Tuesday, May 9, 2017

बांग्लादेश प्रधानमंत्री का खुलासा : मक्का में हिन्दू मंत्रों के उच्चारण की आती है ध्वनि

बांग्लादेश प्रधानमंत्री का खुलासा : मक्का में हिन्दू मंत्रों के उच्चारण की आती है ध्वनि

'काबा' अरब का प्राचीन #मन्दिर है। जो मक्का शहर में है। विक्रम की प्रथम शताब्दी के आरम्भ में रोमक इतिहास #लेखक 'द्यौद्रस् सलस्' लिखता है - यहाँ इस देश में एक मन्दिर है, जो अरबों का अत्यन्त #पूजनीय है। इस कथन से इस बात को बल मिलता है कि काबा और भगवान शिव का कोई न कोई प्राचीन जुड़ाव जरूर है। पूरा विश्‍व आज काबा के सच को जानने को #उत्सुक है किन्‍तु वर्तमान परिदृश्‍य में काबा में #गैर-इस्‍लामिक या कहे कि गैर मुस्लिम का जाना प्रतिबंधित है इस कारण काबा के अंदर क्या है और इसके पीछे के सच का खुलासा आज तक नहीं हो पाया है।

sacred sound from kaba

दुनियाँ में इस्लामिक #आतंक सबसे ज्यादा है । दुनियाँ का लगभग हर देश इस आतंक से #ग्रस्त है, हर कोई इस्लामिक आतंक से लड़ रहा है। इस इस्लामिक आतंक का बस एक #मक्सद है इस्लाम का प्रचार करना । इस्लाम के आकाओं के अनुसार इस्लाम दुनियाँ में सबसे पुराना है । 

मुसलमान कहते हैं कुरान परमात्मा की वाणी है जो #अनादि काल से चली आ रही है । लेकिन ये बात बिल्कुल आधारहीन है इसका कोई तर्क नहीं है । क्योंकि मुस्लिम धर्म की स्थापना पैगंबर मोहम्मद ने 1400 साल पहले की थी और हमारे ग्रंथो के अनुसार पृथ्वी पर सबसे पहले #हिन्दू धर्म (सनातन धर्म) की छाया के सिद्धांत ही प्रतीत होते है जिसे कई देशों ने भी माना है । 

मुसलमानों के तौर तरीके, रीति-रिवाज आदि हिन्दुओं जैसे ही हैं । हिन्दुओं से ही सीख लेकर इन्होनें अपने हिसाब से इन्हें ढाल लिया है। जिसके सबूत कई जगहों पर मिलते रहे हैं और कई लोगों ने इसकी #पुष्टि भी की है । 

अब बांग्लादेश की #प्रधानमंत्री शेख हसीना ने खुद स्वीकारा है कि, सऊदी अरब के मक्का में मुस्लिमों का जो मजहबी स्थल है, जिसे काबा के नाम से भी जानते हैं उसमें से हिन्दू #मंत्रों की आवाज आती है । शेख हसीना ने बांग्लादेश की एक बड़ी #न्यूज एजेंसी को दिए गए बयान में कहा कि मक्का से अलग अलग मन्त्रों की आवाज आती है जैसे "ॐ" इत्यादि । इस बात की पुष्टि न्यूज एजेंसी ने भी की है । 


मक्का मदीना का सच

मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ मक्का #मक्केश्वर महादेव का मंदिर था। वहाँ काले पत्थर का विशाल #शिवलिंग था जो खंडित अवस्था में अब भी वहाँ है। हज के समय संगे अस्वद (संग अर्थात् पत्थर, अस्वद अर्थात् अश्वेत यानी काला) कहकर मुसलमान उसे ही #पूजते और चूमते हैं। 


इस सम्‍बन्‍ध में #प्रख्‍यात प्रसिद्ध इतिहासकार स्व. पी.एन.ओक ने अपनी पुस्तक ‘वैदिक विश्व राष्ट्र का इतिहास’ में समझाया है कि मक्का और उस इलाके में इस्लाम के आने से पहले #मूर्ति पूजा होती थी। हिंदू देवी-देवताओं के मंदिर थे, गहन #रिसर्च के बाद उन्होंने यह भी दावा किया कि काबा में भगवान शिव का #ज्योतिर्लिंग है। पैगंबर मोहम्मद ने हमला कर मक्का की मूर्तियां #तोड़ी थी। यूनान और भारत में बहुतायत में मूर्ति पूजा की जाती रही है, पूर्व में इन दोनों ही देशों की #सभ्यताओं का दूरस्थ इलाकों पर प्रभाव था। ऐसे में दोनों ही इलाकों के कुछ विद्वान काबा में #मूर्ति पूजा होने का तर्क देते हैं। हज करने वाले लोग काबा के पूर्वी कोने पर जड़े हुए एक काले पत्थर के दर्शन को पवित्र मानते हैं जो कि हिन्‍दूओं का #पवित्र शिवलिंग है। वास्‍तव में इस्लाम से पहले मिडल-ईस्ट में #पीगन जनजाति रहती थी और वह हिंदू रीति-रिवाज को ही मानती थी।


एक प्रसिद्ध मान्‍यता के अनुसार काबा में “पवित्र गंगा” है। जिसका निर्माण #महापंडित रावण ने किया था, रावण शिव भक्त था वह शिव के साथ गंगा और चन्द्रमा के ‍महत्व को समझता था और यह जानता था कि क‍भी #शिव को गंगा से अलग नहीं किया जा सकता। जहाँ भी शिव होंगे, पवित्र गंगा की अवधारणा निश्चित ही मौजूद होती है। काबा के पास भी एक पवित्र #झरना पाया जाता है, इसका पानी भी पवित्र माना जाता है। इस्लामिक काल से पहले भी इसे पवित्र (आबे जम-जम) ही माना जाता था। रावण की तपस्‍या से प्रसन्‍न होकर भगवान शिव ने रावण को एक #शिवलिंग प्रदान किया जिसे लंका में स्‍थापित करने को कहा और बाद में  जब रावण आकाश मार्ग से लंका की ओर जाता है पर रास्ते में कुछ ऐसे हालात बनते हैं कि रावण को शिवलिंग #धरती पर ही रखना पड़ता है। वह दोबारा शिवलिंग को उठाने की कोशिश करता है पर खूब प्रयत्न करने पर भी लिंग उस स्थान से हिलता नहीं। #वेंकटेश पण्डित के अनुसार यह स्थान वर्तमान में सऊदी अरब के मक्का नामक स्थान पर स्थित है। सऊदी अरब के पास ही यमन नामक राज्य भी है जहाँ #श्री कृष्ण ने कालयवन नामक राक्षस का विनाश किया था। जिसका जिक्र #श्रीमद्भगवत पुराण में भी आता है।

पहले राजा भोज ने मक्का में जाकर वहां स्थित #प्रसिद्ध शिवलिंग मक्केश्वर महादेव का पूजन किया था, इसका वर्णन भविष्य-पुराण में निम्न प्रकार है :-

"नृपश्चैवमहादेवं मरुस्थल निवासिनं !

गंगाजलैश्च संस्नाप्य पंचगव्य समन्विते :

चंद्नादीभीराम्भ्यचर्य तुष्टाव मनसा हरम !

इतिश्रुत्वा स्वयं देव: शब्दमाह नृपाय तं!

गन्तव्यम भोज राजेन महाकालेश्वर स्थले !! "


इस्लाम नींव इस आधार पर रखी गई कि दूसरों के धर्म का #अनादर करों और उनको #नेस्‍तानाबूत और पवित्र स्थलों को खंडित कर वहाँ मस्जिद और मकबरे का निर्माण किया  जाए। इस काम में बाधा डालने वाले जो लोग भी सामने आये उन लोगों को #मौत के घाट उतार दिया जाये। भले ही वे लोग मुस्लिमों को परेशान न करते हो। 

1400 साल पहले मुहम्‍मद साहब और #मुसलमानों के हमले से मक्‍का और मदीना के आस पास का पूरा इतिहास बदल दिया गया। इस्लाम एक #तलवार पे बना धर्म था है और रहेगा। पी.एन.ओक ने सिद्ध कर दिया है मक्केश्वर शिवलिंग ही हजे अस्वद है। मुसलमानों के सबसे बड़े तीर्थ मक्का #मक्केश्वर महादेव का मंदिर था। वहां काले पत्थर का विशाल शिवलिंग था जो #खंडित अवस्था में अब भी वहां है। हज के समय संगे अस्वद (संग अर्थात पत्थर, अस्वद अर्थात अश्वेत यानी काला) कहकर मुसलमान उसे ही #पूजते और चूमते हैं। 

द्वारिका शारदा पीठाधीश्वर शंकराचार्य जी का मानना है कि #मक्का में मक्केश्वर महादेव #मंदिर है। मुहम्मद साहब भी शैव थे, इसलिए वे मक्केश्वर महादेव को मानते थे। एक बार वहां लोगों ने बुद्ध की मूर्ति लगा दी थी, वह इसके बहुत विरोधी थे। अरब में मुहम्मद पैगम्बर से पूर्व #शिवलिंग को 'लात' कहा जाता था। मक्का के कावा में जिस काले पत्थर की उपासना की जाती रही है, भविष्य पुराण में उसका उल्लेख #मक्केश्वर के रूप में हुआ है। इस्लाम के प्रसार से पहले #इजराइल और अन्य #यहूदियों द्वारा इसकी पूजा किए जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं। 

इराक और सीरिया में #सुबी नाम से एक जाति थी यही #साबिईन है। इन साबिईन को अरब के लोग #बहुदेववादी मानते थे। कहते हैं कि साबिईन अर्थात नूह की कौम। माना जाता है कि भारतीय मूल के लोग बहुत बड़ी संख्या में यमन में आबाद थे, जहां आज भी श्याम और हिन्द नामक किले #मौजूद हैं। विद्वानों के अनुसार सऊदी अरब के मक्का में जो काबा है, वहां कभी प्राचीनकाल में 'मुक्तेश्वर' नामक एक शिवलिंग था जिसे बाद में 'मक्केश्‍वर' कहा जाने लगा।


अरब के मक्का नामक स्थान पर स्थित है 'मक्केश्वर लिंग' (मक्केश्वर महादेव)

मक्का के गेट पर साफ-साफ लिखा था कि #काफिरों का अंदर जाना गैर-कानूनी है। कहा जा रहा है अब इस बोर्ड को उतार दिया गया है और लिख दिया है #नॉन-मुस्लिम्स का अंदर जाना मना है। इसका मतलब है कि ईसाई, जैनी या बौद्ध धर्म को भी #मानने वाले इसके अंदर नहीं जा सकते हैं।

मक्का मदीना के शिवलिंग का रहस्य क्‍या है ? इसे इस्‍लाम पंथियों द्वारा सदा से छिपाया जा रहा है। 

मुसलमानों के पैगम्‍बर मुहम्‍मद ने मदीना से मक्का के शांतिप्रिय #मूर्तिपूजकों पर हमला किया और जबरदस्‍त नरसंहार किया। मक्‍का का मदीना का अपना अलग अस्तित्व था किन्‍तु मुहम्‍मद साहब के हमले के बाद मक्‍का मदीना को एक साथ जोड़कर देखा जाने लगा। जबकि मक्‍का के लोग जो कि शिव के उपासक माने जाते हैं। मुहम्‍मद की टोली ने मक्‍का में स्‍थापित कर वहां पर स्थापित की हुई 360 में से 359 मूर्तियाँ #नष्ट कर दी और सिर्फ काला पत्थर #सुरक्षित रखा जिसको आज भी मुस्‍लिमों द्वारा पूजा जाता है। 

उसके अलावा अल-उज्जा, अल-लात और मनात नाम की #तीन देवियों के मंदिरों को नष्ट करने का आदेश भी मुहम्मद ने दिया और आज उन मंदिरों का नामों निशान नही है (हिशम इब्न अल-कलबी, 25-26)। इतिहास में यह किसी हिन्दू मंदिर पर सबसे पहला इस्लामिक आतंकवादी हमला था। उस काले पत्थर की तरफ आज भी मुस्लिम #श्रद्धालु अपना शीश झुकाते हैं । किसी #हिंदू पूजा के दौरान बिना सिला हुआ वस्त्र या धोती पहनते हैं, उसी तरह हज के दौरान भी बिना सिला हुआ सफेद सूती कपड़ा ही पहना जाता है।

जिस प्रकार हिंदुओं की मान्यता होती है कि गंगा का पानी #शुद्ध होता है ठीक उसी प्रकार मुस्लिम भी #आबे जम-जम के पानी को पाक मानते हैं। जिस तरह हिंदू #गंगा स्नान के बाद इसके पानी को भरकर अपने घर लाते हैं ठीक उसी प्रकार मुस्लिम भी मक्का के #आबे जम-जम का पानी भर कर अपने घर ले जाते हैं। ये भी एक समानता है कि गंगा को मुस्लिम भी पाक मानते हैं और इसकी अराधना किसी न किसी रूप में जरूर करते हैं।

तो पाठक समझ गए होंगे कि #हिन्दू धर्म ही सनातन धर्म है जो सृष्टि की उत्पत्ति करने के समय से है और बाद में अनेक धर्म, महजब, पंथ बने है अतः हिंदुओं को अपने #सनातन धर्म पर #गर्व करना चाहिए और उसके खिलाफ जो भी #षड्यंत्र हो रहे है उसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।

जय हिन्द!!

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Monday, May 8, 2017

रेप का झूठा आरोप लगाना पड़ा महँगा, युवती को 7 साल की सजा और लगाया जुर्माना

रेप का झूठा आरोप लगाना पड़ा महँगा, युवती को 7 साल की सजा और लगाया जुर्माना

8 मई 2017

‘बलात्कार शब्द सुनते ही न चाह कर भी बरबस इस ओर #ध्यान खिच जाता है । वैसे तो वर्तमान समाज में बहुत सारी समस्याएँ फैली हुई हैं लेकिन #दामिनी कांड के बाद देश में बलात्कार की शिकायतों (कम्प्लेंट्स) में हुई वृद्धि #चौंकाने वाली है । यह सोचने का विषय है कि #बलात्कार की शिकायतों में अचानक इतना इजाफा क्यों हो गया है ? क्या नये कानून बनने के बाद #नारियों में जागरूकता आयी है या इसका कारण कुछ और है ? इसका गलत फायदा उठाकर कहीं निर्दोषों को #फंसाया तो नहीं जा रहा है ? 
New Trend Of Fake Rape Cases

ऐसा ही एक रोहतक का मामला सामने आया है..

दुष्कर्म का #झूठा केस दर्ज करवाना एक युवती को महंगा पड़ गया। अदालत ने युवती को ही #दोषी करार देते हुए सात साल की सजा व 10 हजार रुपये का #जुर्माना भी लगाया। वहीं मामले में अदालत ने दुष्कर्म के आरोपियों को बेगुनाह बताकर #बरी कर दिया।

जानकारी के अनुसार इंदिरा कॉलोनी (रोहतक -हरियाणा) निवासी एक युवती ने जून 2015 में कॉलोनी के ही #संजय के खिलाफ दुष्कर्म का केस दर्ज कराया था। संजय के परिवार के आठ सदस्यों पर साजिश रचने के #आरोप में नामजद किया गया था। अदालत में आरोपी पक्ष की तरफ से दुष्कर्म के मामले में ऐसे #सबूत पेश किए गए जिसमें युवती झूठी साबित हो गई। 

अदालत ने सबूतों के आधार पर #दुष्कर्म के सभी आरोपियों को वर्ष 2015 में बरी कर दिया। इसी दिन संजय ने अदालत में युवती के खिलाफ #मानहानि का केस चलाने की अपील की। अदालत ने इसे मंजूर करते हुए मानहानि का #केस चला दिया। 

इस मामले की बृहस्पतिवार को सुनवाई हुई, जिसमें युवती को #दोषी ठहराया गया। अतिरिक्त जिला एवं सत्र #न्यायाधीश मीनाक्षी वाईके बहल ने युवती को सात साल की #सजा सुनाई। दोषी को 10 हजार रुपये जुर्माना भी भरना होगा, अन्यथा छह माह की अतिरिक्त #सजा काटनी होगी।

फैशन बन गया है बलात्कार का आरोप लगाना 

रेप सम्बन्धी नये कानूनों के परिणाम, मीडिया की भूमिका, राजनैतिकों द्वारा  इसके इस्तेमाल आदि विभिन्न विषयों पर #वास्तविकता को जनता के समक्ष रखते हुए #शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना के सम्पादकीय में लिखा गया है : (बालिग, नाबालिग द्वारा ) छेडखानी और बलात्कार का आरोप लगाकर सनसनी पैदा करना अब फैशन हो गया है क्या ? 

ऐसा सवाल लोगों के #मन में उठने लगा है । ‘छेडखानी, ‘बलात्कार जैसे आरोप लगाकर #सनसनी फैलाने के मामले बढ़ने लगे हैं । ऐसे मामलों में सच बाहर आने के पूर्व ही उस संदेहास्पद अभियुक्त की ‘मीडिया ट्रायल के नाम पर जो भरपूर बदनामी चलती है, वह बहुत ही #घिनौनी है । 

टीवी #चैनलों के लोग ‘वारदात, ‘सनसनी जैसे आपराधिक #कार्यक्रमों में बलात्कार का ‘आँखों देखा हाल दिखाकर ऐसा #दर्शाते हैं कि उन्होंने जैसे अपनी खुली आँखों से बलात्कार देखा हो । संदेहास्पद बलात्कार के मामलों को छौंक-बघारकर पाठक तथा दर्शकों तक #परोसा जाता है । 

चरित्रहनन तथा बदनामी, राजनीति में एक बहुत बडा #हथियार बन गया है । कानून #महिलाओं के साथ है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि ऐसे कानून का कोई गलत इस्तेमाल कर किसी को भी #तख्त पर चढ़ाये । बलात्कार बहुत ही #घिनौंना और गम्भीर मामला है । कोई भी महिला यह कलंक क्षणभर भी #बर्दाश्त नहीं कर सकती । लेकिन इन दिनों बलात्कार का आरोप तथा शिकायत (तथाकथित) घटना घटित होने के छः-छः महीने और दो-दो, बारह-बारह साल के बाद दाखिल की जाती है । (संत आशारामजी बापू व उनके बेटे #नारायण साँईजी पर तो दो महिलाओं को मोहरा बनाकर 12 व 11 साल पहले #बलात्कार हुआ ऐसी कल्पित, झूठी कहानी बना के मामला #दर्ज करवाया गया है । 

कुछ समय पहले मुंबई #पुलिस दल के एक बहादुर अधिकारी #अरुण बोरुडे पर भी ऐसा ही आरोप लगाया गया और उन्होंने #आत्महत्या कर ली । जाँच के बाद बोरुडे #निर्दोष साबित हुए । बलात्कार का आरोप यह बडों के खिलाफ विरोध का एक #हथियार बन गया है । छेडखानी, बलात्कार यह अमानवीय है लेकिन इस तरह के गलत आरोप लगाकर स्त्रीत्व का #बेजा इस्तेमाल करना भी समस्त महिला समुदाय को कलंकित कर रहा है ।


इसका समाधान कौन करेगा ? 

दिल्ली, फास्ट ट्रैक कोर्ट के #न्यायाधीश श्रीमती निवेदिता शर्मा ने भी कहा कि ‘‘इन दिनों बलात्कार या यौन-शोषण के झूठे #मुकद्दमे दर्ज कराने का ट्रेंड बढ़ता जा रहा है, जो चिंताजनक है । इस तरह के चलन को #रोकना बेहद जरूरी है ।

आम नागरिक से लेकर #प्रसिद्ध हस्तियों तक सभी के लिए असुरक्षिता का माहौल क्यों पैदा हो रहा है ? महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी अपने को #असुरक्षित महसूस क्यों कर रहे हैं ? संयुक्त परिवार क्यों टूट रहे हैं ? इसे जानने के लिए विभिन्न न्यायाधीशों, न्यायविदों, अधिवक्ताओं, #सामाजिक संगठनों के प्रमुखों एवं अन्य मान्यवरों ने प्रत्यक्ष अनुभव किया है । 

यह किसी #व्यक्ति-विशेष की नहीं बल्कि एक #सामाजिक समस्या है । इससे समाज के सभी वर्ग #प्रभावित हो रहे हैं । इस समस्या के समाधान के लिए सबको #प्रयास करना होगा । नहीं तो हो सकता है कि कल आप भी इसके #चंगुल में आ जायें । 

अतः सावधान !

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Sunday, May 7, 2017

लंदन व न्यूजीलैंड के शिक्षकों ने स्वीकारा, संस्कृत पढ़ने से बच्चे बनते हैं महान

लंदन व न्यूजीलैंड के शिक्षकों ने स्वीकारा, संस्कृत पढ़ने से बच्चे बनते हैं महान
7 मई 2017
sanskrit

‘देववाणी संस्कृत’ की महानता !

आज अपनी #मातृभूमि पर उपेक्षा का दंश झेल रही ‘संस्कृत’ विश्व में एक #सम्माननीय भाषा और सीखने के महत्वपूर्ण पड़ाव का दर्जा प्राप्त कर रही है। जहां भारत के सार्वजनिक #पाठशालाओं में फ्रेंच, जर्मन और अन्य विदेशी भाषा सीखने पर जोर दिया जा रहा है वहीं विश्व की बहुत सी पाठशालाएं, ‘संस्कृत’ को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रहे हैं !

ऑकलैंड (न्यूजीलैंड) : प्राचीन काल से ही संस्कृत भाषा भारत की सभ्यता और #संस्कृति का सबसे मुख्य भाग रही है। फिर भी आज हमारे देश में संस्कृत को पाठशाली शिक्षा में अनिवार्य करने की बात कहने पर इसका विरोध शुरू हो जाता है। हम भारतवासियों ने अपने देश की #गौरवमयी संस्कृत भाषा को महत्व नही दिया। आज हमारे देश के विद्यालयों में संस्कृत बहुत कम पढ़ाई और सिखाई जाती है। किंतु आज अपनी #मातृभूमि पर उपेक्षा का दंश झेल रही संस्कृत विश्व में एक सम्माननीय भाषा और सीखने के महत्वपूर्ण पड़ाव का दर्जा हासिल कर रही है। जहाँ भारत के तमाम पब्लिक पाठशालों में फ्रेंच, जर्मन और अन्य विदेशी भाषा सीखने पर जोर दिया जा रहा है वहीं #विश्व की बहुत सी पाठशालाएं संस्कृत को पाठ्यक्रम का हिस्सा बना रहे हैं।

न्यूजीलैंड की एक पाठशाला में संसार की विशेषतः भारत की इस महान भाषा को सम्मान मिल रहा है। #न्यूजीलैंड के इस पाठशाला में बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए संस्कृत पढाई जा रही है। फिकिनो नामक इस पाठशाला का कहना है कि, संस्कृत से बच्चों में सीखने की क्षमता बहुत बढ जाती है। न्यूजीलैंड के शहर #अॉकलैंड के माउंट इडेन क्षेत्र में स्थित इस पाठशाला में लड़के और लड़कियां दोनों को शिक्षा दी जाती है। 16 वर्ष तक की आयु तक यहाँ बच्चों को शिक्षा दी जाती है ।
इस पाठशाला का कहना है कि, इसकी पढ़ाई मानव मूल्यों, मानवता और आदर्शों पर आधारित है। अमेरिका के #हिंदू नेता राजन झेद ने पाठ्यक्रम में संस्कृत को सम्मिलित करने पर #फिकिनो की प्रशंसा की है। फिकिनो में अत्याधुनिक साउंड सिस्टम लगाया गया है। जिससे बच्चों को कुछ भी सीखने में आसानी रहती है। पाठशाला के #प्रिंसिपल पीटर क्राम्पटन कहते हैं कि, 1997 में स्थापित इस पाठशाला में नए तरह के विषय रखे गए हैं। जैसे दिमाग के लिए भोजन, शरीर के लिए भोजन, अध्यात्म के लिए भोजन।

इस पाठशाला में अंग्रेजी, इतिहास, गणित और प्रकृति के विषयों की भी पढ़ाई कराई जाती है। पीटर क्राम्पटन कहते हैं कि संस्कृत ही एक मात्र ऐसी भाषा है जो #व्याकरण और उच्चारण के लिए सबसे श्रेष्ठ है। उनके अनुसार संस्कृत के जरिए बच्चों में अच्छी अंग्रेजी #सीखने का आधार मिल जाता है। संस्कृत से बच्चों में अच्छी अंग्रेजी #बोलने, समझने की क्षमता विकसित होती है।

पीटर क्राम्पटन कहते हैं कि, दुनियाँ की कोई भी भाषा सीखने के लिए #संस्कृत भाषा आधार का काम करती है। इस पाठशाला के बच्चे भी #संस्कृत पढकर बहुत खुश हैं। इस पाठशाला में दो चरणों में शिक्षा दी जाती है। पहले चरण में दस वर्ष की आयु तक के बच्चे और दूसरे चरण 16 वर्ष की आयु वाले बच्चों को शिक्षा दी जाती है। इस पाठशाला में बच्चों को दाखिला दिलाने वाले हर अभिभावक का यह #प्रश्न अवश्य होता है कि, आप संस्कृत क्यों पढ़ाते हैं? हम उन्हें बताते हैं कि यह भाषा श्रेष्ठ है। विश्व की महानतम रचनाएं इसी भाषा में लिखी गई हैं।

अमेरिका के #हिंदू नेता राजन झेद ने कहा है कि, संस्कृत को सही स्थान दिलाने की आवश्यकता है। एक ओर तो सम्पूर्ण विश्व में संस्कृत भाषा का महत्व बढ रहा है, वहीं दूसरी ओर भारत में संस्कृत भाषा के विस्तार हेतु ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं जिसके कारण भारत में ही संस्कृत का #विस्तार नहीं हो पा रहा है और संस्कृत भाषा के महत्व से लोग #अज्ञात हैं । हिंदू धर्म के अलावा बौद्ध और जैन धर्म के तमाम ग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं।

स्त्रोत : हिन्दू जन जागृति

संस्कृत भाषा की विशेषताएँ

(1) संस्कृत, विश्व की सबसे #पुरानी पुस्तक (वेद) की भाषा है। इसलिये इसे विश्व की प्रथम भाषा मानने में कहीं किसी संशय की संभावना नहीं है।

(2) इसकी सुस्पष्ट व्याकरण और वर्णमाला की #वैज्ञानिकता के कारण सर्वश्रेष्ठता भी स्वयं सिद्ध है।

(3) सर्वाधिक महत्वपूर्ण साहित्य की धनी होने से इसकी महत्ता भी #निर्विवाद है।

(4) इसे देवभाषा माना जाता है।

(5) संस्कृत केवल स्वविकसित भाषा नहीं बल्कि #संस्कारित भाषा भी है अतः इसका नाम संस्कृत है। 
केवल संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसका नामकरण उसके बोलने वालों के नाम पर नहीं किया गया है। संस्कृत को संस्कारित करने वाले भी कोई साधारण भाषाविद् नहीं बल्कि महर्षि #पाणिनि, महर्षि #कात्यायन और योगशास्त्र के प्रणेता महर्षि #पतंजलि हैं। 
इन तीनों महर्षियों ने बड़ी ही कुशलता से योग की क्रियाओं को भाषा में समाविष्ट किया है। यही इस भाषा का रहस्य है।

(6) शब्द-रूप - विश्व की सभी भाषाओं में एक शब्द का एक या कुछ ही रूप होते हैं, जबकि संस्कृत में प्रत्येक शब्द के 27 रूप होते हैं।

(7) द्विवचन - सभी भाषाओं में एकवचन और बहुवचन होते हैं जबकि संस्कृत में #द्विवचन अतिरिक्त होता है।

(8) सन्धि - संस्कृत भाषा की सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है सन्धि। संस्कृत में जब दो अक्षर निकट आते हैं तो वहाँ #सन्धि होने से स्वरूप और उच्चारण बदल जाता है।

(9) इसे कम्प्यूटर और कृत्रिम #बुद्धि के लिये सबसे उपयुक्त भाषा माना जाता है।

(10) शोध से ऐसा पाया गया है कि संस्कृत #पढ़ने से स्मरण शक्ति बढ़ती है।

(11) संस्कृत वाक्यों में शब्दों को किसी भी क्रम में रखा जा सकता है। इससे अर्थ का #अनर्थ होने की बहुत कम या कोई भी #सम्भावना नहीं होती। 
ऐसा इसलिये होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं और क्रम बदलने पर भी सही अर्थ सुरक्षित रहता है। जैसे - अहं गृहं गच्छामि या गच्छामि गृहं अहम् दोनो ही ठीक हैं।

(12) संस्कृत विश्व की सर्वाधिक 'पूर्ण' (perfect) एवं #तर्कसम्मत भाषा है।

(13) संस्कृत ही एक मात्र साधन है जो क्रमश: अंगुलियों एवं जीभ को #लचीला बनाते हैं। इसके अध्ययन करने वाले छात्रों को गणित, विज्ञान एवं अन्य भाषाएँ ग्रहण करने में सहायता मिलती है।

(14) संस्कृत भाषा में साहित्य की रचना कम से कम छह हजार वर्षों से निरन्तर होती आ रही है। इसके कई लाख ग्रन्थों के पठन-पाठन और #चिन्तन में भारतवर्ष के हजारों पुश्त तक के करोड़ों #सर्वोत्तम मस्तिष्क दिन-रात लगे रहे हैं और आज भी लगे हुए हैं।
 पता नहीं कि संसार के किसी देश में इतने काल तक, इतनी दूरी तक व्याप्त, इतने #उत्तम मस्तिष्क में विचरण करने वाली कोई भाषा है या नहीं। शायद नहीं है। दीर्घ कालखण्ड के बाद भी असंख्य प्राकृतिक तथा मानवीय #आपदाओं (वैदेशिक आक्रमणों) को झेलते हुए आज भी 3 करोड़ से अधिक संस्कृत #पाण्डुलिपियाँ विद्यमान हैं। यह संख्या ग्रीक और लैटिन की पाण्डुलिपियों की सम्मिलित संख्या से भी 100 गुना अधिक है। 
निःसंदेह ही यह सम्पदा छापाखाने के #आविष्कार के पहले किसी भी संस्कृति द्वारा सृजित सबसे बड़ी सांस्कृतिक विरासत है।

(15) संस्कृत केवल एक मात्र भाषा नहीं है अपितु संस्कृत एक विचार है। संस्कृत एक संस्कृति है एक #संस्कार है संस्कृत में विश्व का कल्याण है, शांति है, सहयोग है, वसुधैव कुटुम्बकम् की #भावना है।


अब केन्द्र सरकार व राज्य सरकारों को सभी स्कूलों, कॉलेजों में संस्कृत भाषा को अनिवार्य करना चाहिए जिससे बच्चों की बुद्धिशक्ति का विकास के साथ साथ बच्चे सुसंस्कारी बने ।

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श्री राममंदिर निर्माण, गौहत्या बंदी, संतों की रिहाई के लिए होगा सत्याग्रह व विशाल धरना

श्री राममंदिर निर्माण, गौहत्या बंदी, संतों की रिहाई के लिए होगा सत्याग्रह व विशाल धरना

6 मई 2017

हिन्दू-मुस्लिम एकता मंच द्वारा हिन्दू एवं मुस्लिम #धर्मगुरुओं द्वारा गौहत्या को शीघ्र रोने, अयोध्या में शीघ्रता से भगवान श्री राम #मंदिर का निर्माण करने के लिए और अभी जो भी #निर्दोष हिन्दू साधु-संत बिना सबूत जेल में हैं उनकी जल्दी रिहाई के लिए दिल्ली #जंतर-मंतर में विशाल #सत्याग्रह एवं धरना दिया जायेगा ।

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हिन्दू-मुस्लिम एकता मंच ने दैवी और दानवी #शक्तियों  के वैश्विक  #युद्ध के  बीच  एक दैवी  चेतावनी देते हुए कहा है कि #संपूर्ण मानवता के कल्याण के लिए  प्रसिद्ध #धर्मगुरुओं और महात्माओं के द्वारा कई बार संयुक्त राष्ट्र संघ के #राष्ट्राध्यक्षों को चेतावनी पत्र दिया गया, परंतु वे असली मुद्दे छुपाकर जनता को #गुमराह कर रहे हैं I 

आज विश्व मानवता दुख और अशांति की #आग में जल रही है I धर्मनिष्ठ #ईमानदार जनता का शोषण करने के लिए धर्मविमुख, स्वार्थी, अपराधी, अधर्मी ,आसुरी शक्तियाँ एकजुट हैं I 
इस अन्याय #अत्याचार के कारण लाखों लोग आत्महत्या के शिकार हो गए हैं , करोड़ों परिवार आर्थिक संकट से ग्रस्त हैं ।

धर्म के बिना राजनीति #राक्षस नीति है इसलिए  #महाभारत युद्ध हुआI धर्म के बिना शान्ति #असंभव है I आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक ऐसे #कानून बनाए गए हैं जिससे समाज टूट रहा है I अपराध , अश्लीलता की बाढ़ आई हुई है I 

इतिहास और शिक्षा को #विकृत करके पढ़ाया जा रहा है I अनेक प्रकार के #आतंकवादी पैदा हो गए हैं I सद्दाम हुसैन, कर्नल गद्दाफी, अलबशर ,अफगानिस्तान की बची हुई #सेना कुछ भी करने को तैयार है I 

भारत की सीमा के अंदर #राजनीतिक संरक्षण में माओवाद, नक्सलवाद जैसे #आतंकवाद पनप रहे हैं I विश्व की लगभग 90% संपत्ति पर 4 % लोगों का अधिकार है I मार्गदर्शन के अभाव में #अनुचित खानपान रहन सहन के कारण जनता #पर्यावरण और स्वयं की शत्रु बन गई है I 

धर्मविमुख NGO व्यवसायिक #कंपनियों के द्वारा राजनीति ,प्रचार तंत्र ,और #न्यायालय प्रभावित है।

वैश्विक समस्याओं के समाधान में विश्व के #वैज्ञानिक भारत के संतों की #ओरा (AURA) की दिव्य क्षमताओं से #आश्चर्यचकित है I लेकिन उनकी ओर कोई ध्यान नही दे रहा है ।

विदेशों में बुरा हाल है विश्व स्वास्थ्य #संगठन WHO यूनिसेफ की सन् 2012 की रिपोर्ट के अनुसार किशोरियों के कम उम्र में #गर्भधारण और बच्चों के #जन्म देने से प्रतिवर्ष 50,000 किशोरियों की #मौत हो जाती हैI अमेरिका में TAX दाताओं को सन् 2010 में किशोरियों के गर्भधारण और प्रसव के कारण #स्वास्थ सम्बन्धी देखभाल पर 630 अरब रूपये की #कीमत चुकानी पड़ी I 

धर्मविमुख वैश्विक #महाशक्तियाँ आपसी वर्चस्व और हथियारों के व्यवसाय की #अंतरराष्ट्रीय राजनीति  कर रही है, विश्व मानवता के लिए यह #दुर्भाग्यपूर्ण है I 

भारतीय संस्कृति  को समाप्त करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय #षड़्यंत्र किये जा रहे हैं ।अंतरराष्ट्रीय #राजनीतिक षड़्यंत्र के तहत भारत के विश्व प्रसिद्ध मार्गदर्शक #संतो को जेल  में डालकर प्रताड़ित  किया जा रहा है जैसे अभी भारत के 81 वर्ष के संत आशाराम जी बापू ( Sant Asharam ji Bapu ) ने विश्व में हिन्दू #संस्कृति का डंका बजाया, #धर्मान्तरण पर रोक लगाई और विदेशी #कम्पनियों से लोहा लेने के कारण आज वे जेल Jail में हैं, सम्पूर्ण #विश्व मानवता के लिए यह अभिशाप है I 

भारत के #विश्व प्रसिद्ध संत आशारामजी बापू  की #रिहाई  के लिए तथा फंसाये गए अन्य निर्दोष #हिन्दू साधु-संतो की रिहाई के लिए तथा अयोध्या राम मंदिर निर्माण एवं गौहत्या बंदी के लिए हिंदू - मुस्लिम #धर्मगुरु एक दिवसीय सत्याग्रह धरना आयोजित कर रहे हैं I 


सत्याग्रह - 7 मई 2017 से शाम 7:00 बजे से 8 मई 2017 तक अन्न #जल का त्याग किया जाएगा I

धरना - 8 मई 2017 को प्रातः 10:00 से 2:00 बजे तक हिंदू - मुस्लिम धर्मगुरुओं का संबोधन होगाI ,स्थान- जंतर मंतर (नई दिल्ली
)


इस सत्याग्रह में आप सभी की उपस्थिति #प्रार्थनीय है I


सत्याग्रह और धरना के बाद शीघ्रता से श्री #राममंदिर का निर्माण, गौहत्या पर रोक ,हिन्दू संतों की रिहाई  करने के लिए एक #पत्र लिखा जाएगा उस पत्र को सभी देशों  के सभी पंथो के #प्रसिद्ध धर्म  गुरुओं,  संतो ,महात्माओं , गणमान्य  व्यक्तियों एवं  भारत  में स्थित सभी देशों के राजदूतों को प्रेषित किया जायेगा I 

UNO कार्यालय, मानवाधिकार आयोग, भारत के राष्ट्रपति  ,प्रधानमंत्री को #ज्ञापन दिया जाएगा I


निवेदक:  डॉ. गंगा राम तिवारी , राष्ट्रीय अध्यक्ष हिंदू - मुस्लिम एकता मंच 
मो.-9415250869

अब देखते हैं कि हिंदू - मुस्लिम एकता मंच की #आवाज कहाँ तक पहुँचती है और सरकार इस पर जल्दी से कोई #कार्यवाही करती है या फिर इस आन्दोलन को और तेजी से बढ़ाना होगा?


गौरतलब है कि कई #संगठन श्री राम मंदिर निर्माण, गौहत्या पर रोक एवं हिन्दू साधु-संतों की #रिहाई के लिए अनेक बार #सत्याग्रह के साथ साथ धरने कर चुके हैं और #सोशल मीडिया पर भी आवाज उठाई है लेकिन अभी तक उस पर कोई #ठोस कार्यवाही नही हुई है ।

अब देखते हैं कि हिंदू - मुस्लिम एकता मंच के #सत्याग्रह व धरने के बाद सरकार द्वारा कोई ठोस #कार्यवाही होती है कि नही..???

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Friday, May 5, 2017

इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा को पछाड़कर राज करेगी हिंदी भाषा

इंटरनेट पर अंग्रेजी भाषा को पछाड़कर राज करेगी हिंदी भाषा

5 मई 2017

आज के युग मे लोग इंटरनेट का उपयोग अधिक से अधिक करने लगे हैं, भारत में इंटरनेट पर सर्च अधिक हिन्दी भाषा और अन्य भारतीय भाषाओं में करने लगे हैं । भारतीय जनता ने जितनी तेजी से राष्ट्रभाषा हिन्दी में नेट पर सर्च करना चालू कर दिया इससे तो पता चलता है कि विश्व में हिन्दी भाषा का प्रयोग होने लगेगा ।
Hind-will-overtake-English-language-on-the-internet-Hindi-language

भारतीय भाषाओं के इंटरनेट यूजर्स के लिए खुशखबरी आई है ।

वर्ष 2021 तक इंटरनेट पर भारतीय भाषाओं का राज होगा । हिंदी, बांग्ला, मराठी, तमिल और तेलुगु आदि #भारतीय भाषाओं के यूजर्स तेजी से बढ़ेंगे और अंग्रेजी के दबदबे को #खत्म कर देंगे । 

आपको बता दें कि #गूगल और #केपीएमजी की एक संयुक्त रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है । रिपोर्ट में बताया गया है कि #वर्ष 2021 तक इंटरनेट पर तकरीबन 536 मिलियन (53.6 करोड़) यूजर्स #भारतीय भाषाओं के होंगे, जो कि कुल इंगलिश यूजर्स 199 मिलियन (1.99 करोड़) ही होंगे मतलब भारतीय #भाषाओं में 2.5 गुना ज्यादा होगा । 


रिपोर्ट के अनुसार, भारत के कुल इंटरनेट यूजर्स में से 75 प्रतिशत यूजर्स #भारतीय भाषाओं के होंगे । माना जाता है कि #भारतीय भाषाओं के अधिकांश यूजर्स #मोबाइल से #इंटरनेट का उपयोग करते हैं । वहीं, भारत के इंटरनेट यूजर्स में से 78 प्रतिशत #मोबाइल पर इंटरनेट का उपयोग करते हैं ।

पांच सालों में भारतीय #भाषाओं के यूजर्स की संख्या में 450 प्रतिशत की #वृद्धि हुई है । वर्ष 2011 में इंटरनेट यूजर्स की संख्या 42 मिलियन (4.2 करोड़) थी, जो अब 234 मिलियन (23.4 करोड़) हो गयी है । वर्ष 2021 तक इसके 536 मिलियन (53.6 करोड़) तक पहुंचने की उम्मीद की जा रही है। इसी तेजी को देखते हुए आगामी चार साल में #भारतीय भाषाओं के कुल इंटरनेट #यूजर्स में से एक तिहाई सिर्फ हिंदी में इंटरनेट यूज कर रहे होंगे । 

बाकी रिपोर्ट्स के अनुसार, 201 मिलियन (20.1 करोड़) हिंदी के यूजर्स, 51 मिलियन (5.1 करोड़) मराठी के और 42 मिलियन (4.2 करोड़) बांग्ला भाषा के #यूजर होंगे । 

भारत में #डिजिटल न्यूज का असर भी तेजी से बढ़ रहा है । 

भारत में सोशल मीडिया पर भी 21 फीसदी की #वृद्धि दर्शाता है । 


आपको बता दें कि जापान के लोग किसी भी देश में जाते हैं तो अपनी #राष्ट्रभाषा का ही प्रयोग करते हैं लेकिन हमको सालों से #अंग्रेजों ने गुलाम बनाकर रखा था इसलिए आज भी वही #गुलामी के संस्कार घुसे हैं और हम राष्ट्रभाषा नही बल्कि अंग्रेजी भाषा बोलकर अपने को #गौरान्वित  मानते हैं ।क्योंकि आजादी के 70 साल के बाद भी हमारे गुलामी के संस्कार जा नही रहे हैं ।

अंग्रेज या अमेरिकन हमारे देश में आते हैं तो उनकी भाषा #अंग्रेजी का ही प्रयोग करते है वो #हिन्दी नही बोलते हैं और नही सीखने की कोशिश करते हैं तो हम क्यों गुलाम बनाने वालों की भाषा का प्रयोग करें???

अभी हम कहीं पर भी जायें तो #राष्ट्रभाषा का ही प्रयोग करें, इंटरनेट पर भी सर्च #हिन्दी में ही करे जिससे हमारी भाषा का उनको भी महत्व समझ में आये और वे हमारे अनुसार चले नहीं के हम उनके अनुसार ।

हमारी भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति है , बाकि धर्म, महजब बाद में आये और हमारी #मूल भाषा देवताओं की भाषा #संस्कृत भाषा थी लेकिन समय बदलते ही #संस्कृत भाषा से बनी हिन्दी भाषा का ही प्रयोग करें और दुनियाँ को बता दें कि हमारी भारतीय #संस्कृति और हमारी भाषा #विश्व में सर्वश्रेष्ठ है ।

आपको बता दें कि दुनिया में हिंदी बोलने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2005 में #दुनियाँ के 160 #देशों में हिंदी बोलने वालों की अनुमानित #संख्या 1,10,29,96,447 थी। उस समय चीन की मंदारिन भाषा बोलने वालों की संख्या इससे कुछ अधिक थी। लेकिन 2015 में दुनिया के 206 देशों में करीब 1,30,00,00,000 (एक अरब तीस करोड़) लोग हिंदी बोल रहे हैं और अब #हिंदी बोलने वालों की संख्या #दुनियाँ में सबसे ज्यादा हो चुकी है।

अभी तो चीन के 20 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जा रही है। 2020 तक वहाँ हिंदी पढ़ाने वाले #विश्वविद्यालयों की संख्या 50 से अधिक पहुँच जाने की उम्मीद है। यहॉ तक कि चीन ने अपने 10 लाख सैनिकों को भी हिंदी सिखा रखी है। 


भारत के अलावा मॉरीशस, सूरीनाम, फिजी, गयाना, ट्रिनिडाड और टोबैगो आदि देशों में हिंदी #बहुप्रयुक्त भाषा है। भारत के बाहर फिजी ऐसा देश है,जहाँ हिंदी को #राजभाषा का दर्जा प्राप्त है।

हिंदी को वहाँ की #संसद में प्रयुक्त करने की मान्यता प्राप्त है। मॉरीशस में तो बाकायदा "विश्व हिंदी सचिवालय" की स्थापना हुई है ।


शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास ने अपनी सिफारिशों में #सरकारी और निजी दोनों संस्थानों में से धीरे-धीरे अंग्रेजी को हटाने और #भारतीय भाषाओं को शिक्षा के सभी स्तरों पर शामिल करने पर जोर दिया है। साथ ही आईआईटी, आईआईएम और एनआईटी जैसे अंग्रेजी भाषाओं में पढ़ाई कराने वाले संस्थानों में भी #भारतीय भाषाओं में शिक्षा देने की सुविधा देने पर जोर दिया गया है। 


हिंदी भाषा इसलिये दुनियाँ में प्रिय बन रही है क्योंकि #इस भाषा को देवभाषा #संस्कृत से लिया गया है जिसमें मूल शब्दों की संख्या 2,50,000 से भी अधिक है। जबकि अंग्रेजी भाषा के मूल शब्द केवल 10,000 ही है ।


हिंदी का शब्दकोष बहुत #विशाल है और एक-एक भाव को व्यक्त करने के लिए सैकड़ों शब्द हैं जो अंग्रेजी एवं अन्य भाषाओं में नही हैं। #हिंदी भाषा संसार की उन्नत भाषाओं में सबसे अधिक व्यवस्थित #भाषा है। 


आज मैकाले की वजह से ही हमने मानसिक #गुलामी बना ली है कि अंग्रेजी के बिना हमारा काम चल नहीं सकता । लेकिन आज दुनियाँ में #हिंदी भाषा का महत्व जितना बढ़ रहा है उसको देखकर समझकर हमें भी हिंदी भाषा का उपयोग अवश्य करना चाहिए ।


अपनी मातृभाषा की गरिमा को पहचानें । #अपने बच्चों को अंग्रेजी (कन्वेंट स्कूलो) में शिक्षा दिलाकर उनके विकास को #अवरुद्ध न करें । उन्हें मातृभाषा (गुरुकुलों) में पढ़ने की स्वतंत्रता देकर उनके #चहुँमुखी विकास में सहभागी बनें ।

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Thursday, May 4, 2017

अमेरिकन इतिहास में पहली बार भारतीय हिन्दू संत की धूम

अमेरिकन इतिहास में पहली बार भारतीय हिन्दू संत की धूम..

कैलिफोर्निया:- सैन जोस जिला शिक्षा विभाग (बेरीएस्सा यूनियन स्कूल डिस्ट्रिक्ट) #कैलिफोर्निया ने इस वर्ष हिन्दू संत आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित तथा श्री योग वेदान्त सेवा समिति द्वारा आयोजित “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के प्रचार की ना केवल अनुमति दी बल्कि इसके प्रचार पर अधिकारिक मोहर भी लगाई।

प्रधान टाइम मीडिया प्रभारी #नीलू अरोड़ा ने जानकारी देते हुये बताया कि शिक्षकों के सहयोग से हिन्दू संत आसारामजी बापू के श्री चित्र वाला “#मातृ-पितृ पूजन दिवस” का पोस्टर जिले के 11 से अधिक विद्यालयों के हजारों अमेरिकन बच्चों तथा अभिभावकों तक पहुँचा। 
matri_pitri_pujan_diwas_-_a_day_to_honor_your_parents

स्वयं प्राचार्यों ने अभिभावकों को पोस्टर सहित ईमेल भेजे। #विद्यालयों के #नोटिस बोर्ड तथा कक्षाओं में भी बच्चों को कार्यक्रम के बारे में बताया गया व घर ले जाने के लिए फ्लायर भी दिये गये। इसके अतिरिक्त सैन #जोस लाइब्रेरी के कर्मचारियों ने भी लाइब्रेरी के बाहर तथा वेबसाइट पर “मातृ-पितृ पूजन दिवस” का पोस्टर लगाकर इसका प्रचार किया। 

पब्लिक लाइब्रेरी की #वेबसाइट पर इवेंट का लिंक:

सिएरामोंट मिडल स्कूल के प्राचार्य द्वारा शिक्षा विभाग से अनुमोदन की #स्टैम्पवाला पोस्टर व ईमेल 1200 बच्चों के अभिभावकों को भेजा गया।
साथ ही लेनव्यू #एलीमेंट्री स्कूल के हर बच्चे को “मातृ-पितृ पूजन दिवस”  का फ्लायर दिया गया।

इस स्कूल में बच्चों की संख्या 600 है। कई अन्य स्कूलों में जैसे रस्किन एलीमेंट्री स्कूल, मोर्रील्ल मिडल स्कूल, मेजेस्टिक वे एलीमेंट्री स्कूल, विंन्सी #एलीमेंट्री स्कूल, नोबल एलीमेंट्री स्कूल, टोयोन #एलीमेंट्री स्कूल में भी “#मातृ-पितृ पूजन दिवस” के कार्यक्रम की जानकारी स्कूल द्वारा पोस्टर लगा कर, शिक्षकों द्वारा बच्चों को बताकर तथा फ्लायर बांटकर दी गयी। पीडमोंट #हाईस्कूल में भी पोस्टर दिए गये जबकि यह स्कूल दूसरे जिले में आता है फिर भी उन्होंने आपत्ति नहीं की।

उल्लेखनीय है कि भारत के विभिन्न स्कूलों में भी जनवरी-फरवरी-मार्च-अप्रैल माह से “मातृ-पितृ पूजन दिवस” #कार्यक्रम मनाया जाता रहा है जिसमें सभी धर्मों के #माता-पिता व बच्चे सम्मिलित होते रहे हैं।  इस पर्व से माता-पिता तथा बच्चों के बीच की दूरियाँ खत्म हुई हैं और सभी बच्चों व माता-पिताओं की यह हार्दिक इच्छा रही कि हर साल इसी तरह से स्कूलों में यह दिवस मनाया जाता रहे ताकि इन सुसंस्कारों से भारत अपने प्राचीन गौरव को पुन: प्राप्त कर सके।

गौरतलब है कि हिन्दू संत #आसारामजी बापू ने 2006 से 14 फरवरी #वेलेंटाइन डे की जगह "मातृ-पितृ पूजन" शुरू किया था तबसे लेकर आज तक करोड़ो #विद्यार्थी इस दिन माता-पिता का पूजन करते हैं और माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं ।

हिन्दू संत आसारामजी बापू जेल जाने के पीछे का कारण?

जबसे हिन्दू संत #आसारामजी बापू ने मातृ-पितृ पूजन शुरू किया है तबसे विदेशी कम्पनियों को अरबो-खरबों का लॉस हो रहा था क्योंकि उनके बड़े-बड़े गिफ्ट,गर्भ निरोधक सामग्री, #दवाइयां एवं #चॉकलेट आदि सामग्री बिकना बन्द हो गई थी।

आपको बता दें कि संत आसारामजी बापू के प्रवचन करीब 200 देशों में लोग सुनते थे,जिसमें वे उत्तम #स्वास्थ्य के लिए ध्यान, #प्राणयाम,योग और घरेलू उपचार करने के सरल उपाय बताते थे और साथ-साथ में अंग्रेजी दवाइयों के साइड इफेक्ट भी बताते थे जिससे करोड़ो लोग अंग्रेजी #दवाइयां छोड़कर उनके बताए उपायों से ठीक होने लगे थे ।

दूसरा कार्य - उन्होंने करोड़ो लोगों को #व्यसन मुक्त कराया । बीड़ी, सिगरेट, दारू बनाने वाली कंपनियों को अरबो का लॉस हुआ ।

तीसरा कार्य - उन्होंने युवाओं को #ब्रह्मचर्य का पाठ पढ़ाया,संयमी और सदाचारी जीवन जीने की शिक्षा दी। जिससे युवाओं ने फिल्म देखना, क्लबों में जाना बंद कर दिया । सेक्स सामग्री बनाने वाली कंपनियों व बॉलिवुड और क्लबो आदि को कई करोड़ों का नुकसान होने लगा ।

चौथा कार्य - उन्होंने देश भर में हजारों #बाल संस्कार के साथ साथ #गुरुकुल शिक्षा पद्धति शुरू करवाई । जिससे बचपन से ही बच्चों में #नैतिकता के संस्कार पनपने लगे । इस समय में भी उनके आश्रम द्वारा 17 हजार से ज्यादा बाल संस्कार केन्द्र और सैकड़ों #गुरुकुल चल रहे हैं । इससे ईसाईयों द्वारा संचालित कान्वेंट स्कूलों पर गहरा प्रभाव पड़ा ।

पांचवा कार्य - उन्होंने गांव-गांव जाकर हिंदुत्व का प्रचार किया और #आदिवासी इलाकों में जाकर मकान बनवाये, #भजन करो भोजन पाओ,दक्षिणा पाओ जैसी अनेकों योजनाओं द्वारा लाखों हिंदुओं की #घरवापसी कराई जिससे धर्मान्तरण वालों के लिए संत आसारामजी बापू बाधक बनें।

बापू आसारामजी के 8 करोड़ से अधिक भक्तों संयम सदाचार रहने और #व्यशन छोड़ने पर इन सबसे विदेशी कंपनियों को करोड़ों अरबों का नुकसान होने लगा और #ईसाई #मिशनरियों के धर्मान्तरण कार्य में आँख की किकरी बन खड़े हुए संत आसारामजी बापू । 

तो शुरू हुआ 2007 से #संत आसारामजी बापू के विरुद्ध षड़यंत्र जिसमें पूर्व सरकार का भी रहा बड़ा हाथ। जो वेटिकन सिटी के इशारे पर सोनिया गांधी ने काम किया ।

पर जब किसी #षड़यंत्र में षड्यंत्रकारी सफल नहीं हुए तो एक लड़की को मोहरा बना एक घिनौने #षड़यंत्र में फंसाया गया निर्दोष #संत को और उनकी छवि धूमिल करने का काम किया विदेशी फण्ड से चलने वाली भारतीय मीडिया ने ।

जग जाहिर है कि आज तक उनके खिलाफ एक भी सबूत नहीं मिल पाया है पर उनको #फंसाने के #सैकड़ों प्रमाण मिल चुके हैं । पर हमारे देश का कानून जो आतंकवादी के साथ भी उदारता का व्यवहार रखता है जो बड़े से बड़े दोषी को भी जमानत और पेरोल देता है वो 81 वर्षीय संत को उनके #मौलिक अधिकार जमानत तक से क्यों वंचित रखे हुए है ?

विचार कीजिये !!


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Wednesday, May 3, 2017

लिंग भेद कानून हटाओ, पुरुषों को तबाही से बचाओ

 *महिलाओं के बढ़ते अपराध को लेकर पुरुष आयोग व मंत्रालय बनाने की उठी तीव्र माँग*

लिंग भेद कानून मिटाओ, पुरुषों को #तबाही से बचाओ...
पुरुष आयोग

महिलाओं के लिए बने विभिन्न #कानूनों में खास कर 498, 376 के दुरुपयोग से परेशान पुरुषों ने पुरुष #मंत्रालय और पुरुष आयोग की #मांग शुरू कर दी है ।

इस मांग को लेकर देश में 40 संगठनों समेत देश के दूसरे #परेशान पुरुषों ने #जंतर-मंतर पर शनिवार को प्रदर्शन किया है । ये #प्रदर्शन सिर्फ 'सैफ इंडिया और सैफ फैमिली के फाउंडेशन" की अपील पर किया जा रहा है । शनिवार को 'सैफ फैमिली ऑर्गेनिज़ीशन" की ओर से चलाई जा रही इस #मूमेंट में महिलाएँ भी शामिल थी जो उन महिलाओं के खिलाफ सड़क पर उतरी थी जो महिलाएँ कानून का दुरुपयोग कर पूरे परिवार को बर्बाद कर देती है ।

पुरुषों की ये डिमांड है कि एक पुरुष आयोग बने #मैन कमीशन वेल्फेर मैन भी उतना ही जरूरी है जितना कि #वीमेन वेल्फेर जरूरी होता है |

3 मई 2017
देखिये वीडियो
प्रदर्शनकारी महिला ने कहा कि #पेड़-पौधों के लिए यहाँ पर बहुत सारे आयोग हैं । महिलाओं के लिए #आयोग हैं, बच्चों के लिए आयोग हैं,रसायन के लिए आयोग हैं पर #पुरुषों के लिए कोई आयोग नहीं ।

 तो एक पुरुष आयोग बने और Rape In law 498 है  scrap 498 है ये जो ऐसा कानून है, बहुत सारी #फेमिलिस को तबाह कर रहा है । बर्बाद कर रहा है । जिसकी वजह से मैन #सुसाइट्स इतने बढ़ गए हैं कि हर साल 94000 पुरुष आत्म हत्याऐं कर रहे हैं ।

आंदोलन में आये #पुरुषों का कहना था कि आज #संविधान में 48 कानून महिलाओं के हित के लिए बनाए गए हैं फिर भी महिलाओं को बेचारी #अबला कहा जाता है । पुरुषों के लिए कानून नहीं है । #कुत्ते-बिल्लियों के लिए कानून है, पेड़-पौधों के लिए कानून है ।

अब देखना है कि क्या #सरकार पुरुषों के लिए कोई कानून लाती है ? या ऐसी #असमानता के कारण इन लोगों का आंदोलन और तेज होगा ?


महिलाओं के खिलाफ इतने #अपराध होते हैं कि उन्हें हमेशा #पीड़िता की नजर से ही देखा जाता है।  जबकि #हकीकत कुछ और ही है। 

शीना बोरा मर्डर #केस केवल एक मात्र ऐसा केस नहीं है जहां एक महिला #मर्डर के रूप में नजर आई। यह एक छिपी हुई #हकीकत है कि महिलाएं भी #हिंसा की घटनाओं को अंजाम देने में #माहिर हैं और उनकी संख्या दिन व दिन बढ़ रही है। आज जब #महिलाएं शिक्षा, कैरियर और समाजिक कानूनों से मजबूत हो गई हैं तो वह पुरुषों की ही तरह संगीन #अपराध कर रही हैं। महिलाओं के लिए बचना थोड़ा आसान भी है क्योंकि उन्हें जल्दी संदिग्ध के तौर पर नहीं देखा जाता है।

एनसीआरबी की #रिपोर्ट के मुताबिक, पूरे देश भर में 1,94,867 महिलाओं को मर्डर, किडनैपिंग, लूटपाट जैसे संगीन #अपराधों में गिरफ्तार किया गया।

भारत के 5 राज्यों में महिला अपराधियों की संख्या सबसे ज्यादा है ।

महाराष्ट्र:
महाराष्ट्र में 2014 में 30,568 महिलाओं को #गिरफ्तार किया गया है। इस राज्य में सबसे ज्यादा महिला अपराधी हैं।

उत्तर प्रदेश:
यहां अपराध के अलग-अलग मामलों में 17,437 #महिलाओं को गिरफ्तार किया गया।

राजस्थान:
 राजस्थान में 16, 187 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है।

गुजरात:
इस राज्य की 14,152 महिलाओं को साल 2014 में #अरेस्ट किया गया है।

पश्चिम बंगाल:
यहां गिरफ्तार महिलाओं की संख्या 12,181 है और यह लिस्ट में #पाँचवें नंबर पर है।

यह तो महिलाएं जो अपराध करती हैं उसकी बात हुई लेकिन कुछ #स्वार्थी महिलाएं दहेज एवं बलात्कार के झूठे केस लगाकर निर्दोष पुरूषों की जिंदगी खराब कर देती हैं ।

दिल्ली में बीते छह महीनों में 45 फीसदी ऐसे मामले अदालत में आये जिनमें #महिलाएँ हकीकत में #पीड़िता नहीं थी, बल्कि छोटी-छोटी बातों पर #गुस्सा होने या फिर पुरुषों द्वारा माँगें पूरी न होने पर #बलात्कार का केस दर्ज कराया गया था । द्वारका अदालत ने ऐसे बढ़ते मामलों पर चिंता जताई है और साथ ही पुलिस से कहा कि वह निष्पक्ष रूप से मामले की जाँच करने के बाद ही #मुकद्दमा दर्ज करे।

दिल्ली महिला कमीशन के #आँकड़ों के अनुसार इनमें से 53.2% मामले झूठे हैं ।

अप्रैल 2013 से जुलाई 2014 के बीच #दिल्ली में रेप के 2753 मामले दर्ज हुए जिनमें से 1464 मामले #झूठे थे । 

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार 2011 से 2013 के बीच आईपीसी की धारा 498A का दुरूपयोग करते हुए, पुरुषों पर 31,292 #झूठे मामले दर्ज हुए हैं । इनमें #वैवाहिक हिंसा और रेप के आरोप शामिल हैं । #छानबीन करने पर पता चला है कि महिला ने #प्रतिशोध लेने के लिए झूठा केस किया था ।

छह जिला अदालतों के #रिकॉर्ड से ये बात सामने आई है कि #बलात्कार के 70 फीसदी मामले अदालतों में #साबित ही नहीं हो पाते हैं । 

अब ये सोचिये, जिस #पुरुष पर झूठा केस किया जाता है, उसका जीवन कितना #अस्त-व्यस्त हो जाता होगा, समाज में अपमानित होने से ले कर #काम-रोजगार पर कितना असर होता होगा ? यह तो #भुक्तभोगी सदस्य व उसका परिवार ही समझ सकता है । एक बार ऐसा आरोप आप पर लग जाये तो चाहे आप #दोषमुक्त भी क्यों न हो जाएँ, समाज #सिर्फ आप पर लगे आरोप को #याद रखेगा । 

पॉक्सो, #बलात्कार व दहेज निरोधक #कानूनों की खामियों को दूर करना होगा तभी समाज के साथ #न्याय हो पायेगा अन्यथा एक के बाद एक #निर्दोष सजा भुगतने के लिए मजबूर होते रहेंगे । इसमें पुरुषों के साथ संबंधित बेशुमार #महिलाएँ व बच्चे और रिश्ते-नातेदार भी पीड़ित हो रहे हैं । अतः #बच्चों-महिलाओं की सुरक्षा तथा #राष्ट्रहित में कार्यरत संस्थाएँ और जागरूक जनता सजग हो और इन कानूनों में आवश्यक #संशोधन की माँग हो ।

केवल कानून और #डंडे के जोर से सच्चा सुधार नहीं हो सकता । सच्चे और स्थायी #सुधार के लिए, बलात्कार जैसे नृशंस अपराधों को रोकने के लिए #संयम-शिक्षा पर बल देने की आवश्यकता है ।सिनेमा, अश्लील साहित्य, समाचार पत्र-पत्रिकाओं, अश्लील वेबसाइटों एवं #इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर संयम लाना पड़ेगा ।  

इसके लिए #संयम-शिक्षा तथा सच्चे, सात्विक मूल्यों को पुन:स्थापित करना होगा । जो संत-#महापुरुष इस कार्य को देश में कर रहे थे उनपर ही #षड्यंत्रकारियों ने झूठा आरोप लगवाकर जेल में बंद करवा दिया ।

इससे पता चलता है कुछ स्वार्थी #राष्ट्र-विरोधी ताकतें कानून की आड़ लेकर #भारतीय #संस्कृति को नष्ट करने की बुरी मंशा रखती हैं । #संत-महापुरुष ही समाज के प्रहरी हैं, हमें उन पर हो रहे इस आघात को रोकना होगा । तभी जनता में #सुसंस्कार आयेगा और पुरुष महिलाओं की इज्जत करेगा बड़ी महिलाओं को अपनी माँ बहन समान सम्मान  और छोटी को बेटी की दर्जा देगा और महिलायें भी #अपराध करना, पुरुषों पर झूठे आरोप लगाना बन्द करेगी और फिर से भारत #विश्वगुरु पद पर आसीन होगा ।

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