Tuesday, March 19, 2024

दक्षिण में हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे वकीलों की फोज

17 March 2024

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🚩हिंदू मंदिरों को वापस से उनकी सही पहचान दिलाने के लिए आज जहाँ उत्तर भारत में वरिष्ठ वकील हरी शंकर जैन और उनके बेटे विष्णु जैन ने अपनी जी जान लगाई हुई है, तो वहीं दक्षिण में भी हिंदू मंदिरों और देवी-देवताओं की ओर से लड़ाई लड़ने के लिए वकीलों का एक समूह आ खड़ा हुआ है। अयोध्या-काशी के कारण हम पिता-पुत्र की जोड़ी को तो जान गए लेकिन केरल के इन वकीलों को अभी जानना हमारे लिए बाकी है।


🚩हाल में केरल की विभिन्न अदालतों में हिंदू मंदिरों की खोई संपत्ति वापस दिलाने के लिए सैंकड़ों याचिकाएँ दायर की गई। ये याचिका इन्हीं वकीलों की मेहनत का परिणाम है। यही वकील एकजुट होकर हिंदू मंदिरों के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं जिसकी वजह से आज इनकी चर्चा है। द न्यूज मिनट पर तो इन्हें लेकर विस्तार से खबर भी प्रकाशित हुई है।


🚩इस समूह में एक वकील कृष्णा राज भी हैं। उन्हीं के नेतृत्व में हिंदू मंदिरों की जमीन पर अतिक्रण करने वाले लोगों, ट्रस्टों और संगठनों को लक्षित करते हुए 100 केसों को उठाया गया है। इस समूह के प्रयास के चलते ही ईसाई मिशनरी नेटवर्क सेंट फिलोमेना साधु जन संगम को अदालत में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्होंने खुद धोखाधड़ी से कोन्नमकुलंगरा भगवती मंदिर की जमीन खरीदी थी और अब इस समूह के प्रयास ने उन्हें कोर्ट में लाकर खड़ा कर दिया है।


🚩बता दें कि केरल के वकीलों के इस समूह का नेतृत्व करने वाले कृष्णा राज अपने हिंदुत्व विचारधारा के लिए जाने जाते हैं। उनकी टीम में प्रथीश विश्वनाथ जैसे साथी वकील हैं और कुछ अन्य दक्षिणपंथी कार्यकर्ता हैं। इन लोगों ने अपने इस अभियान के लिए SaveDeities नाम का संगठन भी खोला हुआ जिसमें 7 वकीलों का समूह है।


🚩इस संगठन की शुरुआत साल 2018 में की गई थी। इस टीम का हिस्सा- सुप्रीम कोर्ट और केरल हाईकोर्ट के वकील आर कृष्णा राज तो हैं हीं, इनके अलावा केरल हाई कोर्ट के बीएन शिवशंकर, प्रथीस विश्वनाथन, के ए बालन, वकील ई एस सोनी, कुमारी संगीता एस नायर और राजेश वीआर भी हैं। ये सारे वकील इस संगठन से जुड़कर और मिलकर हिंदू मंदिरों को पहचान दिलाने के लिए काम कर रहे हैं।


🚩SaveDeities पर इस बात को भी विस्तार से बताया गया है कि इस समूह ने किन केसों को अदालतों में उठाया है। कहाँ-कहाँ मंदिरों की जमीन पर अवैध अतिक्रमण हो रखा है और कैसे केरल में स्थिति यह है कि सरकार के हस्तक्षेप से राजस्व विभाग के माध्यम से अतिक्रमणकारियों को पट्टायम (खरीद प्रमाण पत्र) और अन्य कानूनी कब्ज़ा/स्वामित्व प्रमाण पत्र जारी करके मंदिर संपत्तियों के अतिक्रमण को वैध बनाया जा रहा है।


🚩यही साइट ये भी बताती है कि इन वकीलों ने इस काम की शुरुआत इसलिए की थी क्योंकि ये केरल राज्य में किसी ने भी अतिक्रमणकारियों को बेदखल करने और मंदिर की संपत्तियों को देवताओं, असली मालिकों को वापस करने के लिए कोई ठोस प्रयास नहीं किया है। ऐसी परिस्थितियों में, ये समूह कब्जे वाले क्षेत्रों से मंदिरों की खोई संपत्ति को बचाने के लिए ऐसे प्रयास कर रहे हैं।


🚩द न्यूज मिनट की रिपोर्ट के अनुसार, वकील कृष्ण राज कहते हैं, “मैं किसी संघ परिवार से जुड़ा नहीं हूँ। कानूनी मामलों में मैं बस उनकी सहायता करता हूँ। मैं गौरवान्वित हिंदू हूँ पर क्षमाप्रार्थी नहीं। मेरा उद्देश्य भगवान की खोई संपत्तियों को पुन: प्राप्त करना है। अकेले मैं इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहा हूँ।”


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Sunday, March 17, 2024

खुला राज, कौन रोक रहा है भारत को शक्तिशाली बनने से...

18 March 2024

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🚩इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया में सेक्युलर लोग भारतीय संस्कृति और देश के खिलाफ जमकर दुष्प्रचार कर रहे हैं । इन दुष्प्रचार के आज की युवा पीढ़ी गुमराह हो रही है, जिसके कारण आजकल वे भी अपने ही संस्कृति, देवी-देवताओं, साधु-संतों और मंदिरों की मजाक उड़ाने लगे हैं ।


🚩सत्यमेव जयते फ़िल्म में भी कुछ ऐसे ही बताया गया है, कुछ युवा चाय के स्टाल पर चाय पीते-पीते अखबार पढ़ रहे थे, उस अख़बार में एक हिन्दू संत के लिए कुछ लिखा था और वे उसे पढ़कर मजाक उड़ाने लगे फिर एक नवयुवक जो हिन्दू संस्कृति को समझता था, उसने उन्हें क्या जवाब दिया है, इसे सुनकर आप भी चौक जाएंगे ।

https://youtu.be/n2AtCrh3YhY?si=NPjH1lVtVaCwYy4A


🚩नवयुवक ने भ्रमित युवकों को बताया कि वैसे भी संतो का काम ही क्या है ? जंगल मे जाकर तपस्या करना, मौन होकर बैठे रहना और ज्यादा से ज्यादा लोगों को उपदेश देना । अगर करना ही है तो हिन्दुओं को लालच देकर दूसरे धर्म मे घसीटो ।

सही काम तो, देश मे अश्लीलता, भ्रष्टाचार, अशांति फैलाकर मल्टीनेशनल कंपनियां भारत को लूट कर रही है । गुलामी तो हम करते ही आए हैं, कभी अंग्रेजो की तो कभी मुगलों की, 

क्या बोलते हो ?  


🚩और हिन्दू संत आशारामजी बापू ने क्या किया ?  

धर्मांतरण पर रोक, वेलेन्टाइन डे पर रोक…, क्रिसमिस डे पर रोक, गौ हत्या पर रोक और बाप रे बाप ! वेस्टर्न कल्चर पर रोक और इतने बड़े-बड़े रिस्की डिसीजन बापू ने अपने दम पर ले लिए । और पता है कि अगर सिस्टम साथ नही देगा तो विधर्मी लोग बापू की संस्था को जीरो मिशन तक पहुँचा सकते हैं । पर बापू तो बापू है ना !


🚩भले ही हिन्दु धर्म व भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए मिट जाएंगे, लेकिन पीछे नहीं हटेंगें 

क्या जरुरत थी बापू को दिन मे दो दो तीन तीन जगहों पर सत्संग करने की ? और वो भी बिना किसी फीस या डोनेशन के ।


🚩आखिर क्या जरुरत थी गुरुकुल खोलने की ? जहाँ आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी मिलते हैं ।


🚩हमारे देश ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तो बहुत विकास किया, लेकिन कोई ये सोचता है कि मेरे भारत का बच्चा-बच्चा चरित्रवान कैसे बनें ? संयमी , सदाचारी और बलवान कैसे बनें ? और दीवाली में बापू कहाँ जाते हैं, पता है ? उन गरीबों,आदिवासियों के बीच जिनको ठीक से खाने की दो वक्त की रोटी, कपड़ा और मकान नहीं ।


🚩अरे भाई जरा समझो, संतो पर आरोप लगाकर जेल में डालना जरुरी है क्योंकि उनके द्वारा विधर्मीयों के मंसूबे नाकाम हो रहे थे । और आखिर भारत में कानून तो सबके लिए एक है ना, देखो बड़े-बड़े लोगों को बेल और संतो को जेल ?  


🚩कुछ नहीं बहुत सारे दोष हैं, उनके ।


🚩1.युवा सेवा संघ खोल दिए, लाखों युवान नशा नहीं करते संयमी जीवन जीते हैं और राष्ट्र भक्त बन रहे हैं, ये कोई कम गुनाह है ?


🚩2. ऋषि प्रसाद पत्रिका द्वारा लोगों को सुखी, स्वस्थ व सम्मानित जीवन की कला सिखाना l


🚩3. बाल संस्कार केन्द्र खोले, जिसमें बच्चों को अच्छे संस्कार मिल रहे हैं ।


🚩4. महिलाओं को आत्मनिर्भऱ व सम्मानित बनाने के लिए महिला उत्थान मंडल खोले, कितना बड़ा गुनाह है ये 

अरे भाई… गुनाहों की लिस्ट तो अभी बाकी है ।


🚩5. कत्लखाने जा रही हजारों गायों को बचाकर गौ पालन करना ।


🚩6 गरीबों को राशन कार्ड देना व भंडारो का आयोजन करना |


🚩7. मुफ्त चिकित्सा सेवाएं देना |


🚩8. 

बाबाओं को संपत्ति की क्या जरुरत थी?

क्या जरुरत थी ? बापू को प्राकृतिक आपदाओं मे अन्न , जल व वस्त्र पहुँचाने की ।

संपत्ति की जरुरत तो धर्मांतरण, नशाखोरी, अश्लीलता, भ्रष्टाचार फैलाने वालो को है ।


🚩इन सब पर रोक लगाने वालों को और इतनी सारी सेवा करने के लिए कहाँ जरुरत है संपत्ति की ?  


🚩पर कौन आशारामजी बापू के पीछे लगा है ?


🚩नंबर 1. जो लोग भारत को फिर से गुलाम बनाना चाहते हैं और अपना धर्म भारत में फैलाना चाहते हैं, ऐसी विदेशी मिशनरियाँ ।


🚩नंबर 2.. हिन्दु धर्म को बदनाम करने वाली – फॉरेन फंडेड मीडिया । 


🚩नंबर 3. मल्टीनेशनल कंपनीज ।


🚩सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का जिसके पास आइडिया है उसी का नाम मीडिया है ।


🚩 और बापू मीडिया वालों को पैसा कहाँ देने वाले थे ? कभी मीडिया में उनके सेवाकार्यो की एक पट्टी भी चलती देखी तुमने ?  


🚩क्या होने वाला है वेलेन्टाइन डे की जगह मातृ-पितृ पूजन दिवस, क्रिसमस डे को तुलसी पूजन दिवस मनाने से ?  

और ये विश्वगुरु भारत और सबका मंगल, सबका भला से क्या होने वाला है ?  


🚩कुछ नही ।

नहीं चाहिए हमें स्वस्थ, सुखी और सम्मानित भारत, नहीं चाहिए हमें शिवाजी, महाराणा प्रताप, भगत सिंह, झाँसी की रानी जैसे वीर देशभक्त ?

नहीं चाहिए हमें ऐसे संत जो भारतीय संस्कृति का डंका पूरे विश्व में बजाते हैं । 


🚩तो फिर करते रहो गुलामी, बँटते रहो धर्म के नाम पर ।

अरे मेरे बाप… एक बार नही सौ बार कहता हूँ, वर्तमान में हिन्दु धर्म को बचाने वाले अगर कोई हैं तो सिर्फ बापू जैसे संत ही हैं । इसलिए करोड़ों रुपए खर्च करके बापू आसारामजी के ऊपर गंदा आरोप लगवाकर उन्हें जेल में डलवाया । अरे मेरे भाई… अब तो समझो अगर बापू को इसी तरह जेल रखा गया तो भारतीय संस्कृति और हिन्दु धर्म की रक्षा कौन करेगा ? फिर हमारे देश में घोर अपराध बढ़ते जायेंगें । और फिर ये देश कभी विश्वगुरु नही बन पायेगा ।


🚩सच कहता हूँ अगर जल्दी बापू जी बाहर नही आए तो आने वाले 100-200 साल तक ये लड़ाई लड़नेवाला और कोई नही होगा । फिर करते रहना 

मेरा भारत महान । मेरा भारत महान ।


🚩फिर बापू आसरामजी जेल में है क्यों हैं ?  


🚩बापू जी जेल में हैं क्योंकि वो एक हिंदु संत हैं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो सनातन धर्म व संस्कृति के लिए लड़ते हैं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो राष्ट्र को मानते हैं राजनेता को नहीं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि वो धर्म को मानते हैं धर्मांतरण को नहीं ।


🚩बापू जेल में है क्योंकि हम निष्क्रिय हैं ।

बापू जेल में है क्योंकि बापूजी निर्दोष हैं ,अगर दोषी होते तो वो बाहर होते।

प्रशासन निर्दोष, मीडिया निर्दोष, नेता निर्दोष, न्यायालय निर्दोष, अपने आपको निर्दोष कहने वाले ये लोग निर्दोष है कि नहीं ये मैं नही जानता पर बापू जी निर्दोष थे , हैं व रहेंगें ।


🚩लोग उनकों क्यो मानते हैं ?  

किसी की श्रद्धा का प्रमाण न्यायालय या मीडिया नहीं हो सकती है । उसका स्वंय का अनुभव होता है ।  

जरा सोचो इतना सब होने पर भी बापू के करोड़ों भक्तों का विश्वास अभी भी कायम है । अरे कुछ तो होगा उनके पास ?


🚩इतना सामर्थ्य होने पर बापू जी बाहर क्यों नहीं आते ?  

कौन कहता है कि बापू आसारामजी जेल में हैं । जेल में तो हमारे देश कि अस्मिता, संस्कृति, धर्म है । और सामर्थ्य का उपयोग संत अपने लिए थोड़े ही ना करते हैं ? जैसे जगदगुरु शंकराचार्य की माँ की अंत्येष्ठी के लिए उनके गाँववालों ने लकड़ी तक नहीं दी । तुकारामजी महाराज सामर्थ्यवान होते हुए भी कीर्तन में पत्थर के झाँझ का उपयोग करते थे । ऐसे ही संत ज्ञानेश्वर, बुद्ध भगवान आदि भी थे । अरे… कबीर जी को भी जेल जाना पड़ा था । और तो और संत तो क्या भगवान होते हुए भी श्री रामजी नागपाश में बंध गये थे । वाह … वाह री दुनिया … वाह री दुनिया को लोगों… संतों ने तुम्हें क्या दिया और संतों को तुम क्या दे रहे हो । 


🚩शंकाचार्यजी को भी झूठे आरोप में फँसाया फिर वो निर्दोष बरी हुए साध्वी प्रज्ञा , स्वामी असीमानंद को भी निर्दोष बरी किया गया । ऐसे ही बापू जी को फँसाया गया है । वे भी अवश्य निर्दोष बरी होगे । और याद रखो, चाहे जो हो जाये पर भारत विश्व गुरु बनकर ही रहेगा । I Support Asharamji Bapu


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Friday, March 15, 2024

नेपाल में हिन्दू राष्ट्र के लिए तेज हुआ आंदोलन

16 March 2024

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🚩नए-नवेले वामपंथी बने नेपाल को एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग जोर पकड़ने लगी है। यहाँ की जनता पुराने राजतंत्र को याद कर रही है। प्रदर्शनकारियों के कई समूह एक बार फिर से पुराने समय को लाने का संकल्प ले रहे हैं। नेपाल की अधिकतर जनता भी इन प्रदर्शनकरियों के साथ खड़ी दिख रही है। लोगों का मानना है कि वर्तमान समय में भ्र्ष्टाचार और कुव्यवस्था का बोलबोला है जिसे फ़ौरन बदलने की जरूरत है। हिन्दूराष्ट्र बनाने के लिए साल 2023 से शुरू हुए और अब जोर पकड़ चुके इस आंदोलन में नेपाल का हर वर्ग भागीदारी कर रहा है जिसमें व्यापारी, छात्र, नेता और यहाँ तक कि सरकारी कर्मचारी भी शामिल हैं।


🚩मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बहुत ही कम समय में नेपाली जनता वहाँ की राजनैतिक पार्टियों और नेताओं से ऊब चुकी है। इन नेताओं ने देश की सत्ता तमाम झूठे वादे कर के हासिल की थी। इसमें शिक्षा, भ्र्ष्टाचार मुक्त शासन, बेरोजगारी, बेहतर स्वास्थ्य और सर्वांगीण विकास जैसे वादे शामिल थे। हालाँकि डेढ़ दशक से अधिक समय बीत जाने पर उनमें से किसी भी वादे पर लोगों ने अपने नेताओं को खरा उतरते नहीं देखा। उल्टे अब लोग इन नेताओं की खोखली बातों और भ्रष्टाचार आदि से तंग आ चुके हैं। अब एक बार फिर से हिन्दू राष्ट्र की माँग को ले कर वहाँ की जनता आंदोलित है।


🚩16 साल पहले तक नेपाल में राजशाही रही थी। तब ज्ञानेंद्र सिंह देश की सर्वोच्च सत्ता हुआ करते थे। देश में मची उथल-पुथल के दौरान उन्होंने सरकार को भंग कर दिया था और कई राजनेताओं को पत्रकारों सहित जेल भेज दिया था। देश में मिलिट्री शासन भी लगा दिया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में खून-खराबा हुआ था। आखिरकार ज्ञानेंद्र सिंह ने कदम पीछे खींच लिए थे और यहीं से नेपाल में कथित लोकतंत्र की शुरुआत हुई थी। साल 2008 में हुए इस बदलाव के बाद से अब तक नेपाल में 13 सरकारें बन चुकी हैं।


🚩हालाँकि, ये सरकारें जन-अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरीं। उलटे अब लोगों को सत्ता की ताकत से तंग भी किया जा रहा है। राजधानी काठमांडू में हिन्दूराष्ट्र के समर्थन में एक बड़ा प्रदर्शन हु। तब हजारों लोगों के इस प्रदर्शन में शामिल रुद्रराज ने मीडिया से कहा था कि नेपाल में हुए बदलाव से लोग अपने पारम्परिक मूल्यों को खोते जा रहे हैं। इस प्रदर्शन में लोग हाथों में नेपाल का झंडा और राजा ज्ञानेंद्र की तस्वीरें ले कर चल रहे थे। हालाँकि नेपाल की सबसे बड़ी राजनैतिक पार्टी नेपाली कॉन्ग्रेस के नेता नारायण प्रकाश सऊद ने देश के फिर से हिन्दूराष्ट्र और राजतन्त्र जैसी संभावनाओं से इंकार किया है।


🚩ऑपइंडिया ने पूरे नेपाल में हिंदूवादी मूवमेंट चला रही हिन्दू सम्राट सेना के केंद्रीय अध्यक्ष राजेश कुमार यादव से बात की। उन्होंने हमें बताया कि हिन्दुओं को आपस में वामपंथी और दक्षिणपंथी के मुद्दों पर उलझा कर चीनियों और इस्लामी ताकतों ने अपना उल्लू सीधा किया है। राजेश ने हमें आगे बताया कि अब एक बार फिर से नेपाल को हिन्दूराष्ट्र बनाने की माँग शुरू हो चुकी है तो इसे अंजाम तक लाया जाएगा। वहीं नेपाल के ही कृष्ण कुमार ने ऑपइंडिया से बातचीत में बताया कि जब साल 2008 में नेपाल का नया संविधान बना था तब लोग जागरूक नहीं थे और भाईचारे के नशे में थे। कृष्ण कुमार का कहना है कि अब लोगों ने कथित भाईचारे का खुमार उतर चुका है क्योंकि वो आए दिन हमलों के शिकार हो रहे है।


🚩साल 2022 में ऑपइंडिया ने भारत की सीमा से लगने वाले नेपाल के दाँग और कपिलवस्तु जिलों का दौरा किया था। इस दौरान पता इस बात का खुलासा हुआ था कि न सिर्फ भारत बल्कि नेपाल की तरफ के भी कई सीमावर्ती गाँव और शहर मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं। हालात ऐसे मिले कि कुछ गाँवों में प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए हिन्दू प्रत्याशी ही नहीं खड़े हुए थे। इसके अलावा सीमा के दोनों तरफ सैकड़ों की तादाद में दरगाहें, मस्जिदें और अन्य इबादतगाहें बना ली गईं थीं। हालाँकि जाँच के बाद भारत की सीमा पर बने तमाम अवैध मदरसों को बंद करने का आदेश दिया गया है। तब खुद नेपाल के तत्कालीन सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने हालत को विस्फोटक जैसा बताते भारत और नेपाल दोनों को सीमावर्ती क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत बताई थी।


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Thursday, March 14, 2024

चार युग के नाम और उसके महत्व क्या हैं ?

15 March 2024

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🚩हिंदू धर्म में, समय को चार युगों में विभाजित किया गया है: सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, और कलियुग। इन युगों को उनके गुणों के आधार पर व


र्गीकृत किया जाता है, जो कि सत्व, रज, और तम हैं। सत्व गुण का अर्थ है शुद्धता, ज्ञान, और सत्यता। रज गुण का अर्थ है गतिशीलता, कर्म, और इच्छा। तम गुण का अर्थ है अज्ञान, मूर्खता, और अंधकार।


🚩सतयुग


🚩सतयुग को सबसे अच्छा युग माना जाता है। इस युग में, लोग सतोगुणी होते हैं। वे ज्ञानी, धर्मी, और ईश्वर भक्त होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार होता है, और लोग शांति और समृद्धि में रहते हैं।


🚩सतयुग की अवधि 17,28,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 100,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 32 हाथ लंबे होते हैं।


🚩सतयुग के अवतार: मत्स्य, कूर्म, वाराह, नृसिंह


🚩त्रेतायुग


🚩त्रेतायुग सतयुग के बाद आता है। इस युग में, सतोगुण रजगुण में बदल जाता है। लोग रजगुणी होते हैं। वे कर्मशील और इच्छाशील होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार कम होता जाता है, और अधर्म का प्रसार होता है।


🚩त्रेतायुग की अवधि 12,96,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 10,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर थोड़ा कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 21 हाथ लंबे होते हैं।


🚩त्रेतायुग के अवतार: वामन, परशुराम, राम


🚩द्वापरयुग


🚩द्वापरयुग त्रेतायुग के बाद आता है। इस युग में, रजगुण तमगुण में बदल जाता है। लोग तमगुणी होते हैं। वे अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार और भी कम होता जाता है, और अधर्म का प्रसार होता रहता है।


🚩द्वापरयुग की अवधि 8,64,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 1,000 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर और भी कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 11 हाथ लंबे होते हैं।


🚩द्वापरयुग के अवतार: कृष्ण


🚩कलियुग


🚩कलियुग द्वापरयुग के बाद आता है। इस युग में, तमगुण पूर्ण रूप से प्रबल हो जाता है। लोग पूर्ण रूप से अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होते हैं। इस युग में, धर्म का प्रसार बहुत कम होता है, और अधर्म का प्रसार चरम पर होता है।


🚩कलियुग की अवधि 4,32,000 वर्ष है। इस युग में, मनुष्य की आयु 100 वर्ष होती है। मनुष्य का शरीर और भी कम मजबूत और स्वस्थ होता है। वे 7 हाथ लंबे होते हैं।


🚩कलियुग के अवतार: कल्कि


🚩चारों युगों के लक्षण


🚩चारों युगों को उनके गुणों के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इन युगों के लक्षण इस प्रकार हैं:


🚩सतयुग


🚩सतोगुण का प्रबल होना

धर्म का प्रसार

शांति और समृद्धि

लोगों का ज्ञानी, धर्मी, और ईश्वर भक्त होना

लोगों का लंबा जीवन

लोगों का मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩त्रेतायुग


🚩रजगुण का प्रबल होना

धर्म का कुछ कम प्रसार

अधर्म का प्रसार

लोगों का कर्मशील और इच्छाशील होना

लोगों का थोड़ा कम लंबा जीवन

लोगों का थोड़ा कम मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩द्वापरयुग


🚩तमगुण का प्रबल होना

धर्म का और भी कम प्रसार

अधर्म का और भी अधिक प्रसार

लोगों का अज्ञानी, मूर्ख और स्वार्थी होना


🚩लोगों का और भी कम लंबा जीवन

लोगों का और भी कम मजबूत और स्वस्थ शरीर


🚩कलियुग


🚩तमगुण का पूर्ण रूप से प्रबल होना

धर्म का बहुत कम प्रसार

अधर्म का चरम पर प्रसार

लोगों का पूर्ण रूप से अज्ञानी, मूर्ख, और स्वार्थी होना

लोगों का बहुत कम लंबा जीवन

लोगों का बहुत कम मजबूत और स्वस्थ शरीर

चारों युगों का क्रम


🚩चारों युगों का क्रम इस प्रकार है:


🚩सतयुग → त्रेतायुग → द्वापरयुग → कलियुग


🚩चारों युगों को मिलाकर एक महायुग कहा जाता है। एक महायुग की अवधि 43,20,000 वर्ष है। कलियुग के अंत में महायुग का अंत हो जाता है, और नए सिरे से सतयुग की शुरुआत होती है।


🚩हिंदू धर्म में, यह माना जाता है कि हम वर्तमान में कलियुग में हैं। कलियुग की शुरुआत लगभग 5,122 वर्ष पहले हुई थी। यह माना जाता है कि कलियुग लगभग 4,27,000 वर्ष और चलेगा।


🚩कलियुग के अंत में, कल्कि अवतार लेंगे। कल्कि अवतार भगवान विष्णु का अंतिम अवतार होगा। वह अधर्म का नाश करेंगे और धर्म की स्थापना करेंगे। कल्कि अवतार के बाद नए सिरे से सतयुग की शुरुआत होगी।


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Wednesday, March 13, 2024

मिशनरी की मज़बूरी का फायदा उठाने की कला बड़ी अद्भुत हैं....

14 March 2024

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🚩24 मार्च 2015 को पोप फ्रांसिस ने ट्वीट किया था- ‘आपदा कन्वर्जन का आह्वान है।’

🚩अप्रैल 2015 में नेपाल में बहुत बड़ा भूकम्प आया, लाखों लोग बेघर हो गए, नेपाली गांव रिचेट भी सबसे पहले चर्च का पुनर्निर्माण हुआ. राहत शिविरों में बड़ी संख्या में हिन्दूओं को ईसाई बनाया गया।

 पूरी दुनिया ने सहायता के नाम पर दवाइयां, भोजन सामग्री, तिरपाल, नमक, चीनी व कम्बल आदि भेजे. सहायता करने वालों में भारतीय सबसे आगे थे. उन्होंने बिना भेदभाव के सहायता की. कैथोलिक मिशनरियों ने बड़ी संख्या में बाइबल भेजी, मिशनरी का सेवा भाव केवल दिखावा है जबकि वह मरते हुए इंसान को भी ईसाई बनाने मे विश्वास करते है। नेपाल मे लोग मर रहे है और मिशनरी के लोग इस को एक मौके के रूप मे देख रहे है. उन का मानना है कि मरते हुए आदमी की हेल्प कर के लोगो को आसानी से ईसाई बना सकते है। नेपाल के भूकंप पीडि़तों में बांटने के लिए 1 लाख बाइबल लायी गयी।


🚩नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला ने ईसाई मिशनरियों कहा है कि मैं आपसे आग्रह करता हूं कि उठें और वास्तव में कुछ करें। हमें अपने लोगों को बचाने के लिए राशन, पानी और टेंट चाहिए बाइबल की हमे कोई जरुरत नहीं हैं बिना किसी शर्म के बहुत से ईसाई नेपाल के भयंकर भूकम्प को एक मौका मानकर उसका उत्सव मना रहे हैं। वे मौत और तबाही में फायदा देख रहे हैं। जब बर्बादी के घाव ताजा हैं, तब ‘रिलीजन’ के व्यापारी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतर आये हैं और ईसाइयत बेच रहे हैं। अनेक ईसाई मिशनरी इस विपत्ति का पैसा उगाहने के लिए दोहन कर रहे हैं। पैसा, जो पीडि़तों के दुख दूर करने के स्थान पर नेपालियों तक जीसस का ‘शुभ समाचार’ पहुंचाने में खर्च किया जायेगाा. जब नेपाल में धरती हिली तो सोशल मीडिया में भी हलचल मची। सारी दुनिया में मानवीय संवदनाएं उमड़ रही थीं। परन्तु मिशनरियों का मजहबी उन्माद भी चरम पर था।


🚩अमरीकी पास्टर टोनी मिआनो ने नेपालियों के घावों पर नमक छिड़कते हुए ट्वीट किया- ‘नेपाल के मृतकों के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। प्रार्थना कर रहा हूं कि एक भी ध्वस्त मंदिर दोबारा नहीं बनाया जाए और लोग जीसस को स्वीकार करें।’ अनेक हिन्दुओं ने इस पर आपत्ति जताई, तो टोनी ने दूसरा ट्वीट किया-‘मुझे फर्क नहीं पड़ता।


🚩जोशुआ एग्वीलर ने ट्वीट किया-‘1400 सोल्स मारी जा चुकी हैं, और ऊपर जा रही हैं। सोचता हूं उनमें से कितनों ने गॉस्पेल सुनी होगी।’ 

ब्रायन ई़फ्रेजर का ट्वीट था-‘नेपाल में 7. 8 तीव्रता का भयंकर भूकंप आया। जीसस के शीघ्र लौटने के चिन्ह दिखाई दे रहे हैं।’


🚩क्रिस चौडविक ने लिखा-‘नेपाल के लिए प्रार्थना कर रहा हूं कि यह आपदा लोगों के लिए गॉस्पेल स्वीकार करने का दरवाजा बने।’


🚩जेसन साइक्स ने लिखा-‘नेपाल के लिए प्रार्थना कर रहा हूं। आशा करता हूं कि काटने के लिए फसल तैयार मिले।’ इस आपदा के कारण नेपाल के दरवाजे क्राइस्ट के लिए खुल जाएं।’


🚩नेपाल में बात बाइबिल और क्रॉस बांटने तक सीमित रहने वाली नहीं है। जब कन्वर्जन करना हो तो उसके लिए व्यक्ति की परंपरा से चली आ रही आस्था को भी खंडित करना आवश्यक होता है, तभी उसे फुसलाया जा सकता है। इसके लिए मिशनरी हिन्दू देवी-देवताओं के प्रति घृणा फैलाने वाला मुड़े-तुड़े तथ्यों और फरेब से भरा साहित्य स्थानीय भाषाओं में छापकर बांटतें हैं। छोटे-छोटे समूहों में ‘अविश्वासियो’ को ये साहित्य पढ़कर सुनाया जाता है।


🚩1990 के दशक में नेपाल में इसाइयों की आबादी मात्र 20 हजार बताई गई थी, वहीं अब इन वर्षो में यह आबादी बढ़ कर 7 फीसदी यानी 21 लाख से अधिक हो गई है. पिछले 20 सालों में नेपाल में इसाई मिशपरियों का जाल बहुत तेजी से फैला है यह बीमारी नेपाल के तमाम अंचलों में तेजी से फैल गई हैं. नेपाल के बुटवल में कई चर्च बन चुके हैं,इसके अलावा नारायण घाट से बीरगंज के बीच कोपवा, मोतीपुर, आदि में हजारों लोगों ने इसाई धर्म स्वीकर कर छोटे छोटे चर्च स्थापित कर लिए हैं.,जो अपना धार्मिक कारोबार इतना तेजी से विकसित कर रहे है कि आने वाले समय में नेपाल तो होगा किन्तु नेपाल का कुछ नहीं होगा।


🚩भारत में कैथोलिक चर्चों के पास अति विशाल भूमि है, विदेशी कैथोलिक उद्योगपति द्वारा दान भी बहुत अधिक है, इनका उपयोग मिडिया और शासन/ प्रशासन को नियंत्रण में किया जाता है,इसलिए इनके विरूद्ध मिडिया चुप है और शासन/ प्रशासन अन्धा बहरा, इसलिए प्रत्येक हिन्दू का कर्त्तव्य है कि मिशनरी के मकडजाल से सावधान रहे, दूसरों को भी सावधान करे, इस वहम में ना रहें कि

कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी,

अफगानिस्तान तक थी बस्ती कभी तुम्हारी।


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Tuesday, March 12, 2024

Oppenheimer : इस्लाम या ईसाइयत का अपमान करने वालों को सम्मानित करने की हिम्मत होती?

13 March 2024

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🚩कहा गया है – ‘अति सर्वत्र वर्जयेत्’, अर्थात कुछ भी जब बहुत ज़्यादा हो जाता है तो हानिकारक ही होता है। उदाहरण के लिए, बारिश फसलों के लिए लाभदायक है लेकिन अतिवृष्टि नहीं। इसी तरह, आजकल कुछ लोग कुछ ज़्यादा ही ‘जागरूक’ हो गए हैं। इतने ‘जागरूक’ कि किसी फिल्म में अश्वेत व्यक्ति को अच्छा दिखा दिया गया तो अवॉर्ड देने के मामले में अच्छी कहानी, निर्देशन और अभिनय वाली फिल्मों के ऊपर उसे तरजीह दे दी जाती है। इतने ‘जागरूक’, कि विमान में घूमने और फाइव स्टार होटल में रुकने वाले पर्यावरण पर ज्ञान बाँटते हैं और पूरी जनसंख्या को गाली देते हैं।


🚩ऐसे ही लोगों के कारण आज ‘Woke’ शब्द गाली बन गया है। इसका ताज़ा इस्तेमाल दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क ने किया है। पहले इसकी पृष्ठभूमि समझते हैं। असल में रविवार (10 मार्च, 2024) को 96वें एकेडमी अवॉर्ड्स का आयोजन हुआ, जिसमें परमाणु बम के जनक रॉबर्ट ओपेनहाइमर के जीवन पर आधारित फिल्म ‘Oppenheimer’ को 7 पुरस्कारों से नवाजा गया। इसे कुल 13 नॉमिनेशन प्राप्त हुए थे। क्रिस्टोफर नोलन की ये फिल्म खासी विवादित रही थी।


🚩एलन मस्क ने ऑस्कर अवॉर्ड्स की आलोचना की है। उन्होंने अपने मालिकाना हक़ वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “आजकल ऑस्कर जितने का मतलब है कि आपने वोक प्रतियोगिता जीत ली।” उनके कहने का अर्थ था कि जिस फिल्म में Wokism का जितना ज्यादा छौंक होगा, बाकी चीजों को नज़रअंदाज़ कर उसे अवॉर्ड मिलने की संभावना उतनी बढ़ जाएगी। वास्तविक मुद्दों से हट कर बनावटी मुद्दों को बढ़ा-चढ़ा कर प्रदर्शित करना ही तो Woke होने की निशानी है।


🚩एलन मस्क ने ऑस्कर समारोह पर साधा निशाना


🚩एलन मस्क ने कहा कि जब किसी पुरस्कार को कमजोर कर दिया जाता है तो हर कोई, यहाँ तक कि इसे जीतने वाले भी जानते हैं कि अब ये सम्मान का पात्र नहीं रह गया है। ऑस्कर हॉलीवुड ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के फ़िल्मी समाज के लिए सबसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड माना जाता रहा है लेकिन हाल के कुछ वर्षों में इसकी गरिमा धूमिल हुई है। ‘Moonlight’ जैसी बोरिंग फिल्मों को अवॉर्ड मिलने के बाद इस पर तेज़ बहस शुरू हुई। सेक्सुअल ओरिएंटेशन, अश्वेत और क्लाइमेट चेंज जैसे मुद्दों का हौव्वा बना दिया गया।


🚩विवादों में रही थी फिल्म ‘Oppenheimer’


🚩फिल्म ‘Oppenheimer’ काफी विवादों में रही थी। द्वितीय विश्वयुद्ध के समय ‘मैनहटन प्रोजेक्ट’ के तहत विकसित किए गए ‘लॉस एलामोस लेबोरेटरी’ के डायरेक्टर अमेरिकी फिजिसिस्ट रॉबर्ट ओपेनहाइमर ने जो परमाणु बम बनाया था, उसका ही इस्तेमाल कर के अमेरिका ने जापान में तबाही मचाई थी। जब दुनिया का पहला परमाणु ब्लास्ट सफल रहा था तब रॉबर्ट ओपेनहाइमर के मन में हिन्दू धर्मग्रंथ भगवद्गीता के शब्द गूँजे थे – “अब मैं मृत्यु बन गया हूँ, संसारों का विध्वंस करने वाला।”


🚩फिल्म में इस अंश को जिस तरह से प्रदर्शित किया गया, उस पर लोगों ने आपत्ति जताई। फिल्म में एक सेक्स वाले दृश्य में दिखाया गया है कि अभिनेता लड़की को भगवद्गीता पढ़ने के लिए देता है। युवती पूछती है कि ये क्या है? इस पर वो बताता है कि ये संस्कृत में है। इसके बाद वो इसे पढ़ने के लिए कहता है। इसके बाद वो ग्रन्थ का वो हिस्सा पढ़ती है, जिसमें भगवान श्रीकृष्ण अपने विष्णु के रूप में अर्जुन को अपना विकराल स्वरूप दिखाते हैं। इसके बाद अभिनेता युवती को आगे पढ़ने के लिए कहता है।


🚩इस दृश्य में अभिनेता और अभिनेत्री, दोनों ही बिस्तर पर नंगे हैं। युवती को पूरी तरह न्यूड दिखाया गया है और उसके स्तन पर्दे पर दिख रहे होते हैं। आगे वो भगवद्गीता का वो श्लोक पढ़ती है, जिसे रॉबर्ट ओपेनहाइमर दोहराया करते थे। इतिहास में ऐसा कहीं नहीं लिखा कि सेक्स करते समय वो गीता पढ़ते थे। एक सेक्स सीन घुसा कर उसमें भगवद्गीता को दिखाना कहाँ तक उचित था? क्या इन्हीं चीजों के लिए ‘Oppenheimer’ को सम्मानित किया गया है?


🚩भरे समारोह में मंच पर नंगे जॉन सीना: ऑस्कर में Wokism


🚩2024 के ऑस्कर समारोह में एक और नज़ारा देखने को मिला। WWE के रेसलर जॉन सीना बेस्ट कॉस्ट्यूम का अवॉर्ड देने के लिए मंच पर पहुँचे। इस दौरान वो पूरी तरह नग्न थे। उन्होंने एक कार्डबोर्ड से अपने प्राइवेट पार्ट को ढँक रखा था। इस दौरान हँसी-मजाक भी चलता रहा। क्या कपड़े उतार देना ही जागरूक होने की निशानी है? खुले मंच पर नंगा हो जाना ही अगर जागरूकता है तो फिर कपड़ों की ज़रूरत ही नहीं है। अजीबोगरीब हरकतों को सामान्य साबित करने की प्रक्रिया ही तो Wokism है।


🚩यही कारण है कि एलन मस्क ने इस पुरस्कार समारोह पर निशाना साधा है। लोग अब उन्हें सलाह दे रहे हैं कि वो एकेडमी अवॉर्ड्स को भी ट्विटर की तरह खरीद लें और उसमें सुधार करें। हिन्दू धर्मग्रंथ का अपमान करने वाली फिल्म को जिस तरह से अवॉर्ड दिया गया है, उसके बाद ये सवाल उठना लाजिमी है कि क्या इस्लाम या ईसाइयत का अपमान करने वालों को सम्मानित करने की इनकी हिम्मत होती? अगर यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में ऑस्कर का और भी बुरा हाल होगा।


🚩भारत में बॉलीवुड भी इन्हीं चीजों से प्रेरणा लेता है। अमेरिकी फिल्मों में जिन चीजों को बढ़ावा दिया जाता है, बॉलीवुड उसकी नक़ल करता है। फिल्मों में पार्टी-पब कल्चर को दिखाना हो, पारिवारिक मूल्यों के खिलाफ युवाओं को भड़काना हो, दारू-शराब-सिगरेट की लत को बढ़ावा देना हो, सेक्स-हिंसा के दृश्यों का महिमामंडन करना हो या फिर व्यभिचार को सामान्य बताना हो – बॉलीवुड हर मामले में इसी नक्शेकदम पर चलता दिखता है। यहाँ के अवॉर्ड समारोहों में भी वही फूहड़ता आ रही है।


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Monday, March 11, 2024

होली आने वाली है, अभी से दो कार्य जरूर कर लें, रहेगें स्वस्थ, मिलेगा रोजगार.....

12 March 2024

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🚩हर साल की तरह इस बार भी मीडिया में डिबेट चलने की संभावना है, कि होलिका दहन लकड़ियों से करने पर वातावरण प्रदूषित होगा, धुलेंडी खेलने पर पानी का बिगाड़ होगा आदि आदि….. जैसे हर त्योहार पर अपना अधूरा ज्ञान बांटने लग जाते हैं।


🚩हमारे ऋषि-मुनियों ने जो भी त्यौहार बनाए हैं , वो आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी बड़े ही सार्थक होते हैं। ऐसे ही कोई कपोल-कल्पित त्यौहार हमारी संस्कृति में समाविष्ट नहीं किए गए, बल्कि उसके पीछे कई गूढ़ रहस्य छुपे होते हैं।


🚩होलिका दहन के पीछे का वैज्ञानिक महत्व :


🚩बसंत ऋतु में जब प्रकृति में ऋतु परिवर्तन होता है तो शरीर में कफ पिघलकर जठराग्नि में आता है , जिसके कारण अनेक बीमारियां होती हैं । उससे बचाने के लिए होलिकोत्सव को निमित्त बनाकर हमारे ऋषियों ने होलिका दहन की परम्परा चलायी। होलिका की तपन से कफ जल्दी पिघल कर नष्ट हो जाता है और दूसरे दिन कूद-फांद कर धुलेंडी खेलने से कफ निकल जाता है।


🚩फलतः अनेक भयंकर बीमारियों से रक्षा होती है ।


🚩होली अपने में आध्यात्मिक महत्व भी संजोए हुए है। जो संदेश देती है कि भग्वद् आश्रय रहने वाला भक्त हमेशा विजयी होता है, चाहे कोई कितना भी उसका अनिष्ट करने की चेष्टा करे, उसे तनिक भी हानि नहीं पहुँचा सकता ।


🚩प्राचीनकाल में होलिका दहन गाय के गोबर के कण्डों से किया जाता था। जिससे हवामान शुद्ध सात्विक होकर पुष्टिप्रद बन जाता है और जाने अनजाने कितने ही हानिकारक जीवाणु- किटाणु नष्ट हो जाते हैं । इसका आर्थिक महत्व भी है । इस प्रकार होलिका दहन से गौरक्षा के साथ ही साथ गरीबों को रोजगार भी मिलता है ।


🚩प्राचीनकाल में धुलेंडी पलाश (केसूड़े) के फूलों के रंग से खेली जाती थी , जिससे शरीर ग्रीष्म ॠतु के कुप्रभावों को झेलने में सक्षम होकर गर्मी के कारण होने वाले रोगों से बच जाता था।


🚩गोबर से कण्डों से होली जलाने के फायदे:-


🚩एक गाय रोज करीब 10 किलो गोबर देती है । 10.. किलो गोबर को सुखाकर 5 कंडे बनाए जा सकते हैं ।

एक कंडे की कीमत 10 रुपए रख सकते हैं । इसमें 2 रुपए कंडे बनाने वाले को, 2 रुपए ट्रांसपोर्टर को और 6 रुपए गौशाला को मिल सकते है । यदि किसी एक शहर में होली पर 10 लाख कंडे भी जलाए जाते हैं तो 1 करोड़ रुपए कमाए जा सकते हैं। औसतन एक गौशाला के हिस्से में बगैर किसी अनुदान के 60 लाख रुपए तक आ जाएंगे । लकड़ी की तुलना में लोगों को कंडे सस्ते भी पड़ेंगे।


🚩केवल 2 किलो सूखा गोबर जलाने से 60 फीसदी यानी 300 ग्राम शुद्ध गैस निर्मित होती है । वैज्ञानिकों ने शोध किया है , कि गौ गोबर के एक कंडे में गाय का घी डालकर धुंआ करते हैं तो एक टन ऑक्सीजन बनता है।


🚩गाय के गोबर के कण्डों से होली जलाने पर गौशालाओं को स्वाबलंबी बनाया जा सकता है, जिससे गौहत्या कम हो सकती है, कंडे बनाने वाले गरीबों को रोजी-रोटी मिलेगी, और वतावरण में शुद्धि होने से हर व्यक्ति स्वस्थ्य रहेगा।


🚩धुलेंडी खेलने के पीछे का वैज्ञानिक महत्व :


🚩होली के समय ऋतु परिवर्तन होता है, सर्दी से गर्मी में प्रवेश होता है । इसलिए गर्मी की तपन और गर्मीजन्य रोगों से बचने के लिए पलाश के रंगों से होली खेली जाती है । सामाजिक सौहार्द का भी इसमें महत्व है , कि हमारा यदी सालभर में किसी से भी कोई लड़ाई झगड़ा हुआ है , तो मिल-जुलकर होली खेलने से उसको भूलाकर आगे बढ़ने में सहायक सिद्ध होती है होली ।


🚩पलाश के रंग से धुलेंडी खेलने के फायदे:


🚩पलाश के फूलों से होली खेलने की परम्परा का फायदा बताते हुए हिन्दू संत आशारामजी बापू कहते हैं कि ‘‘पलाश कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश करता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है।


🚩रासायनिक रंगों से होली खेलने में प्रति व्यक्ति लगभग 35 से 300 लीटर पानी खर्च होता है, जबकि सामुहिक प्राकृतिक-वैदिक होली में प्रति व्यक्ति लगभग 30 से 60 मि.ली. पानी लगता है।


🚩इस प्रकार देश की जल-सम्पदा की हजारों गुना बचत होती है । पलाश के फूलों का रंग बनाने के लिए उन्हें इकट्ठे करनेवाले आदिवासियों को रोजी-रोटी मिल जाती है।पलाश के फूलों से बने रंगों से होली खेलने से शरीर में गर्मी सहन करने की क्षमता बढ़ती है, मानसिक संतुलन बना रहता है।


🚩मीडिया से सावधान:


🚩सुदर्शन न्यूज़ चैनल के मुख्य संपादक श्री सुरेश चव्हाणके जी और भाजपा नेता ड़ॉ सुब्रमण्यम स्वामी जी का तो यहाँ तक कहना है , कि अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया हिन्दुओं व उनके त्यौहारों के खिलाफ़ है, क्योंकि उनको विदेश से भारी फंड मिलता है । यहाँ गम्भीरतापूर्वक समझना आवश्यक है कि , …… ” हिन्दुओं के खिलाफ़ ” …..


🚩मतलब केवल किसी एक हिन्दू के खिलाफ नहीं , बल्कि हिन्दुओं की जहां-जहां आस्था है , उसी केंद्र बिंदु को तोड़ने के लिए विदेशी ताकतों के इशारे पर काम करते हैं ये कुछेक बिकाऊ मीडिया चैनल्स व प्रिंट मीडिया ।


🚩विदेशी फंडेड मीडिया हाउसेज का टारगेट मुख्यरूप से हिन्दू देवी-देवता, हिन्दू त्यौहार, हिन्दू साधु-संत, वैदिक गुरुकुलों, मन्दिर, आश्रम व मठ आदि होते हैं । अतः आप बिकाऊ मीडिया के फैलाए हुए भ्रमजाल से स्वयं तो बचें ही औरों को भी अवश्य जागरूक करें । सनातन विरोधियों का पुरजोर विरोध करें और आनंद से वैदिक होली खेलें ।


🚩आओ मनाएं (वैदिक होली)… ऐसा त्यौहार जिससे महके घर आंगन और स्वस्थ रहे परिवार……


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