Tuesday, January 14, 2025

अलक्ष्मी के चौदहवें पुत्र दुःसह का वर्णन: एक गहन दृष्टिसे

 14 January 2025

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🚩अलक्ष्मी के चौदहवें पुत्र दुःसह का वर्णन: एक गहन दृष्टिसे


🚩हिंदू धर्मशास्त्रों में अलक्ष्मी और उसके चौदह पुत्रों का वर्णन एक महत्वपूर्ण विषय है। मार्कण्डेय पुराण और अन्य धर्मग्रंथों में इसका विस्तृत विवरण मिलता है। इन चौदह पुत्रों में से दुःसह, चौदहवें पुत्र, का विशेष उल्लेख है, क्योंकि वह मनुष्यों के घरों में निवास करता है और अपने दोषपूर्ण स्वभाव के कारण मानव जीवन में अनेक समस्याओं का कारण बनता है।


🚩दुःसह का स्वरूप और निवास


दुःसह को तमोगुण का भंडार और भयंकर रूप में चित्रित किया गया है। वह भूख और प्यास से कमजोर, फटे पुराने वस्त्र धारण किए, कौए जैसी आवाज में बोलने वाला और विकराल मुख वाला है। वह मनुष्यों के घरों में ही निवास करता है।


🚩उसके निवास के कारण:


🔹अधर्म परायणता: जहाँ लोग अधर्म का पालन करते हैं, वहाँ दुःसह अपनी जगह बनाता है।


🔹नित्यकर्म की अवहेलना: जो लोग अपने नित्यकर्म, जैसे संध्या वंदन, यज्ञ, दान आदि नहीं करते, वे दुःसह को अपने घर में आमंत्रित करते हैं।


🔹अशुद्ध भोजन और अपवित्रता: गलत तरीके से तैयार किया गया, जूठा, या दोषयुक्त भोजन दुःसह को पोषण प्रदान करता है।


🚩दुःसह के प्रभाव और मनुष्य के कर्तव्य


दुःसह का प्रभाव घर के वातावरण को नकारात्मक और अशांत बना देता है। वह रोग, क्लेश और गरीबी का कारण बनता है। लेकिन धर्मशास्त्रों में इस समस्या का समाधान भी बताया गया है।


🚩घर को दुःसह से बचाने के उपाय:


🔸 धर्म पालन: सत्य, दान, यज्ञ, और अध्ययन जैसे सत्कर्मों से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।


🔸पवित्रता और स्वच्छता: घर को स्वच्छ, व्यवस्थित और पूजनीय बनाए रखने से अलक्ष्मी और उसके पुत्र दूर रहते हैं।


🔸संयम और सदाचार: जो लोग अपने आचरण में संयम और धर्म का पालन करते हैं, उनका घर लक्ष्मी का निवास बनता है।


🔸अतिथियों का सम्मान: जहाँ अतिथि, वृद्ध, और महिलाओं का आदर होता है, वहाँ दुःसह कभी निवास नहीं करता।


🚩दुःसह का आहार


ब्रह्माजी ने दुःसह को संतोष दिलाने के लिए उसे निम्नलिखित प्रकार के दोषयुक्त आहार दिए:


🔹अशुद्ध, जूठा, और अपक्व भोजन।

🔹ऐसा भोजन जो अपवित्र हाथों से बनाया गया हो या रजस्वला स्त्री द्वारा देखा गया हो।

🔹बिना श्रद्धा का हवन और बिना स्नान या उपयुक्त विधि से किया गया दान।


🚩आदर्श आहार:


जो लोग शुद्धतापूर्वक बने हुए भोजन को विधिपूर्वक ग्रहण करते हैं, वे दुःसह को अपने घर से दूर रखते हैं।


🚩जहाँ दुःसह नहीं रहता


दुःसह उन घरों में प्रवेश नहीं करता:

🔸जहाँ सूर्योदय से पहले लोग उठते हैं।

🔸जहाँ यज्ञ, दान और धार्मिक कार्य नियमित होते हैं।

🔸जहाँ घर की स्त्रियाँ पति और परिवार की सेवा में संलग्न रहती हैं।

🔸जहाँ स्वच्छता, दया और आपसी प्रेम का वास होता है।


🚩निष्कर्ष


दुःसह का वर्णन हमें यह सिखाता है कि यदि मनुष्य धर्म, स्वच्छता और सदाचार का पालन करे तो वह जीवन की नकारात्मक शक्तियों से बच सकता है। यह कथा घर और समाज में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखने की प्रेरणा देती है।


धर्मग्रंथों में वर्णित ये शिक्षाएँ आज के जीवन में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी प्राचीन काल में थीं। अतः हमें अपने आचरण, विचार और कर्मों को सुधारकर दुःसह जैसे दोषों को अपने जीवन से दूर रखना चाहिए।


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Monday, January 13, 2025

सम्पूर्ण भारत में मनाए जाने वाले त्यौहार: मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, पोंगल

 13 January 2025

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🚩सम्पूर्ण भारत में मनाए जाने वाले त्यौहार: मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी, पोंगल


🚩14 जनवरी को भारत में विभिन्न नामों से मनाया जाने वाला यह त्यौहार—मकर संक्रांति, उत्तरायण, खिचड़ी और पोंगल—सूर्य के राशि परिवर्तन और उसकी दिशा में होने वाले बदलाव का प्रतीक है। यह त्यौहार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी इसका एक विशेष स्थान है।


🚩मकर संक्रांति का महत्व


मकर संक्रांति का त्यौहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है। भारतीय पंचांग के अनुसार, सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करता है, तो वह अपनी दक्षिणायन यात्रा से उत्तरायण यात्रा की ओर बढ़ता है। यह समय भारत में एक नए मौसम की शुरुआत का संकेत देता है और प्राकृतिक परिवर्तनों का प्रतीक है। मकर संक्रांति का पर्व वर्षा ऋतु के बाद ठंडे मौसम में सूर्य की तापशक्ति में वृद्धि को दिखाता है, जिससे कृषि, स्वास्थ्य, और वातावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


🚩सूर्य के उत्तरायण की वैज्ञानिकता


मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर बढ़ता है, जो पृथ्वी पर दिन और रात के संतुलन को प्रभावित करता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से यह सूर्य के ताप और प्रकाश की तीव्रता को बढ़ाता है, जिससे हमारे शरीर को विटामिन D प्राप्त होता है। यह समय शरीर के इम्यून सिस्टम को सशक्त बनाने के लिए उपयुक्त होता है। इसके साथ ही, इस दिन के बाद दिनों की लंबाई बढ़ने लगती है, जिससे प्राकृतिक ऊर्जा का प्रवाह होता है और मौसम में भी बदलाव आता है।


यह पर्व विशेष रूप से कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ है, क्योंकि यह फसल की कटाई का समय होता है। सूर्य के उत्तरायण होने से किसानों के लिए अच्छी फसल की उम्मीद होती है, जिससे उनके जीवन में खुशहाली और समृद्धि आती है।


🚩विभिन्न क्षेत्रों में मकर संक्रांति का रूप


भारत के विभिन्न हिस्सों में मकर संक्रांति को अलग-अलग नामों से मनाया जाता है, और इसके आयोजन का तरीका भी अलग-अलग होता है। प्रत्येक क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता इस पर्व के महत्व को और अधिक बढ़ाती है।


🔸मकर संक्रांति (उत्तर भारत): उत्तर भारत में यह त्यौहार विशेष रूप से तिल और गुड़ के साथ मनाया जाता है। लोग तिल और गुड़ का सेवन करते हैं, जो सर्दियों में शरीर को गर्मी प्रदान करने में सहायक होते हैं। इस दिन खिचड़ी बनाने की परंपरा भी है, जिससे लोगों को गर्माहट मिलती है।


🔸उत्तरायण (गुजरात): गुजरात में इस त्यौहार को ‘उत्तरायण’ के नाम से जाना जाता है। यहां यह त्यौहार खासतौर पर पतंगबाजी के साथ मनाया जाता है। लोग आकाश में रंग-बिरंगी पतंगें उड़ाते हैं और एक दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं। यह त्योहार सूर्य के उत्तरायण के अवसर पर हवा की दिशा और मौसम में बदलाव का प्रतीक माना जाता है।


🔸खिचड़ी (उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश): उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश में यह दिन ‘खिचड़ी’ के रूप में मनाया जाता है, जहां तिल, गुड़ और खिचड़ी का विशेष महत्व होता है। लोग इस दिन खिचड़ी का सेवन करते हैं, जो शीतलता और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी माना जाता है।

🔸पोंगल (तमिलनाडु और दक्षिण भारत): पोंगल दक्षिण भारत, विशेष रूप से तमिलनाडु में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार सूर्य देवता की पूजा और फसल की कटाई के समय मनाया जाता है। पोंगल के दौरान घरों में विशेष पकवान बनाए जाते हैं और लोग एक-दूसरे से खुशी बांटते हैं। पोंगल का त्यौहार सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक चलता है और इसमें विशेष रूप से ताजे धान, तिल और गुड़ का सेवन किया जाता है।


🚩मकर संक्रांति के वैज्ञानिक लाभ


यह त्यौहार न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके कई वैज्ञानिक लाभ भी हैं:


🔸 स्वास्थ्य लाभ: मकर संक्रांति के दिन सूर्य की किरणों से विटामिन D प्राप्त होता है, जो हड्डियों और शरीर के अन्य अंगों के लिए आवश्यक होता है।


🔸मौसम में बदलाव: यह पर्व सर्दियों के अंत और गर्मियों की शुरुआत का संकेत है, जिससे मौसम में हल्का बदलाव आता है।


🔸 कृषि के लिए शुभ: सूर्य के उत्तरायण होने से फसल की गुणवत्ता में सुधार होता है और किसानों के लिए अच्छा मौसम आता है।


🚩निष्कर्ष


मकर संक्रांति एक ऐसा त्यौहार है जो सूर्य के प्रति हमारे आदर को दर्शाता है और विभिन्न भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है। यह न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर है, बल्कि विज्ञान और प्राकृतिक बदलावों से भी जुड़ा हुआ है। भारत के विभिन्न हिस्सों में इसे मनाने के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन इसका मूल उद्देश्य सूर्य देवता की पूजा करना और मानव कल्याण की दिशा में काम करना है।


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दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान तेज, 16 हजार संदिग्धों की सूची तैयार


 11 January 2025
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🚩दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान तेज, 16 हजार संदिग्धों की सूची तैयार

Delhi’s Efforts to Identify Illegal Bangladeshi Migrants: 16,000 Suspicious Individuals Listed.



🚩दिल्ली में अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और उनकी देश वापसी की प्रक्रिया अब तेजी से चल रही है। दिल्ली पुलिस ने 15 जिलों की झुग्गियों में रहने वाले संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की है और उनकी सूची तैयार की है, जिसमें करीब 16,000 लोग शामिल हैं।

🚩अवैध प्रवासियों की पहचान

दिल्ली पुलिस ने हाल ही में एक अभियान शुरू किया है जिसमें अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान की जा रही है। यह अभियान राजधानी दिल्ली के 15 जिलों में झुग्गी बस्तियों पर केंद्रित है, जहाँ इन नागरिकों की बड़ी संख्या पाई जाती है। पुलिस के अनुसार, यह अभियान दिल्ली के सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए अहम है।

🚩संदिग्धों की सूची

दिल्ली पुलिस ने अब तक करीब 16,000 संदिग्ध बांग्लादेशी नागरिकों की सूची तैयार की है। इन नागरिकों की पहचान दस्तावेजों की जांच, स्थानीय नागरिकों से प्राप्त सूचना और अन्य तरीकों से की गई है। पुलिस का मानना है कि ये नागरिक अवैध रूप से दिल्ली में रह रहे हैं और उन्हें उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया में तेजी लाने की आवश्यकता है।

🚩प्रक्रिया की तेज़ी

यह प्रक्रिया हाल ही में और तेज़ की गई है क्योंकि दिल्ली में अवैध प्रवासियों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता बढ़ रही थी। इस कदम के पीछे सरकार का उद्देश्य न केवल अवैध प्रवासियों की पहचान करना है, बल्कि दिल्ली की नागरिकता प्रक्रिया को भी सुगम बनाना है। इसके साथ ही, यह अभियान दिल्ली के निवासियों के बीच सुरक्षा का अहसास दिलाने का भी काम करेगा।

🚩बांग्लादेशी नागरिकों की वापसी

इन अवैध नागरिकों की वापसी के लिए एक विशेष योजना बनाई गई है, जिसमें बांग्लादेश सरकार के साथ समन्वय करके इन्हें वापस उनके देश भेजने की प्रक्रिया को सरल और शीघ्र बनाने की कोशिश की जा रही है। इस प्रक्रिया में कुछ कानूनी और प्रशासनिक चुनौतियां हो सकती हैं, लेकिन दिल्ली पुलिस ने इस मामले को प्राथमिकता दी है।

🚩भविष्य में क्या होगा?

दिल्ली पुलिस के अनुसार, यह अभियान आगे भी जारी रहेगा और समय-समय पर नई सूची तैयार की जाएगी। इसके अलावा, जो नागरिक सही दस्तावेजों के साथ दिल्ली में रह रहे हैं, उन्हें किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस अभियान का उद्देश्य अवैध प्रवासियों की संख्या को नियंत्रित करना और दिल्ली में कानून-व्यवस्था को बनाए रखना है।

🚩निष्कर्ष

दिल्ली में अवैध बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और उनकी वापसी की प्रक्रिया अब तेज हो चुकी है। पुलिस ने 16,000 संदिग्धों की सूची तैयार की है, जिससे सरकार और पुलिस के अधिकारियों को इस मुद्दे पर गंभीरता से काम करने का मौका मिलेगा। हालांकि, इस प्रक्रिया को पूरी तरह से लागू करने में समय और प्रयास लगेगा, लेकिन इससे दिल्ली की सुरक्षा और व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में मदद मिलेगी।

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Friday, January 10, 2025

उत्तराखंड में अवैध मदरसों का खुलासा: एक गहन विश्लेषण

 10 January 2025

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🚩उत्तराखंड में अवैध मदरसों का खुलासा: एक गहन विश्लेषण


🚩उत्तराखंड राज्य, जिसे उसकी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, हाल ही में अवैध मदरसों की बढ़ती संख्या के कारण चर्चा में है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पूरे राज्य में अवैध मदरसों की जांच शुरू की गई थी। अब इस जांच के नतीजे सामने आ रहे हैं, और इनमें सबसे चौंकाने वाला मामला उधमसिंहनगर जिले का है, जहां 129 अवैध मदरसे पाए गए हैं।


🚩अवैध मदरसों की जांच: क्यों है यह महत्वपूर्ण?


उत्तराखंड में अवैध मदरसों की उपस्थिति कई स्तरों पर चिंता का विषय है:


🔹 सुरक्षा चिंता: अवैध रूप से संचालित संस्थान सरकार की निगरानी से बाहर होते हैं, जिससे यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो जाता है कि वहां किस तरह की गतिविधियां हो रही हैं।


🔹शिक्षा की गुणवत्ता: ऐसे मदरसे बिना मान्यता और मानकों के चलते हैं, जिससे छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं मिल पाती।


🔹धार्मिक और सामाजिक संतुलन: अवैध मदरसों के माध्यम से किसी प्रकार के असामाजिक गतिविधियों या कट्टरपंथी विचारधारा के फैलने का खतरा बढ़ सकता है।


🚩129 अवैध मदरसों का खुलासा: उधमसिंहनगर की स्थिति


उधमसिंहनगर जिले में 129 अवैध मदरसों की पहचान ने प्रशासन को चौकन्ना कर दिया है। यह संख्या इस बात का प्रमाण है कि कैसे ये संस्थान राज्य की अनुमति के बिना भी तेजी से फैल रहे हैं। यह अन्य जिलों में भी इसी तरह की समस्या का संकेत हो सकता है।


🚩सरकार की सख्ती और जांच प्रक्रिया


मुख्यमंत्री धामी ने राज्य के सभी जिलाधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि:


🔹 सभी मदरसों की वैधता की जांच हो।

🔹केवल मान्यता प्राप्त और पंजीकृत संस्थानों को ही संचालन की अनुमति दी जाए।

🔹 अवैध मदरसों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए।


🚩क्या कदम उठाए जा सकते हैं?


🔹प्रभावी नीति निर्माण: राज्य को एक ऐसी सख्त नीति तैयार करनी चाहिए जो शिक्षा और सुरक्षा दोनों को प्राथमिकता दे।


🔹सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को इस मुद्दे पर जागरूक किया जाना चाहिए ताकि वे भी ऐसी गतिविधियों की जानकारी प्रशासन को दे सकें।


🔹 पारदर्शी शिक्षा प्रणाली: धार्मिक शिक्षा के साथ-साथ छात्रों को मुख्यधारा की शिक्षा प्रदान करने पर जोर देना चाहिए।


🚩संदेश


उत्तराखंड जैसे शांतिपूर्ण और धर्मनिष्ठ राज्य में अवैध मदरसों की बढ़ती संख्या न केवल राज्य की प्रशासनिक संरचना पर सवाल खड़े करती है, बल्कि यह समाज के लिए एक खतरा भी है। सरकार की ओर से उठाए गए कदम सराहनीय हैं, लेकिन इसे पूरी गंभीरता और पारदर्शिता के साथ लागू करना होगा।


अब समय है कि राज्य के लोग और प्रशासन मिलकर इस समस्या का समाधान ढूंढें, ताकि उत्तराखंड अपनी शांतिपूर्ण और धार्मिक विरासत को बनाए रख सके।


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Thursday, January 9, 2025

चीन का नया वायरस एचएमपीवी: क्या है यह और कैसे करें बचाव?

 09 January 2025

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🚩चीन का नया वायरस एचएमपीवी: क्या है यह और कैसे करें बचाव?


🚩चार साल बाद, एक बार फिर चीन से जुड़ा एक वायरस दुनियाभर में दहशत का कारण बना हुआ है। इस बार यह वायरस एचएमपीवी (ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस) है, जो मुख्य रूप से श्वसन तंत्र को प्रभावित करता है। इसकी वजह से चीन के कई अस्पतालों में मरीजों की भीड़ बढ़ गई है, खासकर छोटे बच्चों और बुजुर्गों के मामले में। यह वायरस भारत समेत अन्य देशों के लिए भी चिंता का विषय बनता जा रहा है।


🚩क्या है एचएमपीवी?


ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) एक श्वसन वायरस है, जो बच्चों, बुजुर्गों, और कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोगों को अधिक प्रभावित करता है। यह नाक, गले और फेफड़ों पर असर डालता है और इसके लक्षण सामान्य सर्दी या फ्लू जैसे होते हैं।


🚩लक्षण क्या हैं?


एचएमपीवी से संक्रमित व्यक्ति में ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं:

🔺नाक बहना

🔺गले में खराश

 🔺 सिरदर्द और थकान

🔺खांसी और बुखार

🔺ठंड लगना

🔺सांस लेने में कठिनाई


बुजुर्गों और छोटे बच्चों में यह वायरस गंभीर बीमारी का रूप ले सकता है, जिससे अस्पताल में भर्ती होने की नौबत आ सकती है।


🚩कैसे फैलता है यह वायरस?


यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से फैलता है। इसके फैलने के मुख्य कारण हैं:


🔸 खांसने और छींकने के दौरान निकली बूंदें।

🔸संक्रमित सतहों को छूने के बाद हाथों को न धोना।

🔸संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आना।


🚩चीन की स्थिति


चीन के अस्पतालों में खासकर बच्चों के वार्ड में भारी भीड़ देखी जा रही है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इसे अभी तक कोई आपातकालीन स्थिति नहीं घोषित किया है। लेकिन चीन की स्थिति पर पूरी नजर रखी जा रही है।


🚩क्या है इसका इलाज?


फिलहाल, एचएमपीवी के लिए कोई वैक्सीन या विशेष एंटीवायरल दवा उपलब्ध नहीं है। इसका इलाज मुख्य रूप से लक्षणों को कम करने के लिए किया जाता है, जैसे:

🔹पर्याप्त आराम करना।

🔹शरीर में पानी की कमी न होने देना।

🔹बुखार और खांसी के लिए सामान्य दवाओं का उपयोग।


🚩बचाव के उपाय


🔸हाथ धोना:


 साबुन और पानी से बार-बार हाथ धोएं।


🔸 भीड़भाड़ से बचें:


 भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें।


🔸 मास्क पहनें: 


विशेष रूप से बंद जगहों पर मास्क का उपयोग करें।


🔸स्वच्छता बनाए रखें:


 अक्सर छुई जाने वाली सतहों को साफ करें।


🔸 संक्रमित व्यक्ति से दूरी: 


संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें।


🚩निष्कर्ष


एचएमपीवी वायरस एक गंभीर स्थिति पैदा कर सकता है, लेकिन इससे घबराने की बजाय सतर्क रहना जरूरी है। अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए सावधानी बरतें और लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।


यह घटना हमें सिखाती है कि स्वस्थ आदतें अपनाकर और सतर्क रहकर हम वायरस के संक्रमण से बच सकते हैं। अपना ख्याल रखें और सुरक्षित रहें।


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Wednesday, January 8, 2025

अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य सुहास सुब्रमण्यम ने भगवद्गीता पर ली शपथ: भारतीय संस्कृति की गूंज विश्व मंच पर

 08 January 2025

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🚩अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य सुहास सुब्रमण्यम ने भगवद्गीता पर ली शपथ: भारतीय संस्कृति की गूंज विश्व मंच पर


🚩हाल ही में अमेरिका की राजनीति में एक ऐसा दृश्य देखने को मिला, जिसने हर भारतीय के दिल को गर्व से भर दिया। भारतीय मूल के अमेरिकी नेता सुहास सुब्रमण्यम ने अमेरिकी कांग्रेस के सदस्य के रूप में शपथ लेते समय भगवद्गीता का सहारा लिया और ‘हरे कृष्णा’ का उच्चारण किया। यह घटना भारतीय संस्कृति और मूल्यों की उस गहराई को दर्शाती है, जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ रही है।


🚩अमेरिकी संसद में गीता के श्लोक पढ़कर भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म की झलक देखने को मिली। वहां भारतीय अमेरिकी सांसदों ने भगवद्गीता को शपथ के माध्यम के रूप में चुना। इसके साथ ही उन्होंने गीता का एक श्लोक भी पढ़ा, जिससे भारतीय संस्कृति की गहराई और उसके दार्शनिक मूल्यों की गूंज अमेरिकी संसद में सुनाई दी।


🚩यह कोई पहली घटना नहीं है जब भगवद्गीता को इस तरह से सम्मान मिला हो। 2013 में, पहली बार तुलसी गबार्ड ने अमेरिकी संसद में भगवद्गीता की शपथ ली थी। उन्होंने न केवल गीता को अपने जीवन का आधार बताया, बल्कि अपने कार्यों में भी सनातन धर्म के मूल्यों का पालन करने का उदाहरण प्रस्तुत किया।


🚩सुहास सुब्रमण्यम: एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व


सुहास सुब्रमण्यम, जो भारतीय मूल के हैं, अमेरिका के वर्जीनिया राज्य से कांग्रेस के सदस्य चुने गए हैं। अमेरिका जैसे बहुसांस्कृतिक देश में उन्होंने अपनी जड़ों और परंपराओं से जुड़कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया। सुहास का जन्म और पालन-पोषण अमेरिका में हुआ, लेकिन उनकी आस्था और उनके संस्कार भारतीय संस्कृति से गहराई से जुड़े हुए हैं।


जब उन्होंने भगवद्गीता को अपने शपथ ग्रहण का माध्यम चुना, तो यह केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं था। यह उनके भीतर बसे उन भारतीय मूल्यों और आदर्शों का प्रतीक था, जो जीवन को एक उच्च उद्देश्य के साथ जीने की प्रेरणा देते हैं।


🚩भगवद्गीता पर शपथ का महत्व


भगवद्गीता सिर्फ एक धार्मिक ग्रंथ नहीं है; यह जीवन जीने की कला सिखाने वाली एक गहन दार्शनिक कृति है। इस पर शपथ लेना कई अर्थों को प्रकट करता है:


 🔸वैश्विक स्तर पर भारतीय संस्कृति का आदर:


भगवद्गीता पर शपथ लेकर सुहास ने भारतीय दर्शन को विश्व मंच पर सम्मानित किया। यह दिखाता है कि भारतीय मूल्यों की सार्वभौमिकता हर संस्कृति में अपनाई जा सकती है।


 🔸जीवन के उच्च आदर्शों का प्रतीक:


गीता हमें कर्म, धर्म, और आत्मा की शांति का मार्ग दिखाती है। इस पर शपथ लेना नैतिकता और ईमानदारी के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है।


 🔸नई पीढ़ियों के लिए प्रेरणा:


यह घटना भारतीय मूल के युवाओं को अपनी संस्कृति पर गर्व करने और अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देती है।


🚩‘हरे कृष्णा’ का गूंजता संदेश


शपथ ग्रहण के दौरान सुहास ने ‘हरे कृष्णा’ मंत्र का उच्चारण किया। यह मंत्र केवल धार्मिक आस्था का नहीं, बल्कि मानसिक शांति और आत्मिक ऊर्जा का भी प्रतीक है। इस मंत्र के साथ उन्होंने अपनी शपथ को और अधिक आध्यात्मिक और प्रभावशाली बना दिया। यह दर्शाता है कि आधुनिकता और परंपरा का संगम एक व्यक्ति को और अधिक प्रबल बना सकता है।


🚩भारतीय समुदाय की गर्वपूर्ण प्रतिक्रिया


इस घटना ने विश्वभर में भारतीय समुदाय के बीच उत्साह और गर्व का माहौल पैदा कर दिया। सोशल मीडिया पर लोगों ने इसे भारतीय संस्कृति की जीत करार दिया। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि चाहे हम दुनिया के किसी भी कोने में हों, हमारी संस्कृति और परंपराएँ हमें हमेशा प्रेरित करती हैं।


🚩एक नई सोच का उदय


सुहास सुब्रमण्यम ने भगवद्गीता पर शपथ लेकर भारतीयता का जो संदेश दिया है, वह हमें यह सिखाता है कि अपनी जड़ों से जुड़े रहना न केवल व्यक्तिगत सफलता का, बल्कि विश्व कल्याण का भी आधार है। उनकी यह पहल केवल एक सांकेतिक कदम नहीं है, बल्कि यह दिखाता है कि भारतीय संस्कृति कितनी व्यापक और प्रासंगिक है।


🚩निष्कर्ष


सुहास सुब्रमण्यम का यह कदम भारतीय मूल्यों की शक्ति का प्रतीक है। उन्होंने यह संदेश दिया है कि अपनी परंपराओं से जुड़कर भी विश्व मंच पर सफल हुआ जा सकता है। उनकी यह पहल भारतीय संस्कृति को नई ऊँचाइयों पर ले जाती है और हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर पर गर्व करने का एक और कारण देती है।


जय श्री कृष्ण!


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Tuesday, January 7, 2025

माता-पिता की सेवा न करने पर संपत्ति हो सकती है वापस: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

 07 January 2025

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🚩माता-पिता की सेवा न करने पर संपत्ति हो सकती है वापस: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला


🚩माता-पिता की सेवा और देखभाल भारतीय संस्कृति की नींव मानी जाती है। लेकिन आधुनिक समय में कुछ लोग अपने कर्तव्यों को भूलकर बुजुर्ग माता-पिता की उपेक्षा करते हैं। इस गंभीर समस्या पर सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने साफ कर दिया है कि जो बच्चे माता-पिता से संपत्ति प्राप्त करने के बाद उनकी देखभाल नहीं करते, उनसे संपत्ति वापस ली जा सकती है।


🚩क्या है मामला?


मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में एक वृद्ध महिला ने अपनी संपत्ति गिफ्ट डीड के जरिए अपने बेटे को दे दी थी। बेटे ने संपत्ति तो ले ली, लेकिन अपनी मां की देखभाल करने में विफल रहा। महिला ने अदालत का रुख किया और बताया कि बेटे ने संपत्ति देने की शर्तों का पालन नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने महिला के पक्ष में फैसला सुनाते हुए गिफ्ट डीड को रद्द कर दिया और बेटे को आदेश दिया कि वह 28 फरवरी तक मां को संपत्ति पर कब्जा लौटा दे।


🚩2007 का वरिष्ठ नागरिक संरक्षण कानून


यह फैसला वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण एवं कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत दिया गया है। इस कानून की धारा 23 स्पष्ट रूप से कहती है कि:


⚖️यदि कोई बुजुर्ग अपनी संपत्ति किसी को इस शर्त पर देता है कि वह उसकी देखभाल करेगा, और वह शर्त पूरी नहीं होती, तो यह संपत्ति का ट्रांसफर अमान्य माना जाएगा।


⚖️ ट्रिब्यूनल को अधिकार है कि वह ऐसे मामलों में संपत्ति का हस्तांतरण रद्द कर दे।


🚩सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?


⚖️बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा: 


यह फैसला उन बुजुर्गों को सुरक्षा प्रदान करता है जो अपनी संपत्ति देकर भी बच्चों की उपेक्षा का शिकार होते हैं।


⚖️ संस्कृति का संरक्षण:


 यह कदम माता-पिता की सेवा और देखभाल के प्रति बच्चों की जिम्मेदारी को दोबारा याद दिलाता है।


⚖️कानून की सख्ती: 


यह फैसला स्पष्ट संदेश देता है कि बुजुर्गों की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं की जाएगी।


🚩भारतीय समाज और माता-पिता की सेवा


भारतीय संस्कृति में माता-पिता की सेवा को सबसे बड़ा धर्म माना गया है। लेकिन समय के साथ, इस मूल सिद्धांत का महत्व कुछ लोगों के जीवन से कम हो गया है। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला न केवल कानूनी रूप से बल्कि नैतिक दृष्टिकोण से भी बेहद आवश्यक है।


🚩क्या करें यदि बुजुर्गों के साथ अन्याय हो?


यदि कोई बुजुर्ग माता-पिता अपने बच्चों से उपेक्षित महसूस करते हैं, तो वे इन कदमों का पालन कर सकते हैं:


🎯वरिष्ठ नागरिक ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज करें।


🎯 2007 के कानून का सहारा लेकर संपत्ति वापस लेने की प्रक्रिया शुरू करें।


🎯 स्थानीय सामाजिक संस्थाओं और एनजीओ से मदद लें।


🚩निष्कर्ष


सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला उन लोगों के लिए चेतावनी है जो माता-पिता को उपेक्षित करते हैं। यह समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश है कि माता-पिता की सेवा न केवल नैतिक जिम्मेदारी है, बल्कि अब कानूनी तौर पर भी इसकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

आइए, हम सब इस पहल का समर्थन करें और माता-पिता के सम्मान और सेवा के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाएं।


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