Showing posts with label हिंदु साधुओं की हत्या. Show all posts
Showing posts with label हिंदु साधुओं की हत्या. Show all posts

Wednesday, October 14, 2020

केवल साल 2020 में ही 12 साधुओं की बेरहमी से कर दी गई हत्याएं

14 अक्टूबर 2020


पिछले साढ़े छ: सालों में यानी भाजपा के सत्ता संभालने के बाद से ही मुख्यधारा मीडिया में ‘धर्म और जाति’ की खबरें प्रमुखता से दिखाई जाने लगी। केवल हमारे देश में ही नहीं, विदेशों तक में सबको ऐसे केसों के बारे में पता चलने लगा, जहाँ अल्पसंख्यकों पर हमला हुआ। अब चाहें बुद्धिजीवियों के कारण कहें या राजनेताओं की वजह से, दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों तक को मुस्लिमों के ख़िलाफ साजिश बता दिया गया। इसके अलावा जब-जब कोई अल्पसंख्यक या कोई दलित समुदाय के लोगों पर हमला हुआ, तो उसे फौरन आग की तरह फैलाया गया। वहीं किसी सवर्ण पर हमले की घटना पर हर जगह बस मौन पसरा दिखा। नतीजतन सवर्णों पर हुए हमलों की घटनाओं के बारे में विदेशों में तो छोड़िए, भारत तक में भी अधिकांश लोगों ने आवाज नहीं उठाई।




पुराने मामले छोड़ कर यदि सिर्फ़ साल 2020 की बात करें तो इस वर्ष कई साधुओं व संतों पर हमला हुआ। मगर, केवल पालघर जैसे मामलों को ही मीडिया ने प्रमुखता से दिखाया, वो भी बड़े सामंजस्य के साथ। कई हमलों को तो मीडिया ने हजारों अनर्गल खबरों के बीच में ही दबा दिया या यदि उन्हें कवर भी किया तो किसी छोटे से कॉलम के लिए, वो भी बिना किसी फॉलोअप आदि के।

आज हम आपको ऐसे ही कुछ हमलों की जानकारी देने जा रहे हैं जो केवल साल 2020 में ही घटे हैं।

16 जनवरी 2020 को चित्रकूट के बालाजी मंदिर के महंत अर्जुन दास को कुछ उपद्रवियों ने मार डाला। पुलिस ने इस केस में अलोक पांडे, मंगलदास, राजू मिश्रा व दो अन्य लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया। रिपोर्ट्स में इस घटना को जमीनी विवाद का अंजाम बताया गया और साथ ही कहा गया कि आरोपितों ने हमले के तीन दिन पहले घटनास्थल की रेकी की थी। इसके बाद आकर महंत को गोली मारी। गोली लगने से जहाँ महंत की मृत्यु हो गई वहीं उनके साथी घायल हो गए।

16 अप्रैल 2020, जूना अखाड़ा के दो संतों को हिंसक भीड़ ने अपना निशाना बनाया और पालघर में उनकी लिंचिंग कर उन्हें मौत के घाट उतार दिया। मृतकों की पहचान 70 साल के कल्पवृक्ष गिरि महाराज और 35 साल के सुशील गिरी महाराज के रूप में हुई। उनके साथ हिंसक भीड़ ने उनके ड्राइवर को भी मौत के घाट उतारा। मामले के तूल पकड़ने पर उनके ऊपर तरह तरह के इल्जाम लगाए गए। हालाँकि बाद में जब वीडियो आया तब इस हकीकत का खुलासा हुआ कि आखिर कैसे पुलिस की मौजूदगी में हिंसक भीड़ ने बेरहमी से संतों को मारा। इस पूरे मामले की जाँच में यह भी खुलासा हुआ था कि यह हत्या जानबूझकर की गई और इससे कई राजनैतिक कोण भी जुड़े हुए थे। यह भी अंदाजा लगाया गया कि एनसीपी की शह पर ईसाई मिशनरियों ने इस घटना को अंजाम दिलवाया।

28 अप्रैल को बुलंदशहर में दो पुजारियों पर हमला हुआ। उनका शव मंदिर के परिसर में क्षत-विक्षत मिला। पुजारियों की पहचान जगदीश उर्फ रंगी दास और शेर सिंह उर्फ सेवा दास के रूप में हुई। रिपोर्ट्स में बताया गया कि उन्होंने मुरारी नाम के व्यक्ति को चोरी करते पकड़ा था। इसके बाद मुरारी ने गुस्से में उन दोनों को धारदार हथियार से मारा और बाद में कई ग्रामीणों ने उसे तलवार के साथ गाँव के बाहर जाते देखा। पुलिस की छानबीन में आरोपित को गाँव से दो किलोमीटर दूर से पकड़ा गया था।

23 मई को महाराष्ट्र के नांदेड़ में दो साधुओं की हत्या हुई। पीड़ितों की पहचान बाल ब्रह्मचारी शिवाचार्य महाराज गुरु और भगवान शिंदे के रूप में हुई। साधुओं का शव घर के बाथरूम से बरामद हुआ। पुलिस रिपोर्ट ने बताया कि कम से कम दो आरोपित चोरी करने के लिए घर में घुसे और जब साधुओं से उनका आमना-सामना हुआ तो चार्जिंग केबल से उनका गला घोंट दिया। इसके बाद आरोपितों ने 69,000 रुपए लूटे, लैपटॉप चोरी किया और बाकी वस्तुएँ भी नहीं छोड़ीं। कुल मिलाकर साधु के कमरे से 1,50,000 रुपए गायब थे। पुलिस ने इस संबंध में साईनाथ सिंघाड़े को गिरफ्तार किया था।

13 जुलाई को मेरठ के अब्दुल्लापुर में एक शिव मंदिर के केयरटेकर कांति प्रसाद से मारपीट का मामला सामने आया। कांति प्रसाद की गलती बस यह थी कि वह भगवा धारण करते थे और इसी को देखकर एक ग्रामीण अनस कुरैशी उन पर आपत्तिजनक टिप्पणियाँ करता था। 13 जुलाई को जब कांति प्रसाद बिजली का बिल जमा कराकर लौट रहे थे, तब भी अनस ने यही किया और उन्हें बीच सड़क पर मारना शुरू कर दिया। इस बीच किसी तरह कांति प्रसाद उससे बच कर अनस के घर पहुँचे, लेकिन वहाँ भी अनस ने पीछे से आकर उन पर हमला कर दिया। जब कांति प्रसाद के घरवालों को इसकी सूचना मिली तो उन्होंने शिकायत दर्ज करवाई और पिता को अस्पताल में भर्ती करवाया। हालाँकि हालत गंभीर होने के कारण कांति प्रसाद बच न सके और अगले दिन उन्होंने दम तोड़ दिया।

23 जुलाई को यूपी के एक मंदिर में 22 वर्षीय साधु का शव पेड़ से लटका पाया। रिपोर्ट्स में उनकी पहचान बालयोगी सत्येंद्र आनंद सरस्वती बताई गई, जो हिमाचल प्रदेश से सुल्तानपुर आए थे। वह छतौना गाँव के वीर बाबा मंदिर में लंबे समय से रह रहे थे। जब पुलिस को उनकी अप्राकृतिक मृत्यु का मालूम चला तो शव को हिरासत में ले लिया गया। हालाँकि कुछ ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि यह आत्महत्या नहीं, हत्या है।

23 अगस्त को बिहार के लखीसराय में नक्सलियों ने नीरज झा को किडनैप किया और 1 करोड़ की फिरौती माँगी। जब परिवार वालों को पुजारी का शव मिला तो वो इतनी बुरी तरह से क्षत विक्षत था कि परिवार वाले उन्हें पहचान ही नहीं पाए। बाद में उनके भाई पंकज झा ने जनेऊ के कारण उन्हें पहचाना।

11 सिंतबर को मंड्या शहर के बाहरी इलाके में आरकेश्वर मंदिर में 3 पुजारियों की हत्या की गई। पुलिस ने इनकी पहचान गणेश, प्रकाश और आनंद के रूप में की। तीनों का शव पुलिस को खून से लथपथ बरामद हुआ। रिपोर्ट्स से पता चला कि पुजारियों का सिर पत्थर से कुचला गया था। हमलावरों ने वारदात को अंजाम देने के बाद मंदिर में लूटपाट भी की और दानपेटी में बस कुछ सिक्के छोड़े। 15 सितंबर को पाँचों हमलावरों को पकड़ा गया। इनकी पहचान अभिजीत, रघु, विजि, मंजा और गाँधी के रूप में हुई।

24 सितंबर को मध्यप्रदेश के जिला हरदा के तहसील खिड़किया, ग्राम बारंगी में 80 वर्षीय महंत नारायण गिरीजी को बेरहमी से हत्या कर दी गई।

8 अक्टूबर को राजस्थान के करौली जिले के बोकना गाँव में 6 लोगों ने एक मंदिर की जमीन पर अतिक्रमण की कोशिश करते हुए 50 वर्षीय पुजारी बाबूलाल वैष्णव को पेट्रोल डालकर जला के मार डाला । उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल में गंभीर हालात में भर्ती करवाया गया और 9 अक्टूबर को उनकी मौत हो गई।

10 अक्टूबर को राम जानकी मंदिर के तिर्रे मनोरमा गाँव में इटियाथोक थाने में पुजारी को गोली मारी गई। यह वारदात भी जमीन विवाद पर हुई। अभी उनका इलाज लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में चल रहा है। रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि पुजारी सम्राट दास जिस राम जानकी मंदिर के पुजारी थे, उसकी जमीन पर भू माफियों की नजर थी। उन पर इस बाबत पिछले साल भी हमला हुआ था। पुलिस ने अब इस संबंध में एफआईआर रजिस्टर कर ली है और अपनी पड़ताल भी शुरू कर दी है।

आजकल साधु-संतों की हत्या व उनके ऊपर झूठे केस दायर करना, उनको मीडिया द्वारा बदनाम करना, उनके खिलाफ झूठी कहानियां बनाकर फिल्में बनाना ये कार्य जोरो से चल रहा है पर सरकार इस पर ध्यान नही दे रही है, जनता की तीव्र मांग है कि साधु-संतों के हत्यारों को फाँसी का प्रावधान होना चाहिए जिसके कारण आगे कोई भी किसी साधु की हत्या न करें और साधुओं की सुरक्षा के लिए भी व्यवस्था करनी चाहिए, साधु-संतो पर जो झुठे केस दायर किये जा रहे हैं उनके खिलाफ भी कार्यवाही करनी चाहिए ऐसी जनता की मांग हैं।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

Monday, April 20, 2020

साधुओं की हत्या किसने की ? हत्या के पीछे किसका हाथ ?

20 अप्रैल 2020

🚩पालघर (महाराष्ट्र ) में 16 अप्रैल की रात को दो निर्दोष साधुओं और एक ड्राइवर की बेरहमी से पीटकर संतों की हत्या कर दी गई लेकिन आखिर सवाल उठता है कि हत्या के पीछे कौन थे जो अचानक इतने लोग इकट्ठे हो गए और पुलिस के सामने ही बेहरमी से पीटने लगे और पुलिस भी कुछ नही कर सकी और कुछ ही मिनिटों में हत्या हो गई?

🚩अभी सबका सवाल उठता होगा कि ये लोग कौन थे? क्या आदिवासी हिंदू थे? मुस्लिम थे? या फिर ईसाई थे जो साधुओं की हत्या कर रहे थे?

कुछ तथ्य से जाने कौन थे हत्यारे?

🚩ऑपइंडिया ने अखाड़ों के कई संतो से बात की तो उन्होंने अंदेशा जताया कि यह कृत्य सामान्य ग्रामीणों का नहीं है बल्कि इसमें नक्सल और मुस्लिम पक्ष की मौजूदगी का दावा किया जा रहा है। गंगा सेना के संत श्री आनंद गिरी ने तो साफ कहा कि संत समाज के दो संतों को बेरहमी से मारकर कहीं न कहीं तबलीगी जमात का बदला लिया गया है। उनका दावा है कि उन इलाकों में मुस्लिम समुदाय के लोगों की भी उपस्थिति है।

🚩हत्यारी भीड़ के साथ मौजूद थे NCP और CPM के नेता

🚩साधुओं की हत्या करने वाले वीडियो में काशीनाथ चौधरी भीड़ को निर्देशित करता हुआ दिखता है। काशीनाथ चौधरी शरद पवार की NCP का जिला सदस्य है। हत्यारी भीड़ में CPM के पंचायत सदस्य व उसके साथ विष्णु पातरा, सुभाष भावर और धर्मा भावर भी शामिल थे। हत्यारी भीड़ में एनसीपी और सीपीएम नेताओं की मौजूदगी कई सवाल खड़े करती है।

🚩संबित पात्रा ने कहा कि ये घटना और इससे जुड़े खुलासे एक बहुत बड़ी साज़िश की ओर इंगित करते हैं। उन्होंने कहा कि उस जगह पर राजनेताओं की मौजूदगी का क्या अर्थ समझा जाए? वो क्या कर रहे थे? पात्रा ने पूछा कि कहीं वो भीड़ को भड़का तो नहीं रहे थे? उन्होंने ये भी याद दिलाया कि वहाँ उन्हीं पार्टियों के लोग मौजूद हैं, जो भाजपा से घृणा करते हैं, भगवा से घृणा करते हैं।

🚩सुदर्शन न्यूज चेनल के संपादक सुरेश जी ने लिखा कि ज़बरदस्त गति से बढ़ता इसाई धर्मांतरण, ग़ैर क़ानूनी मदरसे और सरकारी ज़मीन पर बढ़ती मस्जिदों का गढ़ बनते आदिवासी पालघर में साधुओं की निर्मम हत्या कोई सामान्य घटना नहीं, मैं इसकी उच्चस्तरीय जाँच की माँग करता हूँ। https://t.co/ALY6vxyYOO

🚩आपको बता दे कि 2008 में कंधमाल में माओवादियों ने स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती सहित तीन और साधुओं की हत्या गोली मार कर दी थी। लक्ष्मणानंद सरस्वती की हत्या इसलिए हुई थी क्योंकि स्वामी जी कंधमाल में निर्दोष आदिवासियों के धर्म परिवर्तन का विरोध कर रहे थे। आज यह हत्या उसी घटना की याद दिलाती है। और कहीं न कहीं इसकी आड़ में भी किसी साजिश या हत्यारों को बचाने की बू आ रही है।

🚩आपको यह भी बता दे कि विश्व हिंदू परिषद द्वारा एक प्रेसनोट जारी करके बताया गया है कि भले 110 लोगो को गिरफ्तार किया गया हो लेकिन उसमे मुख्य आरोपी आज भी फरार हैं।

🚩मीडिया की पोल और सोशल मीडिया पर आक्रोश

🚩संतों की हत्या हुए आज तीसरा दिन है और जिस तरह से मीडिया गिरोह इसकी लीपापोती में लगा है। बल्कि इस पूरे घटना को ही हवा में उड़ा देने के लिए या तो पूरी तरह मौन है या फेक नैरेटिव की आड़ में दोषियों और महाराष्ट्र सरकार पर कोई सवाल नहीं उठा रहा है। आपको याद होगा जब तबरेज़ अंसारी की चोरी करने के कारण मॉब लिंचिंग हुई थी तब मीडिया ने ना सिर्फ तबरेज को निर्दोष साबित किया बल्कि इस हत्या के सारे आरोप हिंदुओं पर मढ़ दिए।

🚩साथ वामपंथी-लिबरल गिरोह पूरी दुनियाँ मे हिंदुओं और देश का नाम खराब करने में पूरी तरह सक्रिय हो गई थी तुरंत ही बिना ये जाने कि मामला क्या है? क्योंकि वहाँ जिसे पीटा गया था वह एक मुस्लिम था। यही इस गिरोह के नैरेटिव के लिए पर्याप्त है वह क्या कर रहा था, चोर था आदि, इसे मीडिया ने ख़ारिज कर दिया था लेकिन अब जब दो निर्दोष साधुओं की हत्या हुई जिसमें कहा जा रहा है कि लूट-पाट का विरोध करना भी एक कारण है तो उल्टा खबरों में यह चलाया गया कि चोरी की शक में हत्या हुई है। और ना जाने क्या क्या आरोप लगाए जा रहे हैं ताकि लोगों को न सिर्फ सच से दूर रखा जाए बल्कि आरोपितों को बचाने में सक्रीय है यहाँ यह गिरोह।

🚩जूना अखाड़े के संतों की हत्या पर मीडिया गिरोह लीपापोती पर उतारू है और उसे बच्चा चोरी जैसे नैरेटिव की आड़ में मॉबलिंचिंग को एक सामान्य घटना बनाकर पेश करते हुए उन हत्यारों का बचाव कर रही है ।

🚩द हिंदू ने भी अपनी रिपोर्ट के शीर्षक में किसी जगह पर साधू शब्द का इस्तेमाल करना उचित नहीं समझा। इन्होंने भी 3 लोगों की लिंचिंग को ही अपनी खबर में प्राथमिकता दी।

🚩इसी प्रकार टाइम्स ऑफ इंडिया की भी खबर इसी एंगल पर चली। इसके बाद हिंदुस्तान टाइम्स ने भी 200 लोगों की भीड़ का उल्लेख कर पूरी घटना की, NDTV का भी वही हाल है, भर्त्सना को जरा सा दर्शाया लेकिन मुख्य बात यानी साधुओं की हत्या की बात उनके शीर्षक से भी नदारद रही।

🚩किन तीन लोगों की हत्या हुई? वे कौन थे? वे बताने के बदले बल्कि उसे और हलका करने के लिए यह लिखा जा रहा है कि आक्रोशित भीड़ ने बच्चा चोर समझ कर तीन लोगों को पीट दिया जिससे बाद में उनकी मृत्यु हो गई। इस नैरेटिव की आड़ में आज घटना घटे तीन दिन होने के बाद भी हर छोटी बात पर बवाल काटने वाली वामपंथी लिबरल गैंग मौन है।

🚩सोशल मीडिया पर संतों के शवों को बेकदरी से डम्पर में डालकर ले जाने पर भी आक्रोश व्यक्त किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर जारी तस्वीरों में देखा जा सकता है कि किस तरह से बिना कफ़न या किसी कपड़े के लावरिसो की तरह यूँ ही उनका शरीर लोड कर पोस्टमॉर्टम के लिए ले जाया गया।


🚩इन सबसे पता चलता है की भारत मे जिस तरह से ईसाई मिशनरियां धर्मान्तरण करवा रही है ओर नक्सलवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और कुछ मीडिया उनके पक्ष लेकर खड़ी रहती है और हिंदू साधु-संतों को जिस तरह से बदनाम कर रही है इससे साफ पता चलता है कि भारतीय संस्कृति को तोड़ने के लिए कार्य को जोरो-शोरो से किया जा रहा है और उसके बचाने के लिए सबसे ज्यादा आगे साधु-संत आते है इसलिए वे सबसे ज्यादा टारगेट पर है क्योंकि वे आदिवासियों को जीवनुपयोगी सामग्री, मकान आदि देते है जिससे मिशनरियां के प्रभाव में वे लोग न आये और धर्मपरिवर्तन न करे दूसरा जिनका धर्मपरिवर्तन हो चुका है उनकी घरवापसी करवाते है इन सभी कारणों से मिशनरियां और इस्लाम स्टेट चिढ़ते है और साधु संतों को झूठे केस में फंसकर मीडिया से बदनाम करवाकर जेल भिजवाते है या हत्या कर देते है और आम जनता को साधुओं के खिलाफ करते है जिससे उनका काम आसानी हो सके और भारत की भोली जनता उनके बहकावे में आ जाये और निर्दोष लोगों की हत्या तक करने को तैयार हो जाये।

🚩अभी भी हिंदुओं के लिए समय है चेत जाए एकजुट होकर राष्ट्रवादी सरकार को वोट दे और बिकाऊ मीडिया का सोशल मीडिया पर पर्दाफाश करे और धर्मान्तरण पर रोक लगाकर साधु-संतों की रक्षा करे।

🚩Official Azaad Bharat Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/azaadbharat





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ