Sunday, September 30, 2018

चीन ने 4000 पॉर्न और अन्य ‘हानिकारक’ वेबसाइट कर दी बंद.

26 September 2018
http://azaadbharat.org
🚩दुनिया में आज लोगों का जितना फिल्मों ने नुकसान किया है उतना शायद अंग्रेजों व मुगलों ने भी नहीं किया होगा । आज हर फिल्म में गंदे सीन दिखाए जाते हैं, जिससे आज के युवक-युवतियों का तेजी से पतन होते जा रहा है । आज के युग में मनुष्य के लिए न शुद्ध खाना बचा है, न ही शुद्ध हवा बची है जिससे हर मनुष्य का स्वास्थ्य बिगड़ता जा रहा है, ऊपर से ऐसी फिल्में देखकर युवक तेजी से वीर्यनाश कर रहा है जिसके कारण और ज्यादा निर्बल, निस्तेज होते जा रहा है ।
China closed 4000 porn and other 'harmful' websites.

🚩पहले तो फिल्मों, सीरियलों व विज्ञापनों में गंदे सीन के कारण युवकों का पतन हो रहा था, ऊपर से आज नेट का युग आ गया जिससे पोर्न (ब्ल्यू) फ़िल्म देखने लगे, तो अब तो भगवान ही रक्षा करें, इन फिल्मों द्वारा बच्चे, युवक-युवतियों की विदेशों में भयंकर तबाही हो रही है जिसके कारण ऐसी वेबसाइटों को ब्लॉक किया जा रहा है और संयम की शिक्षा दी जा रही है ।
🚩आपको बता दें कि चीन ने बीते तीन महीने में 4000 पॉर्न और दूसरी कथित हानिकारक सूचनाओंवाली वेबसाइट बंद कर दी हैं । यह सफाई अभियान संयुक्त रूप से नेशनल ऑफिस अगेंस्ट स्टेट पॉर्नोग्राफिक ऐंड इललीगल पब्लिकेशंस और स्टेट ऐडमिनिस्ट्रेशन ऑफ प्रेस ऐंड पब्लिकेशनद्वारा मई में शुरू किया गया था ।
🚩समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने एक अधिकारी के बयान के हवाले से कहा कि अगस्त के अंत में, अधिकारियों ने पूरे देश में 120 संबंधित उल्लंघनों का संशोधन किया और 230 उद्योगों को अनियमितताओं को हटाने या हानिकारक सूचनाओं के 1,47,000 से ज्यादा टुकड़ों को हटाने के आदेश दिए ।
🚩अभियान के अनुसार ऑनलाइन उपन्यास सामग्री पर भी निशाना साधा गया, जो अनुचित मूल्यों, अश्लीलता और कॉपीराइट उल्लंघन से जुड़े हुए थे । बयान के अनुसार, भविष्य में साफ सुथरे ऑनलाइन साहित्य का माहौल बेहतर बनाने के लिए ऐसे उपायों में तेजी लाई जाएगी । स्त्रोत : नवभारत टाईम्स
रूस ने भी कई पॉर्न वेबसाइट पर प्रतिबंध लगा दिया है ।
🚩नेपाल भी पोर्न वेबसाइट पर प्रतिबंध लगाएगी ।
भारत सरकार ऐसा कदम क्यों नहीं उठाती ? 
🚩भारत में बच्चों और युवाओं द्वारा पोर्न देखने का चलन आजकल बढ़ता चला जा रहा है, जिस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भारत पिछले दो-तीन सालों में सबसे ज्यादा पोर्न देखने वाले देशों में दसवें से तीसरे स्थान पर आ गया है ।
🚩पोर्न देखने के होता है भयंकर नुकसान
🚩1. दिमाग का सिकुड़ना
एक रिसर्च में पाया गया है कि जो व्यक्ति पोर्न फिल्में देखते हैं, उनका दिमाग सिकुड़ जाता है ।  उनकी सोचने समझने की शक्ति धीरे-धीरे क्षीण हो जाती है । और लोगों का जीवन नरक बन जाता है ।
🚩2. असंतुष्टि
पोर्न फिल्में देखने वाला व्यक्ति को कभी संतुष्टि नही मिल पाती । व्यक्ति के स्वभाव में क्रुरता और उग्रता आ जाती है और वह चिड़चिड़ा हो जाता है । 
🚩3. वैवाहिक जीवन पर बुरा असर
लगातार पोर्न देखने के कारण व्यक्ति को अपने पार्टनर के प्रति अलगाव पैदा होने लगता है ।
🚩4. वहशीपन
पोर्न देखने से सेक्स को लोकर विकृत नज़रिया बन जाता है, जो समाज में रेप जैसी घटनाओं में बढ़ोतरी के लिए जिम्मेवार बनता है ।
🚩5. ऑक्सीटोसिन हार्मोन में कमी
ऑक्सीटोसिन दिमाग में पाया जाने वाला एक शक्तिशाली हार्मोन है जिसे ‘लव हार्मोन‘ भी कहा जाता है । यह हार्मोन पुरूष और महिलाओं दोनो को बंधन में बांधने में मदद करता है ।
लेकिन पोर्न फिल्में दिखने से यह गायब हो जाता है ।
🚩6. कामोत्तेजना पर बुरा असर पड़ता है
कुछ लोग उत्तेजित होने के लिए पोर्न का सहारा लेने लगते हैं और धीरे -धीरे यह उनकी आदत बन जाती है । इसका नुकसान यह होता है कि व्यक्ति प्राकृतिक तोर पर उत्तेजित होने में नाकाम होने लगता है जिसका नुकसान आगे चलकर होता है ।
🚩7. अवैध संबंधो को बढ़ावा
अवैध संबंधो के लिए पोर्न काफी हद तक जिम्मेदार होता है । ज्यादा पोर्न देखने वाले लोग अक्सर किसी के साथ अवैध संबंध बनाने के बारे में सोचते रहते हैं, जो समाज के लिए काफी नुकसानदेह साबित हो रहा है और कई बार मर्यादा तार-तार होने की भी अशंका रहती है । यह पोर्न देखने का सबसे बड़ा नुकसान है ।
🚩8. एक शोध में यह भी पाया गया है कि जो रोजाना पोर्न देखते हैं उनमें शारीरिक व मानसिक दुर्बलता आ जाती है ।
🚩बच्चों व युवक-युवतियों को ऐसे फिल्मों से दूर ही रहना चाहिए तभी अपना शारिरिक व मानसिक विकास हो पाएगा, नहीं तो आपका जीवन शक्तिहीन, ओजहीन और उत्साहशून्य बन जाएगा और शारिरिक व मानसिक तौर पर बीमार होते जाओगे ।
🚩ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए  :-
विद्यार्थी काल शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक विकास का समय है और इस विकास का मुख्य आधार है वीर्यरक्षा । विद्यार्थीयों को अपने अध्ययन और प्रवृत्ति  लिए उत्साह, बुद्धिशक्ति, स्मृतिशक्ति, एकाग्रता, संकल्पबल आदि गुणों के विकास की बहुत आवश्यकता होती है । इन सबमें वीर्यरक्षा द्वारा बहुत प्रगति प्राप्त की जा सकती है । इसके विपरीत वीर्यनाश से तन और मन को बहुत नुकसान होता है । वीर्यनाश से निर्बलता, रोग, आलस्य, चंचलता, निराशा और पलायनवादिता के दुर्गुण आ धमकते हैं । इस दुष्प्रवृत्ति के शिकार विद्यार्थी, अपने विकासकाल के अति महत्त्वपूर्ण समय को गँवा बैठते हैं ।
🚩डॉ. निकोलस कहते हैं- "वीर्य को पानी की तरह बहाने वाले आजकल के अविवेकी युवाओं के शरीर को भयंकर रोग इस प्रकार घेर लेते हैं कि डॉक्टर की शरण में जाने पर भी उनका उद्धार नहीं होता । अंत में बड़ी कठिन विपत्तियों का सामना करने के बाद असमय ही उन अभागों का महाविनाश हो जाता है ।"
🚩वीर्यवान बनो
पालो ब्रह्मचर्य विषय-वासनाएँ त्याग।
ईश्वर के भक्त बनो जीवन जो प्यारा है।।
उठिए प्रभात काल रहिये प्रसन्नचित्त।
तजो शोक चिन्ताएँ जो दुःख का पिटारा है।।
कीजिए व्यायाम नित्य भ्रात! शक्ति अनुसार।
नहीं इन नियमों पै किसी का एकाधिकार है।।
देखिये सौ शरद औ’कीजिए सुकर्म प्रिय! सदा स्वस्थ रहना ही कर्त्तव्य तुम्हारा है।।
लाँघ गया पवनसुत ब्रह्मचर्य से ही सिंधु।
मेघनाद मार कीर्ति लखन कमायी है।।
लंका बीच अंगद ने जाँघ जब रोप दई।
हटा नहीं सका जिसे कोई बलदायी है।।
पाला व्रत ब्रह्मचर्य राममूर्ति, गामा ने भी।
देश और विदेशों में प्रसिद्धि पायी है।।
भारत के वीरो! तुम ऐसे वीर्यवान बनो।
ब्रह्मचर्य महिमा तो वेदन में गायी है।।
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Saturday, September 29, 2018

इटली में रहने वाला जोसेफ शाइन ने 497 खत्म करने का उठाया था मुद्दा...

29 September 2018
http://azaadbharat.org
🚩भारत से किसी मामले में निर्वासित और इटली NRI Joseph Shine की अपील से पश्चिमी मान्यता को भारत की मान्यता पर थोप दिया गया।
🚩केरल के निवासी और इटली में रह रहा जोसेफ शाइन (Joseph Shine) ने भारत मे व्यभिचार वाली धारा 497 खत्म करने की याचिका डाली थी, जो सुप्रीम कोर्ट ने मान्य रखते हुए 497 धारा खत्म कर दिया अब कोई भी व्यभिचार कर सकता है ।
🚩जो काम पहले एकता कपूर के शो दिखा रहे थे, सिनेमा दिखा रहा था आज विधायिका और न्यायपालिका ने भी दिखा ही नहीं दिया बल्कि सबको अधिकार स्वरूप व्याभिचार को खुली स्वीकृति दे दी ।
Joseph Shine, who lives in Italy,
 raised the issue of eliminating 497 ...

🚩सीधी सी बात है, भारत के लोगों को शरीर से भारतीय, चरित्र से अंग्रेज और आत्मा से अमेरिकन बनाना । मैकॉले शिक्षा पद्धति अंदर से चरित्रहीनता भर ही रही थी और अंग्रेजी व्यवस्था की इस न्यायपालिका सुप्रीम कोर्ट ने उसे बाहर से भी जायज कर दिया । ये लोकतंत्र के चार स्तंभ न्यायपालिका, कार्यपालिका, विधायिका और मीडिया चारों पश्चिमी सभ्यता के दलाल और व्याभिचारी बन चुके हैं ।
🚩भारत में दोनों धाराएं 377 और 497 को खत्म करना भारत को पश्चिमी सभ्यता की ओर बढ़ाता है जो #कामवासना, #चरित्रहीनता, #वेश्यावृति और #व्याभिचार को बढ़ावा देकर भारतीय सभ्यता को खत्म करने का षड्यंत्र है, जिससे देश के लोग दिखने में तो भारतीय होंगे पर चरित्र से अंग्रेज और आत्मा से अमेरिकन बन जाएंगे ।
🚩भारतीय सभ्यता में पर-पुरूष गमन/पर-स्त्री गमन को पाप और अमान्य माना गया है तो इस सभ्यता के एक पुरुष एक पत्नी के आदर्श को विखंडित करने के प्रयास क़ानूनपालिका कैसे चल रही है ?
🚩ये #सुप्रीम_कोर्ट है या कोठा, एक के बाद एक कामवासना, वेश्यावृति और व्याभिचार को बढ़ावा देकर भारत की संस्कृति, मर्यादा, संयम, विश्वास,आदर्श को रूढ़िवाद के नाम पर, आधुनिक सोच के नाम पर भारतीयता से दूर करके पश्चिमी सभ्यता पर ले जाया जा रहा है ।
🚩27 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी चतुराई और सुनियोजित ढंग से एक के बाद एक फैसले दिए जिसमे पहला फैसला था #धारा_497 को खत्म करना अर्थात अब विवाह के बाद पर पुरुष गमन/ पर स्त्री गमन साधारण भाषा मे कहें तो पति के अलावा गैर मर्दों से शारीरिक सम्बन्ध बनाना कानूनन अपराध नहीं है ।
🚩सुप्रीम कोर्ट को ये अधिकार किसने दे दिया कि देश की चरित्र, संस्कार और भारतीय सभ्यता पर वो पश्चिमी सभ्यता थोपे । #धारा_377 को खत्म कर वासना के लिए समलैंगिकता जैसी विकृति को स्वीकृति इसी महीने मिली और अब व्यभिचार को भी लीगल बना दिया गया है ।
🚩इसके तुरंत बाद कोर्ट ने #राम_मंदिर से जुड़ा #मस्जिद के  मुद्दे पर भी फैसला सुनाया ताकि लोगो का ध्यान राम मंदिर पर उलझाकर पिछले दरवाजे से व्याभिचार को वैध कर उससे जनता के  ध्यान को हटाया जा सके और लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया ने भी #राम के नाम पर इस समाचार को छोटा कर दिया और जितना दिखाया वो बस महिलाओं के अधिकार के नाम पर इसको वैध कर दिया । https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=732569783763030&id=160117591008255
🚩शर्मनाक: देश के नकली लोकतंत्र चारों स्तंभ देश में अंग्रेजियत और अभारतीय संस्कृति का नंगा नाच खेल रहे हैं, जो भारत की पीढ़ी और संस्कृति को खत्म कर देगा ।
🚩बहुत शर्मनाक है सरकार, बड़े-बड़े साधु-संत, लाखों #हिन्दू संग़ठन, विश्व हिंदू परिषद, #RSS, #आर्यसमाज, #सनातनी, #जैन, #बौद्ध, #सिख किसी में भी व्याभिचार की स्वीकृति नहीं है फिर भी उसके विरोध में कोई कुछ नहीं बोल रहा है और एक इटली NRI Joseph Shine की अपील से सुप्रीम कोर्ट में ईसाई पश्चिमी मान्यता भोग, कामुकता, वासना, पर-पुरुष/पर-स्त्री गमन को भारत की संयम पूर्ण, त्याग, विवेक, पवित्रता और एक पत्नी/पति आदर्श प्रथा पर थोप दिया ।
🚩#राम_मंदिर की मांग करने वाले देश मे माँ #सीता और भगवान #राम के वंशजों को चरित्रहीनता की स्वीकृति दे दी गयी है और कोई धार्मिक संगठन उफ तक नहीं कर रहा ।
🚩इन फैसलों के विरोध में आखिर क्यों विरोध नहीं करते जो भारतीय संस्कृति और सभ्यता के नाम पर सड़कों पर आते हैं, राम नाम की मर्यादा को गाते है पर इन अमर्यादित कानूनों और आदेशों का विरोध नहीं करते ।
🚩देश की #सरकार, व्यवस्था, #न्यायपालिका, #कार्यपालिका, विधायिका और #मीडिया सब की सब देश के लिए खतरा है । हम सबने मिलकर इनका प्रतिरोध और आपसी स्वार्थो में विरोध नहीं किया तो ना ही भारतीयता रहेगी और ना ही भारतीय सभ्यता ।
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Friday, September 28, 2018

धारा 377 के बाद, धारा 497 हटाना एक सुनियोजित षड़यंत्र...

27 September 2018
http://azaadbharat.org
🚩सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 377 के बाद अब धारा 497 पर फैसला सुनाया गया है । इस धारा के अंतर्गत व्यभिचार करते हुए कोई व्यक्ति पाया जाता तो दण्डित किया जा सकता था । इस धारा को हटाने के लिए हमारे देश में एक विशेष गुट कार्य कर रहा है । यह गुट देशवासियों को पशुतुल्य आचरण करने की छूट देना चाहता है । विडंबना यह है कि इस गिरोह के सुनियोजित षड़यंत्र को जानते हुए भी हम एकजुट होकर इनका विरोध नहीं कर पा रहे हैं । पिछले 15-20 वर्षों में इस गिरोह की हरकतें अनेक प्रकार से सामने आ रही हैं । जैसे मीडिया के माध्यम से बढ़ी अश्लीलता, लिव-इन-रिलेशनशिप, समलैंगिकता, पिंजरातोड़, विवाहेत्तर सम्बन्ध, विवाहपूर्व सम्बन्ध, विद्यालयों में सेक्स एजुकेशन ।  जिसके परिणाम निर्भया बलात्कार, छोटी-छोटी बच्चियों से लेकर वृद्ध महिलाओं से बलात्कार, बच्चों का यौन शोषण, सनकी आशिक के नाम पर लड़कियों पर हमला, एसिड अटैक, युवाओं में बढ़ते तलाक, कोर्ट-केस आदि के रूप में सामने आ रहे हैं । ऐसे समाज में परिवार समाप्त हो जाएंगे । सभी पशुतुल्य हो जाएंगे । समाज में विघटन हो जाएगा । यही विदेशी ताकतें चाहती हैं ।
🚩हमारे देश की संस्कृति के प्राण ही संयम और सदाचार रूपी आचरण में हैं । समलैंगिकता और स्वछंद व्यभिचार पर खुली छूट इसी सदाचार रूपी आचरण के विपरीत व्यवहार हैं । इसका परिणाम न केवल सामाजिक है अपितु आध्यात्मिक भी है । आत्म संयम धर्म का प्रदाता ईश्वर है । वेद इसी सन्देश को बड़े भव्य रूप से समझाते हैं । 
After Section 377, removal of Section
 497 is a well-planned conspiracy ...

🚩मनुष्य आत्म संयम धर्म की प्राप्ति के लिए ईश्वर से प्रार्थना करता है ।
हे (ईश्वर) मित्रा वरुणो आपके बताये हुए सत्य मार्ग से चलकर नौका से नदी की तरह पापरूपी नदी को हम तैर जाएँ। - ऋग्वेद 7/65/3
🚩इसी प्रकार वेद पाप रूपी आचरण से दूर रहने के लिए और चरित्र रक्षा के लिए उपदेश इस प्रकार से देते हैं: -

यजुर्वेद 4/28 – हे ज्ञान स्वरुप प्रभु ! मुझे दुश्चरित्र या पाप के आचरण से सर्वथा दूर करो तथा मुझे पूर्ण सदाचार में स्थिर करो ।
ऋग्वेद 8/48/5-6 – वे मुझे चरित्र से भ्रष्ट न होने दें ।
🚩वेद सामान्य व्यवहार में भी पापकर्म से बचने का उपदेश देते हैं :-
यजुर्वेद 3/45- ग्राम, वन, सभा और वैयक्तिक इन्द्रिय व्यवहार में हमने जो पाप किया है, उसे  हम अपने से अब सर्वथा दूर कर देते हैं ।
यजुर्वेद 20/15-16- दिन, रात्रि, जागृत और स्वप्न में हमारे अपराध और दुष्ट व्यसन से हमारे अध्यापक, आप्त विद्वान, धार्मिक उपदेशक और परमात्मा हमें बचाएँ ।
🚩वेद मनुष्य को मर्यादा पूर्ण जीवन यापन करने का उपदेश देते हैं :-
ऋग्वेद 10/5/6- ऋषियों ने सात मर्यादाएं बनाई हैं । उनमें से जो एक का भी उल्लंघन करता है, वह पापी है । चोरी, व्यभिचार, श्रेष्ठ जनों की हत्या, भ्रूण हत्या, सुरापान, दुष्ट कर्म को बार-बार करना और पाप करने के बाद छिपाने के लिए झूठ बोलना ।
🚩वेद मन से पापकर्म की इच्छा से भी रक्षा के लिए ईश्वर को प्रार्थना का उपदेश देते हैं :-
अथर्ववेद 6/45/1- हे मेरे मन के पाप ! मुझसे बुरी बातें क्यों करते हो ? दूर हटों, मैं तुझे नहीं चाहता ।
अथर्ववेद 11/5/19 - देवताओं (श्रेष्ठ पुरुषों) ने ब्रम्हचर्य और तप से मृत्यु (दुःख) का नष्ट कर दिया है ।
🚩वेद का सन्देश स्पष्ट है कि दुराचारी व्यक्ति कभी ईश्वर की प्राप्ति नहीं कर सकता :-
ऋग्वेद 7/21/5- दुराचारी व्यक्ति कभी भी प्रभु को प्राप्त नहीं कर सकता ।
🚩कल्पना कीजिए आप स्वयं एवं अपनी आने वाली संतति को कैसा समाज देना चाहेंगे ?
सदाचारी श्रेष्ठ उच्च आचरण वाले लोगों का समाज अथवा व्यभिचारी, चरित्रहीन, पशुतुल्य बलात्कारियों से भरा समाज । भारतवासियों को एकजुट होकर इस षड़यंत्र को नाकाम करने के लिए रणनीति बनानी चाहिए । अन्यथा देर न हो जाए । - ( लेखक : डॉ विवेक आर्य )
🚩पाश्चात्य भोगवादी सभ्यता के दुष्प्रभाव से देश की संस्कृति का ह्रास होता जा रहा है । विदेशी चैनल, चल-चित्र, अश्लील साहित्य आदि प्रचार माध्यमों के द्वारा युवक-युवतियों को गुमराह किया जा रहा है । विभिन्न सामयिकों और समाचार-पत्रों में भी तथाकथित पाश्चात्य मनोविज्ञान से प्रभावित मनोचिकित्सक और ‘सेक्सोलॉजिस्ट’ युवा छात्र-छात्राओं को चरित्र, संयम और नैतिकता से भ्रष्ट करने पर तुले हुए हैं । ऊपर ये ऐसा कानून बन जाए कि व्यभिचार करना कानून अपराध नहीं है तो फिर भगवान ही रक्षा करें ।
भारतवासियों को एकजुट होकर भारतीय संस्कृति को खत्म करने वाले कानूनो का विरोध करना चाहिए ।
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Thursday, September 27, 2018

भारत देश कहाँ जा रहा है ? कानून द्वारा पाश्चात्य संस्कृति थोपी जा रही है ?

27 September 2018
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🚩भारत से अंग्रेज तो चले गए, लेकिन अगर कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ने वाले जज बन जाते हैं तो उनकी मानसकिता भी ऐसी हो रही है, एक तरफ आम जनता को न्याय नहीं मिल पा रहा है, गौहत्या, 370, श्री राम मंदिर के लिए न्यायालय को समय नहीं है और आज बड़ा फैसला दिया कि व्यभिचार करना कोई अपराध नहीं है, इससे पहले समलैंगिक में शारीरिक संबंध बनाना कोई गलत कार्य नहीं है और इससे पहले लिव एंड रिलेशनशिप का कानून बनाया था इससे देखकर लगता है कि भारत कोई फिर से विदेशी शक्तियों से जकड़ तो नही गया है ?
🚩सुप्रीम कोर्ट ने एडल्ट्री (व्यभिचार) संबंधी कानून की धारा 497 को खारिज कर दिया ।
भारत में अब किसी भी तरह का सेक्सुअल संबंध अपराध नहीं है, शादी के बाद भी महिला दूसरे पुरुष से संबंध बना सकती है । पति उसके लिए कोई फरियाद नहीं कर सकता है ।
Where is India going? Western culture
 is being imposed by law?

🚩क्या था एडल्ट्री कानून (धारा 497):-
भारतीय दंड संहिता की धारा 497 के अनुसार यदि कोई पुरूष यह जानते हुए भी कि महिला किसी अन्य व्यक्ति की पत्नी है और उस व्यक्ति की सहमति या मिलीभगत के बगैर ही महिला के साथ यौनाचार करता है तो वह परस्त्रीगमन के अपराध का दोषी होगा । इस अपराध के लिये पुरूष को पांच साल की कैद या जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान था, लेकिन अब इस धारा को खत्म कर दिया गया है । कोई भी शादीशुदा महिला किसी भी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बना सकती है, पति या अन्य कोई रोकटोक नहीं कर सकते हैं ।
🚩समलैंगिकता अपराध नहीं:-
देश की सर्वोच्च अदालत ने पिछले दिनों में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटा दिया है । इसके अनुसार आपसी सहमति से दो वयस्कों के बीच बनाए गए समलैंगिक संबंधों को अब अपराध नहीं माना जाएगा ।
🚩वर्तमान कानून से अब कोई भी महिला, महिला के साथ और कोई भी पुरूष, पुरुष के साथ अप्राकृतिक शारीरिक संबंध बना सकता है, इसे कोई अपराध नहीं माना जाएगा ।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में समलैंगिकता को अपराध माना गया था । आईपीसी की धारा 377 के मुताबिक, जो कोई भी किसी पुरुष, महिला या पशु के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाता है तो इस अपराध के लिए उसे 10 वर्ष की सज़ा या आजीवन कारावास का प्रावधान रखा गया था । इसमें जुर्माने का भी प्रावधान था और इसे ग़ैर ज़मानती अपराध की श्रेणी में रखा गया था ।
लेकिन सुप्रीम ने अब इस धारा को भी हटा दिया है ।
🚩लिव एंड रिलेशनशिप कानून:-
लिव इन रिलेशनशिप का मतलब होता है जब एक लड़का और लड़की आपसी सहमति के बाद बिना शादी के पति-पत्नी की तरह रहते हैं । उसे लिव इन रिलेशनशिप कहा जाता है । यहाँ तक कि शादी करने की उम्र कम हो और नाबालिग हो तो भी पति-पत्नी के रूप में एक साथ रह सकते है ।
🚩जो लोग लिव इन रिलेशनशिप में रहते हैं उन दोनों को हमेशा इस बात का खतरा रहता है, कि उनका पार्टनर उन्हें छोड़कर कभी भी जा सकता है, क्योंकि लिव इन रिलेशनशिप में एक दूसरे को छोड़कर कभी भी जाने की आजादी होती है ।
मां-बाप और परिवार वालों को इस लिव इन रिलेशनशिप के बारे में पता चलता है तो वह बहुत ही परेशान होते हैं और तनाव में आ जाते हैं ।
🚩वर्तमान में ये जो तीनों कानून चल रहा है उसे भारतीय संस्कृति कभी भी स्वीकार नहीं करेगी क्योंकि हमारे शास्त्रों में लिखा है कि अपनी पत्नी के अलावा किसी से संबंध बनाना पाप है और उसे नर्क में जाना पड़ता है ।
ऐसे कानून भारत में नहीं बल्कि विदेशों में चलते हैं वे लोग पशु जैसा जीवन जीते हैं, पशु की नाई कुछ भी खा लिया, कहीं भी किसी से भी शारीरिक संबंध बना लिया ये सब भारतीय संस्कृति में नहीं है । भारतीय संस्कृति सभ्य संस्कृति है जो मानव से महेश्वर की तरफ ले जाती है और पाश्चात्य संस्कृति मनुष्य से पशु की तरफ ले जाती है ।
🚩भारत में आज जो ऐसे कानून बन रहे हैं इससे तो साफ पता चलता है कि भारतीय संस्कृति को तोड़ने का एक षड्यंत्र चल रहा है, विदेशी शक्तियों द्वारा कानून के जरिये पश्चिमी संस्कृति लाने का प्रयास चल रहा है, इससे विदेशी कम्पनियों को अरबों-खबरों का फायदा होगा क्योंकि व्यभिचार करेंगे तो गर्भनिरोधक दवाइयों की बहुत बिक्री होगी एवं लोग ज्यादा बीमार पड़ेंगे जिससे उनके व्यापार में बहुत फायदा होगा ।
🚩दूसरा धर्मान्तरण वालों को भी फायदा मिलेगा क्योंकि लोग व्यभिचारी हो जाएंगे तो अपने धर्म को नहीं मानेंगे जिससे उनको अपने ईसाई धर्म में ले जाने में आसानी होगी, जिससे उनकी वोटबैंक बढ़ेगी और वे फिर से भारत में राज कर सकेंगे ।
भारत मे ऐसे कानूनो को खत्म कर देना चाहिए नहीं तो आगे जाकर भयंकर नुकसान होगा ।
🚩भारतीय संस्कृति के सिद्धांतों पर चलनेवाले हजारों योगासिद्ध महापुरुष इस देश में हुए हैं, अभी भी हैं और आगे भी होते रहेंगे, जबकि पश्चिमी संस्कृति के मार्ग पर चलकर कोई योगसिद्ध महापुरुष हुआ हो ऐसा हमने तो नहीं सुना, बल्कि दुर्बल हुए, रोगी हुए, एड्स के शिकार हुए, अकाल मृत्यु के शिकार हुए, खिन्न मानस हुए, अशांत हुए । उस मार्ग पर चलनेवाले पागल हुए हैं,ऐसे कई नमूने हमने देखे हैं ।
अतः पश्चिमी संस्कृति का अंधानुकरण करके ऐसे कानून नहीं बनाएं जिससे व्यक्ति, समाज, देश और धर्म को नुकसान हो । कानून ऐसे हों कि सभी की उन्नति हो और देश आगे बढ़े ।
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