Sunday, July 7, 2019

हिन्दू युवा तेजी से नास्तिक व धर्मविमुख क्यों हो रहे हैं?

7 जुलाई 2019
🚩हमारे देश के हिन्दू युवा बड़ी तेजी से नास्तिक क्यों बनते जा रहे हैं ? इसका मुख्य कारण क्या है ? उनकी हिन्दू धर्म की प्रगति में क्यों कोई विशेष रूचि नहीं दिखती ?
🚩यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न है । भारत के महानगरों से लेकर छोटे गांवों तक यह समस्या दिख रही है। इस प्रश्न के उत्तर में हिन्दू समाज का हित छिपा है। अगर इसका समाधान किया जाये तो भारत भूमि को संसार का आध्यात्मिक गुरु बनने से दोबारा कोई नहीं रोक सकता।

🚩वैसे तो हिन्दू युवाओं के नास्तिक बनने व धर्मविमुख बनने के अनेक कारण है पर मुख्य पांच कारण है जो आपको बता रहे हैं-
🚩1. हिन्दू धर्म गुरुओं के प्रति आस्था का अभाव और उनकी उपेक्षा
हिन्दू समाज के युवा पाश्चात्य संस्कृति के आकर्षण के कारण अपने ही हिन्दू धर्म गुरुओं के प्रति आस्था नहीं रख पाते हैं और उनकी उपेक्षा कर देते हैं इसके कारण युवाओं में ईसाई धर्मान्तरण, लव जिहाद, नशा, भोगवाद, चरित्रहीनता, नास्तिकता, अपने धर्मग्रंथों के प्रति अरुचि आदि समस्याएं दिख रही हैं । इन समस्याओं के निवारण पर कई हिंदू धर्मगुरु ध्यान भी देते हैं। पर युवा उनकी तरफ ध्यान नही देते हैं । कुछ धर्मगुरुओं की तो हिंदू धर्म के बचाव के लिए कोई योजना बनी हुई नहीं होती जो दिशा निर्देश कर सके लेकिन कोई धर्मगुरु दिशा निर्देश करते है तो उनको षड़यंत्र तहत जेल भेजा जाता है जैसे कि शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती, हिंदू संत आसाराम बापू, स्वामी असीमानंद आदि...।
🚩2. दूसरा कारण मीडिया में हिन्दू धर्मगुरुओं को नकारात्मक रूप से प्रदर्शित करना है-
मीडिया की भूमिका भी इस समस्या को बढ़ाने में बहुत हद तक जिम्मेदार है। संत आशाराम बापू, शंकराचार्यजी को जेल भेजना, नित्यानंदजी की अश्लील सीडी, निर्मल बाबा और राधे माँ जैसे धर्मगुरुओं को मीडिया प्राइम टाइम, ब्रेकिंग न्यूज़, पैनल डिबेट आदि में घंटों, बार-बार, अनेक दिनों तक दिखाता है । जबकि मुस्लिम मौलवियों और ईसाई पादरियों के मदरसे में यौन शोषण, बलात्कार, मुस्लिम कब्रों पर अन्धविश्वास, चर्च में समलैंगिकता एवं ननों का शोषण, प्रार्थना से चंगाई आदि अन्धविश्वास आदि पर कभी कोई चर्चा नहीं दिखाता। इसके ठीक विपरीत मीडिया वाले ईसाई पादरियों को शांत, समझदार, शिक्षित, बुद्धिजीवी के रूप में प्रदर्शित करते हैं। मुस्लिम मौलवियों को शांति का दूत और मानवता का पैगाम देने वाले के रूप में मीडिया में दिखाया जाता है। मीडिया के इस दोहरे मापदंड के कारण हिन्दू युवाओं में हिन्दू धर्म और धर्मगुरुओं के प्रति एक अरुचि की भावना बढ़ने लगती हैं।
🚩ईसाई और मुस्लिम धर्म के प्रति उनके मन में श्रद्धाभाव पनपने लगता हैं। इसका दूरगामी परिणाम अत्यंत चिंताजनक है। हिन्दू युवा आज गौरक्षा, संस्कृत, वेद, धर्मान्तरण जैसे विषयों पर सकल हिन्दू समाज के साथ खड़े नहीं दीखते। क्योंकि उनकी सोच विकृत हो चुकी है। वे केवल नाममात्र के हिन्दू बचे हैं। हिन्दू समाज जब भी विधर्मियों के विरोध में कोई कदम उठाता है तो हिन्दू परिवारों के युवा हिंदुओं का साथ देने के स्थान पर विधर्मियों के साथ अधिक खड़े दिखाई देते हैं। हम उन्हें साम्यवादी, नास्तिक, भोगवादी, cool dude कहकर अपना पिंड छुड़ा लेते है। मगर यह बहुत विकराल समस्या है जो तेजी से बढ़ रही है। इस समस्या को खाद देने का कार्य निश्चित रूप से मीडिया ने किया है।
🚩3. हिन्दू विरोधी ताकतों द्वारा प्रचंड प्रचार है-
भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश होगा जहाँ पर इस देश के बहुसंख्यक हिंदुओं से अधिक अधिकार अल्पसंख्यक के नाम पर मुसलमानों और ईसाईयों को मिले हुए हैं। इसका मुख्य कारण जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद आदि के नाम पर आपस में लड़ना है। इस आपसी मतभेद का फायदा अन्य लोग उठाते है। एक मुश्त वोट डाल कर पहले सत्ता को अपना पक्षधर बनाया गया। फिर अपने हित में सरकारी नियम बनाये गए। इस सुनियोजित सोच का परिणाम यह निकला कि सरकारी तंत्र से लेकर अन्य क्षेत्रों में विधर्मियों को मनाने , उनकी उचित-अनुचित मांगों को मानने की एक प्रकार से होड़ ही लग गई। परिणाम की हिंदुओं के देश में हिंदुओंके अराध्य, परंपरा, मान्यताओं पर तो कोई भी टिका-टिप्पणी आसानी से कर सकता है। जबकि अन्य विधर्मियों पर कोई टिप्पणी कर दे तो उसे सजा देने के लिए सभी संगठित हो जाते है। इस संगठित शक्ति, विदेशी पैसे के बल पर हिंदुओं के प्रति नकारात्मक माहौल देश में बनाया जा रहा है। ईसाई धर्मान्तरण सही और शुद्धि/घर वापसी को गलत बताया जा रहा है। मांसाहार को सही और गौरक्षा को गलत बताया जा रहा है। बाइबिल/क़ुरान को सही और वेद-गीता को पुरानी सोच बताया जा रहा है। विदेशी आक्रांता गौरी-गजनी को महान और आर्यों को विदेशी बताया जा रहा है। इस षड़यंत्र का मुख्य उद्देश्य हिन्दू युवाओं को भ्रमित करना और नास्तिक बनाना है। इससे हिन्दू युवाओं अपने प्राचीन इतिहास पर गर्व करने के स्थान पर शर्म करने लगे। ऐसा उन्हें प्रतीत करवाया जाता है। हिन्दू समाज के विरुद्ध इस प्रचंड प्रचार के प्रतिकार में हिंदुओं के पास न कोई योजना है और न कोई नीति है।
🚩4. हिंदुओं में संगठन का अभाव-*
हिन्दू समाज में संगठन का अभाव होना एक बड़ी समस्या है। इसका मुख्य कारण एक धार्मिक ग्रन्थ वेद, एक भाषा हिंदी, एक संस्कृति वैदिक संस्कृति और एक अराध्य ईश्वर में विश्वास न होना है। जब तक हिन्दू समाज इन विषयों पर एक नहीं होगा तब तक एकता स्थापित नहीं हो सकती। यही संगठन के अभाव का मूल कारण है। स्वामी दयानंद ने अपने अनुभव से भारत का भ्रमण कर हिंदुओं की धार्मिक अवनति की समस्या के मूल बीमारी की पहचान की और उस बीमारी की चिकित्सा भी बताई। मगर हिन्दू समाज उनकी बात को अपनाने के स्थान पर एक नासमझ बालक के समान उन्हीं का विरोध करने लग गया। इसका परिणाम अत्यंत वीभित्स निकला। मुझे यह कहते हुए दुःख होता है कि जिन हिंदुओं के पूर्वजों ने मुस्लिम आक्रांताओं को लड़ते हुए युद्ध में यमलोक पहुँचा दिया था उन्हीं वीर पूर्वजों की मूर्ख संतान आज अपनी कायरता का प्रदर्शन उन्हीं मुसलमानों की कब्रों पर सर पटक कर करती हैं। राम और कृष्ण की नामलेवा संतान आज उन्हें छोड़कर कब्रों पर सर पटकती है। चमत्कार की कुछ काल्पनिक कहानियाँऔर मीडिया मार्केटिंग के अतिरिक्त कब्रो में कुछ नहीं दिखता । मगर हिन्दू है कि मूर्खों के समान भेड़ के पीछे भेड़ के रूप में उसके पीछे चले जाते हैं। जो विचारशील हिन्दू है वो इस मूर्खता को देखकर नास्तिक हो जाते हैं। जो अन्धविश्वासी हिन्दू है वो भीड़ में शामिल होकर भेड़ बन जाते हैं। मगर हिंदुओं को संगठित करने और हिन्दू समाज के समक्ष विकराल हो रही समस्यों को सुलझाने में उनकी कोई रूचि नहीं है। अगर हिन्दू समाज संगठित होता तो हिन्दू युवाओं को ऐसी मूर्खता करने से रोकता। मगर संगठन के अभाव में समस्या ऐसे की ऐसी बनी रही।
🚩5. हिन्दुओं में अपने ही धार्मिक ग्रंथों को पढ़ने के प्रति बेरुखी-
हिन्दू समाज के युवाओं को वेद आदि धर्म शास्त्रों का ज्ञान तो बहुत दूर की बात है । वाल्मीकि रामायण और महाभारत तक का स्वाध्याय उसे नहीं हैं। धर्म क्या है? धर्म के लक्षण क्या है? वेदों का पढ़ना क्यों आवश्यक है? वैदिक धर्म क्यों सर्वश्रेष्ठ है? हमारा प्राचीन महान इतिहास क्या था? हम विश्वगुरु क्यों थे?  इस्लामिक आक्रांताओं और ईसाई मिशनरियों ने हमारे देश, हमारी संस्कृति, हमारी विरासत को कैसे बर्बाद किया। हमारे हिन्दू युवा कुछ नहीं जानते। न ही उनकी यह जानने में रूचि हैं। अगर वह पढ़ते भी है तो अंग्रेजी विदेशी लेखकों के मिथक उपन्यास (Fiction Novel) जिनमें केवल मात्र भ्रामक जानकारी के कुछ नहीं होता। स्वाध्याय के प्रति इस बेरुखी को दूर करने के लिए एक मुहीम चलनी चाहिए। ताकि धर्मशास्त्रों का स्वाध्याय करने की प्रवृति बढ़े। हर हिन्दू मंदिर, मठ आदि में छुट्टियों में 1 से 2 घंटों का स्वाध्याय शिविर अवश्य लगना चाहिए। ताकि हिन्दू युवाओं को स्वाध्याय के लिए प्रेरित किया जा सके।
🚩आज का हिन्दू युवा बॉलीवुड, चलचित्रों, इंटरनेट आदि  द्वारा तेजी से धर्मविमुख हो रहा है इसके लिए माता-पिता को बचपन से ही धर्म की शिक्षा देनी चाहिए और कॉन्वेंट जैसे स्कूलों में नही पढ़ाकर गुरूकुलों में या  किसी ऐसे स्कूल में पढ़ाई के लिए भेजना चाहिए जहां धर्म का ज्ञान मिलता हो, नही तो बच्चों में संस्कार नही होंगे तो न आपकी सेवा कर पाएंगे और नही समाज और देश के लिए कुछ कर पाएंगे। अतः अपने बच्चों एवं आसपास बच्चों को अच्छे संस्कार जरूर दे।
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मुसलमान किराएदार या हिस्सेदार? ओवैसी को खुला पत्र

06 जुलाई 2019
🚩जनाब असदुद्दीन ओवैसी जी, जय रामजी की!  पहले भारत में अनेक मुसलमान भी जय रामजी की कहते थे । मौलाना हाली ने अपनी मशहूर किताब के बिलकुल शुरु में ‘रामकहानी’ ही लिखा है । यह तो पिछले 150 साल में यहाँ मुसलमानों को अपने ही देश की संस्कृति से तोड़ने की तबलीगी राजनीति चली। अफसोस! कि उसके नतीजों का हिसाब करने के बदले आज भी वही जारी है।
🚩यही हमारे लिखने का कारण है। आप आज मुसलमानों के एक काबिल नेता हैं। आपकी बातें लोग पढ़ते, सुनते हैं। अभी आपने कहा कि मुसलमान इस देश में ‘किराएदार नहीं, हिस्सेदार हैं।’ किंतु आप ने ही यह भी कहा था कि हम भारत माता की जय नहीं कहेंगे। अब देश को अपना समझने के लिए कुछ तो चाहिए। आप ही बताएँ कि यहाँ किस मुस्लिम नेता ने कभी ऐसी बातें की जिस में पूरे देश का हित झलका हो?
🚩हमेशा अलगाव, दावेदारी, धमकी, शिकायत – इसके सिवा मुसलमान नेता किसी राष्ट्रीय चिंता में भाग नहीं लेते, तो यह खुद अपने को किराएदार मानने जैसा है। जिसे घर के रख-रखाव की फिक्र नहीं, जो उसे मकान-मालिक का तरद्दुद समझे। क्या कश्मीर पर भारतीय पक्ष के लिए आपने कोई अभियान चलाया? यदि भारत रूपी घर के एक कोने पर बाहरी डाकू हमला करते या सेंध लगाते हैं, तो घर की तरह सुरक्षा में आवाज लगाने के बजाए बड़े-बड़े मुस्लिम नेता चुप्पी साधे रखते हैं। सोचिए, ऐसा तो किराएदार भी नहीं करता!
🚩जहाँ तक हिस्सेदारी की बात है, तो 1947 ई. में ही भारतीय मुसलमानों का ‘हिस्सा’ बाकायदा अलग कर लिया गया था। मुसलमानों के अलग देश के लिए मुसलमानों ने मुस्लिम लीग को वोट दिया और पाकिस्तान बनवाया। तब बचे हुए भारत में मुसलमानों के ‘हिस्से’ का सवाल ही नहीं रहा! फिर भी जो मुस्लिम यहीं रह गए, उन में 1965-70 ई. तक यह शर्म दिखती थी- कि उन्होंने देश तोड़ा, हिंदुओं को चोट पहुँचाई, और फिर पाकिस्तान गए भी नहीं। इस उदारता के लिए हिंदुओं का अहसान भी वे मानते थे। पर उस पीढ़ी के गुजरते-न-गुजरते नए मुस्लिम नेताओं ने फिर वही शिकायती राजनीति मुस्लिमों में भरनी शुरू कर दी। यह कब तक चलेगा, ओवैसी जी!
🚩डॉ अंबेडकर ने इसे बखूबी समझा था: ‘‘मुस्लिम राजनीति अनिवार्यतः मुल्लाओं की राजनीति है और वह मात्र एक अंतर को मान्यता देती है – हिंदू और मुसलमानों के बीच अंतर। जीवन के किसी मजहब-निरपेक्ष तत्व का मुस्लिम राजनीति में कोई स्थान नहीं है।’’ यह बात डॉ अंबेडकर ने 80 साल पहले लिखी थी। क्या आज भी इस में कुछ बदला है?
🚩एक ओर मुसलमान खुद को अंतर्राष्ट्रीय उम्मत का हिस्सा मान कर खलीफत, फिलस्तीन, बोस्निया, खुमैनी, सद्दाम, आदि के लिए हाय-तौबा और हंगामा करते रहते हैं। दूसरी ओर हिंदुओं को अपने ही देश में, अपने सब से पवित्र तीर्थों पर भी अधिकार नहीं देते। क्या ऐसा दोहरापन आज की दुनिया में चल सकेगा?
🚩पिछले चार दशक से पूरी दुनिया में इस्लामी आतंकवाद के जलवे, और उसे अनेक मुस्लिम देशों के सत्ताधारियों की शह ने सब को नए सिरे से सोचने पर मजबूर किया। बार-बार दिखा कि मिली-जुली आबादी वाले देशों में मुस्लिम नेता जैसी मनमानी, विशेषाधिकारी माँगें करते हैं, मुस्लिम सत्ता वाले देशों में दूसरों को वह अधिकार तो क्या, बराबरी का हक भी नहीं देते!
🚩फिर, पूरी दुनिया में असली अल्पसंख्यक हिंदू ही हैं। ये बात पहले यहाँ के मुसलमान नेता भी कह चुके हैं। तब, हिंदुओं को अपने ही देश में अपनी धर्म-संस्कृति के वर्चस्व का अधिकार क्यों न हो?  वह किस कारण, किस सिद्धांत या व्यवहार से दूसरों को हिस्सेदारी दे? कभी आप एक हिन्दू की नजर से देखें-सोचें, कि उसे अपनी ही भूमि के पाकिस्तान बन जाने पर क्या मिला, और उस की बनिस्पत मुसलमानों को भारत में क्या हासिल है?*
🚩आपके ही छोटे ओवैसी हिंदू देवी-देवता, हिंदू जनता और भारत सरकार का मजाक उड़ाते हैं। कुछ मुस्लिम नेता भारतीय सेना पर घृणित टिप्पणी करते हैं। संयुक्त राष्ट्र को चिट्ठी लिख शिकायतें करते हैं। जबकि यहाँ मुसलमानों के लिए अलग कानून, आयोग, विश्वविद्यालय, मंत्रालय, आदि बनते चले गए। गोया देश के अंदर अलग देश हो। ईमाम बुखारी, शहाबुद्दीन, फारुख, महबूबा, आदि कितने ही नेता उग्र बयानबाजियाँ करके भी राज-पाट भोगते रहे। मगर सब की बोली ऐसी रहती है मानो वे भारत से अलग, ऊपर कोई हस्ती हों! यह तब जबकि वे भारत की ही तमाम सुख-सुविधाओं, शक्तियों का उपभोग करते हैं। इस की तुलना में पाकिस्तान में हिंदुओं का क्या हाल रहा!
🚩आप खूब जानते हैं कि मुस्लिम नेताओं की इस दोहरी प्रवृत्ति में ताकत का घमंड है। अनेक नेता ‘पुलिस को एक दिन के लिए हटाकर देखने’ की खुली चुनौती देते रहे हैं। वे अपने को लड़ाकू, शासक परंपरा का मानते हैं जिन के सामने बेचारे गाय-प्रेमी, शान्तिप्रिय हिंदू कुछ नहीं। इस घमंडी सोच में मौलाना अकबर शाह खान से लेकर आजम खान तक पिछले सौ सालों से कुछ न बदला।
🚩यानी, भारत को तोड़ कर अलग घर ले लेने के बाद, फिर यहाँ मुस्लिम नेता वही देश-घातक राजनीति करने लगे। इसे डॉ अंबेडकर ने बड़ा सटीक नाम दिया था: ग्रवेमन राजनीति। उन के अपने शब्दों में, ‘ग्रवेमन पॉलिटिक का तात्पर्य है कि मुख्य रणनीति यह हो कि शिकायतें कर-कर के सत्ता हथियाई जाए।’ अर्थात्, मुस्लिम राजनीति शिकायतों से दबाव बनाती है। निर्बल के भय का ढोंग रचती है, जबकि दरअसल ताकत का घमंड रखती और उस का प्रयोग भी करती है। किस लेखक को यहाँ रहने देना, किसे बोलने देना, जिस किसी बात पर आग लगाना, तोड़-फोड़ करना, आदि में देश के कानून-संविधान को अँगूठा दिखाती है। यह सब करते हुए, जैसे मोदी-भाजपा को मुसलमानों का दुश्मन, वैसे ही 1947 ई. के बँटवारे से पहले गाँधीजी-कांग्रेस को भी बताते थे। ऐसे झूठे प्रचारों पर लाखों अनजान मुसलमान विश्वास कर लेते हैं, क्योंकि उन के नेता सारा प्रचार मजहब के नाम से करते हैं।
🚩क्या इतने लंबे अनुभव से भी हिंदुओं को कुछ सीखना नहीं चाहिए? यह ठीक है कि एक बार वह घमंडी ‘डायरेक्ट एक्शन’ वाली मुस्लिम राजनीति देश बाँटने, तोड़ने में सफल रही। लेकिन अब हिंदू उतने सोए नहीं रह सकते। सेटेलाइट टीवी और इंटरनेट से वे दुनिया भर की घटनाएँ सीधे देखते हैं। वे आसानी से समझ सकते हैं कि अधिकांश मुस्लिम नेता केवल इस्लाम की ताकत बढ़ाने में लगे रहे हैं। एक बार मौलाना बुखारी ने कहा भी था कि ‘भारत में सेक्यूलरिज्म  इसलिए है, क्योंकि यहाँ हिंदू बहुमत हैं।’ मतलब यह कि मुसलमानों को सेक्यूलरिज्म से कोई मतलब नहीं।
🚩यही बात देशभक्ति या वतनपरस्ती के बारे में भी है। दो-एक मुस्लिम नेता भारतीय संसद में कह चुके हैं कि उन्हें राष्ट्रीय अखंडता की कोई परवाह नहीं। यानी, वे सेक्यूलरिज्म और लोकतांत्रिक अधिकारों का दुरुपयोग करते हैं। देश की चिंता नहीं करते, और हिंदुओं को दोहरा-तिहरा मूर्ख बनाते हैं! जरा सोचें, किस को किस से शिकायत होनी चाहिए? कौन मालिक-मकान है, कौन किराएदार; कौन घर-घालक, कौन घर-रक्षक; कौन उत्पीड़ित, कौन उत्पीड़क?
🚩फिर, उस तबलीग, उस बरायनाम अलगाववाद से किस का भला हुआ? मुसलमानों का सब कुछ अलग करते हुए अंततः अलग देश बना देने से भी उन्हें क्या मिला? पाकिस्तान आज अमेरिका या चीन की रणनीतिक भीख पर जिंदा है। पाकिस्तान का भौगोलिक महत्व हटा दें, तो उस से संबंध रखने का इच्छुक कोई देश नहीं। ईरान और सऊदी अरब भी नहीं।
🚩आज किसी भी पैमाने से पाकिस्तान की बनिस्पत आज भारत में मुसलमान अधिक सहज, शांतिपूर्ण, खुशहाल और सम्मानित जिंदगी जीते हैं। आखिर कैसे? मिर्जा गालिब ने कहा थाः ‘काफिर हूँ, गर न मिलती हो राहत अजाब में’। यानी राहत के लिए हर चीज में इस्लाम की झक से छुटकारा लेना होगा। अब तो सऊदी अरब के प्रिंस सलमान भी कुछ यही कह रहे हैं।
🚩इसलिए यहाँ भी मुस्लिम नेताओं को तैमूरी-मुगलिया घमंड और अलगाव की भाषा छोड़नी चाहिए। वह वैसे भी खाम-खाह का वहम है। हिन्दुओं की उदारता, शान्तिप्रियता को कमजोरी समझना भूल है। दुनिया में हिन्दुस्तान ही है जहाँ इस्लामी राज बन जाने के बाद फिर उसे खत्म किया गया। यह हिन्दुस्तान ही है जिस के सामने अभी हाल में पाकिस्तान की एक लाख सशस्त्र सेना ने सरेंडर किया था। फिर हिन्दुस्तान ही है जहाँ किसी जमाने में खलीफा से भी अधिक ताकत रखने वाले मुगल बादशाह अकबर ने इस्लामी मजहब को दरकिनार कर ‘दीन-ए-इलाही’ चलाया ।
🚩कहने का मतलब यह कि हिन्दू समाज ने इस्लामी ताकत को सैनिक, सांस्कृतिक, और दार्शनिक हर चीज में हराया है। चाहे कई बार हिंदू शासकों, नेताओं की बेमतलब भलमनसाहत से हिंदुओं को तबाही भी झेलनी पड़ी है। पर वह हमेशा इस्लामी ताकत के कारण नहीं हुआ है। यह सब इतिहास तथा इस्लामी राजनीति की खूबी-खामी के बारे में अब आम हिंदू ही नहीं, पूरी दुनिया के अन्य गैर-मुस्लिम भी काफी-कुछ जानते हैं। इस्लामी राजनीति की बढ़त होने का नतीजा भी बिलकुल साफ है। पिछले पचाल सालों में खुमैनी, तालिबान और इस्लामी स्टेट के कारनामों ने धीरे-धीरे सारी दुनिया की आँखें खोल दी हैं। उससे मुसलमानों का भी भला नहीं होता।
🚩अतः लगता है कि अब दुनिया में इस्लाम आधारित राजनीति का कोई भविष्य नहीं है। अब दूरदर्शी नेताओं को फिरके और मजहब से ऊपर उठकर, मानवीय समानता को आधार बना कर मुसलमानों में भी सभी धर्मों के प्रति आदर रखने की समझ देनी चाहिए। इसी से उन्हें सच्चा भाईचारा महसूस भी होगा। सेक्यूलरिज्म या अधिकार एकतरफा नहीं चल सकता। अतः आपसे निवेदन है कि घर में सचमुच मिल-जुल कर रहने पर विचार करें। आगे, रामजी की इच्छा! - लेखक : शंकर शरण
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Friday, July 5, 2019

जानिए भारत में ईसाई कब आए और उनका काला इतिहास का अध्याय

05 जुलाई 2019
🚩ईसाईयत और इस्लाम ये दो पंथ ऐसे हैं जिनका जन्म भारत के बाहर हुआ है । ईसाई लोग भारत में आए लगभग दूसरी शताब्दी में । तब यहां का राजा हिन्दू था, प्रजा हिन्दू थी और व्यवस्था भी हिन्दू थी । फिर भी इन ईसाईयों को केरल के राजा ने, प्रजा ने आश्रय दिया, चर्च बनाने के लिए जमीन उपलब्ध कराई, धर्म पालन और धर्म प्रचार की अनुमति प्रदान की । इस कारण आज केरल में ईसाईयों की संख्या 20 प्रतिशत से अधिक है । उसी प्रकार जब भारत में अंग्रेजी राज कायम हुआ तब से यहां के हिन्दुओं को ईसाई बनाने का काम चल रहा है ।

🚩हिन्दू समाज के इस मतान्तरण के खिलाफ राजा राममोहन रॉय, स्वामी दयानंद, स्वामी श्रद्धानंद से लेकर महात्मा गांधी, डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार आदि महानुभावों ने चिंता जताई है । भारत सरकार ने मध्य प्रदेश, उड़ीसा, अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों ने धर्मान्तरण विरोधी कानून बनाए हैं, फिर भी ईसाई मिशनरियों द्वारा नए-नए तरीके खोज कर गरीब, पिछड़े, झुग्गियों में रहनेवाले हिन्दू लोगों के धर्म परिवर्तन का काम धड़ल्ले से चलता है ।
🚩ईसाईयत का यह इतिहास क्रूरता, हिंसा, धर्मविरोधी आचरण एवं असहिष्णुता से भरा पड़ा है। गोवा के अन्दर ईसाई मिशनरी फ्रांसिस जेवियर, जिसके शव का निर्लज्ज प्रदर्शन अभी भी गोवा के चर्च के भीतर हो रहा है, ने गोवा के हिन्दू लोगों पर क्रूरतापूर्ण तरीके अपनाकर अत्याचार किए और गैर-ईसाईयों को ईसाई बनाया । ए.के. प्रियोलकर द्वारा लिखित ‘Goa Inquisition’ नामक पुस्तक में इसका विस्तार से वर्णन किया है । भोले-भाले वनवासी, गिरिवासी और गरीब लोगों को झांसा देकर ईसाई बनाना इन मिशनरियों का मुख्य धंधा है।
🚩पोप जॉन पोल जब 1999 में भारत आए थे तब उन्होंने भारत के ईसाइयों को आवाहन किया था कि जिस प्रकार शुरुआत के ईसाई पादरियों, संत(?) फ्रांसिस जेवियर, रॉबर्ट दी नोबिलि, आदि जैसे उनके पूर्वजों ने प्रथम सहस्राब्दी में समूचा यूरोप, दूसरे में अफ्रीका और अमेरिका को ईसाई बनाया, उसी प्रकार तीसरी सहस्राब्दी में एशिया में ईसा मसीह के क्रॉस को मजबूत उनका उद्देश्य है, ताकि दुनिया में ईसाईयत का साम्राज्य कायम हो सके । पोप के आदेश का पालन करने के लिए तत्पर ईसाई मिशनरी तुरंत इस काम को अंजाम देने में लगे हैं और भले-बुरे सभी उपायों का अवलम्बन कर हिन्दू समाज को तोड़ने के षड्यंत्र में लगे हैं।
🚩सम्पूर्ण विश्व को ईसाईयत के झंडे के नीचे लाने की योजना के तहत फ्रांसिस जेवियर ने भारत में जो काले कारनामे किये थे, उस इतिहास के एक क्रूर अध्याय को जानने के लिए आपके लिए प्रस्तुत है ।
🚩500 साल पहले गोवा में कुमुद राजा का शासन चलता था । राजा कुमुद को जबरदस्ती से हटा कर पोर्तुगीज ने गोवा को अपने कब्जे में कर दिया ।
🚩पुर्तगाल सेना के साथ केथलिक पादरी भी धर्मान्तरण करने के लिए बड़ी संख्या में हमला किया। हर गाँव में लोगो को धमकी और जबरन ईसाई बनाते पादरी गोवा के पूरे शहर पर कब्जा किया । जो लोग चलने के लिए तैयार नहीं होते उनको क्रूरता से मार दिया जाता ।
🚩जैनधर्मी राजा कुमुद और गोवा के सारे 22 हजार जैनों को भी धर्म परिवर्तन करने के लिए ईसाईयों ने धमकी दे दी कि 6 महीनों में जैन धर्म छोड़ कर ईसाई धर्म स्वीकार कर दो अथवा मरने के लिए तैयार हो जाओ राजा कुमुद एवं और भी जैन मरने के लिए तैयार थे परंतु धर्म परिवर्तन के लिए हरगिज राजी नहीं थे ।
🚩छः महीने के दौरान ईसाई जेवियर्स ने जैनों का धर्म परिवर्तन करने के लिए साम-दाम, दंड-भेद जैसे सभी प्रयत्न कर देखे । तब भी एक भी जैन ईसाई बनने के लिए तैयार नहीं हुआ। तब क्रूर जेवियर्स पोर्तुगीझ लश्कर को सभी का कत्ल करने के लिए सूचित किया। एक बड़े मैदान में राजा कुमुद और जसिं धर्मी श्रोताओं, बालक-बालिकाओं को बांध कर खड़ा कर दिया गया। एक के बाद एक को निर्दयता से कत्ल करना शुरू किया । ईसाई  जेवियर्स हँसते  मुख से संहरलीला देख रहा था । ईसाई बनने के लिए तैयार न होनेवालों के ये हाल होंगे। यह संदेश जगत को देने की इच्छा थी। बदले की प्रवृति को वेग देने के लिए ऐसी क्रूर हिंसा की होली जलाई थी।
🚩केथलिक ईसाई धर्म के मुख्य पॉप पोल ने ईसाई पादरी जेवियर्स के बदले के कार्य की प्रसंशा की और उसके लिए उसने बहाई हुई खून की नदियों के समाचार मिलते पॉप की खुशी की सीमा नहीं रही । जेवियर्स को विविध इलाक़ा देकर सम्मान किया। जेवियर्स को सेंट जेवियर्स के नाम से घोषित किया और भारत में शुरू हुई अंग्रेजी स्कूल और कॉलेजों की श्रेणी में सेंट जेवियर्स का नाम जोड़ने में आया। आज भारत में सबसे बड़ा स्कूल नेटवर्क में सेंट जेवियर्स है।
🚩हजारों जैनों और हिंदुओं के खून से पूर्ण एक क्रूर ईसाई पादरी के नाम से चल रही स्कूल में लोग तत्परता से डोनेशन की बड़ी रकम दे कर अपने बच्चों को पढ़ने के लिए भेज रहें है। कैसे करुणता है। और जेवियर्स कि बदले की वृत्ति  को पूर्ण समर्थन दे रहे पाटुगिझो को पॉप ने पूरे एशिया खंड के बदले की वृत्ति के सारे हक दे दिए। धर्म परिवर्तन प्राण की बलि देकर भी नहीं करने वाले गोवा के राजा कुमुद और बाईस हजार धर्मनिष्ठ जैनों का ये इतिहास जानने के बाद हम इससे बोध पाठ लेने जैसा है। आज की रहन-सहन में पश्चिमीकरण ईसाईकरण का प्रभाव बढ़ रहा है। भारत की तिथि-मास भूलते जा रहें है। अंग्रेजी तारीख पर ही व्यवहार बढ़ रहा है। भारतीय पहेरवेश घटता जा रहा है ।पश्चिमीकरण की दीमक हमें अंदर से कमज़ोर कर रही है। धर्म और संस्कृति रक्षा के लिए फनाहगिरी संभाले । स्त्रोत : ह्रदय परिवर्तन पत्रिका दिसम्बर 2017
🚩सरकार को ईसाई मिशनरियां और धर्मान्तरण पर रोक लगानी चाहिए और हिंदुस्तानियों को कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों को नही पढ़ना चाहिए और नही धर्मपरिवर्तन करना चाहिए तभी देश, समाज सुरक्षित रहेगा।
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Thursday, July 4, 2019

गृह मंत्रालय : आतंकियों की भर्ती के लिए हो रहा मदरसों का उपयोग, कब बैन होंगे?

04 जुलाई 2019
🚩कोई भी आतंकी जन्म से ही आतंकी नहीं होते, उनको गलत शिक्षा दी जाती है तभी वे आतंक का रास्ता पकड़ते हैं और ऐसी जिहादी सोच वाली शिक्षा अधिकतर मदरसों में दी जा रही है । कई जगह की रिपोर्ट में ये सामने आया है इसलिए आतंकवाद को जड़-मूल से खत्म करना है तो सरकार को सबसे पहले मदरसों पर ध्यान देना चाहिए । पाकिस्तान सरकार ने भी 182 मदरसों को अपने हाथ में ले लिया है। इन मदरसों के आतंकी गतिविधियों में संलिप्त होने का संदेह है।

🚩आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा और खून खराबे के बीच गृह मंत्रालय ने बड़ा खुलासा किया है ! गृह मंत्रालय ने कहा है कि पश्चिम बंगाल में कुछ मदरसों का उपयोग आतंकी संगठनों की मदद करने में किया जा रहा है !
🚩मदरसों के लिए कट्टरता फैला रहे आतंकी-
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि बर्दवान और मुर्शिदाबाद के कई मदरसों का उपयोग आतंकी कर रहे हैं । बांग्लादेशी आतंकी संगठन जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश में इसके जरिए कट्टरता फैलाने और संगठन में भर्ती का काम करते हैं ।
🚩बता दें कि भारत में आतंकवादी विचारधारा वाले लोग न बनें इस उद्देश्य से उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी ने कुछ दिन पहले मदरसों को बंद करने की मांग दोहराई है । पीएम मोदी को चिट्ठी लिखकर वसीम रिज़वी ने प्राथमिक मदरसों को बंद करने को कहा है । वसीम रिज़वी ने लिखा कि "मदरसों में बच्चों को बाकियों से अलग कर कट्टरपंथी सोच के तहत तैयार किया जाता है । यदि प्राथमिक मदरसे बंद ना हुए तो 15 साल में देश का आधे से ज्यादा मुसलमान आईएसआईएस का समर्थक हो जाएगा । उन्‍होंने इसके बजाय हाई स्कूल के बाद धार्मिक तालीम के लिए मदरसे जाने के विकल्प का सुझाव दिया । कोई भी मिशन आगे बढ़ाने के लिए बच्चों का सहारा लिया जाता है और हमारे यहां भी ऐसा ही हो रहा है । ये देश के लिए भी खतरा है ।
🚩पाकिस्तान और अन्य देशों की तरह भारत में भी कुछ मदरसो में आतंकी गतिविधियां होने की बात कई बार सामने आई है, इसे देखते हुए भारत सरकार को भी देश के मदरसों पर छापे मार कर जांच करनी चाहिए और बैन कर देना चाहिए ऐसी जनता की अपेक्षा है ।
🚩पश्चिम बंगाल में हिंसा की जड़ में क्या है?
आज पश्चिम बंगाल में मुस्लिम जनसंख्या, आजादी से पहले के स्तर पर पहुंच रही है। 1941 में पश्चिम बंगाल में 29 प्रतिशत मुसलमान जनसंख्या थी। आज ये आंकड़ा 27 प्रतिशत पहुंच गया है । जबकि देश के बंटवारे के बाद 1951 में पश्चिम बंगाल में केवल 19.5 प्रतिशत मुसलमान थे। बंटवारे के बाद बड़ी तादाद में मुसलमान, पाकिस्तान चले गए थे।
🚩हम मुसलमानों की जनसंख्या में बढ़ोत्तरी के आंकड़ों पर गौर करें तो चौंकानेवाली बातें सामने आती हैं । 2001 से 20111 के बीच पश्चिम बंगाल में मुस्लिम जनसंख्या 1.77 प्रतिशत सालाना की दर से बढ़ी । जबकि देश के बाकी हिस्सों में मुस्लिम जनसंख्या 0.88 प्रतिशत की दर से बढ़ी ।
🚩यूं तो राजनीति में आंकड़ों की बहुत बात होती है। परंतु पश्चिम बंगाल की तेजी से बढ़ती मुस्लिम जनसंख्या की आेर से सबने आंखें मूंद रखी थीं । सियासी फायदे के लिए देशहित की कुर्बानी दे दी गई। अगर हम आंकड़ों पर ध्यान देते तो फौरन बात पकड़ में आ जाती कि जिस बंगाल में कारोबार ठप पड़ रहा था, उद्योग बंद हो रहे थे, वहां लोग रोजगार की नीयत से तो जा नहीं रहे थे ।
🚩आज की तारीख में हम घुसपैठ के सियासी असर की बात करें तो, पश्चिम बंगाल के तीन जिलों में मुसलमान बहुमत में हैं । लगभग 100 विधानसभा सीटों के नतीजे मुसलमानों के वोट तय करते हैं । यानी मुस्लिम वोट, पश्चिम बंगाल की सियासत के लिहाज से आज बेहद अहम हो गए हैं । इसीलिए राज्य में ममता बनर्जी जमकर मुस्लिम तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं। उनसे पहले वामपंथी दल यही कर रहे थे ।
🚩तुष्टीकरण की गंदी सियासत का नमूना हमने 2007 के चुनावों में देखा था । उस समय अपनी तरक्कीपसंद राजनीति के बावजूद वामपंथी सरकार ने बांग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन को कोलकाता से बाहर जाने पर मजबूर किया । इसकी वजह ये थी कि बंगाल के कट्टरपंथी मुसलमान, तस्लीमा के शहर में रहने का विरोध कर रहे थे । आज का पश्चिम बंगाल सांप्रदायिक रूप से और भी संवेदनशील हो गया है ।
🚩ममता बनर्जी ने सांप्रदायिकता को अपना सबसे बड़ा सियासी हथियार बना लिया है । उनका आदर्शवाद सत्ता में रहते हुए उड़न-छू हो चुका है । राज्य के 27 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या को लुभाने के लिए ममता किसी भी हद तक जाने को तैयार दिखती हैं । इसीलिए वो नूर-उल-रहमान बरकती जैसे मौलवियों को शह देती हैं ।
🚩ममता बनर्जी ने मालदा के हरिश्चंद्रपुर कस्बे के मौलाना नासिर शेख की आेर से आंखें मूंद लीं । इस मौलाना ने टीवी, संगीत, फोटोग्राफी और गैर मुसलमानों से मुसलमानों के बात करने पर पाबंदी लगा दी थी । राज्य के धर्मनिरपेक्ष नियमों के विरोध में जाकर ममता ने इमामों और मौलवियों को उपाधियां और पुरस्कार दिए हैं ।
🚩ममता ने मुस्लिम तुष्टीकरण की सारी हदें तोड़ दी हैं । तभी तो #दुर्गा पूजा के बाद 4 बजे के बाद मूर्ति विसर्जन पर, मुहर्रम का जुलूस निकालने के लिए रोक लगा देती हैं । उन्हें आम बंगालियों की धार्मिक भावनाओं का खयाल तक नहीं आता । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ममता बनर्जी सरकार के इस फैसले को अल्पसंख्यकों का अंधा तुष्टीकरण कहा था ।
🚩क्या ममता बनर्जी को ये समझ में आएगा कि मुस्लिम तुष्टीकरण से बंगाल में अब काजी नजरुल इस्लाम जैसे लोग नहीं पैदा होंगे । बल्कि इससे इमाम बरकती और नसीर शेख जैसे मौलवियों को ही ताकत मिलेगी । ये वही लोग हैं जो मुसलमानों की नुमाइंदगी का दावा करते हैं, मगर उन्हीं के हितों को चोट पहुंचाते हैं। ये सांप्रदायिकता फैलाते हैं ।
🚩ममता बनर्जी सांप्रदायिकता की ऐसी आग से खेल रही हैं, जिस पर काबू पाना उनके बस में भी नहीं होगा ।
🚩केंद्र सरकार को जनसंख्या नियंत्रण कानून लाना चाहिए, मदरसों पर बैन लगाना चाहिए और घुसपैठियों को बाहर करना चाहिए तभी देश सुरक्षित रह पायेगा ।
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Wednesday, July 3, 2019

1000 साल पहले जो हो रहा था वो आज भी हो रहा है, इसपर सब चुप है

03 जुलाई 2019
🚩सदियों से ही हिंदुओं पर अत्याचार होता आया है, कभी मुगल, कभी अंग्रेज, कभी विधर्मी हिन्दू धर्म पर तरह-तरह के कुठाराघात करते आए हैं । अगर हिंदुओं पर हुए अत्याचार को देखें तो खून के आँसू बह चलेंगे । हिंदुओं पर हुए अत्याचार को कलमबद्ध किया जाए तो समय पूरा हो जाएगा, लेकिन अत्याचार की भयावह कहानी पूरी नहीं होगी ।

🚩अब से सैकड़ों वर्ष पहले मुगल भारत में आए और यहां अपना शासन स्थापित किया और तब से शुरू हुआ हिंदुओं पर अत्याचार का एक अत्यधिक भयानक सिलसिला । मुग़लो के काल से ही हिंदुओं के आस्थास्वरूप मंदिरों को तोड़ने का सिलसिला चल रहा है । कभी भगवान राम की, कभी श्री कृष्ण की, कभी देवी माँ की मूर्ति को तोड़ देते थे । श्रीराम जन्मभूमि अयोध्या पर बने भगवान श्री राम के मंदिर को मुगलों ने ही तोड़ दिया था । अब फिर से वही इतिहास दोहराया जा रहा है ।
🚩1000 साल पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
700 साल पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
30 साल पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
6 महीने पहले हमारे मंदिरों को तोड़ा गया
आज फिर हमारे मंदिर को तोड़ा गया
🚩जी हाँ देश की राजधानी दिल्ली में माँ दुर्गा जी के 100 साल पुराने मंदिर को जिहादियों द्वारा 'अल्लाहु अकबर’ नारे के साथ बेरहमी से तोड़ दिया गया । मामला पुरानी दिल्ली के लाल कुआं इलाके की दुर्गा मंदिर गली का है, जहाँ पार्किंग न देने की वजह से इस घटना को अंजाम दिया गया । हिंदुओं के घर मे घुसकर बहन-बेटियों और हिंदुओं को प्रताड़ित किया गया। जिस पर पूरे देश की जनता ने आक्रोश व्यक्त किया ।
🚩हिंदुओं को असहिष्णु कहने वाले लोग अब कहाँ हैं ?
मुसलमानों को डरा हुआ कहने वाले लोग अब कहाँ हैं ?
🚩अवार्ड वापसी गैंग, नेता-अभिनेता एवं तथाकथित बुद्धिजीवी और सेक्युलर अब कहाँ हैं ?
क्या उन्हें हिंदुओं पर हुआ ये अत्याचार दिखाई नहीं दिया ? या सिर्फ एक समुदाय विशेष के लिए ही आगे आते हैं ?
🚩भारत देश में मुस्लिमों को जितनी सुविधाएं दी गयी हैं, उतनी तो विश्व के किसी मुस्लिम देश में भी नहीं दी गयी, लेकिन पुरानी आदत है न "जिस थाली में खाते हैं, उसमें ही छेद करते हैं" । इनको अगर किसी ने राई जितना भी बोला हो तो विधर्मी मीडिया बताती है पहाड़ बनाकर । और तब प्रगट होते हैं देश के सेक्युलर, बुद्धिजीवी, अवार्ड वापसी गैंग वाले । और यही नहीं कुछ अभिनेताओं को तो अपने आप को हिन्दू कहने में शर्म तक आने लगती है, लेकिन जब हिंदुओं पर हमला हो तब क्या ? कौन आता है आगे ? कौन उसकी परेशानियों को सुनता है ?
🚩इतना सब होने पर भी कहते हैं कि देश का मुसलमान डरा हुआ है तो अब जरा इस डरे हुए मुसलमान की करतूतें भी देख लीजिए -
यही डरा हुआ मुसलमान तलवार की नोक पर अपना धर्म दूसरों पर थोपता है ।
🚩यही डरा हुआ मुसलमान हिंदुओं के मंदिर तोड़ता है ।
यही डरा हुआ मुसलमान धर्मिक अधिकार बता गाय को सरेआम बेरहमी से काटता है ।
🚩यही डरा हुआ मुसलमान हिन्दू की बहू-बेटियों पर भी अत्याचार करता है ।
यही डरा हुआ मुसलमान देश के रक्षक सैनिकों पर  पत्थरबाजी करता है।
🚩सच में मुसलमान कितना डरा इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्किल है।
🚩हर मुसलमान आतंकी नहीं है, हर मुसलमान मंदिर नहीं तोड़ रहा, लेकिन जो तोड़ रहे हैं वो कौन हैं? अल्लाहु अकबर का नारा किस मजहब का है? जिस आसानी से दो मुसलमान किशोरों के द्वारा बनाया गया विडियो, जिसमें एक लड़का दूसरे को ‘जय श्री राम’ बोलने कहता है, सारे हिन्दुओं के सर मढ़ दिया जाता है, वही सहजता, एक भीड़ के ‘अल्लाहु अकबर’ चिल्लाने के बाद भी क्यों नहीं दिखाई जाती?
🚩मीडिया बोलती है ‘एक समुदाय के लोग’ मंदिर में घुस गए और तोड़फोड़ मचाई। वाह! कितना क्यूट वाक्य है। अंग्रेजी वाले और भी क्यूट लाइन्स लिखते हैं, ‘पीपल फ्रॉम अ कम्यूनिटी’। समस्या क्या है ? जब भीड़ की एक निश्चित पहचान है, और तुम्हें पता है कि ये भीड़ एक खास कम्यूनिटी या समुदाय विशेष की है, तो फिर उसके नामकरण में समस्या क्यों?
🚩कब तक मीडिया ऐसी बेहूदगी करता रहेगा? जब आरोपित मुसलमान नाम वाला हो, जब भीड़ मुसलमानों की हो, तो ‘अ कम्यूनिटी’ या ‘समुदाय विशेष’ क्यों लिखा जाता है? आखिर ऐसा क्या विशेष है इस समुदाय में? एक विचित्र तर्क यह भी आता है अगर मीडिया ‘मुसलमान लिखेगी तो साम्प्रदायिक तनाव बढ़ जाएगा।’ क्या बेहूदी दलील है!
मतलब, हिन्दू नाम वाले के हाथों चोर को मारा जाए तो उसमें ‘नो जय श्री राम’ (#NoJaiSriRam)आ जाते हैं, कठुआ में आठ हिन्दू नाम वाले अपराधी संलिप्त हों तो पूरा सनातन धर्म ही सवालों के दायरे में आ जाता है, त्रिशूल पर कंडोम लगा कर वायरल किया जाता है, और जो हिन्दू नहीं हैं वो भी ‘आई एम अ हिन्दू, आई एम अशेम्ड’ की तख्ती गले में टाँगे नाचने लगते हैं।
🚩लेकिन, मुसलमानों की एक भीड़ मथुरा के भरत यादव की जान ले ले, मँगरू को तीन मुसलमान चाकुओं से गोद दें, सरे राह प्रेम करने के लिए हिन्दू लड़के को मुसलमान काट दे, दिल्ली में मंदिर पर ‘अल्लाहु अकबर’ का नारा लगाती एक भीड़ चढ़ाई कर दे, मौलवी मस्जिद के भीतर किसी बच्ची का रेप करे, बंगाल में लगभग हर जिले में हिन्दू-मुसलमान दंगे हों, तो वहाँ मजहब के नाप का लोप हो जाता है। कहाँ जाता है कि शांति भंग हो जाएगी।
🚩हिंदुस्तान एक मात्र ऐसा देश है जहाँ सभी धर्म, मजहब के लोग शांति पूर्वक निवास कर सकते हैं । हिंदुओं ने कभी किसी पर न अपना धर्म थोपा न ही दूसरे धर्मावलंबियों के धर्म की निंदा की । सदैव सबसे प्रेम भरा व्यवहार किया, लेकिन आज उसी हिन्दू के साथ क्या हो रहा है ? कभी धर्मांतरण का जहर, कभी छोटे से विवाद पर मार-पीट कभी उनके धर्म के रक्षक संतों पर अत्याचार,हिन्दू धर्म की धरोहर गौ, गीता, गंगा का अपमान, उनके मंदिरों में तोड़-फोड़ ।
🚩अभी तो इनकी संख्या मात्र 20 करोड़ है तो देश में ये हालात हैं, सोचिये जब इनकी संख्या बढ़ेगी तो इस देश का क्या होगा ?
🚩हिंदुओं को अब जागरूक होना चाहिए, धर्म पर जो अत्याचार हो रहा है उसका सामना करना चाहिए और जबतक सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून नही बनाती है तबक़तक हिंदुओं को कमसे कम 4 बच्चे पैदा करना ही चाहिए।
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Tuesday, July 2, 2019

अमेरिकी लैब : आयोडीन नमक से कैंसर होता है ! सेंधा नमक के है अद्भुत फायदे

02 जुलाई 2019
🚩भारत में 1930 से पहले कोई भी व्यक्ति समुद्री नमक नहीं खाता था सिर्फ सेंधा नमक ही खाते थे, लेकिन विदेशी कंपनियां अपने फायदे के लिए भारत में नमक के व्यापार में आज़ादी के पहले से उतरी हुई है। उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी शासन द्वारा भारत की भोली जनता को आयोडीन मिलाकर समुद्री नमक खिलाना शुरू किया ।

🚩विदेशी कंपनियों को नमक बेचकर बहुत मोटा लाभ कमाना है और लूट मचानी है तो पूरे भारत में एक नई बात फैलाई गई कि आयोडीन युक्त नामक खाओ, आयोडीन युक्त नमक खाओ ! आप सबको आयोडीन की कमी हो गई है। ये सेहत के लिए बहुत अच्छा है आदि आदि बातें पूरे देश मे प्रायोजित ढंग से फैलाई गई । और जो नमक किसी जमाने मे 1 से 2 रूपये किलो मे बिकता था । उसकी जगह आओडीन नमक के नाम पर सीधा भाव पहुँच गया 10 रूपये प्रति किलो और आज तो 20-30 रूपये को भी पार कर गया है।
🚩सूत्रों के अनुसार दुनिया के 56 देशों ने आयोडीन युक्त नमक 40 साल पहले बेन कर दिया है। डेन्मार्क की सरकार ने तो 1956 मे आयोडीन युक्त नमक बैन कर दिया। उनकी सरकार ने कहा हमने आयोडीन युक्त नमक लोगो को खिलाया !(1940 से 1956 तक ) पर अधिकांश लोग नपुंसक हो गए ! जनसंख्या इतनी कम हो गई कि देश के खत्म होने का खतरा हो गया ! उनके वैज्ञानिको ने कहा कि आयोडीन युक्त नमक बंद करवाओ तो उन्होने बैन लगाया। और शुरू के दिनो मे जब भारत देश मे ये आयोडीन का खेल शुरू हुआ तो देश के स्वार्थी नेताओ ने कानून बना दिया कि बिना आयोडीन युक्त नमक भारत मे बिक नहीं सकता । पर कुछ समय पूर्व कोर्ट मे मुकदमा दाखिल किया और ये बैन हटाया गया।
🚩अमेरिकी लैब का खुलासा-
भारत में बिकने वाले ‘आयोडीन नमक’ पर अमेरिका स्थित एक लैब ने चौंकाने वाला खुलासा किया है । लैब ने अपनी जांच में पाया है कि भारत में बिकने वाले टॉप ब्रैंड्स के आयोडीन नमक में कार्सिनोजेनिक घटक मौजूद है । अमेरिकन वेस्ट एनालिटिकल लैबोरेटरीज ने अपनी रिपोर्ट में यह दावा किया।
🚩रिपोर्ट में सांभर रिफाइंड नमक, टाटा नमक, टाटा नमक लाइट जैसे उत्पादों को विशेष रूप से रेखांकित किया गया है । गोधुम ग्रैन्स एंड फॉर्म्स प्रोडक्ट्स के चेयरमैन शिव शंकर गुप्ता ने इस रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए नमक बनाने वाली कंपनियों और सरकार को आड़े हाथों लिया है । उन्होंने कहा ‘भारत में बिक रहे आयोडीन नमक में पोटैशियम फेरोसायनाइड भारी मात्रा में पाया जाता है जो कि कैंसर का एक मुख्य कारण है।’
🚩सेंधा नमक की उतप्ति-
एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक (rock salt) । सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है । जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े-बड़े पहाड़ हैं, सुरंगे हैं । वहाँ से ये नमक आता है । ऐतिहासिक रूप से पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में यह नमक सिंध, पश्चिमी पंजाब के सिन्धु नदी के साथ लगे हुए हिस्सों और ख़ैबर-पख़्तूनख़्वा के कोहाट ज़िले से आया करता था जो अब पाकिस्तान में हैं । पश्चिमोत्तरी पंजाब में नमक कोह (यानि नमक पर्वत) नाम की मशहूर पहाड़ी श्रृंखला है जहाँ से यह नमक मिलता है । आजकल पीसा हुआ भी नमक मिलने लगा है ।
🚩सेंधा नमक के फ़ायदे-
सेंधा नमक के उपयोग से रक्तचाप और बहुत ही गंभीर बीमारियों पर नियन्त्रण रहता है क्योंकि ये अम्लीय नहीं ये क्षारीय (alkaline) है । क्षारीय चीज जब अम्ल में मिलती है तो वो न्यूट्रल(उदासीन) हो जाता है और रक्त से अम्लता खत्म होते ही शरीर के 48 रोग ठीक हो जाते हैं ।
🚩ये नमक शरीर मे पूरी तरह से घुलनशील है । और सेंधा नमक की शुद्धता आप एक और बात से पहचान सकते हैं कि उपवास, व्रत में सब सेंधा नमक ही खाते हैं तो आप सोचिए जो समुद्री नमक आपके उपवास को अपवित्र कर सकता है वो आपके शरीर के लिए कैसे लाभकारी हो सकता है ??
🚩सेंधा नमक शरीर में 97 पोषक तत्वों की कमी को पूरा करता है ! इन पोषक तत्वों की कमी ना पूरी होने के कारण ही लकवे (paralysis)  का अटैक आने का सबसे बड़ा जोखिम होता है । सेंधा नमक के बारे में आयुर्वेद में बोला गया है कि यह आपको इसलिये खाना चाहिए क्योंकि सेंधा नमक वात, पित्त और कफ को दूर करता है।
🚩यह पाचन में सहायक होता है और साथ ही इसमें पोटैशियम और मैग्नीशियम पाया जाता है जो हृदय के लिए लाभकारी होता है। यही नहीं आयुर्वेदिक औषधियों में जैसे लवण भाष्कर, पाचन चूर्ण आदि में भी प्रयोग किया जाता है।
🚩समुद्री नमक के भयंकर नुकसान-
ये जो समुद्री नमक है आयुर्वेद के अनुसार ये तो अपने आप मे ही बहुत खतरनाक है क्योंकि इसमें पहले से ही आयोडीन होता है । अब आओडीन भी दो तरह का होता है एक तो भगवान का बनाया हुआ जो पहले से नमक मे होता है । दूसरा होता है “industrial iodine”  ये बहुत ही खतरनाक है। तो समुद्री नमक जो पहले से ही खतरनाक है उसमें कंपनिया अतिरिक्त industrial iodine डालकर पूरे देश को बेच रही हैं । जिससे बहुत सी गंभीर बीमारियों का प्रवेश हमारे शरीर में हो रहा है । ये नमक मानव द्वारा फैक्ट्रीयों में निर्मित है।
🚩आम तौर में उपयोग में लाये जाने वाले समुद्री नमक उच्च रक्तचाप (high BP ) ,डाइबिटीज़, आदि गंभीर बीमारियो का भी कारण बनते हैं । इसका एक कारण ये है कि ये नमक अम्लीय (acidic) होता है । जिससे रक्त अम्लता बढ़ती है और रक्त अमलता बढ़ने से ये सब 48 रोग आते हैं । ये नमक पानी में कभी पूरी तरह नहीं घुलता, हीरे (diamond ) की तरह चमकता रहता है इसी प्रकार शरीर के अंदर जाकर भी नहीं घुलता और अंततः किडनी से भी नहीं निकल पाता और पथरी का भी कारण बनता है ।
🚩ये नमक नपुंसकता और लकवा (paralysis ) का बहुत बड़ा कारण है समुद्री नमक से सिर्फ शरीर को 4 पोषक तत्व मिलते हैं लेकिन बीमारियां निश्चित रूप से साथ मे मिल जाती हैं !
🚩रिफाइण्ड नमक में 98% सोडियम क्लोराइड ही है शरीर इसे विजातीय पदार्थ के रुप में रखता है। यह शरीर में घुलता नहीं है। इस नमक में आयोडीन को बनाये रखने के लिए Tricalcium Phosphate, Magnesium Carbonate, Sodium Alumino Silicate जैसे रसायन मिलाये जाते हैं जो सीमेंट बनाने में भी इस्तेमाल होते है। विज्ञान के अनुसार यह रसायन शरीर में रक्त वाहिनियों को कड़ा बनाते हैं, जिससे ब्लॉकेज होने की संभावना और आक्सीजन जाने में परेशानी होती है। जोड़ो का दर्द और गंठिया, प्रोस्टेट आदि होती है। आयोडीन नमक के कारण पानी की जरुरत ज्यादा होती है । 1 ग्राम नमक अपने से 23 गुना अधिक पानी खींचता है । यह पानी कोशिकाओं के पानी को कम करता है। इसी कारण हमें प्यास ज्यादा लगती है।
🚩प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में भी भोजन में सेंधा नमक के ही इस्तेमाल की सलाह दी गई है। भोजन में नमक व मसाले का प्रयोग भारत, नेपाल, चीन, बंगलादेश और पाकिस्तान में अधिक होता है। आजकल बाजार में ज्यादातर समुद्री जल से तैयार नमक ही मिलता है। जबकि 1960 के दशक में देश में लाहौरी नमक मिलता था। यहां तक कि राशन की दुकानों पर भी इसी नमक का वितरण किया जाता था। स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता था। समुद्री नमक के बजाय सेंधा नमक का प्रयोग होना चाहिए।
🚩आप इस अतिरिक्त आओडीन युक्त समुद्री नमक खाना छोड़िए और उसकी जगह सेंधा नमक खाइये !! सिर्फ आयोडीन के चक्कर में समुद्री नमक खाना समझदारी नहीं है, क्योंकि जैसा हमने ऊपर बताया आयोडीन हर नमक मे होता है सेंधा नमक मे भी आयोडीन होता है । बस फर्क इतना है इस सेंधा नमक मे प्राकृतिक के द्वारा भगवान द्वारा बनाया आओडीन होता है इसके इलावा आओडीन हमें आलू, अरबी के साथ-साथ हरी सब्जियों से भी मिल जाता है। आयोडीन लद्दाख को छोड़ कर भारत के सभी स्थानों के जल में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है । अतः स्वास्थ्य के लिए आज से सेंधा नमक खाना शुरू करें।
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Monday, July 1, 2019

क्या आप भारत की अखंडता तोड़ने वाले मिशनरियां के प्रोजेक्ट को जानते हैं?

1 जुलाई 2019
http://azaadbharat.org
🚩एफ्रो दलित प्रोजेक्ट की ही तरह ही यह 10/40 Window भी ईसाई मिशनरियों का कन्वर्जन करने का एक मिशन है ।

यह शब्द 1989 - 1990 में Christian missionary strategist and Partners International CEO Luis Bush के द्वारा Lausanne II Conference ( Manila ) में दिया गया था ।
🚩वैसे यह सब आप भी इंटरनेट पर सर्च करके पता कर सकते हैं, मिशनरियों के प्रोजेक्टस आप जेशुआ मिशनरी साइट्स , सीरियन कैथोलिक्स साइट्स पर भी मिल जायेंगे ।
🚩एफ्रो-दलित प्रोजेक्ट दलितों को ‘काला’ तथा ग़ैर -दलितों को ‘गोरा’ जताता है । अमेरिकन एवलेन्जिकल संस्थाओं के एक बड़े वर्ग के लिए भारतवर्ष एक मुख्य लक्ष्य है । यह एक ऐसा नेटवर्क (जाल) है जिसमे संस्थानों, व्यक्तियों और चर्चों का समावेश है और जिसका उद्देश्य भारत के कमज़ोर तबके पर अलहदा पहचान, अलहदा-इतिहास’ और एक ‘अलहदा-धर्म’ थोपना है।
*🚩इस प्रकार की संस्थाओं के गठजोड़ में केवल चर्च समूह ही नहीं, सरकारी संस्थाएं तथा संबंधित संगठन, व्यक्तिगत प्रबुद्ध मंडल और बुद्धिजीवी तक शामिल हैं ।
सतही तौर पर वे सब एक दूसरे से अलग और स्वतंत्र दिखते हैं, लेकिन पाया गया है कि असल में उनका तालमेल आपस में बहुत गहरा है और उनकी गतिविधियाँ अमरीका तथा यूरोप से नियंत्रित की जाती हैं और वहीं से उनको काफी वित्तीय सहायता भी प्राप्त होती है । उनके सिद्धांत, दस्तावेज़, संकल्प और रणनीतियां बहुत सुलझी हुयी हैं और दलितों/पिछड़ों की मदद करने की आड़ में इनका उद्देश्य भारत की एकता और अखंडता को तोड़ना है ।*
🚩इन पश्चिमी संस्थानों में कुछ बड़े ओहदों पर इन दलित/पिछड़ी जाति (जिन्हें तथाकथित रूप से एमपावर (empower) किया जा रहा है) के कुछ भारतीयों को स्थान दिया गया है – मगर इसका पूरा ताना बाना पश्चिमी लोगों द्वारा ही सोचा समझा व नियोजित और फण्ड किया गया था । हालांकि अब और बहुत से भारतीय लोग और NGOs इन ताक़तों के सहभागी बनाए गए हैं और इन लोगों को पश्चिम से वित्तीय सहायता और निर्देश मिलते रहते हैं ।
🚩समूचे विश्व को ईसाई बनाने का उद्देश्य लेकर बने हुए “जोशुआ प्रोजेक्ट” के अंतर्गत धर्मांतरण हेतु सर्वाधिक ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्र के रूप में एक काल्पनिक “10/40 खिड़की” को लक्ष्य बनाया गया है।
🚩इस जोशुआ प्रोजेक्ट के अनुसार पृथ्वी के नक़्शे पर, दस डिग्री अक्षांश एवं चालीस डिग्री देशांश के चौकोर क्षेत्र में पड़ने वाले सभी देशों को “10/40 Window ” के नाम से पुकारा जाता है ।
इस खिड़की में उत्तरी अफ्रीका, मध्य पूर्व एवं एशिया का एक बड़ा भूभाग (West Asia, Central Asia, South Asia, East Asia and much of Southeast Asia) आता है ।
🚩10/40 window यह पृथ्वी पर स्थिति वह क्षेत्र है जहां गरीब , निम्न जीवन स्तर की जनसंख्या है जहां ईसा के सन्देश पहुंचने के रिसोर्स कम है ।
🚩वेटिकन के अनुसार इस 10/40 खिड़की के देशों में सबसे कम ईसाई धर्मांतरण हुआ है । वेटिकन का लक्ष्य है कि इस खिड़की के बीच स्थित देशों में तेजी से, आक्रामक तरीके से, चालबाजी से, सेवा के नाम पर या किसी भी अन्य तरीके से अधिकाधिक ईसाई धर्मांतरण होना चाहिए ।
🚩जोशुआ प्रोजेक्ट के आकलन के अनुसार इस “Window” में विश्व के तीन प्रमुख धर्म स्थित हैं, हिन्दू , इस्लाम, यहूदी , सिक्ख , जैन , एनिमिस्ट एवं बौद्ध ।
🚩पहले इस खिड़की के अंदर दक्षिण कोरिया और फिलीपींस भी शामिल थे, परन्तु इन देशों की जनसंख्या 70% से अधिक ईसाई हो जाने के बाद उन्हें इस खिड़की से बाहर रख दिया गया है ।
🚩10/40 window में दुनिया की लगभग 2/3 जनसंख्या आती है ।
🚩वेटिकन के अनुसार इस खिड़की में शामिल देशों में सबसे ‘मुलायम और आसान” लक्ष्य भारत है, जबकि सबसे कठिन लक्ष्य इस्लामी देश मोरक्को है ।
🚩वेटिकन ने गत वर्ष ही “सॉफ्ट इस्लामी” इंडोनेशिया को भी इस खिड़की में शामिल कर लिया है ।
🚩विश्व की कुल आबादी में से चार अरब से अधिक लोग इस 10/40 खिड़की के तहत आती है, इसलिए यदि ईसाई धर्म का अधिकाधिक प्रसार करना हो तो इन देशों को टारगेट बनाना जरूरी है ।
🚩क्योंकि इस “खिड़की” से बाहर स्थित देशों जैसे यूरोपीय देश अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड में से अधिकाँश देश पहले ही “घोषित रूप से ईसाई देश” हैं और अधिकाँश देशों में “बाइबल” की शपथ ली जाती है ।
🚩एशियाई देशों में चर्च ने सर्वाधिक सफलता हासिल की है “नास्तिक” माने जाने वाले “वामपंथी” चीन में । आज की तारीख में चीन में लगभग 17 करोड़ ईसाई (कैथोलिक व प्रोटेस्टेंट मिलाकर) हैं । चीन में वेटिकन के प्रवक्ता डॉक्टर जॉन संग कहते हैं कि हमें विश्वास है कि सन 2025 तक चीन में ईसाईयों की आबादी 25 करोड़ पार कर जाएगी ।
🚩भारत में “घोषित रूप से” ईसाईयों की आबादी लगभग छह करोड़ है, जबकि अघोषित रूप से छद्म नामों से रह रही ईसाई आबादी का अंदाजा लगाना बेहद मुश्किल है ।
🚩आईये एक संक्षिप्त उदाहरण से समझते हैं कि किस तरह से मिशनरी जमीनी स्तर पर संगठित स्वरूप में कार्य करते हैं ।
“पास्टर जेसन नेटाल्स”. नाम से एक साहब ईसाई धर्म के प्रचारक हैं । पास्टर जेसन जुलाई से नवंबर 2013 तक भारत में धर्म प्रचार यात्रा पर थे ।
🚩इन्होंने अपने कुछ मित्रों के साथ आंध्रप्रदेश के विशाखापट्टनम जिले के कुछ अंदरूनी गाँवों में ईसाई धर्म का प्रचार किया, और इसकी कुछ तस्वीरें ट्वीट भी कीं जैसा कि चित्र में देखा जा सकता है कि “पास्टर जेसन” एक मंदिर के अहाते में ही ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे हैं और तो और ट्वीट में इस “ईसाई धर्म से अनछुए गाँव” की गर्वपूर्ण घोषणा भी कर रहे हैं। भोलेभाले (बल्कि मूर्ख) हिन्दू बड़ी आसानी से इन “सफ़ेद शांतिदूतों” की मीठी-मीठी बातों तथा सेवाकार्य से प्रभावित होकर इनके जाल में फँस जाते हैं । जेशुआ प्रोजेक्ट की जो official website है उस पर भी आप जाकर facts क्रोस चेक कर सकते है ।
🚩जैसा कि पूर्व में बताया गया कि भारत मे वामपंथ की जड़े बहोत ही गहरी रही है लेकिन अब जब भारत मे वामपंथी शक्तियां राजनैतिक रूप से शीत युद्ध के बाद कमजोर हो गई तो बाद में यही वामपंथी आज ‘सेक्युलरिज्म’, ‘दलित मुक्ति’, ‘मानवाधिकार’ , ओबीसी चिंतन , पर्यावरणविद , स्त्रीवाद के गिरोहों में शामिल हो गए । अब वामपंथी साहित्य ने दलित साहित्य , ओबीसी साहित्य , स्त्री विमर्श , पर्यावरणविद , आदि का स्थान ले लिया ।
भारतीय साम्यवादियों की हिन्दू विरोधी भावना इतनी उग्र है कि जब सोवियत संघ न रहा तो अब ये अमेरिका संचालित एवलिजलिस्ट की गोद मे जा बैठे है ।
🚩जेशुआ वेबसाइट के अनुसार जो दुनिया के जो 10/40 से सबसे unreached people group है ,जातीया है उनमें शेख , यादव , तुर्क्स , मोरक्कन अरब , पश्टुन ,जाट और बर्मीज है । The 10/40 Window is home to some of the largest unreached people groups in the world.
🚩भारत मे वनवासीयो को एफ्रो दलिट्स प्रोजेक्ट्स , एससी की जातियो को क्रिप्टो अम्बेडक्राइस्ट प्रोजेक्ट , ओबीसी की अपर कास्ट यादव , कुर्मी , पटेल आदि को 10/40 प्रोजेक्ट्स में उन्होंने कन्वर्ट करना है ।
🚩कांग्रेस के मौन स्वीकृति में ईसाई मिशनरियों ब्रिटिश , और वामपंथी इतिहास को आगे बढाया । अब जो पुस्तके कभी काल्पनिक कही जाती थी उससे अप्रमाणिक रूस से इतिहास लिखा जा रहा , हर जाति का इतिहास लेखन यादव , कुर्मी , ब्राह्मण , जाट , राजपूत , पटेल , and other backword classes , नक्सली साहित्य ने दलित साहित्य का रुप ले लिया और आदिवासी साहित्य अभी लेखन में है ।
🚩इसकी एक बानगी देखिए...
वैसे यह सभी जानते है कि कांचा इलैय्या , स्वप्न विस्वास जैसे प्रोफेसर ईसाई है और बीफ पार्टी देना विश्विद्यालयो में या महिषासुर मण्डन इन्ही की देन है और ये छुपे हुए नही ये महाशय विदेशों में खुले आम क्रिस्चियन कांफ्रेसेस में हिस्सा लेते है , फंडिंग भी लेते है जिनका जिक्र राजीव मल्होत्रा जी ने भी कई बार किया है ।
🚩महिषासुर को बहुजन नेता के रूप में भी इसी कांचा इलैय्या ने प्रचारित किया था और जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी दिल्ली (JNU) में वर्ष 2011 से महिषासुर परिनिर्वाण दिवस मनाने की शुरुआत भी इन्होंने ही की ।
🚩शुरुआत में उसे यादव नेता , फिर दलित नेता उसके बाद आदिवासी गोंड नेता , उसके बाद बहुजन नेता कहके प्रचारित किया गया । कभी बंगाल का , कभी कर्नाटक का मूलनिवासी राजा , कभी तमिल नेता मतलब कुछ भी ।
🚩सन्सद में उस समय स्मृति ईरानी ने महिषासुर दिवस के आयोजन का एक पर्चा पढकर सुनाया था , उन्होंने कहा कि, ‘इस पर्चे को पढने के लिए ईश्वर मुझे क्षमा करें । इसमें लिखा है कि, दुर्गा पूजा सबसे ज्यादा विवादास्पद और नस्लवादी त्योहार है। जहां प्रतिमा में सुंदर दुर्गा मां को काले रंग के स्थानीय निवासी महिषासुर को मारते दिखाया जाता है। महिषासुर एक बहादुर, स्वाभिमानी नेता था, जिसे आर्यों द्वारा शादी के झांसे में फंसाया गया। उन्होंने एक सेक्स वर्कर का सहारा लिया, जिसका नाम दुर्गा था, जिसने महिषासुर को शादी के लिए आकर्षित किया और 9 दिनों तक सुहागरात मनाने के बाद उसकी हत्या कर दी।” स्मृति ने गुस्से से प्रश्न किया कि, क्या ये अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है? कौन मुझसे इस मुद्दे पर कोलकाता की सड़कों पर बहस करना चाहता है ?
🚩इस पर एक “महिषासुर : एक मिथक का अब्राहमणीकरण” नामक पुस्तक लेखन पर दलित-ईसाई प्रोफेसर बीपी महेश चंद्र गुरु की गिरफ्तारी भी हुई थी , और 'महीखासुर : एक जननायक" , प्रमोद रंजन ने लिखी । "महिषासुर : पुनर्पाठ की जरूरत" नामक पुस्तिका को प्रेम कुमार मणी , अश्विनी पंकज , दिलीप मंडल ने लिखी ।
🚩जिसे आयवन कोस्का संचालित फॉरवोर्ड प्रेस और दिलीप मंडल संचालित नेशनल दस्तक पर प्रचारित किया गया ।
🚩इस पुस्तक के समर्थक वामी - कामी - ईसाई - इस्लामी खुलकर सामने में प्रोफेसर कांचा आयलैया, मानवाधिकार कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़, अर्थशास्त्री जयती घोष, समाजशास्त्री शम्शुल इस्लाम, कोंग्रेसी विचारक राम पुनियानी, आनंद स्वरुप वर्मा, कुमार प्रशांत, एस आनंद, रतन लाल, मायावती के दरबारी लेखक कँवल भारती, प्रयाग शुक्ल, राजेश जोशी, मंगलेश डबराल, जीतेंद्र भाटिया, सुधीर सुमन, बजरंग बिहारी तिवारी, कृपाशंकर, फरीद खान, अमलेंदु उपाध्याय, संजय जोठे, सामाजिक कार्यकर्ता विद्या भूषन रावत, अनुराग मोदी प्रीतम सिंह, सुरेश कुमार,अनंत गिरी, सत्या,सिंथिया स्टीफेन,निस्सीम मन्नादुकेरण, गिरिजेश्वर प्रसाद, बादल सरोज, नवल कुमार , संजीव चंदन जैसे लोग प्रमुख है । https://www.facebook.com/288736371149169/posts/2585075188181931/
🚩10/40 window projects में कुल 57 देश आते है जिनके लिस्ट निम्नवत है-
1. Afghanistan, 2. Algeria, 3. Bahrain, 4. Bangladesh, 5. Benin
6. Bhutan, 7. Burkina Faso, 8. Cambodia, 9. Chad, 10. China, 11. Cyprus, 12. Djibouti, 13. Egypt, 14. Eritrea, 15. Ethiopia, 16. Gambia ,17. Greece, 18. Guinea, 19. Guinea-Bissau, 20. India, 21. Iran
22. Iraq, 23. Israel (including Palestinian Occupied Territory as of 1998), 24. Japan, 25. Jordan, 26. Korea, North, 27. Korea, South
28. Kuwait, 29. Laos, 30. Lebanon
31. Libya, 32. Mali, 33. Malta, 34. Mauritania, 35. Morocco, 36. Myanmar, 37. Nepal, 38. Niger, 39. Oman, 40. Pakistan, 41. Philippines, 42. Portugal, 43. Qatar, 44. Saudi Arabia
45. Senegal, 46. Sudan (includes South Sudan as of 2011, due to Sudan splitting into two nations)
47. Syria, 48. Taiwan, 49. Tajikistan, 50. Thailand, 51. Tunisia, 52. Turkey, 53. Turkmenistan, 54. United Arab Emirates, 55. Vietnam, 56. Western Sahara, 57. Yemen
🚩भारत में ईसाई मिशनरियां विदेशी फडिंग से भारत में धर्मान्तरण का धंधा जोरो-शोरो से चला रही हैं इसके कारण हिंदूओं की जनसंख्या घटती जा रही और मीडिया हिन्दू विरोधी एजेंडा चला रही है ये अत्यंत चिंताजनक स्थिति है, इसपर रोक लगाने के लिए विदेश की फंडिग बंद करना जरूरी है । हिंदुओं को भी सावधान रहने की जरूरत है कोई लालच देकर धर्मपरिवर्तन करवाता है तो सावधान रहें और आपके आसपास कोई ऐसे दिखता है तो भी उसका कानूनी सहायता से विरोध करें ।
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