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Friday, April 21, 2017

उच्च न्यायालय आदेश देने के पश्चात भी मस्जिद पर प्रसारित किए जानेवाले अवैध भोंपूओं पर कार्रवाई नहीं !!

क्या मस्जिदों पर दिन में पांच बार बजने वाले भोंपू देश के अधिनियमों से भी श्रेष्ठ हैं ?

मुम्बई के उच्च #न्यायालय ने ध्वनिप्रदूषण करनेवाले अवैध भोंपूओं के विरोध में स्पष्ट आदेश देने के पश्चात भी विश्व में श्रेष्ठ कहलाने वाली मुंबई की #पुलिस यंत्रणा ने किसी भी मस्जिद पर प्रसारित किए जानेवाले अवैध भोंपूओं पर कार्रवाई नहीं की है ।
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इस संदर्भ में सूचना अधिकार के अंतर्गत प्रश्न पूछने के पश्चात कुर्ला, #मुंबई पुलिस अधिकारियों ने 28 जनवरी 2017 को इस अर्जी का लिखित स्वरूप में उत्तर दिया है। उसमें यह प्रस्तुत किया गया है कि, ‘कायदा-सुव्यवस्था का प्रश्न निर्माण होने की संभावना होने के कारण (अवैध भोंपूओं पर)कार्रवाई नहीं की गई है !’ इस का अर्थ यह होता है कि, क्या न्यायालय के आदेश देने के पश्चात भी अवैध #भोंपूओं पर कार्यवाई करने से पुलिस डरती हैं ? 

वर्ष के 365 दिन #ध्वनिप्रदूषण करने वाले मस्जिदों के भोंपूओं की ओर अनदेखा करने वाली यही पुलिस गणेशोत्सव तथा नवरात्रोत्सव में हिन्दुओं के त्यौहारों के समय लाठी के बल पर हिन्दुओं पर त्वरित याचिका प्रविष्ट करती है।

क्या पुलिस को यह बात स्वीकार है कि, मा. उच्च न्यायालय का आदेश तथा भारत के अधिनियम की अपेक्षा #मस्जिदों पर से बजनेवाले अवैध भोंपू अधिक श्रेष्ठ है ? अतः ‘मस्जिदों पर भोंपूओं द्वारा प्रसारित की जाने वाली तथा जनता की नींद उड़ाने वाली ‘अजान’ एक #गुंडागर्दी ही है’ ।


यह सुविख्यात प्रसिध्द #गायक #सोनू_निगम द्वारा व्यक्त की गई भावना वास्तविक ही है । देश के करोड़ो #हिन्दू नागरिकों की सहनशीलता का अंत शासन अधिक समय तक न देखे’, ऐसी प्रतिक्रिया हिन्दू जनजागृति समिति द्वारा प्रसारित किए गए प्रसिद्ध पत्रक में कही गई है।

प्रसिद्ध पत्रक में हिन्दू जनजागृति समिति ने यह आवाहन किया है कि, ‘ #तीन तलाक’ के संदर्भ में इस्लाम की स्थापना से शरीयत में होने के कारण उसमें परिवर्तन करने के लिए विरोध करनेवाले मुल्ला मौलावीं को सरकार यह प्रश्न पूछें कि, यदि #इस्लाम की स्थापना के समय ये भोंपुं अस्तित्व में ही नहीं थे, तो उसका आग्रह क्यों किया जाता है ? #मुल्लाओं के मतानुसार इस्लाम यदि अन्य धर्मों के प्रति संवेदना व्यक्त करनेवाला पंथ है, तो देश के अधिनियम की ओर अनदेखा कर रुग्ण, वृद्ध तथा सर्वसाधारण जनता को कष्ट देनेवाले भोंपुओं द्वारा अजान किस लिए दी जाती है ? इससे पूर्व सत्ता में होने वाले कांग्रेस सरकार ने मस्जिदों पर भोंपुओं द्वारा अजान प्रसारित करने के लिए अनुमती देकर यह समस्या का निर्माण किया है !

अब देश में तथा राज्य मे शासन परिवर्तित हुआ है। अतः नए #भाजपा सरकार ने इस लांगूलचालन पर प्रतिबंध डालना चाहिए। यदि चीन की साम्यवादी सरकार इस संदर्भ में कडी भूमिका अपनाती है, तो भाजपा सरकार ने भी अवैध रूप से की जानेवाली यह गुंडागर्दी को प्रतिबंधित करना चाहिए !’ स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

आपको बता दे कि चीन ने पहले मस्जिदों पर से #लाऊड_स्पीकर हटा दिया गया था बाद में नमाज पढ़ने और रोजा रखने पर प्रतिबंध लगाया।  अब #दाढ़ी रखने और महिलाओँ के नकाब पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह नियम न मानने वालो पर देशद्रोह का केस चलाया जाता है ।


बता दे की मुस्लिम बाहुल देश इसरायल में लाऊड स्पीकर पर बेन लग रही है और यहाँ #न्यायालय के आदेश होने के बाद भी सरकार रोक नही लगा रही है?

हिंदुओं के लिये तुरन्त कार्यवाही करने वाली #सरकार मुसलमानों द्वारा रास्ते में नमाज पढ़ने पर कई इलाकों में ट्रैफिक जाम होने की समस्या से आम जनता की परेशानी को देखते हुए भी उस पर रोक नही लगा रही, बड़ा आश्चर्य है ।


आपको बता दें कि फ्रांस के #पेरिस में #ISI के हमले के बाद फ्रांस में कई मस्जिदों को ताला लगा दिया था और कई मस्जिदों तोड़ दी गई थी ।

 इन मस्जिदों में #धार्मिक विचारों के प्रचार के नाम पर कट्टरवादी(देश विरोधी)#शिक्षा दी जाती है। कई मस्जिदों पर छापे के दौरान जेहादी #दस्तावेज बरामद किए गए है। जेहादी प्रचार सामग्री मिली ।

फ़्रांस ने तो समझ लिया कि देश को तोड़ने के लिये विदेशी फण्ड से चलने वाली मस्जिदों में आतंकवादी बनने की ट्रेंनिग दी जाती है और देश विरोधी बातें सिखाई जाती है । 

 #देश में #हिंदुओं पर #मुस्लिमों के बढ़ते आतंक की हालत देखकर #भारत_सरकार को फ्रांस चीन, इजरायल से सीख लेनी चाहिए और मुस्लिमों की बढ़ती संख्या पर नियंत्रण करना चाहिये ।

आज लव जिहाद के लिए विदेश से पैसा आता है और #ISIS में जो मुस्लिम #युवक- #युवतियाँ भर्ती होने जाते है उस पर रोक लगनी चाहिए । 

देश को बाहरी #आतंकवादियो से इतना खतरा नही जितना इन जिहादियों से है इसलिए सरकार को जाँच करवानी चाहिए कि विदेशी फंड से जितनी भी मस्जिदें चल रही है उसमें जो देश विरोधी बातें सिखाई जाती है ऐसे  मदरसों और मस्जिदों को बंद कर देना चाहिए जिससे देश सुरक्षित रहें और सुख शांति बनी रहें ।

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Thursday, March 23, 2017

गंगा-यमुना को मानव का दर्जा ,प्रदूषित किया तो होगी जेल : उच्च न्यायालय

गंगा-यमुना को मानव का  दर्जा ,प्रदूषित किया तो होगी जेल : उच्च न्यायालय 

भारत का हर बारहवां व्यक्ति गंगा के किनारे रहता है।  20 लाख लोग औसतन प्रति दिन गंगा स्नान करते हैं, #त्योहारों पर यह संख्या करोड़ों हो जाती है । लेकिन उसमे कत्ल खानें का पानी एवं गंदे नाले का पानी और कचरा फैंकने के कारण इतनी गंदगी हो गई है कि सफाई करने के नाम पर सरकार करोड़ो रूपये आवंटित करती है लेकिन भ्रष्ट तंत्र के कारण माँ गंगा में अभी तक सफाई नही हो पाई है ।
Ganga Yamuna

#नैनीताल उच्च #न्यायालय ने #ऐतिहासिक निर्णय लिया है, सोमवार को गंगा और यमुना नदी को सजीव मानव का दर्जा दिया। न्यायालय ने कहा, इन दोनों नदियों को क्षति पहुंचाना किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने जैसा माना जाएगा। ऐसे में आईपीसी के तहत मुकदमा चलेगा और व्यक्ति को जेल भी हो सकती है।

न्यायमूर्ती राजीव शर्मा और #न्यायमूर्ति आलोक सिंह कि खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड कि परिसंपत्तियों के बंटवारे से संबंधित जनहित याचिका पर निर्देश जारी किए है।

गंगा नदी से निकलने वाली नहरों आदि सम्पति का बंटवारा आठ सप्ताह में करने के आदेश भी हाईकोट ने पारित किए हैं। 

गंगा-यमुना को मानव दर्जा देने के अलावा #देहरादून के जिलाधिकारी को 72 घंटे के भीतर शक्ति नहर ढकरानी को अतिक्रमण मुक्त करने के सख्त निर्देश दिए हैं।


हाईकोर्ट में यह मामला 2013 से चल रहा था।
यह याचिका देहरादून निवासी मोहम्मद सलीम ने दायर की थी। #गंगा-यमुना को दिए गए अधिकार का उपयोग तीन सदस्यीय समिति करेगी। यानी यह समिति इन नदियों को क्षति पहुंचाए जाने से संबंधित सभी मुकदमों की पैरवी करेगी। इसमें #उत्तराखंड के मुख्य सचिव, नैनीताल उच्च न्यायालय के महाधिवक्ता और नमामी गंगे प्राधिकरण के महानिदेशक शामिल किए गए हैं।


मोहम्मद सलीम कि ओर से वरिष्ठ वकील एम.सी पंत ने गंगा-यमुना की खराब दशा बताते हुए #न्यूजीलैंड में नजीर नदी  को जीवित प्राणी का दर्जा देने का भी हवाला दिया। उनकी दलील पर न्यायालय ने गंगा-यमुना को भी जीवित प्राणी का दर्जा देने के निर्देश दिए। पंत ने बताया कि न्यायालय के पास किसी को भी वैधानिक व्यक्ति का दर्जा देने का अधिकार है। इसी आधार पर गंगा-यमुना को यह दर्जा दिया गया है।

वरिष्ठ #अधिवक्ता संजय भट्ट ने बताया कि अभी तक गंगा में प्रदूषण को रोकने के लिए वाटर प्रोटेक्शन एंड #कंट्रोल ऑफ पॉल्यूशन एक्ट के तहत कार्रवाई होती थी। इसके अलावा अब गंगा-यमुना पर भी मुकदमा दर्ज किया जा सकेगा।

#इतिहासकार और पहाड़ी संस्कृति और भूगोल के जानकार #शेखर पाठक कहते हैं कि "मज़ेदार बात यह है कि निर्णय दिखाता है कि हमारी कार्यपालिका या ये कहें कि जो हमारी सरकारें और प्रशासन हैं, वे एक तरह से जो चीज़ें सामान्य रूप से कि जा सकती हैं उनमें भी वे कितने गैरज़िम्मेदार हैं । इस पर भी एक तरह से अपना गुस्सा न्यायालय ने अभिव्यक्त किया है ।

#गंगा, भारत की सबसे लंबी नदी है लेकिन दुनिया की सबसे गंदी नदियों में भी एक बताई जाती है ।

#गंगा के #प्रदूषण और गंदगी से निपटने के लिए दशकों से योजनाएं बनाई जा रही हैं । नमामि गंगे नाम से एक विराट सफाई अभियान मौजूदा केंद्र सरकार ने शुरू किया है ।

पिछले ही महीने केंद्र ने 1900 #करोड़ रुपए की परियोजनाओं को हरी झंडी दिखाई है लेकिन मोक्षदायिनी गंगा को अभीतक गंदकी से मुक्ति नही मिल पा रही है ।



माँ गंगा की महिमा

#वैज्ञानिक कहते हैं कि गंगा के पानी में बैक्टीरिया को खाने वाले #बैक्टीरियोफ़ाज वायरस होते हैं ।ये वायरस बैक्टीरिया की तादाद बढ़ते ही सक्रिय होते हैं और बैक्टीरिया को मारने के बाद फिर छिप जाते हैं ।


डॉ. #नौटियाल बताते हैं, “#गंगा के पानी में ऐसा कुछ है जो कि बीमारी पैदा करने वाले जीवाणुओं को मार देता है । उसको नियंत्रित करता है ।”

डाक्टर भार्गव कहते हैं कि गंगा के पानी में वातावरण से #आक्सीजन सोखने की #अद्भुत क्षमता है ।  दूसरी नदियों के मुकाबले गंगा में सड़ने वाली #गंदगी को #हजम करने की क्षमता 15 से 20 गुना ज्यादा है ।

वे कहते हैं कि दूसरी नदी जो गंदगी 15-20 किलोमीटर में साफ़ कर पाती है, उतनी गंदगी गंगा नदी एक #किलोमीटर के बहाव में साफ़ कर देती है ।

वेद , #पुराण , #रामायण, #महाभारत सब #धार्मिक ग्रंथों में गंगा की महिमा का वर्णन है ।http://goo.gl/RHaHL7


अब इतनी भारी महिमा से भरी माँ गंगे की कब पूर्ण होगी सफाई यह एक बढ़ा सवाल है?