Wednesday, September 26, 2018

अजीब कानून - फल खाने वाले बाबा को उम्रकैद और पादरी की गिरफ्तारी भी नहीं ?

26 September 2018

🚩राजस्थान अलवर के 70 वर्षीय फलहारी बाबा के खिलाफ 11 सितम्बर 2017 को बिलासपुर की 21 वर्षीय लड़की ने छत्तीसगढ़ के महिला थाना में जीरो एफ.आई.आर. दर्ज करवाई थी और बाबा के खिलाफ रेप का आरोप लगाया था । छत्तीसगढ़ पुलिस ने जीरो एफ.आई.आर. दर्ज करने के बाद पीड़िता का मेडिकल और 164 के बयान दर्ज कर रिपोर्ट बनाया और अलवर पुलिस को फाइल भिजवा दी थी । जिसके बाद अलवर पुलिस ने अरावली विहार थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी ।

🚩पुलिस ने कोर्ट में 40 पन्नों की चार्जशीट पेश की थी । जिसमें पुलिस ने बाबा को दोषी मानते हुए धारा 506 और 376 (2एफ) के तहत आरोप लगाए गए थे ।
Strange Law - Life imprisonment is not even
a life imprisonment and pastor's arrest?

🚩फलाहारी बाबा के बयान पर जिला एवं सेशन जज संख्या-1 राजेंद्र शर्मा की अदालत में दर्ज किए गए । इस दौरान फलहारी बाबा से कोर्ट ने 88 लिखित सवाल किए गए थे । 

🚩फलहारी बाबा के वकील अशोक शर्मा ने दावा किया था कि फलहारी बाबा निर्दोष हैं और उनके बचाव के लिए सभी साक्ष्य अदालत के सामने रख दिए हैं, उन्हें पूरा भरोसा है कि अदालत के अंतिम फैसले में बाबा निर्दोष बरी होंगे ।

🚩अदालत ने अभियोजन पक्ष की ओर से दर्ज करवाए गए 30 अभियोजन साक्ष्यों की गवाही के आधार पर कोर्ट ने लिखित रूप में 24 पेजों पर तैयार 88 सवालों के जवाब फलाहारी बाबा से पूछे । इस दौरान  बाबा ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों से झूठा बताते हुए कहा था कि मैं निर्दोष हूं ।

🚩फलाहारी बाबा को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है । साथ ही अदालत ने फलाहारी बाबा पर 1 लाख का जुर्माना भी लगाया है ।
उनके वकील का कहना है कि बाबा पूर्ण निर्दोष है ऊपरी अदालत से निर्दोष बरी हो जायेंगे ।

🚩कौन हैं फलाहारी बाबा?

फलाहारी बाबा का पूरा नाम जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री स्वामी कौशलेंद्र प्रपन्नाचारी फलाहारी महाराज है । वो रामानुज संप्रदाय के साधु माने जाते हैं ।

🚩राजस्थान अलवर में इनका वेंकटेश दिव्य बालाजी धाम आश्रम है, जहां हर दिन भक्तों की भीड़ रहती है । लाखों की संख्या में उनके भक्त हैं । फलाहारी बाबा अलवर में गौशाला भी चलाते हैं ।

वो कुंभ में शिविर लगाते हैं और संस्कृत के जानकार माने जाते हैं । अभी कुछ समय पहले इन्होंने आश्रम में श्री वेंकटेश की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की थी, जिसमें बड़ी तादाद में श्रद्धालु और विशिष्ठ लोग आए थे ।

🚩रामानुज संप्रदाय को श्री संप्रदाय भी कहते हैं । हिंदू धर्म में इस संप्रदाय को आचार और विचार में शुद्धि रखने के रूप में जाना जाता है ।

🚩नेता भी उनके चरणों मे आते थे:- 

बाबा के पास कई राजनीतिक दल भी आशीर्वाद लेने आते थे । 

🚩बाबा ने 7 नवंबर 2016 को एक रथ यात्रा शुरू की थी, जो देश के विभिन्न राज्यों में अभी चल ही रही है । यात्रा का समापन 2018 में होगा ।

समापन पर हैदराबाद में श्रीराम जीवा प्रांगण में रामानुजाचार्य की प्रतिमा लगाई जाएगी ।

🚩बाबा जी पिछले 15 सालों से आध्यात्म में सक्रिय हैं । वो अपने आश्रम में भजन-कीर्तन और वैदिक यज्ञ करवाते हैं ।

भजन, कीर्तन कराने वाले , गौमाता की रक्षा करने वाले और केवल फल खाने वाले 70 वर्षीय फलहारी बाबा रेप करें ऐसा हो सकता है ? जनता इसे मानने को तैयार नहीं है, लगता है उन्हें किसी राजकीय षड्यंत्र के तहत फंसाया गया है  ।

🚩कानून भी एक समान बोलने वाले अब कहाँ गए,  जब जालन्धर के ईसाई पादरी बिशप ने केरल की नन के साथ 13 बार बलात्कार किया ऐसा आरोप लगाया गया, लेकिन न कनून कार्यवाही कर रही है और न ही सरकार कुछ कर रही है, लेकिन एक 70 वर्षीय निर्दोष बुजुर्ग बीमार संत को गिरफ्तार कर लेती है और उनको उम्रकैद सुनाई जाती है ये कौन सा न्याय है?

🚩अभी सेशन कोर्ट ने उन्हें उम्रकैद की सज़ा सुना दी है, लेकिन ऊपरी अदालत से अगर बरी हो जाएंगे तो उनका कीमती समय कौन वापस लौटायेगा ?

🚩ये कोई पहला मामला नहीं है कि किसी हिन्दू साधु को फंसाया गया हो, इससे पहले भी कई निर्दोष पवित्र साधुओं को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई ओर ऊपरी कोर्ट ने निर्दोष बरी कर दिए थे ।

🚩गुजरात द्वारका के स्वामी #केशवानंदजी पर कुछ समय पूर्व एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया और न्यायालय ने 12 साल की सजा भी सुना दी, लेकिन जब दूसरे जज की बदली हुई तब देखा कि ये मामला झूठा है, स्वामी जी को फंसाने के लिए झूठा मामला दर्ज किया गया है, तब स्वामीजी को न्यायालय ने 7 साल के बाद निर्दोष बरी किया ।

🚩ऐसे ही दक्षिण भारत के स्वामी नित्यानन्द जी के ऊपर भी फर्जी सेक्स सीडी बनाकर रेप का आरोप लगाया गया और उनको जेल भेज दिया गया बाद में उनको हाईकोर्ट ने क्लीनचिट देकर निर्दोष बरी कर दिया गया ।

🚩ऐसे ही वर्तमान में विश्व मे हिन्दू संस्कृति की पताका लहराने वाले और धर्मान्तरण पर रोक लगाने वाले व करोड़ों को सन्मार्ग पर लगाने वाले 82 वर्षीय हिन्दू संत श्री आसाराम बापू को षड्यंत्र के तहत फ़साने के सबूत होते हुए भी उम्रकैद सुना दी कितना आश्चर्य है ?

🚩जब वे ऊपरी कोर्ट से निर्दोष बरी होंगे तब उनके व्यर्थ गए समय की भरपाई कौन करेगा ?

🚩एक के बाद एक निर्दोष हिन्दू साधू-संतों को बदनाम किया जा रहा है क्योंकि राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा हिन्दू धर्म खत्म करने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ हिन्दू संतों को टारगेट किया जा रहा है, हिन्दुस्तानी अब इस षडयंत्र को समझो और उसका विरोध करो तभी हिन्दू संस्कृति बच पाएगी ।

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Tuesday, September 25, 2018

रिपोर्ट : ईसाई पादरियों से लोगों का उठ रहा है भरोसा..

25 September 2018

🚩केरल की नन के साथ बलात्कार की घटना जैसी हजारों घटनाएं सामने चुकी हैं और बच्चों की तस्करी व धर्मान्तरण आदि के अनेक मामले सामने आ चुके हैं, इसकी वजह से जनता का पादरियों के प्रति विश्वास उठ गया है ।

केरल की रहने वाली गीता शाजन तीन दिनों से माला जप रही हैं और ईसा मसीह से अपनी बेटी को सुरक्षित रखने की प्रार्थना कर रही हैं ।

🚩यही इकलौता तरीक़ा है जिससे उनका डर कुछ कम होता है । उनकी छोटी बेटी नन बनने के लिए पढ़ाई कर रही है ।
Now the public does not trust pastors

मंगलवार को गीता और उनके पति शाजन वर्गीस कोच्चि स्थित वांची स्क्वायर गए थे । वहां नन और ईसाई समाज के कुछ लोग एक नन से बलात्कार के अभियुक्त बिशप की गिरफ़्तारी की मांग करते हुए धरना प्रदर्शन कर रहे हैं ।

🚩इस विरोध प्रदर्शन में तीसरी बार शामिल होने पहुंचीं गीता ने बीबीसी से कहा, "एक मां के तौर पर मैं अपनी बेटी के भविष्य को लेकर बहुत चिंतित हूं । इसे सबसे सुरक्षित जगह माना जाता है, लेकिन लगता है कि यह सुरक्षित नहीं है ।"

मां का डर:-

🚩शाजन वर्गीस याद करते हैं, "उनकी (नन की) कहानी सुनते ही मेरी पत्नी रोने लगी । वो चाहती थी कि हमारी दूसरी बेटी नन वाली पढ़ाई छोड़ दे और वहां से अलग हो जाए।"

गीता की आंखों में फिर आंसू आ गए। उन्होंने कहा, "मैं ईसा मसीह में भरोसा करती हूं। मैंने माला जपनी शुरू कर दी और फिर तय किया कि अगर आप सच्चे श्रद्धालु हैं तो आपको डरना नहीं चाहिए, लेकिन मुझे अब भी इन ननों के लिए डर लगता है जो यहां विरोध प्रदर्शन कर रही हैं ।"

🚩गीता को डर इसलिए भी है क्योंकि उनकी 26 साल की बेटी को मई 2019 में पढ़ाई पूरी करने तक परिवार से संपर्क करने की इजाज़त नहीं है।

वांची स्क्वायर पर पांच नन बीते तेरह दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रही हैं । उनकी मांग है कि नन से बलात्कार के अभियुक्त जालंधर के बिशप फ्रैंको मुलक्कल की तुरंत गिरफ्तारी की जाए ।

🚩 अभूतपूर्व प्रदर्शन:-

नन और पादरी इससे पहले सरकारी कार्यवाही या ढिलाई के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर चुके हैं, लेकिन चर्च के अंदरूनी मामले पर उन्हें कभी इस तरह प्रदर्शन करते नहीं देखा गया ।

🚩क़रीब छह दशकों से केरल के समाज और राजनीति पर नज़र रख रहे वरिष्ठ पत्रकार बीआरपी भास्कर कहते हैं, चर्च आज इस स्थिति का सामना इसलिए कर रहा है क्योंकि उसने नन की शिकायत के बाद बिशप के ख़िलाफ़ कार्यवाही नहीं की ।"

यहां प्रदर्शन कर रही पांच ननों में से एक सिस्टर सिल्वी (बदला हुआ नाम) भी हैं । वह बिशप पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन की सगी बहन हैं । उनकी एक और बहन तीन दिन के अनशन के बाद अस्पताल में भर्ती हैं ।

🚩सिस्टर सिल्वी ने बीबीसी से कहा, "हमने कार्डिनल और दूसरे बिशपों से भी शिकायत की । हमने मदर जनरल से शिकायत की । उन्होंने कहा कि वो 'हिज एक्सीलेंसी' (बिशप फ्रैंको मुलक्कल) के ख़िलाफ़ कार्यवाही कैसे कर सकती हैं, क्योंकि वे उनके अधीन हैं।"

उन्होंने बताया, "चर्च ने हमें ख़ारिज़ कर दिया, तब हमने पुलिस को शिकायत दी । हमने सोचा कि अगर हम अंदर बैठे रहेंगे तो वे हमें बाहर निकाल फेंकेंगे, तो हमने बाहर आने का फैसला किया क्योंकि अगर लोग हमारे साथ आएंगे तो सरकार और चर्च पर दबाव बनेगा ।"

🚩चर्च और विवाद:-

बीते वर्षों के दौरान केरल के चर्च में इस तरह के कुछ विवादों में रहे हैं । कुछ पादरियों पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न के आरोप लगे हैं। इनमें दो नाबालिग लड़कियां भी शामिल हैं जो गर्भवती हो गई थीं । चर्च जाने वाले लोग सिस्टर अभया का अनसुलझा मामला भी नहीं भूले हैं ।

🚩कुछ ही महीने पहले एक गृहिणी ने आरोप लगाया कि जब वो नाबालिग थी तो चार पादरियों ने उनके साथ बलात्कार किया था । उन पादरियों को इस मामले में ज़मानत लेने के लिए पहले हाई कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े और फिर सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ा ।

क्या ऐसे मामलों के सामने आने का मतलब ये समझा जाए कि ईसा मसीह के प्रतिनिधि समझे जाने वाले पादरियों और जन साधारण के बीच भरोसे की लकीर धुंधली हो रही है ?

हैदराबाद विश्वविद्यालय में इतिहास विभाग में प्रोफेसर डॉ. वीजे वर्गीस कहते हैं, "इसमें शक नहीं है कि पादरियों की छवि धूमिल हो रही है । चर्च एक संस्थान के तौर पर ऐसे पादरियों को खुले या छिपे तौर पर जो समर्थन देता है, उससे हालात और ख़राब हुए हैं ।"

🚩काले शीशे की कार:-

नन से बलात्कार के ताज़ा मामले में मिशनरीज़ ऑफ जीसस समुदाय ने प्रदर्शन कर रही ननों के ख़िलाफ़ और अभियुक्त बिशप के पक्ष में बयान भी जारी किया है । ये बयान बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन की तस्वीर के साथ जारी किया गया था, जिसके बाद समुदाय के प्रवक्ता के ख़िलाफ़ मामला भी दर्ज किया गया ।

🚩लेकिन जब बिशप फ्रैंको मुलक्कल जांच टीम के बुलाने पर पूछताछ के लिए त्रिपुनितुरा पहुंचे तो उनकी कार पर काले शीशे चढ़े थे ।

इस पर एक टीवी पत्रकार ने कहा था, "अजीब है कि चर्च ने बलात्कार का आरोप लगाने वाली नन की तस्वीर सार्वजनिक कर दी, जबकि अभियुक्त बिशप को उनकी कार में भी देखना मुश्किल है ।"

🚩इस प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे सेव आवर सिस्टर्स (एसओएस) एक्शन कमेटी के प्रवक्ता फादर ऑगस्टिन पैटोली कहते हैं कि इस तरह के मामलों पर एक्शन न लेने के चलते चर्च के भीतर ही विरोध की आवाज़ें उठी हैं और यह खीझ और विरोध का मिज़ाज अचानक पैदा नहीं हुआ है ।

केरल में अब जब भी चर्च से जुड़ा कोई विवाद पैदा होता है तो पारदर्शिता और सुधारों के पक्ष में एक नया समूह या संगठन अस्तित्व में आ जाता है।

🚩चर्च पर भरोसा ?

मलयालम लेखक और उपन्यासकार पॉल जखारिया कहते हैं कि ताज़ा मामले में कुछ भी नया नहीं है और ऐसी कहानियां वो पांच दशकों से सुनते रहे हैं । उनके मुताबिक, "यह चर्च, समाज और सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वे आत्ममंथन करें कि नन को ऐसा क़दम क्यों उठाना पड़ा और उसे क्यों पुलिस के पास जाना पड़ा ।" स्त्रोत : बीबीसी

🚩कन्नूर (केरल) के कैथोलिक चर्च की एक  नन सिस्टर मैरी चांडी  ने पादरियों और ननों का चर्च और उनके शिक्षण संस्थानों में व्याप्त व्यभिचार का जिक्र अपनी आत्मकथा ‘ननमा निरंजवले स्वस्ति’ में किया है कि ‘चर्च के भीतर की जिन्दगी आध्यात्मिकता के बजाय वासना से भरी थी । एक पादरी ने मेरे साथ बलात्कार की कोशिश की थी । मैंने उस पर स्टूल चलाकर इज्जत बचायी थी । ’ यहाँ गर्भ में ही बच्चों को मार देने की प्रवृत्ति होती है ।

हिन्दुस्तानिओं को अपने संस्कृति और पवित्र साधु-संतों पर विश्वास रखकर चलना चाहिए ऐसे ईसाई पादरियों से बचना चाहिए, धर्मान्तरण व बलात्कार करने वाले पादरियों को समाज मे खुला करना चाहिए । जिससे भारत की भोली जनता उनके चंगुल में न आये ।

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Monday, September 24, 2018

वेद कुरान को, एक बताने वाले सेक्युलर ये सच्चाई जरुर पढ़ें..

24 September 2018

🚩सभी हिन्दू अनेक देवी-देवताओं की पूजा करते हुए भी ईश्वर एक है यह मानते हैं । यहाँ चर्चा हिंदुओं की मान्यता या अमान्यता को लेकर नहीं है यहाँ विषय केवल, काफी लोगों द्वारा फैलाई गयी भ्रांतियों को साधारण रूप से दूर करना है क्योंकि इन भ्रांतियों में कभी-2 कुछ भोले लोग फंस जाते हैं । हिन्दू धर्म के मूल ग्रन्थ वेद हैं इसमें किसी हिन्दू को आपत्ति नहीं है इसलिए इनके निशाने पर वेद रहते हैं । मैं यहाँ इस छोटे से लेख में दोनो पुस्तकों, वेद और कुरान की समीक्षा नहीं कर रहा हूँ अभी के लिये केवल एक छोटी सी बात कहना चाहता हूँ । वैसे वेद और कुरान की आपस में तुलना करना ही तुच्छ लगता है फिर भी यदि आवश्यक हुआ तो उसको भी सप्रमाण लिख देंगे फिर कभी । अभी बस हिंदुओं एक छोटी सी बात समझ लो --
Read this truth to the Vedor Koran, the one telling the secular ..

🚩कुछ ब्लॉग जेहादियों द्वारा यह निरन्तर प्रचारित किया जा रहा है कि वेद और कुरान का एक ही सिद्धांत है वो कुरान को वेदों से और वेदों को कुरान से सत्यापित करते हैं और इस्लाम के पक्ष में माहौल बनाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं । इसमें अपने धर्म से अनभिज्ञ बेचारे हिन्दू जोकि सैंकड़ो वर्षों से धोखा खाते, इस्लाम द्वारा युद्धों को झेलते, धर्मान्तरण कराते हुए, इस्लाम के नाम पर देश के टुकड़े करवाते हुए, इस्लामिक आतंकवाद से मरते हुये भी प्रेम, भाई-चारे, शान्ति से अनावश्यक रूप से अत्यधिक ग्रसित बड़े ही गर्व के साथ हाँ में हाँ मिलाकर कहते हैं – हाँ धर्म तो सभी एक हैं सभी ईश्वर को एक मानते हैं, सभी प्रेम की शिक्षा देते हैं, वो तो लोग ही हैं जो कुछ का कुछ बना देते हैं । भाइयों जैसे साबुत उड़द, काला पत्थर, राई, काले कपड़े इत्यादि के कुछ एक गुण एक ही होते है तो क्या वे सब वस्तुएं एक ही हो गयी ? जबकि वो विभिन्न वस्तुऐं हैं । नमक और चीनी एक रंग के होते हैं किन्तु उनके स्वाद में कितना अन्तर होता है उसी प्रकार से यदि सभी मतों में ईश्वर एक माना गया भी है तो क्या शेष सभी बातों का भेद समाप्त हो जाता है । चलो थोड़ी देर के लिये मानो मैं आज एक नया मत चलाता हूँ और उस नये मत के अनुसार ईश्वर एक है यह कहता हूँ और साथ में किसी की भी हत्या करना पाप नहीं है ये कहता हूँ तो चलाया गया मत हिन्दू वेदानुसार कहलायेगा क्या ? कुछ हिंदुओं को अपने इतिहास में मुस्लिम आक्रान्ताओं द्वारा की गयी बर्बादी को देखकर भी अक्ल नहीं आई तो कब आएगी और आज भी इस्लाम के आधार पर तुम्हे मारा जा रहा है, तुम्हारा धर्म-भ्रष्ट (कथित धर्म-परिवर्तन) किया जा रहा है । तुम्हारे ही मुंह पर ही तुम्हारे धर्म-ग्रन्थों का मजाक उड़ाया जा रहा है । मजे की बात यह है कि ये जेहादी वेदों का अर्थ अपने अनुसार दिखाकर या अनाप-शनाप बक कर उनका मजाक उड़ाते हैं, उनकी निंदा करते हैं, उसको अमान्य ठहराते हैं और फिर वेदों से ही कुरान की पुष्टि करते फिरते हैं । पुराणों का मजाक उड़ाया जाता है फिर कहीं से भविष्य पुराण के आधार पर ही मोहम्मद को अन्तिम अवतार घोषित किया जाता है । कुरान के अनुसार इस्लाम में अवतारवाद को अमान्य ठहराते हैं और अपने मजहब-प्रवर्तक को अन्तिम अवतार घोषित करते हैं । क्या मजाक लगा रखा है ये फिर भी कुछ हिन्दूओं की बुद्धि पर तरस आता है जो इनके प्रत्यक्ष छल को अन्धों की भांति देख ही नहीं पाते । कुरान या किसी भी मत में कुछ बात यदि सहीं भी लिखी हैं मतलब कि यदि वैदिक पुस्तकें भी उन कुछ बातों को मान्यता देती हैं किन्तु शेष सब बातों को गलत और अमान्य ठहराती हैं तो क्या वो मत वेदानुसार हो जायेंगे ? हिंदुओं मोहम्मद साहब का इतिहास और उसके विचार तो पढ़ो फिर बताना कि क्या इस्लाम कम्युनिज्म की तरह एक साम्राज्यवाद नहीं है, जिसको तुम जाने-अनजाने धर्म की संज्ञा देते हो । क्या तुम्हे इन प्रत्यक्ष जेहादियों की धूर्त सोच दिखाई नहीं देती जो तुम्हें डंके की चोट पर गाली देते हैं, तुम्हारा मजाक उड़ाते हैं फिर भी तुम इनका आलिंगन करने के लिये बेक़रार रहते हो । पूरा देश भी इसीका प्रत्यक्ष उदाहरण है पाकिस्तान से हजार जूते खाने पर भी उससे प्रेम की पींगे बजायी जा रही हैं । यहाँ की मीडिया, फिल्में, टी. वी. नेता इत्यादि सभी पाकिस्तान से प्रेम और भाई-चारे की बात करते नहीं थकते, जबकि पाकिस्तान यहाँ के लोगों की खोपड़ी में सूराख भी करता रहता है और इनके मुंह पर थूकता भी है ।
अब बहुत से हिंदुओं को भी इनके साथ ही इस लेख से आपत्ति हो सकती है कि तुमतो अमन, चैन-शान्ति भंग करने पर तुले हो तुम्हारा उद्देश्य क्या है वगैरह-2 । बताओ जी कौन सी शान्ति की बात करते हैं ? ये लोग इनकी बुद्धि को क्या हो गया है ? इतना मजहब के नाम पर अत्याचार होने पर और मारे जाने पर भी इनकी अक्ल सही नहीं होती तो कोई क्या कर सकता है । हर जेहादी या आतंकवादी, लोगों की हत्या के बाद डंके की चोट पर उसको इस्लाम के अनुसार बताता है, इन्ही के कुछ साथी इस बात को प्रसारित करते हैं कि यह मुसलामानों पर हुए अत्याचार की प्रतिक्रिया है, कुछ समर्थक कहेंगे ये भटके हुए जवान हैं आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, पर साथ में वो हत्यारे जेहादी खुलकर चिल्ला-2 कर कहते रहेंगे कि हम इस्लाम का युद्ध लड़ रहे हैं, पर हिन्दूओं को उन जेहादियों की आवाज़ नहीं सुनाई देती वो तो ढोंग भरी शान्ति या कायरता में ही मग्न रहता है ।


🚩मेरा उद्देश्य लोगों को सत्य से अवगत कराना है, हो सके तो हो जाओ वरना परिणाम भुगतने के लिये तैयार रहो । अभी तो पकिस्तान, बंगलादेश, काश्मीर और आंशिक कुछ प्रदेश ले ही लिये हैं । आगे-2 देखना हिंदुओं की यही सोच रही तो ये सारा भारत ले लेंगे । इन जेहादियों का साथ कुछ तथाकथित हिन्दू संत भी दे रहे हैं, जोकि भेड़ की खाल में छिपे भेड़िये हैं जो कि इनके साथ मिलकर शान्ति का राग गाने वाली हिन्दू भेड़ों(मूर्खों) को चुपचाप निगल रहे हैं । उदाहरण के तौर पर एक तथाकथित शंकराचार्य है, एक तथाकथित अग्निवेश व प्रमोद कृषण है ऐसे ही और भी हैं और कुछ लोगों को भी संन्यासी के भेष में लाकर इस्लाम की तारीफ़ करवाते फिरते हैं वेदों के अनुसार बतलाते हैं । यदि इनकी धूर्तता कुछ लोगो को नहीं दिखाई देती उनके बारे में यही कह सकते हैं--
विनाशकाले विपरीत बुद्धि !! - हिन्दू लेखक


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Sunday, September 23, 2018

श्राद्ध का अर्थ एवं श्राद्धविधि का इतिहास आप भी जान लीजिए...

23 September 2018

श्राद्धविधि हिन्दू धर्म का एक महत्त्वपूर्ण आचार है तथा वेदकाल का आधार है । अवतारों ने भी श्राद्धविधि किए हैं, ऐसा उल्लेख है । श्राद्ध का अर्थ क्या है, उसका इतिहास तथा श्राद्धविधि करने का उद्देश्य, इस लेख से समझ लेते हैं ।

🚩व्युत्पत्ति एवं अर्थ :-

‘श्रद्धा’ शब्द से ‘श्राद्ध’ शब्द की निर्मिति हुई है । इहलोक छोड़ गए हमारे पूर्वजों ने हमारे लिए जो कुछ किया, वह उन्हें लौटाना असंभव है । पूर्ण श्रद्धा से उनके लिए जो किया जाता है, उसे ‘श्राद्ध’ कहते हैं ।
Know the meaning of Shraddha
and the history of Shraddha rituals ...

व्याख्या :-

ब्रह्मपुराण के ‘श्राद्ध’ अध्याय में श्राद्ध की निम्न व्याख्या है –
देशे काले च पात्रे च श्रद्धया विधिना च यत् ।
पित¸नुद्दिश्य विप्रेभ्यो दत्तं श्राद्धमुदाहृतम् ।। – ब्रह्मपुराण

अर्थ : देश, काल तथा पात्र (उचित स्थान)के अनुसार, पितरों को उद्देशित कर ब्राह्मणों को श्रद्धा एवं विधियुक्त जो (अन्नादि) दिया जाता है, उसे श्राद्ध कहते हैं ।

🚩समानार्थी शब्द :-

श्राद्धात्व पिंड, पितृपूजा, पितृयज्ञ

🚩श्राद्ध एक विधि:-

‘श्राद्ध’ का अर्थ पितरों का मात्र कृतज्ञतापूर्वक स्मरण नहीं; अपितु यह एक विधि है ।’

🚩श्राद्धविधि का इतिहास :-

‘श्राद्धविधि की मूल कल्पना ब्रह्मदेव के पुत्र अत्रिऋषि की है । अत्रिऋषि ने निमी नामक अपने एक पुरुष वंशज को ब्रह्मदेवद्वारा बताई गई श्राद्धविधि सुनाई । यह रूढ़ आचार आज भी होता है ।

मनु ने प्रथम श्राद्धक्रिया की, इसलिए मनु को श्राद्धदेव कहा जाता है ।

🚩लक्ष्मण एवं जानकी सहित श्रीराम के वनवास-प्रस्थान के उपरांत, भरत वनवास में उनसे जाकर मिलते हैं एवं उन्हें पिता के निधन का समाचार देते हैं । तदुपरांत श्रीराम यथाकाल पिता का श्राद्ध करते हैं, ऐसा उल्लेख रामायण में (श्रीरामचरितमानस में) है ।

इतिहासक्रम से रूढ़ हुर्इं श्राद्ध की तीन अवस्थाएं एवं वर्तमानकाल की अवस्था :-

🚩1. अग्नौकरण
ऋग्वेदकाल में समिधा तथा पिंड की अग्नि में आहुति देकर पितृपूजा की जाती थी ।

🚩2. पिंडदान (पिंडपूजा)

यजुर्वेद, ब्राह्मण तथा श्रौत एवं गृह्य सूत्रों में पिंडदान का विधान है । गृह्यसूत्रों के काल में पिंडदान प्रचलित हुआ । ‘पिंडपूजा का आरंभ कब हुआ, इसके विषय में महाभारत में निम्नलिखित जानकारी (पर्व 12, अध्याय 3, श्लोक 345) है – श्रीविष्णु के अवतार वराहदेव ने श्राद्ध की संपूर्ण कल्पना विश्व को दी । उन्होंने अपनी दाढ से तीन पिंड निकाले और उन्हें दक्षिण दिशा में दर्भ पर रखा । ‘इन तीन पिंडों को पिता, पितामह (दादा) एवं प्रपितामह (परदादा)का रूप समझा जाए’, ऐसा कहते हुए उन पिंडों की शास्त्रोक्त पूजा तिल से कर वराहदेव अंतर्धान हुए । इस प्रकार वराहदेव के बताए अनुसार पितरों की पिंडपूजा आरंभ हुई ।’

‘छोटे बच्चे एवं संन्यासियों के लिए पिंडदान नहीं किया जाता; क्योंकि उनकी शरीर में आसक्ति नहीं होती । पिंडदान उनके लिए किया जाता है, जिन्हें सांसारिक विषयों में आसक्ति रहती है ।’

🚩3. ब्राह्मण भोजन :-

गृह्यसूत्र, श्रुति-स्मृति के आगे के काल में, श्राद्ध में ब्राह्मण भोजन आवश्यक माना गया और वह श्राद्धविधि का एक प्रमुख भाग सिद्ध हुआ । 

🚩4. उक्त तीनों अवस्थाएं एकत्रित :-

वर्तमानकाल में ‘पार्वण’ श्राद्ध में उक्त तीनों अवस्थाएं एकत्रित हो गई हैं । धर्मशास्त्र में यह श्राद्ध गृहस्थाश्रमियों को कर्तव्य के रूप में बताया गया है । संदर्भ : सनातन का ग्रंथ श्राद्ध (भाग 1) श्राद्धविधि का अध्यात्मशास्त्रीय आधार

🚩श्राद्ध के विषय में प्राचीन ग्रंथों के संदर्भ :-

मृत व्यक्ति के तिथि के श्राद्ध के अतिरिक्त अन्य समय कितना भी स्वादिष्ट पदार्थ अर्पित किया जाए, पूर्वज ग्रहण नहीं कर पाते । बिना मंत्रोच्चार के समर्पित पदार्थ पूर्वजों को नहीं मिलते । – (स्कंद पुराण, माहेश्‍वरी खंड, कुमारिका खंड, अध्याय 35/36)

🚩मृत पूर्वजों को भू और भुव लोकों से आगे जाने के लिए गति प्राप्त हो; इसलिए हिन्दू धर्म में श्राद्ध करने के लिए कहा गया है । श्राद्ध न करने से व्यक्ति में कौन-से दोष उत्पन्न हो सकते हैं, इसका भी वर्णन विविध धर्मग्रंथों में मिलता है । 

🚩1. ऋग्वेद

त्वमग्न ईळितो जातवेदोऽवाड्ढव्यानि सुरभीणि कृत्वी ।
प्रादाः पितृभ्यः स्वधया ते अक्षन्नद्धि त्वं देव प्रयता हवींषि ॥
– ऋग्वेद, मण्डल 10, सूक्त 15, ऋचा 12

अर्थ : हे सर्वज्ञ अग्निदेव, हम आपकी स्तुति करते हैं । आप हमारे द्वारा समर्पित इन हवनीय द्रव्यों को सुगंधित बनाकर, हमारे पूर्वजों तक पहुंचाइए । हमारे पूर्वज स्वधा के रूप में दिए गए इस हवनीय द्रव्य का भक्षण करें । हे भगवन ! आप भी हमसे समर्पित इस हविर्भाग का भक्षण कीजिए ।

🚩2. कूर्मपुराण

अमावास्वादिने प्राप्ते गृहद्वारं समाश्रिताः ।
वायुभूताः प्रपश्यन्ति श्राद्धं वै पितरो नृणाम् ॥
यावदस्तमयं भानोः क्षुत्पिपासासमाकुलाः ।
ततश्‍चास्तंगते भानौ निराशादुःखसंयुताः ।
निःश्‍वस्य सुचिरं यान्ति गर्हयन्तः स्ववंशजम् ।
जलेनाऽपिचन श्राद्धं शाकेनापि करोति यः ॥ 
अमायां पितरस्तस्य शापं दत्वा प्रयान्ति च ॥ 
– कूर्मपुराण

अर्थ : (मृत्यु के पश्‍चात) वायुरूप बने पूर्वज, अमावस्या के दिन अपने वंशजों के घर पहुंचकर देखते हैं कि उनके लिए श्राद्ध भोजन परोसा गया है अथवा नहीं । भूख-प्यास से व्याकुल पितर सूर्यास्त तक श्राद्ध भोजन की प्रतीक्षा करते हैं । न मिलने पर, निराश और दुःखी होते हैं तथा आह भरकर अपने वंशजों को चिरकाल दोष देते हैं । ऐसे समय जो पानी अथवा सब्जी भी नहीं परोसता, उसको उसके पूर्वज शाप देकर लौट जाते हैं ।

🚩3. आदित्यपुराण

न सन्ति पितरश्‍चेति कृत्वा मनसि वर्तते । 
श्राद्धं न कुरुते यस्तु तस्य रक्तं पिबन्ति ते ॥  
– आदित्यपुराण

अर्थ : मृत्यु के पश्‍चात पूर्वजों का अस्तित्व नहीं होता, ऐसा मानकर जो श्राद्ध नहीं करता, उसका रक्त उसके पूर्वज पीते हैं ।

🚩4. मार्कंण्डेयपुराण

श्राद्ध न करने से प्राप्त दोष

न तत्र वीरा जायन्ते नाऽऽरोग्यं न शतायुषः । 
न च श्रेयोऽधिगच्छन्ति यत्र श्राद्धं विवर्जितम् ॥ 
– मार्कण्डेयपुराण

अर्थ : जहां श्राद्ध नहीं होता, उसके घर लड़का (वीराः) नहीं जन्मता । (जन्मीं तो केवल लडकियां ही जन्मती हैं ।), उस परिवार के लोग स्वस्थ्य और शतायु नहीं होते तथा उनको आर्थिक समस्याएं उत्पन्न होती हैं अथवा संतुष्टि नहीं प्राप्त होती । (न च श्रेयः) 
(संदर्भ : श्राद्धकल्पकता, पृष्ठ ६)

इस संदर्भ से ज्ञात होता है कि श्राद्धकर्म न करने से पितर रूठ जाते हैं । इससे उनके वंशजों को कष्ट होता है । सब उपाय करने पर भी जब कष्ट दूर न हो, तब समझना चाहिए कि यह पूर्वजों के रुष्ट होने के कारण हो रहा है ।

🚩5. गरुड़ पुराण

अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के द्वार के निकट उपस्थित होते हैं तथा अपने परिजनों से श्राद्ध की अपेक्षा रखते हैं । भूख-प्यास से व्याकुल वे सूर्यास्त तक वहीं खडे रहते हैं । इसलिए, पितृपक्ष की अमावस्या तिथि पर श्राद्ध अवश्य करना चाहिए ।

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