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Thursday, July 30, 2020

फ्रांसीसी परिवार भगवान शिव के हो गए भक्त, बोले अब भारत से नही जाना है वापिस।

30 जुलाई 2020

🚩सत्य सनातन धर्म की यही वह सुंदरता है की जो इसको जानता है वह इसी का हो जाता है। इसीलिए इस पद्धति को मजहब नहीं बल्कि धर्म कहा गया है। हिंदू धर्म को और इसके देवी देवताओं को जिसने भी जाना वह इसी का हो गया और उसने इस को आत्मसात कर लिया। जरा विचार करिए कि दूर देश यूरोप के एक परिवार को लॉकडाउन में जब फंसना पड़ा तब महादेव शिव के 1 मंदिर के कपाट उनके लिए खुल गए और धीरे-धीरे महादेव का प्रसाद और भजन कीर्तन उस फ्रांसीसी परिवार का एक अंग बन गया। आज वही फ्रांसीसी परिवार सत्य सनातन के रंग में ऐसा रंग गया है कि वह वापस अपने देश जाना ही नहीं चाहता है और भारत सरकार से यह निवेदन कर रहा है कि उसे उस मंदिर में रहने दिया जाए जहां उनके महादेव शिव का वास है।

🚩निश्चित तौर पर कुछ अन्य मत मजहबो के इबादत गाहों की एक सीमा होती है परंतु हिंदुत्व सबके लिए समान है, इसको उस फ्रांसीसी परिवार से बेहतर कोई और नहीं जानता होगा.. एक फ्रांसीसी परिवार भारत घुमने आया था इसी बीच कोरोना के कारण पूरे देश मे लॉक डाउन लगा दिया गया। जिसके बाद यह परिवार यूपी के महराजगंज के एक गांव में फंस गया पर अब यह गांव इस परिवार को इतना भा गया कि उन्होंने वीजा बढाने की अर्जी लगा दी। यह फ्रांसीसी परिवार लॉकडाउन के वक्त से कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवां के शिव मंदिर परिसर में रुका था। फ्रांसीसी परिवार सोमवार को दिल्ली स्थित फ्रांस के दूतावास के लिए रवाना हो गया। फ्रांसीसी परिवार के सदस्यों की वीजा अवधि खत्म होने को है और ऑनलाइन अवधि बढ़ाने की प्रक्रिया में पेंडिंग बता रहा है।

🚩जरूरी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद परिवार के फिर गांव लौटने की संभावना है। फ्रांस के टूलूज शहर निवासी पैट्रीस पैलेरस, उनकी पत्नी वर्गिनी पैलेरस, दो बेटियां ओफिली पैलेरस व लोला पैलेरस और बेटा टाम पैलेरस अपने निजी वाहन से दिल्ली रवाना हो गए। ये लोग 1 मार्च 2020 को पाकिस्तान से बाघा बार्डर होते हुए भारत में आए थे। लॉकडाउन में यहां फंस गए। 22 मार्च से मंदिर परिसर में अपना आशियाना बना लिया। थानाध्यक्ष पुरंदरपुर शाह ने बताया कि फ्रांसीसी परिवार ने वीजा अवधि संबंधी दस्तावेज पूर्ण कराने के लिए दिल्ली स्थित फ्रांस के दूतावास जाने की सूचना दी है। स्त्रोत : सुदर्शन न्यूज

🚩भगवान शंकर के चरित्र बड़े ही उदात्त एवं अनुकम्पापूर्ण हैं। वे ज्ञान, वैराग्य तथा साधुता के परम आदर्श हैं। आप रुद्ररूप हैं तो भोलानाथ भी हैं। दुष्ट दैत्यों के संहार में काल रूप हैं तो दीन दुखियों की सहायता करने में दयालुता के समुद्र हैं। जिसने आपको प्रसन्न कर लिया उसको मनमाना वरदान मिला। रावण को अटूट बल बल दिया। भस्मासुर को सबको भस्म करने की शक्ति दी। यदि भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण करके सामने न आते तो स्वयं भोलानाथ ही संकटग्रस्त हो जाते। आपकी दया का कोई पार नहीं है। मार्कण्डेय जी को अपना कर यमदूतों को भगा दिया। आपका त्याग अनुपम है। अन्य सभी देवता समुद्र मंथन से निकले हुए लक्ष्मी, कामधेनु, कल्पवृक्ष और अमृत ले गये, आप अपने भाग का हलाहल पान करके संसार की रक्षा के लिए नीलकण्ठ बन गये।

🚩सनातन हिंदू संस्कृति इनती महान है कि इसको जिसने भी जाना है वे उसीका हो जाता है क्योंकि विश्व मे भारतीय संस्कृति जैसी महान, उदार संस्कृति कहि नही है, भारतीय संस्कृति में ही विश्व कल्याण की भावना है, सभी को स्वस्थ्य, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला देती है, भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीकर मानव से महेश्वर की यात्रा कर सकता है, अतः आज से ही भारतीय संस्कृति के अनुसार अपना जीवन जीना शुरू करें।

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