Tuesday, November 26, 2019

माँ सरस्वती का प्रकटस्थल पर आज भी कब्जा किया हुआ है, पढ़ी जाती है नमाज

26 नवम्बर  2019

*🚩इस्लामी आक्रमणकारियों ने जिस प्रकार से अयोध्या की श्रीराम जन्मभूमि, मथुरा का श्रीकृष्ण जन्मस्थान एवं काशी के विश्वनाथ मंदिर को बलपूर्वक ले लिया था , उसी प्रकार का प्रयत्न वे धार (मध्यप्रदेश) की भोजशाला के विषय में कर रहे हैं । भोजशाला, अर्थात विद्या की देवी सरस्वती का प्रकटस्थल ! अपने अनेक प्रकार की विद्याओं का जनक भारतीय विश्वविद्यालय ! महापराक्रमी राजा भोज की तपोभूमि ! इस सरस्वतीदेवी के मंदिर में आज प्रत्येक शुक्रवार को ‘नमाज’ पढ़ी जाती है । सहस्रों वर्ष से चल रहा इस भोजशाला मुक्ति का संघर्ष आज भी जारी है । अधर्मी शासन मतों की तुष्टीकरण राजनीति से प्रेरित होकर हिन्दुओं के आस्था केंद्रों की उपेक्षा कर रहा है ।*

*🚩सरस्वती देवी की प्रकटस्थली, अर्थात वाग्देवी मंदिर का इतिहास:*

*‘पूर्वकाल में मालवा राज्यके (वर्तमान मध्यप्रदेश के) परमार वंश में महापराक्रमी और महाज्ञानी राजा भोज (शासनकाल वर्ष 1010 से 1065) हुए । इनकी तपस्या से प्रसन्न होकर सरस्वती देवी ने उन्हें दर्शन दिए थे ।  तत्पश्चात, राजा भोज ने सुप्रसिद्ध मूर्तिकार मनथल द्वारा संगमरमर पत्थर से देवी की शांतमुद्रा में मनमोहक मूर्ति बनवाई । राजा भोज को जिस स्थानपर वाग्देवी के अनेक समय दर्शन हुए थे, उसी स्थानपर इस मूर्ति की स्थापना की गई।*

*🚩केवल सरस्वती देवी  प्रकटस्थली नहीं, अपितु भारत का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय !*

*🚩राजा भोज ने ‘सरस्वतीदेवी की उपासना’, ‘हिन्दू जीवनदर्शन’ एवं ‘संस्कृत प्रसार’के लिए वर्ष 1034 में धार में भोजशाला का निर्माण किया । इस भोजशाला में भारतका सबसे बडा विश्वविद्यालय और विश्व  प्रथम संस्कृत अध्ययन केंद्र बना । इस विश्वविद्यालय में देश-विदेश के 1 सहस्र 400 विद्वानों ने अध्यात्म, राजनीति, आयुर्वेद चिकित्सा, व्याकरण, ज्योतिष, कला, नाट्य, संगीत, योग, दर्शन इत्यादि विषयों का ज्ञान प्राप्त किया था । इसके अतिरिक्त इस विद्यालय में वायुयान, जलयान, चित्रकशास्त्र (कैमरा), स्वयंचलित यंत्र इत्यादि विषयों में भी सफल प्रयोग किए गए थे । एक सहस्र वर्षपूर्व राजा भोजके किए हुए कार्य को भारतीय शासकों ने दुर्लक्षित किया था, किंतु आज भी विश्व उसे आश्चर्यभरी दृष्टिसे देख रहा है । इस विषय में संसार के 28 विश्वविद्यालयों में अध्ययन और प्रयोग किए जा रहे हैं ।*

*🚩राजा भोज के राज्य की अखंडता पर कपट से आघात करनेवाला कमाल मौलाना’*

*राजा भोज के असामान्य कर्तृत्व के कारण उनके राज्यपर आक्रमण करने का साहस किसी को नहीं होता था । उनकी मृत्यु के लगभग 200 वर्ष पश्चात, इस राज्य की अखंडता पर पहला आघात किया सूफी संत के रूप में घूमनेवाले कमाल मौलाना ने ! वर्ष 1269 में मालवा में आए इस मौलाना ने यहां 36 वर्ष रहकर राज्य के तथा यहां के सर्व गुप्त मार्गों की जानकारी एकत्र की । इस काल में उसने इस्लाम का प्रचार, तंत्र-मंत्र, जादूटोना, गंडा-डोरा का योजनाबद्ध प्रयोग कर सैकडों हिन्दुओं को मुसलमान बनाया । इस स्थिति का अनुचित लाभ उठाते हुए अलाउद्दीन खिलजी ने मालवा राज्य पर आक्रमण कर दिया ।*

*🚩वाग्देवी की मूर्ति का अंगभंग करनेवाला अलाउद्दीन खिलजी *

*अलाउद्दीन खिलजी ने वर्ष 1305 में मालवा राज्यपर आक्रमण कर दिया । यह आक्रमण रोकने के लिए राजा महलकदेव और सेनापति गोगादेव जी-जान से लड़े । भोजशाला के आचार्यों और विद्यार्थियों ने भी खिलजी की सेना का प्रतिकार किया । किंतु, इस युद्ध में वे पराजित हुए । खिलजी ने 1200 विद्वानों को बंदी बनाकर इनके समक्ष प्रस्ताव रखा -‘इस्लाम धर्म अपना लो’ अथवा ‘मृत्यु’के लिए तैयार हो जाओ । उसने, मुसलमान बनना अस्वीकार करनेवालों की हत्या कर उनके शवों को भोजशाला के यज्ञकुंड में फेंक दिया तथा जिन लोगों ने मृत्युसे भयभीत होकर मुसलमान बनना स्वीकार कर लिया, ऐसे कुछ मुट्ठी भर लोगों को विष्ठा स्वच्छ करने के कार्य में लगा दिया । खिलजी ने भोजशाला सहित हिन्दुओं के अनेक मानबिंदु स्थानों को उद्ध्वस्त किया । उसने वाग्देवी की मूर्ति का भी अंग-भंग किया तथा मालवा राज्य में इस्लामी शासन आरंभ किया ।*

*🚩श्री सरस्वती मंदिर के कुछ भाग का मस्जिद में रूपांतर*

*खिलजी के पश्चात गोरी ने वर्ष 1401 में मालवा राज्य को अपना राज्य घोषित किया तथा सरस्वती मंदिर का कुछ भाग मस्जिद में रूपांतरित कर दिया ।*

*🚩भोजशाला को मस्जिद में बनाने के लिए उसे खंडित करने का प्रयत्न*

*गोरी के पश्चात महमूदशाह खिलजी ने वर्ष 1514 में भोजशाला को खंडित कर वहां मस्जिद बनाने का प्रयत्न किया । महमूदशाह के इस कुकृत्य का राजपूत सरदार मेदनीराय ने प्रबल प्रत्युत्तर दिया । इस प्रत्युत्तर की विशेषता यह थी कि महमूदशाह को चुनौती देने के लिए सरदार मेदनीराय ने मालवा राज्य के वनवासियों को प्रेरित किया । धर्मयुद्ध की प्रेरणा से संगठित वनवासियों की सहायता से मेदनीराय ने महमूदशाह के सहस्रों सैनिकों को मार डाला तथा 900 सैनिकों को बंदी बना लिया । अंततः, इस पराजय से भयभीत महमूदशाह ने गुजरात पलायन किया ।*

*🚩महमूदशाह तो भाग गया; किंतु कमाल मौलाना की मृत्यु के 204 वर्ष पश्चात उसने अपने शासनकाल में, भोजशाला की बाहरी भूमिपर अवैध अधिकार कर वहां पर उसकी कब्र बना दी । यह कब्र आज भी हिन्दुओं के लिए सिरदर्द बनी हुई है । आज इस कब्र के आधारपर देवी सरस्वती के मंदिर को कमाल मौलाना की मस्जिद बनाने का षड्यंत्र रचा जा रहा है ।  प्रत्यक्ष में वर्ष 1310 में कमाल मौलाना की मृत्यु के पश्चात उसे कर्णावती (अहमदाबाद), गुजरात में दफना दिया गया ।*

*🚩हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित कर मंदिर को मस्जिद में रूपांतरित*

*सैकड़ों वर्ष से आरंभ भोजशाला पर आक्रमण के इतिहास में भारत की स्वतंत्रता के पश्चात, 12.5.1997 को एक नया मोड़ आया, जब कांग्रेस के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक अध्यादेश जारी कर अपना हिन्दूद्वेष प्रकट किया । इस अध्यादेश के अनुसार भोजशालाकी सर्व प्रतिमाओं को हटा दिया गया । वहां हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित कर दिया गया । दिग्विजय सिंह का हिन्दूद्वेष इतने पर ही नहीं थमा, उन्होंने भोजशाला को मस्जिद होने की मान्यता दे डाली । उन्होंने, भोजशाला की रक्षा हेतु पराक्रमी हिन्दू राजाओं के और सैनिकों के बलिदान का अनादर करते हुए भोजशाला मुसलमानों को दे डाली । भोजशाला में नमाज पढने की अनुमति देकर उसे भ्रष्ट भी किया गया । इस अध्यादेश से पूर्व भोजशाला में हिन्दुओं की पूजा-अर्चनापर प्रतिबंध था; परंतु प्रवेश की अनुमति थी । यह अनुमति भी इस अध्यादेशद्वारा समाप्त कर दी गई । हिन्दुओं को वर्ष में केवल एक दिन वसंत पंचमीपर विविध प्रतिबंधात्मक नियमों के साथ भोजशाला में प्रवेश की अनुमति दी गई ।*

*🚩वर्ष 2002 में तो हिन्दुओं को वर्ष में एक दिन दी गई भोजशाला प्रवेश की अनुमति में भी बाधा डाली गई । इस वर्ष की वसंत पंचमी समीप आनेपर कमाल मौलाना के जन्मदिन को निमित्त बनाकर भोजशाला में नमाज, कव्वाली और लंगर का आयोजन किया गया । तत्कालीन कांग्रेसी शासनने भी हिन्दुओंपर पहलेसे अधिक कडा नियम बनाकर धर्मांधों को  प्रोत्साहित किया । इस परिवर्तित नियम के अनुसार वसंत पंचमी के दिन हिन्दुओं को दिनके 1 बजेतक ही पूजा-अर्चना करने की तथा मंदिर में अकेले प्रवेश करने की अनुमति दी गई । सबके लिए एक ढोलक, एक ध्वनिक्षेपक और ध्वज भी एक होगा । दोपहर 2 बजे के पश्चात मुसलमानोंका कव्वाली और लंगर का कार्यक्रम आरंभ होगा, यह आदेश प्रशासन ने जारी किया ।*

*🚩संघर्ष करनेवाले हिन्दुओं पर किए गए अगणित अत्याचार*

*हिन्दुओं के धार्मिक अधिकारों का हनन करनेवाले प्रशासनिक आदेशको अमान्य कर सहस्रों हिन्दू भोजशाला में पूजा करने आए । उस दिन राजकीय अवकाश होनेके कारण हिन्दुओंको अपनी न्यायोचित मांगोंके लिए भी कोई मंच उपलब्ध नहीं था । हिन्दूद्वेषी शासकोंके आदेशसे पुलिस कर्मियोंने यज्ञ करने भोजशालामें जानेवाले युगलोंको रोका, गालियां दी तथा महिलाओंके हाथसे पूजाकी थाली छीनकर फेंक दी । हिन्दुओंको धक्के मारकर पीछे ढकेला तथा बिना कोई पूर्वसूचना दिए श्रद्धालुओंपर लाठी प्रहार किया । यह सब सहकर भी हिन्दुओंने कठोर विरोध करते हुए भोजशालामें यज्ञ और सरस्वतीदेवीकी महाआरती पूर्ण की । हिन्दुओंके इस सफल कृत्यसे क्रुद्ध कांग्रेसी राज्यशासनने देवीकी पूजा करनेके अपराधमें 40 कार्यकर्ताओंपर पुलिसकी दैनंदिनीमें असत्य आरोप प्रविष्ट किए । शासनकी इस दमननीतिका प्रत्युत्तर देनेके लिए सहस्रों लोगोंने धार जनपदके सर्व पुलिस थानोंका घेराव कर अपनेआपको बंदी बनवाया । तत्पश्चात, सत्याग्रहके रूपमें प्रत्येक मंगलवारको भोजशालाके बाहर मार्गमें आकर ‘सरस्वती वंदना’ और ‘हनुमान चालीसा पढना’ प्रारंभ किया गया ।*

*🚩संगठन खड़ा करनेवाले धर्माभिमानी हिन्दू*

*कांग्रेसी शासन की दमननीति का अनुभव करनेवाले हिन्दुओं ने किसी भी परिस्थितिमें वर्ष 2003 तक भोजशाला हिन्दुओंके लिए मुक्त करनेके उद्देश्यसे व्यापक जनजागरण कर ‘धर्मरक्षक संगम’ सभा आयोजित करनेका निश्चय किया । इन सभाओंको व्यापक जन समर्थन मिलता देखकर घबराए दिग्विजय सिंह शासनने ‘धर्मरक्षक संगम’को विफल बनानेके लिए प्रयत्न आरंभ कर दिए । कांग्रेसी शासनने अत्यंत निम्नस्तरपर जाकर निम्नानुसार दुष्टताका हथकंडा अपनाकर हिन्दुओंके संगठनमें बाधाएं उपस्थित करनेका प्रयत्न किया –*

*🚩1 शासन ने, इस कार्यक्रम के प्रचार के लिए चिपकाए गए 20 सहस्र भित्ति-पत्रकोंको पुलिसकर्मियोंके हाथों फडवा दिया अथवा उनपर कोलतार पोतवा दिया ।*

*🚩2. वसंत पंचमी समीप आनेपर ही राज्य शासनने ‘ग्राम संपर्क  अभियान’ आरंभ कर उसमें 19 सहस्र हिन्दू राजकीय सेवकों को नियुक्त किया ।*

*🚩3. ‘धर्मरक्षक संगमके कार्यक्रममें उपद्रव एवं बमविस्फोट होंगे’,यह भय फैलाकर लोगों को कार्यक्रम में जाने से रोका ।*

*🚩4. वसंत पंचमीके केवल पांच दिन पूर्व धारस्थित सर्व धर्मशाला, पाठशाला, ‘लॉज’ और बसगाडियोंको अधिगृहीत कर लिया गया तथा निजी वाहनवालोंको धमकाया ।* 

*🚩5. गांवोंमें 5 सहस्र सैनिकोंका पथसंचलन (परेड) करवाकर भयका वातावरण उत्पन्न किया ।*

*🚩6. वसंत पंचमीके दिन राज्यशासनने 16 केंद्रोंमें 32 विभागोंसे संबंधित जनसमस्याओंका निवारण करनेके लिए शिविरोंका आयोजन किया । इस शिविरमें प्रस्तुत की गई सभी समस्याओंका निवारण तुरंत किया, जिन्हें पहले करनेमें अनेक फेरे मारने पडते थे । इसी प्रकार, इस शिविरमें सहस्रों लोगोंको निःशुल्क भोजन दिया ।*

*🚩कांग्रेसी शासन के उपर्युक्त हिंदुद्रोही षड्यंत्र को विफल करते हुए 1 लाख से अधिक हिन्दू धर्माभिमानी ‘धर्मरक्षा संगम’में उपस्थित हुए थे । इस सभामें शासनको चेतावनी दी गई कि वह भोजशालाको हिन्दुओंके लिए प्रतिबंधमुक्त करे । इस आंदोलनकी तीव्रता देखकर तत्कालीन केंद्रीय पर्यटन और सांस्कृतिक मंत्री श्री. जगमोहनने भोजशालाको प्रतिबंधमुक्त करनेके लिए मध्यप्रदेशके मुख्यमंत्रीको पत्र लिखा था । तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंहने इस पत्र को कूड़े के डिब्बे में फेकते हुए भोजशालाको कमाल मौलानाकी मस्जिद घोषित कर वहां पूजा करने जानेवाले हिन्दुओंको कारागृहमें डाल दिया तथा उन्हें जानसे मारनेकी धमकी भी दी । यह शासन इतनेपर ही नहीं रुका; उसने पुलिसबलका प्रयोग कर हिन्दुओंका दमन आरंभ कर दिया । इन सर्व अत्याचारोंमें भी अडिग रहकर हिन्दुओंने संगठित होकर जो संघर्ष किया, उसके परिणामस्वरूप 698 वर्ष पश्चात 8.4.2003 को प्रतिदिन दर्शन और प्रत्येक मंगलवारको केवल अक्षत-पुष्पके साथ भोजशालामें प्रवेशको स्वीकृति दी गई । भोजशाला सरस्वती देवीका मंदिर है, यह शासनने स्वीकार किया । वर्षमें केवल वसंतपंचमीपर कुछ प्रतिबंधोंके साथ पूजा करनेकी अनुमति दी गई । दूसरी ओर मुसलमानोंको प्रति शुक्रवार नमाज पढनेकी अनुमति दी गई, जो आजतक चल रही है ।*

*🚩हिन्दुओं के वसंत पंचमी के उत्सव में नमाज पढ़ने की अनुमति*

*🚩वर्ष 2003 के पश्चात थोडी-थोडी स्वीकृत मांगोंको मानकर हिन्दू भोजशालामें दर्शनके लिए जाने लगे थे । वर्षमें एक ही दिन वसंत पंचमीको उन्हें वास्तविक अर्थोंमें भोजशालामें विधि-विधानसे पूजा-अर्चना करनेकी अनुमति थी । वर्ष 2006 में शुक्रवारको ही वसंत पंचमी आनेके कारण हिन्दुओंने राज्यशासनसे मांग की कि आजके दिन यहां नमाज न पढने दी जाए, केवल हिन्दुओंको पूजाकी अनुमति मिले, जिसे शासनने अमान्य कर दिया । भारतीय जनता पार्टीके मुख्यमंत्री शिवराज सिंहने मुसलमानोंको संतुष्ट रखनेके लिए तथा अपने दलकी धर्मनिरपेक्ष छवि बनानेके लिए भोजशालाकी यज्ञाग्नि बुझाकर मुसलमानोंको नमाज पढनेकी अनुमति दी । भाजपा नेताओंने हिन्दुओंको फुसलाकर भोजशाला खाली करवाई । दूसरी ओर संत और उपस्थित हिन्दुओंपर गोलियां बरसा कर उन्हें वहांसे भगा दिया गया । इस मार-पीटमें 74 हिन्दू गंभीर रूपसे घायल हुए । हिन्दुओंको पीटनेके साथ-साथ 164 हिन्दुओंपर हत्याके प्रयत्न करनेका अपराध भी प्रविष्ट कर दिया । वहीं, मुसलमानोंको पुलिसके वाहनोंमें बैठाकर वहां नमाज पढनेके लिए सब प्रकारसे सहायता की ।*

*🚩सरस्वती देवीको बंदीगृहमें रखनेवाले भाजपाके मुख्यमंत्री !*

*🚩वर्ष 2006 के पश्चात पुनः वर्ष 2011 में  भाजपा शासनका हिन्दूद्वेषी रूप दिखा । राजा भोजकी जन्मशताब्दीपर धारके हिन्दुओंने सरस्वती देवीकी भव्य पालकी यात्रा आयोजित की थी । ‘लंदनके संग्रहालयमें रखी वाग्देवीकी मूर्तिको लाकर भोजशालामें स्थापित करूंगा’, ऐसी गर्जना करनेवाले; किंतु सत्तामदसे उन्मत्त भाजपाने मंदिरमें स्थापित वाग्देवीकी नवीन मूर्तिका अधिग्रहण कर बंदीगृहमें डाल दिया; पालकी यात्राके समारोहपर प्रतिबंध लगा दिया एवं इस समारोहका आयोजन करनेवाले कार्यकर्ताओंको भी कारागृहमें डाल दिया । इन कुकृत्योंका जब हिन्दुओंने तीव्र विरोध किया, तब यह मूर्ति हिन्दुओंको हस्तांतरित कर कार्यकर्ताओं को कारागृह से मुक्त किया गया ।*

*षड्यंत्र में सम्मिलित न होने वाले हिन्दुत्ववादियों को यातनाएं*

*🚩वर्ष 2012 में भाजपा शासनने पुनः वसंत पंचमीके पूर्व वाग्देवीकी मूर्तिको बंदीगृहमें डालकर सरस्वती जन्मोत्सवपर प्रतिबंध लगा दिया । शासनके इस कृत्यका असमर्थन करनेवाले संघ कार्यकर्ताओंके परिजनोंकी दुर्दशा की गई । तब मूर्तिको कारागृहसे मुक्त करनेके तथा जन्मोत्सवके लक्ष्यसे प्रेरित हिन्दुओंने आमरण अनशन प्रारंभ किया । लोकतंत्रद्वारा स्वीकृत अनशनसमान शांतिपूर्ण मार्गसे होनेवाले आंदोलनको भी शासनने कुचल दिया । स्तोत्र : हिन्दू जन जागृति* https://www.hindujagruti.org/hindi/news/1140.html

*🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके ने माँ सरस्वती जी के प्राकट्य स्थल लेने के लिए आवाज उठाई है हिंदुओं को उनका साथ देना चाहिए और हिंदू स्थल को कानूनी तौर से मुक्त करना चाहिए।*

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Saturday, November 23, 2019

मिशनरी स्कूल या पादरी के पास अपने बच्चों को भेजते हैं तो सावधान

23 नवम्बर 2019
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*🚩ईसाई मिशनरियां स्कूल में हिंदू संस्कृति विरोधी गतिविधियां चलाती हैं यह आपने कई बार सुना होगा, उसमें आपके बच्चे न तिलक लगा सकते हैं और ना ही मेंहदी लगा सकते हैं और ना ही पायल पहन सकते हैं और ना ही कोई हिंदू त्यौहार मना सकते हैं फिर भी जो हिंदू माता-पिता अपने बच्चों को मिशनरी स्कूल में भेज रहे हैं समझो अपने बच्चों को मानसिक रूप से अंग्रेज ही बना रहे है, उनके माता-पिता की बुद्धि पर तरस आती है।*
*🚩आपको यहाँ कुछ ताजी घटनाएं बता रहे हैं, उसपर गौर कीजिए फिर अपने बच्चों को मिशनरियां स्कूल में बच्चों को भेजना चाहिए कि नहीं उसका निर्णय स्वयं करिये।*
*🚩लेगिंग्स उतरवा दी:*
*पश्चिम बंगाल के बीरभूम ज़िले में एक मिशनरी स्कूल में पढ़ने वाली छात्राओं की जबरन लेगिंग्स उतरवा दी। यह घटना सोमवार (18 नवंबर) की है, लेकिन मामला सामने तब आया जब अगले दिन मंगलवार को छात्राओं के माता-पिता ने इस घटना के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन किया। उनका कहना है कि वह अपने बच्चों को ठंड से बचाने के लिए लेगिंग्स पहनाते हैं, ऐसे में स्कूल का ऐसा करना बेहद शर्मनाक है। बता दें कि यह स्कूल बोलपुर में स्थित है, जहाँ का तापमान काफ़ी कम रहता है।*
*🚩कुछ अभिभावकों ने शिक़ायत की है कि उनके बच्चों ने लेगिंग्स के नीचे अंडरवियर नहीं पहना था और स्कूल ने उन्हें शर्मिंदा करने का काम किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि सोमवार को पाँच से नौ वर्ष की बच्चियाँ सुबह ठंड होने के कारण लेगिंग्स पहनकर स्कूल गईं थी, लेकिन प्रधानाचार्या और अन्य शिक्षकों ने उनकी ड्रेस से मेल न खाने के कारण लेगिंग्स उतरवा दी। इस घटना पर कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए अभिभावकों ने स्कूल के ख़िलाफ़ शांतिनिकेतन पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज करवाया।*
https://hindi.opindia.com/national/girl-students-forced-to-take-off-leggings-in-bolpur-school-west-bengal/
*🚩सेक्सुअल कंंटेंट खोलने के लिए किया मजबूर:*
*कोयम्बटूर में एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के एक 65 वर्षीय कैथोलिक पादरी एंटनी राज को पुलिस ने गुरुवार (21 नवंबर) को गिरफ़्तार कर लिया। पादरी की गिरफ़्तारी इसलिए हुई क्योंकि उसने कुछ छात्राओं को कथित तौर पर अपने मोबाइल फोन पर सेक्सुअल कंंटेंट (यौन सामग्री) खोलने के लिए मजबूर किया था।*
*🚩कैथोलिक पादरी, जो शहर में एक सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल के कॉरस्पॉण्डेन्ट के रूप में सेवा दे रहा था। पुलिस ने बताया कि मारिया एंटनी राज, जो शहर के गाँधीपुरम में सेंट मैरी हाई स्कूल में कॉरस्पॉण्डेन्ट के तौर पर कार्यरत था, उसने कई बार छात्राओं को अपने मोबाइल फोन पर सेक्सुअल कंटेंट खोलने के लिए मजबूर किया था। उसकी इस हरक़त से क़रीब पाँच छात्राएँ प्रभावित थी।*
*🚩ख़बर के अनुसार, पुलिस उपायुक्त (क़ानून-व्यवस्था) एल बालाजी सरवनन ने बताया कि आरोपित को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। स्त्रोत : ऑप इंडिया*
*🚩धर्मपरिवर्तन से मौत:*
*त्रिपुरा में पबियाछारा के कुम्हारघाट होली क्रॉस स्कूल में जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने से नौवीं कक्षा का एक छात्र परेशान था। इस बात को लेकर स्कूल मैनेजमेंट का उसने विरोध भी किया था। लेकिन उसका विरोध उस पर भारी पड़ा। उसे हॉस्टल में प्रताड़ित किया गया, जिसके कारण जीबीपी अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई। मृतक छात्र की पहचान हैप्पी देबबर्मा के रूप में हुई है।*
https://hindi.opindia.com/national/forceful-conversion-in-christian-school-warden-killed-9th-student-in-tripura
*🚩जय श्रीराम का नारा लगाने पर सस्पेंड*
*झारखंड के जमशेदपुर शहर में बिष्टुपुर के बेल्डीह चर्च स्कूल में मंगलवार को 12वीं के 17 छात्रों के एक ग्रुप ने खेल-खेल में जय श्री राम का नारा स्कूल कैंपस में लगाया। जब इसकी जानकारी प्रिंसिपल एल पीटरसन और अन्य सदस्यों को मिली, तो आनन-फानन में अनुशासन समिति की बैठक बुलाई गई। और नारा लगाने वाले छात्रों को 5 दिन के लिए सस्पेंड कर दिया गया।*
https://www.hindujagruti.org/hindi/news/147085.html
*🚩सिर मुड़वा दिया*
*बिहार थाना क्षेत्र के खंदकपर के संत जोसेफ अकादमी में हिंदी बोलने पर एक छात्र का मुंडन करा दिया । नवमीं के छात्र सन्नी राज के अनुसार स्कूल में अंग्रेजी में ही बात करने का नियम है । इसका पालन न करने पर बच्चों को फाइन देना होता है और पैसे न भर पाने की स्थिति में सिर मुंडवा दिया जाता है ।*
*🚩मेंहदी लगाने पर:*
*कुछ समय पूर्व उत्तरप्रदेश के फतेपुर में मिशनरी स्कूल में छोटी बच्चियां मेंहदी लगाकर पहुँची तो वहाँ के प्रिंसिपल ने बच्चीयों को बुलाकर हाथ में लगी मेंहदी को पत्थरो से रगड़कर निकलवाई जिससे बच्चियां के हाथो में खून खून हो गया और जो बच्चियां राखियां बांधकर आई थी उनकी राखियां कटवा के डस्टबिन में फेक दिया और घण्टों भर धुप में खड़ा रखा ।*
*🚩भारत में आजकल बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ाने का प्रचलन बहुत चल रहा है सभी का कहना है कि बच्चों को कॉन्वेंट स्कूल में भेजो, लेकिन वास्तव में उनके माता-पिता कॉन्वेंट स्कूल का सच नहीं जानते है इसलिए अपने बच्चों को भेजते हैं । कान्वेंट स्कूलों के मामले में एक बात तो साफ तौर पर कही जा सकती है कि "दूर के ढोल सुहावने" ।*
*🚩आपको यहाँ कुछ घटनाएं बताई गई उन पर गौर करिए और आप स्वयं निर्णय लीजिये कि हमारे बच्चों को ईसाई मिशनरियों के स्कूल में पढ़ना चाहिए कि नही?*
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Friday, November 22, 2019

फिनलैंड की हेलसिंकी विश्वविद्यालय ने बीफ पर लगाई रोक,शाकाहार को बढ़ावा

22 नवम्बर 2019
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*🚩विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार मांसाहार का सेवन करना हमारे शरीर के लिए उतना ही नुकसानदायक होता है जितना कि धूम्रपान असर करता है । रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पका हुआ मांस खाने से कैंसर का खतरा बना रहता है ।*
*🚩आपको बता दें कि फिनलैंड में हेलसिंकी विश्वविद्यालय ने अपने कैफेटेरिया से बीफ हटाने का फैसला किया है ! छात्रसंघ द्वारा चलाए जा रहे यूनिसेफ कैफेटेरिया ने ऐलान किया कि वह फरवरी 2020 से अपने दोपहर के भोजन से बीफ को हटा देगा। इसके अलावा सैंडविच और रोल से भी बीफ को हटा दिया जाएगा !*

*🚩यूनिसेफ के अनुसार, बीफ पर रोक लगाने से उसके भोजन से संबंधित कार्बन फुटप्रिंट में 11 प्रतिशत की कमी आएगी, जो सालाना 240,000 किलोग्राम CO2 कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर होता है ! विश्वविद्यालय दिन में लगभग 11,000 लोगों को भोजन परोसता है, जिसमें 15 प्रतिशत मांस परोसा जाता है।*
*🚩यूनिसेफ की व्यापार संचालन निदेशक लीना ने कहा कि यह विचार कर्मचारियों के मन में तब आया जब हम अपने अगले सामाजिक कदम के बारे में सोच रहे थे ! हमें एहसास हुआ कि, यह कार्बन फुटप्रिंट में महत्वपूर्ण कटौती करने का एक तरीका होगा !*
*🚩बीफ को अन्य जानवरों के प्रोटीन जैसे चिकन, पोर्क और साथ में शाकाहारी विकल्पों से बदल दिया जाएगा। हेलसिंकी विश्वविद्यालय के कैफेटेरिया में दिन-प्रतिदिन के संचालन को संभालनेवाली कंपनी यल्वा का लक्ष्य अगले वर्ष के अंत तक शाकाहारी और शाकाहारी भोजन की बिक्री को 50 प्रतिशत से अधिक करना है ! स्रोत : अमर उजाला*
*🚩गौमांस छोड़ने से 5% मौतें हो जाएंगी कम:*
*वर्ल्‍ड इकोनॉमिक फोरम (WEF) ने लोगों को गौमांस छोड़ने की सलाह दी है । उसका कहना है कि इससे न सिर्फ करोड़ों लोगों की जान बचेगी बल्कि ग्रीन हाउस गैस (Green House) उत्‍सर्जन में भी कमी आएगी । फोरम ने यह दावा एक अध्‍ययन के आधार पर किया है । WEF के लिए ऑक्‍सफोर्ड मार्टिन स्‍कूल (Oxford Martin School) ने यह अध्‍ययन कराया था । फोरम का कहना है कि बीन्‍स (फलियां), माइकोप्रोटीन और मटर (Peas) में कहीं अधिक सेहत में सुधार लाने वाले तत्‍व हैं । लाइवस्‍टॉक फार्मिंग से धरती को खतरा बढ़ रहा है ।*
*🚩अध्‍ययन में यह बात सामने आई कि मांस खासकर गौमांस छोड़ने से लोगों की सेहत और पर्यावरण दोनों में सुधार होगा । फोरम का कहना है कि वैश्विक स्‍तर पर जो मौतें हो रही हैं उसका बहुत बड़ा कारण गौमांस का सेवन है । अगर गौमांस का सेवन बंद कर दिया जाए तो इससे वैश्विक स्‍तर पर 2.4% मौतें रुकेंगी । वहीं धनी देशों में, जहां इसे खाने का चलन ज्‍यादा है, करीब 5% मौतें रुकेंगी । अध्‍ययन में गौमांस के बजाय ऐसा आहार लेने की बात कही गई है, जिसमें पर्याप्त प्रोटीन मौजूद हों ।*
*🚩विश्व के लिए वरदानरूप : गौपालन*
*देशी गाय का दूध, दही, घी, गोबर व गोमूत्र सम्पूर्ण मानव-जाति के लिए वरदानरूप हैं । दूध स्मरणशक्तिवर्धक, स्फूर्तिवर्धक, विटामिन्स और रोगप्रतिकारक शक्ति से भरपूर है । घी ओज-तेज प्रदान करता है । इसी प्रकार गोमूत्र कफ व वायु के रोग, पेट व यकृत (लीवर) आदि के रोग, जोड़ों के दर्द, गठिया, चर्मरोग आदि सभी रोगों के लिए एक उत्तम औषधि है । गाय के गोबर में कृमिनाशक शक्ति है । जिस घर में गोबर का लेपन होता है वहाँ हानिकारक जीवाणु प्रवेश नहीं कर सकते । पंचामृत व पंचगव्य का प्रयोग करके असाध्य रोगों से बचा जा सकता है । ये हमारे पाप-ताप भी दूर करते हैं । गाय से बहुमूल्य गोरोचन की प्राप्ति होती है ।*
*🚩देशी गाय के दर्शन एवं स्पर्श से पवित्रता आती है, पापों का नाश होता है । गोधूलि (गाय की चरणरज) का तिलक करने से भाग्य की रेखाएँ बदल जाती हैं । ‘स्कंद पुराण’ में गौ-माता में सर्व तीर्थों और सभी देवताओं का निवास बताया गया है ।*
*🚩गायों को घास देनेवाले का कल्याण होता है । स्वकल्याण चाहनेवाले गृहस्थों को गौ-सेवा अवश्य करनी चाहिए क्योंकि गौ-सेवा में लगे हुए पुरुष को धन-सम्पत्ति, आरोग्य, संतान तथा मनुष्य-जीवन को सुखकर बनानेवाले सम्पूर्ण साधन सहज ही प्राप्त हो जाते हैं ।*
*🚩गौमांस खाने के नुकसान और उसके दूध, दही,घी, मूत्र और गोबर और उसकी उपस्थिति के अनेक लाभ भी देखे तो अब देशवासियों को कुत्तों की जगह देशी गौमाता का पालन करना चाहिए और सरकार को भी गौहत्या पर रोक लगानी चाहिए।*
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