10 March 2023
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🚩भारत में वर्तमान में प्रत्येक राज्य में बड़े पैमाने पर ईसाई धर्मप्रचारक मौजूद है जो मूलत: ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में सक्रिय हैं। अरुणालच प्रदेश में वर्ष 1971 में ईसाई समुदाय की संख्या 1 प्रतिशत थी जो वर्ष 2011 में बढ़कर 30 प्रतिशत हो गई है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि भारतीय राज्यों में ईसाई प्रचारक किस तरह से सक्रिय हैं। इसी तरह नगालैंड में ईसाई जनसंख्या 93 प्रतिशत, मिजोरम में 90 प्रतिशत, मणिपुर में 41 प्रतिशत और मेघालय में 70 प्रतिशत हो गई है। चंगाई सभा और धन के बल पर भारत में ईसाई धर्म तेजी से फैल रहा है।
🚩वर्ष 2011 में भारत की कुल आबादी 121.09 करोड़ है। जारी जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक देश में ईसाइयों की आबादी 2.78 करोड़ है। जो देश की कुल आबादी का 2.3% है। ईसाइयों की जनसंख्या वृद्धि दर 15.5% रही, जबकि सिखों की 8.4%, बौद्धों की 6.1% और जैनियों की 5.4% है। ध्यान दीजिये ईसाईयों की वृद्धि दर का कारण केवल ईसाई समाज में बच्चे अधिक पैदा होना नहीं हैं। अपितु हिन्दुओं का ईसाई मत को स्वीकार करना भी हैं।
🚩गुजरात के गाँव में 20 ईसाई परिवारों की घर वापसी
🚩अग्निवीर की गुजरात टीम ने वलसाड जिले के धरमपुर तालुका के नड़गधरी गाँव में दिनाँक 25-26 फरवरी 2023 को सामूहिक विवाह का आयोजन किया। इस दौरान 61 जनजातीय जोड़े मंडप में बैठे और पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बँधे। इस दौरान 20 क्रिश्चियन परिवारों ने सनातन धर्म में घरवापसी भी की।
🚩असम में 142 लोगों ने घर वापसी कर ली। इन सभी ने ईसाइयत छोड़ सनातन धर्म को अपनाया है।
🚩मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, घर-वापसी का यह कार्यक्रम सोमवार (27 फरवरी, 2023) को मोरीगाँव जिले के जागीरोड़ के तिवासोंग गाँव में हुआ। यहाँ सनातन धर्म संस्कृति के अनुसार यज्ञ तथा अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के बाद सभी लोगों ने हिंदू धर्म अपना लिया।
🚩इस घर-वापसी को लेकर गोबा देवराजा राज परिषद के महासचिव जुरसिंह बोरदलोई का कहना है कि इस घर-वापसी कार्यक्रम में जनजाति समुदाय के 142 लोगों ने अपनी इच्छा से घर वापसी की है। स्थानीय तिवा जनजाति के लोगों ने प्रलोभन व अन्य कारणों के चलते ईसाई मजहब अपना लिया था। लेकिन। अब इन लोगों ने गोबा देवराजा राज परिषद संस्था से संपर्क किया था। इसके बाद यह कार्यक्रम आयोजित कर घरवापसी कराई गई।
🚩बोरदलोई ने यह भी कहा कि घर-वापसी करने वाले इन सभी लोगों ने हमेशा हिंदू धर्म में आस्था और विश्वास रखने का वचन दिया है। घर-वापसी करने वाले तिवा जनजाति के ये लोग जन्म से हिंदू थे। लेकिन इनके दादा-दादी ने गरीबी तथा शिक्षा की कमी के चलते भ्रमित होकर ईसाई बन गए थे। बोरदलोई ने यह भी कहा है कि वह और उनका संगठन घरवापसी करने वाले सभी लोगों का हरसंभव सहयोग करेंगे।
🚩छत्तीसगढ़ में 250 लोगों ने की घर वापसी
🚩कई हिन्दुओं को अपने मूल धर्म में ला चुके ‘अखिल भारतीय घर वापसी’ प्रमुख प्रबल प्रताप सिंह जूदेव ने एक बार फिर से धर्मांतरित हुए 250 लोगों की घर वापसी करवाई है। ईसाई बन चुके ये सभी लोग 36 अलग-अलग परिवारों से थे। मंगलवार (21 फरवरी, 2023) को आयोजित घर वापसी का यह कार्यक्रम बुढ़ीमाई धाम, चिकनीपाली के इमलीपारा (बागबहार, जशपुर) छत्तीसगढ़ में हुआ। इस अवसर पर वैदिक मंत्रोच्चार के साथ यज्ञ का भी आयोजन किया गया।
🚩जानकारी के मुताबिक, प्रबल प्रताप ने घर वापसी करने वाले सभी लोगों के पैरों को गंगाजल से धुला। इस अवसर पर मौजूद धर्म जागरण समन्वय विभाग एवं आर्य समाज से जुड़े लोग भी मौजूद थे। बाद में वैदिक मंत्रो के साथ हुए हवन में घर वापसी करने वाले सभी सदस्यों ने हिस्सा लिया। बाद में सभी ने एक स्वर में हिन्दू देवी देवताओं में आस्था जताते हुए भविष्य में हिन्दू धर्म में ही रहने का संकल्प लिया।
🚩इस अवसर पर बोलते हुए प्रबल प्रताप ने धर्मांतरण की साजिश को राष्ट्रीय एकता और अखंडता के लिए खतरा बताया। उन्होंने कहा कि मिशनरी हमारी सनातन संस्कृति को खत्म करना चाह रहे हैं।
🚩गौरतलब है कि प्रबल प्रताप जूदेव इस से पहले भी घर वापसी के कई कार्यक्रम आयोजित करवा चुके हैं। इसी साल जनवरी 2023 में जूदेव ने छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के बसना में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान करीब 1100 ईसाई बने हिन्दुओं की समूहिक घर वापसी करवाई थी। अक्टूबर 2022 में प्रबल प्रताप जूदेव की मौजूदगी में उड़ीसा सुंदरगढ़ जिले में ईसाई बने 173 परिवारों के लगभग 500 लोगों ने हिन्दू धर्म में घर वापसी की थी। प्रबल प्रताप जूदेव ने मार्च 2022 में छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले में एक अन्य घर वापसी का कार्यक्रम करवाया था। तब उन्होंने ईसाई बने 1250 लोगों की घर वापसी करवाई थी।
🚩इतने लोग घर वापसी कर रहे है इससे साफ होता है की अन्य मजहब में जो नही है वो केवल सनातन धर्म मिलता है इसलिए भ्रमित हो गए थे वे लोग फिर से घर वापसी कर रहे हैं।
🚩गांधी जी ने क्रिश्चियन मिशन पुस्तक में कहा है कि “भारत में ईसाईयत अराष्ट्रीयता एवं यूरोपीयकरण का पर्याय बन चुकी है।”(क्रिश्चियम मिशन्स, देयर प्लेस इंडिया, नवजीवन, पृष्ठ-32)। उन्होंने यह भी कहा कि ईसाई पादरी अभी जिस तरह से काम कर रहे हैं उस तरह से तो उनके लिए स्वतंत्र भारत में कोई भी स्थान नहीं होगा। वे तो अपना भी नुकसान कर रहे हैं। वे जिनके बीच काम करते हैं उन्हें हानि पहुंचाते हैं और जिनके बीच काम नहीं करते उन्हें भी हानि पहुंचाते हैं। सारे देश को वे नुकसान पहुंचाते हैं। गाधीजी धर्मांतरण (कनवर्जन) को मानवता के लिए भयंकर विष मानते थे। गांधी जी ने बार -बार कहा कि धर्मांतरण महापाप है और यह बंद होना चाहिए।”
🚩उन्होंने कहा कि “मिशनरियों द्वारा बांटा जा रहा पैसा तो धन पिशाच का फैलाव है।“ उन्होंने कहा कि “ आप साफ साफ सुन लें मेरा यह निश्चित मत है, जो कि अनुभवों पर आधारित हैं, कि आध्यात्मिक विषयों पर धन का तनिक भी महत्व नहीं है। अतः आध्य़ात्मिक चेतना के प्रचार के नाम पर आप पैसे बांटना और सुविधाएं बांटना बंद करें।”
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