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Sunday, August 9, 2020

न्यायालय समान न्याय क्यों नहीं कर रहा है? पादरी को तुरंत बेल हिंदू संत को जेल ऐसा क्यों ?

 09 अगस्त 2020


🚩भारत मे इस कहावत का सबसे बड़ा मजाक बनाकर रख दिया है "कानून सबके लिए समान है" लेकिन जब न्याय की बात आती है तो न्यायालय द्वारा ही पक्षपात किया जाता है ऐसे अनगिनत उदाहरण हैं पर अभी एक ताजा उदाहरण आपके सामने पेश कर रहे हैं।

🚩जालंधर के ईसाई पादरी बिशप फ्रैंको मलक्कल ने केरल की नन के साथ 2014 से 2016 के बीच कई बार बलात्कार किया ऐसा आरोप लगाया गया। नन ने मलक्कल पर आरोप लगाया था कि मई 2014 में कुरविलांगड़ के एक गेस्ट हाउस में उनसे बलात्कार किया गया और बाद में कई मौकों पर उनका यौन शोषण किया । नन ने कहा कि चर्च के अधिकारियों ने जब पादरी के खिलाफ उनकी शिकायत पर कोई कदम नहीं उठाया तो उन्होंने पुलिस का रुख किया।

🚩जब जनता का प्रेशर हुआ तब मलक्कल को गिरफ्तार भी किया लेकिन 21 दिन में मलक्कल को जमानत मिल गई अभी फिर दुबारा भी जमानत न्यायालय ने दे दी है।

🚩समान कानून की बात करने वाली यही न्यायालय जब एक लड़की षड्यंत्र के तहत 85 वर्षीय हिंदू संत आशाराम बापू 7 साल से 1 दिन भी जमानत नही दी जबकि उनके केस में ट्रायल 5 साल तक चला, ट्रायल के समय भी उनको जमानत नही जबकि बीच मे उनके बहन-भांजे आदि की मौत भी हुई और उनकी धर्मपत्नी और उनकी स्वयं तबियत खराब भी हुई फिर हुई जमानत नही दी गई।

🚩बिशप फ्रेंको मलक्कल और हिंदू संत आशाराम बापू में इतना ही फर्क था कि मलक्कल वेटिकन सिटी के फंड लेकर भारत में धर्मान्तरण करवा रहा था और बापू आशारामजी धर्मान्तरण को रोक रहे थे, उन्होंने ऐसा एक अभियान चलाया था, करोड़ों लोगों को सनातन धर्म की महिमा बताई, लाखों हिंदुओं की घर वापसी करवाई, आदिवासी क्षेत्रों में जाकर उनको घर व जीवनोपयोगी सामग्री दी, पैसे दिए इसके कारण धर्मान्तरण का धंधा कम होने लगा जिसके कारण उनको जेल में जाना पड़ा और न्यायालय ने 1 दिन भी जमानत नही दी, अगर बापू आशारामजी धर्मान्तरण रोकने का गुनाह नही करते तो वे भी आज बाहर होते।

🚩कानून को देखो राहूल गांधी, नेता सोनिय गांधी, अभिनेता सलमान खान, पत्रकार तरुण तेजपाल, टुकड़े टुकड़े गैंग के कन्हैया कुमार, उमर खालिद दिल्ली दंगा भड़काने में मुख्य साजिशकर्ता सफूरा जरगर को तुंरत जमानत हासिल हो जाती है लेकिन धर्मान्तरण पर रोक लगाने वाले दारा सिंह 20 साल से ओडिशा की जेल में बंद हैं। 85 वर्षीय हिंदू संत आशारामजी बापू 7 साल से जेल में बंद है जबकि उनको षडयंत्र तहत फसाने के कई प्रमाण भी हैं फिर भी उनको आज तक जमानत हासिल नही हुई क्या हिंदुस्तान में हिंदू हित की बात करना भी अपराध हो गया है?

🚩आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है लेकिन जब उनके केस पढ़ते है तो उसमें साफ है कि जिस समय आरोप लगाने वाली लड़की ने तथाकथित घटना बताई है उससे तो साफ होता है कि वे उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी उसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक कार्यक्रम में थे वहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे उन्होंने भी गवाही दी है और मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोच तक नही आई है  और एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नही है केवल छेड़छाड़ का आरोप है।

🚩आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फेक्स भी आया था उसमें उन्होंने साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो नही तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।

🚩बता दें कि स्वामी विवेकानंद जी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व हिंदू संत आसाराम बापू ने किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश मे 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन  शुरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोलें, करोड़ो लोगों को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं और जमानत हासिल नही हो रही है अब हिन्दू समाज को जागरूक होकर उनकी रिहाई करवानी चाहिए।

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