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Friday, January 29, 2021

चर्च समर्थक कैंडिडेट को टिकट दें, ईसाई कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन करेंगे : बिशप

29 जनवरी 2021


भारत में सेक्युलर प्रश्न करते हैं कि धर्मांतरण करने से कोई नुकसान नहीं है, गरीबों को रोजी-रोटी मिल रही है, लेकिन वास्तविकता क्या है वे कुछ भोले भारतवासी नहीं समझ पाते हैं, जैसे अंग्रेजों ने ईस्ट इंडिया कंपनी खोलने के बाद भारत पर अपनी सत्ता जमा लिया और भारतवासियों पर अनगिनत अत्याचार किये और भारत की संपत्ति लूटकर ले गए वैसे ही ईसाई मिशनरीयां कार्य कर रही हैं। आदिवासी क्षेत्रों में जाकर लालच देकर उनको ईसाई बना रहे हैं। फिर ये लोग अपनी वोटबैंक बढ़ाकर यही करने वाले है, भारत पर फिर से सत्ता हासिल करने की कोशिश में लगे हैं। उसके आपको दो उदाहरण भी यहाँ दे रहे हैं।




केरल की सत्ताधारी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) से आगामी विधानसभा चुनावों में एक चर्च समर्थित उम्मीदवार को टिकट देने की सिफारिश कर एक कैथोलिक बिशप विवादों में घिर गए हैं।
रिपोर्टों के अनुसार, बिशप जैकब मनथोदाथ ने 11 जनवरी को सीपीआई के राज्य सचिव कनम राजेंद्रन को एक ‘गोपनीय पत्र’ लिखा। इसमें इस्साक वर्गीज (Issac Varghese) नाम के एक कैथोलिक उद्योगपति को टिकट देने की सिफारिश की गई थी। पत्र में कैथोलिक बिशप ने सीपीआई नेता को आश्वासन दिया कि अगर वर्गीज को पलक्कड़ जिले के मन्नारक्कड़ निर्वाचन क्षेत्र से टिकट दिया जाता है तो ईसाई कम्युनिस्ट पार्टी का समर्थन करेंगे।

पत्र के मीडिया में लीक होने के बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। लोगों ने चर्च और बिशप के राजनीतिक झुकाव पर सवाल उठना शुरू कर दिया है। कॉन्ग्रेस समर्थक मैथ्यू जेवियर ने कहा, “एक बिशप को अपनी पार्टी चुनने का अधिकार है। लेकिन उनका एक राजनीतिक पार्टी के टिकट के लिए किसी की सिफारिश करने की सराहना नहीं की जा सकती है।”
हालाँकि सोशल मीडिया पर आलोचनाओं के बावजूद बिशप ने पत्र लिखने का कारण नहीं बताया है।

गौरतलब है कि 140 सीटों वाली केरल विधानसभा के आगामी चुनावों से पहले कई राजनीतिक दल अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए मजहबी नेताओं के पास पहुँच रहे हैं। ऐसे में कैथोलिक बिशप का यह पत्र काफी बातों से पर्दा उठता है। माना जाता है कि केरल की जनसंख्या में 18% ईसाई हैं और वे सरकार गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। राज्य में ईसाइयों को पारंपरिक रूप से कॉन्ग्रेस पार्टी का समर्थक माना जाता है।

आपको बता दें कि दिसम्बर 2017 में गुजरात के चुनाव के समय भी ईसाई धर्मगुरु पादरी आर्चबिशप थॉमस मैकवान ने एक पत्र जारी करके लिखा था कि राष्ट्रवादी पार्टी (बीजेपी) को हरा दो।

उस समय हिन्दू संत आशारामजी बापू ने जोधपुर कोर्ट से मीडिया के माध्यम से कहा था कि राष्ट्रहित करने वालों को हराना माने अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना हुआ, हम तो चाहते हैं देश का विश्व में जो नाम करते हैं और भारत को विश्वगुरु बनाते हैं भगवान उनके साथ हैं । उन्होंने आगे कहा था कि जो पार्टी राष्ट्र का मंगल चाहती है, विश्वगुरु बनाना चाहती है उनका मंगल ही मंगल होगा देखते रहो । और हुआ भी वही उस समय GST से जनता त्रस्त थी और ईसाई पादरी भी उनके खिलाफ थे फिर भी बापू आशारामजी के अनुयायीयों के कारण भाजपा जीत गई ।

भारत को तोड़ने के लिए सदियों से राष्ट्रविरोधी ताकतें लगी है और कई बार सफल भी हुई हैं 700 साल मुगलों ने राज किया फिर 200 साल तक अंग्रेज़ो ने राज किया इन क्रूर लुटेरों को भगाने के लिए लाखों हिंदुस्तानियों ने अपना बलिदान दिया तब स्वतंत्रता मिल पाई है।

वर्तमान में भी राष्ट्रविरोधी ताकतें सक्रिय हैं उसमें खासकर ईसाई मिशनरियाँ प्रमुख रूप से हैं उनका उद्देश्य है कि भारत को ईसाई देश बनाना, ये लोग भोले आदिवासियों, गरीबों में जाकर लालच देकर धर्मपरिवर्तन करवाते हैं। इनसे देशवासी सावधान रहें क्योंकि देश है तभी हम सुरक्षित हैं, नहीं तो इसाई मिशनरियां ने तो गोवा में 22000 हिन्दुओं की हत्या कर दी थी।

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Sunday, June 7, 2020

ईसाई धर्मगुरु बिशप अंडरवर्ल्ड माफिया, हत्या, यौन शोषण में संलिप्त था, मीडिया चुप है!

07 जून 2020

🚩विश्व में हजारों ईसाई धर्मगुरु छोटे बच्चें-बच्चियों और महिलाओं का यौन शोषण कर रहे हैं, कुछ तो मानव तस्करी, हत्या, भ्रष्टाचार, अंडरवर्ल्ड आदि में संलिप्त पाए गए हैं, इस पर उनके मुख्य पोप ने माफी भी मांगी है पर सबसे बड़ी बात तो यह है कि इतना होने पर भी मीडिया उन दुष्कर्मी पादरियों के बारे में बोलने में पहरेज करता है। मीडिया को तो सिर्फ हिंदू धर्म से ही नफरत है इसलिए वो सिर्फ पवित्र हिंदू साधु-संतों को ही बदनाम करता है क्योंकि हिंदू साधु-संत हिंदू संस्कृति के प्रति लोगों को जगरूक करते हैं, धर्मान्तरण पर रोक लगवाते हैं, समाज को व्यसनमुक्त और सदाचारी बनाते हैं जिसके कारण राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतें कुछ मीडिया को फंडिंग करती हैं जिससे पादरियों के दुष्कर्म छुपाते हैं और हिंदू धर्मगुरुओं को बदनाम करते हैं।

🚩आपको बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज माइकल एफ सल्धाना ने मैसूर के बिशप के. ए. विलियम पर आतंक का साम्राज्य चलाने का बड़ा आरोप लगाया है। साथ ही उसके वरिष्ठ पीटर मचाडो पर उसके कृत्यों को ढकने और हत्या जैसे अपराधों का भी बचाव करने का आरोप लगाया है।

🚩रिटायर्ड जस्टिस ने 29 मई 2020 को दोनों बिशप को भेजे गए लीगल नोटिस में कहा कि विलियम की अंडरवर्ल्ड माफियाओ से साँठगाँठ है और वो स्थानीय पुलिस का भी सुरक्षा के लिए उपयोग करता है।

🚩उन्होंने कहा कि इस व्यक्ति को पिछले कई सालों से हटने को कहा जा रहा है, लेकिन उसके कारण दूसरों को ही कैथोलिक चर्च को छोड़ना पड़ रहा है। उन्होंने लिखा कि उसे 8 महीने पहले ही हटा दिया जाना चाहिए था, लेकिन उसका वरिष्ठ उसके साथ मिलकर हत्या जैसे मामलों को भी ढक रहा है।

🚩उन्होंने दावा किया कि कई विश्वसनीय और प्रतिष्ठित लोगों ने मचाडो को सबूतों के साथ 17 बार लिखित शिकायतें भेजी, लेकिन उसके कान पर जूँ तक न रेंगी।

🚩पूर्व जस्टिस ने ताज़ा मामलों की बात करते हुए कहा कि बिशप विलियम ने 12 घंटे के शॉर्ट नोटिस में बैठक बुला कर ट्रांसफर ऑर्डर्स जारी कर दिए, ताकि अपने विरोधियों को हटा सके। उन्होंने कहा कि जब कोर्ट से लेकर सरकार तक में इस आपदा के वक़्त ऐसे फैसलें नहीं लिए जा रहे हैं, बिशप ऐसे समय में ट्रांसफर कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही इसे वापस नहीं किया गया तो कुछ कड़े क़दम उठाए जाएँगे।

🚩उन्होंने उन 37 पादरियों से बातचीत की, जो बिशप के खिलाफ हैं। पूर्व जज ने ‘मिड डे’ से बात करते हुए कहा कि जब भी महिलाओं के साथ संबंधों में बिशप विलियम को कोई समस्या आई, उसने चर्च के रुपए ख़र्च कर चीजें सेटल की। एसोसिएशन ऑफ कंसर्नड कैथोलिक्स के सेक्रेटरी मेल्विन फर्नांडिस ने कहा कि कई पादरियों की हत्या को एक्सीडेंट का रूप दे दिया गया। उन्होंने निर्दोष पादरियों की हत्या की पुलिसिया जाँच की माँग की।

🚩आर्कबिशप मचाडो ने इस बारे में कहा कि उनके पास ऐसी जो भी शिकायतें आती हैं, उसे वो दिल्ली में अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों के पास भेज देते है। उन्होंने कहा कि इस मामले को भी वो ऊपर भेज चुके है। बिशप विलियम ने अब तक इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है।

🚩इससे पहले नवम्बर 2019 में मैसूर में 37 चर्चों के पादरियों ने पोप फ्रांसिस को पत्र लिख कर बिशप के ए विलियम को अपदस्थ करने की माँग की थी। उनके ख़िलाफ़ आपराधिक कृत्य, फंड्स का दुरुपयोग और यौन शोषण सहित कई आरोप लगाए गए थे। पादरियों ने वेटिकन को पत्र लिख कर कहा था कि बिशप ने एक महिला से शादी की है, जो बंगलुरु ओडीपी में कार्यरत है। साथ ही बिशप पर गुटबंदी और अपने ख़ास लोगों को फेवर करने का आरोप भी लगा था।

🚩बिशप पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए थे। बिशप ने जिस महिला से शादी की है, वो पहले से ही शादीशुदा थी। उसकी एक बेटी भी थी। शादी के बाद बिशप और उस महिला का एक बेटा हुआ। आरोप लगाया गया है कि उक्त महिला के पति ने उसे बिशप के साथ विवाहेत्तर संबंधों के कारण छोड़ दिया था। अब वो महिला अपने बच्चों के साथ अलग रहती है। पादरियों ने लिखा है कि बिशप उससे मिलता रहता है और परिवार की देखभाल भी करता है।

🚩पादरियों ने एक प्रेस नोट जारी कर बिशप विलियम के व्यवहार को अनैतिक और पापपूर्ण बताते हुए कहा कि उस पर न सिर्फ़ रुपयों की हेराफेरी और यौन शोषण, बल्कि हत्या और अपहरण तक के आरोप हैं। क्लर्जी में उसके करियर के दौरान बिशप विलियम पर लगे आरोपों को लेकर पादरियों ने कई घटनाओं का उदाहरण दिया। हिंकल पैरिश के पादरियों ने आरोप लगाया कि वहाँ बिशप विलियम के एक एंग्लो-इंडियन महिला के साथ सम्बन्ध थे।

🚩आरोप है कि बिशप ने उक्त महिला को गर्भवती कर दिया था। फ़िलहाल वो अपने बच्चे के साथ विदेश में शिफ्ट हो गई है। पत्र में एक अन्य घटना के बारे में बताया गया है, जब बिशप हाउस के एक कमरे में कर्मचारियों ने बिशप विलियम को महिला के साथ हमबिस्तर देखा था। पादरियों का कहना है कि उसके लिए महिलाओं की सहमति लेना आसान था, क्योंकि वो अपने अंतर्गत कार्यरत महिलाओं को तमाम तरह के लालच देता था।

🚩पत्र की मानें तो वो महिलाओं को घर और नौकरी से लेकर हर प्रकार की लग्जरी सुविधाएँ उपलब्ध कराता था। कैम्पस में साफ़-सफाई करने आने वाली महिलाओं और लड़कियों का भी उसने यौन शोषण किया था। उसके ख़िलाफ़ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कई मामले दर्ज हैं। उसने कई डील्स में हिस्सेदारी कर अपने लिए किकबैक के तहत रुपए और संपत्ति जुटाए। उसकी कई सम्पत्तियाँ जाँच के दायरे में है।

🚩ईसाई धर्मगुरुओं के काले कर्मों की यह तो मात्र एक घटना ही बताई गई, पूरी लिस्ट बनाएंगे तो एक बडी पुस्तक भी छोटी पड़ेगी।

🚩कई ईसाई पादरी हैं जिन्होंने कई छोटे बच्चों के साथ और कई नन के साथ रेप किया है पर मीडिया इस पर मौन रहती है। दूसरी तरफ न्यायालय भी उनको तुरंत राहत दे देता है। बिशप फ्रैंको को 21 दिन में ही जमानत हासिल हो गई थी जबकि 85 वर्षीय हिंदू संत आसाराम बापू के खिलाफ 5 साल तक न्यायालय में सुनवाई होती रही पर 1 दिन भी जमानत नहीं दी गई, हर बार खारिज कर दिया गया।

🚩मीडिया द्वारा हिंदू साधु-संतों को बदनाम करना और न्यायलय द्वारा जमानत नहीं मिलना और पादरीयों और मौलवीयों के दुष्कर्म को छुपाना और न्यायालय से तुरंत जमानत हासिल होना, यह भारतीय संस्कृति को खत्म करने की एक भयंकर साजिश ही है, हिंदुस्तानी इससे समझे और सावधान रहें।

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