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Thursday, January 7, 2021

एनर्जी ड्रिंक का शोध में सामने आयी भयंकर जानकारी.

07 जनवरी 2021


आज कल बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक हर व्यक्ति फास्ट फुड, जंक फुड, कोल्ड ड्रिंक्स, एनर्जी ड्रिंक जैसे आधुनिक आहार के आदी हो चुके हैं। ऐसे लोगों की आंखे खोलनेवाला यह शाेध महत्त्वपूर्ण है ।




आजकल यंग जेनरेशन को एनर्जी ड्रिंक पीना बहुत भाता है, उनका मानना है इसे पीने से बॉडी को इंटेन्‍ट एनर्जी मिलती है और वह पढ़ाई या पार्टी बिना थके कर लेते हैं लेकिन ये बात गलत है क्योंकि एनर्जी ड्रिंक्स का सेवन मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं, रक्तचाप, मोटापा और गुर्दे की क्षति समेत कई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है।

लंदन : अगर आप भी एनर्जी ड्रिंक पीते हैं, तो सावधान हो जाइए ! दरअसल, एक नए शोध से पता चलता है कि एनर्जी ड्रिंक से युवाओं में नकारात्मक दुष्प्रभाव हो सकते हैं । कनाडा के ओंटारियो में वाटरलू विश्वविद्यालय में किए गए शोध में कहा गया है कि ऐसे ड्रिंक्स की बिक्री 16 वर्ष से कम उम्र के युवाओं को करने से प्रतिबंधित किया जाना चाहिए।

 हाल ही में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 12 से 24 वर्ष के 55 प्रतिशत बच्चों को एनर्जी ड्रिंक पीने के बाद स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्या मिली थी। इनमें हार्ट रेट तेज होने के साथ ही दिल के दौरे शामिल थे। शोधकर्ताओं ने 2,000 से अधिक युवाओं से पूछा कि वे रेड बुल या मॉन्सटर जैसे एनर्जी ड्रिंक को कितनी बार पीते हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि अन्य कैफीनयुक्त पेय की तुलना में जिस तरह से एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया जाता है, उसे देखते हुए एनर्जी ड्रिंक अधिक खतरनाक हो सकते हैं। शोध में पाया गया कि जिन लोगों ने एनर्जी ड्रिंक का सेवन किया था उनमें से 24.7 प्रतिशत लोगों ने महसूस किया कि उनके दिल की धडकन तेज हो गई थी ।

वहीं, 24.1 प्रतिशत लोगों ने कहा कि इसे पीने के बाद उन्हें नींद नहीं आ रही थी। इसके अलावा, 18.3 प्रतिशत लोगों ने सिरदर्द, 5.1  प्रतिशत मितली, उल्टी या दस्त और 3.6 प्रतिशत लोगों ने छाती के दर्द का अनुभव किया। हालांकि, शोधकर्ताओं के बीच चिंता का कारण यह था कि इन युवाओं ने एक या दो एनर्जी ड्रिंक ही लिए थे फिर भी उन्हें ऐसे प्रतिकूल प्रभावों का अनुभव हो रहा था ।

अध्ययन के बारे में प्रोफेसर डेविड हैमोंड ने कहा कि फिलहाल ऊर्जा पेय खरीदनेवाले बच्चों पर कोई प्रतिबंध नहीं है। किराने की दुकानों में बिक्री के साथ ही बच्चों को टार्गेट करते हुए इसके विज्ञापन बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा कि शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि इन उत्पादों के स्वास्थ्य प्रभावों की निगरानी बढ़ाने की जरूरत है ! स्त्रोत : नई दुनिया

एक ताजा अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। अध्ययन में यह जानकारी निकलकर सामने आई है कि अक्सर एनर्जी ड्रिंक्स को शराब के साथ लिया जा रहा है। अधिकांश एनर्जी ड्रिंक्स के अवयवों में पानी, चीनी, कैफीन, कुछ विटामिन, खनिज और गैर-पोषक उत्तेजक पदार्थ जैसे गुआरना, टॉरिन तथा जिन्सेंग आदि #शामिल रहते हैं।

एनर्जी ड्रिंक्स में लगभग 100 मिलीग्राम कैफीन प्रति तरल औंस होता है, जो नियमित कॉफी की तुलना में आठ गुना अधिक होता है। कॉफी में 12 मिलीग्राम कैफीन प्रति तरल औंस होता है। एनर्जी ड्रिंक्स में उपरोक्त सभी स्वास्थ्य जोखिम इसमें मौजूद चीनी और कैफीन की उच्च मात्रा के कारण होता है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष पद्म श्री डॉ. के. के. अग्रवाल ने कहा, एनर्जी ड्रिंक्स शरीर के लिए नुकसानदेह हैं। उनमें कैफीन की अधिक मात्रा होने से युवाओं एवं बूढ़े लोगों में हृदय ताल, रक्त प्रवाह और रक्तचाप की समस्याएं हो सकती हैं। इन पेय पदार्थो में तौरीन नामक एक तत्व होता है, जो कैफीन के प्रभाव को बढ़ाता है। इसके अलावा, जो लोग शराब के साथ एनर्जी ड्रिंक्स पीते हैं, वे इसके प्रभाव में अधिक शराब पी जाते हैं। एनर्जी ड्रिंक्स लेने से शराब पीने का पता नहीं लग पाता, जिस कारण से लोग अधिक पीने के लिए प्रेरित होते हैं।

18 वर्ष से कम उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं, कैफीन के प्रति संवेदनशील लोगों, एडीएचडी के लिए निर्धारित दवा जैसे एडर आदि लेने वालों के लिए एनर्जी ड्रिंक्स खास तौर पर अधिक नुकसानदेह होते हैं।

अमेरिका में हुए एनर्जी ड्रिंक से संबंधित एक सर्वेक्षण के अनुसार कैफीन लेने से दौरा पड़ने और सनक की समस्‍या होती है व कई बार तो मौत भी हो जाती है। अगर इसे आप सॉफ्ट ड्रिंक मानते हैं तो ये गलत है। एनर्जी ड्रिंक में मिली कैफीन सीधे दिमाग पर असर करती है, ऐसे में बच्चों का इसे पीने पर पाबंदी होनी चाहिए।

एनर्जी ड्रिंक में 640 मिग्रा कैफीन

विशेषज्ञों के अनुसार, हाई एनर्जी ड्रिंक के एक कैन में अमूमन 13 चम्‍मच चीनी और दो कप कॉफी के बराबर की कैफीन होती है। इस मात्रा से आप खुद अनुमान लगा सकते हैं कि एक बर में इतनी सारी कैलोरी और कैफीन मानव शरीर और दिमाग के लिए खतरा पैदा करने के लिए काफी है। जबकि कई बार तो युवा एक दिन में 3-4 कैन एनर्जी ड्रिंक पी लेते हैं। इसमें लगभग 640 मिग्रा कैफीन की मात्रा होती है, जबकि एक वयस्‍क भी एक दिन में केवल 400 मिग्रा कैफीन ही ऑब्जर्व कर सकता है।

एनर्जी ड्रिंक के दुष्‍प्रभावों को जानना जरूरी है। 

1) कैफीन पर निर्भरता : यह बात सामान्‍य है कि कैफीन की मात्रा, एनर्जी ड्रिंक में मिली हुई होती है। एनर्जी ड्रिंक को पीने से पता नहीं चलता है कि हमारे शरीर में कैफीन की कितनी मात्रा पहुंचती है। एक बार अगर शरीर को कैफीन की लत लग गई तो अन्‍य समस्‍याएं भी खड़ी हो सकती है। इसलिए इसे न पीना ही बेहतर विकल्‍प है।

2) नींद न आना : एनर्जी ड्रिंक को पीने से ज्‍यादा एनर्जी आने के कारण रात में भी नींद न आने की समस्‍या पैदा हो सकती है। शरीर और दिमाग थक जाते है लेकिन नींद नहीं आती है जिसके चलते उलझन होती है। जो लोग प्रतिदिन एनर्जी ड्रिंक का सेवन करते है, उन्हें ऐसी समस्‍या का सामना अक्‍सर झेलना पड़ता है। 

3) मूड पर प्रभाव : अध्‍ययनों से यह बात स्‍पष्‍ट हो चुकी है कि एनर्जी ड्रिंक पीने से व्‍यक्ति के मूड पर प्रभाव पड़ता है और उसका मूड स्‍वींग होता रहता है। इसके सेवन से शरीर में फील गुड कराने वाना सेरोटोनिन घट जाता है जिससे व्‍यक्ति को अवसाद हो जाता है या उसका मूड उखड़ा-उखड़ा रहता है। 

4) शुगर बढ़ना : एनर्जी ड्रिंक में भरपूर मात्रा में शुगर मिली होती है। एक ड्रिंक में लगभग 13 चम्‍मच चीनी होती है जो शरीर में शुगर लेवल को बढा देती है जिससे कई प्रकार की गंभीर समस्‍याएं होने का खतरा रहता है। इसके सेवन से डिहाईड्रेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव, खराब दांत आदि पर भी असर पड़ता है। 

5) अंगो पर तनाव : एनर्जी ड्रिंक के सेवन से शरीर के सभी अंगो पर स्‍ट्रेस पड़ता है क्‍योंकि वह थक जाते हैं और उन्‍हे आराम नहीं मिल पाता है। अगर आप शरीर को स्‍वस्‍थ और खुशहाल बनाना चाहते हैं तो एनर्जी ड्रिंक का सेवन न करें। 

एनर्जी ड्रिंक को हेल्‍दी ड्रिंक का विकल्‍प कभी न बनायें और न ही इसे अपनी आदत बनायें। इसकी जगह ताजे फल और फलों का जूस पीने से अधिक एनर्जी बढ़ती है और शरीर स्वस्थ्य रहता है।

आज कल टीवी अखबारों, चलचित्रों, फिल्मों द्वारा पश्चिमी संस्कृति का महिमामंडन हो रहा है जिसके कारण आज बचपन से ही उनसे प्रभावित हो जाते है और अपने जीवन को निस्तेज कर देते हैं अतः आप ऐसी पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण नही करें । ताजा फलों का रस, देशी गाय का दूध, घी, गौझरन आदि का उपयोग करके स्वस्थ्य सुखी और सम्मानित जीवन जीये ।

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Thursday, November 26, 2020

वामपंथी बोल रहे हैं लव जिहाद नहीं है, जानिए लव जिहाद की भयंकर घटनाएं

26 नवंबर 2020


‘लव जिहाद’ के नाम पर आज कल वामपंथी गिरोह ने एक नया एजेंडा चलाना शुरू किया है। अपने इस एजेंडे के तहत ये लोग इस बात को साबित करना चाहते हैं कि समाज में ऐसी कोई अवधारणा मौजूद ही नहीं है जो लव जिहाद की प्रमाणिकता को सिद्ध करे। ये मात्र सियासी फितूर है जिसे दक्षिणपंथियों ने फैलाया है और अब उनका (सेकुलर) समाज इससे प्रभावित हो रहा है।




इन लोगों का दावा है कि हिंदू इस लव जिहाद को इसलिए इतना गंभीर बता रहे हैं क्योंकि वह अंतर-धार्मिक प्रेम विवाह के विरुद्ध हैं। अब अंतर-धार्मिक प्रेम विवाह की परिभाषा बहुत व्यापक है इसलिए इसे केवल हिंदू-मुस्लिम तक सीमित कर देना कितना गलत है, ये बताने की जरूरत बिल्कुल भी नहीं है।

हम बात करेंगे केवल मीडिया में प्रचलित लव जिहाद शब्द की परिभाषा पर जिसमें वास्तविकता में लव का नामों निशान तक नहीं होता। मौजूद होता है यदि कुछ, तो वो एक पैटर्न होता है, जिसे देखने समझने परखने के बाद ही उसे लव जिहाद का केस कहा जाता है। इस पैटर्न में मुस्लिम युवक पहले अपना नाम छिपाकर हिंदू लड़कियों से प्रेम का ढोंग करते हैं और फिर उन्हें अपने जाल में फँसाकर उनका धर्म परिवर्तन करवाते हैं। बाद में कभी खुद उसका रेप करते हैं तो कभी अपने ही रिश्तेदार से उसका गैंगरेप भी करवाते हैं। जरूरत न होने पर उसे मारने से भी गुरेज नहीं करते।

25 अगस्त को लव जिहाद का एक मामला यूपी के लखीमपुर से सामने आया था। इस केस में मोहम्मद दिलशाद ने एक दलित लड़की को अपने प्रेम जाल में फँसाया और अपने मंसूबे नाकाम होता देख उससे बलात्कार करके बेहरमी से मार डाला। दरअसल, दिलशाद को गुस्सा इस बात का था कि उसने जिस लड़की के साथ प्रेम जाल रचा, उसके घरवालों ने उसकी शादी कहीं और तय कर दी थी। पर दिलशाद चाहता था कि लड़की धर्म परिवर्तन करके उससे निकाह करे।

23 जुलाई को मेरठ के ही परतारपुर में लव जिहाद का वीभत्स चेहरा सामने आया था। प्रिया नाम की महिला को पहले शमशाद ने कुछ साल पहले अमित गुर्जर बनकर फँसाया और फिर हकीकत खुलने पर उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कहने लगा। हालाँकि, प्रिया खुद को और अपनी बेटी को इन चीजों से बचाती रही। मगर, लॉकडाउन का फायदा उठाकर शमशाद ने दोनों को जान से खत्म कर दिया और घर में गड्डा खोद कर दफना दिया। इस केस का खुलासा प्रिया की सहेली चंचल के कारण पूरे 4 महीने बाद हुआ था।

अपने लेख में आगे हम ऐसे वीभत्स मामलों पर चर्चा जरूर करेंगे क्योंकि द प्रिंट में प्रकाशित हुए जैनब सिकंदर के लेख ने हिंदुओं पर आरोप लगाया है कि लव जिहाद के भूत के ईर्द गिर्द अपनी सोच को रखकर दक्षिणपंथी ‘हिंदू राष्ट्र’ के निर्माण की परिकल्पना कर रहे हैं। इस लेख का शीर्षक है, “राम मंदिर नहीं, ‘लव जिहाद’ के खिलाफ कानून है हिंदू राष्ट्र का असली आधार।”

द प्रिंट पर प्रकाशित जैनब सिकंदर के लेख के शीर्षक से स्पष्ट है कि उनकी दिक्कत राम मंदिर से तो है ही लेकिन अब उसका कुछ किया नहीं जा सकता इसलिए हिंदू राष्ट्र के नाम से सेकुलरों को डराने के लिए वह लव जिहाद कानून का उपयोग कर रही हैं। वह इस कानून को हिंदू राष्ट्र का आधार बता रही हैं जबकि हकीकत यह है कि लव जिहाद कानून हिंदू राष्ट्र का आधार नहीं, बल्कि हिंदुओं को बचाने का प्रयास है। यहाँ राजनीति और धर्म आपस में गड्डमड्ड नहीं हो जाएँगे यहाँ कानून बन जाने से न केवल इस्लामी कट्टरपंथ से अन्य धर्मों की रक्षा होगी बल्कि उन लड़कियों की सुरक्षा भी सुनिश्चित होगी, जिनका धर्मपरिवर्तन करवाने के बाद उन्हें मारकर फेंक दिया जाता है या समाज में ठोकरें खाने को मजबूर कर दिया जाता है।

लव जिहाद कोई काल्पनिक राक्षस नहीं है। ये वीभत्स हकीकत है। मेरठ में हुआ प्रिया का केस शायद जैनब ने पढ़ा ही नहीं या निकिता के साथ जो तौसीफ ने किया उससे वो आजतक अंजान हैं। राक्षस हैं ये जिन्हें इंसान बनाने के लिए लव जिहाद कानून के रूप में केवल एक रूपरेखा तैयार हो रही है। मुझे यकीन है कि कानून आने के बाद भी हम इससे जल्दी निजात नहीं पाएँगे। आखिर तीन तलाक के बाद कौन सा इन ‘प्रेमियों’ ने बीवियों को तलाक-तलाक-तलाक कहना छोड़ दिया है।

लेखिका चाहती हैं कि लव जिहाद की सच्चाई को स्वीकृति न मिले, तो क्या उनको चाहिए कि हिंदू लड़कियाँ उस बर्बरता की शिकार होती रहें जिसकी नींव धर्म परिवर्तन के साथ रख दी जाती है। जैनब के लेख में लिखा है;
“मोदी के भारत में एक नई फतह का परचम लहराया जा रहा है, यह हिंदू महिलाओं पर मुस्लिम मर्दों की फतह का परचम है; तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नज़रों से यह कैसे बच सकता है।“

आप खुद के लिए कि महिला पत्रकार के लिए ऐसे विवाह खुद जंग का विषय हैं, जिसमें उन्हें मुस्लिम पुरुषों की फतह चाहिए। अब जिनके मन में वाकई ‘जिहाद’ चलता होगा वो इसके लिए क्या नहीं कर गुजरते होंगे ये कल्पना से परे है।

उक्त वाक्य का मतलब क्या निकाला जाए, इसका निर्णय भी पाठक अपने विवेक पर करें। क्या इसका अर्थ यह नहीं है कि मुस्लिम मर्दों की हकीकत योगी सरकार से नहीं बच पाई या फिर ये निकालें कि अंतरधार्मिक विवाह का अर्थ लेखिका के लिए फतह का विषय तभी तक है जब तक हिंदू लड़की मुस्लिम परिवार को भागकर स्वीकार ले? क्या मुस्लिम महिलाओं का हिंदू युवकों से शादी करना अंतर-धार्मिक विवाह में नहीं आएगा।

तमाम केस हैं जब मुस्लिम महिलाओं ने हिंदू लड़कों से शादी की और बकायदा अपने मजहब के साथ अपनी पहचान बनाए रखते हुए जीवन व्यतीत किया। दूसरी ओर ऐसे सैंकड़ों मामले हैं जब हिंदू लड़की कई सपने लेकर मुस्लिम युवक के साथ जिंदगी शुरू करना चाहा लेकिन शुरुआत हुई कहाँ से? धर्म परिवर्तन से।

राम मंदिर के प्रति कुंठा का अर्थ यह नहीं कि अपनी नफरत की उल्टी कहीं भी कर दी जाए। राम मंदिर धर्म आस्था का विषय है। उसे भी हिंदुओं ने लंबे संघर्ष के बाद न्यायालय के जरिए पाया है। इसलिए सैंकड़ों वर्षों पहले जो हिंदुओं के 40 हजार मंदिर पर आक्रमण करके उन्हें मिटा दिया गया, उसका दुख अब भी इनके ‘राम मंदिर’ के दुख से ज्यादा ही है। एक मंदिर की नींव इनसे देखी नहीं जा रही जाहिर है ‘लव जिहाद’ के ख़िलाफ़ कानून कैसे पच पाएगा।

वामपंथी गिरोह का लव जिहाद को भूत बताने का पैटर्न बिल्कुल एक साथ सामने आया है। उधर रवीश कुमार के प्राइम टाइम की भाषा सुनाई पड़ी और दूसरी वामपंथियों पोर्टल पे प्रकाशित होते ऐसे लेख पढ़ने को मिले…ऐसा लग रहा है मानो एजेंडा का रिबन काटने से पहले एक मीटिंग में बकायादा ऐसे शब्दों के साथ किसी टीचर ने इन्हें बिंदू समझाए हों और फिर सभी लगे हुए हैं एक ही सवाल करने में।

जैनब सिकंदर को दुख यह है कि हरियाणा और मध्यप्रदेश में भाजपा सरकार ने भी यूपी की योगी सरकार की तरह लव जिहाद पर कानून बनाने का निर्णय ले लिया है। उनका कहना है कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के ये तीन राज्य बड़ी बेशर्मी से धार्मिक कानून बनाने की घोषणा कर रहे हैं। हमारा पूछना है कि धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र में निकाह से पहले धर्म परिवर्तन करवाया ही क्यों जा रहा है? पहचान छिपाकर प्रेम का ढोंग हो ही क्यों रहा है?

मेरठ मे 16 सितंबर को कंकरखेड़ा से एक अब्दुल्ला नाम का युवक गिरफ्तार हुआ। उस पर आरोप था कि वह अमन बनकर लड़कियों को फँसाता और फिर उनका अपहरण करके उनके साथ दुष्कर्म करता। उसने हाल में 3 सितंबर को एक युवती का अपहरण किया था। जिसकी बरामदगी 13 दिन बाद हुई। 42 वर्षीय अब्दुल्ला 4 बच्चों का अब्बा था।

बताइए, अब्दुल्ला को क्या जरूरत थी ये सब करने की। ऐसा व्यक्ति मानसिक रूप से पीड़ित बताया जाएगा। इस जैसों के लिए भी सरकार न बनाए कानून तो क्या करे? केरल में यदि पादरी तक लव जिहाद के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्रालय को पत्र लिख रहे हैं तो सोचिए ये दक्षिणपंथियों के फितूर की उपज नहीं है। इसे समाज का हर तबका कोढ़ मान रहा है।

जैनब पूछती हैं कि अगर ऐसा ही होना है तो सऊदी अरब में वहाबिया पुलिस आतंक में क्या फर्क है? आप खुद सोचिए पाठक को बरगलाना ऐसी बातों को करना नहीं कहते तो किसे कहते हैं, क्या सरकार किसी प्रकार के कपड़ों को पहनने में प्रतिबंध लगा रही है? किसी को प्रेम विवाह करने से रोक रही है? नहीं, सरकार का कदम सिर्फ कट्टरपंथ के ख़िलाफ है। आपके मौलिक अधिकार छीनने के लिए कोई राज्य सरकार आतुर नहीं है।

धर्म या मजहब के नाम पर कोई फरमान नहीं सुनाया जा रहा बल्कि मजहब के नाम पर हो रहे अपराध से नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास हो रहा है। आपके ऊपर है कि आप इसे कैसे लेंगी। भाजपा और आरएसएस के प्रति नफरत ने आपकी सोच को गर्त में लाकर छोड़ दिया है।

आप इसे फेमिनिस्टों का मुद्दा बनाने के लिए इसे पितृसत्ता से जोड़ रही है और यह हिंदू महिलाओं की समझ पर सवाल उठाकर उसे अस्मिता का सवाल बना रही हैं कि वो खुद का बुरा भला सोचने में अक्षम हैं।

विचार करिए! ब्रेन वॉश शब्द के मायने क्या होते हैं। कुछ दिन कानपुर के गोविंदनगर इलाके में एक आसिफ शाह नाम के युवक ने पहले एक हिंदू युवती को अपने जाल में फँसाया फिर उसका ब्रेनवॉश करके जबरन उसका धर्म परिवर्तन करवाया। बाद में लड़की खराब और मानसिक रूप से अस्थिर हालत में पाई गई। परिजनों की शिकायत पर इस मामले को धारा 366 के तहत दर्ज किया गया है। कौन लड़की आतंकी बनना चाहती है और यदि किसी लड़के से प्रेम करने के बाद वह आईएसआईएस से जुड़ रही है तो इतने के बाद भी उसमें लड़के की गलती न समझी जाए। हर चीज पर पितृसत्ता का तेल लगाने से आपका एजेंडा तेजी से नहीं फैलेगा।

लड़का कम उम्र का हो तब भी माता-पिता उसका ध्यान उतनी सख्ती से देते हैं जितनी सख्ती से एक लड़की के लिए रोक-टोक करते हैं। हर चीज में पितृसत्ता घुसा देने से इसकी गंभीरता वाकई मरती जा रही हैं। महिलाओं के लिए फेमिनिज्म का मतलब पुरुष विरोधी होना हो गया या अधिकार के नाम पर केवल मनमानियां मनवाना। इसके अलावा ये भी समझने की जरूरत है कि पितृसत्तात्मक समाज के दोषी केवल हिंदू पुरुष नहीं है। इसे परिभाषित करना है तो आप किसी भी धर्म मजहब में इसके अनेको उदाहरण देख सकते हैं लेकिन लव जिहाद की अवधारणा इससे बहुत अलग है। इसलिए इन दोनों को जोड़ना बेवकूफी से ज्यादा कुछ नहीं है।

पिछले दिनों बिहार के बेगूसराय एक हिंदू ब्राह्मण ने अपनी मर्जी ने मुस्लिम युवक आफताब से कोर्ट मैरेज की। लड़की के घर तक ने लड़के को स्वीकार, लेकिन शादी के 16 साल बाद युवक ने अपना असली रंग दिखाना शुरू कर दिया और महिला पर आए दिन हमले करने लगा, उसके परिवार वाले उसे गलत शब्द बोलने लगे।

ये उदाहरण इस बात का सबूत हैं कि बिहार जैसे इलाकों में भी हिंदू धर्म में लड़कियाँ ही नहीं उनके परिवार भी हर धर्म मजहब को लेकर लिबरल हो रहे हैं, लेकिन वहीं दूसरा समुदाय घूम फिराकर पिछड़ी सोच से ऊपर नहीं उठ पा रहा और हास्यास्पद यह है कि जैनब जैसे पढ़े लिखे लोग इसे ‘प्रेम’ का देकर इसपर स्पष्टीकरण दे रहे हैं।

उन मौलवियों की बातें शायद जैनब ने नहीं सुनी जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये कहते हैं कि भारत में हिंदुओं को धर्म परिवर्तन करवाना बेहद आसान काम है या उन बच्चों की वायरल वीडियो सोशल मीडिया पर कभी नहीं देखी कि जो ये बताते हैं कि उन्हें मदरसों में हिंदू लड़कियों के लिए क्या सिखाया जाता है।

जैनब का लेख में कहना है कि साल 2009 में निराधार ही एबीवीपी ने ऐसा झूठ फैलाया कि लव जिहाद के तहत 4000 लड़कियों का धर्मांतरण हुआ लेकिन वह ये नहीं बताती कि इस पर्चे में और क्या लिखा था और इसका संदर्भ क्या था। उनके लिए यही तर्क का आधार है कि वो कानपुर में जिन लव जिहाद के मामलों जाँच हो रही थी उनमें से आधे ऐसे निकल आए हैं जो रजामंदी से हुए। उनका इससे सरोकार नहीं है पिछले दिनों में मुस्लिम युवकों ने पहले पहचान छिपाकर, फिर धर्म बदलवाकर, बाद में निकाह करके कैसे हिंदू महिलाओं के साथ बर्बरता की या फिर उन्हें मौत के घाट उतारा।

लव जिहाद की जगह ऑपइंडिया करेगा ग्रूमिंग जिहाद इस्तेमाल

यहाँ गौरतलब हो कि ऑपइंडिया ने अपने इस लेख में लव जिहाद शब्द का प्रयोग सिर्फ इसलिए किया है क्योंकि द प्रिंट ने इसका इस्तेमाल करके अपना आर्टिकल लिखा। वरना ऑपइंडिया की ओर से स्टैंड लिया गया है कि हम अपनी रिपोर्ट में ‘लव जिहाद’ शब्द के इस्तेमाल से दूरी बनाएँगे। इस प्रकार जिहाद में कोई ‘लव’ नहीं है और अगर इस शब्द को इसके जटिल वाक्य-विन्यास के साथ स्वीकार करते हैं, तो यह जिहाद की गंभीरता को दिखाने में विफल रहता है, जो कट्टरपंथी मुस्लिमों द्वारा विशेष रूप से गैर-मुस्लिम महिलाओं को निशाना बनाता है। हमारा मानना है कि इसके लिए ‘ग्रूमिंग जिहाद’ शब्द कहीं अधिक उपयुक्त है क्योंकि यह उन सभी अपराधों की श्रेणी में आता है, जो महिलाओं को इस जिहाद के केंद्र में रखते हैं। https://twitter.com/OpIndia_in/status/1331432420621516802?s=19

गैर-मुस्लिम महिलाओं को मुस्लिम पुरुषों के हाथों अपनी अधीनता स्वीकार करने के लिए तैयार किया जा रहा है। उनका अपहरण कर लिया जाता है, उनका बलात्कार किया जाता है, लालच दिया जाता है, उन्हें इस्लाम में परिवर्तित कर दिया जाता है, दंडित किया जाता है और उनका ब्रेनवॉश किया जाता है। मानवता के खिलाफ इन अपराधों में कोई ‘प्यार’ नहीं है। इसमें कोई अस्पष्टता नहीं है कि यह जिहाद का ही एक रूप है। अब यह कहने का समय आ गया है कि यह ग्रूमिंग जिहाद है। यह ग्रूमिंग शब्द हमने यूनाइटेड किंगडम की ग्रूमिंग गैंग से जोड़ते हुए लिया है। जो एक मुस्लिम पुरुषों का गिरोह होता है और वह वहाँ लड़कियों व महिलाओं का शिकार करते हैं।

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Thursday, July 2, 2020

पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिंदुओं को किया जा रहा है भयंकर प्रताड़ित...

02 जुलाई 2020

🚩द हिन्दू अमेरिका फाउंडेशन (एचएएफ) ने दक्षिण एशिया में हिंदुओं और प्रवासियों पर अपनी वार्षिक रिपोर्ट (यह रिपोर्ट 2017 की है) में कहा कि, समूचे दक्षिण एशिया और दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे हिन्दू अल्पसंख्यक विभिन्न स्तरों के वैधानिक और संस्थागत भेदभाव, धार्मिक स्वतंत्रता पर पाबंदी, सामाजिक पूर्वाग्रह, हिंसा, सामाजिक उत्पीड़न के साथ ही आर्थिक और सियासी रूप से हाशिये वाली स्थित का सामना करते हैं।

🚩जारी हुई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘हिन्दू महिलाएं खास तौर पर इसकी चपेट में आती हैं और बांग्लादेश तथा पाकिस्तान जैसे देशों में अपहरण और जबरन धर्मांतरण जैसे अपराधों का सामना करती हैं। कुछ देशों में जहां हिन्दू अल्पसंख्यक हैं वहां ज्यादातर लोग भेदभावपूर्ण और अलगाववादी एजेंडा चलाते हैं जिसके पीछे अक्सर सरकारों का मौन या स्पष्ट समर्थन होता है।’’

🚩अपनी रिपोर्ट में एचएएफ ने अफगानिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया और पाकिस्तान को हिन्दू अल्पसंख्यकों के मानवाधिकारों का भीषण उल्लंघनकर्ता माना है। भूटान और श्रीलंका की पहचान गंभीर चिंता वाले देशों के तौर पर की गयी है। रिपोर्ट में भारतीय राज्य जम्मू कश्मीर को भी इसी श्रेणी में रखा गया है।

🚩बांग्लादेश : 10 मंदिरों पर हुआ हमला

🚩बांग्लादेश में हिंदुओं का उत्पीड़न लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले महीने यानी मई 2020 में ही हिंदुओं को प्रताड़ित करने वाली कई घटनाएं सामने आई हैं, जो सोचने पर मजबूर तो करती ही है, साथ ही वहां के अल्पसंख्यक हिंदुओं की दयनीय व्यथा को भी बयां करती है। वर्ल्ड हिन्दू फेडरेशन बांग्लादेश चैप्टर (World Hindu Federation – Bangladesh Chapter) द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार मई 2020 में ही हिंदुओं के 10 मंदिरों को तोड़ दिया गया। मूर्तियों को क्षत-विक्षत कर दिया गया।

🚩प्रेस रिलीज के मुताबिक 3 मई 2020 को दिनाजपुर नगरपालिका क्षेत्र में एक लाख टके का भुगतान न करने पर लोकल क्रिमिनल मामून और उसके गिरोह ने पूर्ण चंद्र रॉय के घर एवं मंदिर पर हमला किया और नष्ट कर दिया।

🚩4 मई 2020 को सुबह के लगभग 3 बजे चटगाँव के लोहगारा में शांति बिहार में 40 हथियारबंद लोगों ने मंदिर पर हमला किया। उपद्रवियों ने मंदिर की खिड़कियाँ, दीवारें और बुद्ध की मूर्ति को तहस नहस कर दिया।

🚩इसके बाद 5 मई 2020 को नेत्रकोना जिले के दुर्गापुर उपजिला के बकलजोरा यूनियन में उपद्रवियों ने कुमुदगंज बाजार काली मंदिर की मूर्ति को खंडित कर दिया।

🚩उपद्रवियों ने 8 मई 2020 को सिराजगंज जिले के बेलकुची चावला में जिधुरी साह पारा मंदिर की मूर्तियों को तहस नहस कर दिया। सिराजगंज जिले डब्ल्यूएचएफ बांग्लादेश चैप्टर के नेताओं ने मंदिर का दौरा किया और दोषियों को तत्काल गिरफ्तार करने की माँग की।

🚩9 मई 2020 को रात में बदमाशों ने नेत्रकोना जिले के कलमाकंद उपजिला के नागदरा गाँव में 100 साल पुरानी काली मंदिर की मूर्ति के साथ बर्बरता की।

🚩10 मई 2020 को सुनामगंज जिले के छतक नगर पालिका के टाटीकोना गाँव में फेसबुक पर टिप्पणी करने को लेकर आतंकवादियों ने हिंदू परिवारों पर हमला किया और उनके घरों एवं मंदिरों को नष्ट कर दिया। इस हमले में कम से कम 10 लोग घायल हो गए। घायल व्यक्तियों की पहचान तापस दास (30), शिप्लू दास (28), पाब्लू दास (32), पिपलू दास (26), सुमन दास (28), रतुल चौधरी (31), शिमला दास (28) और अन्य के रूप में हुई।

🚩11 मई 2020 को उपद्रवियों ने लालमोनिरहाट जिले के चपरहट इमेंद्रघाट में प्रसिद्ध श्री श्री माँ बिदवेश्वरी मंदिर की मूर्ति के साथ तोड़ फोड़ की।

🚩12 मई 2020 को लगभग 1 बजे, अपराधियों के एक समूह ने निलफामारी सदर अपजिला में दक्षिण हरो राधागोबिंद मंदिर का ताला तोड़ने और मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की। हालाँकि, स्थानीय लोगों ने उनका पीछा किया और उनमें से एक को पकड़ लिया और उसे सदर पुलिस स्टेशन को सौंप दिया।

🚩13 मई 2020 को ही उपद्रवियों ने रंगमती जिले के श्री श्री मगादेश्वरी मंदिर में मूर्ति के साथ छेड़छाड़ की और मंदिर के दान पेटी से पैसे चुरा लिए।

🚩13 मई को ही चोरों ने पीछे की दीवार को तोड़कर सुइहारी में क्षत्रिय समिति के पर्थ सारथी मंदिर में प्रवेश किया और मंदिर के आभूषण और अन्य कीमती सामान चुरा लिया।


🚩पाकिस्तान में 102 हिंदुओं का जबरन धर्म परिवर्तन

🚩पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक बार फिर से बड़ी संख्या में हिंदुओं के जबरन धर्मांतरण का मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक सिंध प्रांत के बाडिन जिले के अंतर्गत आने वाले गोलेरची में 102 हिंदुओं को जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया है।

🚩टाइम्स नाऊ के अनुसार, इन 102 हिंदुओं में पुरुष, महिलाएँ और बच्चे भी शामिल हैं। इतना ही नहीं यहां के स्थानीय मंदिर में रखी गई हिंदू देवताओं की सभी मूर्तियों को नष्ट कर दिया गया और उसे मस्जिद में बदल दिया गया।

🚩17 मई को सिंध प्रांत में हिंदुओं ने दावा किया था कि तबलीगी जमात के लोगों ने उन्हें प्रताड़ित किया, उनके घरों में तोड़फोड़ की और इस्लाम कबूल नहीं करने पर एक हिंदू लड़के का अपहरण भी कर लिया।

🚩तबलीगी जमात के अपहरणकर्ता उक्त लड़के को छोड़ने के लिए रुपए-पैसे की माँग नहीं कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर अपहृत लड़के का परिवार इस्लाम अपना लेता है तो उसे छोड़ दिया जाएगा। लेकिन, परिवार इसके लिए तैयार नहीं था।

🚩पाकिस्तान की हिन्दू महिला को जमीन पर गिर कर रोते हुए देखा जा सकता है, जहां वो अपने बेटे की रिहाई के लिए गुहार लगा रही हैं। महिला के आसपास हिन्दू समाज के अन्य लोग खड़े हैं, जो हाथों में पोस्टर लेकर वहां के मुसलमानों द्वारा किए जा रहे अत्याचार के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।

🚩एक अन्य वायरल वीडियो में वही महिला कहती दिख रही है कि वो मृत्यु को अंगीकार करेंगी लेकिन कभी इस्लाम नहीं अपनाएगी। महिलाओं और बच्चों ने हाथ में पोस्टर रखा था, जिसमें लिखा था, “हम मरना पसंद करेंगे लेकिन कभी भी इस्लाम में परिवर्तित नहीं होंगे।”

🚩प्रदर्शनकारियों की ओर से बोलते हुए, एक महिला ने कहा कि उनकी पिटाई की गई, उनकी संपत्तियों को जबरन ले लिया गया और घरों को नष्ट कर दिया गया। उन्होंने कहा कि अगर वे अपने घरों को वापस लेना चाहते हैं तो उन्हें इस्लाम में परिवर्तित होने के लिए कहा जा रहा है। पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों से हिंदुओं और ईसाइयों के उत्पीड़न की खबरें लगभग नियमित रूप से आती रहती हैं।

🚩यह चिंता की बात है कि विदेशों में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन  वहां रह रहे हिंदुओं के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है।

🚩नागरिक संशोधन विधेयक पर कुछ मीडिया, नेता, वामपंथी, सेक्युलर हल्ला मचा रहे है पर इन देशों में हिंदुओं पर इतना अत्याचार हो रहा है इसपर इनकी जुबान खुलती नही है। अब भारत सरकार और संयुक्त राष्ट्र को इसमे हस्तक्षेप करके उनको सुरक्षा प्रदान करना चाहिए।

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