फिल्मकारों को गाने, डायलॉग लिखने से पहले अपनी बहन और मां के बारे में सोचना चाहिए : डीसीपी लक्ष्मी
14 मई 2017
DCP Lakshmi |
भारतीय
#फिल्मों में बढ़ती हिंसा और महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध का मुद्दा
निरंतर समाज में उठता रहा है। कई बार ऐसी बातें सामने आयी जिसमें कहा गया
है कि महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध में कहीं न कहीं इस तरह की फिल्में खास
रोल निभाती हैं।
#तमिलनाडु की तीन महिला पुलिस #अधिकारियों ने इस मुद्दे को उठाया है। इन
महिला आयपीएस अधिकारियों ने वीडियो के जरिए भारतीय फिल्मकारों से फिल्मों
में हिंसात्मक दृश्य से बचने की अपील की है। उन्होंने कहा है कि महिलाओं के
खिलाफ हिंसा और दुर्व्यवहार को स्क्रीन पर नहीं दिखाएं।
फिल्मों
में महिलाओं के साथ #हिंसात्मक दृश्य को लेकर खास अपील तमिलनाडु के
कोयंबटूर की डीसीपी एस. लक्ष्मी (लॉ एंड ऑर्डर), एसपी राम्या भारती
(कोयंबटूर) और तिरूपुर शहर कीडीसीपी दिशा मित्तल (लॉ एंड ऑर्डर) ने वीडियो
के जरिए फिल्मकारों से खास अपील जारी की है।
उन्होंने
कहा कि जिस तरह से #फिल्म में महिलाओं को लेकर हिंसात्मक दृश्य दिखाए जाते
हैं इसका लोगों पर असर होता है। फिर सामान्य जीवन में भी महिलाओं को ऐसी
घटनाओं से गुजरना पड़ जाता है। ऐसी स्थिति सामने नहीं आए इसके लिए जरूरी है
कि फिल्मों में ऐसे दृश्यों से बचा जाए।
अधिकारियों ने फिल्म के #एक्टर्स को भी इस मामले में समझाने की कोशिश की है।
कोयंबटूर
की डीसीपी एस. लक्ष्मी (#लॉ एंड ऑर्डर) ने कहा कि, हमारे देश में महिलाओं
का खास सम्मान है। यही वजह है कि इसे भारत माता कहकर बुलाया जाता है।
उन्होंने कहा कि जिस तरह से फिल्मों में महिलाओं के खिलाफ #हिंसात्मक दृश्य
दिखाए जाते हैं ये ठीक नहीं है।
-#महिला
विरोधी दृश्यों से महिलाओं पर #अत्याचार बढ़े हैं। लोग फिल्म देखकर वैसा
ही करने की कोशिश करते हैं। फिल्म बेहद सशक्त माध्यम है ऐसे में इसका बेहद
गंभीरता से इस्तेमाल होना चाहिए। जिससे लोगों में अच्छा संदेश जाए।
उन्होंने कहा कि जो भी गाने या #डायलॉग लिखते हैं उन्हें पहले अपनी बहन और
मां के बारे में सोचना चाहिए। उनके बारे में सोचकर ही शब्दों का चयन होना
चाहिए।
वहीं
#डीसीपी दिशा #मित्तल ने कहा कि फिल्मों के साथ-साथ टीवी पर आनेवाले
कार्यक्रम, विज्ञापन, गाने सभी हम पर काफी असर डालते हैं। ऐसे में इनका सही
इस्तेमाल बेहद जरूरी है।
#एसपी #राम्या भारती ने कहा कि फिल्म के #डायलॉग, गाने सभी का अपना असर
होता है। लोगों में कहीं इनका गलत असर नहीं जाए इससे बचने के लिए जरूरी है
कि फिल्मकार इसको लेकर गंभीर बने। इसमें सुधार के जरिए महिलाओं के खिलाफ
हिंसा को कम किया जा सकता है।
आपको
बता दें कि कुछ दिन पहले केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री मेनका गांधी
ने भी देश में महिलाओं के खिलाफ बढ़ रही हिंसा के लिए बॉलीवुड और क्षेत्रीय
सिनेमा को जिम्मेदार ठहराया है।
मेनका
गांधी ने कहा कि बॉलीवुड में महिलाओं से जुड़े अशोभनीय दृश्यों के कारण
देश में हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं और #महिलाओं के साथ छेड़छाडी होती है ।
‘फिल्मों में रोमांस की शुरुआत छेड़छाड़ से होती है। लगभग सभी फिल्मों में
छेड़छाड़ को बढ़ावा दिया जाता है।
#मेनका #गांधी ने #फिल्मकारों और विज्ञान बनाने वालों से अपील की कि वे महिलाओं की अच्छी छवि को दिखाएं।
भला
जिस देश में जहां, नर में राम और नारी में सीता देखने की संस्कृति रही हो,
नदियों को भी माता कहकर पुकारा जाता हो, भगवान के विभिन्न अवतारों,
ऋषि-मुनियों, #योगियों-तपस्वियों आदि की क्रीड़ा व कर्म-स्थली रही हो, महिला
सशक्तिकरण के लिए दिन-रात एक कर दिया गया हो, उसके बाद भी महिलाओं पर हो
रहे अत्याचार के जिम्मेदार गन्दी फिल्में और ज्ञापन है ।
जानिए भारत को बॉलीवुड ने दिया क्या है ?
1. #बलात्कार गैंग रेप करने के तरीके।
2. विवाह किये बिना लड़का लड़की का शारीरिक सम्बन्ध बनाना।
3. #विवाह के दौरान लड़की को मंडप से भगाना ।
4. चोरी #डकैती करने के तरीके।
5. भारतीय संस्कारों का उपहास उठाना।
6. लड़कियों को छोटे कपड़े पहने की सीख दे उसे फैशन का नाम देना।
7. दारू #सिगरेट चरस गांजा कैसे पिया और लाया जाये।
8. #गुंडागर्दी कर के हफ्ता वसूली करना।
9. भगवान का मजाक बनाना और अपमानित करना।
10. पूजा पाठ यज्ञ करना पाखण्ड है व नमाज पढ़ना ईश्वर की सच्ची पूजा है।
11. भारतीयों को #अंग्रेज बनाना।
12. भारतीय #संस्कृति को #मूर्खता पूर्ण बताना और पश्चिमी संस्कृति को श्रेष्ठ बताना।
13. माँ बाप को वृध्दाश्रम छोड़ के आना।
14. #गाय पालन को मजाक दिखाना और कुत्तों को उनसे श्रेष्ठ बताना और पालना सिखाना।
15. रोटी हरी सब्जी खाना गलत बल्कि रेस्टोरेंट में पिज्जा बर्गर #कोल्ड_ड्रिंक और नॉन वेज खाना श्रेष्ठ है।
16.
#पंडितों को जोकर के रूप में दिखाना, चोटी रखना या यज्ञोपवीत पहनना
मूर्खता है मगर बालों के अजीबों गरीब स्टाइल (गजनी) रखना व क्रॉस पहनना
श्रेष्ठ है उससे आप सभ्य लगते हैं ।
17. शुद्ध हिन्दी या संस्कृत बोलना हास्य वाली बात है और उर्दू या अंग्रेजी बोलना सभ्य पढ़ा-लिखा और अमीरी वाली बात।
18.हिन्दू देवी-देवताओं और हिन्दू साधू-संतों का अपमान करने और अल्लाह और मोलवियों की बढ़ाई करना ।
हमारे
देश की युवा पीढ़ी बॉलीवुड को और उसके अभिनेता और #अभिनेत्रियों का अपना
आदर्श मानती है.....भोले हिन्दू फिल्म देखने के बाद गले में क्रोस मुल्ले
जैसी छोटी सी दाड़ी रख कर
खुद को मॉडर्न समझते हैं
हिन्दू युथ के रगोें में धीमा जहर भरा जा रहा है।
फिल्म जेहाद
अगर यही बॉलीवुड देश की संस्कृति सभ्यता दिखाए ..
तो सत्य मानिये हमारी #युवा पीढ़ी अपने रास्ते से कभी नही भटकेगी ।
अधिकतर फिल्मों में #हिन्दू नास्तिक मिलेगा या धर्म का उपहास करता हुआ कोई कारनामा दिखेगा ।
फिल्मों
में #हिन्दूधर्म के देवी-देवताओं का अपमान करना, #साधू-संतों का मजाक
उड़ना, मंदिरों में जाना अंधश्रद्धा बताना, स्त्री को भोग्या दिखाना आदि आदि
एक सोची समझी साजिश है।
#बॉलीवुड द्वारा देशवासियों को मीठा जहर दिया जा रहा है जिससे भारतीय संस्कृति को तोड़ने का काम किया जा रहा है ।
देश को फिर से गुलामी की जंजीरों में जकड़ने की साजिश राष्ट्रविरोधी ताकतों द्वारा देश के अंदर ही चल रही है।
अतः हर #हिन्दुस्तानी इस मीठे जहर से सावधान रहें ।
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🇮🇳 आज़ाद भारत🇮🇳
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