26 जून 2020
इतना तो पक्का हो गया कि अगर आप राष्ट्र और संस्कृति के लिये कार्य करेंगे तो आपकी गिरफ्तारी भी होगी, जमानत भी नही होगी, मीडिया न्यायालय पर प्रेशर भी बनायेगा और बाद में आपको आजीवन तक की सजा भी दी जा सकती है और राष्ट्रवादी लोग आपके लिए कोई आवाज नही उठाएंगे और आपने राष्ट्र एवं भारतीय संस्कृति विरोधी कार्य किये होंगे तो जमानत भी मिलेगी, मीडिया भी वाहवाही करेगी और राष्ट्रविरोधी गुट आपके लिए समर्थन भी करेंगे।
आइए कुछ उदाहरणों से जानते है-
दिल्ली हाई कोर्ट ने जामिया कोआर्डिनेशन कमेटी की सदस्य सफूरा जरगर को जमानत दे दी है। बता दें कि दिल्ली दंगा भड़काने में सफूरा जरगर मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक है। जफूरा के कई वीडियो उपलब्ध हैं, जिसमें वो कश्मीर को आजादी, केरल को आजादी, बिहार को आजादी और इंकलाब की बातें करती है।
इसके अलावा जफूरा के खिलाफ सबूत हैं कि ये जाफराबाद से महिलाओं की टोली को शाहीनबाग लाती थी और दंगे से पहले जाफराबाद में जो जाम लगा था, वहाँ भी ये सक्रिय रूप से उपस्थित थी और लोगों को उकसा रही थी।
ऐसे लोग जब हार जाएँगे तो सबूत के साथ छेड़छाड़ करने की संभावना बढ़ जाती है। इसके बावजूद इसे बैल दी गई। दिल्ली पुलिस की तरफ से सरकार का पक्ष रख रहे सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्वयं कहा कि उन्हें इसमें कोई आपत्ति नहीं है, इसे बैल दे दी जाए। बताया गया गर्भवती होने के कारण जमानत दी गई लेकिन आपको बता दें कि इससे पहले कई गर्भवती महिलाओं को गिरफ्तार किया था और उसी जेल में 39 बच्चों को जन्म भी दिया गया है और इन पर तो राष्ट्रद्रोह जैसा गंभीर आरोप भी हैं फिर भी जमानत दी गई हैं।
इससे पहले संजय दत्त, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, वाड्रा, लालू यादव, तरुण तेजपाल, माल्या, सलमान खान, कन्हैया कुमार, उमर खालिद, इमाम बुखारी, मुक़व्वल फ्रेंको आदि नेता-अभिनेता, पत्रकार, धनी, अन्य पंथ के धर्मगुरु और राष्ट्रद्रोह आदि अपराधों में जमानत मिलती रही हैं।
लेकिन वहीं साध्वी प्रज्ञाजी को 9 साल, डीजी वंजाराजी को 8 साल, स्वामी असीमानन्दजी को 8 साल, कर्नल पुरोहित 7 साल, केशवानन्दजी महाराज, शंकराचार्य आदि को सालों तक जेल में रखा गया, अमानवीय यातनाएं दी गई लेकिन जमानत नही दी गई।
ओडीशा में धर्मान्तरण का विरोध करने वाले दारा सिंह को सालो से जेल में रखा गया है, अपनी मां की अंतेष्टि करने के लिए भी पेरोल नही दी गई।
जोधपुर जेल में 7 साल से बंद 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी को एक दिन भी जमानत अथवा पेरोल नही दी गई इसके पीछे के कारण नीचे जानिए।
1). लाखों धर्मांतरित ईसाईयों को पुनः हिंदू बनाया व करोड़ों हिन्दुओं को अपने धर्म के प्रति जागरूक किया व आदिवासी इलाकों में जाकर जीवनोपयोगी सामग्री, मकान, पैसे, दवाइयां आदि दी जिससे धर्मान्तरण करने वालों का धंधा चौपट हो गया।
2). कत्लखानों में जाती हज़ारों गौ-माताओं को बचाकर, उनके लिए विशाल गौशालाओं का निर्माण करवाया।
3). शिकागो विश्व धर्मपरिषद में स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद जाकर हिन्दू संस्कृति का परचम लहराया।
4). विदेशी कंपनियों द्वारा देश को लूटने से बचाकर आयुर्वेद/होम्योपैथी के प्रचार-प्रसार द्वारा एलोपैथिक दवाईयों के कुप्रभाव से असंख्य लोगों का स्वास्थ्य और पैसा बचाया।
5). लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों को सारस्वत्य मंत्र देकर और योग व उच्च संस्कार का प्रशिक्षण देकर ओजस्वी- तेजस्वी बनाया।
6). लंदन, पाकिस्तान, चाईना, अमेरिका और बहुत सारे देशों में जाकर सनातन हिंदू धर्म का ध्वज फहराया, पाकिस्तान में तो कराची में गाजी दरगाह में दोपहर की अजान के समय भी वे हरि कथा करते रहे।
7). वैलेंटाइन डे का विरोध करके "मातृ-पितृ पूजन दिवस" का प्रारम्भ करवाया।
8). क्रिसमस डे के दिन प्लास्टिक के क्रिसमस ट्री को सजाने के बजाय, तुलसी पूजन दिवस मनाना शुरू करवाया।
9). करोड़ों लोगों को अधर्म से धर्म की ओर मोड़ दिया।
10). नशा मुक्ति अभियान के द्वारा करोड़ों लोगों को व्यसन-मुक्त कराया।
11). वैदिक शिक्षा पर आधारित अनेकों गुरुकुल खुलवाएं।
12). मुश्किल हालातों में कांची कामकोटि पीठ के "शंकराचार्य श्री जयेंद्र सरस्वतीजी", बाबा रामदेव, मोरारी बापूजी, साध्वी प्रज्ञा एवं अन्य संतों का साथ दिया।
ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं।
डॉ सुब्रमण्यम स्वामी ने तो यह भी बताया कि हिन्दू संत आशारामजी बापू ने लाखों हिंदुओं की घर वापसी की और करोड़ो लोगों को सनातन धर्म की तरफ ले आये इसके कारण वेटिकन सिटी ने सोनिया गाँधी को कहकर झूठे केस में फँसाया गया। उनके आश्रम में फेक्स भी आया था कि 50 करोड़ दो नहीं तो जेल जाने को तैयार रहो इससे साफ होता है कि उन पर अंतर्राष्ट्रीय षड्यंत्र हुआ है।
इससे साफ पता चलता है कि सफूरा जरगर जैसे जो देश को तोड़ने की बात करते है वे किसी भयंकर अपराध में गिरफ्तार हो भी जाये तो उनको तुरंत जमानत मिल जाती है क्योंकि उनके लिए आवाज उठाने के लिए राष्ट्रविरोधी लोग तुरंत इकट्ठे हो जाते है, मीडिया उनके पक्ष में बोलने लगती है जबकि कोई राष्ट्रवादी षडयंत्र तहत जेल जाता है तो राष्ट्रवादी लोग आवाज नही उठाते है सोचते है कि हमारे पडोश में आग लगी है न हमारे घर मे तो नही आई है न लेकिन पडोस में लगी है तो आपके वहाँ भी आयेगी इसलिए सभी राष्ट्रवादी, हिन्दूनिष्ठ इक्कट्ठे होकर आवाज उठानी चाहिए तभी सभी बच पायेंगे नही तो एक के बाद एक कि बारी तय है।
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