Showing posts with label लव जिहाद. Show all posts
Showing posts with label लव जिहाद. Show all posts

Monday, June 26, 2023

इतना समझ लिया तो कभी आपकी बेटी लव जिहाद में नही फसेगी.....

26 June 2023

http://azaadbharat.org



🚩हिन्दू समाज के साथ 1200 वर्षों से मजहब के नाम पर अत्याचार होता आया है। सबसे खेदजनक बात यह है कि कोई इस अत्याचार के बारे में हिन्दुओं को बताये तो हिन्दू खुद ही उसे ही गंभीरता से नहीं लेते क्यूंकि उन्हें सेकुलरता के नशे में रहने की आदत पड़ गई है। रही सही कसर हमारे पाठ्यक्रम ने पूरी कर दी जिसमें अकबर महान, टीपू सुलतान देशभक्त आदि पढ़ा पढ़ा इस्लामिक शासकों के अत्याचारों को छुपा दिया गया। अब भी कुछ बचा था तो संविधान में ऐसी धारा डाल दी गई। जिसके अनुसार सार्वजनिक मंच अथवा मीडिया में इस्लामिक अत्याचारों पर विचार करना धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा करार दिया गया। इस सुनियोजित षड़यंत्र का परिणाम यह हुआ कि हिन्दू समाज अपना सत्य इतिहास ही भूल गया।


🚩ऐसी हज़ारों दास्तानों में से एक है सिरोंज के महेश्वरी समाज की दास्तान। सिरोंज यह स्थान विदिशा से 50 मील की दूरी पर एक तहसील है। मध्यकाल में इस स्थान का विशेष महत्व था। कई इमारतें व उनसे जुड़ी ऐतिहासिक घटनाएँ इस बात का प्रमाण है। सिरोंज के दक्षिण में स्थित पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है। इसे उषा का मंदिर कहा जाता है। इसी नाम के कारण कुछ लोग इसे बाणासुर की राजधानी श्रोणित नगर के नाम से जानते थे। संभवतः यही शब्द बिगड़कर कालांतर में "सिरोंज' हो गया। नगर के बीच में पहले एक बड़ी हवेली हुआ करती थी, जो अब ध्वस्त हो चुकी है, इसे रावजी की हवेली के नाम से जाना जाता है। इसका निर्माण संभवतः मराठा- आधिपत्य के बाद ही हुआ होगा। ऐसी मान्यता है कि यह मल्हाराव होल्कर के प्रतिनिधि का आवास था।


🚩200 साल पहले सिरोंज टोंक के एक नवाब के आधिपत्य में था। एक बार नवाब ने इस क्षेत्र का दौरा किया। उसी रात की यहाँ के माहेश्वरी सेठ की पुत्री का विवाह था। संयोग से रास्ते में डोली में से पुत्री की कीमती चप्पल गिर गई। किसी व्यक्ति ने उसे नवाब के खेमे तक पहुँचा दिया। नवाब को यह भी कहा गया कि चप्पल से भी अधिक सुंदर इसको पहनने वाली है। यह जानने के बाद नवाब द्वारा सेठ की पुत्री की माँग की गई। यह समाचार सुनते ही माहेश्वरी समाज में खलबली मच गई। बेटी देने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था। अब किया क्या जाये? माहेश्वरी समाज के प्रतिनिधियों ने कूटनीति से काम किया। नवाब को यह सूचना दे दिया गया कि प्रातः होते ही डोला दे दिया जाएगा। इससे नवाब प्रसन्न हो गया। इधर माहेश्वरियों ने रातों- रात पुत्री सहित शहर से पलायन कर दिया तथा। उनके पूरे समाज में यह निर्णय लिया गया कि कोई भी माहेश्वरी समाज में न तो इस स्थान का पानी पिएगा, न ही निवास करेगा। एक रात में अपने स्थान को उजाड़ कर महेश्वरी समाज के लोग दूसरे राज्य चले गए। मगर अपनी इज्जत, अपनी अस्मिता से कोई समझौता नहीं किया। आज भी एक परम्परा माहेश्वरी समाज में अविरल चल रही है। आज भी माहेश्वरी समाज का कोई भी व्यक्ति सिरोंज जाता है। तो वहाँ का न पानी पीता है और न ही रात को कभी रुकता हैं। यह त्याग वह अपने पूर्वजों द्वारा लिए गए संकल्प को निभाने एवं मुसलमानों के अत्याचार के विरोध को प्रदर्शित करने के लिए करता हैं।


🚩दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया। मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुटी के रूप में दे। तो कोई हिन्दू लड़की कभी लव जिहाद का शिकार न बने।


🔺 Follow on


🔺 Facebook

https://www.facebook.com/SvatantraBharatOfficial/


🔺Instagram:

http://instagram.com/AzaadBharatOrg


🔺 Twitter:

 twitter.com/AzaadBharatOrg


🔺 Telegram:

https://t.me/ojasvihindustan


🔺http://youtube.com/AzaadBharatOrg


🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Saturday, January 2, 2021

लव जिहाद में फंसी हिंदू युवतियों की दुर्दशा और नेताओं का मौन

02 जनवरी 2021


मुंबई की एक विदुषी ने लिखा है कि उनके सामने गत तीन महीनों में पाँच मामलें आए जिसमें मुस्लिम लड़कों ने अबोध हिन्दू लड़कियों पर डोरे डाल कर, शारीरिक उत्तेजना दिला या संबंध बनाकर, ब्लैकमेल कर, निकाह कर, धर्म-परिवर्तन कराकर, फिर जल्द उपेक्षित और मार-पीट कर, कुछ मामले में दोस्तों-संबंधियों द्वारा बलात्कार भी करवा कर, फिर अपना दूसरा निकाह कर, पहली को लाचार नौकर जैसी बनाकर रख दिया। हिन्दू विधवाओं या विवाह के बाद अलग हुई युवा स्त्रियों को भी निशाना बना कर यह हो रहा है। ऐसी शादियों से तलाक लेकर अलग होने की कोशिश करने वालियों को भी धमकी, प्रताड़ना मिली। अदालत से गुजारा देने का आदेश मिलने पर भी वह नहीं मिलता।




कुछ हेर-फेर के साथ अधिकांश लव-जिहाद में यही हो रहा है। एक बार केरल हाई कोर्ट के संज्ञान लेने पर भी ऐसी घटनाएं रोकने के लिए सत्ताधारियों और कानून द्वारा कुछ नहीं किया जा रहा। उक्त विदुषी ने सामाजिक चेतना जगाने की बात की, जो सही है। पर क्या सत्ता और न्याय संस्थाओं की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती, जबकि इन मामलों में उत्पीड़न, धोखा, अत्याचार मौजूद है? क्या वे संसद या विधान सभा में इस पर चर्चा भी नहीं करा सकते, जिस से कम से कम सामाजिक चेतना तो बने?

विचित्र यह कि ऐसी परिघटनाएं जिसमें हिन्दुओं को तरह-तरह की सांस्कृतिक, राजनीतिक वंचना, अपमान, भेद-भाव और अन्याय सहना पड़ रहा है, इसकी शिकायत वे भी बरसों-दशकों से करते रहे हैं जो आज ऊँची कुर्सियों पर हैं, किन्तु कुर्सी पर पहुँच कर उनकी बोलती बंद हो जाती है। वे हर तरह की बातें करते हैः विकास, चुनाव, स्वच्छता, गैस, पानी, पार्टी, नेता, वाड्रा, सर्जिकल, पाकिस्तान, आदि, किन्तु जिन पर उनका मुँह स्थायी रूप से बंद हो जाता है, वह वे बातें हैं जिन पर पहले बोलते रहे थे, जब तक उन्हें ऊँची जिम्मेदारी नहीं मिली थी। पार्टी, संगठन या सत्ता में।

तो क्या पद पाकर वे मजबूत होने के बजाए कमजोर हो जाते हैं? अपने मन की नहीं बोल सकते। किसी अन्याय पर कुछ करना तो दूर, टीका-टिप्पणी करने से भी परहेज करते हैं। पुराने सहयोगियों से संपर्क तोड़ लेते हैं। मेल, फोन का जबाव नहीं देते। यह संकोच है, या डर, विवशता? या कि सत्ता पाकर उन्हें ऐसे सत्य का बोध हो जाता है जिस से पिछली बातें झूठी, अनुचित, अतिरंजित या महत्वहीन लगने लगती हैं? यदि यह भी हो, तो क्या उनकी जिम्मेदारी नहीं कि सत्ता-पदों से बाहर रहे साथियों को सचाई से अवगत कराकर ऐसी शिकायतें करना बंद कराएं?

कम से कम बीस वर्षों के अनुभव से पाया है कि ऐसे आलोचनात्मक लेखों की वैसे हिन्दूवादी प्रशंसा करते हैं, जो सत्ता-पदों पर नहीं हैं। दूसरे या तो मौन, या लानत-मलानत करते हैं कि लेखक पराजित मानस है, छिद्रान्वेषी है, बड़ी तस्वीर नहीं देखता, अपने ही पक्ष का निंदक है, आदि। यहाँ तक कि दंडित भी करते हैं! लेकिन जिन समस्याओं से हिन्दू धर्म-समाज त्रस्त है, उन पर उनका कभी कोई बयान या हस्तक्षेप नहीं होता। तब ये सत्ता, संसाधन किस लिए हाथ में लिए जाते हैं?

जबकि अनेक छोटी और बड़ी समस्याएं भी मामूली हस्तक्षेप से सुधर सकती हैं। कई मामलों में किसी साहस की भी जरूरत नहीं। केवल तनिक बुद्धि लगाने की बात है। इसी लव-जिहाद पर यदि संसद में एक बहस ही हो जाए, तो काफी उपाय निकल जाएगा। किन्तु किसी ऐसी चिन्ता पर उन्हें कभी बाहर भी विचार-विमर्श, या संवाद तक मंजूर नहीं रह जाता। वैसे वे सत्ता-संसाधनों से सैकड़ों गोष्ठियाँ, सेमिनार, सम्मेलन, व्याख्यान, प्रकाशन, प्रचार, आदि करते रहते हैं। लेकिन उनके विषय हिन्दू चिन्ताओं को छोड़ कर बाकी हर चीज हैं। जिस में सब से बड़ा हिस्सा नेता-पार्टी का गौरवगान, आत्म-प्रशंसा, और प्राचीन हिन्दू वैभव का कीर्तन रहता है।

अतः प्रश्न उठता है – क्या सत्ता पाकर हिन्दू ही कमजोर हो जाते हैं? या कि वे पहले ही कमजोर थे, और हैं? क्योंकि प्रायः मुसलमान कैसे भी पद पर हों, अपने मजहब, समुदाय के हितों पर बोलना कभी बंद नहीं करते। यहाँ तक कि अहंकारी, गैर-कानूनी माँग भी करते हैं। साथ ही, खुले या चुपचाप इस्लामी जमीन, संसाधन, संस्थान और प्रभाव बढ़ाने में लगे रहते हैं। परवाह नहीं करते कि मीडिया या सत्ता उन्हें क्या कहती है, क्या नहीं। तब हिन्दुओं को क्या हो जाता है कि सत्ता पाकर वे कांग्रेसी, कम्युनिस्ट, जातिवादी, और नकली भाषा बोलने लगते हैं। ऊपर से इस की जयकार में संकोच करने पर पुराने साथियों को फटकारते हैं। सत्ताधारी सहयोगियों की भयंकर गलतियों पर भी चुप रहते हैं। जिन गलत कामों के लिए दूसरे की निंदा करते थे, ठीक वही करने के लिए अपने नेताओं की प्रशंसा करते हैं।

पद पाकर प्रायः हिन्दू नेता झूठ बोलने लगते हैं। चाहे विषय धार्मिक, मिशनरी, इस्लामी हो, या वैदेशिक, सामाजिक, ऐतिहासिक। यह पहले नहीं था। अंग्रेजों के समय हमारे नेता हिन्दू समाज की चिन्ताओं पर बोलने में संकोच नहीं करते थे। तब स्वतंत्र भारत में क्या हो गया, कि हिन्दू चिन्ताएं औपचारिक विवर्श से ही बाहर हो गईं? उन का उल्लेख निजी बात-चीत में, अंदरखाने रह गया। बरसों से सारे भाषण, बयान, गोष्ठी, सेमिनार, प्रेस-कांफ्रेंस, साहित्य छान लीजिए। अपवादों को छोड़कर कोई महत्वपूर्ण नेता, लेखक, समाजसेवी, मठाधीश, उद्योगपति, आदि किसी हिन्दू संत्रास पर चिन्ता करते, बोलते, माँग करते नहीं मिलेंगे। मानो कोई सेंसरशिप लगी हो।

यह कैसी सेंसरशिप है? विदेशी शासक कब के चले गए। उन के राज में दयानन्द, मालवीय, तिलक, श्रीअरविन्द, श्रद्धानन्द, गाँधी, प्रेमचंद, निराला, बिड़ला, गोयनका, खुल कर हिन्दू समाज की चिन्ता रखते थे। तब स्वदेशी शासन में क्या हो गया, कि मुसलमानों को देश-बाँटकर अलग दे देने के बाद भी, हिन्दू महानुभाव डरे, लजाए, आँख चुराए जीवन जीते हैं? पुराने साथियों से बचते ही नहीं, बल्कि असहमति रखने वाले विशिष्ट ज्ञानियों को भी दंडित तक कर डालते हैं! अरुण शौरी अकेले नहीं, जिन्हें अछूत बना दिया गया। यह मूढ़ता की पराकाष्ठा नहीं तो और क्या है, कि जिन्हें उपेक्षित करना था, उन्हें ईनाम दिये गये और समाज जिन्हें सम्मानित होने की आशा करता था, उन्हीं पर तिरस्कार अपमान की चोट पड़ी!

हिन्दू नेताओं, मध्य-वर्ग को क्या हो गया है? क्या उन की प्रतिभा मर गई ? हिन्दूवादी संगठनों ने अपने यहाँ कैसी नैतिक, वैचारिक, आत्मिक ट्रेनिंग दी है, जिस का परिणाम नियमित बनाव-छिपाव, दोहरापन एवं मूढ़ता है ? शिक्षा पर जैसी नई अ-नीति या नीति-शून्यता अभी बनी है, वह पहले कभी नहीं बनी थी! जो बुद्धि सब से मूलभूत क्षेत्र में ऐसी नीतिहीनता गढ़ सकती है, वह दूसरे काम चाणक्य जैसी करेगी, यह नितांत अविश्वसनीय है।

इस सांस्कृतिक परिदृश्य में वह हिन्दू चरित्र नहीं, जिसका उपनिषदों से लेकर स्वामी विवेकानन्द, टैगोर, निराला से लेकर राम स्वरूप तक ने आख्यान किया है। आज जो हो रहा है कि वह गाँधी-नेहरूवादी अहंकार, अज्ञान और पाखंड का ही एक रूप है। कुछ बेहतर या बदतर।

आगे हरि-इच्छा जो भी हो! पर ऐसे एलीट से कोई आशा नहीं बँधती, जो हिन्दू अबलाओं की दुर्गति देखकर भी उस से आँखें चुराकर निरंतर अपनी पीठ खुद ठोकने में लगा हो। - डॉ. शंकर शरण

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, December 7, 2020

देश में विकराल होता जा रहा है लव जिहाद का जाल...

07 नवंबर 2020


हाल में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने लव-जिहाद के खतरे से निपटने के लिए एक अध्यादेश जारी किया है। इसके अलावा और दो-तीन राज्यों में इसके खिलाफ कानून बनाने की तैयारी चल रही है। विडंबना देखिए कि इसे कुछ लोग हिंदुत्ववादियों का दुष्प्रचार बता रहे हैैं, जबकि वे यह नहीं देख रहे कि वर्षों से कैथोलिक बिशप काउंसिल, सीरो-मालाबार चर्च जैसी ईसाई संस्थाएं भी इस पर चिंता जता रही हैैं। लव-जिहाद का मुद्दा सबसे पहले दिग्गज कम्युनिस्ट नेता वी एस अच्युतानंदन ने दस साल पहले उठाया था। वह तब केरल के मुख्यमंत्री थे। फिर कांग्रेस मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने 25 जून 2012 को विधानसभा में बताया कि विगत छह साल में वहां 2,667 लड़कियों को इस्लाम में धर्मांतरित कराया गया। केरल हाई कोर्ट ने भी 2009 में लव जिहाद पर ही सुनवाई करते हुए कहा था कि झूठी मोहब्बत के जाल में फंसाकर धर्मांतरण का खेल केरल में वर्षों से संगठित रूप से चल रहा हैै। स्वयं पुलिस रिकॉर्ड ने विगत चार वर्षों में प्रेम-जाल से जुड़े चार हजार ऐसे धर्मांतरणों का संकेत किया। तब हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया था कि वहां 'इस्लामिक पॉपुलर फ्रंट' की छात्र शाखा 'कैंपस फ्रंट' संगठित रूप से इसमें संलग्न थी। वह शैक्षणिक परिसरों में मुस्लिम युवकों को फैंसी कपड़े, मोटरसाइकिल और मोबाइल फोन देकर इसी काम के लिए सक्रिय रखता था। गैर-मुस्लिम लड़कियों को रिझाने, फिर नकली शादी या लोभ, दबाव, धमकी समेत किसी तरह धर्मांतरित कराने पर उन लड़कों को वह नकद इनाम भी देता था। कुछ समय पहले उत्तराखंड हाई कोर्ट और राजस्थान हाई कोर्ट ने भी अलग-अलग मामलों में कहा था कि विवाह के मामले में जबरन धर्मांतरण रोका जाना चाहिए। उन्होंने अंतरधार्मिक विवाह के लिए एक महीने पहले नोटिस देना अनिवार्य करने की बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) को कर्नाटक के हादिया मामले में जबरन धर्मांतरण की जांच करने के आदेश दिए थे।




हालांकि यह केवल भारत की बात नहीं। सशस्त्र जिहाद की तरह लव-जिहाद भी अंतरराष्ट्रीय समस्या है। इंग्लैंड में सिख समुदाय यह खतरा दो-तीन दशकों से झेल रहा है। मुस्लिम युवक स्वयं को सिख बताते हुए सिख लड़कियों को बरगलाकर धर्मांतरित कराते हैैं। एक ब्रिटिश अखबार के अनुसार पुलिस कई विश्वविद्यालयों में ऐसे उग्रवादी इस्लामी संगठनों पर नजर रखती है, जो 'आक्रामक धर्मांतरण' कराने में लगे थे। उन संगठनों के लड़के सिख और हिंदू लड़कियों को धर्मांतरित कराने में छल-प्रपंच, बदनाम करने, डराने से लेकर मार-पीट तक करते थे। इसके कारण वहां कई लड़कियों को पढ़ाई छोडऩी पड़ी। लव-जिहाद के संगठित अभियान का वर्णन 'व्हाई वी लेफ्ट इस्लाम' नामक पुस्तक में भी है। इसमें वैसे लव-जिहादियों के संस्मरण हैैं, जो क्रिश्चियन लड़कियों को बरगलाकर मुसलमान बनाते रहे थे। वे उन लड़कियों को अपने जाल में फंसाने के लिए झूठी मोहब्बत का दिखावा करने से लेकर, ब्लैकमेलिंग और खुद को ईसाई बताकर शारीरिक संबंध बनाने तक कई प्रपंचों का इस्तेमाल करते थे। जितने रसूखदार परिवार की लड़की के साथ यह प्रपंच किया जाता, इनाम की रकम उतनी ही बड़ी होती थी। मिस्र में तो ईसाई लड़कियों को धर्मांतरित कराने पर गाजे-बाजे के साथ जुलूस निकाला जाता है।

जाहिर है देश-दुनिया में ऐसा करने वाले युवक नि:संदेह "मजहबी" काम कर रहे हैैं। तब इसे "प्रेम" क्यों कहना चाहिए? यह जिहाद है, क्योंकि वे छल-कपट आदि जैसे भी हो काफिरों को मुसलमान बना रहे हैं, जो उनका मजहबी निर्देश है। अत: वैयक्तिक या धार्मिक स्वतंत्रता के नाम पर झूठे नारे और अधूरी बातें पढ़ाकर हिंदू युवाओं को विचारहीन छोड़ देना घोर पाप है। हिंदुओं को दूसरे धर्मावलंबियों के समान अपनी शिक्षा की स्वतंत्रता नहीं है। इसीलिए हिंदू युवा धर्महीन बने रह जाते हैैं। वे न स्वधर्म के बारे में जानते हैं, न परधर्म को। फलत: किसी भी आक्रामक मतवाद का शिकार होने के लिए अरक्षित बने रहते हैैं, जबकि स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि जब हिंदू धर्म से कोई अलग होता है तो केवल एक हिंदू ही कम नहीं होता, बल्कि हिंदुओं का एक शत्रु बढ़ता है! श्री अरविंद ने भी एकतरफा धर्मांतरण की छूट को राष्ट्रीय एकता के लिए घातक बताया था। ऐसी गंभीर सीखों से हिंदू बच्चों को वंचित रखना उन्हें डूबने के लिए खुला छोड़ देने जैसा ही है।

चूंकि ईसाई, हिंदू या सिख लड़कियां स्वेच्छा से इस जाल में फंसती हैैं इसलिए यह मुख्यत: कानूनी मुद्दा नहीं है। कानून बनाकर जबरदस्ती या धोखा रोक सकते हैैं, लेकिन अंतरधार्मिक शादियों में हिंदू लड़के या लड़की के स्वेच्छा से मुसलमान बनने पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। यद्यपि कोई मुस्लिम यदि ईसाई, हिंदू या बौद्ध बने तो उसे शरीयत कानून के नाम पर मार डाला जाता है या उस पर यह खतरा सदैव बना रहता है। इस चीज को कड़ाई से प्रतिबंधित करना होगा। जीवन के हरेक क्षेत्र को शरीयत के दबावों से दृढ़तापूर्वक मुक्त रखना हमारे राजनीतिक वर्ग की जिम्मेदारी है।

इसमें एक सबसे बड़ी गलती हिंदू समाज को शैक्षिक, धार्मिक मामलों में कानूनन हीन बनाए रखना है। भारत में हिंदुओं को अपने मंदिरों और अपनी शिक्षा संस्थाओं पर दूसरों के समान अधिकार नहीं हैैं। इसीलिए हिंदू बच्चे दूसरे धर्मांवलंबियों की तुलना में वैचारिक रूप से असहाय से होते हैैं। उन्हें शिकार बनाने में जिहादियों, कम्युनिस्टों या ईसाई एनजीओ आदि विविध तत्वों को आसानी होती है। यह आसानी उन्हें गैर-हिंदुओं को पकडऩे में नहीं होती। हिंदू लड़के-लड़कियां विवेकहीन, सूखी, भौतिकवादी शिक्षा के कारण धर्म-संस्कृति की मूलभूत बातों से भी अनजान रहते हैैं। पक्षपाती सेक्युलर शिक्षा के कारण वे नहीं जान पाते कि कई मतवादों की मूल प्रतिज्ञाएं हिंदू हितों के विरुद्ध हैैं। फलत: वे अपने जीवन में अहितकारी निर्णय लेते रहते हैं। इसकी दारुण विडंबना को समझने के लिए प्रसिद्ध कन्नड़ लेखक भैरप्पा का चर्चित उपन्यास 'आवरण' पढऩा श्रेयस्कर होगा।

वस्तुत: स्वयं हिंदू सेक्युलर-वामपंथियों द्वारा लव-जिहाद पर चिंता को 'दुष्प्रचार' बताकर खारिज करना भी उसी विडंबना का एक प्रमाण है। यह हमारे अंग्रेजी मीडिया में भी प्राय: दिखता है। इसलिए लव-जिहाद पर कानून से अधिक बुनियादी काम शिक्षा प्रबंध और मंदिर प्रबंध में हिंदू विरोधी पक्षपात खत्म करना है। यहां सभी समुदायों के लिए एक जैसे शैक्षिक, सांस्कृतिक और धार्मिक अधिकार होने चाहिए। इसका अभाव ही अनेक गंभीर समस्याओं की जड़ है। इसके लिए हमारे नेतागण दोषी हैं, लेकिन वे हिंदू जनता को ही दोष दे-देकर अपनी विभाजक, पक्षपाती नीतियों को छिपाते हैं। यह हिंदुओं पर तिहरी चोट है, जो बंद होनी चाहिए।
- डॉ. शंकर शरण

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, November 26, 2020

वामपंथी बोल रहे हैं लव जिहाद नहीं है, जानिए लव जिहाद की भयंकर घटनाएं

26 नवंबर 2020


‘लव जिहाद’ के नाम पर आज कल वामपंथी गिरोह ने एक नया एजेंडा चलाना शुरू किया है। अपने इस एजेंडे के तहत ये लोग इस बात को साबित करना चाहते हैं कि समाज में ऐसी कोई अवधारणा मौजूद ही नहीं है जो लव जिहाद की प्रमाणिकता को सिद्ध करे। ये मात्र सियासी फितूर है जिसे दक्षिणपंथियों ने फैलाया है और अब उनका (सेकुलर) समाज इससे प्रभावित हो रहा है।




इन लोगों का दावा है कि हिंदू इस लव जिहाद को इसलिए इतना गंभीर बता रहे हैं क्योंकि वह अंतर-धार्मिक प्रेम विवाह के विरुद्ध हैं। अब अंतर-धार्मिक प्रेम विवाह की परिभाषा बहुत व्यापक है इसलिए इसे केवल हिंदू-मुस्लिम तक सीमित कर देना कितना गलत है, ये बताने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है।

हम बात करेंगे केवल मीडिया में प्रचलित लव जिहाद शब्द की परिभाषा पर जिसमें वास्तविकता में लव का नामों निशान तक नहीं होता। मौजूद होता है यदि कुछ, तो वो एक पैटर्न होता है, जिसे देखने समझने परखने के बाद ही उसे लव जिहाद का केस कहा जाता है। इस पैटर्न में मुस्लिम युवक पहले अपना नाम छिपाकर हिंदू लड़कियों से प्रेम का ढोंग करते हैं और फिर उन्हें अपने जाल में फँसाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाते हैं। बाद में कभी खुद उसका रेप करते हैं तो कभी अपने ही रिश्तेदार से उसका गैंगरेप भी करवाते हैं। जरूरत न होने पर उसे मारने से भी गुरेज नहीं करते।

25 अगस्त को लव जिहाद का एक मामला यूपी के लखीमपुर से सामने आया था। इस केस में मोहम्मद दिलशाद ने एक दलित लड़की को अपने प्रेम जाल में फँसाया और अपने मंसूबे नाकाम होता देख उससे बलात्कार करके बेहरमी से मार डाला। दरअसल, दिलशाद को गुस्सा इस बात का था कि उसने जिस लड़की के साथ प्रेम जाल रचा, उसके घरवालों ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी थी। पर दिलशाद चाहता था कि लड़की धर्म परिवर्तन करके उससे निकाह करे।

23 जुलाई को मेरठ के ही परतारपुर में लव जिहाद का वीभत्स चेहरा सामने आया था। प्रिया नाम की महिला को पहले शमशाद ने कुछ साल पहले अमित गुर्जर बनकर फँसाया और फिर हकीकत खुलने पर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कहने लगा। हालाँकि, प्रिया खुद को और अपनी बेटी को इन चीजों से बचाती रही। मगर, लॉकडाउन का फायदा उठाकर शमशाद ने दोनों को जान से खत्म कर दिया और घर में गड्डा खोद कर दफना दिया। इस केस का खुलासा प्रिया की सहेली चंचल के कारण पूरे 4 महीने बाद हुआ था।

अपने लेख में आगे हम ऐसे वीभत्स मामलों पर चर्चा जरूर करेंगे क्योंकि द प्रिंट में प्रकाशित हुए जैनब सिकंदर के लेख ने हिंदुओं पर आरोप लगाया है कि लव जिहाद के भूत के ईर्द गिर्द अपनी सोच को रखकर दक्षिणपंथी ‘हिंदू राष्ट्र’ के निर्माण की परिकल्पना कर रहे हैं। इस लेख का शीर्षक है, “राम मंदिर नहीं, ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून है हिंदू राष्ट्र का असली आधार।”

द प्रिंट पर प्रकाशित जैनब सिकंदर के लेख के शीर्षक से स्पष्ट है कि उनकी दिक्कत राम मंदिर से तो है ही लेकिन अब उसका कुछ किया नहीं जा सकता इसलिए हिंदू राष्ट्र के नाम से सेकुलरों को डराने के लिए वह लव जिहाद कानून का उपयोग कर रही हैं। वह इस कानून को हिंदू राष्ट्र का आधार बता रही हैं जबकि हकीकत यह है कि लव जिहाद कानून हिंदू राष्ट्र का आधार नहीं, बल्कि हिंदुओं को बचाने का प्रयास है। यहाँ राजनीति और धर्म आपस में गड्डमड्ड नहीं हो जाएँगे यहाँ कानून बन जाने से न केवल इस्लामी कट्टरपंथ से अन्य धर्मों की रक्षा होगी बल्कि उन लड़कियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी, जिनका धर्मपरिवर्तन करवाने के बाद उन्हें मारकर फेंक दिया जाता है या समाज में ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया जाता है।

लव जिहाद कोई काल्पनिक राक्षस नहीं है। ये वीभत्स हकीकत है। मेरठ में हुआ प्रिया का केस शायद जैनब ने पढ़ा ही नहीं या निकिता के साथ जो तौसीफ ने किया उससे वो आजतक अंजान हैं। राक्षस हैं ये जिन्हें इंसान बनाने के लिए लव जिहाद कानून के रूप में केवल एक रूपरेखा तैयार हो रही है। मुझे यकीन है कि कानून आने के बाद भी हम इससे जल्दी निजात नहीं पाएँगे। आखिर तीन तलाक के बाद कौन सा इन ‘प्रेमियों’ ने बीवियों को तलाक-तलाक-तलाक कहना छोड़ दिया है।

लेखिका चाहती हैं कि लव जिहाद की सच्चाई को स्वीकृति न मिले, तो क्या उनको चाहिए कि हिंदू लड़कियाँ उस बर्बरता की शिकार होती रहें जिसकी नींव धर्म परिवर्तन के साथ रख दी जाती है। जैनब के लेख में लिखा है;
“मोदी के भारत में एक नई फतह का परचम लहराया जा रहा है, यह हिंदू महिलाओं पर मुस्लिम मर्दों की फतह का परचम है; तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नज़रों से यह कैसे बच सकता है।“

आप खुद के लिए कि महिला पत्रकार के लिए ऐसे विवाह खुद जंग का विषय हैं, जिसमें उन्हें मुस्लिम पुरुषों की फतह चाहिए। अब जिनके मन में वाकई ‘जिहाद’ चलता होगा वो इसके लिए क्या नहीं कर गुजरते होंगे ये कल्पना से परे है।

उक्त वाक्य का मतलब क्या निकाला जाए, इसका निर्णय भी पाठक अपने विवेक पर करें। क्या इसका अर्थ यह नहीं है कि मुस्लिम मर्दों की हकीकत योगी सरकार से नहीं बच पाई या फिर ये निकालें कि अंतरधार्मिक विवाह का अर्थ लेखिका के लिए फतह का विषय तभी तक है जब तक हिंदू लड़की मुस्लिम परिवार को भागकर स्वीकार ले? क्या मुस्लिम महिलाओं का हिंदू युवकों से शादी करना अंतर-धार्मिक विवाह में नहीं आएगा।

तमाम केस हैं जब मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू लड़कों से शादी की और बकायदा अपने मजहब के साथ अपनी पहचान बनाए रखते हुए जीवन व्यतीत किया। दूसरी ओर ऐसे सैंकड़ों मामले हैं जब हिंदू लड़की कई सपने लेकर मुस्लिम युवक के साथ जिंदगी शुरू करना चाहा लेकिन शुरुआत हुई कहाँ से? धर्म परिवर्तन से।

राम मंदिर के प्रति कुंठा का अर्थ यह नहीं कि अपनी नफरत की उल्टी कहीं भी कर दी जाए। राम मंदिर धर्म आस्था का विषय है। उसे भी हिंदुओं ने लंबे संघर्ष के बाद न्यायालय के जरिए पाया है। इसलिए सैंकड़ों वर्षों पहले जो हिंदुओं के 40 हजार मंदिर पर आक्रमण करके उन्हें मिटा दिया गया, उसका दुख अब भी इनके ‘राम मंदिर’ के दुख से ज्यादा ही है। एक मंदिर की नींव इनसे देखी नहीं जा रही जाहिर है ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ कानून कैसे पच पाएगा।

वामपंथी गिरोह का लव जिहाद को भूत बताने का पैटर्न बिल्कुल एक साथ सामने आया है। उधर रवीश कुमार के प्राइम टाइम की भाषा सुनाई पड़ी और दूसरी वामपंथियों पोर्टल पे प्रकाशित होते ऐसे लेख पढ़ने को मिले…ऐसा लग रहा है मानो एजेंडा का रिबन काटने से पहले एक मीटिंग में बकायादा ऐसे शब्दों के साथ किसी टीचर ने इन्हें बिंदू समझाए हों और फिर सभी लगे हुए हैं एक ही सवाल करने में।

जैनब सिकंदर को दुख यह है कि हरियाणा और मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार ने भी यूपी की योगी सरकार की तरह लव जिहाद पर कानून बनाने का निर्णय ले लिया है। उनका कहना है कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के ये तीन राज्य बड़ी बेशर्मी से धार्मिक कानून बनाने की घोषणा कर रहे हैं। हमारा पूछना है कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में निकाह से पहले धर्म परिवर्तन करवाया ही क्यों जा रहा है? पहचान छिपाकर प्रेम का ढोंग हो ही क्यों रहा है?

मेरठ मे 16 सितंबर को कंकरखेड़ा से एक अब्दुल्ला नाम का युवक गिरफ्तार हुआ। उस पर आरोप था कि वह अमन बनकर लड़कियों को फँसाता और फिर उनका अपहरण करके उनके साथ दुष्कर्म करता। उसने हाल में 3 सितंबर को एक युवती का अपहरण किया था। जिसकी बरामदगी 13 दिन बाद हुई। 42 वर्षीय अब्दुल्ला 4 बच्चों का अब्बा था।

बताइए, अब्दुल्ला को क्या जरूरत थी ये सब करने की। ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से पीड़ित बताया जाएगा। इस जैसों के लिए भी सरकार न बनाए कानून तो क्या करे? केरल में यदि पादरी तक लव जिहाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिख रहे हैं तो सोचिए ये दक्षिणपंथियों के फितूर की उपज नहीं है। इसे समाज का हर तबका कोढ़ मान रहा है।

जैनब पूछती हैं कि अगर ऐसा ही होना है तो सऊदी अरब में वहाबिया पुलिस आतंक में क्या फर्क है? आप खुद सोचिए पाठक को बरगलाना ऐसी बातों को करना नहीं कहते तो किसे कहते हैं, क्या सरकार किसी प्रकार के कपड़ों को पहनने में प्रतिबंध लगा रही है? किसी को प्रेम विवाह करने से रोक रही है? नहीं, सरकार का कदम सिर्फ कट्टरपंथ के ख़िलाफ है। आपके मौलिक अधिकार छीनने के लिए कोई राज्य सरकार आतुर नहीं है।

धर्म या मजहब के नाम पर कोई फरमान नहीं सुनाया जा रहा बल्कि मजहब के नाम पर हो रहे अपराध से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास हो रहा है। आपके ऊपर है कि आप इसे कैसे लेंगी। भाजपा और आरएसएस के प्रति नफरत ने आपकी सोच को गर्त में लाकर छोड़ दिया है।

आप इसे फेमिनिस्टों का मुद्दा बनाने के लिए इसे पितृसत्ता से जोड़ रही है और यह हिंदू महिलाओं की समझ पर सवाल उठाकर उसे अस्मिता का सवाल बना रही हैं कि वो खुद का बुरा भला सोचने में अक्षम हैं।

विचार करिए! ब्रेन वॉश शब्द के मायने क्या होते हैं। कुछ दिन कानपुर के गोविंदनगर इलाके में एक आसिफ शाह नाम के युवक ने पहले एक हिंदू युवती को अपने जाल में फँसाया फिर उसका ब्रेनवॉश करके जबरन उसका धर्म परिवर्तन करवाया। बाद में लड़की खराब और मानसिक रूप से अस्थिर हालत में पाई गई। परिजनों की शिकायत पर इस मामले को धारा 366 के तहत दर्ज किया गया है। कौन लड़की आतंकी बनना चाहती है और यदि किसी लड़के से प्रेम करने के बाद वह आईएसआईएस से जुड़ रही है तो इतने के बाद भी उसमें लड़के की गलती न समझी जाए। हर चीज पर पितृसत्ता का तेल लगाने से आपका एजेंडा तेजी से नहीं फैलेगा।

लड़का कम उम्र का हो तब भी माता-पिता उसका ध्यान उतनी सख्ती से देते हैं जितनी सख्ती से एक लड़की के लिए रोक-टोक करते हैं। हर चीज में पितृसत्ता घुसा देने से इसकी गंभीरता वाकई मरती जा रही हैं। महिलाओं के लिए फेमिनिज्म का मतलब पुरुष विरोधी होना हो गया या अधिकार के नाम पर केवल मनमानियां मनवाना। इसके अलावा ये भी समझने की जरूरत है कि पितृसत्तात्मक समाज के दोषी केवल हिंदू पुरुष नहीं है। इसे परिभाषित करना है तो आप किसी भी धर्म मजहब में इसके अनेको उदाहरण देख सकते हैं लेकिन लव जिहाद की अवधारणा इससे बहुत अलग है। इसलिए इन दोनों को जोड़ना बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं है।

पिछले दिनों बिहार के बेगूसराय एक हिंदू ब्राह्मण ने अपनी मर्जी ने मुस्लिम युवक आफताब से कोर्ट मैरेज की। लड़की के घर तक ने लड़के को स्वीकार, लेकिन शादी के 16 साल बाद युवक ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया और महिला पर आए दिन हमले करने लगा, उसके परिवार वाले उसे गलत शब्द बोलने लगे।

ये उदाहरण इस बात का सबूत हैं कि बिहार जैसे इलाकों में भी हिंदू धर्म में लड़कियाँ ही नहीं उनके परिवार भी हर धर्म मजहब को लेकर लिबरल हो रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरा समुदाय घूम फिराकर पिछड़ी सोच से ऊपर नहीं उठ पा रहा और हास्यास्पद यह है कि जैनब जैसे पढ़े लिखे लोग इसे ‘प्रेम’ का देकर इसपर स्पष्टीकरण दे रहे हैं।

उन मौलवियों की बातें शायद जैनब ने नहीं सुनी जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये कहते हैं कि भारत में हिंदुओं को धर्म परिवर्तन करवाना बेहद आसान काम है या उन बच्चों की वायरल वीडियो सोशल मीडिया पर कभी नहीं देखी कि जो ये बताते हैं कि उन्हें मदरसों में हिंदू लड़कियों के लिए क्या सिखाया जाता है।

जैनब का लेख में कहना है कि साल 2009 में निराधार ही एबीवीपी ने ऐसा झूठ फैलाया कि लव जिहाद के तहत 4000 लड़कियों का धर्मांतरण हुआ लेकिन वह ये नहीं बताती कि इस पर्चे में और क्या लिखा था और इसका संदर्भ क्या था। उनके लिए यही तर्क का आधार है कि वो कानपुर में जिन लव जिहाद के मामलों जाँच हो रही थी उनमें से आधे ऐसे निकल आए हैं जो रजामंदी से हुए। उनका इससे सरोकार नहीं है पिछले दिनों में मुस्लिम युवकों ने पहले पहचान छिपाकर, फिर धर्म बदलवाकर, बाद में निकाह करके कैसे हिंदू महिलाओं के साथ बर्बरता की या फिर उन्हें मौत के घाट उतारा।

लव जिहाद की जगह ऑपइंडिया करेगा ग्रूमिंग जिहाद इस्तेमाल

यहाँ गौरतलब हो कि ऑपइंडिया ने अपने इस लेख में लव जिहाद शब्द का प्रयोग सिर्फ इसलिए किया है क्योंकि द प्रिंट ने इसका इस्तेमाल करके अपना आर्टिकल लिखा। वरना ऑपइंडिया की ओर से स्टैंड लिया गया है कि हम अपनी रिपोर्ट में ‘लव जिहाद’ शब्द के इस्तेमाल से दूरी बनाएँगे। इस प्रकार जिहाद में कोई ‘लव’ नहीं है और अगर इस शब्द को इसके जटिल वाक्य-विन्यास के साथ स्वीकार करते हैं, तो यह जिहाद की गंभीरता को दिखाने में विफल रहता है, जो कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा विशेष रूप से गैर-मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाता है। हमारा मानना है कि इसके लिए ‘ग्रूमिंग जिहाद’ शब्द कहीं अधिक उपयुक्त है क्योंकि यह उन सभी अपराधों की श्रेणी में आता है, जो महिलाओं को इस जिहाद के केंद्र में रखते हैं। https://twitter.com/OpIndia_in/status/1331432420621516802?s=19

गैर-मुस्लिम महिलाओं को मुस्लिम पुरुषों के हाथों अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए तैयार किया जा रहा है। उनका अपहरण कर लिया जाता है, उनका बलात्कार किया जाता है, लालच दिया जाता है, उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता है, दंडित किया जाता है और उनका ब्रेनवॉश किया जाता है। मानवता के खिलाफ इन अपराधों में कोई ‘प्यार’ नहीं है। इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है कि यह जिहाद का ही एक रूप है। अब यह कहने का समय आ गया है कि यह ग्रूमिंग जिहाद है। यह ग्रूमिंग शब्द हमने यूनाइटेड किंगडम की ग्रूमिंग गैंग से जोड़ते हुए लिया है। जो एक मुस्लिम पुरुषों का गिरोह होता है और वह वहाँ लड़कियों व महिलाओं का शिकार करते हैं।

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Tuesday, November 3, 2020

इस घटना से आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे, इसके बाद कोई लड़की लव जिहाद में नहीं फंसेगी

03 नवंबर 2020


लव जिहाद स्लो पोइजन है। सेक्युलर बनी हिन्दू लड़कियां नहीं जान पाती हैं कि आगे उनका जीवन कितना नारकीय होगा। वे कल्पना भी नहीं कर सकती हैं। इस घटना से सीख लेनी चाहिए कि लव जिहाद में फंसने वाली लड़कियों की क्या हालत होती है।




मेरठ (उत्तर प्रदेश) के पास लोइया गांव में शबी अहमद के खेत से एक कुत्ता किसी मानव अंग को लेकर भाग रहा था। कुत्ते को मानव अंग लेकर भागते हुए ईश्वर पंडित ने देखा और उन्हें शक हुआ। पुलिस को सूचना दी गयी। पुलिस ने आकर शबी अहमद के खेत की खुदाई की तो एक लाश मिली। लाश किसी महिला की थी जिसका सिर और दोनों हाथ गायब थे।

पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम करवाया और हत्यारे की खोजबीन शुरु कर दी। हत्यारे को पकड़ना इतना आसान न था क्योंकि लाश का सिर गायब था। इसलिए उस लाश की शिनाख्त भी नहीं हो सकती थी। गांव के आसपास ऐसी कोई महिला गायब भी नहीं थी जिसकी हत्या पर शक जाता हो।

तब वहां के एस एस पी साहनी ने एक तरक़ीब सोची, उन्होंने सोचा हो न हो लड़की कहीं बाहर से गांव में लाई गई है। गांव में कोई कुछ बताने को तैयार न था। एसएसपी साहनी ने तय किया कि गांव के जितने भी लड़के गाँव से बाहर नौकरी करते हैं वहां जाकर छानबीन की जाए। वहां के सभी थानों से संपर्क करके पता किया जाए कि क्या वहां किसी लड़की के गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज है ?

एसएसपी साहनी की ये योजना काम कर गयी और पंजाब में लुधियाना से एक 23 वर्षीय युवती के गायब होने की सूचना मिली। लुधियाना के मोतीनगर थाने में इस युवती के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज थी जो कि बी.कॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी। इसके बाद पुलिस ने कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए जो जांच पड़ताल की उससे जो कहानी निकलकर सामने आयी वो इस प्रकार है।

एकता देशवाल संभ्रांत और आधुनिक परिवार की लड़की थी जो बी.कॉम द्वितीय वर्ष की छात्रा थी और वहीं उससे टकराया शाकिब अहमद। शाकिब वहां नौकरी करता था लेकिन उसने अपना काम और पहचान दोनों एकता से छिपाई। उसने एकता को अपना नाम "अमन" बताया।

उसे अपने प्रेम जाल में ऐसा फंसाया कि एकता उसके लिए कुछ भी करने को तैयार हो गयी। अमन ने उससे कहा कि वह घर से गहने लेकर आ जाए और वो लोग वहां से कहीं दूर जाकर नई जिन्दगी शुरु करेंगे।

वह अमन के झांसे में आ गयी और करीब 15 से 25 लाख कीमत के गहने और नकद लेकर वह घर से फरार हो गयी। अमन उसे लेकर सीधा मेरठ के दौराला पहुंचा जो कि एक कस्बा है।

वहां किराये पर एक कमरा लेकर दोनों करीब एक महीने तक रहे। इसके बाद ईद के मुबारक मौके पर अमन उसे लेकर अपने घर आ गया जहां एकता को उसकी असलियत सामने आयी कि वो अमन नहीं बल्कि शाकिब है। अमन का भांडा फूटते ही एकता को बड़ा झटका लगा।

ईद के दिन दोनों में दिनभर झगड़ा होता रहा। शाकिब अब समझ गया कि अब इसे रास्ते से हटाने का समय आ गया है। बिना उसे रास्ते से हटाये 25 लाख के गहने उसके नहीं होंगे और उसका लव जेहाद का मकसद भी पूरा नही होगा ! कही लड़की भाग गई तो भांडा भी फूट जाएगा और 25 लाख का घाटा हो जाएगा। इसलिए शाकिब ने ईद की उसी रात उसके हत्या की योजना बनाई। ईद की रात उसने एकता को कोल्डड्रिंक में नशीली दवा पिलाकर बेहोश कर दिया। इसके बाद उसी बेहोशी की हालत में वह कुछ शांतिदूत समुदाय के दोस्तों और अपने परिवार के लोगों के साथ मिलकर खेत पर ले गया जहां शाकिब ने बेहोशी की हालत में अल्लाह हु अकबर की तकबीर के साथ एकता की गला काटकर हत्या कर दी।

गला काटने के बाद उसके दोनों हाथ भी काट दिये गये क्योंकि एकता ने अपने एक हाथ पर अपना नाम और दूसरे पर अपने प्यार "अमन" का नाम गुदवा रखा था। शाकिब को शक था कि अगर पुलिस को ये सबूत मिल गया तो भांडा फूट सकता है। लेकिन अमन गलत साबित हुआ। सालभर लगा लेकिन उसका भांडा फूटा। सिर कटी लाश के रहस्य से पर्दा उठ चुका है और शाकिब अपने दोस्तों और परिवार के कुछ लोगों सहित पुलिस की गिरफ्त आया बाद में वो पुलिस की पिस्टल लेकर भागा और सिपाही को गोली मार दी बाद में उसका इनकाउंटर हो गया।

इस वीडियो में एकता देशवाल के मां-बाप हैं और वीडियो में जो सामने टेबल कपड़ों में लपेटकर रखा गया है यह वही फावड़ा है जिससे गड्ढा खोदकर एकता की सिरकटी लाश को दफन किया गया था।

खुलासा ये भी है कि एकता की हत्या में शाकिब का भाई मुस्सरत, पिता मुस्तकीम, भाभी रेशमा और इस्मत की पत्नी मुस्सरत भी शामिल थे। सब ने मिलकर उस मासूम लड़की को पहले नंगा किया। फिर उसके दोनों हाथ काटे। सिर काटा और हाथ और सिर को पास के तालाब में फेंक दिया। सिर कटी लाश को जमीन में दफन कर दिया।

इंतहा तो ये है कि इसके बाद भी शाकिब एकता का मोबाइल ऑपरेट करता रहा। उसका फेसबुक एकाउण्ट चलाता रहा। एकता बनकर वह एकता के घरवालों को मैसेज की रिप्लाई भी करता रहा और घरवालों को लगता रहा कि बेटी भागकर जरूर गयी है लेकिन अमन के साथ खुश है। लेकिन 20 मई को जब पहली बार पुलिस का फोन आया तो सच्चाई सामने आयी। अब कर भी क्या सकते हैं? बेटी हाथ से जा चुकी है। सामने है तो कफन में लिपटा वो सीलबंद फावड़ा जिससे उनके बेटी की कब्र खोदी गयी थी।‘’

इस घटना से सबक सीखना चाहिए हर लड़की और उसके मां-बाप को नहीं तो अंजाम क्या होगा देख लीजिए।

आपको बता दें कि रिपब्लिक भारत पर लव जिहाद पर debate में आतिक़ उर रहमान कह रहा है कि तुम हिंदुओं के संस्कार और परवरिश में खोट होता है जो तुम्हारी लड़कियाँ हमारे लड़कों के साथ भाग जाती हैं । हमारी लड़कियाँ क्यों नहीं भागती??? तुम लोग अपनी लड़कियों को नहीं संभाल पाते और बात करते हो #LoveJihad की। तुम्हारे परवरिश में कमी है , हमारे परवरिश में कमी नहीं है ??

शर्म से डूब मर जाना चाहिए हिंदुओं को 2 कौड़ी का आदमी हमारी परवरिश और संस्कार को ललकार रहा है । मां-बाप कब अपने बच्चों को पहले धर्म के संस्कार देंगे? और लव जिहाद का शिकार बनने वाली हमारी हिन्दू लड़कियाँ गोबर खाती हैं क्या ?

इन लोगों के कारण हिंदुओं की पगड़ी  सरेआम रौंद दी जाती है लेकिन इन चंद लड़कियों को शर्म नहीं। हिंदू ही लड़कियाँ क्यों नालीवादी बनती हैं ??

कितने आत्म विश्वास से वह कह रहा है कि हमारी परवरिश में कमी नहीं है , हिंदुओं की परवरिश में कमी है।

इन घटनाओं को देखकर आज ही अपने बच्चों को धर्म के संस्कार देना शुरू करें और भारतीय संस्कृति के अनुसार कपड़े रहन सहन बनाएं जिसके कारण किसी बेटी को नारकीय जीवन जीना न पड़े।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Saturday, October 31, 2020

लव जिहाद को रोकने के लिए भारतवासी एकजुट होकर करेगें विरोध

31अक्टूबर 2020


 लव जिहाद द्वारा हिन्दू युवतियों को छल करके प्रेम जाल में फँसाने की अनेक घटनाएँ सामने आई हैं, बाद में वही लड़कियां बहुत पश्चाताप करती हैं क्योंकि वहाँ उनकी जिंदगी नारकीय हो जाती है, धर्मपरिवर्तन करने का दबाव बनाया जाता है, उसकी अनेक पत्नियां होती हैं, गौमाँस खिलाया जाता है, दर्जनों बच्चे पैदा करते हैं, पिटाई करते हैं, तलाक भी दिया जाता है, यहाँ तक कि लव जिहाद में फंसाकर उनको आतंकवादियों के पास भेजने की भी अनेक घटनाएं सामने आई हैं ।




 लव जिहाद देश की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी है, साल में लाखों हिन्दू लड़कियों का ब्रेनवाश करके लव जिहाद में फंसाया जाता है, कुछ हिन्दू लड़कियों से जबरन शादी कर लेते हैं, इसके पीछे बताया जाता है कि मुस्लिम देशों की भारी फंडिग आती है जिसके जरिये मुस्लिम लड़के अपना असली नाम छुपाकर हिन्दू नाम रख लेते हैं और स्कूल, कॉलेजों के बाहर, हिन्दू इलाकों के आसपास बाइक लेकर घूमते हैं और किसी हिन्दू लड़की से मीठी-मीठी बात करके उसको फंसाकर उससे शादी कर लेते हैं उसके बाद उसको भयंकर प्रताड़ित किया जाता है, यहाँ तक की कई हिन्दू लड़कियों ने लव जिहाद में फंसकर शादी के बाद आत्महत्या तक कर ली है ।

 हरियाणा में निकिता तोमर की हत्या के बाद भारत की जनता में काफी रोष है और अब लव जिहाद को खत्म करने के लिए एकजुट हो रहे है आज ट्वीटर पर टॉप ट्रेंड चल रहा था #1Nov_JantaMarch जिसके जरिये बताया जा रहा था कि 1 नवंबर के दिन शाम 5 बजे पूरे भारत मे अपनी अपनी जगह पर जनता सड़को पर आकर रोष प्रकट करेगी।

 उसमें सबकी एक ही मांग रहेगी आतंकी लव जिहादियों की न अपील न दया याचिका.. अधिकतम एक माह में मृत्यु दंड मिलनी चाहिए।

 ट्वीटर पर कवि ठाकुर ने लिखा कि सरकार और कानून से तुम नहीं बल्कि तुमसे सरकार और कानून बना है। हिन्दू भाइयों अपनी ताकत को पहचानो और आओं इन जिहादियों और इनके सपोर्टरों को कुत्ते की मौत मारना शुरू करे अब किसी बहन बेटी की इज्जत लूटने नहीं देंगे।

 स्वतंत्र भारत हैन्डल से लिखा है कि वह जमाना गया जब लड़की 13/16 की हुई तो माँ बाप को चिंता होती थी अब तो 3/6 साल की भी हो तो अडोस पड़ोस से डर लगता है😦 लव जिहाद अपनी बेटियां को लव जिहाद से बचाने के लिए  #1Nov_JantaMarch से अवश्य जुड़े...। https://t.co/8DnX3z5fFi

 आप भी अपने आसपास लोगो को बताए की भारत से लव जिहाद को खत्म करने के लिए सभी एकजुट हो रहे है हमे भी सुदर्शन न्यूज की मुहिम के साथ 1 नवंबर शाम 5 बजे जुड़कर लव जिहाद का विरोध करना चाहिए जिससे हमारी बहन-बेटियो की रक्षा होगी।

 लव जिहाद होने की नौबत तब आती है जब अपनी बेटियों को धर्म की शिक्षा नहीं दी जाती है और उनको सनातन संस्कृति की महानता नहीं बताई जाती है उस अनुसार उनको कार्य करने को प्रेरित न करने के कारण आज हिन्दू बेटियां लव जिहाद में फंस रही हैं उसके लिए मुख्य जिम्मेदार उनके माता-पिता ही हैं, इसलिए अपने बच्चों को शिक्षा के साथ साथ धर्म के संस्कार जरूर दे।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Thursday, October 22, 2020

राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को लव जिहाद पर कोसने वालें पढ़ लें अभी के 10 मामलें

22 अक्टूबर 2020


वामपंथी कविता कृष्णन ने मंगलवार (अक्टूबर 20, 2020) को राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष और महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोशियारी के बीच हुई बैठक पर अपनी नाराजगी जताई।




राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस बैठक पर ट्वीट किया था, “हमारी अध्यक्ष रेखा शर्मा श्री भगत सिंह कोशियारी से मिली। महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल ने बैठक में महिलाओं की सुरक्षा पर बात की। इसमें कोविड केंद्रों में महिलाओं के साथ हो रही छेड़छाड़, बलात्कार सहित लव जिहाद के मामले सम्मिलित थे।”

अब इस ट्वीट में उल्लेखित किए गए ‘लव जिहाद’ शब्द से सीपीआई (एमएल) सदस्य आहत हो गईं। उन्होंने आयोग अध्यक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि रेखा शर्मा ने राष्ट्रीय महिला आयोग को शर्मसार किया है।

कविता कृष्णन ने पूछा कि लव जिहाद क्या है? क्या अगर कोई मुस्लिम व्यक्ति हिंदू महिला से प्रेम करता है तो वह लव जिहाद है? कविता ने यह भी लिखा कि रेखा शर्मा की हिम्मत कैसे है कुर्सी पर बने रहने की। कृष्णन ने दावा किया कि उन्हें एक भी ऐसे केस नहीं मिले जहाँ मुस्लिम युवकों ने हिंदू बनकर महिला के साथ रिश्ता बनाया हो और उन पर धर्मांतरण का दबाव बनाया हो।

कविता कृष्णन ने लव जिहाद केसों पर कैसे अनभिज्ञता जताई। लव जिहाद के बढ़ते मामलों पर अनजान बनते हुए कविता कृष्णन जैसी वामपंथी महिला ने न केवल इन केसों पर अपनी अनभिज्ञता जताई बल्कि दावा किया कि उनकी रिसर्च में ऐसा कोई केस उनके सामने नहीं आया जहाँ मुस्लिम युवकों ने हिंदू महिला के साथ पहचान छिपा कर धोखा किया हो। उन्होंने अपनी बात रखते हुए रेखा शर्मा को कट्टर तक लिखा।

अब बता दें कि लव जिहाद एक ऐसी स्थिति है जहाँ मुस्लिम व्यक्ति हिंदू महिला को फँसाने के लिए उनसे झूठ बोलता है। वह या तो अपनी पहचान छिपाकर या अपना धर्म छिपाकर गैर मुस्लिम महिला के साथ संबंध बनाता है। कई बार लड़की को जब देर से हकीकत पता चलती है तो या तो उसे प्रताड़ित किया जाता है या फिर उसे मार दिया जाता है। कई बार महिला का जबरन धर्मांतरण करवा कर भी उसे नारकीय यातनाएँ दी जाती हैं।

यह कोई एक तकनीकी या कानूनी शब्दावली नहीं है, बल्कि इस शब्द का प्रयोग उन परिस्थितियों को देखकर किया जाता है जहाँ गैर मुस्लिम महिला पर मजहब परिवर्तन जैसे दबाव बनाए गए हों। कई बार कुछ पीड़िताएँ आपबीती सुनाते समय इस शब्द का प्रयोग नहीं करती, लेकिन उनके साथ हुए अन्याय की पूरी कहानी इस लव जिहाद शब्द को परिभाषित कर देती है।

कई महिलाएँ खुशकिस्मत होती हैं जो लव जिहाद की वीभत्सता का शिकार होने से पहले कट्टरपंथियों के चंगुल से निकल जाती हैं और दुनिया को हकीकत बताती हैं। मगर, कई दर्दनाक किस्से ऐसे भी होते हैं जिन्हें सुनाने के लिए लड़कियाँ जिंदा तक नहीं बच पाती।

आज कविता कृष्णन, जिन्हें लव जिहाद के मामले रिसर्च करने पर भी नहीं मिल रहे, उनके लिए हम कुछ केस लेकर आए हैं ताकि लव जिहाद शब्द का अर्थ उन्हें व उन जैसे लोगों को समझ आ सके।

वसीम अहमद ने दिनेश रावत बन दिया हिंदू लड़की को धोखा-

हाल में, मेरठ में वसीम अहमद नाम के युवक के ख़िलाफ़ एक मामला दर्ज हुआ था। लड़की ने अपनी शिकायत में कहा था कि युवक ने उसे हिंदू बन कर प्रेम के जाल में फँसाया और उसके साथ शारीरिक संबंध स्थापित किए, बाद में उसकी वीडियोज भी वायरल कर दीं। लड़की ने शिकायत में कहा था कि वसीम ने उसे अपनी पहचान दिनेश रावत के रूप में बताई थी।

लड़की के बयान में कहा गया था कि वसीम ने उसे शादी का झाँसा दिया था, मगर बाद में बताया कि उसके दो बच्चे हैं। शिकायत में पीड़िता ने ये भी कहा था कि जब उसने वसीम से इन सबके पीछे वजह पूछी तो उसने कहा, “मैंने तुम्हें धोखा दिया क्योंकि मैं तुम्हें सबक सिखाना चाहता था।”

गोल्डी बन निजामुद्दीन ने विधवा को दिया धोखा-

22 अगस्त 2020 को 25 साल की विधवा ने निजामुद्दीन नामक शख्स के खिलाफ़ शिकायत करवाई। इसमें उसने बताया कि निजामुद्दीन ने उससे अपना मजहब छिपाकर संबंध बनाए और उसे गर्भवती बनाया। उसने अपनी पहचान पहले गोल्डी बताई थी मगर बाद में पता चला वह मुस्लिम है। इस हकीकत के खुलने के बाद वह उसे प्रताड़ित करने लगा। कुछ दिन बाद निजामुद्दीन और उसके घरवालों ने महिला को घर से बाहर कर दिया। हर ओर से आस खत्म होने के बाद महिला थाने पहुँची और धोखेबाजी का मुकदमा दर्ज करवाया।

पहचान छिपाकर खुर्शीद और अंसारी नें हिंदू बहनों को बनाया निशाना-

सितंबर माह में दिल्ली के ओखला से एक लव जिहाद का केस सामने आया। खुर्शीद और अंसारी ने दो हिंदू बहनों को निशाना बनाया। जब लड़कियों को इस संबंध में मालूम चला तो उन्होंने किसी भी प्रकार के रिश्ते को रखने से मना कर दिया, तब इन युवकों ने पार्किंग का बहाना बनाकर लड़की के परिवार पर हमला बोल दिया। इस घटना में लड़की के पिता की टाँग टूट गई थी। उनका इलाज एम्स में चला था।

प्रिया और कशिश को मार कर शमशाद ने दफनाया उन्हीं के घर में-

मेरठ के भूड़भड़ाल से माँ बेटी की हत्या मामला भी पिछले दिनों खूब चर्चा में था। प्रिया और कशिश की हत्या करने वाला शमशाद साल 2013 में प्रिया से अमित गुर्जर बनकर मिला था। बाद में सच्चाई खुलने पर उसने रो रोकर प्रिया को अपने साथ रखे रखा। कुछ दिन बाद पता चला कि उसकी एक बीवी भी है। विवाद बढ़ने पर शमशाद ने प्रिया और कशिश को मौत के घाट उतारकर उनके ही घर में दफना दिया । इस केस में प्रिया की सहेली चंचल की सक्रियता ने शमशाद को जेल की सलाखों के पीछे पहुँचाया था।

कांग्रेस नेता समीर खान पर हिंदू नाबालिग ने लगाए गंभीर आरोप-

साल 2020 के सितंबर में एक नाबालिग लड़की सतना थाने पहुँची और उसने कांग्रेस नेता समीर खान उर्फ सिकंदर पर मामला दर्ज करवाया। लड़की ने कांग्रेस नेता समीर पर यौन शोषण का आरोप लगाया। खान के ख़िलाफ़ शिकायत में लड़की ने कहा कि उसने उसे सिकंदर बन कर मुलाकात की और बाद में उसे फार्म हाउस बुलाया। वहाँ समीर ने उसका रेप किया व उसकी आपत्तिजनक तस्वीरें खींचीं। फिर करीब 3 साल तक उसका शोषण करता रहा। आखिरकार लड़की ने तंग आकर पुलिस को इस संबंध में बताया और मामला दर्ज हुआ।

शौकत अली ने साहिल कुमार बन रचाई शादी, बाद में करने लगा प्रताड़ित-

शौकत अली ने भी नेहा नाम की हिंदू महिला को झूठी पहचान बताकर फँसाया और फिर उसे आर्थिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित करना शुरू किया। सोशल मीडिया पर वायरल अपनी वीडियो में नेहा ने कहा था कि जयपुर में काम करते हुए वह शौकत के संपर्क में आई और उसने उसे अपनी पहचान कश्मीरी हिंदू साहिल कुमार के रूप में बताई। शादी के 6 महीने बाद शौकत अली उस पर धर्मांतरण का दबाव बनाने लगा और उसने अपने परिजनों के साथ मिलकर उसका शोषण भी किया।

शिबू अली बना सचिन, लड़की पर किया चाकू से हमला-

लव जिहाद के अन्य मामले में शिबू अली हिंदू महिला से सचिन कहकर मिला। इस केस में तो लड़की ने अपनी पूरी कहानी सोशल मीडिया पर सुनाई थी। पीड़िता ने कहा था कि जब मुस्लिम युवक की सच्चाई उजागर हुई तो उसे परेशान किया जाने लगा। उससे मारपीट करके उस पर धर्मांतरण के लिए दबाव बनाया गया। इतना ही नहीं , उसे गौमाँस खिलाने के लिए व मौलवी के साथ शारीरिक संबंध बनाने को भी कहा गया। जब महिला शिबू के चंगुल से भाग निकली तब भी शिबू ने उसका पीछा नहीं छोड़ा और अपनी नाफरमानी करता देख महिला पर चाकू से हमला किया।

कानपुर में पहचान छिपाकर हिंदू लड़कियों से दोस्ती करने के मामले-

यूपी के कानपुर में हिंदू नाबालिग के साथ भी लव जिहाद का मामला सामने आया। गोपाल नगर में रहने वाली पीड़ित के परिवार ने बजरंग दल के रामजी तिवारी की मदद से फतेह अली खान उर्फ आर्यन मेहरोत्रा के खिलाफ़ अपनी शिकायत करवाई। उन्होंने बताया कि कैसे कलावा पहनकर, तिलक लगाकर वह हिंदू लड़कियों को फँसाने के लिए मंदिर में जाता था।

एक अन्य मामला कुछ दिन पहले ही कानपुर के बजरिया थाने में सामने आया था। जहाँ लकी खान नाम के एक युवक ने अपना हिंदू नाम बता कर नाबालिग लड़की को अपने प्रेम जाल में फँसाया और उसकी अश्लील तस्वीरें ले कर इस्लाम धर्म कबूलने और निक़ाह करने के लिए युवती को ब्लैकमेल करने लगा। इस केस में भी लड़की के परिजनों ने लकी खान के खिलाफ एफआईआर करवाई और बताया कि लड़की मंदिर के बाहर फूल की दुकान लगाती थी। उससे दोस्ती करने के लिए लकी खान ने अपना नाम सिर्फ लकी ही बताया। जिससे युवती को आभास नहीं हुआ कि युवक संप्रदाय विशेष से है।

अनवर ने अनु बन हिंदू महिला को फँसाया-

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भी पिछले महीने की 4 अगस्त को लव जिहाद का केस देखने को मिला। आउटर दिल्ली के किराड़ी इलाके में अनवर नाम के एक लड़के ने 20 साल की लड़की को अपना नाम अनु बताकर फँसाया और फिर कई महीनों तक उसके साथ बलात्कार करता रहा। सबसे पहले उसने जब युवती के साथ गलत काम किया तब उसने उसे कोल्डड्रिंक में नशीला पदार्थ डाल कर पिलाया था। फिर उसके बेहोश होते ही उसका बलात्कार किया और पूरी घटना को शूट कर लिया। बाद में यह सिलसिला चलता रहा। एक बार उसने लड़की को विश्वास में लेने के लिए उससे मंदिर में शादी भी की। मगर कुछ समय बाद पता चला वह अनु नहीं अनवर है।

वामपंथी मीडिया, और वामपंथी राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष का विरोध तो कर रहे हैं पर सच्चाई कभी छुप नहीं सकती लव जिहाद एक बड़ा षडयंत्र है उसको रोकना चाहिए।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ