21 जून 2020
भारतीय जवानों की हमेशा शौर्यगाथा अमर रही हैं, सामने कैसा भी बड़ा दुश्मन हो और धोखे से वार करे लेकिन भारतीय जवानों में ऐसा जोश होता है कि दुश्मन के दांत खट्टे कर देते है, ऐसे कई युद्धों में हुआ है और आज भी हमारे जवानों के सामने किसी की ताकत नही है कि आँख उठाकर देखे।
आपको बता दे कि सोमवार को गलवान घाटी में चीनी सैनिकों ने एक सोची-समझी साजिश के तहत भारतीय जवानों पर हमला किया। हालांकि चीन की पीएलए आर्मी की तरफ से अचानक हुए इस हमले में पहले भारत को बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन उसके बाद जिस तरह से बिहार रेजीमेंट के जवानों ने मोर्चा संभाला, उसके बाद चीनी सैनिक भाग खड़े हुए।
उस रात बिहार रेजीमेंट के जवानों की बहादुरी की कहानी, पूरी दुनिया में सैन्य अभियानों के लिए मिसाल बन गयी है। उस रात चीनी सैनिकों की तादाद भारतीय सेना की तुलना में पांच गुणा ज्यादा थी, लेकिन फिर भी हमारे बहादुर जवानों ने चीनी सेना को ऐसा मारा कि अब वह शांति से बातचीत को सुलझाने की बात कर रहा है।
चीन को पता चल गया कि उसके सैनिकों में इतना दम नहीं है कि वह भारतीय फौज का मुकाबला कर सके, क्योंकि युद्ध हमेशा जज्बे से लड़ा जाता है, शौकिया नहीं।
जानिए उस रात की पूरी कहानी
अखबार डेक्कन हेराल्ड ने सैन्य सूत्रों के हवाले से बिहार रेजीमेंट की जवानों की शौर्यगाथा की पूरी कहानी छापी है। इस लड़ाई में बिहार रेजीमेंट के जवानों ने प्राचीन युद्ध कला का प्रयोग किया। भारत के जवानों को ऑर्डर मिले थे कि वह गलवान में बनाए गए चीनी सैनिकों द्वारा टेंट को हटाने की पुष्टि करें। इसी को देखते हुए कर्नल बी संतोष बाबू जवानों के साथ घटना स्थल पर पहुंचे। उन्होंने देखा कि चीनी सेना ने वहां से टेंट को नहीं हटाया तो उन्होंने इसका विरोध किया। इसी बीच बड़ी तादाद में वहां पर मौजूद चीनी सैनिकों ने उन पर हमला कर दिया। जिसके बाद भारतीय सैनिकों ने भी मोर्चा संभालते हुए उनको जवाब देना शुरू किया।
हालांकि इसी हिंसक झड़प में कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बी. संतोष बाबू शहीद हो गए। जिसके बाद बिहार रेजीमेंट के सैनिकों के सब्र का बांध टूट गया। चीनी सैनिकों की तादाद बहुत ज्यादा थी, जिसके बाद भारतीय फौज ने पास की टुकड़ी को इस बारे में जानकारी दी और मदद मांगी। सूचना मिलने के तुरंत बाद ही भारतीय सेना का 'घातक' दस्ता मदद के लिए वहां पहुंचा। बिहार रेजीमेंट और घातक दस्ते के सैनिकों की कुल तादाद सिर्फ 60 थी, जबकि दूसरी तरफ दुश्मनों की तादाद काफी ज्यादा थी।
सरकार की तरफ से जवानों को फायरिंग की मनाई थी, लेकिन कमांडिंग ऑफिसर की हत्या से आहत बिहार रेजीमेंट के जवान किसी भी हाल में चीनी सेना को सबक सीखाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने प्राचीन युद्ध शैली का प्रयोग करते हुए पत्थर, डंडा और भाले को हथियार बनाया।
18 चीनी सैनिकों की तोड़ दी गर्दन
बिहार रेजीमेंट के जवानों ने एक ही झटके में 18 चीनी सैनिकों की गर्दन तोड़ दी। एक सैन्य अधिकारी ने बताया, 'कम से कम 18 चीनी सैनिकों की गर्दन की हड्डी टूट चुकी थी और सर झूल रहा था। कुछ के चेहरे इतनी बुरी तरह से कुचल दिये गये थे कि उन्हें पहचान पाना संभव नहीं था। भारतीय सैनिकों का हमला इतना भयानक था कि चीनी भाग खड़े हुए और घाटियों में छिपने लगे।'
ये लड़ाई लगभग चार घंटे तक चलती रही। चीनियों के पास तलवार और रॉड थे, जिनको छीनकर भारतीय सैनिकों ने उनपर हमला करना शुरू कर दिया। बिहार रेजीमेंट के जवानों का यह रौद्र रूप देखकर सैकड़ों की तादाद में मौजूद चीनी भागने लगे और घाटियों में जा छिपे, जिसके बाद भारतीय जवानों ने उनका पीछा करते हुए उन्हें चुन-चुनकर मारा। हालांकि वह इतने आगे चले गए थे कि उनमें से ही कुछ पकड़ लिये गए, जिन्हें शुक्रवार को चीन ने रिहा किया।
सूत्रों ने ये भी बताया कि जब सोमवार को दोनों देश के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी, उसमें भारत के जवान एक चीनी कर्नल को जिंदा पकड़कर लेकर आ गए थे। हालांकि बाद में शीर्ष अधिकारियों के बीच हुई बैठक के बाद उसे छोड़ दिया गया।
केंद्रीय मंत्री और जनरल विक्रम सिंह ने कहा कि ऐसा नहीं है कि चीन ने हमारे 20 जवानों को घेरकर मार दिया। चीन कभी नहीं बताएगा कि उनके कितने जवान हताहत हुए हैं। लेकिन मुझे पूरा विश्वास हैं कि उनके जवानों के मरने की संख्या हमसे दोगुनी है।
आपको बता दे कि चीन और भारत के सैनिको द्वारा 11 सितंबर 1967 को धक्का मुक्की की एक घटना का संज्ञान लेते हुए नाथू ला से सेबु ला के बीच में तार बिछाने का फैसला लिया। जब बाड़बंदी का कार्य शुरु हुआ तो चीनी सैनिकों ने विरोध किया। इसके बाद चीनी सैनिक तुरंत अपने बंकर में लौट आए। कुछ देर बाद चीनियों ने मेडियम मशीन गनों से गोलियां बरसानी शुरु कर दी। प्रारंभ में भारतीय सैनिकों को नुकसान उठाना पड़ा पहले 10 मिनट में 70 सैनिक मारे गए।
लेकिन इसके बाद भारत की ओर से जो जवाबी हमला हुआ, उसमें चीन का इरादा चकनाचूर हो गया। सेबू ला एवं कैमल्स बैक से अपनी मजबूत रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाते हुए भारत ने जमकर आर्टिलरी पावर का प्रदर्शन किया । कई चीनी बंकर ध्वस्त हो गए और खुद चीनी आकलन के अनुसार भारतीय सेना के हाथों उनके 400 से ज्यादा जवान मारे गए। भारत की ओर से लगातार तीन दिनों तक दिन रात फायरिंग जारी रही। भारत चीन को कठोर सबक दे चुका था। चीन की मशीनगन यूनिट को पूरी तरह तबाह कर दिया गया था। 15 सितंबर को वरिष्ठ भारतीय सैन्य अधिकारियों के मौजूदगी में शवों की अदला बदली हुई।
भारतीय जवानों के पास अन्य देशों के मुकाबले में पूरे साधन न होते हुए भी, माईनस टेम्परेचर में भी ऐसा शोर्य दिखाते है कि हर भारतीय अपने जवानों पर गर्व करने लगता है। हमारा कर्तव्य है कि कही भी भारतीय जवान दिखे तो उसका सम्मना करे उनको यथायोग्य मदद करें।
हम सोये चैन की नींद
वो सीमा पर जागें,
देख के उनकी हिम्मत,
मुश्किलें भी डर के भागे,
आने वाले हर संकट के आगे
खड़ा जो बन चट्टान है,
वो मेरे देश का जवान है।
हे जवान तुझे सलाम !
हे जवान तुझे सलाम !
देश के भीतर हो या सीमा पर,
रहते हरदम तैयार,
सुरक्षा को देशवासियों की,
समझा कभी ना भार,
अपना कर्तव्य निभाते हुए,
सहता जो कष्ट महान है,
वो मेरे देश का जवान है।
हे जवान तुझे सलाम !
हे जवान तुझे सलाम !
बीहड, बर्फीले ग्लेशियर,
कभी मरूस्थल जिसका घर है,
गर्मी, सर्दी, धूप, बरसात से
नहीं जिस को कोई डर है,
भारत माता का सच्चा सपूत,
जो मातृभूमि की शान है,
वो मेरे देश का जवान है।
हे जवान तुझे सलाम !
हे जवान तुझे सलाम !
हर सैनिक को जान से ज्यादा,
अपने वतन से प्यार है,
इसकी आन की खातिर,
हरदम मिटने को तैयार है,
देश के लिए शहीद होना,
जिसका इकलौता अरमान है,
वो मेरे देश का जवान है।
हे जवान तुझे सलाम !
हे जवान तुझे सलाम !
तुम्हारी देशभक्ति को नमन,
बहादुरी को सलाम,
मेरे देश के रखवाले,
कोटि- कोटि तुझको प्रणाम,
गर्व है हमें जिस पर रेखा,
जो हमारा अभिमान है,
वो मेरे देश का जवान है।
हे जवान तुझे सलाम !
हे जवान तुझे सलाम !
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