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Saturday, June 20, 2020

काल बनकर आ रहा है सूर्यग्रहण, बचने के लिए ग्रहण और ग्रहण के बाद क्या उपाय करें?

20 जून 20020

🚩ग्रहण में भी सूर्य ग्रहण का प्रभाव अत्यधिक गहरा है। वैदिक काल से ही यह मान्यता रही है कि सूर्य ग्रहण पृथ्वी वासियों के लिए किसी चेतावनी का संकेत है। इस सूर्य ग्रहण के समय ग्रह और नक्षत्रों का ऐसा संयोग बनने जा रहा है जो पिछले 500 सालों में नहीं बना। यह इस साल का सबसे लंबा सूर्य ग्रहण होगा।

🚩खण्डग्रास सूर्य ग्रहण के समय में भारत में पड़ने वाले प्रभाव 

🚩सूर्य, चंद्र, बुध, राहू की युति एवं 6 ग्रह वक्री हैं। बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु तथा मृगशिरा नक्षत्र में 4 ग्रहों की युति । इसका परिणाम बहुत ही भयानक हो सकता है। जैसे - कोई बड़ा बम विस्फोट, आगजनी समस्या, अनकहीं घटना, युद्ध, आकाशीय घटना, भूकम्प, तूफान, उच्च स्तरीय नेताओं की असामयिक मृत्यु एवं सीमा पर उठा-पटक की संभावना बन सकती है। ग्रहण मनुष्यों के लिए अशुभ माना जाता हैं।

🚩इस बार 21 जून को सूर्य ग्रहण मिथुन राशि में लग रहा है जो पहले से अधिक कष्टकारी रह सकता है इसकी वजह यह भी है कि ग्रहण के समय 6 ग्रह वक्री होंगे, शनि, मंगल को देख रहे होंगे तथा मंगल की दृष्टि सूर्य पर होगी। आचार्य वराहमिहिर के अनुसार जब ग्रहण के समय मंगल सूर्य को देखे तो युद्ध और प्राकृतिक आपदाओं से राष्ट्र को क्षति होती है।

🚩ग्रहण में क्या न करें ?

★ सूर्यग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक 'अरुन्तुद' नरक में वास करता है।

★ सूर्यग्रहण को बिल्कुल नही देखना नही चाहिए, उसकी किरणे भी शरीर पर नही पड़नी चाहिए इससे भारी नुकसान भी होता हैं। आँखों की रोशनी भी जा सकती हैं।

★ सूर्यग्रहण में ग्रहण चार प्रहर (12 घंटे) पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए। बूढ़े, बालक और रोगी डेढ़ प्रहर (साढ़े चार घंटे) पूर्व तक खा सकते हैं।

★ ग्रहण-वेध के पहले सूतक के समय जिन पदार्थों में कुश, तिल या तुलसी की पत्तियाँ, डाल दी जाती हैं, वे पदार्थ दूषित नहीं होते। पके हुए अन्न का त्याग करके उसे गाय, कुत्ते को डालकर नया भोजन बनाना चाहिए।

★ ग्रहण शुरू होने से अंत तक अन्न या जल नहीं लेना चाहिए।

★ ग्रहण के दिन पत्ते, तिनके, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ने चाहिए। बाल तथा वस्त्र नहीं निचोड़ने चाहिए व दंतधावन नहीं करना चाहिए। ग्रहण के समय ताला खोलना, सोना, मल-मूत्र का त्याग, मैथुन और भोजन – ये सब कार्य वर्जित हैं।

★ ग्रहण के समय कोई भी शुभ व नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए।

★ ग्रहण के समय सोने से रोगी, लघुशंका करने से दरिद्र, मल त्यागने से कीड़ा, स्त्री प्रसंग करने से सूअर और उबटन लगाने से व्यक्ति कोढ़ी होता है। गर्भवती महिला को ग्रहण के समय विशेष सावधान रहना चाहिए।

★ ग्रहण के अवसर पर दूसरे का अन्न खाने से बारह वर्षों का एकत्र किया हुआ सब पुण्य नष्ट हो जाता है। (स्कन्द पुराण)

★ भूकंप एवं ग्रहण के अवसर पर पृथ्वी को खोदना नहीं चाहिए। (देवी भागवत)

★ ग्रहण के स्नान में कोई मंत्र नहीं बोलना चाहिए। 

🚩ग्रहण में क्या करें? 

★ग्रहण के स्पर्श के समय स्नान, मध्य के समय होम, देव-पूजन और श्राद्ध तथा अंत में सचैल (वस्त्रसहित) स्नान करना चाहिए। स्त्रियाँ सिर धोये बिना भी स्नान कर सकती हैं।

★ग्रहण पूरा होने पर सूर्य का शुद्ध बिम्ब देखकर भोजन करना चाहिए।

★ग्रहणकाल में स्पर्श किये हुए वस्त्र आदि की शुद्धि हेतु बाद में उसे धो देना चाहिए तथा स्वयं भी वस्त्रसहित स्नान करना चाहिए।

★सूर्यग्रहण के समय संयम रखकर जप-ध्यान करने से कई गुना फल होता है।

★ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरतमंदों को वस्त्रदान से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।

★भगवान वेदव्यासजी ने परम हितकारी वचन कहे हैं- 'सामान्य दिन से चन्द्रग्रहण में किया गया  पुण्यकर्म (जप, ध्यान, दान आदि) एक लाख गुना और सूर्यग्रहण में दस लाख गुना फलदायी होता है। यदि गंगाजल पास में हो तो चन्द्रग्रहण में एक करोड़ गुना और सूर्यग्रहण में दस करोड़ गुना फलदायी होता है।'

★ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम-जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्णजन्म खं. 75.24)

🚩ग्रहण का समय-

🛣️ Mumbai
10.00 से 01.28 तक

🛣️ Ahmedabad
10.03 से  01.33 तक

🛣️ Delhi                 
10.20 से  01.49 तक

🛣️ Surat & Nashik 
10.09 से 01.33 तक

🛣️ Guwahati
10.47 से 02.25 तक

🛣️ Jodhpur
10.08 से 01.37 तक

🛣️ Lucknow
10.26 से 01.49 तक

🛣️ Bhopal
10.14 से 01.48 तक

🛣️ Raipur
10.25 से 02.00 तक

🛣️ Jammu
10.21 से 01.42 तक

🛣️ Chandigarh
10.22 से 01.48 तक

🛣️ Ranchi & Patna
10.36 से 02.10 तक

🛣️ Kolkata
10.46 से 02.18 तक

🛣️ Bhubaneswar
10.37 से 02.10 तक

🛣️ Chennai
10.22 से 01.42 तक

🛣️ Bengaluru
10.12 से 01.32 तक

🛣️ Hyderabad
10.14 से 01.45 तक

🛣️ Nagpur
10.17 से 01.51 तक

🏙️ स्थान ( विदेशों में )        
ग्रहण प्रारंभ            ग्रहण समाप्ति

🛣️ Kathmandu (Nepal) 
सुबह 10.53 से दोप. 01.25 तक

🛣️ Athens (Greece)
सुबह 07.48 से सुबह 09.12 तक

🛣️ Baku (Azerbaijan)
सुबह 08.46 से दोप. 11.05 तक

🛣️ Hagatna (USA)
शाम 05.25 से शाम 06.51 तक

🛣️ Nairobi (Kenya) 
सुबह 06.46 से सुबह 09.04 तक

🛣️ Dubai
सुबह 08.14 दोप. 11.13 तक

🛣️ Hong Kong
दोप. 02.36 से शाम 05.25 तक

नोट : उपरोक्त ग्रहण के समय का जो लिस्ट दी गयी है उन किसी भी शहर में आप नही रहते है लेकिन आप जिस शहर के आसपास रहते है उस शहर का समय आपके वहाँ पालनीय होगा।

🚩इस साल का सूर्यग्रहण सबसे लंबा है, महाभारत जैसे युद्ध का योग भी बन रहा है, पिछला चन्द्र ग्रहण कोरोना वायरस देकर गया इस बार का उससे भी भारी चन्द्रग्रहण है तीसरा विश्व युद्ध भी ला सकता है। सभी देशवासी इसको गभीरता से ले, अधिक से अधिक भगवान के नाम का जप करें जिससे आने वाली भयंकर विपत्तियों से हम सभी की रक्षा हो।

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Thursday, June 18, 2020

महाविनाश बन कर आ रहा है 21 जून का सूर्यग्रहण, उस दिन ये उपाय करने से होंगे सुरक्षित।

18 जून 2020

🚩अनेक वैज्ञानिकों ने इस तथ्य को स्वीकार किया है कि ग्रहण के आसपास ऐसी प्राकृतिक घटनाएं अधिक घटती हैं, जिससे जीव, जंतु और मानव में भय व्याप्त होता है।

🚩21 जून (रविवार) को होनेवाला सूर्यग्रहण सम्पूर्ण भारत सहित एशिया, अफ्रीका के अधिकांश भाग, दक्षिण-पूर्वी यूरोप तथा ऑस्ट्रेलिया के उत्तरी भाग में दिखेगा।

🚩यह ग्रहण उत्तर भारत के कुछ भागों में कंकणाकृति और अधिकांश भारत में खंडग्रास दिखेगा। गत वर्ष 26 दिसम्बर के सूर्यग्रहण के पूर्व जो भविष्यवाणी की गयी थी कि ‘इससे भारी उलटफेर होगा...’ उसकी सत्यता उसके पश्चात् काल में और अभी भी देखने को मिल रही है। इस वर्ष 21 जून को होनेवाला सूर्यग्रहण भी भारी विनाशक योग का सर्जन कर रहा है। यह देश व दुनिया के लिए महादुःखदायी है। बताया जाता है कि इस योग से 'पृथ्वी का भार कम होगा।’

🚩ग्रहणकाल में उसके नियम-पालन कर जप-साधना करते हैं, वे न केवल ग्रहण के दुष्प्रभावों से बच जाते हैं बल्कि महान पुण्यलाभ भी प्राप्त करते हैं। इस बार के ग्रहण का योग जप-साधना के लिए अधिक उपयोगी है। महर्षि वेदव्यासजी कहते हैं : ‘‘रविवार को सूर्यग्रहण अथवा सोमवार को चन्द्रग्रहण हो तो ‘चूड़ामणि योग’ होता है। अन्य वारों में सूर्यग्रहण में जो पुण्य होता है उससे करोड़ गुना पुण्य ‘चूड़ामणि योग’ में कहा गया है।’’ (निर्णयसिंधु) यह सूर्य ग्रहण में भी चूड़ामणि योग हैं।

🚩शुभ-अशुभ की स्थिरता का विज्ञान

🚩सूर्य ग्रहण अमावस्या को आता है, पृथ्वी और सूर्य के बीच चन्द्र आता है तब सूर्यग्रहण होता है। 

🚩ग्रहण के समय सूर्य या चन्द्र की किरणों का प्रभाव पृथ्वी पर पड़ना थोड़ी देर के लिए बंद हो जाता है। इसका प्रभाव अग्नि-सोम द्वारा संचालित प्राणी-जगत पर भी पड़ता है और सूर्य-चन्द्र की किरणों द्वारा जो सूक्ष्म तत्त्वों में हलचल होती रहती है वह भी उस समय बंद हो जाती है। हमारे जो सूक्ष्म, सूक्ष्मतर, सूक्ष्मतम अवयव हैं उनमें भी हिलचाल नहींवत् हो जाती है। यही कारण है कि ग्रहण के समय कोई भी गंदा भाव या गंदा कर्म होता है तो वह स्थायी हो जाता है क्योंकि पसार नहीं हो पाता है। इसलिए कहते हैं कि ग्रहण व सूतक में भोजन तो न करें, साथ ही ग्रहण से थोड़ी देर पहले से ही अच्छे विचार और अच्छे कर्म में लग जायें ताकि अच्छाई गहरी, स्थिर हो जाय। अच्छाई गहरी, स्थिर हो जायेगी तो व्यक्ति के स्वभाव में, मति-गति में सुख-शांति आयेगी, आयु, आरोग्य व पुष्टि मिलेगी। अगर गंदगी स्थिर होगी, रजो-तमोगुण स्थिर होंगे तो जीवन में चिंता, शोक, भय, विकार और व्यग्रता घुस जायेगी।

🚩सूतक में क्या करें?

🚩‘‘सूर्यग्रहण में 4 प्रहर (12 घंटे) पहले से सूतक माना जाता है। इस समय सशक्त व्यक्तियों को भोजन छोड़ देना चाहिए। इससे आयु, आरोग्य, बुद्धि की विलक्षणता बनी रहेगी। लेकिन जो बालक, बूढ़े, बीमार व गर्भवती स्त्रियाँ हैं वे ग्रहण से 1 से 1.5 प्रहर (3 से 4.5 घंटे) पहले तक चुपचाप कुछ खा-पी लें तो चल सकता है। बाद में खाने से स्वास्थ्य के लिए बड़ी हानि होती है। गर्भवती महिलाओं को तो ग्रहण के समय खास सावधान रहना चाहिए।

🚩खाद्य पदार्थ ऐसे बचायें दूषित होने से

🚩ग्रहण के पहले का बनाया हुआ अन्न ग्रहण के बाद त्याग देना चाहिए लेकिन ग्रहण से पूर्व रखा हुआ दही या उबाला हुआ दूध तथा दूध, छाछ, घी या तेल - इनमें से किसीमें सिद्ध किया हुआ अर्थात् ठीक से पकाया हुआ अन्न (पूड़ी आदि) ग्रहण के बाद भी सेवनीय है परंतु ग्रहण के पूर्व इनमें कुशा डालना जरूरी है।

🚩सूतक से पहले पानी में कुशा, तिल या तुलसी-पत्र डाल के रखें ताकि सूतक काल में उसे उपयोग में ला सकें।ग्रहणकाल में रखे गये पानी का उपयोग ग्रहण के बाद नहीं करना चाहिए किंतु जिन्हें यह सम्भव न हो वे उपरोक्तानुसार कुशा आदि डालकर रखे पानी को उपयोग में ला सकते हैं, ऐसा कुछ जानकारों का कहना है।

🚩ग्रहण का कुप्रभाव वस्तुओं पर न पड़े इसलिए मुख्यरूप से कुशा का उपयोग होता है। इससे पदार्थ अपवित्र होने से बचते हैं। कुशा नहीं है तो तिल डालें। इससे भी वस्तुओं पर सूक्ष्म-सूक्ष्मतम आभाओं का प्रभाव कुंठित हो जाता है। तुलसी के पत्ते डालने से भी यह लाभ मिलता है किंतु दूध या दूध से बने व्यंजनों में तिल या तुलसी न डालें।

🚩ग्रहणकाल में भूलकर भी न करें

🚩ग्रहण में अगर सावधानी रही तो थोड़े ही समय में बहुत पुण्यमय, सुखमय जीवन होगा। अगर असावधानी हुई तो थोड़ी ही असावधानी से बड़े दंडित हो जायेंगे, दुःखी हो जायेंगे।

🚩ग्रहणकाल में -
(1) भोजन करनेवाला अधोगति को जाता है।
(2) जो नींद करता है उसको रोग जरूर पकड़ेगा, उसकी रोगप्रतिकारकता का गला घुटेगा।
(3) जो पेशाब करता है उसके घर में दरिद्रता आती है। जो शौच जाता है उसको कृमिरोग होता है तथा कीट की योनि में जाना पड़ता है।
(4) जो संसार-व्यवहार (सम्भोग) करते हैं उनको सूअर की योनि में जाना पड़ता है।
(5) तेल-मालिश करने या उबटन लगाने से कुष्ठरोग होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
(6) ठगाई करनेवाला सर्पयोनि में जाता है। चोरी करनेवाले को दरिद्रता पकड़ लेती है।
(7) जीव-जंतु या किसी प्राणी की हत्या करनेवाले को नारकीय योनियों में जाना पड़ता है।
(8) पत्ते, तिनके, लकड़ी, फूल आदि न तोड़ें। दंतधावन, अभी ब्रश समझ लो, न करें।
(9) चिंता करते हैं तो बुद्धिनाश होता है।


🚩ये करने से सँवरेगा इहलोक-परलोक

🚩(1) सूर्यग्रहण के समय रुद्राक्ष-माला धारण करने से पाप नष्ट हो जाते हैं परंतु फैक्ट्रियों में बननेवाले नकली रुद्राक्ष नहीं, असली रुद्राक्ष हों।

🚩(2) मंत्र का ग्रहण के समय जप करने से उसकी सिद्धि हो जाती है।

🚩(3) महर्षि वेदव्यासजी कहते हैं : ‘‘चन्द्रग्रहण के समय किया हुआ जप लाख गुना और सूर्यग्रहण के समय किया हुआ जप 10 लाख गुना फलदायी होता है।’’ ( स्त्रोत : ऋषि प्रसाद पत्रिका, www.rishiprasad.org )

🚩इस दिन दान की भी बड़ी भारी महिमा है। जरूरतमंद लोगों , गाय माता, धार्मिक स्थलों अथवा जहाँ जरूरत हो उनको जरूरी चीजों का दान करना चाहिए।

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