Showing posts with label भगवान शिव. Show all posts
Showing posts with label भगवान शिव. Show all posts

Monday, July 10, 2023

काँवड़ यात्रा में न जाति का भेद, न धन का मोल… सारे शिव भक्तों की एक ही पहचान....

10 July 2023

http://azaadbharat.org

🚩श्रावण (सावन) के महीने में आपने सड़क पर शांति से काँवड़ लेकर जाते भक्तों को देखा होगा, जिन्हें काँवड़िया भी कहते हैं। नदी से जल भरने से लेकर शिवलिंग पर अर्पित करने तक, ये काँवड़िए रास्ते भर बाबा का ध्यान करते रहते हैं, उसी सोच में मगन रहते हैं। इनकी संख्या हजारों में हो, फिर भी ये बिना किसी को परेशान किए अपनी राह चलते जाते हैं। तभी इनके स्वागत में जगह-जगह लोग इनकी सेवा के लिए लगे रहते हैं। यही तो है हिन्दू धर्म की महानता!


🚩धार्मिक शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग पर गंगा जल या पवित्र नदियों का जल अर्पित करने की परंपरा को कांवड़ यात्रा कहते हैं।


🚩यह जल पवित्र नदियों से अपने कंधे पर लाकर भगवान शिव को सावन के महीने में अर्पित किया जाता है, काँवड़ यात्रा के दौरान हर भक्त बोल-बम के नारे लगाते हुए पैदल यात्रा करते हैं।


🚩मान्यता के अनुसार, काँवड़ यात्रा करने वाले भक्तों को अश्वमेध यज्ञ जितना फल प्राप्त होता है।


🚩काँवड़, इसमें एक डंडे के सहारे दो पात्र दोनों तरफ लटके होते हैं, जिनमें जल होता है। डंडे वाले हिस्से को कंधे पर रखा जाता है। सजावट के लिए काँवड़ में फूल और रंगीन कपड़े भी लगे होते हैं। प्राचीन काल से ही काँवड़ यात्रा चली आ रही है।


🚩 भगवान शिव की जब से पूजा हो रही है, जब से उन्हें जल चढ़ाया जा रहा है, तभी से इस यात्रा का अस्तित्व है। 12 ज्योतिर्लिंगों ही नहीं, शिव के हजारों अन्य मंदिरों तक काँवड़ यात्रा निकाली जाती है। भगवान परशुराम को पहला काँवड़िया माना गया है।


🚩उदाहरण के लिए झारखंड के वैद्यनाथ धाम को ले लीजिए। बिहार और झारखंड के अधिकतर लोग यहीं जल चढाने आते हैं। आपको कई काँवड़िए तो ऐसे मिलेंगे, जो कई दशकों से लगातार जल चढ़ाने आ रहे हैं, किसी भी वर्ष गैप किए बिना। कोई कुछ प्रार्थना लेकर आता है, तो किसी की प्रार्थना पूरी हो जाती है तो बाबा के यहाँ हर वर्ष उपस्थिति दर्ज कराता है। कई निःस्वार्थ भाव से जाते हैं। कइयों के पास घूम-घूम कर तीर्थाटन के लिए धन या समय नहीं होता, वो भी एक बार काँवड़ यात्रा में समय देकर धन्य पाता है स्वयं को।


🚩बाबा वैद्यनाथ को जल अर्पित करने के लिए काँवड़िए सबसे पहले गंगा नदी के दक्षिण में स्थित और भागलपुर शहर से 25 किलोमीटर पश्चिम में स्थित सुल्तानगंज में पहुँचते हैं। इसके लिए वो बस, ट्रेन, कार या किसी भी माध्यम का इस्तेमाल कर सकते हैं। फिर यहाँ से वो 111 किलोमीटर की यात्रा पर पैदल निकलते हैं, देवघर के लिए। केवल सावन महीने में कम से कम 10-15 लाख काँवड़िए अकेले बाबाधाम पहुँचते हैं। बाकी ज्योतिर्लिंगों के लिए भी यात्री पहुँचते हैं। ये यात्रा धैर्य की है, अनुशासन की है, समता की है , साथ की है।


🚩श्रावणी मेला इस दौरान आकर्षण का मुख्य केंद्र होता है। इनमें से अधिकतर बातें आपको पता हैं। लेकिन, क्या आपने गौर किया कि सावन महीने में काँवड़ यात्रा में कैसे जाति से लेकर लिंग और अमीर-गरीब तक का फर्क मिट जाता है और बाबा के सामने सब समान हो जाते हैं, एक-दूसरे से समान व्यवहार करते है। सब एक-दूसरे को यात्रा के दौरान ‘बम’ कह कर ही पुकारते हैं। ना किसी का कोई उपनाम होता है, ना कोई जाति।


🚩जब गाँव से काँवड़ियों का जत्था निकलता है, तो उसमें सभी जाति के लोग होते हैं। इस दौरान स्वतः ही सब एक-दूसरे के नाम मर ‘बम’ लगा कर पुकारते हैं। ‘अरे वो अभिषेक बम किधर गया?’, ‘फलाँ गाँव वाले बम कितने बजे निकले?’ – इस तरह के सवाल आपको भोजपुरी, मैथिलि और मगही में सुनाई देंगे। कौन नाई है, कौन धोबी है, कौन ब्राह्मण है, कौन चर्मकार है, कौन क्षत्रिय है, कौन वैश्य है – इस दौरान सब ये भूल जाते हैं।


🚩सबके कपड़े समान रहते हैं। अगर आपने काँवड़ियों के कपड़ों पर गौर किया तो पाएँगे तो सभी भगवा वस्त्र ही धारण किए होते हैं। कोई हाफ पैंट तो किसी ने धोती पहन रखी होती है। ऐसा नहीं कि कोई अमीर है तो वो सूट-बूट में चल रहा होता है और बेचारा गरीब है तो उसने धोती पहन रखी है। यहाँ बाबा के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए सबके तन पर उसी प्रकार का वस्त्र होते हैं। हाँ, थोड़ी-बहुत भिन्नता डिजाइन या प्रकार में हो सकती है, लेकिन वो नगण्य ही।


🚩इस दौरान बहुतेरे महिला-पुरुष का भी ऊँच-नीच वाला भेद नहीं रहता, महिलाएँ भी ‘बम’ ही होती हैं। अक्सर काँवड़ियों के किसी एक गाँव या रिश्तेदारी के समूह का नेतृत्व करने वाले को ‘सरदार बम’ कह दिया जाता है तो जो रुपए-पैसों के खर्च को देख रहा हो, वो ‘खजांची बम’ हो गया। बच्चे ‘बाल बम’ हो जाते हैं। इस दौरान बुजुर्ग ‘बमों’ का खास ध्यान रखा जाता है और गाँव में किसी से मतलब न रखने वाले लोग भी यहाँ आकर सामाजिक हो जाते हैं।

🚩किसी को नायक उसकी जाति या रुतबा देख कर नहीं बना दिया जाता, बल्कि उसके अनुभव और कितनी बार उसने काँवड़ यात्रा की है, ये मायने रखता है। नियम-कायदे किसी अमीर के लिए भी होते हैं, जो किसी गरीब के लिए। रास्ते में भोजन-पानी से लेकर सब कुछ समान होता है। सुल्तानगंज से बाबाधाम की दूसरी सबके लिए वही है, सबको साथ जाना है। एक ही प्रकार के वस्त्र में सभी जाति और सभी हैसियत वाले लोग एक-दूसरे की कदर करते हुए आगे बढ़ते हैं।


🚩तभी तो रास्ते में जगह-जगह उनके स्वागत के लिए लोगों ने टेंट लगाए होते हैं। उनके पाँव धोए जाते हैं। उन्हें खाने को थमाया जाता है। रास्ते के स्थानीय लोग खुद ये पहल करते हैं, जिसमें बच्चों से लेकर युवाओं तक हिस्सा लेते हैं। शीतल जल देकर काँवड़ियों का थकान मिटाया जाता है। ये यात्रा नहीं कर रहे होते हैं तो काँवड़ यात्रियों की सेवा कर के ही उस फल को प्राप्त कर लेते हैं। किसी की सेवा करते समय जाति या संपत्ति का ब्यौरा नहीं पूछा जाता, काँवड़ यात्री होना ही काफी है।


🚩कोई ज्योतिर्लिंग ही क्यों, छोटी-छोटी काँवड़ यात्राएँ भी होती हैं। पूरे भारत में ऐसे सैकड़ों शिवालय हैं और ज्योतिर्लिंगों तक न जा पाने वाले लोग यहाँ ख़ुशी से लेकर महादेव को जल अर्पित करते हैं।


🚩उज्जैन में त्रिवेणी घाट से महाकालेश्वर मंदिर तक काँवड़ यात्रा निकलती है। उत्तराखंड के हरिद्वार और फिर गोमुख और गंगोत्री तक भी काँवड़ यात्रा जाती है। इसी तरह हर मंदिर के लिए जल भरने का स्थान और यात्रा का रूट पहले से तय होता है। हाँ, रास्ते में असामाजिक तत्व कभी-कभी उन्हें ज़रूर परेशान करते हैं, लेकिन, जाति-धन के भेद को मिटाती ये काँवड़ यात्रा सनातन काल से जारी है, सतत चलती रहेगी।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, July 30, 2020

फ्रांसीसी परिवार भगवान शिव के हो गए भक्त, बोले अब भारत से नही जाना है वापिस।

30 जुलाई 2020

🚩सत्य सनातन धर्म की यही वह सुंदरता है की जो इसको जानता है वह इसी का हो जाता है। इसीलिए इस पद्धति को मजहब नहीं बल्कि धर्म कहा गया है। हिंदू धर्म को और इसके देवी देवताओं को जिसने भी जाना वह इसी का हो गया और उसने इस को आत्मसात कर लिया। जरा विचार करिए कि दूर देश यूरोप के एक परिवार को लॉकडाउन में जब फंसना पड़ा तब महादेव शिव के 1 मंदिर के कपाट उनके लिए खुल गए और धीरे-धीरे महादेव का प्रसाद और भजन कीर्तन उस फ्रांसीसी परिवार का एक अंग बन गया। आज वही फ्रांसीसी परिवार सत्य सनातन के रंग में ऐसा रंग गया है कि वह वापस अपने देश जाना ही नहीं चाहता है और भारत सरकार से यह निवेदन कर रहा है कि उसे उस मंदिर में रहने दिया जाए जहां उनके महादेव शिव का वास है।

🚩निश्चित तौर पर कुछ अन्य मत मजहबो के इबादत गाहों की एक सीमा होती है परंतु हिंदुत्व सबके लिए समान है, इसको उस फ्रांसीसी परिवार से बेहतर कोई और नहीं जानता होगा.. एक फ्रांसीसी परिवार भारत घुमने आया था इसी बीच कोरोना के कारण पूरे देश मे लॉक डाउन लगा दिया गया। जिसके बाद यह परिवार यूपी के महराजगंज के एक गांव में फंस गया पर अब यह गांव इस परिवार को इतना भा गया कि उन्होंने वीजा बढाने की अर्जी लगा दी। यह फ्रांसीसी परिवार लॉकडाउन के वक्त से कोल्हुआ उर्फ सिंहोरवां के शिव मंदिर परिसर में रुका था। फ्रांसीसी परिवार सोमवार को दिल्ली स्थित फ्रांस के दूतावास के लिए रवाना हो गया। फ्रांसीसी परिवार के सदस्यों की वीजा अवधि खत्म होने को है और ऑनलाइन अवधि बढ़ाने की प्रक्रिया में पेंडिंग बता रहा है।

🚩जरूरी औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद परिवार के फिर गांव लौटने की संभावना है। फ्रांस के टूलूज शहर निवासी पैट्रीस पैलेरस, उनकी पत्नी वर्गिनी पैलेरस, दो बेटियां ओफिली पैलेरस व लोला पैलेरस और बेटा टाम पैलेरस अपने निजी वाहन से दिल्ली रवाना हो गए। ये लोग 1 मार्च 2020 को पाकिस्तान से बाघा बार्डर होते हुए भारत में आए थे। लॉकडाउन में यहां फंस गए। 22 मार्च से मंदिर परिसर में अपना आशियाना बना लिया। थानाध्यक्ष पुरंदरपुर शाह ने बताया कि फ्रांसीसी परिवार ने वीजा अवधि संबंधी दस्तावेज पूर्ण कराने के लिए दिल्ली स्थित फ्रांस के दूतावास जाने की सूचना दी है। स्त्रोत : सुदर्शन न्यूज

🚩भगवान शंकर के चरित्र बड़े ही उदात्त एवं अनुकम्पापूर्ण हैं। वे ज्ञान, वैराग्य तथा साधुता के परम आदर्श हैं। आप रुद्ररूप हैं तो भोलानाथ भी हैं। दुष्ट दैत्यों के संहार में काल रूप हैं तो दीन दुखियों की सहायता करने में दयालुता के समुद्र हैं। जिसने आपको प्रसन्न कर लिया उसको मनमाना वरदान मिला। रावण को अटूट बल बल दिया। भस्मासुर को सबको भस्म करने की शक्ति दी। यदि भगवान विष्णु मोहिनी रूप धारण करके सामने न आते तो स्वयं भोलानाथ ही संकटग्रस्त हो जाते। आपकी दया का कोई पार नहीं है। मार्कण्डेय जी को अपना कर यमदूतों को भगा दिया। आपका त्याग अनुपम है। अन्य सभी देवता समुद्र मंथन से निकले हुए लक्ष्मी, कामधेनु, कल्पवृक्ष और अमृत ले गये, आप अपने भाग का हलाहल पान करके संसार की रक्षा के लिए नीलकण्ठ बन गये।

🚩सनातन हिंदू संस्कृति इनती महान है कि इसको जिसने भी जाना है वे उसीका हो जाता है क्योंकि विश्व मे भारतीय संस्कृति जैसी महान, उदार संस्कृति कहि नही है, भारतीय संस्कृति में ही विश्व कल्याण की भावना है, सभी को स्वस्थ्य, सुखी और सम्मानित जीवन जीने की कला देती है, भारतीय संस्कृति के अनुसार जीवन जीकर मानव से महेश्वर की यात्रा कर सकता है, अतः आज से ही भारतीय संस्कृति के अनुसार अपना जीवन जीना शुरू करें।

🚩Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ