07 जून 2020
विश्व में हजारों ईसाई धर्मगुरु छोटे बच्चें-बच्चियों और महिलाओं का यौन शोषण कर रहे हैं, कुछ तो मानव तस्करी, हत्या, भ्रष्टाचार, अंडरवर्ल्ड आदि में संलिप्त पाए गए हैं, इस पर उनके मुख्य पोप ने माफी भी मांगी है पर सबसे बड़ी बात तो यह है कि इतना होने पर भी मीडिया उन दुष्कर्मी पादरियों के बारे में बोलने में पहरेज करता है। मीडिया को तो सिर्फ हिंदू धर्म से ही नफरत है इसलिए वो सिर्फ पवित्र हिंदू साधु-संतों को ही बदनाम करता है क्योंकि हिंदू साधु-संत हिंदू संस्कृति के प्रति लोगों को जगरूक करते हैं, धर्मान्तरण पर रोक लगवाते हैं, समाज को व्यसनमुक्त और सदाचारी बनाते हैं जिसके कारण राष्ट्र एवं संस्कृति विरोधी ताकतें कुछ मीडिया को फंडिंग करती हैं जिससे पादरियों के दुष्कर्म छुपाते हैं और हिंदू धर्मगुरुओं को बदनाम करते हैं।
आपको बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट के पूर्व जज माइकल एफ सल्धाना ने मैसूर के बिशप के. ए. विलियम पर आतंक का साम्राज्य चलाने का बड़ा आरोप लगाया है। साथ ही उसके वरिष्ठ पीटर मचाडो पर उसके कृत्यों को ढकने और हत्या जैसे अपराधों का भी बचाव करने का आरोप लगाया है।
रिटायर्ड जस्टिस ने 29 मई 2020 को दोनों बिशप को भेजे गए लीगल नोटिस में कहा कि विलियम की अंडरवर्ल्ड माफियाओ से साँठगाँठ है और वो स्थानीय पुलिस का भी सुरक्षा के लिए उपयोग करता है।
उन्होंने कहा कि इस व्यक्ति को पिछले कई सालों से हटने को कहा जा रहा है, लेकिन उसके कारण दूसरों को ही कैथोलिक चर्च को छोड़ना पड़ रहा है। उन्होंने लिखा कि उसे 8 महीने पहले ही हटा दिया जाना चाहिए था, लेकिन उसका वरिष्ठ उसके साथ मिलकर हत्या जैसे मामलों को भी ढक रहा है।
उन्होंने दावा किया कि कई विश्वसनीय और प्रतिष्ठित लोगों ने मचाडो को सबूतों के साथ 17 बार लिखित शिकायतें भेजी, लेकिन उसके कान पर जूँ तक न रेंगी।
पूर्व जस्टिस ने ताज़ा मामलों की बात करते हुए कहा कि बिशप विलियम ने 12 घंटे के शॉर्ट नोटिस में बैठक बुला कर ट्रांसफर ऑर्डर्स जारी कर दिए, ताकि अपने विरोधियों को हटा सके। उन्होंने कहा कि जब कोर्ट से लेकर सरकार तक में इस आपदा के वक़्त ऐसे फैसलें नहीं लिए जा रहे हैं, बिशप ऐसे समय में ट्रांसफर कर रहा है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही इसे वापस नहीं किया गया तो कुछ कड़े क़दम उठाए जाएँगे।
उन्होंने उन 37 पादरियों से बातचीत की, जो बिशप के खिलाफ हैं। पूर्व जज ने ‘मिड डे’ से बात करते हुए कहा कि जब भी महिलाओं के साथ संबंधों में बिशप विलियम को कोई समस्या आई, उसने चर्च के रुपए ख़र्च कर चीजें सेटल की। एसोसिएशन ऑफ कंसर्नड कैथोलिक्स के सेक्रेटरी मेल्विन फर्नांडिस ने कहा कि कई पादरियों की हत्या को एक्सीडेंट का रूप दे दिया गया। उन्होंने निर्दोष पादरियों की हत्या की पुलिसिया जाँच की माँग की।
आर्कबिशप मचाडो ने इस बारे में कहा कि उनके पास ऐसी जो भी शिकायतें आती हैं, उसे वो दिल्ली में अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों के पास भेज देते है। उन्होंने कहा कि इस मामले को भी वो ऊपर भेज चुके है। बिशप विलियम ने अब तक इन आरोपों पर कोई जवाब नहीं दिया है।
इससे पहले नवम्बर 2019 में मैसूर में 37 चर्चों के पादरियों ने पोप फ्रांसिस को पत्र लिख कर बिशप के ए विलियम को अपदस्थ करने की माँग की थी। उनके ख़िलाफ़ आपराधिक कृत्य, फंड्स का दुरुपयोग और यौन शोषण सहित कई आरोप लगाए गए थे। पादरियों ने वेटिकन को पत्र लिख कर कहा था कि बिशप ने एक महिला से शादी की है, जो बंगलुरु ओडीपी में कार्यरत है। साथ ही बिशप पर गुटबंदी और अपने ख़ास लोगों को फेवर करने का आरोप भी लगा था।
बिशप पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए गए थे। बिशप ने जिस महिला से शादी की है, वो पहले से ही शादीशुदा थी। उसकी एक बेटी भी थी। शादी के बाद बिशप और उस महिला का एक बेटा हुआ। आरोप लगाया गया है कि उक्त महिला के पति ने उसे बिशप के साथ विवाहेत्तर संबंधों के कारण छोड़ दिया था। अब वो महिला अपने बच्चों के साथ अलग रहती है। पादरियों ने लिखा है कि बिशप उससे मिलता रहता है और परिवार की देखभाल भी करता है।
पादरियों ने एक प्रेस नोट जारी कर बिशप विलियम के व्यवहार को अनैतिक और पापपूर्ण बताते हुए कहा कि उस पर न सिर्फ़ रुपयों की हेराफेरी और यौन शोषण, बल्कि हत्या और अपहरण तक के आरोप हैं। क्लर्जी में उसके करियर के दौरान बिशप विलियम पर लगे आरोपों को लेकर पादरियों ने कई घटनाओं का उदाहरण दिया। हिंकल पैरिश के पादरियों ने आरोप लगाया कि वहाँ बिशप विलियम के एक एंग्लो-इंडियन महिला के साथ सम्बन्ध थे।
आरोप है कि बिशप ने उक्त महिला को गर्भवती कर दिया था। फ़िलहाल वो अपने बच्चे के साथ विदेश में शिफ्ट हो गई है। पत्र में एक अन्य घटना के बारे में बताया गया है, जब बिशप हाउस के एक कमरे में कर्मचारियों ने बिशप विलियम को महिला के साथ हमबिस्तर देखा था। पादरियों का कहना है कि उसके लिए महिलाओं की सहमति लेना आसान था, क्योंकि वो अपने अंतर्गत कार्यरत महिलाओं को तमाम तरह के लालच देता था।
पत्र की मानें तो वो महिलाओं को घर और नौकरी से लेकर हर प्रकार की लग्जरी सुविधाएँ उपलब्ध कराता था। कैम्पस में साफ़-सफाई करने आने वाली महिलाओं और लड़कियों का भी उसने यौन शोषण किया था। उसके ख़िलाफ़ आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत कई मामले दर्ज हैं। उसने कई डील्स में हिस्सेदारी कर अपने लिए किकबैक के तहत रुपए और संपत्ति जुटाए। उसकी कई सम्पत्तियाँ जाँच के दायरे में है।
ईसाई धर्मगुरुओं के काले कर्मों की यह तो मात्र एक घटना ही बताई गई, पूरी लिस्ट बनाएंगे तो एक बडी पुस्तक भी छोटी पड़ेगी।
कई ईसाई पादरी हैं जिन्होंने कई छोटे बच्चों के साथ और कई नन के साथ रेप किया है पर मीडिया इस पर मौन रहती है। दूसरी तरफ न्यायालय भी उनको तुरंत राहत दे देता है। बिशप फ्रैंको को 21 दिन में ही जमानत हासिल हो गई थी जबकि 85 वर्षीय हिंदू संत आसाराम बापू के खिलाफ 5 साल तक न्यायालय में सुनवाई होती रही पर 1 दिन भी जमानत नहीं दी गई, हर बार खारिज कर दिया गया।
मीडिया द्वारा हिंदू साधु-संतों को बदनाम करना और न्यायलय द्वारा जमानत नहीं मिलना और पादरीयों और मौलवीयों के दुष्कर्म को छुपाना और न्यायालय से तुरंत जमानत हासिल होना, यह भारतीय संस्कृति को खत्म करने की एक भयंकर साजिश ही है, हिंदुस्तानी इससे समझे और सावधान रहें।
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