30 दिसंबर 2018
भारतवासियों में अब जागृति आ रही है, 25 दिसम्बर #क्रिसमस-डे का सोशल मीडिया पर इतना #विरोध #हुआ कि किसी ने भी क्रिसमस की बधाई नहीं दी और तो और क्रिसमस के दिन भारतवासियों ने तुलसी जी की पूजा करके #तुलसी #पूजन #दिवस #मनाया और कहा कि अब हम हर साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस ही मनाएंगे ।
फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल साइट्स पर आज भी लोग चर्चा कर रहे हैं कि हम अंग्रेजों द्वारा थोपा गया नया साल नहीं मनाएंगे क्योंकि अंग्रेजों ने हमें आर्थिक रूप से तो कमजोर बनाया ही है साथ में हमारी संस्कृति पर भी कुठाराघात किया है ।
#अंग्रेजों ने #भारत की दिव्य #परम्पराओं और त्यौहारों को #मिटाकर अपनी #पश्चिमी #संस्कृति #थोपी, अंग्रेज भी जानते हैं कि अगर भारत पर राज करना है तो हिन्दू देवी-देवताओं एवं साधु-संतों के प्रति हिंदुओं की आस्था तोड़ो, उनके धार्मिक रीति-रिवाजों को तुच्छ दिखाकर अपने कल्चर की तरफ मोड़ो और हमने ये देखा कि भारत का बहुत बड़ा वर्ग मानसिक रूप से आज भी अंग्रेजों का ही गुलाम है ।
अब #सोशल #मीडिया के जरिये लोगों में #जागरूकता आ रही है । धीरे-धीरे ही सहीं पर लोग अब अपनी संस्कृति की तरफ मुड़ रहे हैं ।
ट्विटर ट्रेंड के जरिये भी लोग अपनी बात रख रहे हैं । लोगों का कहना है कि बाहरी चकाचौंध तथा कई प्रकार की बुराइयों से लिप्त अंगेजों का नववर्ष अब हम नहीं मनाएंगे । हमारी संस्कृति के अनुसार चैत्री शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को ही अपना नया साल मनाएंगे ।
समाज में बढ़ती इस कुरीति को रोकने का प्रयास करता आज का युवावर्ग
#कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं
हैशटैग के जरिये कुछ इस प्रकार अपनी बात रख रहा है ।
उनका कहना है कि...
भारत को विश्व का सिरमौर बनाना है ।
विश्वगुरु के पद पर भारत को बिठाना है ।।
गौ-गीता-गंगा की महत्ता बता जन-जन को जगाना है ।
पश्चिमी संस्कृति के अंधानुकरण से युवाधन को चेताना है ।।
कुछ ट्वीट आपके सामने रख रहे हैं, जिससे आपको भी पता चल जाएगा कि आखिर भारत की जनता क्या चाहती है...
1> हिन्दू योद्धा हैंडल से ट्वीट किया गया कि
अगर आप अब भी ईसाई नूतन वर्ष ही मनाते हो तो हमें मजबूरन कहना ही होगा
"मंगल, लक्ष्मीबाई, भगत बिस्मिल हम शर्मिंदा हैं🏻लार्ड मैकाले की सेक्युलर औलादें अब भी भारत मे जिंदा हैं ।
#कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं, चैत्र शुक्ल नववर्ष अपनाएं ईसाई नववर्ष नहीं ।
2> शंकर जोशी लिखते हैं कि अंग्रेजी 31 दिसंबर को नव वर्ष मनाना यह एक प्रकार से एक दिन का अपना धर्मांतरण ही है हमारा नया वर्ष तो चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा को ही नववर्ष मनाना चाहिए ।#कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं
3> सुलेखा सिंह लिखती हैं कि
31 Dec वाले नववर्ष पर 1 सर्वेक्षण के अनुसार 14 से 19 वर्षीय किशोर भी मादक पदार्थों की लत में पड़ते हैं, इन दिनों शराब की खपत 3 गुणा बढ़ जाती है । तो केवल #कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं, अपनाएं हिन्दू चैत्र शुक्ल प्रतिपदा वाला नववर्ष ।
4> हरि प्रिया ने लिखा कि भारत के मॉडर्न युवा अपनी संस्कृति को भूल कर पाश्चात्य संस्कृति का अंधानुकरण कर पतन की ओर जा रहा है ।
एक सर्वे के अनुसार क्रिसमस (25 दिसम्बर से 1 जनवरी ) के दिनों में नशीले पदार्थों के सेवन से #युवाधन की #तबाही व #आत्महत्याएँ #खूब होती हैं । इसलिए #कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं
5> जय चौधरी ने लिखा कि जिसे आज आप नया साल कहते हैं वो असल मे मिशनरीज़ का नया साल कहलाता हैं । इन दिनों में शराब ,ड्रग्स व अन्य व्यसन पदार्थों का सेवन व युवा धन की तबाही बढ़ती है । इसलिए मनाएँ भारतीय संस्कृति अनुसार चैत्र प्रतिपदा का नववर्ष ।
#कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं
6>तेजस्वी ने लिखा है कि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव में जो लोग क्रिसमस एवं ईसाई नूतन वर्ष पार्टी,वेलेंटाइन डे,बर्थडे पर शराब का अधिक सेवन करते हैं, वे परिणाम स्वरूप असाध्य रोग कैंसर,अल्सर,टी.बी.,एड्स आदि से संक्रमित हो जाते हैं ।
#कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं
7>प्रवीण चौधरी ने लिखा कि New year पार्टियों में शराब सेवन, मादक पदार्थों की खपत बढ़ती है,युवाओं को भारी नुकसान होता है,शारिरिक व मानसिक बल कमजोर होता है । व्यवहार बदल जाता है । यानी जिंदगी बर्बाद,तो ऐसे new year को कहें Bye ओर अपनाएं चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का नववर्ष ।
#कैलेंडर_बदलें_संस्कृति_नहीं
इस तरह के हजारों ट्वीटस आज हमें देखने को मिल रहे हैं । आइये हम सब भी उनको उत्साहित करते हुए "विश्वगुरु भारत अभियान" का हिस्सा बनें ।
गौरतलब है कि 25 दिसम्बर से 1 जनवरी के दौरान शराब आदि नशीले पदार्थों का सेवन, आत्महत्या जैसी घटनाएँ, किशोर-किशोरियों व युवक युवतियों की तबाही एवं अवांछनीय कृत्य खूब होते हैं । इसलिए हिन्दू संत आसाराम बापू ने आवाहन किया हैः "25 दिसम्बर से 1 जनवरी तक #तुलसी पूजन, जप #माला पूजन, #गौ पूजन, #हवन, #गौ गीता गंगा #जागृति यात्रा, #सत्संग आदि #कार्यक्रम #आयोजित हों, जिससे सभी की भलाई हो, तन तंदुरुस्त व मन प्रसन्न रहे तथा बुद्धि में बुद्धिदाता का प्रसाद प्रकट हो और न आत्महत्या करें, न गौहत्याएँ करें, न यौवन-हत्याएँ करें बल्कि आत्मविकास करें, गौ गंगा की रक्षा करें एवं स्वयं का विकास करें । गौ, गंगा, तुलसी से ओजस्वी तेजस्वी बनें व गीता ज्ञान से अपने मुक्तात्मा, महानात्मा स्वरूप को जानें ।"
इसी लक्ष्य को लेकर बापू आसारामजी के अनुयायियों के साथ-साथ आम जनता एवं #हिन्दू संगठनों व #हिंदुत्वनिष्ठों की #ट्वीटस जनता में #जागृति #ला #रही है ।
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