*बलात्कर के मामलों में न्यायालय ने माना कि 90 प्रतिशत मामले झूठे होते हैं...*
सितम्बर 25, 2017
नारियों की सुरक्षा हेतु बलात्कार-निरोधक नये कानून बनाये गये । परंतु दहेज विरोधी कानून की तरह इनका भी भयंकर दुरुपयोग हो रहा है । दो दिन पहले प्रतापगढ़ जिला एवं सेशन न्यायाधीश राजेन्द्र सिंह ने बताया कि दलालों द्वारा प्रतिवर्ष काफी संख्या में बालिकाओं तथा महिलाओं द्वारा दुष्कर्म के प्रकरण दर्ज कराए जाते हैंं। जिसमें अनुसंधान के बाद अभियुक्तों के विरूद्ध आरोप पत्र प्रस्तुत किए जाते हैं। न्यायालय में गवाही के दौरान 90 प्रतिशत मामलों में पीडि़ताएं मुकर जाती हैं। जिसमें खेत, सम्पत्ति व रास्ते की रंजिश, पारिवारिक अथवा अन्य कारणों से अथवा अभियुक्त को ब्लेकमेल कर रुपए ऐंठने के लिए झूठी रिपोर्ट दर्ज करवाई गई थी, ऐसी स्थिति बताती है। पीडि़ताएं न्यायालय में स्वयं के द्वारा दी गई रिपोर्ट का भी समर्थन नहीं करती हैं ।
In the case of rape, the court admitted that 90 percent of the cases are false ... |
न्यायालय ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रकरण दर्ज करवाए जाने से बयान करवाए जाने तक सब कुछ पूर्व निर्धारित होकर न्यायिक प्रक्रिया का पूर्णत: दुरूपयोग किया जा रहा है।
वर्तमान में हिन्दू साधु-संतों पर बलात्कार का आरोप लगने में बाढ़ सी आ गई है और मीडिया उनको खूब बदनाम कर रही है लेकिन आपको बता देते हैं कि षडयंत्र के तहत कैसे साधु-संतों पर झूठे आरोप लगाए जाते है।
दस साल से स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम में रहने वाली साध्वी चिदर्पिता ने बी पी गौतम के नाम के व्यक्ति से प्रेम विवाह कर लिया उसके बाद शाहजहापुर की कोतवाली में स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ रेप का आरोप लगाया और इतना गंदे गंदे आरोप लगाये कि यहाँ पर लिखने पर शर्म महसूस हो रही है, मीडिया ने भी स्वामी की खूब बदनामी की, लेकिन आठ महीने साध्वी अपने प्रेमी पति के साथ रही जब उससे झगड़ा हो गया तो फिर से आश्रम में रहने लगी और बोली कि मैंने दबाव में आकर उनके खिलाफ केस किया था ।
गुजरात द्वारका के स्वामी #केशवानंदजी पर कुछ समय पूर्व एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया और न्यायालय ने 12 साल की सजा भी सुना दी लेकिन जब दूसरे जज की बदली हुई तब देखा कि ये मामला झूठा है, स्वामी जी को फंसाने के लिए झूठा मामला दर्ज किया गया है, तब स्वामी को न्यायालय ने 7 साल के बाद निर्दोष बरी किया ।
ऐसे ही दक्षिण भारत के स्वामी #नित्यानन्द जी के ऊपर भी फर्जी सेक्स सीडी बनाकर रेप का आरोप लगाया गया और उनको जेल भेज दिया गया बाद में उनको हाईकोर्ट ने क्लीनचिट देकर बरी कर दिया ।
ऐसे ही हाल ही में #शिवमोगा और बैंगलोर मठ के शंकराचार्य राघवेश्वर भारती स्वामीजी से एक #गायिका ने 3 करोड़ रुपये मांगे, नही देने पर 167 बार बलात्कार करने का आरोप लगाया ।
उनको भी न्यायालय ने झूठा मामला देखकर शंकराचार्य जी को निर्दोष बरी कर दिया ।
सुप्रसिद्ध हस्तियों को अपने जाल में #फँसाकर करोड़ों रूपये एठने का धंधा चल पड़ा है और नहीं देने पर उन पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें #जेल भेजने की कोशिश की जाती है।
इसी प्रकार का मामला सामने है बापू #आसारामजी और उनके बेटे #नारायण साईं का ।
उन पर #अक्टूबर 2013 में प्राथमिकी दर्ज की गई कि उनकेे आश्रम में रहने वाली सूरत गुजरात की 2 महिलायें, जो सगी #बहनें हैं, उनमें से बड़ी बहन ने बापू आसारामजी के ऊपर 2001 में और छोटी बहन ने नारायण साईं जी पर 2003 में #बलात्कार हुआ , ऐसा आरोप लगाया है ।
किसके दबाव में आकर 11/12 साल पुराना केस दर्ज किया गया ?
बड़ी बहन FIR में लिखती है कि 2001 में मेरे साथ बापू आसारामजी ने दुष्कर्म किया लेकिन जरा सोचिए कि अगर किसी लड़की के साथ #दुष्कर्म होता है तो क्या वो अपनी सगी बहन को बाद में #आश्रम में #समर्पित करा सकती है..???
लेकिन बड़ी बहन ने छोटी बहन को 2002 में संत आसारामजी बापू आश्रम में सपर्पित करवाया था। उसके बाद छोटी बहन 2005 और बड़ी बहन 2007 तक आश्रम में रही । दोनों #बहनें 2007 में आश्रम छोड़कर चली जाती हैं 2010 में उनकी शादी हो जाती है और जनवरी 2013 तक वो बापू आसारामजी और नारायण साईं के #कार्य्रकम में आती रहती हैं, सत्संग सुनती हैं, #कीर्तन करती हैं।
लेकिन अचानक क्या होता है कि अक्टूबर 2013 में #बलात्कार का आरोप लगाती हैं और दिसम्बर 2014 में लड़की केस वापिस लेना चाहती है लेकिन सरकार द्वारा विरोध किया जाता है ।
यहाँ तक कि केस 12 साल पुराना होते हुए भी, कोई सबूत न होते हुये भी, बापू आसारामजी की #वृद्धावस्था को देखते हुए भी, 81 वर्ष की उम्र में चलना-फिरना मुश्किल होते हुए भी, जमानत तक नही दी जा रही है ।
लगातार #मीडिया द्वारा बापू आसारामजी की छवि को #धूमिल करने का प्रयास करना, सरकार द्वारा जमानत तक का विरोध करना और #न्यायालय का जमानत देने से इंकार करना इससे साफ साबित होता है कि यह मामला भी उपजाऊ और फर्जी है ।
आज सुप्रसिद्ध हस्तियाँ और संतों को फंसाने में #महिला कानून का #अंधाधुन दुरूपयोग किया जा रहा है
आपको बता दें कि दिल्ली में बीते छह महीनों में 45 फीसदी ऐसे मामले अदालत में आएं जिनमें #महिलाएँ हकीकत में पीड़िता नहीं थी,बल्कि अपनी माँगें पूरी न होने पर बलात्कार का केस दर्ज करा रही थी ।
छह जिला #अदालतों के रिकॉर्ड से ये बात सामने आई है कि बलात्कार के 70 फीसदी मामले अदालतों में साबित ही नहीं हो पाते हैं ।
बलात्कार कानून की आड़ में महिलाएं आम नागरिक से लेकर सुप्रसिद्ध हस्तियों, संत-महापुरुषों को भी #ब्लैकमेल कर झूठे बलात्कार आरोप लगाकर जेल में डलवा रही हैं । कानून का दुरुपयोग करने पर वास्तविकता में जो महिला पीड़ित होती है उसको न्याय भी नही मिला पाता है ।
बलात्कार निरोधक #कानूनों की खामियों को दूर करना होगा। तभी समाज के साथ न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे ।
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