Thursday, November 28, 2019

सावधान : देश विरोधी वामपंथियों के हर आंदोलन का एकसूत्री अजेंडा...

28 नवम्बर 2019

🚩 *पिछले दिनों दो-तीन आंदोलन हुए हैं, जिसमें भारत के युवाओं ने (और कुछ बुजुर्ग बच्चों ने) भाग लिया। एक आंदोलन जेएनयू में फीस वृद्धि से ले कर उनके कैम्पस में आवाजाही पर लगाए गए कुछ प्रतिबंधों पर हो रहा है। दूसरा, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में जबरदस्ती एक मुसलमान शिक्षक को हिन्दू कर्मकांड, यज्ञ, अनुष्ठान आदि पढ़ाने के लिए नियुक्त करने के विरोध में संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के बच्चे कर रहे हैं। वहीं तीसरा प्रदर्शन या मार्च ‘दिल्ली क्वेयर परेड 2019’ के रूप में समलैंगिक संबंधों, सेक्सुअल ओरिएंटेशन एवम् जेंडर की भिन्न अवधारणाओं के समर्थन में किया गया।*

🚩 *प्रदर्शन की आवश्यकता क्यों पड़ती है?*

*खास कर ऐसे प्रदर्शनों की जहाँ किसी मानव की स्वच्छंदता पर सदियों से सामाजिक और दशकों का राजनैतिक पहरा रहा हो, वहाँ हमें रुक कर सोचना चाहिए। आप यह सोचिए कि कल से कोई कानून बना दिया जाए कि लड़के और लड़कियाँ, जब तक शादीशुदा न हों, कहीं भी एक साथ देखे जाने पर जेल में डाल दिए जाएँगे। फिर आपको कैसा लगेगा?*

🚩 *सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिकों के निजी संबंधों को नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का हनन बताते हुए उसे पिछले साल गैरआपराधिक घोषित कर दिया। ये भारत सरकार के विरुद्ध केस दायर हुआ था, जो एक दशक से चल रहा था। भाजपा की सरकार थी, जिसके कई मंत्रियों ने समलैंगिक संबंधों को मुखर हो कर अप्राकृतिक माना था, उसी सरकार ने इसका विरोध नहीं किया और समानता का अधिकार इन सबको मिला।*

🚩 *जाहिर है कि ऐसे मौकों पर खुशी के साथ-साथ अपने भीतर के क्रोध को भी लोग अभिव्यक्त करेंगे। वो करना भी आवश्यक है वरना दबे हुए भाव आपको पागल बना सकते हैं। इस बात को ले कर दिल्ली में कुछ सालों से LGBTQ समुदाय अपनी परेड निकालती रही है। आम तौर पर यहाँ आजादी को सेलिब्रेट किया जाता है, लोगों को बताया जाता है कि आपको जागरूक होने की जरूरत है, आप आइए और हमें जानिए।*

🚩 *ये सामाजिक जागरूकता के लिए होता है, अपने तरह के लोगों से मिलने का समय होता है और सदियों से दबाई गई स्वतंत्रता को खुले में आजमाने जैसा होता है। आप चाहें तो इनके अस्तित्व को मानें या नकार दें, वो आपकी मर्जी, लेकिन आपको उनसे घृणा करने का अधिकार नहीं है क्योंकि उनके होने से आपको किसी भी तरह की हानि नहीं पहुँचती।*

🚩 *वामपंथी जहर जब मिलता है ऐसे प्रदर्शनों में........*

*हालाँकि, हाल के दिनों में इन प्रदर्शनों को माओवंशी कामपंथियों ने हायजैक कर लिया है। ऐसे प्रदर्शनों को पूरी तरह से जागरूकता की जद से बाहर निकाल कर इसे भाजपा-विरोधी बना दिया गया है। आप यह सोचिए कि समलैंगिकों के मार्च में, उस सरकार की आलोचना क्यों हो रही है जिसने उन्हें अधिकार दिलाए? जिसे आप बंद सोच वाला कहते हैं, उसके प्रवक्ता ने कहा कि दुनिया बदल रही है और पार्टी इन अधिकारों के समर्थन में है।*

🚩 *फिर यहाँ ऐसी तख्तियाँ क्यों निकल आती हैं कि ‘मैं किसी के भी साथ सो सकती हूँ, पर भाजपाई के साथ नहीं ’ क्या किसी भाजपाई ने आपको बुलाया सोने के लिए साथ में ? अगर बुलाया भी हो तो आप निजी तौर पर अपने विचार रख दीजिए, पब्लिक में तख्ती ले कर घूमने का क्या मतलब है ? क्या भाजपा ने, या मोदी के मंत्रियों ने, मंत्रालयों के प्रवक्ताओं ने कहीं भी यह कहा है कि भाजपा वालों से सेक्स करें ???*

🚩 *फिर ये लोग क्यों बता रहे हैं कि वो किसके साथ संभोग करना चाहेंगी, किसके साथ नहीं। क्या पता भाजपा समर्थकों की सेक्स लाइफ काफी अच्छी हो गई हो क्योंकि वो लोग खुल्लमखुल्ला बता देते हैं कि उनकी विचारधारा क्या है। कम से कम कम्यूनिस्टों की तरह सीडी देने बुला कर, ड्रिंक में ड्रग्स मिला कर हॉस्टलों में बलात्कार तो नहीं करते! हो सकता है कि अपनी विचारधारा सामने लाने पर भाजपा समर्थक लोग काफी एक्टिव लाइफ जी रहे हों! फिर तुम्हें पूछ कौन रहा है कि :' ऐ लड़की, हम भाजपाई हैं, सेक्स करोगी ?' NOBODY GIVES A SHIT WHO YOU SLEEP WITH !!*

🚩 *साथ ही, एक लड़की यह तख्ती लिए घूम रही थी कि ‘भारत माता को चाहिए गर्लफ्रेंड’। मुझे नहीं लगता कि भारत माता को ब्वॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड चाहिए, भारत माता ‘भारत माता’ हैं, जिनको अपनी माँओं को गर्लफ्रेंड दिलाना है, बिल्कुल दिलाएँ लेकिन भारत माता को छोड़ दें। अब बात वही है कि जिनके दिमाग में दिन रात सेक्स का कीड़ा कुलबुलाता रहे, उनके लिए माँ क्या, बाप क्या ! वो तो तख्तियाँ ले कर कुछ भी लिख देंगे। उनके लिए संबंधों की अहमियत शून्य है क्योंकि दुनिया में हरेक जीव बस किसी प्रजाति की नर, मादा या उभयलिंगी है, और सबको सबसे सेक्स कर लेना चाहिए।*

🚩 *तुम्हें तीन ब्वॉयफ्रेंड चाहिए, चार गर्लफ्रेंड चाहिए, वो तुम्हारा मसला है। लेकिन इसमें आज भारत माता को खींच रही हो, कल को किसी हिन्दू देवी-देवता को खींच लोगे और तख्ती ले कर बताने लगोगे कि किसको क्या चाहिए। ऐसे लोग किसी भी अच्छे प्रदर्शन को प्रदूषित कर देते हैं और इन जैसों के कारण पूरा मुद्दा परिधि पर ढकेल दिया जाता है।*

🚩 *विरोधों का अक्सर कामपंथी नालायक दूषित करते रहे हैं.....*

 *इससे भारत माता पर कोई लांछन नहीं लगता। ये तख्ती सीधा उन लोगों को आहत करने के उद्देश्य से उठाया गया जिनकी भारत माता में आस्था है। इसके सहारे उन पर निशाना साधा गया जो राष्ट्र को माँ के रूप में देखते हैं। मतलब यह है कि ऐसे प्रदर्शनों में ऐसे तत्व भीड़ बन कर आ जाते हैं, ताकि उन्हें दो मिनट की ख्याति मिल जाए।*

🚩 *वामपंथियों की यह कला बहुत पुरानी है। इन्हें लगता है कि प्रोटेस्ट किसी भी बात की हो...उन पर इनका पहला अधिकार है, और ये उनके अपने लोग हैं। लगातार जनाधार खोते वामपंथी जब नितम्ब सटा कर स्कूलों के मॉनीटर का चुनाव जीतने को ही ‘मोदी को मिला जवाब’ मानने लगे हैं, तो इनके अजेंडे के लिए भीड़ जुटाना एक दुष्कर कार्य है।*

🚩 *इसलिए आप देख सकते हैं कि ये समलैंगिकों के मार्च में पहुँच जाते हैं जो कि एक सामाजिक अभियान है, और उसे राजनैतिक बना कर ये लोग उसमें अपना अजेंडा घुसा देते हैं। आश्चर्य होता है LGBTQ लोगों पर जो इन्हें अपना प्लेटफॉर्म दे देते हैं जैसे कि कॉन्ग्रेस या वामपंथियों ने इनके लिए कोई कानून बनाया हो। विडंबना यह है कि जिस सरकार ने न सिर्फ समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से मुक्त कराने में समर्थन दिया, बल्कि अब ट्रांसजेंडर विधेयक भी ले कर आ रही है, उसी सरकार के खिलाफ उसी LGBTQ समुदाय के लोग वामपंथियों को आवाज उठाने दे रहे हैं।*

🚩 *1991 से समलैंगिकों को सहमति से आपस में सेक्स करने की आजादी के लिए कानूनी लड़ाई चल रही थी। 2001 में नाज फाउंडेशन ने इस मुद्दे को उठाया और 2003 में इस पर दिल्ली हायकोर्ट में याचिकाएँ दाखिल हुईं, जिसे खारिज कर दिया गया। फिर 2009 में ये मुद्दा वापस आया और दिल्ली हायकोर्ट ने इनके पक्ष में निर्णय दिया। इसके बाद 2013 में बात सुप्रीम कोर्ट में पहुँची जिसने वापस इस निर्णय को पलट दिया।*

🚩 *आप याद कीजिए कि इन समयों में दिल्ली और केन्द्र में किनकी सरकारें थीं ?? साथ ही, यह भी याद कीजिए कि पिछले साल किसकी सरकार थी जिसने इस कानून के विरोध में जा कर, समलैंगिकों के हित में निर्णय दिलाया जबकि कोर्ट ने कहा था कि कानून बनाने का काम संसद का है। संसद में बहुमत वाली सरकार चाहती तो फैसला पलट सकती थी, लेकिन कॉन्ग्रेस सरकारों के उलट यही कथित फांसीवादी सरकार इन लोगों के समर्थन में खड़ी हुई।*

🚩 *पहली बार नहीं हुआ है यह......*

*हाल ही में जेएनयू में चल रहे आंदोलन में इन्हीं वामपंथियों ने अपनी मानसिक विकृति का नमूना दिखाया जब इन्होंने एक जगह ‘ब्रह्मणों भारत छोड़ो’ लिख दिया। आप यह सोचिए कि बढ़ी हुई फीस और कैम्पस के नए नियमों के विरोध में ब्राह्मणों की क्या भूमिका है कि उन्हें भारत छोड़ने को कहा जा रहा है? भूमिका यह है कि वामपंथी लम्पटों को एक विरोधी चाहिए जिसके खिलाफ वो विषवमन कर सकें।*

🚩 *चूँकि गरीबों के सारे मुद्दे मोदी ने उठा लिए और उन्हें घर दिया, घर में गैस चूल्हा दिया, बिजली दी, पानी दिया, बल्ब लगवाए, शौचालय बनवाया, बैंक अकाउंट दिया, दुर्घटना बीमा और स्वास्थ्य बीमाएँ दी… तो जाहिर है कि वामपंथी इस बात पर तो बात कर ही नहीं सकते कि गरीबों को लिए क्या किया। पहले गरीबों की स्थिति पर बात की जा सकती थी क्योंकि वाकई सत्तर सालों से उनकी ओर किसी ने इस तरह ध्यान दिया ही नहीं था।*

🚩 *अब वामपंथियों के पास वैसी बात करने के लिए कुछ है ही नहीं तो एक फर्जी मुद्दा उठाया जा रहा है कि ब्राह्मण ही लोगों की राह में खड़े हैं, वही सताते रहे हैं, वही सारी समस्याओं की जड़ में हैं। बात यह है कि वोटिंग पैटर्न बताता कि लोकसभा चुनावों में लोग जाति से ऊपर उठ कर भाजपा को वोट कर रहे हैं। साथ ही कई तरह से बँटा हुआ उत्तर प्रदेश भाजपा को तीन-चौथाई बहुमत दे देता है।*

🚩 *ऐसे समीकरण वामपंथियों को नहीं सुहाते क्योंकि ये आज भी भारत में रह कर कश्मीर और केरल की आजादी के नारे लगाते रहते हैं। भारतीय समाज को तोड़ने के लिए एक दुश्मन खोजना जरूरी है क्योंकि लोग अब सड़क-बिजली-सिलिंडर-बीमा जैसे मुद्दों पर वोट देने लगे हैं। उन्होंने मायावती और मुलायम जैसों की जातिवादी राजनीति को नकारा है।*

🚩 *इसलिए, छात्रों की बढ़ी हुई फीस की बात में ‘ब्राह्मणों भारत छोड़ो’ का तड़का लगा दिया जाता है। उन्हें पता है कि इस आंदोलन को लोग देख रहे हैं तो उसमें ये कलाकारी भी कर दी जाए। आप यह सोचिए कि बीएचयू के आंदोलन में कोई लड़का किसी दीवार पर ‘मुसलमानों भारत छोड़ो’ लिख देता, या ‘फिरोज वापस जाओ’ लिख देता, तो अचानक से पूरा बीएचयू, वहाँ के सारे हिन्दू छात्र, पूरा बनारस और अंततः मोदी के लोकसभा क्षेत्र होने के कारण पूरी भाजपा, भारत सरकार और पूरा हिन्दू समुदाय घेर लिया जाता कि मुसलमानों को भारत से भगाने की योजना बनाई जा रही है।*

🚩 *भला हो काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कारी छात्र-छात्राओं और शिक्षकों का जो धर्म पथ से बिना डिगे, डॉक्टर फिरोज खान के बारे में एक भी अपशब्द बोले, उनके पैर छूने को तैयार, लेकिन अपनी आस्था और पारंपरिक नियमों का हवाला देते हुए, भजन-कीर्तन और मंत्रोच्चारण करते हुए अपना विरोध रखा।*

🚩 *तैयार रहिए, लड़ाई लम्बी है.....*

*इसलिए इन वामपंथियों की एक-एक गतिविधि पर नजर रखना आवश्यक है। ये कभी प्रधानमंत्री की हत्या की योजना बनाने वाले शहरी नक्सलियों के समर्थन में खड़े हो जाते हैं, कभी मुसलमान आतंकी को फाँसी से बचाने के लिए दया याचिका पर दस्तखत करते हैं, कभी भारत के टुकड़े करने की बातें करते हैं, और कभी आंतकियों के जनाजे में वैचारिक रूप से शामिल होते हैं।*

🚩 *इनका इतिहास देखिए, इन्होंने हिंसा और नरसंहारों को मुखर सहमति दी है। वामपंथियों ने नरसंहार और हिंसक क्रांति को ग्लैमराइज ही नहीं किया बल्कि इसे एक जरूरत के रूप में प्रस्तुत किया है। ये मानना कि क्रांति का बस एक ही मार्ग है कि ग़रीब हाथ में हँसिया और कुल्हाड़ी लिए दौड़ें और हर अमीर को काट दें; एक आग लगाने वाली बात है। इससे आप उग्रवादियों को तैयार करते हैं क्योंकि ऐसी बातें फैला कर किसी की आर्थिक या सामाजिक स्थिति का फ़ायदा उठाकर उनसे वो कराया जा सके जो सिर्फ भाषणों से संभव नहीं।*

🚩 *ये वामपंथी भाषण देने और लोगों की भावनाओं को भड़काने में बहुत माहिर हैं। आप ज़रा सोचे कि किस लेनिन, माओ, ग्वेरा आदि ने एक ग़रीब को सत्ता दे दी कि ‘लो तुम इस देश के सर्वहारा हो, तुम इसे दिशा दो।’ ऐसा नहीं होता क्योंकि जब आपको सत्ता का उन्माद और एक उग्र भीड़ के पागलपन की तालियाँ सुनने की आदत पड़ जाए तो फिर आपको सर्वहारा की याद नहीं आती। आप क्रांति करते हैं सत्ता पाने के लिए, ना कि किसी का भला करने के लिए।*

🚩 *और उसके रास्ते में आने वाले नरसंहारों को आप ‘क्रांति' के नाम पर 'जायज’ होने की बात एक और स्पीच में कह देते हैं। एक पोस्टर में आप कुछ भी लिख कर कुछ जातियों को एक जाति के खिलाफ खड़ा कर सकते हैं, फिर वो मशाल ले कर आगजनी करते हैं, और नौ लोग मर जाते हैं। नेता ट्वीट करता रहता है, वो स्पीच देता रहता है। यही होती है सर्वहारा की क्रांति में नेता की स्थिति। सर्वहारा, सर्वहारा ही रहता है।*

🚩 *इस सोच और विचारधारा के स्तंभ धीरे धीरे गिर रहे हैं और गिरते रहेंगे। जिस समय में एक पक्षी की मौत पर लोग कैम्पेन और जुलूस निकालते हैं, वही समय इन कास्ट्रो, ग्वेरा आदि हत्यारों को उनकी जगह जरूर बताएगा। हिसाब तो लिया जाता रहा है और लिया जाता रहेगा। इस तरह के हिंसक और नरसंहारियों का हिसाब इतिहास करता रहा है, करता रहेगा। जरूरत है नए इतिहासकारों की जो वामपंथी नहीं हैं।*

🚩 *इसलिए खुद को तैयार कीजिए इनके वैचारिक आतंकवाद का बहिष्कार करने के लिए। ये लोग व्याभिचार करने में माहिर हैं, इनकी कुंठित मानसिकता ऐसे आँकड़ों में दिखती है जहाँ जेएनयू लड़कियों से छेड़छाड़ के मामले में देश का अव्वल विश्वविद्यालय बन जाता है। इसलिए ये समलैंगिकों को परेड में भारत माता के लिए लेस्बियन सेक्स पार्टनर ढूँढते नजर आते हैं।* https://hindi.opindia.com/opinion/social-issues/sex-and-spreading-hate-leftist-liberal-protests-agenda-jnu-bhu-lgbtq-delhi/

🚩 *इनकी जातिवादी सोच से बच कर रहिए क्योंकि 2012 में ‘हमें जातिगत राजनीति से ऊपर उठ कर सोचना चाहिए’ लिखने वाला वामपंथी वागले 2019 में कॉन्ग्रेस की सरकार में सहभागिता देखते ही लिख बैठता है कि ‘ब्राह्मण भाँड़ में जाएँ’। यही इनका असली चेहरा है। ये किसी के सगे नहीं, न गरीबों के, न दलितों के, न मुसलमानों के, न वंचितों के। ये लोग घृणा की राजनीति, बिखरे हुए राष्ट्र और सेक्स के लिए व्याकुल, कुंठित, व्याभिचारी समाज के लिए हल्ला करते हैं। इन्हें वैचारिक रूप से मसल दें।*

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पादरी करते है मासूम बच्चों का यौन शोषण?, आपका भी दिल पसीज जाएगा*

27 नवम्बर 2019

🚩 *हिंदू धर्मगुरु पर साजिस के तहत कोई झूठा आरोप भी लगा दे तो उनके लिए मीडिया दिन-रात झूठी कहानियां बनाकर जनता को परोसने लगती है जिससे आम जनता को भी झूठी कहानियां की कुछ बाते सही लगने लगती है पर ईसाई पादरी मासूम बच्चों का यौन शोषण करते है उनकी जिंदगी खराब कर देते है फिर भी मीडिया इसपर मौन रहती है।*

🚩 *दो पादरियों को कोर्ट ने दोषी माना*

*अर्जेंटीना के एक कैथोलिक स्कूल में 10 बधिर बच्चों का यौन शोषण करने के मामले में 2 पादरियों को कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए 40 वर्ष से अधिक कारावास की सजा सुनाई। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मेंडोजा में 3 न्यायाधीशों के पैनल ने सोमवार (नवंबर 25, 2019) को 83 वर्षीय पादरी निकोला कोराडी को 42 वर्ष और 59 वर्षीय पादरी होरासियो कोरबाचो को 45 वर्ष कारावास की सजा सुनाई।*

🚩 *इसके अलावा कोर्ट ने माली अरमांडो गोम्ज को भी 18 साल की सजा सुनाई है। जानकारी के मुताबिक दोनों पादरी ने 2005 से 2016 के बीच में अपने कुकर्मों को अंजाम दिया। 2016 में इसका खुलासा हुआ था।*

🚩 *उल्लेखनीय है कि पीड़ितों के वकील सर्गियो सलिनास ( Sergio Salinas) ने एक साक्षात्कार में कहा कि इस घटना के लिए पोप फ्रांसिस को सार्वजनिक तौर पर माफी माँगनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चर्च ने इस मामले में उचित ढँग से काम नहीं किया है।*

🚩 *इस मामले में उन्होंने चर्च पर आरोप लगाया कि वे अपराधियों के ख़िलाफ़ न केवल सबूत पेश करने में विफल हुआ, बल्कि उसने जानकारियाँ भी छिपाई। पीड़ितों की शिकायतों का मजाक उड़ाया गया। सलिनास के अनुसार इस मामले में चर्च की गवाही अविश्वसनीय है। गौरतलब है कि पिछले कुछ दशकों में पादरियों द्वारा यौन शोषण करने का काफी मामले सामने आए हैं। इनमें से कई मामले दबाने का आरोप पोप फ्रांसिस पर है।*

🚩 *3 बच्चियों का 70 साल के पादरी ने किया यौन शोषण*

*बच्चियाँ चर्च में अपनी सेवाएँ देने के बाद पादरी के दफ्तर में आशीर्वाद लेने गई थीं। इसी दौरान आशीर्वाद देने के बहाने पादरी ने तीनों का बारी-बारी से यौन शोषण किया। आरोपित पादरी जॉर्ज पदयट्टी के खिलाफ पॉक्सो ऐक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है।*

🚩 *घटना पिछले महीने की है। जानकारी के मुताबिक, 9 साल की तीनों बच्चियाँ चर्च में अपनी सेवाएँ देने के बाद चर्च स्थित दफ्तर में पादरी का आशीर्वाद लेने गई थीं। इस दौरान आशीर्वाद देने के बहाने पादरी ने तीनों नाबालिगों से बारी-बारी से यौन शोषण किया। पुलिस ने बताया कि यह घटना एक महीने पुरानी है और केस दर्ज होने के बाद से ही पादरी फरार चल रहा है।*

🚩 *गौरतलब है कि इसी तरह की एक घटना में, थालास्सेरी पॉक्सो अदालत ने कैथोलिक पादरी रॉबिन वडक्कमचेरी को नाबालिग लड़की के साथ रेप करने और उसे कैद रखने के आरोप में 20 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। साथ ही उस पर 3 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया था।*

🚩 *700 पादरियों पर यौन शोषण का आरोप*

*रोमन कैथोलिक चर्च के मुखिया पोप फ्रांसिस ने भी ये स्वीकार किया था कि यौन शोषण और आर्थिक अनियमितताआें के आरोपों से घिरे कैथोलिक चर्च से लोग दूर होते जा रहे हैं। पोप ने कहा था कि यौन शोषण के मामलों से निपटने में चर्च सफल नहीं हो पाया है।*

🚩 *अमेरिका के इलिलोईस प्रांत में करीब 700 पादरियों पर बच्चों के यौन शोषण का आरोप लगा है। इलिनोइस के अटॉर्नी जनरल ने अपनी एक रिपोर्ट में इस बात पर चिंता जताई है कि चर्च इन आरोपों से निपटने में अक्षम रहा है। ज्ञात हो कि चर्च ने यौन शोषण के आरोपित पादरियों की संख्या 185 बताई थी लेकिन अटॉर्नी जनरल लीसा मैडिगन के अनुसार ऐसे पादरियों की संख्या इस से कहीं बहुत ज्यादा है। अटॉर्नी जनरल की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार उन्होंने अपनी जांच में पाया कि चर्च ने इन आरोपों की या तो अच्छे से जाँच नहीं की या फिर इस तरफ ध्यान ही नहीं दिया। अपने रिपोर्ट में मैडिगन ने कहा;*

🚩 *“चूंकि मैं यह जानता हूँ कि चर्च ने बहुतों बार पादरियों द्वारा यौन शोषण के पीड़ितों को नजरअंदाज किया है, मैं अपनी जांच में पाए गए निष्कर्षों को सामने रखना चाहता हूँ। हालांकि ये निष्कर्ष प्रारंभिक हैं लेकिन ये इस जाँच को जारी रखने की जरूरत को दर्शाते हैं।”*

🚩 *बता दें कि मैडिगनने ये जांच अगस्त में ही शुरू की थी और इसके बाद से वो कई बिशप्स, पादरियों, पीड़ितों और चर्च से जुड़े लोगों से बात कर चुकी है।*

🚩 *जब कोई हिंदू साधु संत पर झूठे आरोप लगते हैं तब मीडिया कई दिनों तक खूब हल्ला करती है और जब वे निर्दोष बरी हो जाते हैं तब चुप हो जाती है और ठीक उससे उलट जब ईसाई पादरी पर सबूत के साथ दुष्कर्म के आरोप लगते हैं या सजा हो जाती तब मीडिया चुप रहती है, ऐसे दोगलेपन से लगता है कि कुछ मीडिया को हिन्दू धर्म व हिन्दू धर्मगुरुओं से नफ़रत है या उनके खिलाफ खबरें चलाने के पैसे मिलते हैं ।*

🚩 *हिंदू साधु-संत भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार करके हमारी संस्कृति को मजबूत बनाते हैं और जनता को जागरूक करते हैं । वे राष्ट्र विरोधी ताकतों को रास नहीं आता है इसलिए उनको बदनाम करते हैं, झूठे आरोप लगाते हैं पर उन बिचारे निर्दोष मासूम बच्चों का रेप करते हैं पादरी उन पर सब ख़ामोश रहते ।*

🚩 *हिंदू धर्म व धर्मगुरुओं पर हो रहे षड्यंत्र को समझें और उसका डटकर विरोध करें ।*

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Tuesday, November 26, 2019

माँ सरस्वती का प्रकटस्थल पर आज भी कब्जा किया हुआ है, पढ़ी जाती है नमाज

26 नवम्बर  2019

*🚩इस्लामी आक्रमणकारियों ने जिस प्रकार से अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि, मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मस्थान एवं काशी के विश्वनाथ मंदिर को बलपूर्वक ले लिया था , उसी प्रकार का प्रयत्न वे धार (मध्यप्रदेश) की भोजशाला के विषय में कर रहे हैं । भोजशाला, अर्थात विद्या की देवी सरस्वती का प्रकटस्थल ! अपने अनेक प्रकार की विद्याओं का जनक भारतीय विश्वविद्यालय ! महापराक्रमी राजा भोज की तपोभूमि ! इस सरस्वतीदेवी के मंदिर में आज प्रत्येक शुक्रवार को ‘नमाज’ पढ़ी जाती है । सहस्रों वर्ष से चल रहा इस भोजशाला मुक्ति का संघर्ष आज भी जारी है । अधर्मी शासन मतों की तुष्टीकरण राजनीति से प्रेरित होकर हिन्दुओं के आस्था केंद्रों की उपेक्षा कर रहा है ।*

*🚩सरस्वती देवी की प्रकटस्थली, अर्थात वाग्देवी मंदिर का इतिहास:*

*‘पूर्वकाल में मालवा राज्यके (वर्तमान मध्यप्रदेश के) परमार वंश में महापराक्रमी और महाज्ञानी राजा भोज (शासनकाल वर्ष 1010 से 1065) हुए । इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर सरस्वती देवी ने उन्हें दर्शन दिए थे ।  तत्पश्चात, राजा भोज ने सुप्रसिद्ध मूर्तिकार मनथल द्वारा संगमरमर पत्थर से देवी की शांतमुद्रा में मनमोहक मूर्ति बनवाई । राजा भोज को जिस स्थानपर वाग्देवी के अनेक समय दर्शन हुए थे, उसी स्थानपर इस मूर्ति की स्थापना की गई।*

*🚩केवल सरस्वती देवी  प्रकटस्थली नहीं, अपितु भारत का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय !*

*🚩राजा भोज ने ‘सरस्वतीदेवी की उपासना’, ‘हिन्दू जीवनदर्शन’ एवं ‘संस्कृत प्रसार’के लिए वर्ष 1034 में धार में भोजशाला का निर्माण किया । इस भोजशाला में भारतका सबसे बडा विश्वविद्यालय और विश्व  प्रथम संस्कृत अध्ययन केंद्र बना । इस विश्वविद्यालय में देश-विदेश के 1 सहस्र 400 विद्वानों ने अध्यात्म, राजनीति, आयुर्वेद चिकित्सा, व्याकरण, ज्योतिष, कला, नाट्य, संगीत, योग, दर्शन इत्यादि विषयों का ज्ञान प्राप्त किया था । इसके अतिरिक्त इस विद्यालय में वायुयान, जलयान, चित्रकशास्त्र (कैमरा), स्वयंचलित यंत्र इत्यादि विषयों में भी सफल प्रयोग किए गए थे । एक सहस्र वर्षपूर्व राजा भोजके किए हुए कार्य को भारतीय शासकों ने दुर्लक्षित किया था, किंतु आज भी विश्व उसे आश्चर्यभरी दृष्टिसे देख रहा है । इस विषय में संसार के 28 विश्वविद्यालयों में अध्ययन और प्रयोग किए जा रहे हैं ।*

*🚩राजा भोज के राज्य की अखंडता पर कपट से आघात करनेवाला कमाल मौलाना’*

*राजा भोज के असामान्य कर्तृत्व के कारण उनके राज्यपर आक्रमण करने का साहस किसी को नहीं होता था । उनकी मृत्यु के लगभग 200 वर्ष पश्चात, इस राज्य की अखंडता पर पहला आघात किया सूफी संत के रूप में घूमनेवाले कमाल मौलाना ने ! वर्ष 1269 में मालवा में आए इस मौलाना ने यहां 36 वर्ष रहकर राज्य के तथा यहां के सर्व गुप्त मार्गों की जानकारी एकत्र की । इस काल में उसने इस्लाम का प्रचार, तंत्र-मंत्र, जादूटोना, गंडा-डोरा का योजनाबद्ध प्रयोग कर सैकडों हिन्दुओं को मुसलमान बनाया । इस स्थिति का अनुचित लाभ उठाते हुए अलाउद्दीन खिलजी ने मालवा राज्य पर आक्रमण कर दिया ।*

*🚩वाग्देवी की मूर्ति का अंगभंग करनेवाला अलाउद्दीन खिलजी *

*अलाउद्दीन खिलजी ने वर्ष 1305 में मालवा राज्यपर आक्रमण कर दिया । यह आक्रमण रोकने के लिए राजा महलकदेव और सेनापति गोगादेव जी-जान से लड़े । भोजशाला के आचार्यों और विद्यार्थियों ने भी खिलजी की सेना का प्रतिकार किया । किंतु, इस युद्ध में वे पराजित हुए । खिलजी ने 1200 विद्वानों को बंदी बनाकर इनके समक्ष प्रस्ताव रखा -‘इस्लाम धर्म अपना लो’ अथवा ‘मृत्यु’के लिए तैयार हो जाओ । उसने, मुसलमान बनना अस्वीकार करनेवालों की हत्या कर उनके शवों को भोजशाला के यज्ञकुंड में फेंक दिया तथा जिन लोगों ने मृत्युसे भयभीत होकर मुसलमान बनना स्वीकार कर लिया, ऐसे कुछ मुट्ठी भर लोगों को विष्ठा स्वच्छ करने के कार्य में लगा दिया । खिलजी ने भोजशाला सहित हिन्दुओं के अनेक मानबिंदु स्थानों को उद्ध्वस्त किया । उसने वाग्देवी की मूर्ति का भी अंग-भंग किया तथा मालवा राज्य में इस्लामी शासन आरंभ किया ।*

*🚩श्री सरस्वती मंदिर के कुछ भाग का मस्जिद में रूपांतर*

*खिलजी के पश्चात गोरी ने वर्ष 1401 में मालवा राज्य को अपना राज्य घोषित किया तथा सरस्वती मंदिर का कुछ भाग मस्जिद में रूपांतरित कर दिया ।*

*🚩भोजशाला को मस्जिद में बनाने के लिए उसे खंडित करने का प्रयत्न*

*गोरी के पश्चात महमूदशाह खिलजी ने वर्ष 1514 में भोजशाला को खंडित कर वहां मस्जिद बनाने का प्रयत्न किया । महमूदशाह के इस कुकृत्य का राजपूत सरदार मेदनीराय ने प्रबल प्रत्युत्तर दिया । इस प्रत्युत्तर की विशेषता यह थी कि महमूदशाह को चुनौती देने के लिए सरदार मेदनीराय ने मालवा राज्य के वनवासियों को प्रेरित किया । धर्मयुद्ध की प्रेरणा से संगठित वनवासियों की सहायता से मेदनीराय ने महमूदशाह के सहस्रों सैनिकों को मार डाला तथा 900 सैनिकों को बंदी बना लिया । अंततः, इस पराजय से भयभीत महमूदशाह ने गुजरात पलायन किया ।*

*🚩महमूदशाह तो भाग गया; किंतु कमाल मौलाना की मृत्यु के 204 वर्ष पश्चात उसने अपने शासनकाल में, भोजशाला की बाहरी भूमिपर अवैध अधिकार कर वहां पर उसकी कब्र बना दी । यह कब्र आज भी हिन्दुओं के लिए सिरदर्द बनी हुई है । आज इस कब्र के आधारपर देवी सरस्वती के मंदिर को कमाल मौलाना की मस्जिद बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है ।  प्रत्यक्ष में वर्ष 1310 में कमाल मौलाना की मृत्यु के पश्चात उसे कर्णावती (अहमदाबाद), गुजरात में दफना दिया गया ।*

*🚩हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित कर मंदिर को मस्जिद में रूपांतरित*

*सैकड़ों वर्ष से आरंभ भोजशाला पर आक्रमण के इतिहास में भारत की स्वतंत्रता के पश्चात, 12.5.1997 को एक नया मोड़ आया, जब कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक अध्यादेश जारी कर अपना हिन्दूद्वेष प्रकट किया । इस अध्यादेश के अनुसार भोजशालाकी सर्व प्रतिमाओं को हटा दिया गया । वहां हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया । दिग्विजय सिंह का हिन्दूद्वेष इतने पर ही नहीं थमा, उन्होंने भोजशाला को मस्जिद होने की मान्यता दे डाली । उन्होंने, भोजशाला की रक्षा हेतु पराक्रमी हिन्दू राजाओं के और सैनिकों के बलिदान का अनादर करते हुए भोजशाला मुसलमानों को दे डाली । भोजशाला में नमाज पढने की अनुमति देकर उसे भ्रष्ट भी किया गया । इस अध्यादेश से पूर्व भोजशाला में हिन्दुओं की पूजा-अर्चनापर प्रतिबंध था; परंतु प्रवेश की अनुमति थी । यह अनुमति भी इस अध्यादेशद्वारा समाप्त कर दी गई । हिन्दुओं को वर्ष में केवल एक दिन वसंत पंचमीपर विविध प्रतिबंधात्मक नियमों के साथ भोजशाला में प्रवेश की अनुमति दी गई ।*

*🚩वर्ष 2002 में तो हिन्दुओं को वर्ष में एक दिन दी गई भोजशाला प्रवेश की अनुमति में भी बाधा डाली गई । इस वर्ष की वसंत पंचमी समीप आनेपर कमाल मौलाना के जन्मदिन को निमित्त बनाकर भोजशाला में नमाज, कव्वाली और लंगर का आयोजन किया गया । तत्कालीन कांग्रेसी शासनने भी हिन्दुओंपर पहलेसे अधिक कडा नियम बनाकर धर्मांधों को  प्रोत्साहित किया । इस परिवर्तित नियम के अनुसार वसंत पंचमी के दिन हिन्दुओं को दिनके 1 बजेतक ही पूजा-अर्चना करने की तथा मंदिर में अकेले प्रवेश करने की अनुमति दी गई । सबके लिए एक ढोलक, एक ध्वनिक्षेपक और ध्वज भी एक होगा । दोपहर 2 बजे के पश्चात मुसलमानोंका कव्वाली और लंगर का कार्यक्रम आरंभ होगा, यह आदेश प्रशासन ने जारी किया ।*

*🚩संघर्ष करनेवाले हिन्दुओं पर किए गए अगणित अत्याचार*

*हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों का हनन करनेवाले प्रशासनिक आदेशको अमान्य कर सहस्रों हिन्दू भोजशाला में पूजा करने आए । उस दिन राजकीय अवकाश होनेके कारण हिन्दुओंको अपनी न्यायोचित मांगोंके लिए भी कोई मंच उपलब्ध नहीं था । हिन्दूद्वेषी शासकोंके आदेशसे पुलिस कर्मियोंने यज्ञ करने भोजशालामें जानेवाले युगलोंको रोका, गालियां दी तथा महिलाओंके हाथसे पूजाकी थाली छीनकर फेंक दी । हिन्दुओंको धक्के मारकर पीछे ढकेला तथा बिना कोई पूर्वसूचना दिए श्रद्धालुओंपर लाठी प्रहार किया । यह सब सहकर भी हिन्दुओंने कठोर विरोध करते हुए भोजशालामें यज्ञ और सरस्वतीदेवीकी महाआरती पूर्ण की । हिन्दुओंके इस सफल कृत्यसे क्रुद्ध कांग्रेसी राज्यशासनने देवीकी पूजा करनेके अपराधमें 40 कार्यकर्ताओंपर पुलिसकी दैनंदिनीमें असत्य आरोप प्रविष्ट किए । शासनकी इस दमननीतिका प्रत्युत्तर देनेके लिए सहस्रों लोगोंने धार जनपदके सर्व पुलिस थानोंका घेराव कर अपनेआपको बंदी बनवाया । तत्पश्चात, सत्याग्रहके रूपमें प्रत्येक मंगलवारको भोजशालाके बाहर मार्गमें आकर ‘सरस्वती वंदना’ और ‘हनुमान चालीसा पढना’ प्रारंभ किया गया ।*

*🚩संगठन खड़ा करनेवाले धर्माभिमानी हिन्दू*

*कांग्रेसी शासन की दमननीति का अनुभव करनेवाले हिन्दुओं ने किसी भी परिस्थितिमें वर्ष 2003 तक भोजशाला हिन्दुओंके लिए मुक्त करनेके उद्देश्यसे व्यापक जनजागरण कर ‘धर्मरक्षक संगम’ सभा आयोजित करनेका निश्चय किया । इन सभाओंको व्यापक जन समर्थन मिलता देखकर घबराए दिग्विजय सिंह शासनने ‘धर्मरक्षक संगम’को विफल बनानेके लिए प्रयत्न आरंभ कर दिए । कांग्रेसी शासनने अत्यंत निम्नस्तरपर जाकर निम्नानुसार दुष्टताका हथकंडा अपनाकर हिन्दुओंके संगठनमें बाधाएं उपस्थित करनेका प्रयत्न किया –*

*🚩1 शासन ने, इस कार्यक्रम के प्रचार के लिए चिपकाए गए 20 सहस्र भित्ति-पत्रकोंको पुलिसकर्मियोंके हाथों फडवा दिया अथवा उनपर कोलतार पोतवा दिया ।*

*🚩2. वसंत पंचमी समीप आनेपर ही राज्य शासनने ‘ग्राम संपर्क  अभियान’ आरंभ कर उसमें 19 सहस्र हिन्दू राजकीय सेवकों को नियुक्त किया ।*

*🚩3. ‘धर्मरक्षक संगमके कार्यक्रममें उपद्रव एवं बमविस्फोट होंगे’,यह भय फैलाकर लोगों को कार्यक्रम में जाने से रोका ।*

*🚩4. वसंत पंचमीके केवल पांच दिन पूर्व धारस्थित सर्व धर्मशाला, पाठशाला, ‘लॉज’ और बसगाडियोंको अधिगृहीत कर लिया गया तथा निजी वाहनवालोंको धमकाया ।* 

*🚩5. गांवोंमें 5 सहस्र सैनिकोंका पथसंचलन (परेड) करवाकर भयका वातावरण उत्पन्न किया ।*

*🚩6. वसंत पंचमीके दिन राज्यशासनने 16 केंद्रोंमें 32 विभागोंसे संबंधित जनसमस्याओंका निवारण करनेके लिए शिविरोंका आयोजन किया । इस शिविरमें प्रस्तुत की गई सभी समस्याओंका निवारण तुरंत किया, जिन्हें पहले करनेमें अनेक फेरे मारने पडते थे । इसी प्रकार, इस शिविरमें सहस्रों लोगोंको निःशुल्क भोजन दिया ।*

*🚩कांग्रेसी शासन के उपर्युक्त हिंदुद्रोही षड्यंत्र को विफल करते हुए 1 लाख से अधिक हिन्दू धर्माभिमानी ‘धर्मरक्षा संगम’में उपस्थित हुए थे । इस सभामें शासनको चेतावनी दी गई कि वह भोजशालाको हिन्दुओंके लिए प्रतिबंधमुक्त करे । इस आंदोलनकी तीव्रता देखकर तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन और सांस्कृतिक मंत्री श्री. जगमोहनने भोजशालाको प्रतिबंधमुक्त करनेके लिए मध्यप्रदेशके मुख्यमंत्रीको पत्र लिखा था । तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंहने इस पत्र को कूड़े के डिब्बे में फेकते हुए भोजशालाको कमाल मौलानाकी मस्जिद घोषित कर वहां पूजा करने जानेवाले हिन्दुओंको कारागृहमें डाल दिया तथा उन्हें जानसे मारनेकी धमकी भी दी । यह शासन इतनेपर ही नहीं रुका; उसने पुलिसबलका प्रयोग कर हिन्दुओंका दमन आरंभ कर दिया । इन सर्व अत्याचारोंमें भी अडिग रहकर हिन्दुओंने संगठित होकर जो संघर्ष किया, उसके परिणामस्वरूप 698 वर्ष पश्चात 8.4.2003 को प्रतिदिन दर्शन और प्रत्येक मंगलवारको केवल अक्षत-पुष्पके साथ भोजशालामें प्रवेशको स्वीकृति दी गई । भोजशाला सरस्वती देवीका मंदिर है, यह शासनने स्वीकार किया । वर्षमें केवल वसंतपंचमीपर कुछ प्रतिबंधोंके साथ पूजा करनेकी अनुमति दी गई । दूसरी ओर मुसलमानोंको प्रति शुक्रवार नमाज पढनेकी अनुमति दी गई, जो आजतक चल रही है ।*

*🚩हिन्दुओं के वसंत पंचमी के उत्सव में नमाज पढ़ने की अनुमति*

*🚩वर्ष 2003 के पश्चात थोडी-थोडी स्वीकृत मांगोंको मानकर हिन्दू भोजशालामें दर्शनके लिए जाने लगे थे । वर्षमें एक ही दिन वसंत पंचमीको उन्हें वास्तविक अर्थोंमें भोजशालामें विधि-विधानसे पूजा-अर्चना करनेकी अनुमति थी । वर्ष 2006 में शुक्रवारको ही वसंत पंचमी आनेके कारण हिन्दुओंने राज्यशासनसे मांग की कि आजके दिन यहां नमाज न पढने दी जाए, केवल हिन्दुओंको पूजाकी अनुमति मिले, जिसे शासनने अमान्य कर दिया । भारतीय जनता पार्टीके मुख्यमंत्री शिवराज सिंहने मुसलमानोंको संतुष्ट रखनेके लिए तथा अपने दलकी धर्मनिरपेक्ष छवि बनानेके लिए भोजशालाकी यज्ञाग्नि बुझाकर मुसलमानोंको नमाज पढनेकी अनुमति दी । भाजपा नेताओंने हिन्दुओंको फुसलाकर भोजशाला खाली करवाई । दूसरी ओर संत और उपस्थित हिन्दुओंपर गोलियां बरसा कर उन्हें वहांसे भगा दिया गया । इस मार-पीटमें 74 हिन्दू गंभीर रूपसे घायल हुए । हिन्दुओंको पीटनेके साथ-साथ 164 हिन्दुओंपर हत्याके प्रयत्न करनेका अपराध भी प्रविष्ट कर दिया । वहीं, मुसलमानोंको पुलिसके वाहनोंमें बैठाकर वहां नमाज पढनेके लिए सब प्रकारसे सहायता की ।*

*🚩सरस्वती देवीको बंदीगृहमें रखनेवाले भाजपाके मुख्यमंत्री !*

*🚩वर्ष 2006 के पश्चात पुनः वर्ष 2011 में  भाजपा शासनका हिन्दूद्वेषी रूप दिखा । राजा भोजकी जन्मशताब्दीपर धारके हिन्दुओंने सरस्वती देवीकी भव्य पालकी यात्रा आयोजित की थी । ‘लंदनके संग्रहालयमें रखी वाग्देवीकी मूर्तिको लाकर भोजशालामें स्थापित करूंगा’, ऐसी गर्जना करनेवाले; किंतु सत्तामदसे उन्मत्त भाजपाने मंदिरमें स्थापित वाग्देवीकी नवीन मूर्तिका अधिग्रहण कर बंदीगृहमें डाल दिया; पालकी यात्राके समारोहपर प्रतिबंध लगा दिया एवं इस समारोहका आयोजन करनेवाले कार्यकर्ताओंको भी कारागृहमें डाल दिया । इन कुकृत्योंका जब हिन्दुओंने तीव्र विरोध किया, तब यह मूर्ति हिन्दुओंको हस्तांतरित कर कार्यकर्ताओं को कारागृह से मुक्त किया गया ।*

*षड्यंत्र में सम्मिलित न होने वाले हिन्दुत्ववादियों को यातनाएं*

*🚩वर्ष 2012 में भाजपा शासनने पुनः वसंत पंचमीके पूर्व वाग्देवीकी मूर्तिको बंदीगृहमें डालकर सरस्वती जन्मोत्सवपर प्रतिबंध लगा दिया । शासनके इस कृत्यका असमर्थन करनेवाले संघ कार्यकर्ताओंके परिजनोंकी दुर्दशा की गई । तब मूर्तिको कारागृहसे मुक्त करनेके तथा जन्मोत्सवके लक्ष्यसे प्रेरित हिन्दुओंने आमरण अनशन प्रारंभ किया । लोकतंत्रद्वारा स्वीकृत अनशनसमान शांतिपूर्ण मार्गसे होनेवाले आंदोलनको भी शासनने कुचल दिया । स्तोत्र : हिन्दू जन जागृति* https://www.hindujagruti.org/hindi/news/1140.html

*🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके ने माँ सरस्वती जी के प्राकट्य स्थल लेने के लिए आवाज उठाई है हिंदुओं को उनका साथ देना चाहिए और हिंदू स्थल को कानूनी तौर से मुक्त करना चाहिए।*

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