Thursday, March 16, 2023

हिंदुओं का नूतन वर्ष इसलिए महान है, इतिहास पढ़ लीजिए जानकर दंग रह जाएंगे

16  March 2023

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🚩चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को गुड़ी पाड़वा या वर्ष प्रतिपदा या उगादि (युगादि) कहा जाता है । इस दिन हिन्दू नववर्ष का आरम्भ होता है । ‘गुड़ी’ का अर्थ ‘विजय पताका’ होता है । इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।


🚩चैत्रमास की शुक्ल प्रतिपदा


को ही सृष्टि की उत्पति हुई थी और इस दिन कुछ ऐसी महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाएं हुई हैं जिसके कारण इस दिन का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।


🚩आइये आपको इस दिन के इतिहास से जुड़ी कुछ घटनाएं बताते हैं…।


🚩इतिहास में इस प्रकार वर्णित है चैत्री वर्ष प्रतिपदा…


🚩1. भगवान ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि का सर्जन…


🚩2. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का राज्‍याभिषेक…


🚩3. माँ दुर्गा के नवरात्र व्रत का शुभारम्भ…


🚩4. प्रारम्‍भयुगाब्‍द (युधिष्‍ठिर संवत्) का आरम्‍भ..


🚩5. उज्जैनी सम्राट विक्रमादित्‍य द्वारा विक्रमी संवत्प्रारम्‍भ..


🚩6. शालिवाहन शक संवत् (भारत सरकार का राष्‍ट्रीय पंचांग) का प्रारंभ…


🚩7. महर्षि दयानन्द जी द्वारा आर्य समाज का स्‍थापना दिवस..


🚩8. भगवान झूलेलाल का अवतरण दिन..


🚩9. मत्स्यावतार दिवस..


🚩10 – डॉ॰केशवराव बलिरामराव हेडगेवार जन्मदिन ।


🚩नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती हैं…!!! इसी दिन से नया संवत्सर शुरू होता है । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं ।


🚩शुक्ल प्रतिपदा का दिन चंद्रमा की कला का प्रथम दिवस माना जाता है । ‘उगादि‘ के दिन ही पंचांग तैयार होता है । महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने इसी दिन से सूर्योदय से सूर्यास्त तक…दिन, महीना और वर्ष की गणना करते हुए ‘पंचांग ‘ की रचना की थी ।


🚩वर्ष के साढ़े तीन मुहूर्तों में गुड़ीपड़वा की गिनती होती है । इसी दिन भगवान श्री राम ने बालि के अत्याचारी शासन से प्रजा को मुक्ति दिलाई थी ।


🚩नव वर्ष का प्रारंभ प्रतिपदा से ही क्यों…???


🚩भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है ।


🚩आज भी जनमानस से जुड़ी हुई यही शास्त्रसम्मत कालगणना व्यवहारिकता की कसौटी पर खरी उतरी है । इसे राष्ट्रीय गौरवशाली परंपरा का प्रतीक माना जाता है ।


🚩विक्रमी संवत किसी की संकुचित विचारधारा या पंथाश्रित नहीं है । हम इसको पंथ निरपेक्ष रूप में देखते हैं । यह संवत्सर किसी देवी, देवता या महान पुरुष के जन्म पर आधारित नहीं, ईस्वी या हिजरी सन की तरह किसी जाति अथवा संप्रदाय विशेष का नहीं है ।


🚩भारतीय गौरवशाली परंपरा विशुद्ध अर्थों में प्रकृति के शास्त्रीय सिद्धातों पर आधारित है और भारतीय कालगणना का आधार पूर्णतया पंथ निरपेक्ष है ।


🚩प्रतिपदा का यह शुभ दिन भारत राष्ट्र की गौरवशाली परंपरा का प्रतीक है । ब्रह्म पुराण के अनुसार चैत्रमास के प्रथम दिन ही ब्रह्मा ने सृष्टि संरचना प्रारंभ की । यह भारतीयों की मान्यता है, इसीलिए हम चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्षारंभ मानते हैं ।


🚩आज भी हमारे देश में प्रकृति, शिक्षा तथा राजकीय कोष आदि के चालन-संचालन में मार्च, अप्रैल के रूप में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को ही देखते हैं । यह समय दो ऋतुओं का संधिकाल है । प्रतीत होता है कि प्रकृति नवपल्लव धारण कर नव संरचना के लिए ऊर्जस्वित होती है । मानव, पशु-पक्षी यहां तक कि जड़-चेतन प्रकृति भी प्रमाद और आलस्य को त्याग सचेतन हो जाती है ।


🚩इसी प्रतिपदा के दिन आज से उज्जैनी नरेश महाराज विक्रमादित्य ने विदेशी आक्रांत शकों से भारत-भू का रक्षण किया और इसी दिन से काल गणना प्रारंभ की । उपकृत राष्ट्र ने भी उन्हीं महाराज के नाम से विक्रमी संवत कह कर पुकारा ।


🚩महाराज विक्रमादित्य ने चैत्री प्रतिपदा के दिन से राष्ट्र को सुसंगठित कर शकों की शक्ति का उन्मूलन कर देश से भगा दिया और उनके ही मूल स्थान अरब में विजयश्री प्राप्त की । साथ ही यवन, हूण, तुषार, पारसिक तथा कंबोज देशों पर अपनी विजय ध्वजा फहराई । उसी के स्मृति स्वरूप यह प्रतिपदा संवत्सर के रूप में मनाई जाती थी ।


🚩महाराजा विक्रमादित्य ने भारत की ही नहीं, अपितु समस्त विश्व की सृष्टि की । सबसे प्राचीन कालगणना के आधार पर ही प्रतिपदा के दिन को विक्रमी संवत के रूप में अभिषिक्त किया । इसी दिन को मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान रामचंद्र के राज्याभिषेक के रूप में मनाया गया ।


🚩यह दिन ही वास्तव में असत्य पर सत्य की विजय दिलाने वाला है । इसी दिन महाराज युधिष्ठर का भी राज्याभिषेक हुआ और महाराजा विक्रमादित्य ने भी शकों पर विजय के उत्सव के रूप में मनाया ।

🚩आज भी यह दिन हमारे सामाजिक और धर्मिक कार्यों के अनुष्ठान की धुरी के रूप में तिथि बनाकर मान्यता प्राप्त कर चुका है । यह राष्ट्रीय स्वाभिमान और सांस्कृतिक धरोहर को बचाने वाला पुण्य दिवस है । हम प्रतिपदा से प्रारंभ कर नौ दिन में शक्ति संचय करते हैं ।


🚩कैसे मनाएं नूतन वर्ष…???


🚩1- मस्तक पर तिलक, भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य , शंखध्वनि, धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कालेज आदि सभी मुख्य प्रवेश द्वारों पर बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भगवा ध्वजा फहराकर सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩अब से सभी भारतीय संकल्प लें कि अंग्रेजों द्वारा चलाया गया नववर्ष(1 जनवरी को मनाया जाने वाला नववर्ष) न मनाकर अपना महान हिन्दू धर्म वाला नववर्ष ( इस साल 22 मार्च ) को मनाएंगे ।


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Wednesday, March 15, 2023

पॉप फ्रांसिस ने पहले पादरियों के दुष्कर्मों पर मांगी माफी, अब देंगे छूट

15  March 2023

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🚩कैथलिक चर्च की दया, शांति और कल्याण की असलियत दुनिया के सामने उजागर ही हो गयी है । मानवता और कल्याण के नाम पर क्रूरता का पोल खुल चुकी है । चर्च  कुकर्मो की  पाठशाला व सेक्स स्कैंडल का अड्डा बन गया है । पोप बेनेडिक्ट सोलहवें ने पादरियों द्वारा किये गए इस कुकृत्य के लिए माफी माँगी थी।



🚩उसके बाद पॉप फ्रांसिस ने भी हजारों पादरियों ने बच्चों और ननो का यौन शौषण किया था उस पर मांगी माफी मांगी थी। अब पॉप ने पादरियों के लिए बनाए गए नियम ‘सेक्स पर प्रतिबंध’ को अस्थाई बताया है।


🚩ईसाइयों के पॉप फ्रांसिस के मुताबिक चर्च के पादरियों को शादी करने में कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए। पोप ने कहा कि पादरियों को सेक्स करने से रोकने वाले चर्च के पुराने हो चले नियमों की समीक्षा की जाएगी। 86 साल के पोप फ्रांसिस का यह बयान चर्च में होने वाली बाल शोषण जैसी घटनाओं पर पादरियों की हो रही आलोचना के बाद आया है। उन्होंने चर्चों से भी नियमों में बदलाव की चर्चा का स्वागत करने की अपील की है।


🚩चर्च के अंदर सब कुछ गुप्त और रहस्यमय रखा जाता है । इससे इसके बारे में कई किताबें लिखी जाने के बावजूद भी परनाला (बड़ी नाली) वहाँ-का-वहाँ है । पश्चिम के मीडिया में चर्च की डार्क साइड (अंधकारमय पहलू) की चर्चा हो रही है ।


🚩बता दे की अमेरिका के इलिनोइस राज्य में 700 पादरियों पर बच्चों के साथ चर्च में यौन शोषण का मामला सामने आया है । अटॉर्नी जनरल के कार्यालय की ओर से जारी बयान में शोषण के आरोपों से निपटने में चर्च की असमर्थता की आलोचना की गई है ।


🚩अटॉर्नी जनरल के कार्यालय की ओर से जारी बयान में शोषण के आरोपों से निपटने में चर्च की असमर्थता की आलोचना की गई है । 


🚩न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट में अनुसार अमेरिका में पेनसिलवेनिया में 300 से अधिक कैथोलिक पादरियों ने 1000 से अधिक बच्चों का यौन-शोषण किया था । रिपोर्ट के अनुसार हजारों ऐसे और भी मामले हो सकते हैं जिनका रिकॉर्ड नहीं है या जो लोग अब सामने नहीं आना चाहते ।


🚩अमेरिका में 1980 के बाद चर्च के अंदर चल रहे यौन-शोषण के मामलों पर चर्च को अभी तक 3.8 अरब डॉलर का मुआवजा देना पड़ा है । अमेरिका में यह शोषण इतना व्याप्त हो चुका है कि कई लॉ फर्म्स अभिभावकों से सम्पर्क कर पूछ रही हैं कि ‘‘क्या आपके बच्चे का यौन-शोषण तो नहीं हुआ ?’’ अधिकतर शिकार उस वक्त 8-12 वर्ष की आयु के बच्चे थे । 


🚩बी.बी.सी. के अनुसार ‘ऑस्ट्रेलिया के कस्बों से लेकर आयरलैंड के स्कूलों और अमेरिका के शहरों से कैथोलिक चर्च में पिछले कुछ दशकों में बच्चों के यौन-शोषण की शिकायतों की बाढ़ आ गयी है । इस बीच इस पर पर्दा डालने का प्रयास भी चल रहा है और शिकायतकर्ता यह कह रहे हैं कि ‘‘वेटिकन ने उनसे हुई ज्यादतियों पर उचित कार्यवाही नहीं की ।’’ 


🚩नीदरलैंड में एक समाचार के अनुसार वहाँ के आधे पादरी बच्चों के यौन-शोषण पर पर्दा डालने के अपराधी हैं । फ्रांस में हाल में एक पादरी पर चार भाइयों, जिनमें से सबसे छोटे की उम्र 3 वर्ष है, के यौन-शोषण का आरोप लगा है ।


🚩जर्मनी के प्रमुख अखबारों ने यह समाचार दिया है कि 1946 से 2014 के बीच 1600 पादरियों ने 3677 नाबालिगों का यौन-शोषण किया । जर्मन मीडिया के अनुसार छः में से एक मामला रेप का है । रिपोर्ट बनानेवालों के अनुसार यह संख्या बढ़ भी सकती है ।


🚩बता दे की केरल के एक नन ने अपनी आत्मकथा में आरोप लगाया था कि एक पादरी अपने कक्ष में ननों को बुला कर ‘सुरक्षित सेक्स’ का प्रैक्टिकल क्लास लगाता था। इस दौरान वह ननों के साथ यौन सम्बन्ध बनाता था। उसके ख़िलाफ़ लाख शिकायतें करने के बावजूद उसका कुछ नहीं बिगड़ा। उसके हाथों ननों पर अत्याचार का सिलसिला तभी थमा, जब वह रिटायर हुआ। सिस्टर लूसी ने लिखा था कि उनके कई साथी ननों ने अपने साथ हुई अलग-अलग घटनाओं का जिक्र किया और वो सभी भयावह हैं। ऐसे तो हजारों पादरियों पर अपराध साबित हो चुके है कि ये लोग बच्चों एवं ननों का यौन शोषण करते हैं।


🚩किसी पवित्र हिन्दू साधु-संतों को बदनाम करने वाली मीडिया इस पर चुप क्यों है ये बड़ा सवाल है ?


🚩यदि किसी साधु-संत पर साजिस के तहत झूठे आरोप भी कोई लगा दे तो मीडिया डिबेट बैठाती है और सेकुलर भी छाती पीटने लगते हैं, लेकिन जब हजारों छोटे-छोटे बच्चे पीड़ित हो रहे हैं तो सबके सब दुबक कर बैठ गये हैं इसपर कुछ भी किसीकी को बोलने की हिम्मत नहीं हो पा रही है ।


🚩देश को तोड़ने के लिए हिन्दू संस्कृति के आधार स्तंभ साधु-संतों को टारगेट किया जा रहा है और ईसाई धर्म को फैलाने के लिए पादरियों के कुकर्मो को छुपाया जा रहा है इसलिए हिंदुस्तानी इस षड्यंत्र को समझकर सावधान रहें और संगठित हो धर्म पर हो रहे आक्रमण का कानून के दायरे में रहकर विरोध करें ।

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Tuesday, March 14, 2023

अगर आप कोल्ड ड्रिंक पीते हैं तो हो जाए सावधान, भयंकर बीमारियां हो सकती हैं

14  March 2023

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🚩अमेरिका की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी में किये गए अध्ययन के अनुसार कोल्ड ड्रिंक की लत से होने वाले रोग जैसे डायबिटीज से हर साल 1.33 लाख जानें जाती हैं, #हृदयरोग से लगभग 45,000 और कैंसर से 6,500 लोग मौत के शिकार होते हैं। यानी कुल 1.84 लाख मौतों के लिए कोल्ड ड्रिंक जिम्मेदार है ।


🚩पिछले साल पुर्तगाल के स्टार फुटबॉलर व कप्तान क्रिस्टियानो रोनाल्डो का एक विडियो सोशल मिडिया में खूब वायरल हुआ था,  एक प्रेस कांफ्रेंस में रोनाल्डो ने कांफ्रेंस टेबल पर रखी हुई दो कोक की बोतलों को अपने सामने से हटा दिया और कहा- ‘कोक नहीं, पानी पियो।’

 


🚩उनके ऐसा करने से कंपनी को करीब 4 बिलियन डॉलर यानि 293 अरब रुपये का नुकसान हो गया। वैसे, नुकसान से याद आया कि कोल्ड ड्रिंक के पीने के बाद क्या होता है- आप जानते हैं?

 

🚩नहीं ?? तो फिर ये देख लीजिए –

 

🚩कोल्ड ड्रिंक पीने के महज़ 10 मिनट बाद आपके शरीर में 10 चम्मच शुगर चली जाती है। 20 मिनट बाद शरीर में इंसुलिन का फ्लो बढ़ने लगता है जिसे कंट्रोल करने के लिए आपका लिवर एक्स्ट्रा शुगर को फैट में बदल देता है। 

 

🚩40 मिनट में कोल्ड ड्रिंक में मौजूद कैफिन आपके शरीर में घुलने लगता है, ब्लड़ प्रेशर बढ़ने लगता है, 45 मिनट बाद शरीर में डोपामाईन केमिकल बढ़ जाता है।


🚩ये केमिकल ड्रग्स की तरह दिमाग पर असर करता है और 60 मिनट बाद कोल्ड ड्रिंक में मौजूद फॉस्फोरिक एसिड अपना असर दिखाता है, शरीर में पानी की कमी होने लगती है।

 

🚩रुकिए…!! और सुनिए…

 

🚩हार्वर्ड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की स्टडी से पता चला है- ‘सॉफ्ट ड्रिंक से फैट तो बढ़ता ही है साथ ही ये आपके लिए जानी दुश्मन होती है।’

 

🚩कोल्ड ड्रिंक पीने से हर साल दुनिया में 2 लाख से ज्यादा लोगों की मौत होती है।

लोग डायबिटीज के शिकार भी होते हैं।

लगभग 6 हज़ार लोग कैंसर का शिकार होते हैं और लगभग 44 हज़ार लोग दिल की बीमारियों का शिकार होकर मर जाते हैं।

 

🚩हावर्ड यूनिवर्सिटी में हुए एक शोध के मुताबिक कोल्ड ड्रिंक (पेप्सी, कोकाकोला) या डिब्बाबंद जूस और हेल्थ ड्रिंक पीने से न सिर्फ ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है बल्कि इंसुलिन के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होने लगती है। इससे व्यक्ति धीरे-धीरे डायबिटीज और हृदयरोगों (हार्टअटैक) की चपेट में आने लगता है।

 

🚩ये तो आप समझ ही गए होंगे कि सॉफ्ट ड्रिंक पीने से आपकी बॉडी पर क्या असर पड़ता है तो उसकी जगह नारियल पानी, ताजे फलों का जूस, गुलाब शरबत, नींबू शरबत, पलाश शरबत पियें और पिलाइये जिससे आप और मेहमान भी स्वस्थ रहें और आपका पैसा भी कम खर्च होगा तथा पैसा विदेश में न जाकर देश में ही रहेगा।

 

🚩भारतवासियों ! घर के बनाये पेय पदार्थों का सेवन कर खुद भी स्वस्थ रहें और अपनी मेहनत से कमाए पैसे का भी सही और उचित जगह उपयोग करके देश को समृद्ध बनायें।


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Monday, March 13, 2023

भारत को हिन्दू राष्ट्र बनाना क्यों आवश्यक है ?

13  March 2023

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🚩मौलाना तौकीर रज़ा इत्तेहाद मिल्लत काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तौकीर रज़ा ने कहा कि अगर हिन्दू राष्ट्र की माँग जायज है तो खालिस्तान की भी माँग सही है। तौकीर ने सरकार से हिन्दू राष्ट्र की माँग करने वाले लोगों पर केस दर्ज करने की भी माँग की।


🚩हिंदु राष्ट्र क्यों आवश्यक?


🚩विश्व में ईसाइयों के 157, मुसलमानों के 52, बौद्धों के 12 जबकि यहूदियों का 1 राष्ट्र है । हिन्दूओं का राष्ट्र इस सौरमंडल में कहा है ? लेकिन विश्व में 1 भी हिन्दू राष्ट्र नही है। 



🚩स्वतंत्रता के समय का एवं आज का भारत !


🚩1947 में जहाँ 1 पैसे का भी ऋण नहीं था, उस भारत में आज प्रत्येक नागरिक अपने सिर पर 32,812 रुपयों के ऋण का भार ढो रहा है ।


🚩1947 में 33 प्रतिशत से अधिक निर्यात करनेवाला भारत आज 1 प्रतिशत से भी अल्प निर्यात कर रहा है ।


🚩जहाँ अधिक से अधिक 10 से 20 विदेशी प्रतिष्ठान थे, उस भारत में आज 5,000  से भी अधिक विदेशी प्रतिष्ठानों को सिर पर उठाया जा रहा है ।


🚩जहाँ एक भी संवेदनशील जनपद (जिला) नहीं था, उस भारत में आज 300 से भी अधिक जनपद संवेदनशील बन गए हैं ।


🚩जहाँ प्रति नागरिक के पास एक-दो गाय होती थीं, उस भारत में अबाध गोहत्या के कारण आज 12 व्यक्तियों पर एक गाय है ।


🚩विदेश में जाकर अत्याचारी कर्जन वाइली, ओडवायर जैसे शासकों को ईसावासी करने वाला भारत आज संसद पर आक्रमण करनेवाले अफजल को फांसी देने में कई साल लगा रहा है !


🚩देशाभिमान जागृत रखने वाले भारत से, देशाभिमान गिरवी रखने वाला भारत, निम्नतम भ्रष्टाचार करने वाले भारत से भ्रष्टाचार की उच्चतम सीमा तक पहुंचा भारत, सीमा पार झंडा फहराने वाले भारत से आज नहीं तो कल, कश्मीर से हाथ धो बैठने की प्रतीक्षा करनेवाला भारत… यह सूची लिखते समय भी मन आक्रोशित हो रहा है; परंतु ‘गण की तो दूर, मन की भी लज्जा न रखनेवाले’ शासनकर्ता सर्वत्र गर्व से सीना तानकर घूम रहे हैं ।


🚩मुसलमान आक्रमणकारियों एवं धूर्त ब्रिटिशों ने भी भारतीय जनता को जितना त्रस्त नहीं किया, उससे सैकडों गुना लोकतंत्र द्वारा उपहार स्वरूप मिले इन शासनकर्ताओं ने मात्र 6 दशकों में कर दिया है !


🚩‘लोगों द्वारा, लोगों के लिए, लोगों का शासन’, लोकतंत्र की ऐसी व्याख्या, भारत जैसे विश्व के सब से बडे देश के लिए ‘स्वार्थांधों द्वारा स्वार्थ के लिए चयनित (निर्वाचित) स्वार्थी शासनकर्ताओं का शासन’, ऐसी हो चुकी है ।


🚩इस लेखमालिका में भारत की अनेक समस्याएं वर्णित हैं । ये समस्याएं पढकर कुछ लोगों के मन में संदेह उत्पन्न होगा कि ‘हिन्दू राष्ट्र’में ये समस्याएं दूर कैसे होंगी ? क्या इतिहास में ऐसा कभी हुआ है ? ऐसा समझनेवाले लोग यह समझ लें कि – हां, इतिहास में ऐसा हुआ है ! छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दू राष्ट्र (हिन्दवी स्वराज्य)’ स्थापित होते ही ऐसी तत्कालीन समस्याएं दूर हुई हैं !


🚩छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होते ही सबकुछ कुशल-मंगल हुआ था !


🚩छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म होने के पूर्व भी आज के समान ही हिन्दू स्त्रियों का शील सुरक्षित नहीं था, प्रत्यक्ष जीजामाता की जिठानी को ही पानी लाते समय यवन सरदार ने अगवा कर लिया था । उस समय भी मंदिर भ्रष्ट किए जाते थे एवं गोमाता की गर्दन पर कब कसाई का छुरा चल जाएगा, यह कोई बता नहीं सकता था । छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होते ही मंदिर ढहाना बंद हुआ, इतना ही नहीं; अपितु मंदिर ढहाकर बनाई मस्जिदों का रूपांतरण पूर्ववत मंदिरों में हुआ ।


🚩मौन रहकर क्रंदन करनेवाली गोमाताएं आनंदित होकर रंभाने लगीं । ‘गोहत्या बंद की जाए !’, ऐसी मांग के लिए कभी शासन के पास लाखों हस्ताक्षर नहीं भेजे गए अथवा छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी कोई ‘गोहत्या प्रतिबंधक विधेयक’ मंत्रीमंडल में प्रस्तुत नहीं किया,हिन्दू राष्ट्र घोषित होते ही गौमाता की पूजा होने लग गई ।


🚩आज हमें महंगाई दिखती है । क्या कभी पढा है कि छत्रपति  शिवाजी ‘महाराज के शासनकाल में प्रजा महंगाई से त्रस्त थी’ ?


🚩‘जय जवान, जय किसान’की घोषणा करनेवाले शासनकर्ता आज जवान एवं किसान, दोनों की नृशंस हत्या करवा रहे हैं । छत्रपति शिवाजी महाराज को तो केवल कृषकों के (किसानों के) प्राण ही नहीं, अपितु उनके द्वारा उपजाई फसल भी अमूल्य लगती थी । उन्होंने ऐसी आज्ञा ही दी थी कि ‘कृषकों द्वारा उपजाई फसल के डंठल को भी कोई हाथ न लगाए ।’ छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘किसानों’ की ही भांति ‘जवानों को’भी संभाला था ।

🚩छत्रपति शिवाजी महाराज लडाई में घायल हुए अनेक सैनिकों को पुरस्कार के साथ सोने के आभूषण देकर सम्मानित करते थे । कारगिल युद्ध में वीरगति प्राप्त करनेवाले सैनिकों की विधवाओं के लिए वर्ष 2010 में ‘आदर्श’ सोसाइटी बनाई गई; परंतु उसमें एक भी सैनिक की विधवा को सदनिका (फ्लैट) नहीं मिली । भ्रष्टासुरों ने ही वे सभी सदनिकाएं हडप लीं !


🚩छत्रपति शिवाजी  महाराज ने सिंहगढ के युद्ध में वीरगति प्राप्त करनेवाले तानाजी के पुत्र का विवाह कर उनके परिजनों को सांत्वना दी थी !


🚩‘हिन्दू राष्ट्र’ में भारत को त्रस्त करने वाली बाह्य समस्याएं भी दूर होंगी !


🚩‘हिन्दू राष्ट्र’ में आंतरिक समस्याएं दूर होंगी, उसी प्रकार बाह्य समस्याएं भी दूर होंगी । इन समस्याओं में मुख्य हैं :-पाकिस्तान एवं चीन द्वारा भारत पर संभावित आक्रमण ।


🚩 शिवकाल में भी ऐसी ही स्थिति थी । औरंगजेब ‘शिवा’का छोटासा राज्य नष्ट करने को तुला था; परंतु ‘महाराज का राज्याभिषेक और विधिवत ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित हुआ’, यह सुनते ही उसके पैरोंतले की भूमि खिसक गई ! तदनंतर आगे महाराज के स्वर्गारोहणतक वह मात्र महाराष्ट्र में ही नहीं; अपितु दक्षिण में भी नहीं आया ! एक बार ‘हिन्दू राष्ट्र’की स्थापना हुई कि हमारे सर्व पडोसी अपनेआप सीधे हो जाएंगे !


🚩‘हिन्दू राष्ट्र’का विषय निकलते ही एक निरर्थक प्रश्न तथाकथित धर्मनिरपेक्षतावादियों द्वारा पूछा जाता है, ‘हिन्दूराष्ट्र’में मुसलमानों के साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा ? वास्तव में यह प्रश्न मुसलमानों को पूछना चाहिए । वे नहीं पूछते । वे तो यही कहते हैं, ‘हस के लिया पाकिस्तान, लड के लेंगे हिन्दूस्तान !’


🚩तथापि इस प्रश्नका भी उत्तर है । आगामी ‘हिन्दू राष्ट्र’में मुसलमानों से ही नहीं; अपितु सभी पंथियों से वैसा ही व्यवहार किया जाएगा जैसा शिवराज्य में किया गया था !


🚩संक्षेप में, सूर्योदय होने से पूर्व सर्वत्र अंधकार छाया रहता है, दुर्गंध आती है; परंतु सूर्य के उगते ही अंधकार अपनेआप नष्ट हो जाता है, सर्व दुर्गंध वातावरण में लुप्त हो जाती है । अंधकार अथवा दुर्गंध से कोई नहीं कहता, ‘दूर हटो, सूर्य उग रहा है !’ यह अपनेआप ही होता है । उसी प्रकार आज भारत में फैला विविध समस्यारूपी अंधकार एवं दुर्गंध ‘हिन्दू राष्ट्र’के स्थापित होते ही अपनेआप नष्ट हो जाएगी । धर्माचरणी शासनकर्ताओं के कारण भारत की सर्व समस्याएं दूर होंगी तथा सदाचार के कारण सर्व जनता भी सुखी होगी !


🚩किन्हीं एक-दो समस्याओं के विरोध में लडने की अपेक्षा ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित करना आवश्यक है। मात्र भारत के लोगों के लिए ही नहीं; अपितु अखिल मानवजाति के कल्याण हेतु हिन्दू राष्ट्र स्थापित किया जाना चाहिए।


🚩पांडव मात्र पांच गांव चाहते थे, वे भी उन्हें सहजता से नहीं मिल सके । हमें तो कश्मीर से कन्याकुमारीतक अखंड ‘हिन्दू राष्ट्र’ चाहिए । इसके लिए बडा संघर्ष करना होगा । भारत की किन्हीं एक-दो समस्याओं के (उदा. गोहत्या, धर्मांतरण, गंगा नदी का प्रदूषण, कश्मीर, मंदिर, स्वभाषारक्षा आदि के) विरोध में पृथक-पृथक लडने की अपेक्षा सर्व समविचारी व्यक्ति एवं संस्थाएं मिलकर ‘हिन्दू राष्ट्र-स्थापना’का ही ध्येय रखकर कार्य करेंगे, तो यह संघर्ष थोडा सुलभ होगा ।


🚩स्वामी विवेकानंद, योगी अरविंद, वीर सावरकर, प.पू. गोळवलकर गुरुजी जैसे हिन्दू धर्म के महान योद्धाओं को अपेक्षित धर्माधारित ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित होने हेतु आवश्यक शारीरिक, मानसिक, बौदि्धक एवं आध्याति्मक सामथ्र्य हिन्दूनिष्ठों को मिले। - स्त्रोत: सनातन समिति


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Sunday, March 12, 2023

सृष्टि का निर्माण हुआ था वही दिन आने वाला है, वही नूतन वर्ष है, सभी तैयारी शुरू करें

12  March 2023

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🚩सृष्टि का जिस दिन निर्माण हुआ वह दिन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा था इसलिए भारतीय नववर्ष का प्रारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से ही माना जाता है और इसी दिन से ग्रहों, वारों, मासों और संवत्सरों का प्रारंभ गणितीय और खगोल शास्त्रीय संगणना के अनुसार माना जाता है। इस साल 22 मार्च 2023 से नूतनवर्ष प्रारंभ होगा।


🚩चैत्र नूतन वर्ष का प्रारम्भ आनंद-उल्लासमय हो इस हेतु प्रकृति माता भी सुंदर भूमिका बना देती है । चैत्र ही एक ऐसा महीना है, जिसमें वृक्ष तथा लताएँ पल्लवित व पुष्पित होती हैं।


🚩अंग्रेजी नूतन वर्ष में शराब-कबाब, व्यसन, दुराचार करते हैं लेकिन भारतीय नूतन वर्ष संयम, हर्षोल्लास से मनाया जाता है । जिससे देश में सुख, सौहार्द, स्वास्थ्य, शांति से जन-समाज का जीवन मंगलमय हो जाता है ।



🚩इस साल 23 मार्च को नूतन वर्ष मनाना है, भारतीय संस्कृति की दिव्यता को घर-घर पहुँचाना है ।


🚩हम भारतीय नूतन वर्ष व्यक्तिगतरूप और सामूहिक रूप से भी मना सकते हैं ।


🚩कैसे मनाये ?


🚩1 – भारतीय नूतनवर्ष के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें । संभव हो तो चर्मरोगों से बचने के लिए तिल का तेल लगाकर स्नान करें ।


🚩2 – नववर्षारंभ पर पुरुष धोती-कुर्ता / पजामा, तथा स्त्रियां नौ गज/छह गज की साडी पहनें ।


🚩3 – मस्तक पर तिलक करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें।


🚩4 – सूर्योदय के समय भगवान सूर्यनारायण को अर्घ्य देकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩5 – सुबह सूर्योदय के समय शंखध्वनि करके भारतीय नववर्ष का स्वागत करें ।


🚩6 – हिन्दू नववर्षारंभ दिन की शुभकामनाएं हस्तांदोलन (हैंडशेक) कर नहीं, नमस्कार कर स्वभाषा में दें ।


🚩7 –  भारतीय_नूतनवर्ष के प्रथम दिन ऋतु संबंधित रोगों से बचने के लिए नीम, कालीमिर्च, मिश्री या नमक से युक्त चटनी बनाकर खुद खाये और दूसरों को खिलायें ।


🚩8 – मठ-मंदिरों, आश्रमों आदि धार्मिक स्थलों पर, घर, गाँव, स्कूल, कॉलेज, सोसायटी, अपने दुकान, कार्यालयों तथा शहर के मुख्य प्रवेश द्वारों पर भगवा ध्वजा फहराकर भारतीय नववर्ष का स्वागत करें  और बंदनवार या तोरण (अशोक, आम, पीपल, नीम आदि का) बाँध के भारतीय नववर्ष का स्वागत करें । हमारे ऋषि-मुनियों का कहना है कि बंदनवार के नीचे से जो व्यक्ति गुजरता है उसकी  ऋतु-परिवर्तन से होनेवाले संबंधित रोगों से रक्षा होती है ।  पहले राजा लोग अपनी प्रजाओं के साथ सामूहिक रूप से गुजरते थे ।


🚩9 – भारतीय नूतन वर्ष के दिन सामूहिक भजन-संकीर्तन व प्रभातफेरी का आयोजन करें ।


🚩10 – भारतीय संस्कृति तथा गुरु-ज्ञान से, महापुरुषों के ज्ञान से सभी का जीवन उन्नत हो ।’ – इस प्रकार एक-दूसरे को बधाई संदेश देकर नववर्ष का स्वागत करें । एस.एम.एस. भी भेजें ।


🚩11 – अपनी गरिमामयी संस्कृति की रक्षा हेतु अपने मित्रों-संबंधियों को इस पावन अवसर की स्मृति दिलाने के लिए आप बधाई-पत्र भेज सकते हैं । दूरभाष करते समय उपरोक्त सत्संकल्प दोहरायें ।


🚩12 – ई-मेल, ट्विटर, फेसबुक, व्हाट्सअप, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया के माध्यम से भी बधाई देकर लोगों को प्रोत्साहित करें ।


🚩13 – नूतन वर्ष से जुड़े ऐतिहासिक प्रसंगों की झाकियाँ, फ्लैक्स भी लगाकर प्रचार कर सकते हैं ।


🚩14  – सभी तरह के राजनितिक, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक संगठनों से संपर्क करके सामूहिक रुप से सभा आदि के द्वारा भी नववर्ष का स्वागत कर सकते हैं ।


🚩15 – नववर्ष संबंधित पेम्पलेट बाँटकर, न्यूज पेपरों में डालकर भी समाज तक संदेश पहुँचा सकते हैं ।


🚩सभी भारतवासियों को प्रार्थना हैं कि रैली के द्वारा कलेक्टर, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री तथा राष्ट्रपति को भी भारतीय नववर्ष को सरकार के द्वारा सामूहिक रूप में मनाने हेतु ज्ञापन दें और व्यक्तिगत रूप में भी पत्र लिखें ।


🚩सैकड़ों वर्षों के विदेशी आक्रमणों के बावजूद अपनी सनातन संस्कृति आज भी विश्व के लिए आदर्श बनी है । परंतु पश्चिमी कल्चर के प्रभाव से भारतीय पर्वों का विकृतिकरण होते देखा जा रहा है । भारतीय संस्कृति की रक्षा एवं संवर्धन के लिए भारतीय पर्वो को बड़ी विशालता से जरूर मनाए ।


🚩समस्त भारतवासियों को आने वाले नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।



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मंत्री प्रताप बोले : 1 लाख से ज्यादा मामले लव जिहाद के रोक लगानी चाहिए, अब नहीं होने देंगे श्रद्धा जैसी कोई हत्या....

11  March 2023

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🚩हिन्दू समाज के साथ 1200 वर्षों से मजहब के नाम पर अत्याचार होता आया है। सबसे खेदजनक बात यह है कि कोई इस अत्याचार के बारे में हिन्दुओं को बताये तो हिन्दू खुद ही उसे गंभीरता से नहीं लेते क्यूंकि उन्हें सेकुलरिज्म के नशे में रहने की आदत पड़ गई है। रही सही कसर हमारे पाठ्यक्रम ने पूरी कर दी जिसमें अकबर महान, टीपू सुल्तान देशभक्त आदि पढ़ा-पढ़ा कर इस्लामिक शासकों के अत्याचारों को छुपा दिया गया। अब भी कुछ बचा था तो संविधान में ऐसी धारा डाल दी गई जिसके अनुसार सार्वजनिक मंच अथवा मीडिया में इस्लामिक अत्याचारों पर विचार करना धार्मिक भावनाओं को भड़काने जैसा करार दिया गया। इस सुनियोजित षड़यंत्र का परिणाम यह हुआ कि हिन्दू समाज अपना सत्य इतिहास ही भूल गया और लव जिहाद जैसे में फसकर अपना जीवन बर्बाद कर लेते है।




🚩महाराष्ट्र में 100000 से ज्यादा लव जिहाद के मामला


🚩महाराष्ट्र के महिला एवं बाल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा (Mangal Prabhat Lodha) ने लव जिहाद (Love Jihad) पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने बुधवार (8 मार्च 2023) को विधानसभा में दावे के साथ कहा कि महाराष्ट्र में लव जिहाद के 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। श्रद्धा वॉकर हत्या जैसे मामले को रोकने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। प्रभात लोढ़ा ने अपने ट्विटर हैंडल पर भी इसका वीडियो साझा किया है।


🚩महिला एवं बाल विकास मंत्री ने अपनी बात को जारी रखते हुए आगे कहा, “हम महिलाओं के उत्थान की बात तो करते हैं। पर जब इसमें लव जिहाद का विषय आ जाता है। महिलाओं पर होने वाले क्रूर अत्याचार की बात आती है, राज्य की नाराज जनता हो जाती है। इसके खिलाफ महाराष्ट्र के कई जिलों में 50-50 हजार की भीड़ में मोर्चे निकल रहे हैं। क्या ये मोर्चे अपने आप निकल रहे हैं? लोगों के अंदर काफी गुस्सा है।”


🚩मंत्री ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में लव जिहाद के 1 लाख से ज्यादा मामले सामने आए, उससे समाज कहीं न कहीं व्यथित है। राज्य में किसी और श्रद्धा की हत्या ना हो इसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। और इसीलिए इंटर फेथ मैरिज कमिटी बनाई है। हर उस बच्ची का जिसका शादी के बाद अपने घर से संपर्क टूट चुका है, उनको सुरक्षा प्रदान करना सरकार और महिला विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है ।


🚩दरसअल, महाराष्ट्र विधानसभा में इस समय बजट सत्र चल रहा है, जो 26 मार्च तक चलेगा। इस बजट में महिलाओं के हितों को ध्यान में रखा गया है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर सदन में महिला नीति पर भी बहस शुरू की गई। इसके जवाब में लोढ़ा ने कहा कि राज्य सरकार महिलाओं के कल्याण, सुरक्षा और सशक्तीकरण के संबंध में विधायकों की ओर से दिए गए सभी सुझावों पर गौर करेगी।


🚩बता दें कि पिछले साल दिसंबर में महाराष्ट्र सरकार ने घोषणा की थी कि अंतर-जातीय और अंतर-धार्मिक विवाहों के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए एक समिति का गठन किया गया है। राज्य महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 13 दिसंबर 2022 को जारी एक सरकारी प्रस्ताव (जीआर) में कहा गया है, “अंतर-जाति/अंतर-धार्मिक विवाह-परिवार समन्वय समिति (राज्य स्तर) मुख्य रूप से विवाहों की संख्या पर डेटा सारणीबद्ध करेगी। इसके अलावा किसी अन्य धर्म या जाति के व्यक्ति से शादी के बाद अपने परिवार से अलग हो गई महिलाओं के मुद्दों पर ध्यान दिया जाए।” जनवरी तक, राज्य सरकार की इंटरफेथ मैरिज फैमिली कोऑर्डिनेशन कमेटी को इंटरफेथ मैरिज के 152 मामलों की जानकारी मिली। कमेटी के सदस्यों के जरिए 152 मामले प्रकाश में आए हैं।


🚩श्रद्धा वॉकर हत्याकांड:गौरतलब है कि आफताब अमीन पूनावाला ने 18 मई 2022 को अपनी लिव-इन-पार्टनर श्रद्धा वॉकर की हत्या कर दी थी। इसके बाद उसने शव के 35 टुकड़े कर दिल्ली के महरौली व अलग-अलग इलाकों में फेंक दिए थे। श्रद्धा की हत्या के बाद किसी को उस पर शक न हो इसलिए वह लगातार ऑफिस जाता रहा। यही नहीं, हत्या के बाद श्रद्धा के परिवार वालों और फ्रेंड्स की नजरों में श्रद्धा को जिंदा दिखाने के लिए आफताब उसके इंस्टाग्राम अकाउंट को यूज करता रहा। यहाँ तक कि उसने उसके इंस्टाग्राम से कुछ पोस्ट्स भी किए थे। मामले का खुलासा नवंबर में हुआ था। 12 नवम्बर, 2022 को श्रद्धा की हत्या के आरोप में पुलिस ने आफताब को गिरफ्तार किया था।


🚩दरअसल मुस्लिम शासकों में हिंदुओं की लड़कियों को उठाने, उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाने, अपने हरम में भरने की होड़ थी। उनके इस व्यसन के चलते हिन्दू प्रजा सदा आशंकित और भयभीत रहती थी। ध्यान दीजिये- किस प्रकार हिन्दू समाज ने अपना देश, धन, सम्पति आदि सब त्याग कर दर-दर की ठोकरें खाना स्वीकार किया मगर अपने धर्म से कोई समझौता नहीं किया। अगर ऐसी शिक्षा, ऐसे त्याग और ऐसे


प्रेरणादायक इतिहास को हिन्दू समाज आज अपनी लड़कियों को दूध में घुटी के रूप में दे तो कोई हिन्दू लड़की कभी लव जिहाद का शिकार न बने।



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Friday, March 10, 2023

अचानक इतने सारे लोग घर वापसी क्यों कर रहे हैं ?

10 March 2023

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🚩भारत में वर्तमान में प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद है जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अरुणालच प्रदेश में वर्ष 1971 में ईसाई समुदाय की संख्या 1 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय राज्यों में ईसाई प्रचारक किस तरह से सक्रिय हैं। इसी तरह नगालैंड में ईसाई जनसंख्‍या 93 प्रतिशत, मिजोरम में 90 प्रतिशत, मणिपुर में 41 प्रतिशत और मेघालय में 70 प्रतिशत हो गई है। चंगाई सभा और धन के बल पर भारत में ईसाई धर्म तेजी से फैल रहा है।



🚩वर्ष 2011 में भारत की कुल आबादी 121.09 करोड़ है। जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। जो देश की कुल आबादी का 2.3% है। ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि दर 15.5% रही, जबकि सिखों की 8.4%, बौद्धों की 6.1% और जैनियों की 5.4% है। ध्यान दीजिये ईसाईयों की वृद्धि दर का कारण केवल ईसाई समाज में बच्चे अधिक पैदा होना नहीं हैं। अपितु हिन्दुओं का ईसाई मत को स्वीकार करना भी हैं।


🚩गुजरात के गाँव में 20 ईसाई परिवारों की घर वापसी



🚩अग्निवीर की गुजरात टीम ने वलसाड जिले के धरमपुर तालुका के नड़गधरी गाँव में दिनाँक 25-26 फरवरी 2023 को सामूहिक विवाह का आयोजन किया। इस दौरान 61 जनजातीय जोड़े मंडप में बैठे और पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बँधे। इस दौरान 20 क्रिश्चियन परिवारों ने सनातन धर्म में घरवापसी भी की।


🚩असम में 142 लोगों ने घर वापसी कर ली। इन सभी ने ईसाइयत छोड़ सनातन धर्म को अपनाया है।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घर-वापसी का यह कार्यक्रम सोमवार (27 फरवरी, 2023) को मोरीगाँव जिले के जागीरोड़ के तिवासोंग गाँव में हुआ। यहाँ सनातन धर्म संस्कृति के अनुसार यज्ञ तथा अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के बाद सभी लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया।


🚩इस घर-वापसी को लेकर गोबा देवराजा राज परिषद के महासचिव जुरसिंह बोरदलोई का कहना है कि इस घर-वापसी कार्यक्रम में जनजाति समुदाय के 142 लोगों ने अपनी इच्छा से घर वापसी की है। स्थानीय तिवा जनजाति के लोगों ने प्रलोभन व अन्य कारणों के चलते ईसाई मजहब अपना लिया था। लेकिन। अब इन लोगों ने गोबा देवराजा राज परिषद संस्था से संपर्क किया था। इसके बाद यह कार्यक्रम आयोजित कर घरवापसी कराई गई।


🚩बोरदलोई ने यह भी कहा कि घर-वापसी करने वाले इन सभी लोगों ने हमेशा हिंदू धर्म में आस्था और विश्वास रखने का वचन दिया है। घर-वापसी करने वाले तिवा जनजाति के ये लोग जन्म से हिंदू थे। लेकिन इनके दादा-दादी ने गरीबी तथा शिक्षा की कमी के चलते भ्रमित होकर ईसाई बन गए थे। बोरदलोई ने यह भी कहा है कि वह और उनका संगठन घरवापसी करने वाले सभी लोगों का हरसंभव सहयोग करेंगे।



🚩छत्तीसगढ़ में 250 लोगों ने की घर वापसी


🚩कई हिन्दुओं को अपने मूल धर्म में ला चुके ‘अखिल भारतीय घर वापसी’ प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने एक बार फिर से धर्मांतरित हुए 250 लोगों की घर वापसी करवाई है। ईसाई बन चुके ये सभी लोग 36 अलग-अलग परिवारों से थे। मंगलवार (21 फरवरी, 2023) को आयोजित घर वापसी का यह कार्यक्रम बुढ़ीमाई धाम, चिकनीपाली के इमलीपारा (बागबहार, जशपुर) छत्तीसगढ़ में हुआ। इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ का भी आयोजन किया गया।


🚩जानकारी के मुताबिक, प्रबल प्रताप ने घर वापसी करने वाले सभी लोगों के पैरों को गंगाजल से धुला। इस अवसर पर मौजूद धर्म जागरण समन्वय विभाग एवं आर्य समाज से जुड़े लोग भी मौजूद थे। बाद में वैदिक मंत्रो के साथ हुए हवन में घर वापसी करने वाले सभी सदस्यों ने हिस्सा लिया। बाद में सभी ने एक स्वर में हिन्दू देवी देवताओं में आस्था जताते हुए भविष्य में हिन्दू धर्म में ही रहने का संकल्प लिया।


🚩इस अवसर पर बोलते हुए प्रबल प्रताप ने धर्मांतरण की साजिश को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि मिशनरी हमारी सनातन संस्कृति को खत्म करना चाह रहे हैं।


🚩गौरतलब है कि प्रबल प्रताप जूदेव इस से पहले भी घर वापसी के कई कार्यक्रम आयोजित करवा चुके हैं। इसी साल जनवरी 2023 में जूदेव ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान करीब 1100 ईसाई बने हिन्दुओं की समूहिक घर वापसी करवाई थी। अक्टूबर 2022 में प्रबल प्रताप जूदेव की मौजूदगी में उड़ीसा सुंदरगढ़ जिले में ईसाई बने 173 परिवारों के लगभग 500 लोगों ने हिन्दू धर्म में घर वापसी की थी। प्रबल प्रताप जूदेव ने मार्च 2022 में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में एक अन्य घर वापसी का कार्यक्रम करवाया था। तब उन्होंने ईसाई बने 1250 लोगों की घर वापसी करवाई थी।

🚩इतने लोग घर वापसी कर रहे है इससे साफ होता है की अन्य मजहब में जो नही है वो केवल सनातन धर्म मिलता है इसलिए भ्रमित हो गए थे वे लोग फिर से घर वापसी कर रहे हैं।


🚩गांधी जी ने क्रिश्चियन मिशन पुस्तक में कहा है कि “भारत में ईसाईयत अराष्ट्रीयता एवं यूरोपीयकरण का पर्याय बन चुकी है।”(क्रिश्चियम मिशन्स, देयर प्लेस इंडिया, नवजीवन, पृष्ठ-32)। उन्होंने यह भी कहा कि ईसाई पादरी अभी जिस तरह से काम कर रहे हैं उस तरह से तो उनके लिए स्वतंत्र भारत में कोई भी स्थान नहीं होगा। वे तो अपना भी नुकसान कर रहे हैं। वे जिनके बीच काम करते हैं उन्हें हानि पहुंचाते हैं और जिनके बीच काम नहीं करते उन्हें भी हानि पहुंचाते हैं। सारे देश को वे नुकसान पहुंचाते हैं। गाधीजी धर्मांतरण (कनवर्जन) को मानवता के लिए भयंकर विष मानते थे। गांधी जी ने बार -बार कहा कि धर्मांतरण महापाप है और यह बंद होना चाहिए।”


🚩उन्होंने कहा कि “मिशनरियों द्वारा बांटा जा रहा पैसा तो धन पिशाच का फैलाव है।“ उन्होंने कहा कि “ आप साफ साफ सुन लें मेरा यह निश्चित मत है, जो कि अनुभवों पर आधारित हैं, कि आध्यात्मिक विषयों पर धन का तनिक भी महत्व नहीं है। अतः आध्य़ात्मिक चेतना के प्रचार के नाम पर आप पैसे बांटना और सुविधाएं बांटना बंद करें।”



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