण करने की सलाह दी, पर राणा जैसे देशभक्त एवं स्वाभिमानी को यह स्वीकार नहीं था। भामाशाह को जब राणा प्रताप के इन कष्टों का पता लगा, तो उनका मन भर आया। उनके पास स्वयं का तथा पुरखों का कमाया हुआ अपार धन था। उन्होंने यह सब राणा के चरणों में अर्पित कर दिया। इतिहासकारों के अनुसार उन्होंने 25 लाख रु. तथा 20,000 अशर्फी राणा को दीं। राणा ने आँखों में आँसू भरकर भामाशाह को गले से लगा लिया।

🚩राणा की पत्नी महारानी अजवान्दे ने भामाशाह को पत्र लिखकर इस सहयोग के लिए कृतज्ञता व्यक्त की। इस पर भामाशाह रानी जी के सम्मुख उपस्थित हो गये और नम्रता से कहा कि मैंने तो अपना कर्त्तव्य निभाया है। यह सब धन मैंने देश से ही कमाया है। यदि यह देश की रक्षा में लग जाये, तो यह मेरा और मेरे परिवार का अहोभाग्य ही होगा। महारानी यह सुनकर क्या कहतीं, उन्होंने भामाशाह के त्याग के सम्मुख सिर झुका दिया।

🚩उधर जब अकबर को यह घटना पता लगी, तो वह भड़क गया। वह सोच रहा था कि सेना के अभाव में राणा प्रताप उसके सामने झुक जायेंगे, पर इस धन से राणा को नयी शक्ति मिल गयी। अकबर ने क्रोधित होकर भामाशाह को पकड़ लाने को कहा। अकबर को उसके कई साथियों ने समझाया कि एक व्यापारी पर हमला करना उसे शोभा नहीं देता। इस पर उसने भामाशाह को कहलवाया कि वह उसके दरबार में मनचाहा पद ले ले और राणा प्रताप को छोड़ दे, पर दानवीर भामाशाह ने यह प्रस्ताव ठुकरा दिया। इतना ही नहीं उन्होंने अकबर से युद्ध की तैयारी भी कर ली। यह समाचार मिलने पर अकबर ने अपना विचार बदल दिया।

🚩भामाशाह से प्राप्त धन के सहयोग से राणा प्रताप ने नयी सेना बनाकर अपने क्षेत्र को मुक्त करा लिया। भामाशाह जीवन भर राणा की सेवा में लगे रहे। महाराणा के देहान्त के बाद उन्होंने उनके पुत्र अमरसिंह के राजतिलक में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी। इतना ही नहीं, जब उनका अन्त समय निकट आया, तो उन्होंने अपने पुत्र को आदेश दिया कि वह अमरसिंह के साथ सदा वैसा ही व्यवहार करे, जैसा उन्होंने राणा प्रताप के साथ किया है।

🚩आज के हिन्दू समाज को अपने बच्चों को लोरियों में राणा प्रताप और भामाशाह के त्याग और तपस्या की कहानियाँ अवश्य सुनानी चाहिए। ताकि उन्हें यह मालूम हो सके कि उनके पूर्वजों ने कितने त्याग कर अपने वैदिक धर्म की रक्षा की थी।

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Sunday, March 5, 2017

रिपोर्ट : इस्‍लाम होगा सबसे बड़ा धर्म, भारत में होंगे सबसे ज्‍यादा मुसलमान

रिपोर्ट : इस्‍लाम होगा सबसे बड़ा धर्म, भारत में होंगे सबसे ज्‍यादा मुसलमान

5 मार्च 2017

अभी दुनिया में सर्वाधिक आबादी ईसाइयों की है लेकिन हाल ही में अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर द्वारा किये गए अध्ययन अनुसार इस सदी के अंत तक दुनिया में सबसे अधिक आबादी मुसलमानों की हो जाएगी।  

प्यू रिसर्च सेंटर की रिपोर्ट के अनुसार मुसलमानों की आबादी बढ़ने के पीछे दो प्रमुख कारण हैं। पहला, मुसलमानों की जनसंख्या वृद्धि दर बाकि धर्मों से ज्यादा है। वैश्विक स्तर पर मुस्लिम महिला के औसतन 3.1 बच्चे होते हैं जबकि बाकि धर्मों का ये औसत 2.3 है।

मुसलमानों की जनसंख्या ज्यादा बढ़ने का दूसरा कारण है उनकी युवा आबादी। साल 2010 में मुसलमानों की औसत आयु 23 साल थी। जबकि उसी साल गैर-मुसलमानों की औसत आबादी 30 साल थी। युवा आबादी होने का मतलब है मुसलमानों की बढ़ती आबादी या तो बच्चे पैदा कर रहे है या भविष्य में करेंगे। सबसे ज्यादा प्रजनन दर और सबसे ज्यादा युवा आबादी के कारण मुसलमानों की आबादी तेजी से बढ़ सकती है।
by-2050-muslim-will-be-biggest-religious-group-by-the-end-of-the-century-india-will-have-maximum-number-of-muslim-population

प्यू रिसर्च सेंटर के अनुसार अगर इस्लाम इसी रफ्तार से बढ़ता रहा तो इक्कीसवीं सदी के अंत तक वो ईसाई धर्म को पीछे छोड़ देगा। इस समय इंडोनेशिया दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश है। लेकिन 2050 तक भारत दुनिया की सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी (करीब 30 करोड़) वाला देश बन जाएगा।

अभी भी हिन्दू नही जगे तो होगी पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसी बुरी हालत !!

ग्लोबल स्लेवरी इंडेक्स 2016 की रिपोर्ट कहती है कि 20 लाख से ज्यादा पाकिस्तानी हिन्दू गुलामों की जिंदगी बसर कर रहे हैं ।

रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल 1000 हिंदू और ईसाई लड़कियों (ज्यादातर नाबालिग) को मुसलमान बनाकर शादी करा दी जाती है।

पाकिस्तान में सूदखोर मजबूर हिंदुओं की जवान लड़कियाँ उठाकर ले जाते हैं।

पाकिस्तान में एक संगठन से जुड़े गुलाम हैदर कहते हैं कि सूदखोर हिंदुओं की खूबसूरत लड़कियों को चुनते हैं। हैदर कहते हैं कि इसका शिकार होने वाले गरीब परिवार होते हैं। यहां तक ना मीडिया के कैमरे पहुंचते हैं और ना पुलिस स्टेशन में इनकी कोई सुनवाई होती है।

पाक में नरसंहार का सामना कर रहे हैं अल्पसंख्यक !!

पाकिस्तान के एक प्रसिद्ध विद्वान ने कहा है कि पाकिस्तान ‘एक धीमे नरसंहार’ का सामना कर रहा है और यह इस्लामी देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों को ‘सबसे खतरनाक’ तरीके से खत्म करना चाहता है।

पाकिस्तानी लेखिका, पत्रकार एवं नेता फरहनाज इस्पहानी ने कहा, ‘भारत एवं पाकिस्तान के बंटवारे से ठीक पहले इस्लाम के अलावा हमारे यहां हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी इन धर्मियों का बहुत अच्छा संतुलन था। अब पाकिस्तान में उनकी तादाद पूरी जनसंख्या के 23 प्रतिशत यानि एक तिहाई से गिरकर महज तीन प्रतिशत रह गयी है !’ उन्होंने कहा, ‘मैं इसे ‘धीमा नरसंहार’ कहती हूं क्योंकि यह धार्मिक समुदायों का सबसे खतरनाक तरह से खात्मा है !’ 

उन्होंने कहा, ‘यह नरसंहार एक दिन में नहीं होता। यह कुछ महीनों में नहीं होता। धीरे धीरे होता है जब कानून एवं संस्थान और नौकरशाह एवं दंड संहिताएं, पाठ्यपुस्तक दूसरे समुदायों की निंदा करते हैं, ऐसा तब तक होता है जब तक कि आपके यहां इस तरह की जिहादी संस्कृति जन्म नहीं ले लेती है जोकि पाकिस्तान में बड़े पैमाने पर दिख रही है !’ 

पाकिस्तान में #हिन्दू मंदिर तोड़े जाते हैं । #हिन्दू #महिलाओं के साथ दुष्कर्म किये जाते हैं । यहाँ तक कि उठाकर मुस्लिम बना दिया जाता है , श्मशान घाट तक नही है, #हिन्दुओं की हत्यायें की जाती है इतना हिन्दुओं पर अत्याचार किया जाता है फिर भी उनके लिए कोई आवाज उठाने के लिए तैयार नही है ।

बांग्लादेश में हिन्दुओं का बुरा हाल !!

1. बांग्लादेश में वर्ष 2016 में हिन्दुओंपर किए गए आक्रमणों में 18 हिन्दुओं की हत्याएं की गई तथा 357 हिन्दू घायल हुए हैं ! 

2. मंदिरों में स्थित देवताओं के 209 मूर्तियों की तोड़-फोड़ की गई, 22 मूर्तियों को चुराया गया।

3. 22 हिन्दू लापता हुए, साथ ही 38 लोगों का अपहरण किया गया है।

4. बांग्लादेश के 711 हिन्दू देश छोडकर चले गए अथवा उनको देश छोडकर जाने की धमकियां दी गई।

5. 1 हजार 109 हिन्दुओं को जान से मारने की धमकियां मिली हैं तथा 18 हिन्दुओं की हत्या करने का प्रयास किया गया।

भारत में भी मुस्लिमों की कम संख्या होते हुए भी आतंक बढ़ा है जैसे कि कश्मीर से पंडितो को भगाना, कैराना,अलीगढ़(उत्तर प्रदेश) में हिंदुओं का पलायन होना, लव जिहाद द्वारा हिन्दू बहनों को फंसाना , केरल में हिन्दू कार्यकर्ताओं की हत्या और भी भारत में जहाँ मुस्लिम अधिक है वहाँ पर हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है ।

कोई हिन्दू संत या कार्यकर्ता हिंदुओं की संख्या बढ़ाने को बोलता है तो उसपर मीडिया और सेकुलर लोग उनको बदनाम करते हैं लेकिन मुस्लिमों के आतंक पर चुप्पी साध लेते हैं!!

आज भी अगर भारत में हिंदुओं ने "हम दो हमारे दो" के सिद्धान्त को नहीं तोड़ा तो पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसा हाल होने में देरी नही लगेगी । अतः हिन्दू सावधान रहें। 

मुस्लिम चार शादियां करके 40 बच्चे पैदा कर सकते है तो हिन्दू कम से कम 4-5बच्चे तो पैदा कर ही सकता है ।