Friday, April 28, 2023

रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम

 *रसोई में भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम*


अमेरिका में क्या हुआ जब घर में खाना बनाना बंद हो गया ? 

1980 के दशक के प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी लोगों को चेतावनी कि यदि वे परिवार में आर्डर देकर बाहर से भोजन मंगवाऐंगे तो देश मे परिवार व्यवस्था धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी। 

साथ ही दूसरी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण घर के सदस्यो के स्थान पर बाहर से पालन पोषण की व्यवस्था की तो यह भी बच्चो के मानसिक विकास व परिवार के लिए घातक होगा।

 लेकिन बहुत कम लोगों ने उनकी सलाह मानी। घर में खाना बनाना लगभग बंद हो गया है, और बाहर से खाना मंगवाने की आदत (यह अब नॉर्मल है), अमेरिकी परिवारों के विलुप्त होने का कारण बनी है जैसा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी।

घर मे खाना बनाना मतलब परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से जुड़ना।

*पाक कला मात्र अकेले खाना बनाना नहीं है। बल्कि केंद्र बिंदु है, पारिवारिक संस्कृति का।*

घर मे अगर कोई किचन नहीं है , बस एक बेडरूम है, तो यह घर नहीं है, यह एक हॉस्टल है।


*अब उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जाने जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और सोचा कि अकेले बेडरूम ही काफी है?*

1-1971 में, लगभग 72% अमेरिकी परिवारों में एक पति और पत्नी थे, जो अपने बच्चों के साथ रह रहे थे।

2020 तक, यह आंकडा 22% पर आ गया है।

2-पहले साथ रहने वाले परिवार अब नर्सिंग होम (वृद्धाश्रम) में रहने लगे हैं।

3-अमेरिका में, 15% महिलाएं एकल महिला परिवार के रुप में रहती हैं।

4-12% पुरुष भी एकल परिवार के रूप में रहते हैं।

5-अमेरिका में 19% घर या तो अकेले रहने वाले पिता या माता के स्वामित्व में हैं।

6-अमेरिका में आज पैदा होने वाले सभी बच्चों में से 38% अविवाहित महिलाओं से पैदा होते हैं।उनमें से आधी लड़कियां हैं,  जो बिना परिवारिक संरक्षण के अबोध उम्र मे ही शारीरिक शोषण का शिकार हो जाती है ।

7-संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 52% पहली शादियां  तलाक में परिवर्तित होती हैं।

8- 67% दूसरी शादियां भी  समस्याग्रस्त हैं।


 अगर किचन नहीं है और सिर्फ बेडरूम है तो वह पूरा घर नहीं है।

संयुक्त राज्य अमेरिका विवाह की संस्था के टूटने का एक उदाहरण है।

*हमारे आधुनिकतावादी भी अमेरिका की तरह दुकानों से या आनलाईन भोजन ख़रीदने की वकालत कर रहे हैं और खुश हो रहे हैं कि भोजन बनाने की समस्या से हम मुक्त हो गए हैं। इस कारण भारत में भी परिवार धीरे-धीरे अमेरिकी परिवारों की तरह नष्ट हो रहे हैं।*

जब परिवार नष्ट होते हैं तो मानसिक और शारीरिक दोनों ही स्वास्थ्य बिगड़ते हैं। बाहर का खाना खाने से अनावश्यक खर्च के अलावा शरीर मोटा और संक्रमण के प्रति संवेदनशील और बिमारीयों का घर  हो जाता है।

शारीरिक स्वास्थ्य और मानसिक स्वास्थ्य किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक है।


*इसलिए हमारे घर के बड़े-बूढ़े लोग, हमें बाहर के खाने से बचने की सलाह देते थे*

लेकिन आज हम अपने परिवार के साथ रेस्टोरेंट में खाना खाते हैं...",

Online hotel delivery के माध्यम से अजनबियों द्वारा पकाए गए( विभिन्न कैमिकल युक्त) भोजन को ऑनलाइन ऑर्डर करना और खाना, उच्च शिक्षित, मध्यवर्गीय लोगों के बीच भी फैशन बनता जा रहा है।

दीर्घकालिक आपदा होगी ये आदत...

*आज हमारा खाना हम तय नही कर रहे उलटे ऑनलाइन कंपनियां विज्ञापन के माध्यम से मनोवैज्ञानिक रूप से तय करती हैं कि हमें क्या खाना चाहिए...*

हमारे पूर्वज निरोगी और दिर्घायु इस लिए थे कि वो घर क्या ...यात्रा पर जाने से पहले भी घर का बना ताजा खाना बनाकर ही ले जाते थे ।

*इसलिए घर में ही बनाएं और मिल-जुलकर खाएं । पौष्टिक भोजन के अलावा, इसमें प्रेम और स्नेह निहित है।*

Thursday, April 27, 2023

ईद पर प्रसारित हुआ लव जिहाद प्रोपेगेंडा फैलाने वाला वीडियो पोस्ट :: हिंदू सगठनों में आक्रोश

 27  Apirl 2023

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🚩स्क्रीन पर हिन्दुओं के प्रति घृणा परोसने और पोसने का काम पहले फिल्मों के जरिए धड़ल्लले से होता था। मगर पिछले कुछ समय से हिंदू जागरूक हुए और उन्होंने सवाल उठाकर फिल्मों का बॉयकॉट शुरू किया तो ज़ाहिर है जिहादियों में चिंता बढ़ गई कि अब कैसे हिन्दुत्व को नीचा दिखाया और मिटाया जाए। ऐसे में इन्होंने ये नया तरीका खोजा - विज्ञापनों का।


🚩केरल में ईद पर सोशल मीडिया में एक विवादित वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में लव जिहाद को बढ़ावा दिया गया है। इसके खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। ये पूरा मामला केरल के कोट्टयम जिले का है।


🚩VIP Luggage का लिखा नाम ::



🚩दरअसल, वी.आई.पी. लगेज कंपनी ने पुलिस में शिकायत की है। क्योंकि वीडियो के नीचे कंपनी का नाम लिखा गया है, ताकि वीडियो देखने वालों को ऐसा लगे , कि ये विज्ञापन वी.आई.पी. लगेज का है।


🚩बता दें कि , इससे पहले भी लव जिहाद को बढ़ावा देने वाले कई विज्ञापन जारी किये जा चुके हैं। जिस पर कड़ी आपत्ति जताई गई थी। सोशल मीडिया में कंपनी को बॉयकट करने की मांग उठी। इसके बाद विज्ञापन को हटाना पड़ा।


🚩क्या है वीडियो...!?


🚩वीडियो में एक मुस्लिम युवक हल्की दाढ़ी और टोपी पहने दिख रहा है। वहीं एक हिन्दू लड़की उस युवक से प्रेम करती है। युवक उसे नए ( मुस्लिम महिलाओं की पोशाक) कपड़े देता है ।अब अगले दृश्य में वह लकड़ी युवक के सामने नई (मुस्लिम महिला के पहनावे में ) ड्रेस में आती है , लेकिन अबतक वह माथे के बिंदी नहीं हटाई थी। इसके बाद युवक उसके बिंदी को निकाल देता है , फिर सिर पर चुनरी ओढ़ाता है।


🚩हिंदूवादी संगठनों ने यह आरोप लगाया है , कि ये वीडियो पूरी तरह से लव जिहाद को प्रोत्साहन देने वाला और साफ तौर पर हिन्दुत्व विरोधी है। सभी ने इस वीडियो पर कड़ी आपत्ति जताई है।


🚩VIP Luggage कंपनी ने मामले को संज्ञान में लिया...

वी.आई.पी. लगेज के अध्यक्ष 'दिलीप पीरामल' ने कहा , " यह मेरे संज्ञान में आया है, कि एक लव जिहाद वीडियो प्रसारित किया जा रहा है और इस वीडियो के अंत में एक वी.आई.पी. स्लाइड डाली गई है, जो यह दिखाने के लिए है , कि हम इस संदेश के प्रायोजक हैं । यह वी.आई.पी. के साथ धोखाधड़ी है। हम इस मामले की जांच कर रहे हैं और कानून के तहत हमारे पास उपलब्ध सबसे सख्त कार्यवाही करेंगे।"


🚩महत्वपूर्ण स्पष्टीकरण ::

"यह एक नकली विज्ञापन है, जो वी.आई.पी. और स्काईबैग्स नामक ब्रांड्स का अवैध रूप से उपयोग कर रहा है। हमारी छवि को खराब कर रहा है। वी.आई.पी. इंडस्ट्रीज का विडियो निर्माता से कोई संबंध नहीं है और हमने पुलिस शिकायत भी दर्ज करवाई है। हम अखंडता और विविधता के सम्मान के लिए खड़े हैं। आपके समर्थन के लिए धन्यवाद ।"


🚩विज्ञापन का उद्देश्य वैसे तो अपने दर्शकों को अपने उत्पादों का उपभोक्ता बनाना ही होता है, लेकिन उसमें भी हिन्दुत्व विरोधी प्रोपेगेंडा का तड़का मिले तो जिहादियों को और क्या चाहिए, फिर उनके लिए वही सबसे बेस्ट ऐड हो जाता है।


🚩दुखद पर खास गौरतलब है , कि आजकल विज्ञापन बनाते हुए ध्यान रखा जाता है , कि कैसे भी मुस्लिम समुदाय कहीं नेगेटिव शेड में न दिखा दिया जाए और गलती से भी हिन्दू सरल, शांत या महान न नजर आ जाए।


🚩रेड लेबल की हिंदू घृणा ::

नहीं यकीन...!?  तो याद कीजिए रेड लेबल के कुछ पुराने विज्ञापनों को। चायपत्ती की इतनी बड़ी कंपनी ने एक नहीं दो-दो बार अपने विज्ञापनों में हिंदू विरोधी कंटेंट दिखाया था।


🚩एक ऐड में दिखाया गया , कैसे एक हिंदू गणेश मूर्ति लेने आता है, लेकिन दुकानदार मुस्लिम होता है। मुस्लिम जैसे ही अपनी टोपी सिर पर पहनता, हिन्दू उससे भागने लगता है। फिर मुस्लिम व्यक्ति इतना अच्छा होता है , कि उसे बुलाकर चाय पिलाता है और हिन्दू की बुद्धि बदलती है,फिर वो उसी से मूर्ति खरीदता है।


🚩ऐसे ही दूसरे ऐड में , एक हिंदू दंपती नजर आते हैं , जो अपने घर की चाबी भूल गए हैं। उनके पड़ोस में मुस्लिम महिला उन्हें अपने घर बैठकर प्रतीक्षा करने की सलाह देती है। पर हिन्दू अपनी सोच के कारण उसके घर में जाने से मना करते हैं। फिर चाय की खुशबू आती है, जो उन्हें एहसास कराती है कि हिंदू-मुस्लिम कुछ नहीं होता..। हास्यास्पद और कट्टर हिन्दुत्व विरोधी विज्ञापन ।


🚩इतना ही नहीं , आजकल तो विज्ञापनों में आए दिन बच्चों का इस्तेमाल भी धड़ल्ले से हिन्दू रीति-रिवाजों पर हमला करने ,हिन्दू मान्यताओं को ठेस पहुँचाने ,हिन्दू त्योहारों पर सवाल उठाने के लिए किया जा रहा है…! और यह तरीका न सिर्फ असरदार बल्कि बेहद आम होता जा रहा है। अपने प्रोपेगेंडे के लिए, ये लोग बच्चों को भी नहीं बक्शते हैं।

🚩सर्फ एक्सेल के एड में दिखाया जाता है , कि हिन्दू लड़की मुस्लिम लड़के को रंगों से बचाते हुए मस्जिद ले जाती है। वहीं एक दूसरे विज्ञापन में संदेश दिया जाता है कि श्राद्ध में खाना ब्रह्माण को खिलाओ या फिर मौलवी को बात एक ही है।


🚩ऐसे तमाम विज्ञापनों के उदाहरण आज इंटरनेट पर मौजूद हैं, जिनका उद्देश्य केवल और केवल हिंदू घृणा का प्रचार-प्रसार करना है। बच्चों से बुजुर्गों तक का उपयोग विज्ञापन में करते हुए दिखाया जा रहा है, कि हिन्दू हमेशा गलत ही रहता है और गैर-हिन्दू कितने समझदार , सीधे सच्चे , सज्जन व सरल स्वभाव के होते हैं ।


🚩ऐसा लगता है कि आज के समय में विज्ञापन बनाने का मानक ही यह रह गया हो कि या तो हिन्दू परंपराओं पर सवाल उठाकर उन्हें बदलने का संदेश दो, वरना ये दिखाओ की कैसे देश के हिन्दुओं की सोच मुस्लिमों के प्रति बदली जानी चाहिए।


🚩तमाम हिन्दू संगठनों व प्रत्येक जागरुक नागरिक की मांग है , कि ऐसे घृणा फैलाने वाले विज्ञापनों पर सरकार को प्रतिबंध लगाना ही चाहिए।


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Wednesday, April 26, 2023

गंगा जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं.....

26  Apirl 2023

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🚩रहस्य : माँ गंगा पृथ्वी पर क्यों और कैसे आयी ? जानिए:-


🚩गंगा नदी उत्तर भारत की केवल जीवनरेखा नहीं, अपितु हिंदू धर्म का सर्वोत्तम तीर्थ है। ‘आर्य सनातन वैदिक संस्कृति’ गंगा के तट पर विकसित हुई, इसलिए गंगा हिंदुस्तान की राष्ट्ररूपी अस्मिता है एवं भारतीय संस्कृति का मूलाधार है। इस कलियुग में श्रद्धालुओं के पाप-ताप नष्ट हों, इसलिए ईश्वर ने उन्हें इस धरा पर भेजा है। वे प्रकृति का बहता जल नहीं; अपितु सुरसरिता (देवनदी) हैं। उनके प्रति हिंदुओं की आस्था गौरीशंकर की भांति सर्वोच्च है। गंगाजी मोक्षदायिनी हैं इसीलिए उन्हें गौरवान्वित करते हुए पद्मपुराण में (खण्ड ५, अध्याय ६०, श्लोक ३९) कहा गया है, ‘सहज उपलब्ध एवं मोक्षदायिनी गंगाजी के रहते विपुल धनराशि व्यय (खर्च) करनेवाले यज्ञ एवं कठिन तपस्या का क्या लाभ ?’ नारदपुराण में तो कहा गया है, ‘अष्टांग योग, तप एवं यज्ञ, इन सबकी अपेक्षा गंगाजी का निवास उत्तम है । गंगाजी भारत की पवित्रता का सर्वश्रेष्ठ केंद्र बिंदु हैं, उनकी महिमा अवर्णनीय है।’


🚩मां गंगाजी की ब्रह्मांड में उत्पत्ति:-




🚩‘वामनावतार में श्री विष्णु ने दानवीर बलीराजा से भिक्षा के रूप में तीन पग भूमि का दान मांगा। राजा बलि इस बात से अनभिज्ञ थे कि स्वयं भगवान श्री विष्णु ही वामन के रूप में आए हैं, राजा ने उसी क्षण भगवान वामन को तीन पग भूमि दान की। भगवान वामन ने विराट रूप धारण कर पहले पग में संपूर्ण पृथ्वी तथा दूसरे पग में अंतरिक्ष व्याप लिया। दूसरा पग उठाते समय वामन के (श्रीविष्णु के) बाएं पैर के अंगूठे के धक्के से ब्रह्मांड का सूक्ष्म-जलीय कवच टूट गया। उस छिद्र से गर्भोदक की भांति ‘ब्रह्मांड के बाहर के सूक्ष्म-जल ने ब्रह्मांड में प्रवेश किया। यह सूक्ष्म-जल ही गंगा है। गंगाजी का यह प्रवाह सर्वप्रथम सत्यलोक में गया।ब्रह्मदेव ने उसे अपने कमंडलु में धारण किया। तदुपरांत सत्यलोक में ब्रह्माजी ने अपने कमंडलु के जल से श्रीविष्णु के चरणकमल धोए। उस जल से गंगाजी की उत्पत्ति हुई। तत्पश्चात गंगाजी की यात्रा सत्यलोक से क्रमशः तपोलोक, जनलोक, महर्लोक, इस मार्ग से स्वर्गलोक तक हुई। जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी है) इन दिनों में गंगाजी में गोता मारने से विशेष सात्विकता, प्रसन्नता और पुण्यलाभ होता है।


🚩पृथ्वी पर गंगाजी की उत्पत्ति:

सूर्यवंश के राजा सगर ने अश्वमेघ यज्ञ आरंभ किया। उन्हों ने दिग्विजय के लिए यज्ञीय अश्व भेजा एवं अपने 60 सहस्त्र (हजार) पुत्रों को भी उस अश्व की रक्षा हेतु भेजा। इस यज्ञ से भयभीत इंद्रदेव ने यज्ञीय अश्व को कपिल मुनि के आश्रम के निकट बांध दिया। जब सगर पुत्रों को वह अश्व कपिल मुनि के आश्रम के निकट प्राप्त हुआ, तब उन्हें लगा, ‘कपिलमुनि ने ही अश्व चुराया है’। इसलिए सगर पुत्रों ने ध्यानस्थ कपिल मुनि पर आक्रमण करने की सोची । कपिलमुनि को अंतर्ज्ञान से यह बात ज्ञात हो गई तथा अपने नेत्र खोले। उसी क्षण उनके नेत्रों से प्रक्षेपित तेज से सभी सगर पुत्र भस्म हो गए। कुछ समय पश्चात सगर के प्रपौत्र राजा अंशुमन ने सगर पुत्रों की मृत्यु का कारण खोजा एवं उनके उद्धार का मार्ग पूछा। कपिल मुनि ने अंशुमन से कहा, “गंगाजी को स्वर्ग से भूतल पर लाना होगा। सगर पुत्रों की अस्थियों पर जब गंगाजल प्रवाहित होगा, तभी उनका उद्धार होगा !’’ मुनिवर के बताए अनुसार गंगा को पृथ्वी पर लाने हेतु अंशुमन ने तप आरंभ किया। अंशुमन की मृत्यु के पश्चात उसके सुपुत्र राजा दिलीप ने भी गंगावतरण के लिए तपस्या की। अंशुमन एवं दिलीप के हजार वर्ष तप करने पर भी गंगावतरण नहीं हुआ, परंतु तपस्या के कारण उन दोनों को स्वर्ग लोक प्राप्त हुआ। (वाल्मीकि रामायण, काण्ड १, अध्याय ४१, २०-२१)


🚩‘राजा दिलीप की मृत्यु के पश्चात उनके पुत्र राजा भगीरथ ने कठोर तपस्या की। उनकी इस तपस्या से प्रसन्न होकर गंगामाता ने राजा भगीरथ से कहा, ‘‘मेरे इस प्रचंड प्रवाह को सहना पृथ्वी के लिए कठिन होगा। अतः तुम भगवान शंकर को प्रसन्न करो।’’ आगे भगीरथ की घोर तपस्या से शंकर प्रसन्न हुए तथा भगवान शंकर ने गंगाजी के प्रवाह को जटा में धारण कर उसे पृथ्वी पर छोडा। इस प्रकार हिमालय में अवतीर्ण गंगाजी भगीरथ के पीछे-पीछे हरिद्वार, प्रयाग आदि स्थानों को पवित्र करते हुए बंगाल के उपसागर में (खाडी में) लुप्त हुईं।’


🚩बता दे कि जिस दिन गंगाजी की उत्पत्ति हुई वह दिन ‘गंगा जयंती’ (वैशाख शुक्ल सप्तमी) हैं और जिस दिन गंगाजी पृथ्वी पर अवतरित हुईं वह दिन ‘गंगा दशहरा’ (ज्येष्ठ शुक्ल दशमी ) के नाम से जाना जाता है।


🚩जगद्गुरु आद्य शंकराचार्यजी, जिन्होंने कहा है : एको ब्रह्म द्वितियोनास्ति । द्वितियाद्वैत भयं भवति ।। उन्होंने भी ‘गंगाष्टक’ लिखा है, गंगा की महिमा गायी है। रामानुजाचार्य, रामानंद स्वामी, चैतन्य महाप्रभु और स्वामी रामतीर्थ ने भी गंगाजी की बड़ी महिमा गायी है। कई साधु-संतों, अवधूत-मंडलेश्वरों और जती-जोगियों ने गंगा माता की कृपा का अनुभव किया है, कर रहे हैं तथा बाद में भी करते रहेंगे।


🚩अब तो विश्व के वैज्ञानिक भी गंगाजल का परीक्षण कर दाँतों तले उँगली दबा रहे हैं! उन्होंने दुनिया की तमाम नदियों के जल का परीक्षण किया परंतु गंगाजल में रोगाणुओं को नष्ट करने तथा आनंद और सात्त्विकता देने का जो अद्भुत गुण है, उसे देखकर वे भी आश्चर्यचकित हो उठे।


🚩ऋषिकेश  में स्वास्थ्य-अधिकारियों ने पुछवाया कि यहाँ से हैजे की कोई खबर नहीं आती, क्या कारण है ? उनको बताया गया कि यहाँ यदि किसीको हैजा हो जाता है तो उसको गंगाजल पिलाते हैं। इससे उसे दस्त होने लगते हैं तथा हैजे के कीटाणु नष्ट हो जाते हैं और वह स्वस्थ हो जाता है। वैसे तो हैजे के समय घोषणा कर दी जाती है कि पानी उबालकर ही पियें। किंतु गंगाजल के पान से तो यह रोग मिट जाता है और केवल हैजे का रोग ही मिटता है ऐसी बात नहीं है, अन्य कई रोग भी मिट जाते हैं। तीव्र व दृढ़ श्रद्धा-भक्ति हो तो गंगास्नान व गंगाजल के पान से जन्म-मरण का रोग भी मिट सकता है।


🚩सन् 1947 में जलतत्त्व विशेषज्ञ कोहीमान भारत आया था। उसने वाराणसी से गंगाजल लिया। उस पर अनेक परीक्षण करके उसने विस्तृत लेख लिखा, जिसका सार है – ‘इस जल में कीटाणु-रोगाणुनाशक विलक्षण शक्ति है।’


🚩दुनिया की तमाम नदियों के जल का विश्लेषण करनेवाले बर्लिन के डॉ. जे. ओ. लीवर ने सन् 1924 में ही गंगाजल को विश्व का सर्वाधिक स्वच्छ और कीटाणु-रोगाणुनाशक जल घोषित कर दिया था।


🚩‘आइने अकबरी’ में लिखा है कि ‘अकबर गंगाजल मँगवाकर आदर सहित उसका पान करते थे। वे गंगाजल को अमृत मानते थे।’ औरंगजेब और मुहम्मद तुगलक भी गंगाजल का पान करते थे। शाहनवर के नवाब केवल गंगाजल ही पिया करते थे।


🚩कलकत्ता के हुगली जिले में पहुँचते-पहुँचते तो बहुत सारी नदियाँ, झरने और नाले गंगाजी में मिल चुके होते हैं। अंग्रेज यह देखकर हैरान रह गये कि हुगली जिले से भरा हुआ गंगाजल दरियाई मार्ग से यूरोप ले जाया जाता है तो भी कई-कई दिनों तक वह बिगड़ता नहीं है। जबकि यूरोप की कई बर्फीली नदियों का पानी हिन्दुस्तान लेकर आने तक खराब हो जाता है।


🚩रुड़की विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक कहते हैं कि ‘गंगाजल में जीवाणुनाशक और हैजे के कीटाणुनाशक तत्त्व विद्यमान हैं।’


🚩फ्रांसीसी चिकित्सक हेरल ने देखा कि गंगाजल से कई रोगाणु नष्ट हो जाते हैं। फिर उसने गंगाजल को कीटाणुनाशक औषधि मानकर उसके इंजेक्शन बनाये और जिस रोग में उसे समझ न आता था कि इस रोग का कारण कौन-से कीटाणु हैं, उसमें गंगाजल के वे इंजेक्शन रोगियों को दिये तो उन्हें लाभ होने लगा!


🚩संत तुलसीदासजी कहते हैं : गंग सकल मुद मंगल मूला। सब सुख करनि हरनि सब सूला।। (श्रीरामचरित. अयो. कां. : 86.2)


🚩सभी सुखों को देनेवाली और सभी शोक व दुःखों को हरनेवाली माँ गंगा के तट पर स्थित तीर्थों में पाँच तीर्थ विशेष आनंद-उल्लास का अनुभव कराते हैं : गंगोत्री, हर की पौड़ी (हरिद्वार), प्रयागराज त्रिवेणी, काशी और गंगासागर। गंगा दशहरे के दिन गंगा में गोता मारने से सात्त्विकता, प्रसन्नता और विशेष पुण्यलाभ होता है।


🚩गंगाजी की वंदना करते हुए कहा गया है :

संसारविषनाशिन्यै जीवनायै नमोऽस्तु ते । तापत्रितयसंहन्त्र्यै प्राणेश्यै ते नमो नमः ।।

‘देवी गंगे ! आप संसाररूपी विष का नाश करनेवाली हैं। आप जीवनरूपा हैं। आप आधिभौतिक,आधिदैविक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का संहार करनेवाली तथा प्राणों की स्वामिनी हैं। आपको बार-बार नमस्कार है।’


🚩यमुना नदी में कुछ सालों से इतना गन्दा किया जा रहा है कि उसे अब स्वच्छ करने की अत्यधिक आवश्यकता हैं। ये जवाबदारी सरकार के साथ साथ हम आप सभी की हैं। हमें ध्यान रखना होगा कि हम यमुना नदी में कूड़ा करकट न डाले ओर नही ही किसी को डालने दे।


🚩जनता की मांग है की माँ गंगाजी की सफाई शीघ्रता से होनी चाहिए।


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Tuesday, April 25, 2023

सदियों पहले आद्य शंकराचार्य पर भी किये थे अनेक प्रहार जो आप नही जानते होंगे

25  Apirl 2023

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🚩इस संसार में सज्जनों, सत्पुरुषों और संतों को जितना सहन करना पड़ता है उतना दुष्टों को नहीं। ऐसा मालूम होता है कि इस संसार ने सत्य और सत्त्व को संघर्ष में लाने का मानो ठेका ले रखा है। यदि ऐसा न होता तो मीरा को जहर नही दिया जाता, उड़िया बाबा की हत्या नही की जाती, स्वामी दयानन्द जी को जहर न दिया जाता और लिंकन व कैनेडी की हत्या न होती।

 

🚩आज भी कई सच्चे महापुरुष है जिन्होनें सनातन संस्कृति की रक्षा करके समाज को जगाने का कार्य किया, लेकिन उनके ऊपर षडयंत्र करके जेल भिजवा दिया गया या हत्या करवा दी।

 

🚩इस संसार का यह कोई विचित्र रवैया है कि इसका अज्ञान-अँधकार मिटाने के लिए जो अपने आपको जलाकर प्रकाश देता है, संसार की आँधियाँ उस प्रकाश को बुझाने के लिए दौड़ पड़ती हैं। टीका, टिप्पणी, निन्दा, गलत चर्चाएँ और अन्यायी व्यवहार की आँधी चारों ओर से उस पर टूट पड़ती है।


 

🚩आद्य शंकराचार्यजी के खिलाफ साजिस 

 

🚩श्रीमद आदि गुरू शंकराचार्य का जन्म केरल के कालडी़ नामक ग्राम में हुआ था। वह अपने ब्राह्मण माता-पिता की एकमात्र सन्तान थे। बचपन में ही उनके पिता का देहान्त हो गया। बचपन का नाम शंकर था,  उनकी रुचि आरम्भ से ही संन्यास की तरफ थी।

 

🚩जिस समय इस देश में आद्य शंकराचार्यजी का आविर्भाव हुआ था उस समय असामाजिक तत्त्व अनीति, शोषण, भ्रम तथा अनाचार के द्वारा समाज को गलत दिशा में ले जा रहे थें। समाज में फैली इस अव्यवस्था को देखकर बालक शंकर का हृदय काँप उठा। उसने प्रतिज्ञा की कि ‘मैं राष्ट्र के धर्मोद्धार के लिए अपने सुख की तिलांजलि देता हूँ। अपने श्रम और ज्ञान की शक्ति से राष्ट्र की आध्यात्मिक शक्तियों को जागृत करूँगा। चाहे उसके लिए मुझे सारा जीवन साधना में लगाना पड़े, घर छोड़ना पड़े अथवा घोर-से-घोर कष्ट सहने पड़ें, मैं सदैव तैयार रहूँगा।’

 

🚩बालक शंकर माँ से आज्ञा लेकर चल पड़े अपने संकल्प को साधने। उन्होंने सद्गुरु स्वामी गोविंदपादाचार्यजी से दीक्षा ली। इसके बाद वे साधना एवं वेद-शास्त्रों के गहन अध्ययन से अपने ज्ञान को परिपक्व कर बालक शंकर से जगद्गुरु आद्य शंकराचार्य बन गये। शंकराचार्यजी अपने गुरुदेव से आशीर्वाद प्राप्त कर देश में वेदांत का प्रचार करने चल पड़े। भगवान श्रीराम, श्रीकृष्ण जैसों को भी दुष्टों के उत्पीड़न सहने पड़े तो आचार्य उससे कैसे बच पाते ? शंकराचार्यजी के धर्मकार्य में विधर्मी हर प्रकार से रुकावट डालने का प्रयास करने लगे, कई बार उन पर मर्मांतक प्रहार भी किये गयें।

 

🚩कपटवेशधारी उग्रभैरव नामक एक दुष्ट व्यक्ति ने आचार्य की हत्या के लिए शिष्यत्व ग्रहण किया। आचार्य को मारने की उसकी साजिश विफल हुई और अंततः वह भगवान नृसिंह के प्रवेश अवतार द्वारा मारा गया।

 

🚩कर्नाटक में बसनेवाली कापालिक जाति का मुखिया था क्रकच। वह मांस-शराब आदि अनेक दुराचारों में लिप्त था। कर्नाटक की जनता उसके अत्याचारों से त्रस्त थी। आचार्य शंकर के दर्शन, सत्संग एवं सान्निध्य के प्रभाव से लोग कापालिकों द्वारा प्रसारित दुर्गुणों को छोड़ने लगें और शुद्ध, सात्त्विक जीवन की ओर आकृष्ट होने लगें। सैकड़ों कापालिक भी मांस-शराब को छोड़कर शंकराचार्यजी के शिष्य बन गये। इस पर क्रकच घबराया। उसने शंकराचार्यजी का अपमान किया, गालियाँ दीं और वहाँ से भाग जाने को कहा। शंकराचार्यजी ने उसके विरोध की कोई परवाह नहीं की और अपनी संस्कृति का, अपने धर्म का प्रचार-प्रसार निष्ठापूर्वक करते रहे। इस पर क्रकच ने उन्हें मार डालने की धमकी दी। उसने बहुत-से दुष्ट शिष्यों को शराब पिलाकर शंकराचार्यजी को मारने हेतु भेजा। धर्मनिष्ठ राजा सुधन्वा को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने अपनी सेना को भेजा और युद्ध में सारे कापालिकों को मार गिराया।

 

🚩अभिनव गुप्त भी एक ऐसा ही महामूर्ख था जो आचार्य के लोक-जागरण के कार्यों को बंद कराना चाहता था। वह भी अपने शिष्यों सहित आचार्य से पराजित हुआ। वह दुराभिमानी, प्रतिक्रियावादी, ईर्ष्यालु स्वभाव का था। वह आचार्य के प्रति षड्यंत्र करने लगा। दैवयोग से उसे भगंदर का रोग हो गया और कुछ ही दिनों बाद उसकी मृत्यु हो गयी।

 

🚩आद्य शंकराचार्यजी का इतना कुप्रचार किया गया कि उनकी माँ के अंतिम संस्कार के लिए उन्हें लकड़ियाँ तक नहीं मिल रही थीं।

 

🚩आद्य शंकराचार्य जी ने तत्कालीन भारत में व्याप्त धार्मिक कुरीतियों को दूर कर अद्वैत वेदान्त की ज्योति से देश को आलोकित किया। सनातन धर्म की रक्षा हेतु उन्होंने भारत में चारों दिशाओं में चार मठों की स्थापना की तथा शंकराचार्य पद की स्थापना करके उस पर अपने चार प्रमुख शिष्यों को आसीन किया।

🚩उन्होंने उत्तर में ज्योतिर्मठ, दक्षिण में श्रृंगेरी, पूर्व में गोवर्धन तथा पश्चिम में शारदा मठ नाम से देश में चार धामों की स्थापना की। 32 साल की अल्पायु में पवित्र केदार नाथ धाम में शरीर त्याग दिया। सारे देश में शंकराचा‍र्य को सम्मान सहित आदि गुरु के नाम से जाना जाता है।

 

🚩शंकराचार्य के विषय में कहा गया है-

अष्टवर्षेचतुर्वेदी, द्वादशेसर्वशास्त्रवित् षोडशेकृतवान्भाष्यम्द्वात्रिंशेमुनिरभ्यगात्

 

🚩अर्थात् आठ वर्ष की आयु में चारों वेदों में निष्णात हो गए, बारह वर्ष की आयु में सभी शास्त्रों में पारंगत, सोलह वर्ष की आयु में शांकरभाष्य लिखा तथा बत्तीस वर्ष की आयु में शरीर त्याग दिया। ब्रह्मसूत्र के ऊपर शांकरभाष्य की रचना कर विश्व को एक सूत्र में बांधने का प्रयास भी शंकराचार्य के द्वारा किया गया है।

 

🚩इस संसार में ईर्ष्या और द्वेषवश जिसने भी महापुरुषों का अनिष्ट करना चाहा, देर-सवेर दैवी विधान से उन्हीं का अनिष्ट हो जाता है। संतों-महापुरुषों की निंदा करना, उनके दैवी कार्य में विघ्न डालना यानी खुद ही अपने अनिष्ट को आमंत्रित करना है। उग्रभैरव, क्रकच व अभिनव गुप्त का जीवन इसका प्रत्यक्ष प्रमाण है।

 

🚩समाज जब किसी ज्ञानी संतपुरुष की शरण तथा सहारा लेने लगता है तब राष्ट्र, धर्म व संस्कृति को नष्ट करने के कुत्सित कार्यों में संलग्न असामाजिक तत्त्वों को अपने षडयन्त्रों का भंडाफोड़ हो जाने का एवं अपना अस्तित्व खतरे में पड़ने का भय होने लगता है, परिणामस्वरूप अपने कुकर्मों पर पर्दा डालने के लिए वे उस दीये को ही बुझाने के लिए नफरत, निन्दा, कुप्रचार, असत्य, अमर्यादित व अनर्गल आक्षेपों व टीका-टिप्पणियों की आँधियों को अपने हाथों में लेकर दौड़ पड़ते हैं, जो समाज में व्याप्त अज्ञानांधकार को नष्ट करने के लिए महापुरुषों द्वारा प्रज्जवलित हुआ था।

 

🚩ये असामाजिक तत्त्व अपने विभिन्न षडयन्त्रों द्वारा संतों व महापुरुषों के भक्तों व सेवकों को भी गुमराह करने की कुचेष्टा करते हैं। समझदार लोग उनके षडयंत्रजाल में नहीं फँसते, महापुरुषों के दिव्य जीवन के प्रतिपल से परिचित उनके अनुयायी कभी भटकते नहीं, पथ से विचलित होते नहीं अपितु सश्रद्ध होकर उनके निष्काम सेवाकार्यों में अत्यधिक सक्रिय व गतिशील होकर सहभागी हो जाते हैं।


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Monday, April 24, 2023

रामभक्तों को जिंदा जलाने वालों को मिली जमानत, हिंदू संत की याचिका सुनने को किया मना !!

 रामभक्तों को जिंदा जलाने वालों को मिली जमानत, हिंदू संत की याचिका सुनने को किया मना !!


24  Apirl 2023

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🚩कानून सभी के लिए समान है, केवल कहावत बनकर रह गई है, सच पूरा अलग ही दिखता है। अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की बोगियों में आग लगाकर 59 रामभक्तों  की हत्या करने वाले 8 दोषियों को जमानत दे दी। ये सभी दोषी इस मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।


🚩इन सभी दोषियों को निचली अदालत और उसके बाद हाईकोर्ट से आजीवन कारावास की सजा मिली है। 17-18 साल जेल में बिताने के आधार पर दोषियों को जमानत दी गई है। 



🚩पिछले दिसम्बर में सर्वोच्च न्यायालय ने गोधरा ट्रेन अग्निकांड के 31 दोषियों में से एक फारूक को जमानत दे दी थी। फारूक इस आधार पर जमानत मिली थी कि वह 17 साल सजा काट चुका था और इस मामले में उसकी भूमिका ट्रेन पर पथराव की थी।  


🚩इससे पहले 13 मई 2022 को कोर्ट ने दोषियों में से एक अब्दुल रहमान धंतिया उर्फ कांकट्टो को 6 महीने के लिए जमानत दे दी थी। 


🚩बताते चलें कि साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन की एक बोगी को दंगाइयों ने जला दिया, जिसमें 27 महिला और 10 बच्चे सहित 59 लोग जिंदा जलकर मर गए थे। 


🚩सुप्रीम कोर्ट एक तरफ रामभक्तों को जलाने वालों को जमानत दे देती है....!

वहीं दूसरी तरफ हिंदू संत श्री आशारामजी बापू के जोधपुर केस मामले में याचिका दर्ज की थी, कि आरोपकर्ता लड़की कुटिया में गई ही नही थी।FIR में स्थान के विवरण में कुछ नहीं बोली । पुलिस अधिकारी अजय पाल लांबा ने कुटिया की वीडियो बनाई थी, उसके आधार पर FIR के कई दिनों बाद वह बोल रही थी, क्योंकि अजय पाल लांबा ने खुद एक बुक में यह बात लिखी हैं। यह अहम मुद्दा था, जिसका राज खुलने पर आशाराम बापू निर्दोष बरी हो सकते थे। इस याचिका पर सुनवाई होती तो बापू आशारामजी को षड्यंत्र के तहत फंसाया गया यह राज खुल जाता इसलिए इस याचिका पर सुनवाई ही नहीं की गई ?


🚩बता दे की देशभर में कोरोना फैलानेवाले मौलाना साद को जमानत मिल गई, देश के ‘टुकड़े’ करने का नारा लगाने वाले कन्हैया कुमार को जमानत मिल गई, बलात्कार आरोपी बिशप फ्रेंको व तरुण तेजपाल को जमानत मिल गई, 65 गैर जमानती वारंट होने के बाद भी दिल्ली के इमाम बुखारी को आज तक अरेस्ट नहीं कर पाए, सोये हुए गरीबों को कुचलनेवाले सलमान खान को 1 घंटे में जमानत मिल गई, लेकिन भारतीय संस्कृति के उत्थान का कार्य करनेवाले 87 वर्षीय निर्दोष हिंदू संत आशारामजी बापू को पिछले 10 सालों से आज तक 1 दिन की भी न्यायालय जमानत नहीं दे पाया ... क्यों !?


🚩आपको बता दें कि जिस केस में हिंदू संत आशारामजी बापू को सेशन कोर्ट ने सजा सुनाई है, जब उनके केस को पढ़ते हैं तो उसमें साफ है कि जिस समय की तथाकथित घटना आरोप लगाने वाली लड़की ने बताई है वह उस समय अपने मित्र से फोन पर बात कर थी, जिसकी कॉल डिटेल भी है और आशारामजी बापू एक भक्त के यहां  कार्यक्रम में थे, जहां पर 50-60 लोग भी मौजूद थे, जिन्होंने गवाही भी दी है; मेडिकल रिपोर्ट में भी लड़की को एक खरोंच तक नहीं आने का प्रमाण है और एफआईआर में भी बलात्कार का कोई उल्लेख नहीं है, केवल छेड़छाड़ का आरोप है।


🚩आपको ये भी बता दें कि बापू आशारामजी आश्रम में एक फैक्स भी आया था, जिसमें भेजनेवाले ने साफ लिखा था कि 50 करोड़ दो, नहीं तो लड़की के केस में जेल जाने के लिए तैयार रहो।


🚩बता दें कि स्वामी विवेकानंदजी के 100 साल बाद शिकागो में विश्व धर्मपरिषद में भारत का नेतृत्व हिंदू संत आसाराम बापू ने किया था। बच्चों को भारतीय संस्कृति के दिव्य संस्कार देने के लिए देश में 17000 बाल संस्कार खोल दिये थे, वेलेंटाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन शुरू करवाया, क्रिसमस की जगह तुलसी पूजन शुरू करवाया, वैदिक गुरुकुल खोले, करोड़ों लोगों को व्यसनमुक्त किया, ऐसे अनेक भारतीय संस्कृति के उत्थान के कार्य किये हैं जो विस्तार से नहीं बता पा रहे हैं। इसके कारण आज वे जेल में हैं और उन्हें पिछले 10 सालों से 1 बार भी जमानत तक नहीं मिल पा रही है।


🚩बड़ा सवाल... आख़िर हिन्दू धर्म व संस्कृति की रक्षा करने वाले संत के साथ ही यह अन्यायपूर्ण व्यवहार क्यों...!?


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Sunday, April 23, 2023

इतना जान लेंगे तो कभी नही पियेंगे सॉफ्ट ड्रिंक्स, इतना नुकसान होता है की भरपाई नही कर पाएंगे

23 Apirl 2023

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🚩गर्मियों में ज्यादातर लोग सॉफ्ट ड्रिंक या कोल्ड ड्रिंक पीना पसंद करते हैं। हालांकि, इसे पीने से आप कुछ समय के लिए ताजगी महसूस करते हैं लेकिन लंबे समय के लिए यह आपके शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। जी हां, ये हम नहीं बल्कि डॉ. अमिताभ पार्टी (Dr. Amitabh Parti), डायरेक्टर, इंटर्नल मेडिसिन, फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम का भी कहना है। डॉ. अमिताभ पार्टी की मानें तो, गर्मियां आ गई हैं तो, तापमान बढ़ने के साथ लोगों में ठंडे ड्रिंक्स का सेवन भी तेजी से बढ़ता है। लेकिन कोल्ड ड्रिंक्स जैसे हाई कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में शुगर और कैलोरीज की मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए इसका सेवन करना आपके लिए नुकसानदायक हो सकता है। कोल्ड ड्रिंक जैसे ड्रिंक्स शरीर में कैल्शियम डिफिशिएंसी पैदा करते हैं जिससे हड्डियों का भी नुकसान होता है। 

🚩बढ़ सकता है ब्लड शुगर लेवल


🚩बाजार में मिलने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स में बहुत अधिक मात्रा में चीनी घुली होती है, जिसके कारण इसे पीते ही आपका ब्लड शुगर लेवल बढ़ जाता है। ये शुगर तुरंत तो आपके सेहत पर बुरा असर डालता ही है, साथ ही लंबे समय में आपको कई गंभीर बीमारियों की तरफ धकेलता है। 



🚩पेट में बनने वाला एसिड प्रभावित होता है


🚩ज्यादातर कोल्ड ड्रिंक्स में कार्बन डाई ऑक्साइड घुली हुई होती है। कोल्ड ड्रिंक पीने के बाद जब ये पेट में जाता है तो पेट की गर्मी के कारण ये गैस में बदलने लगता है, यही कारण है कि कुछ लोगों को इसे पीने पर तुरंत डकार आती है। ये कार्बन डाई ऑक्साइड पेट के लिए ब्लीचिंग एजेंट की तरह काम करता है जिससे आपके पेट में बनने वाले डाइजेस्टिव एंजाइम प्रभावित होते हैं। इसी वजह से कई बार ज्यादा कोल्ड ड्रिंक्स पीने से या रात के समय कोल्ड ड्रिंक्स पीने से सीने में जलन होने लगती है। 


🚩दांतों को पहुंचाता है नुकसान


🚩कोल्ड ड्रिंक्स या सोडा ड्रिंक्स में फॉस्फोरिक एसिड और कार्बोनिक एसिड होता है, जो आपके दांतों के सुरक्षा पर्त यानी इनेमल को नुकसान पहुंचाता है। इससे दांतों में सेंसटिविटी और कैविटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं। बच्चों को कोल्ड ड्रिंक्स पिलाने से कई नुकसान होते हैं, जिसमें से दांतों में सड़न प्रमुख है।



🚩किडनी पर पड़ता है बुरा असर


🚩एक साथ बहुत ज्यादा मात्रा में शुगर जाने से शरीर की मसल्स सारे शुगर का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं इसलिए किडनी इस शुगर को फिल्टर करके पेशाब के रास्ते से शरीर से बाहर निकालने का प्रयास करने लगती है। इससे आपको पेशाब ज्यादा लगती है और आपके शरीर में पानी का लेवल घटने लगता है। यही नहीं, इस पूरी प्रक्रिया में आपकी किडनी को सामान्य से कई गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है, जिसके कारण कोल्ड ड्रिंक्स का सेवन किडनी को नुकसान पहुंचाता है।


🚩दिमाग पर पड़ता है बुरा असर


🚩कोल्ड ड्रिंक्स में कैफीन भी होता है, जो एक तरह का एडिक्टिव (नशीला) कंपाउंड है। रिसर्च में पाया गया है कि कोल्ड ड्रिंक्स पीने के 5-10 मिनट के अंदर ही आपके शरीर में डोपामाइन का लेवल बढ़ जाता है। इस हार्मोन के कारण आपको थोड़ी देर खुशी महसूस होती है, जिसके कारण आप इसे और ज्यादा पीना चाहते हैं। मेडिकल न्यूज टुडे पर छपे एक लेख में इस नशीलेपन की तुलना हेरोइन के नशे से की गई है। इसलिए इसका असर आपके ब्रेन फंक्शन पर भी पड़ता है।


🚩हावर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक कोल्ड ड्रिंक (पेप्सी, कोकाकोला) या डिब्बाबंद जूस और हेल्थ ड्रिंक पीने से न सिर्फ ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है बल्कि इंसुलिन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होने लगती है। इससे व्यक्ति धीरे-धीरे डायबिटीज और हृदयरोगों (हार्टअटैक) की चपेट में आने लगता है।

 

🚩ये तो आप समझ ही गए होंगे कि सॉफ्ट ड्रिंक पीने से आपकी बॉडी पर क्या असर पड़ता है तो उसकी जगह नारियल पानी, ताजे फलों का जूस, गुलाब शरबत, नींबू शरबत, पलाश शरबत पियें और पिलाइये जिससे आप और मेहमान भी स्वस्थ रहें और आपका पैसा भी कम खर्च होगा तथा पैसा विदेश में न जाकर देश में ही रहेगा।

भारतवासियों ! घर के बनाये पेय पदार्थों का सेवन कर खुद भी स्वस्थ रहें और अपनी मेहनत से कमाए पैसे का भी सही और उचित जगह उपयोग करके देश को समृद्ध बनायें।


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Saturday, April 22, 2023

आज भारत को भगवान परशुरामजी की आवश्यकता क्यों है ???

22  Apirl 2023

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🚩भगवान परशुरामजी का जन्म भृगुश्रेष्ठ महर्षि जमदग्नि द्वारा सम्पन्न पुत्रेष्टि यज्ञ से प्रसन्न देवराज इन्द्र के वरदान स्वरूप पत्नी क्षत्राणी रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल तृतीया को हुआ था। वे भगवान विष्णु के छठे अंशावतार थे। पितामह भृगु द्वारा सम्पन्न नामकरण संस्कार के अनन्तर राम, जमदग्नि का पुत्र होने के कारण जामदग्न्य और शिवजी द्वारा प्रदत्त परशु धारण किये रहने के कारण वे परशुरामजी कहलाये।


🚩शक्तिधर परशुरामजी का चरित्र एक ओर जहाँ शक्ति के केन्द्र सत्ताधीशों को त्यागपूर्ण आचरण की शिक्षा देता है वहीं दूसरी ओर वह शोषित, पीड़ित, क्षुब्ध जनमानस को भी उसके शक्ति और सामर्थ्य का एहसास दिलाता है। शासकीय दमन के विरूद्ध वह क्रान्ति का शंखनाद है। उनका जीवन सर्वहारा वर्ग के लिए अपने न्यायोचित अधिकार प्राप्त करने की मूर्तिमंत प्रेरणा भी देता है। वह राजशक्ति पर लोकशक्ति का विजयघोष है।



🚩आज स्वतंत्र भारत में सैकड़ों-हजारों सहस्रबाहु देश के कोने-कोने में विविध स्तरों पर सक्रिय हैं। ये लोग कहीं साधु-संतों की हत्या करते हैं, अपमानित करते हैं या कहीं न कहीं न्याय का आडम्बर करते हुए भोली जनता को छल रहे हैं; कहीं उसका श्रम हड़पकर अबाध विलास में ही राजपद की सार्थकता मान रहे हैं, तो कहीं अपराधी माफिया गिरोह खुलेआम आतंक फैला रहे हैं। तब असुरक्षित जन-सामान्य की रक्षा के लिए आत्म-स्फुरित ऊर्जा से भरपूर व्यक्तियों के निर्माण की बहुत आवश्यकता है। इसकी आदर्श पूर्ति के निमित्त परशुरामजी जैसे प्रखर व्यक्तित्व विश्व इतिहास में विरले ही हैं। इस प्रकार परशुरामजी का चरित्र शासक और शासित दोनों स्तरों पर प्रासंगिक है।


🚩शस्त्र शक्ति का विरोध करते हुए अहिंसा का ढोल चाहे कितना ही क्यों न पीटा जाये, उसकी आवाज सदा ढोल के पोलेपन के समान खोखली और सारहीन ही सिद्ध हुई है। उसमें ठोस यथार्थ की सारगर्भितता कभी नहीं आ सकी।

🚩सत्य,हिंसा और अहिंसा के संतुलन बिंदु पर ही केन्द्रित है। कोरी अहिंसा और विवेकहीन पाशविक हिंसा- दोनों ही मानवता के लिए समान रूप से घातक हैं। आज जब हमारे साधु-संत और राष्ट्र की सीमाएं असुरक्षित हैं; कभी कारगिल, कभी कश्मीर, कभी बांग्लादेश तो कभी देश के अन्दर नक्सलवादी शक्तियों के कारण हमारी अस्मिता का चीरहरण हो रहा है, तब परशुरामजी जैसे वीर और विवेकशील व्यक्तित्व के नेतृत्व की देश को आवश्यकता है।


🚩गत शताब्दी में कोरी अहिंसा की उपासना करने वाले हमारे नेतृत्व के प्रभाव से हम जरुरत के समय सही कदम उठाने में हिचकते रहे हैं। यदि सही और सार्थक प्रयत्न किया जाए तो देश के अन्दर से ही प्रश्न खड़े होने लगते हैं।

🚩परिणाम यह है,कि हमारे तथाकथित बुद्धिजीवियों और व्यवस्थापकों की धमनियों का रक्त इतना ठंडा हो गया,कि देश की जवानी को व्यर्थ में ही कटवाकर भी वे आत्मसंतोष और आत्मश्लाघा का ही अनुभव होता है।अपने नौनिहालों की कुर्बानी पर वे गर्व अनुभव करते हैं।उनकी वीरता के गीत तो गाते हैं,किन्तु उनके हत्यारों से बदला लेने के लिए उनका खून नहीं खौलता! प्रतिशोध की ज्वाला अपनी चमक खो बैठी है। शौर्य के अंगार तथाकथित संयम की राख से ढंके हैं। शत्रु-शक्तियां सफलता के उन्माद में सहस्रबाहु की तरह उन्मादित हैं !

...लेकिन आज परशुरामजी अनुशासन और संयम के बोझ तले मौन हैं।


🚩राष्ट्रकवि दिनकर ने सन् 1962 ई. में चीनी आक्रमण के समय देश को ‘परशुराम की प्रतीक्षा’ शीर्षक से ओजस्वी काव्यकृति देकर सही रास्ता चुनने की प्रेरणा दी थी। युग चारण ने अपने दायित्व का सही-सही निर्वाह किया। किन्तु राजसत्ता की कुटिल और अंधी स्वार्थपूर्ण लालसा ने हमारे तत्कालीन नेतृत्व के बहरे कानों तक उसकी पुकार ही नहीं आने दी। पांच दशक बीत गये। इस बीच एक ओर साहित्य में परशुराम के प्रतीकार्थ को लेकर समय पर प्रेरणाप्रद रचनाएं प्रकाश में आती रहीं और दूसरी ओर सहस्रबाहु की तरह विलासिता में डूबा हमारा नेतृत्व राष्ट्र-विरोधी षड़यंत्रों को देश के भीतर और बाहर दोनों ओर पनपने का अवसर देता रहा।


🚩परशुरामजी पर केन्द्रित साहित्यिक रचनाओं के संदेश को व्यावहारिक स्तर पर स्वीकार करके हम साधारण जनजीवन और राष्ट्रीय गौरव की रक्षा कर सकते हैं।


🚩महापुरूष किसी एक देश, एक युग, एक जाति या एक धर्म के नहीं होते। वे तो समूचे राष्ट्र की, सम्पूर्ण मानवता की, समस्त विश्व की, विभूति होते हैं। उन्हें किसी भी सीमा में बाँधना ठीक नहीं। दुर्भाग्य से हमारे यहां स्वतंत्रता में महापुरूषों को स्थान, धर्म और जाति की बेड़ियों में जकड़ा गया है। विशेष महापुरूष , वर्ग-विशेष के द्वारा ही सत्कृत हो रहे हैं। एक समाज विशेष ही विशिष्ट व्यक्तित्व की जयंती मनाता है। अन्य जन उसमें रूचि नहीं दर्शाते, अक्सर ऐसा ही देखा जा रहा है। यह स्थिति दुभाग्यपूर्ण है। महापुरूष चाहे किसी भीदेश, जाति, वर्ग, धर्म आदि से संबंधित हो, वो सबके लिए समान रूप से पूज्य व उनके आदर्श सभी के लिए अनुकरणीय होने ही चाहिए ।


🚩इस संदर्भ में भगवान परशुरामजी को, जो उपर्युक्त विडंबनापूर्ण स्थिति के चलते केवल ब्राह्मण वर्ग तक सीमित हो गए हैं, समस्त शोषित वर्ग के लिए प्रेरणा स्रोत क्रान्तिदूत के रूप में स्वीकार किया जाना समय की माँग है । भगवान परशुराम सभी शक्तिधरों के लिए संयम के अनुकरणीय आदर्श हैं ।


🚩भा माने -अध्यात्म

रत माने – उसमें रत रहने वाले

“जिस देश के लोग अध्यात्म में रत रहते हैं उसका नाम है भारत।”


🚩भारत की गरिमा सदा उसकी संस्कृति व साधु-संतों से ही रही है। भगवान भी बार-बार जिस धरा पर अवतरित होते आये हैं, वो भूमि भारत की भूमि है। किसी भी देश को माँ कहकर संबोधित नहीं किया जाता पर भारत को “भारत माता” कहकर संबोधित किया जाता है, क्योंकि यह देश आध्यात्मिकता का शिरोमणी देश है, संतों महापुरुषों का देश है। भौतिकता के साथ-साथ यहाँ आध्यात्मिकता को उससे कहीं अधिक बढ़कर ही महत्व दिया गया है। पर आज की पीढ़ी के पाश्चात्य कल्चर की ओर बढ़ते कदम इसकी गरिमा को भूलते चले जा रहे हैं; संतों महापुरुषों का महत्व, उनके आध्यात्मिक स्पन्दन भूलते जा रहे हैं।


🚩संत और समाज के बीच खाई खोदने में एक बड़ा वर्ग सक्रिय है। ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं, मीडिया सक्रिय है, विदेशी कम्पनियाँ सक्रिय हैं, विदेशी फण्ड से चलने वाले NGOs सक्रिय हैं, जिहादी सक्रिय हैं, कई राजनैतिक दल व नेता सक्रिय हैं; क्योंकि इनका उद्देश्य है- भारतीय संस्कृति को मिटाकर पश्चिमी सभ्यता लाने का जिससे विदेशी कंपनियों की प्रोडक्ट की बिक्री भारी मात्रा में होगी और धर्मान्तरण भी जोरों शोरों से होगा, फिर उनका वोटबैंक बढ़ जायेगा और देश को गुलामी की जंजीरों में जकड़ लेंगे।


🚩इतने सब वर्ग जब एक साथ सक्रिय होंगे तो किसी के भी प्रति गलत धारणाएं समाज के मन में उत्पन्न करना बहुत ही आसान हो जाता है और यही हो रहा है हमारे संत समाज के साथ।


🚩पिछले कुछ सालों से एक दौर ही चल पड़ा है हिन्दू संतों को लेकर। किसी संत की हत्या कर दी जाती है या किसी संत को झूठे केस में सालों जेल में रखा जाता है फिर विदेशी फण्ड से चलने वाली मीडिया उनको अच्छे से बदनाम करके उनकी छवि समाज के सामने इतनी धूमिल कर देती है कि समाज उन झूठे आरोपों के पीछे की सच्चाई तक पहुँचने का प्रयास ही नहीं करता।


🚩अब समय है कि समाज को जागना होगा- भारतीय संस्कृति व साधु-संतों के साथ हो रहे अन्याय को समझने के लिए। अगर अब भी हिन्दू मूक - दर्शक बनकर देखता रहा तो हिंदुओं का भविष्य खतरे में है। इसलिए आज के समय में भगवान परशुराम की आवश्कता है।


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