20 जून 20020
★ सूर्यग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है।
★ सूर्यग्रहण को बिल्कुल नही देखना नही चाहिए, उसकी किरणे भी शरीर पर नही पड़नी चाहिए इससे भारी नुकसान भी होता हैं। आँखों की रोशनी भी जा सकती हैं।
★ सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।
★ ग्रहण-वेध के पहले सूतक के समय जिन पदार्थों में कुश, तिल या तुलसी की पत्तियाँ, डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।
★ ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।
★ ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।
★ ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।
★ ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।
★ ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कन्द पुराण)
★ भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए। (देवी भागवत)
★ ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए।
★ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।
★ग्रहण पूरा होने पर सूर्य का शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।
★ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।
★सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है।
★ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।
★भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- 'सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।'
★ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खं. 75.24)
10.00 से 01.28 तक
10.03 से 01.33 तक
10.20 से 01.49 तक
10.09 से 01.33 तक
10.47 से 02.25 तक
10.08 से 01.37 तक
10.26 से 01.49 तक
10.14 से 01.48 तक
10.25 से 02.00 तक
10.21 से 01.42 तक
10.22 से 01.48 तक
10.36 से 02.10 तक
10.46 से 02.18 तक
10.37 से 02.10 तक
10.22 से 01.42 तक
10.12 से 01.32 तक
10.14 से 01.45 तक
10.17 से 01.51 तक
ग्रहण प्रारंभ ग्रहण समाप्ति
सुबह 10.53 से दोप. 01.25 तक
सुबह 07.48 से सुबह 09.12 तक
सुबह 08.46 से दोप. 11.05 तक
शाम 05.25 से शाम 06.51 तक
सुबह 06.46 से सुबह 09.04 तक
सुबह 08.14 दोप. 11.13 तक
दोप. 02.36 से शाम 05.25 तक
नोट : उपरोक्त ग्रहण के समय का जो लिस्ट दी गयी है उन किसी भी शहर में आप नही रहते है लेकिन आप जिस शहर के आसपास रहते है उस शहर का समय आपके वहाँ पालनीय होगा।
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