24 अगस्त 2020
हमारे जो ऋषि मुनियों ने लाखों-करोड़ों वर्ष पूर्व खोजा, उसका आज विज्ञान अनुसंधान कर रहा है। हमारे जीवन में मंत्र की महिमा कितनी है, ये ऋषि मुनियों ने हमें पहले से ही बता दिया है।
आपको बता दें कि AIIMS ने अपने अनुसंधान में स्वीकार किया कि गायत्री महामंत्र जपने से बुद्धिमत्ता बढ़ती है। AIIMS (All India Institute of Medical Science) की एक डॉक्टर और IIT (Indian Institute of Technology) के एक वैज्ञानिक ने कई वर्षों के रिसर्च में पाया कि रोज गायत्री महामंत्र जपने से बुद्धिमत्ता का विकास होता है। AIIMS ने MRI (Magnetic Resonance Imaging) द्वारा दिमाग की सक्रियता की जांच करके इस बात की पुष्टि की है कि गायत्री महामंत्र पढ़ने से दिमाग का विस्तार होता है।
AIIMS 1998 से गायत्री महामंत्र पर रिसर्च कर रहा है। इसको जप करने वालों का दिमाग औरों की बजाय शांत और जागरूक भी पाया गया। इसके जप से बुद्धिमत्ता का अनन्त विस्तार किया जा सकता है। AIIMS का ये रिसर्च अभी भी जारी है और रिसर्च पूरा होने के बाद इस पर अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट भी जारी की जाएगी।
गायत्री महामंत्र की रचना त्रेतायुग में ब्रह्मऋषि विश्वामित्र जी ने की थी। यह महामंत्र यजुर्वेद के मंत्र "ॐ भूर्भुवः स्वः" और ऋगवेद के छंद 3.62.10 के मेल से बना है। इस मंत्र में सवित्र देव की उपासना है इसलिए इसे सावित्री भी कहा जाता है।
गायत्री महामंत्र 🏻
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
भावार्थ:- उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें। वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें।
बता दें कि वेदों पर रिसर्च करने वाले बहुत सारे विद्वानों ने गायत्री महामंत्र की ऋग्वेद के सबसे प्रभावशाली मंत्रों में से एक माना है। हमारे देश में सदियों से ये मान्यता है कि विद्यार्थियों को गायत्री महामंत्र का पाठ करना चाहिए क्योंकि इससे दिमाग तेज होता है। इस महामंत्र का हिन्दू धर्म की परंपराओं में भी विशेष स्थान है।
देवी भागवत के अनुसार एक माला गायत्री मंत्र का जाप करने से दिन भर के पाप कटते हैं। तीन माला गायत्री मंत्र जपने से नौ दिन के पाप कटते हैं। साथ ही नौ माला गायत्री मंत्र का जाप करने से नौ महीने पहले तक के पाप कटते हैं। इसके अलावा भागवत के दसवें स्कन्द में भगवान कृष्ण के दिनचर्या का वर्णन मिलता है।
अथर्ववेद में भी गायत्री मंत्र की महिमा का वर्णन किया गया है। इस मंत्र के बारे में एक श्लोक आया है कि ”स्तुता मया वरदा वेदमाता प्रचोदयन्ताम्, पावमानी द्विजानाम्। आयु: प्राण प्रजाम् पशु कीर्तिं द्रविणं ब्रह्मवर्चसम्। मह्यम् दत्वा ब्रजत् ब्रह्मलोकम्।।” यानि जो इस मंत्र का जाप करता है उसका दूसरा जन्म होता है, सबकुछ उसका बदल जाता है। साथ ही उसकी उम्र बढ़ती है। प्राण शक्ति भी उस मनुष्य की बढ़ जाती है। इसके अलावा वह ब्रह्मलोक को प्राप्त करता है। गायत्री मंत्र का जाप करने वाले की यश और कीर्ति बढ़ती है।
हिन्दू धर्म के मंत्रों में बड़ी शक्ति होती है मंत्र जप से मनुष्य स्वस्थ्य, सुखी और सम्मानित जीवन जी सकता है। यहाँ तक कि मनुष्यता से ईश्वर तक कि यात्रा भी कर सकता है, आज वैज्ञानिक इसकी महत्ता समझ रहे हैं भारतवासियों को भी इसकी महत्ता समझकर लाभ उठाना चाहिए।
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