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मौजूदा केंद्र सरकार यानि मोदी सरकार के राजनीतिक एजेंडे में बीफ को बन्द करने का निर्णय है। बीफ को लेकर सख्त है। यूपी में योगी सरकार ने ‘अवैध बूचड़खानों’ पर कार्रवाई की तो प्रदेश में मीट की ही किल्लत हो गई। लेकिन गौ हत्या और #बूचड़खाने के खिलाफ रहने वाली #केंद्र सरकार ने ही पिछले 3 सालों में एक दो करोड़ नहीं, बल्कि #67 करोड़ रुपये से बूचड़खानों की मदद की है।
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65 crore for slaughter houses |
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#RTI के जरिए इस बात की जानकारी मिली है कि मोदी सरकार ने #बूचड़खानों को चलाने के लिए #67 करोड़ रुपये का #अनुदान दिया है। ये जानकारी मिनिस्ट्री ऑफ फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्रीज (खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय) की तरफ से दी गई है।
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RTI में पूछा गया था कि साल #
2014 से #17 तक बूचड़खानों को कितनी सब्सिडी दी गई। हर साल की रकम बताई जाए। पशुओं को काटने के लिए मशीनें खरीदने को किस साल और कितनी रकम दी गई। किस-किस राज्य को दी गई?
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इन सवालों का जवाब देते हुए मंत्रालय ने बताया कि साल
2014-15 में 10 करोड़,
2015-16 में 27 करोड़ और
2016-17 में 30 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई।
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राज्यों को दी गई सब्सिडी में पहले दो साल सबसे ज्यादा रकम आंध्र प्रदेश को दी गई है।
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ऐसे में ये सवाल उठे तो कोई हैरानी नहीं कि जब मोदी सरकार बीफ को लेकर इतनी गंभीर है तो क्यों बूचड़खानों को मदद दी जा रही है? एक तरफ बूचड़खानों को मदद, तो दूसरी तरफ बीफ बैन का शोर।
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आपको बता दें कि पशु कल्याण के लिए सरकार ने
1962 में 28 सदस्यीय एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया (#एडब्ल्यूबीआई) का गठन किया था जिसके लिए वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के जरिये फंड भेजा जाता है।
2011-12 में #एडब्ल्यूबीआई के लिए 21.7 करोड़ रुपये का आबंटन हुआ था,
2015-16 में यह राशि घटकर 7.8 करोड़ हो गई है। देश भर में चार हजार से अधिक #गौशालाओं में साढ़े तीन करोड़ गौवंश हैं। एडब्ल्यूबीआई के #चेयरमैन, डॉ.
आर.एम. खर्ब के मुताबिक, 'एक गाय पर रोज का खर्चा कम से कम सौ रुपये है, मगर #केंद्र_सरकार से जो अनुदान राशि मिल रही है, उससे गौशालाओं में संरक्षित एक गाय के हिस्से साल में सिर्फ दो रुपये आते हैं।' यह है गाय पर #राजनीति करने वाली सरकार का असली चेहरा ।
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#मोदी_सरकार आने के बाद पहला बजट पास किया गया जिसमें कत्लखाने खोलने के लिए 15 करोड़ सब्सिडी प्रदान की गई ।
2014 में 4.8 अरब डॉलर का बीफ एक्सपोर्ट हुआ था ।
2015 में भी #भारत, 2.4 मिलियन टन बीफ #एक्सपोर्ट कर #दुनिया में नंबर वन बन गया।
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देश का दुर्भाग्य है कि #कसाईघरों के आधुनिकीकरण पर हम हजारों करोड़ खा रहे हैं, मगर पशुओं के #संरक्षण के वास्ते #सरकार के खजाने में पैसे नहीं हैं।
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#गाय के नाम पर वोट पाने वाली #सरकार गाय के लिए क्या कर रही है ये उपर्युक्त #आँकड़े से स्पष्ट है । हजारों कसाई लाखों गायों को हर साल काट रहे हैं उन्हें गुंडा नहीं बोला गया । सरकार को एक सर्वे करवाकर यह पता लगाना चाहिए कि कौन सी ‘दुकानें' ऐसी हैं जो गौरक्षा के नाम पर गाय का मांस बेच रही हैं।
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जब सत्ता में बैठे लोग कानून और संविधान की रक्षा नहीं कर पा रहे हैं और ढिलाई बरतते हैं तो गौरक्षक को तो आगे आना ही पड़ेगा ।
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स्वामी अखिलेश्वरानंद ने कहा कि गौरक्षक का नाराज होना जायज है जब गाय की हत्या की जाए,उसे गाड़ियों में मारकर ले जाया जाए। अगर गाय को लेकर सख्त कानून बन जाये तो प्रदेश में इसकी स्मगलिंग को रोका जा सकता है।
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संत विनोवा भावे ने कहा था कि 'अगर हम #हिंदुस्तान में गौरक्षा नहीं कर सके, तो आजादी के कोई मायने ही नहीं होते। जिस तरह मैंने वेदों का चिन्तन किया है, उसी तरह कुरान और बाइबिल का भी किया है। उन दोनों #धर्मों में ऐसी कोई बात नहीं है कि गाय का बलिदान हो। इसलिए मैं कहता हूँ कि हमारे देश मे गौरक्षा अवश्य होनी चाहिए।'
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अतः सरकार जल्द से जल्द गौ माता की रक्षा के लिए #कानून बनायें । जिससे सारे झगडें खत्म हो जाये ।
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