Monday, January 29, 2024

वेटिकन के मुख्य पोप ने पहले सेक्स और अब दारू की दी छूट...

30 January 2024

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🚩भारतीय संस्कृति और पाश्चात संस्कृति में बहुत अंतर है। आइए देखें कुछ उदाहरण के द्वारा कि कैसे और क्या अन्तर है।

जब अयोध्या में श्री राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा थी तब आसपास के इलाकों में योगी जी ने दारू बंदी करवा दी और उस समय कई राज्यों में तो मांस बेचना बंद करवा दिया गया था। हमारी भारतीय संस्कृति में दारू पीने की छूट बिलकुल नही दी गई है। इससे स्वास्थ्य पर तो बुरा असर पड़ता ही है और साथ ही बुद्धि भी मारी जाती है, तामसी स्वभाव हो जाता है , इसीलिए हिंदू साधु संत तो दारू जैसे व्यसन से बचने को कहते है और व्यभिचार से दूर रहने की सलाह देते हैं। लेकिन ईसाई धर्म के सबसे मुख्य पॉप ने पहले तो पादरियों के लिए सेक्स की छूट की पैरवी की और अब दारू पीने-पिलाने का भी खूब प्रोत्साहन कर रहे हैं ।


🚩आपको बता दें कि चर्चों में बच्चों के साथ दुष्कर्म करते पादरियों के पकड़े जाने के अनगिनत मामले आए दिन सामने आते रहते हैं।

अब इसके पीछे का मुख्य कारण यही है कि उनके धर्म गुरु ही ये सब करने की छूट दे रहे हैं , व्यभिचार और व्यसन की छूट दे रहे हैं।


अब अगर यह सब जानने के बावजूद भी भारतीय लोग , दबाव, दहशत या लालच में आकर ऐसा धर्म अपनाते है तो उनकी और उनके परिवार की क्या दुर्दशा होगी आप समझ ही सकते हैं।


🚩गांधीजी कहते थे…

“हमें गोमांस भक्षण और शराब पीने की छूट देने वाला ईसाई धर्म नहीं चाहिए। धर्म परिवर्तन वह ज़हर है जो सत्य और व्यक्ति की जड़ों को खोखला कर देता है। मिशनरियों के प्रभाव से हिन्दू परिवारों का विदेशी भाषा, वेश-भूषा, रीति-रिवाज़ के द्वारा विघटन हुआ है। यदि मुझे क़ानून बनाने का अधिकार होता तो मैं धर्म परिवर्तन बंद करवा देता। इसे तो मिशनरियों ने व्यापार बना लिया है, पर धर्म आत्मा की उन्नति का विषय है। इसे रोटी, कपड़ा या दवाई के बदले में बेचा या बदला नहीं जा सकता।”


🚩आपको बता दे की हाल ही में ईसाइयों के सबसे बड़े धर्मगुरु पोप फ्रांसिस ने कहा है कि दारू भगवान की देन है और यह आनंद का असली स्रोत है। पोप फ्रांसिस ने यह बयान वेटिकन सिटी में दिया है, जो ईसाइयों की धर्मनगरी है। उन्होंने इसके पहले भी शराब के समर्थन में कई बयान दिए हैं।


🚩पोप फ्रांसिस ने यह बयान एक समारोह में दिया, जिसमें इटली से आए हुए तमाम शराब निर्माता शामिल थे। यह समारोह इतालवी शहर वेरोना के बिशप डोमेनिको पोम्पिली द्वारा आयोजित किया गया था। यह समारोह वेरोना में हर साल अप्रैल माह में होने वाली वाइन प्रतियोगिता के पहले आयोजित किया जाता है।


🚩पोप फ्रांसिस ने शराब बनाने वालों से कहा कि वह इससे सम्बंधित नैतिक जिम्मेदारियों का वहन करें और साथ ही पीने की सही आदतों को बढ़ावा दें। 


🚩बता दें कि पोप फ्रांसिस इससे पहले भी शराब का समर्थन कर चुके हैं। उन्होंने वर्ष 2016 में भी शराब के समर्थन में बयान दिया था। उन्होंने शराब को शादी समारोह का प्रमुख अंग कहा था। उन्होंने कहा था, “नवविवाहित जोड़े की शादी में शराब ना हो तो उन्हें शर्मिंदगी महसूस होती है, जैसे आपने चाय पीकर आपने शादी समारोह पूरा कर लिया।”


🚩आपको बता दें कि पोप ने पिछले साल एक वक्तव्य में कहा था कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी।

86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल यौनशोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।


🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता की पोल खुल ही चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा तो पहले से ही थे , पर गुपचुप ढ़ंग से ।

पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी।


🚩देश को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है और ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरियों के कुकर्मो को छुपाया जा रहा है इसलिए हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझकर सावधान रहें और संगठित हो कर सनातन धर्म पर हो रहे आक्रमण का कानून के दायरे में रहकर विरोध करें ।


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Sunday, January 28, 2024

अब तक सिर्फ़ अयोध्या, काशी , मथुरा की ही बात हुई है, 30 हज़ार मंदिरों की तो बात भी नहीं हुई....

26 January 2024

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🚩वाराणसी के फास्ट ट्रैक कोर्ट ने जब काशी विश्वनाथ मंदिर को जबरन ढाह कर बनाई गई आलमगीरी मस्जिद के पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) द्वारा सर्वे का फैसला दिया,ज़रा सोचे नासमझ हिंदू कि इस पर अपने आराध्यों के लिए बने मंदिर के लिए इतनी छोटी जीत पर भी उचक-उचक कर खुश होना पड़ता है।


🚩यह कोई बधाई या प्रसन्नता की बात नहीं है और इसके दो कारण हैं। आज भी जब आप काशी विश्वनाथ के दर्शन को जाएँगे, तो उसकी ठीक बगल में जो आलमगीरी मस्जिद है (जिसे ज्ञानवापी भी कहा जाता है) – उसको देखकर एक धर्मप्राण हिंदू होने के नाते आपके आँसू निकल आएँगे। मस्जिद की दीवारों को देखकर ही समझ में आ जाता है कि उसे किसी ध्वस्त मंदिर के मलबे से बनाया गया है, यहाँ तक कि कुछेक जगहों पर तो दीवारों को भी नहीं मिलाया गया है।


🚩जिस तरह दिल्ली में कुतुबमीनार साफ-साफ मंदिरों के मलबे से बना दिखता है (और शर्मनाक तरीके से वहाँ ASI ने बोर्ड भी लगा रखा है), उसी तरह काशी-विश्वनाथ मंदिर की छाती पर पैबस्त आलमगीरी मस्जिद भी मंदिर पर निर्मित है, यह बात केवल आँख के अंधों को ही नज़र नहीं आएगी। अयोध्या में भगवान राम के मंदिर का निर्माण प्रशस्त करने का फैसला आया तभी बधाई या प्रसन्नता की कोई बात नहीं है।


🚩लगभग 500 वर्षों के संघर्ष के बाद हिंदुओं को अपने आराध्य के पूजन का, उनके मंदिर का अधिकार मिला है। इसके साथ ही अदालत ने 5 एकड़ का मुआवजा भी थमा दिया है, जो हिंदुओं के ऊपर जुर्माने से कम नहीं है। भाई, मुकदमा तो इसका था न कि अयोध्या में मंदिर को तोड़कर (भारत की अधिकांश मस्जिदें, मंदिर तोड़कर बनीं) मस्जिद बनाई गई, वह स्थल हिंदुओं के आराध्य की जगह है, उसे वापस हिंदुओं को देना है।


🚩इसमें 5 एकड़ मुआवजा क्यों देना था? हिंदुओं को तो राम के अस्तित्व का प्रमाण देना पड़ा, अदालती लड़ाई में कूदना पड़ा, जो राम इस देश के कण-कण में हैं, उस राम को झुठलाने के जिहादी-वामपंथी षड्यंत्र का कालकूट पीना पड़ा। इसमें बधाई की कौन सी बात थी। अब केवल सर्वेक्षण मात्र के फैसले पर कई सेक्युलर-कुबुद्धिजीवी खुलकर न्यायालय के फैसले की आलोचना कर रहे हैं। ओवैसी जैसा जिहादी सीना ठोक कर मुखालफत करता है।


🚩वह कहता है कि राम जन्मभूमि की तरह ही इस मामले में भी बेईमानी की जाएगी। ध्यान दीजिएगा, उसके शब्दों पर। कौमी-कॉन्ग्रेसी-कुबुद्धिजीवियों ने अयोध्या के फैसले पर हमें याद दिलाया था कि ‘तथ्यों के मुकाबले आस्था को प्राथमिकता’ डील पर यह निर्णय हुआ। कुतुबमीनार हो या ज्ञानवापी, भोजशाला हो या मथुरा, ढाई दिन का झोपड़ा हो या कोई भी बुलंद मस्जिद, वह हिंदुओं के स्वाभिमान को ध्वस्त करने के लिए उनके परम पूज्य आराध्यों के मंदिरों को भूमिसात कर बनाई गई हैं।


🚩आज भी उनके साक्षात प्रमाण हिंदुओं को मुँह चिढ़ाते हैं, उसके ज़ख्मों पर नमक छिड़कते हैं। और ये मक्कार, झूठे, लबार तथ्यों की बात करेंगे, जिन्होंने रोमिला-हबीब जैसे उपन्यासकारों के जरिए भयानक झूठ बोले, षड्यंत्र किए और जन्मभूमि के मामले को उलझाने की कोशिश की?


🚩कौन नहीं जानता है कि इस्लाम इस देश में एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में तलवार लेकर आया था। कौन नहीं जानता है कि मुगलों के दो सौ वर्षों के शासनकाल में, उनके सबसे सेकुलर राजाओं... उदाहरण के तौर पर अकबर और शाहजहाँ ने भी हिंदुओं के मंदिर तोड़े, जजिया लगाया और धर्म-परिवर्तन कराया।


🚩कौन नहीं जानता है कि गायों को हरावल दस्ते में आगे रखकर हिंदुओं को जीतने वाले कायर रेगिस्तानी बर्बरों ने हिंदुओं की चेतना को खत्म करने के लिए मंदिरों को अपवित्र किया, मूर्तियाँ तोड़ीं और बलात्कार किए। काशी-विश्वनाथ हो या राम-मंदिर, मथुरा हो या 30 हजार मंदिरों को तोड़ना और कब्जाना, आप इस देश में जहाँ कहीं भी एक भव्य मंदिर देखेंगे, ठीक उसके साथ ही, उसकी बगल में मस्जिद तामीर कर, 5 बार लाउडस्पीकर से चीखती-पुकारती आवाज़ आप हरेक शहर में सुन सकते हैं। पटना के महावीर मंदिर से लेकर मुंबई का खारघर तक, यही कहानी है।


🚩आलमगीरी मस्जिद प्रमाण है, औरंगजेब की कट्टरता का। 18 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने एक फरमान जारी कर काशी विश्वनाथ मंदिर ध्वस्त करने का आदेश दिया। यह फरमान एशियाटिक लाइब्रेरी, कोलकाता में आज भी सुरक्षित है। उस समय के लेखक साकी मुस्तइद खाँ द्वारा लिखित ‘मासीदे आलमगिरी’ में इस ध्वंस का वर्णन है। 2 सितंबर 1669 को औरंगजेब को मंदिर तोड़ने का कार्य पूरा होने की सूचना दी गई थी।


🚩1777-80 में इंदौर की महारानी अहिल्याबाई द्वारा इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया गया था। अहिल्याबाई होलकर ने इसी परिसर में विश्वनाथ मंदिर बनवाया जिस पर पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने सोने का छत्र बनवाया। ग्वालियर की महारानी बैजाबाई ने ज्ञानवापी का मंडप बनवाया और महाराजा नेपाल ने वहाँ विशाल नंदी प्रतिमा स्थापित करवाई। "नंदी प्रतिमा का मुख उल्टा होने का रहस्य यही है कि पहले मंदिर जहाँ थी, वहाँ मस्जिद बना ली गई !!"


इतिहास को विकृत करने की कॉन्ग्रेसी-कम्युनिस्ट कोशिशें परवान नहीं चढ़ सकी हैं औऱ बारहाँ इतिहास कब्र से जीवित होकर उठ खड़ा होता है। ऐतिहासिक दस्तावेज चीख-चीख कर कहते हैं कि मुहम्मद गोरी से लेकर औरंगजेब तक काशी विश्वनाथ ने जितने बर्बर आक्रमण झेले हैं, उसके बावजूद काशी की आत्मा बची है, तो केवल बाबा विश्वनाथ की महिमा से, हिंदुत्व की ज्योति से। और अंत में अचानक से कुछ धिम्मियों की आत्मा जागी है, उनके अंग-विशेष से आँसू निकल रहे हैं।


🚩वे हमें सिखा रहे हैं कि ‘प्रतिक्रिया देना मजहब विशेष से सीखें। उन्होंने जो संयम दिखाया है, उसे देखकर हिंदुओं को शर्म आनी चाहिए।’ पहली बात, सरकार के इक़बाल और पूरी तैयारी की वजह से हमारे ‘शांतिदूत’ भाई चुप हैं।


🚩गौरतलब है इनकी फ़ितरत से वाकिफ होने के बाद ये सोचना भी लाज़मी है कि, ये इतनी आसानी से चुप बैठ कैसे सकते हैं!?

" ...हालाँकि, यह एक वृहत तैयारी के पहले की खामोशी भी हो सकती है। "


🚩हिन्दू असहिष्णु होता न , तो दिल्ली, पटना, मध्य प्रदेश, गुजरात, यूपी… कोई भी जगह शांत न रहती, जहाँ सीधे नंगी आँखों को मंदिरों के ऊपर तामीर की गई मस्जिद दिखाई देती है।


🚩तीसरी और अंतिम बात, यह दूसरा मजहब यदि सचमुच सहिष्णु है तो तत्काल कम से कम काशी और मथुरा के मंदिरों को खुद खाली करे और हिंदुओं के साथ वहाँ भव्य मंदिर बनवाए। बाकी, 30 हज़ार मंदिरों की तो अब तक बात भी नहीं हुई ।


       - वरिष्ठ पत्रकार व्यालोक


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Saturday, January 27, 2024

14 फ़रवरी दूर है , पर देशभर में लोगों ने अभी से उत्साहपूर्वक मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम मनाना शुरू किया...

28 January 2024

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🚩भारत में अपने व्यापार का स्तर बढ़ाने(  और भारत को आंतरिक रूप से, सांस्कृतिक और सामाजिक रूप  से खोखला करके पुनः अपना गुलाम बनाने के उद्देश्य से )के लिए अंतरराष्ट्रीय कम्पनियां यहाँ मीडिया और अन्य माध्यमों में करोड़ो रूपए देकर वैलेंटाइन डे का खूब प्रचार प्रसार करवाती हैं जिसके कारण उनका व्यापार लाखों, करोड़ों, अरबों नहीं खरबों में हो जाता है। इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया जनवरी से ही वैलेंटाइन डे यानि पश्चिमी संस्कृति का प्रचार करने लगते हैं, जिसके कारण विदेशी कम्पनियों के गिफ्ट, गर्भनिरोधक सामग्री, नशीले पदार्थ आदि 10 गुना तेजी से बिकते हैं और उन्हें खरबों रुपयों का फायदा होता है।


🚩वैलेंटाइन डे से युवाओं का अत्यधिक पतन हो रहा है, इसलिए अब तो देशभर में लोगों ने अभी से 14 फरवरी के दिन “मातृ-पितृ पूजन दिवस” के निमित्त कार्यक्रम मनाने की शुरूआत कर दी है।


🚩गौरतलब है कि पिछले 60 वर्षों से सनातन संस्कृति के सेवाकार्यों में रत रहने वाले तथा सनातन संस्कृति की महिमा से विश्वमानव को परिचित करवाने वाले हिन्दू संत श्री आशारामजी बापे ने जब अपने देश के युवावर्ग को पाश्चात्य अंधानुकरण से चरित्रहीन होते देखा तो उनका हृदय व्यथित हो उठा और उन्होंने साल 2006 से 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस शुरू किया। उन्होंने वर्षों से एक नयी दिशा की ओर युवावर्ग को अग्रसर करते हुए एक विश्वव्यापी अभियान चलाया। 14 फरवरी मातृ पितृ पूजन दिवस आज विश्वव्यापी बन चुका है और करोड़ों लोगों के द्वारा मनाया जा रहा है।


🚩आशाराम जी बापू का कहना है कि भारत के युवक-युवतियां अगर पाश्चात्य संस्कृति की ओर अग्रसर हुए तो परिणाम भयंकर आने वाला है।


🚩अब युवक-युवतियों का यह कहना कि “क्या हम प्यार न करें?”, तो उनको एक सलाह है कि दुनिया में आपको सबसे पहले प्यार किया था आपके माँ-बाप ने। आप दुनिया में आने वाले थे, तबसे लेकर आजतक आपको वो प्यार करते रहे लेकिन उनका प्यार तो आप भूल गये , उनको ठुकरा दिया। जब आप बोलना भी नहीं जानते थे तब उन्होंने आपका भरण पोषण किया। आपके ऊंचे से ऊंचे सपने पूरे करने के लिए खुद भूखे रहकर भी आपको उच्च शिक्षा दिलाई। उनका केवल एक ही सपना रहा कि मेरा बेटा या बेटी बड़ा तेजस्वी, ओजस्वी और महान बने। उनका ऐसा अनमोल प्यार भुलाकर आप किसी लड़के-लड़की के चक्कर में आकर अपने माँ-बाप को कितना दुःख दे रहे हैं, उसका अंदाजा भी आप नहीं लगा सकते इसलिए आप यदि स्वयं को बर्बादी से बचाना चाहते हैं, माँ-बाप के प्यार का बदला चुकाना चाहते हैं, तो आपको एक ही सलाह है कि आप मीडिया, टीवी, अखबार के चक्कर में आकर वैलेंटाइन डे न मनाकर उस दिन अपने माता-पिता का पूजन करें।


🚩हे भारतवासी भाइयों - बहनों ! आओ एक नयी दिशा की ओर कदम बढ़ाएं, एक सच्ची दिशा की ओर कदम बढ़ाएं।

अपने सनातनधर्म की आन, बान और शान बढ़ाएं। 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे न मनाकर , सनातन संस्कृति के रक्षक पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू द्वारा विश्वमानव के हित की भावना से शुरू किए गए... "मातृ-पितृ पूजन दिवस" को ही मनाएं और अपने सच्चे प्यार , अपने वास्तविक हितैषी माता-पिता की पूजा करके उनका शुभ आशीष पाएं।

आओ भारत को विश्व गुरु पद की ओर ले जाएं और संतों के शुभ संकल्प को साकार बनाएं ।


🚩 जय हिंद  !

जय माँ भारती !!


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Friday, January 26, 2024

डॉक्टर से जानिए डार्क चॉकलेट्स खाने से नुकसान होता है या फायदा ?

27 January 2024

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🚩चॉकलेट्स खाना बहुत से लोगों को पसंद  होता है। कुछ लोग तो मूड स्विंग होने पर, तो कुछ लोग गुस्सा शांत करने के लिए भी चॉकलेट्स खाते हैं। मिल्क चॉकलेट्स की जगह आजकल इसके हेल्दी विकल्प के रूप में डार्क चॉकलेट्स मार्केट में आ गई हैं। ऐसा माना जाता है कि इन चॉकलेट्स का सेवन सेहत के लिए फायदेमंद होता है, इसलिए कुछ लोग डार्क चॉकलेट्स को बहुत ज्यादा खाने लगते हैं। लेकिन क्या सच में डार्क चॉकलेट्स हेल्दी होती हैं? इस बारे में ज्यादा जानकारी के लिए पुणे स्थित आदित्य बिड़ला मेमोरियल हॉस्पिटल चिंचवड़ के क्लीनिकल न्यूट्रिशनिस्ट डॉ तेजस लिमये ने बताया  कि डार्क चॉकलेट में किसी भी अन्य चॉकलेट की तुलना में कैफीन की मात्रा बहुत अधिक होती है , जो कई तरह की स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों का कारण बन सकती है । इसके अलावा डार्क चॉकलेट के अधिक सेवन से डिहाइड्रेशन और अनिद्रा की परेशानी भी होती है। यही नहीं डार्क चॉकलेट्स में ऑक्सलेट भी काफी मात्रा में पायी जाती है, जिससे किडनी में पथरी का खतरा भी बढ़ता है । इसके अलावा डार्क चॉकलेट में कैलोरी भी बहुत ज्यादा मात्रा में पाई जाती है, जिससे वजन बढ़ने और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है। इसलिए यह मानना कि डार्क चॉकलेट्स का सेवन बहुत हेल्दी होता है, एकदम गलत है। आइए जानते हैं इससे होने वाली समस्याओं के बारे में विस्तार से।


🚩1. अनिद्रा और ब्लड प्रेशर की समस्या

🚩यदि आप डार्क चॉकलेट का अधिक सेवन करते हैं तो सावधान हो जाएं क्योंकि यह आपके स्वास्थ्य के लिए घातक साबित हो सकता है। दरअसल डार्क चॉकलेट में मौजूद उच्च कैफीन ब्लड प्रेशर बढ़ाने के लिए जिम्मेदार होता है। इसके अलावा कैफीन का ज्यादा सेवन करने से अनिद्रा की शिकायत भी होती है। अगर आपको भी सोते समय डार्क चॉकलेट खाने की आदत है तो अभी अपनी इस आदत को बदल दीजिए। साथ ही इसके अधिक सेवन से हृदय गति बढ़ जाती है , चिड़चिड़ापन और डिहाइड्रेशन की समस्या भी हो सकती है। इससे एकाग्रता में भी कमी आती है।


🚩2. किडनी स्टोन की समस्या

 🚩डार्क चॉकलेट में ऑक्सलेट की अधिक मात्रा पाई जाती है। ये ऑक्सलेट शरीर में इकट्ठा होकर पथरी का कारण बन सकता है यदि आप पहले भी पथरी या स्टोन के शिकार हो चुके हैं तो आपको डार्क चॉकलेट खाने से परहेज बरतना चाहिए। यह पथरी के खतरे को बढ़ा सकता है।


🚩3.  माइग्रेन का खतरा बढ़ सकता है

डार्क चॉकलेट में टाइरामाइन नामक एक प्राकृतिक रसायन होता है,जो माइग्रेन का कारण बन सकता है। यह माइग्रेन के लक्षणों को ट्रिगर कर सकता है इसलिए अगर आपको माइग्रेन की समस्या है तो डार्क चॉकलेट से परहेज करना जरूरी है।


🚩4.  ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है

🚩डार्क चॉकलेट में शुगर की मात्रा भी अधिक होती है और यह आपके ब्लड शुगर के स्तर को काफी बढ़ा सकता है। उच्च रक्त शर्करा या हाइपरग्लेसेमिया भी माइग्रेन को ट्रिगर कर सकता है।


🚩5. उच्च वसा

डार्क चॉकलेट में बड़ी मात्रा में सैचुरेटेड फैट और शुगर होता है। डार्क चॉकलेट के एक औंस में लगभग 150 कैलोरीज होती हैं, जिसमें अधिक मात्रा में वसा और चीनी पाई जाती है। अतिरिक्त वसा और चीनी के सेवन से आपका वजन भी बढ़ सकता है और हृदय रोग का खतरा भी बढ़ सकता है।


🚩इन आदतों से पहचाने आपको है चॉकलेट खाने की लत

डॉ तेजस लिमये के अनुसार, लगातार डार्क चॉकलेट खाने का मन करना,अत्यधिक तनाव और चिंता में चॉकलेट खाने का खयाल आना,प्रतिदिन अधिक मात्रा में डार्क चॉकलेट का सेवन करना आदि आदतें बताती हैं कि आपको चॉकलेट की लत लग चुकी है। इसके अलावा अगर आप अपने खाने का नियंत्रण खो रहे हैं और आपके लिए ये बेहद नुकसानदायक हो सकता है। इसके कारण गंभीर बीमारियां हो सकती है। डॉक्टर के अनुसार दिनभर में केवल 15-20 ग्राम चॉकलेट ही खाई जा सकती है।


🚩अपनी आदतों को कैसे सुधारें?


🚩डॉ. तेजस के अनुसार यदि आप अपनी चॉकलेट खाने की आदत सुधारना चाहते हैं तो अपने आपको हमेशा हाइड्रेट रखें और रोजाना कम से कम 8 गिलास पानी पिएं। साथ ही अपने आहार में तेल,नट्स और एवोकाडो जैसे हेल्दी फैट शामिल करें। इसके अलावा अतिरिक्त आर्टिफिशियल शुगर (चीनी, गुड़, स्टीविया आदि) उत्पाद को ज्यादा खाने से बचें। कुछ मीठा खाने की इच्छा हो तो फल , दूध या लस्सी का सेवन करें।


🚩डार्क चॉकलेट की जगह खाएं हेल्दी चीजें


🚩1. कोको पाउडर

कोको पाउडर कई पदार्थों का मिश्रण है। कोको पाउडर के एक चम्मच में लगभग 10 कैलोरी होती है। हालांकि इसमें कोई वसा,कोलेस्ट्रॉल या चीनी नहीं होती है क्योंकि यह 100 प्रतिशत कोको होता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है। इसकी मदद से आप होममेड हॉट चॉकलेट बना सकते हैं। इसके लिए आप बादाम या नारियल का भी प्रयोग कर सकते हैं।


🚩2. कोको बीन

 कोको बीन्स है को भुनकर छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाता है। कोको बीन्स कुरकुरे होते हैं और बिना चीनी वाली चॉकलेट की तरह इस्तेमाल किया जाता है। इससे दही या स्मूदी के साथ मिक्स करके खाया जाता है। कोको बीन्स में कैलोरी स्वाभाविक रूप से कम होती है, जो आपके लिए एक स्वस्थ विकल्प हो सकता है।


🚩3. फल

खाने के लिए फल से बेहतर कुछ भी नहीं हो सकता है। फलों में बहुत सारे पोषक तत्व जैसे विटामिन्स ,पोटेशियम,एंटीऑक्सीडेंट्स, फाइबर्स और फाइटोन्यूट्रिएंट्स पपाए जाते हैं। डार्क चॉकलेट की जगह आप स्ट्रॉबेरी,व्हीप्ड नारियल,चेरी,रसभरी,ब्लूबेरी या अनार जैसे फलों के मिश्रण का सेवन कर सकते हैं।

                       - स्त्रोत: ओनली माय हेल्थ 


🚩चॉकलेट के अधिक प्रयोग से दाँतों में कीड़ा लगना, पायरिया, दाँतों का टेढ़ा होना, मुख में छाले होना, स्वरभंग, गले में सूजन व जलन, पेट में कीड़े होना, मूत्र में जलन आदि अनेक रोग पैदा हो जाते हैं।


🚩वैसे भी शरीर स्वास्थ्य एवं आहार के नियमों के आधार पर किसी व्यक्ति को चॉकलेट की कोई आवश्यकता नहीं होती ।


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Thursday, January 25, 2024

गणतंत्र मतलब क्या और 26जनवरी को गणतन्त्र दिवस क्यों मनाते हैं...!?

26 January 2024

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🚩गण अर्थात् -- जनता और तंत्र मतलब होता है – शासन।

गणतंत्र या लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ हुआ, जनता का शासन। ऐसा देश या राज्य जहाँ जनता अपना प्रतिनिधि चुनती है। ऐसे राष्ट्र को लोकतांत्रिक गणराज्य की संज्ञा दी गयी है। ऐसी व्यवस्था हमारे देश में है। इसीलिए हमारा देश एक लोकतांत्रिक गणराज्य कहलाता है।


🚩गणतंत्र अर्थात ऐसा देश जहां सत्ताधारी सरकार को चुनने और हटाने का अधिकार आम जनता के पास होता है।


🚩गणतन्त्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है जो प्रति वर्ष 26 जनवरी को मनाया जाता है । 26 जनवरी और 15 अगस्त दो ऐसे राष्ट्रीय पर्व हैं जिन्हें हर भारतीय खुशी और उत्साह के साथ मनाता है ।


🚩भारतीयों की मातृभूमि भारत लंबे समय तक ब्रिटिश शासन की गुलाम रही जिसके दौरान भारतीय लोग ब्रिटिश शासन द्वारा बनाये गये कानूनों को मानने के लिये मजबूर थे। भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा 300 वर्षों के संघर्ष के बाद अंतत: 15 अगस्त, 1947 को भारत को आज़ादी मिली ।


🚩सन् 1929 के दिसंबर में लाहौर में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अधिवेशन हुआ। उसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार 26 जनवरी 1930 तक भारत को स्वायत्त उपनिवेश (डोमीनियन) का पद नहीं प्रदान करेगी, जिसके तहत भारत ब्रिटिश साम्राज्य में ही स्वशासित इकाई बन जाता, तो भारत अपने को पूर्णतः स्वतंत्र घोषित कर देगा ।


🚩26 जनवरी 1930 तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और अपना सक्रिय आंदोलन आरंभ किया । उस दिन से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त होने तक 26 जनवरी स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता रहा । तदनंतर स्वतंत्रता प्राप्ति के वास्तविक दिन 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में स्वीकारा गया ।


🚩26 जनवरी का महत्व बनाए रखने के लिए विधान निर्मात्री सभा (कांस्टीट्यूएंट असेंबली) द्वारा लगभग ढाई साल बाद भारत ने अपना संविधान लागू किया और ख़ुद को लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में घोषित किया । कुल 2 साल 11 महीने और 18 दिनों के बाद 26 जनवरी 1950 को हमारी संसद द्वारा भारतीय संविधान को पास किया गया । खुद को संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य घोषित करने के साथ ही भारत के लोगों द्वारा 26 जनवरी “गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाया जाने लगा ।


🚩देश को स्वतंत्र कराने और गौरवशाली गणतंत्र राष्ट्र बनाने में जिन देशभक्तों ने अपना बलिदान दिया उन्हें 26 जनवरी को याद किया जाता है और उन्हें श्रद्धाजंलि दी जाती है ।


🚩गणतंत्र दिवस से जुड़े कुछ तथ्य:


🚩1)  पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए भारतीय संविधान 26 जनवरी को लागू किया गया था ।


🚩2)  26 जनवरी 1950 को 10:18 मिनट पर भारत का संविधान लागू किया गया था।


🚩3)  गणतंत्र दिवस की पहली परेड 1955 में दिल्ली के राजपथ पर हुई थी ।


🚩4)  भारतीय संविधान की दो प्रतियां हैं, जो हिन्दी और अंग्रेजी में हाथ से लिखी गई थी ।


🚩5)  भारतीय संविधान की हाथ से लिखी मूल प्रतियां संसद भवन के पुस्तकालय में सुरक्षित रखी हुई हैं ।


🚩6)  भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने गवर्नमेंट हाऊस में 26 जनवरी 1950 को शपथ ली थी ।


🚩7)  गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति झंडा फहराते हैं ।


🚩8)  26 जनवरी को हर साल देश के स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रध्वज के सम्मान में 21 तोपों की सलामी दी जाती है ।


🚩9)  29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है। जिसमें भारतीय थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बैंड हिस्सा लेते हैं । यह दिन 'गणतंत्र दिवस समारोह' के समापन के रूप में मनाया जाता है ।


🚩राष्ट्र-प्रतीकों राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रगीत का सम्मान करें, राष्ट्राभिमान बढाएं !


🚩1. राष्ट्रध्वज को ऊंचे स्थान पर फहराएं ।


🚩2. प्लास्टिक के राष्ट्रध्वजों का उपयोग न करें ।


🚩3. ध्यान रखें कि राष्ट्रध्वज नीचे अथवा कूड़े में न गिरे ।


🚩4. राष्ट्रध्वज का उपयोग शोभावस्तु के रूप में अथवा पटाखे एवं खिलौने के रूप में न करें ।


🚩5. जिन वस्त्रों पर राष्ट्रध्वज छपा हुआ है, ऐसे वस्त्र न पहनें अथवा अपने मुख पर भी ध्वज चित्रित न करवाएं ।


🚩6. राष्ट्रगीत के समय बातें न करें, सावधान मुद्रा में खड़े रहें ।


🚩जय हिंद !

जय माँ भारती !!


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Wednesday, January 24, 2024

रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा से तिलमिलाए मुस्लिम कट्टरपंथी

अयोध्या मन्दिर में रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा से तिलमिलाए मुस्लिम कट्टरपंथियों की नापाक हरकतें आयी सामने...

कहीं पथराव तो कहीं भगवा फाड़ा गया...

25 January 2024

https://azaadbharat.org 


🚩राम जन्मभूमि पर रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई है। अयोध्या राम मंदिर को लेकर जहाँ चारों ओर हर्षोल्लास देखने को मिल रहा है, वहीं हिंदू और राम नाम से घृणा करने वाले भी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे। गाजियाबाद में शादाब नामक व्यक्ति ने अपने कुत्ते को रामनामी पट्टा पहना कर पूरे मोहल्ले में घुमाया!

दिल्ली की जामिया मिलिया इस्लामिया में बाबरी के नारे लगाए गए!

गुजरात के वड़ोदरा में शोभा यात्रा को निशाना बनाया गया।

राजस्थान के बाड़मेर में भगवा झंडे को फाड़े गये!

बिहार के दरभंगा में भी शोभा यात्रा पर पथराव हुआ।


🚩गाजियाबाद में शादाब ने कुत्ते को रामनामी पहनाया

दिल्ली से सटे जिले गाजियाबाद में शादाब ने अपने कुत्ते के गले में भगवान राम के नाम का पट्टा डाला और उसे पूरे मोहल्ले में घुमाया। इस घटना पर स्थानीय लोगों ने तीखा विरोध किया तो पुलिस हरकत में आई। पुलिस ने शादाब को गिरफ्तार कर लिया है। सहायक पुलिस आयुक्त (इंदिरापुरम) स्वतंत्र कुमार सिंह ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि वैशाली सेक्टर तीन में मजहब विशेष के युवक ने ऐसा काम किया। कौशांबी पुलिस ने जाँच के बाद आरोपित को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने उसके खिलाफ धार्मिक भावनाएँ भड़काने समेत अन्य कई धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है।



🚩बिहार के दरभंगा में शोभा यात्रा पर पथराव

बिहार के दरभंगा में रामलला की शोभा यात्रा पर पथराव किया गया। ये मामला सिंहवाड़ा थाने के भपुरा गाँव का है। सोमवार (22 जनवरी 2024) को श्रीराम शोभा यात्रा के दौरान पथराव किया गया। उपद्रवियों ने दो बाइक सहित डीजे वाहन को बुरी तरह से क्षतिग्रस्त कर दिया। अचानक हुए हमले से शोभायात्रा में शामिल रामभक्तों में अफरातफरी की स्थिति हो गई। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर स्थिति को नियंत्रित किया। उपद्रवियों की पहचान की जा रही है।


🚩राजस्थान में फाड़ा गया भगवा झंडा

राजस्थान के बाड़मेर में एक पोल पर लगे भगवा झंडे को फाड़ दिया गया, जिसके बाद लोग गुस्से में आ गए। गुस्साए लोगों ने हाईवे को जाम कर दिया और आरोपितों के खिलाफ कार्रवाई की माँग की। मामला बाड़मेर के ग्रामीण कोतवाली क्षेत्र का है। पुलिस ने आरोपित को भाडखा कस्बे से गिरफ्तार कर लिया है। घटना 22 जनवरी के शाम की है।



🚩जामिया में बाबरी की गूँज, पुलिस बल की तैनाती

दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया में बाबरी मस्जिद के समर्थन में नारे लगाए गए। इस घटना के बाद यूनिवर्सिटी के बाहर पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है। रिपोर्ट में यूनिवर्सिटी प्रशासन के एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि नारेबाजी में कुछेक छात्र शामिल थे। इन्होंने ‘स्ट्राइक फॉर बाबरी’ जैसे नारे लगाए। हालाँकि शैक्षणिक गतिविधि पर इसका कोई असर नहीं पड़ा।


🚩वडोदरा में शोभा यात्रा पर पत्थरबाजी

गुजरात के वडोदरा में भी शोभायात्रा निकाल रही टोली पर पत्थरों से हमला किया गया। वडोदरा के पडरा में जब शोभा यात्रा चल रही थी तो अचानक पत्थरों की बारिश होने लगी। सोशल मीडिया पर कुछ वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें अफरातफरी का माहौल दिख रहा है। पास ही एक मस्जिद भी नजर आ रही है। फिलहाल हालात काबू में हैं।



🚩बता दें कि राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा से पहले भी कई जगहों से हिंसा की खबरें सामने आई थी। कहीं मुस्लिम भीड़ ने छतों से पत्थरबाजी की, तो कहीं पर चलती सड़क पर हिंदुओं को निशाना बनाया। एक जगह तो तिलमिलाहट में इस्लामी कट्टरपंथी ने अयोध्या के राम मंदिर को ही उड़ा डालने की धमकी दी है। गुजरात के मेहसाना में प्राण प्रतिष्ठा से पहले निकाली गई शोभा यात्रा पर छतों से पत्थरबाजी हुई। पुलिस को स्थिति काबू करने के लिए आँसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। इलाके में पुलिस बल तैनात है और पत्थरबाजों पर कार्रवाई करते हुए 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें महिलाएँ भी शामिल हैं। इसी तरह मुंबई के मीरा रोड में भी सनातन यात्रा पर भीड़ ने हमला किया है।


🚩मुंबई में मीरा रोड हिंसा मामले में पीड़ित विनोद जायसवाल ने दर्ज करवाई FIR है। FIR से पता चला है कि 21 जनवरी की रात को 10:30 बजे यह घटना हुई। जायसवाल ने बताया है कि उनकी गाड़ी को 50-60 लोगों ने घेर लिया और हमला किया जबकि वह मीरा रोड पर जा रहे थे। उनकी गाड़ी पर लाठी-डंडों से हमला किया गया और उस पर लगा झंडा भी उखाड़ दिया।


🚩आगे उन्होंने बताया, “यहाँ सड़क जाम थी इसलिए हमने इसके बाद नयानगर की शिवार गार्डन रोड से जाने का फैसला किया। यहीं पर एक लड़के ने अचानक कार रोकी और धमकी देने लगा! धमकी देते कहा ‘हम तुम्हें दिखाएँगे कि हम कौन हैं।’  देखेंगे तुम्हारे राम तुम्हें बचाने आते हैं या नहीं। इसके तुरंत बाद लगभग 50-60 लोग यहाँ पर आ गए और रॉड व लाठियों से हमला करना शुरू कर दिया।”


🚩आगे उन्होंने FIR में लिखवाया, " उन दहशतगर्दों ने कार के बोनट पर भगवान हनुमान का पोस्टर देखा और उस पर उल्टी कर दी। उन्होंने अल्लाह-ओ-अकबर के नारे लगाए, मेरे सिर पर लोहे की रॉड से हमला कर दिया और मेरी हत्या करने की कोशिश की। इससे हमारी हिंदू भावनाओं को ठेस पहुँची है। उन्होंने मेरे साथ आई महिलाओं और बच्चों पर भी पत्थर फेंके।”


🚩यह बात किसी से छुपी नहीं है कि हमारे देश में बहुसंख्यक हिन्दुओं पर अल्पसंख्यक समुदाय (तथाकथित डरे हुए ) के लोगों द्वारा कितने अत्याचार होते रहते हैं।

अब भले ही सुरक्षा इंतजामों के चलते इन गतिविधियों को बढ़ने से पहले ही रोक लिया गया।

पर ऐसी घृणा से प्रेरित खतरनाक और हिंसक वारदातें भविष्य में भी घटित होंगी ही , इसलिए इन्हें नज़रअंदाज बिल्कुल भी नहीं किया जा सकता..!


https://www.youtube.com/live/hPtJaabcsXU?si=zi3jiFcNdWKDsxVT



🚩मोदी जैसे लोग जो सिर्फ राम का चोला तो ओढ़ रहे है किंतु हिन्दुओ पर खुले आम अति, संत समाज को टारगेट और मुस्लिमो का पोषण यह क्या संदेश आता है समाज अनभिज्ञ नही इससे...


🚩अयोध्या महोत्सव में

मुस्लिमों द्वारा  देशभर में कई जगह हिंदुओं को मारा पीटा गया,हिंसात्मक घटनाएं हुई।


🚩आखिर हिन्दुओ पर ही अत्याचार कब तक होता रहेगा ???


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Tuesday, January 23, 2024

"आजाद हिंद फ़ौज" ने स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी को धधकते ज्वालामुखी में बदल दिया

नेताजी द्वारा गठित "आजाद हिंद फ़ौज" ने स्वतंत्रता संग्राम की चिंगारी को धधकते ज्वालामुखी में बदल दिया... फलतः अंग्रेजों को भारत छोड़कर भागना ही पड़ा !

24 January 2024

https://azaadbharat.org 


🚩अंग्रेजों को परास्त करने के लिए भारत की स्वतंत्रता संग्राम के अंतिम चरण का नेतृत्व नियती ने नेताजी के हाथों सौंपा था । नेताजी ने यह पवित्र और महत्त्वपूर्ण कार्य असीम साहस एवं तन, मन, धन तथा प्राण का त्याग करने में तत्पर रहने वाले सडातनी सैनिकों की ‘आजाद हिंद सेना’ संगठन द्वारा पूर्ण किया ।


🚩ब्रिटिश सेना के हिंदी सैनिकों का नेताजी ने बनाया संगठन

अंग्रेजों की स्थान बद्धता से भाग जाने पर नेताजी ने फरवरी 1943 तक जर्मनी में ही वास्तव्य किया । वे जर्मन सर्वसत्ताधीश हिटलर से अनेक बार मिले और उसे हिंदुस्तान की स्वतंत्रता के लिए सहायता का आवाहन भी किया ।


🚩दूसरे विश्वयुद्ध में विजय की ओर मार्गक्रमण करने वाले हिटलर ने नेताजी को सर्व सहकार्य देना स्वीकार किया । उस अनुसार उन्होंने जर्मनी की शरण में आए अंग्रेजों की सेना के हिंदी सैनिकों का अपने भाषणों द्वारा प्रबोधन करके उनका संगठन बनाया । नेताजी के वहां के भाषणों से हिंदी सैनिक देशप्रेम से भाव विभोर होकर स्वतंत्रता के लिए प्रतिज्ञाबद्ध हो जाते थे ।


🚩आजाद हिंदी फ़ौज की स्थापना और ‘चलो दिल्ली’का नारा


🚩पूर्व एशियाई देशों में जर्मनी के मित्रराष्ट्र जापान की सेना ब्रिटिश सेना को धूल चटा रही थी । जापान में भी शरणार्थी बनकर आए हुए, ब्रिटिश सेना के हिंदी सैनिक थे । नेताजी के मार्गदर्शन में , वहां पहले से ही रह रहे ' रास बिहारी बोस ' ने हिंदी सेना का गठन किया ।


🚩इस हिंदी सेना से मिलने नेताजी 90 दिन पनडुब्बी से यात्रा करते समय मृत्यु से जूझते हुए जुलाई, वर्ष 1943 में जापान की राजधानी टोकियो पहुंचे। रास बिहारी बोस जी ने इस सेना का नेतृत्व नेताजी के हाथों सौंप दिया । 5 जुलाई ,1943 को सिंगापुर में नेताजी ने ‘आजाद हिंद फ़ौज ’ की स्थापना की ।


🚩उस समय सहस्रों सैनिकों के सामने ऐतिहासिक भाषण करते हुए वे बोले,

‘‘सैनिक मित्रों ! आपकी युद्ध घोषणा एक ही रहे ! चलो दिल्ली ! आपमें से कितने लोग इस स्वतंत्रता युद्ध में जीवित रहेंगे, यह तो मैं नहीं जानता,परन्तु मैं इतना अवश्य जानता हूं कि अंतिम विजय अपनी ही है। इसलिए उठो और अपने अपने शस्त्रास्त्र लेकर सुसज्ज हो जाओ । हमारे भारत में आपके आने से पहले ही क्रांतिकारियो ने हमारे लिए मार्ग बना रखा है और वही मार्ग हमें दिल्ली तक ले जाएगा । ….चलो दिल्ली ।”


🚩भारत के अस्थायी शासन की प्रमुख सेना सहस्रों सशस्त्र हिंदी सैनिकों की सेना सिद्ध होने पर और पूर्व एशियाई देशों की लाखों हिंदी जनता का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को समर्थन मिलने पर नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्थान का दूसरा अस्थायी शासन स्थापित किया । इस अस्थायी शासन को जापान, जर्मनी, चीन, इटली, ब्रह्मदेश आदि देशों ने उनकी मान्यता घोषित की ।


🚩इस अस्थायी शासन की आजाद हिंद सेना एक प्रमुख सेना बन गई ! आजाद हिंद सेना में सर्व जाति-जनजाति, अलग-अलग प्रांत, भाषाओं के सैनिक थे । सेना में एकात्मता की भावना थी । ‘कदम कदम बढाए जा’, इस गीत से समरस होकर नेताजी ने तथा उनकी सेना ने आजाद हिंदुस्थान का स्वप्न साकार करने के लिए विजय यात्रा आरंभ की ।


🚩 नेताजी ने झांसी की रानी के पदचिन्हों का अनुसरण कर महिलाओं के लिए ‘रानी ऑफ झांसी रेजिमेंट’ की स्थापना की । पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर महिलाओं को भी सैनिक प्रशिक्षण लेना चाहिए, इस भूमिका पर वे दृढ़ रहे । नेताजी कहते थे , हिंदुस्तान में 1857 के स्वतंत्रता युद्ध में लड़ने वाली झांसी की रानी का आदर्श सामने रखकर महिलाओं को भी स्वतंत्रता संग्राम में अपना सक्रिय योगदान देना चाहिए ।


🚩आजाद हिंद फ़ौज द्वारा ब्रिटिशों को धक्का


🚩आजाद हिंद सेना का ब्रिटिश सत्ता के विरोध में सैनिकी आक्रमण आरंभ होते ही जापान के सत्ताधीश जनरल टोजो ने इंग्लैंड से जीते हुए अंदमान एवं निकोबार ये दो द्वीप समूह आजाद हिंद सेना के हाथों सौंप दिए । 29 दिसंबर 1943 को स्वतंत्र हिंदुस्तान के प्रमुख होने के नाते नेताजी अंदमान गए और अपना स्वतंत्र ध्वज वहां लहराकर सेल्युलर कारागृह में दंड भोग चुके क्रांतिकारियो को श्रद्धांजलि अर्पित की । जनवरी 1944 में नेताजी ने अपनी सशस्त्र सेना ब्रह्मदेश में स्थानांतरित की ।


🚩19 मार्च, 1944 के ऐतिहासिक दिन आजाद हिंद सेना ने भारत की भूमि पर कदम रखा । इंफाल, कोहिमा आदि स्थानों पर इस सेना ने ब्रिटिश सेना पर विजय प्राप्त की । इस विजय निमित्त 22 सितंबर, 1944 को दिए गए भाषण में नेताजी ने गर्जना की... कि, ‘‘अपनी मातृभूमि स्वतंत्रता की मांग कर रही है ! इसलिए मैं आज आपसे आपका रक्त मांग रहा हूं । केवल रक्त से ही हमें स्वतंत्रता मिलेगी । तुम मुझे अपना रक्त दो । मैं तुमको स्वतंत्रता दूंगा !” (‘‘दिल्ली के लाल किले पर तिरंगा लहराने के लिए तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दूंगा”) यह भाषण इतिहास में अजर अमर हुआ । उनके इन हृदय झकझोर देनेवाले उद्गारों से उपस्थित हिंदी युवाओं का मन रोमांचित हुआ और उन्होंने अपने रक्त से प्रतिज्ञा लिखी ।


🚩‘चलो दिल्ली’का स्वप्न अधूरा; परंतु ब्रिटिशों को झटका


🚩मार्च 1945 से दोस्त राष्ट्रों के सामने जापान की पराजय होने लगी । 7 मई 1945 को जर्मनी ने बिना किसी शर्त के शरणागति स्वीकार ली, जापान ने 15 अगस्त को शरणागति की अधिकृत घोषणा की । जापान-जर्मनी के इस अनपेक्षित पराजय से नेताजी की सर्व आकांक्षाएं धूमिल हो गईं । ऐसे में अगले रणक्षेत्र की ओर अर्थात् सयाम जाते समय 18 अगस्त, 1945 को फार्मोसा द्वीप पर उनका बॉम्बर विमान गिरकर उनका हदयद्रावक अंत हुआ ।


🚩आजाद हिंद सेना दिल्ली तक नहीं पहुंच पाई; परंतु उस सेना ने जो प्रचंड आवाहन् बलाढ्य ब्रिटिश साम्राज्य के सामने खड़ा किया, इतिहास में वैसा अन्य उदाहरण नहीं । इससे ब्रिटिश सत्ता को भयंकर झटका लगा । हिंदी सैनिकों के विद्रोह से आगे चलकर भारत की सत्ता अपने अधिकार में रखना बहुत ही कठिन होगा, इसकी आशंका अंग्रेजों को आई । चतुर और धूर्त अंग्रेज शासन ने भावी संकट ताड़ लिया । उन्होंने निर्णय लिया कि पराजित होकर जाने से अच्छा है हम स्वयं ही यह देश छोड़कर चले जाएं । तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने अपनी स्वीकृति दे दी ।


🚩ब्रिटिश भयभीत हो गए और नेहरू भी झुके 


🚩स्वतंत्रता के लिए सर्वस्व अर्पण करने वाली नेताजी की आजाद हिंद सेना को संपूर्ण भारत वासियों का उत्स्फूर्त समर्थन प्राप्त था । नेताजी ने ब्रिटिश-भारत पर सशस्त्र आक्रमण करने की घोषणा की, तब पंडित नेहरू ने उनका विरोध किया; परंतु नेताजी की एकाएक मृत्यु के उपरांत आजाद हिंद सेना के सेनाधिकारियों पर अभियोग चलते ही, संपूर्ण देश से सेना की ओर से लोकमत प्रकट हुआ ।


🚩सेना की यह लोकप्रियता देखकर अंत में नेहरू को झुकना पडा, इतना ही नहीं उन्होंने स्वयं सेना के अधिकारियों का अधिवक्तापत्र (वकीलपत्र) लिया । अंततः आरोप लगाए गए सेना के 3 सेनाधिकारी सैनिक न्यायालय के सामने दोषी ठहराए गए; परंतु उनका दंड क्षमा कर दिया; क्योंकि अंग्रेज सत्ताधीशों की ध्यान में आया कि, नेताजी के सहयोगियों को दंड दिया, तो 90 वर्षों में लोक क्षोभ उफन कर आएगा । आजाद हिंद सेना के सैनिकों की निस्वार्थ देश सेवा की ज्योति से ही स्वतंत्रता की ज्वाला देशवासियों के हृदयों में निर्माण हुई ।


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