14 अक्टूबर 2019
*नोएडा की रहने वाली निशा शर्मा ने बारात को वापिस लौटा दिया था, दूल्हे पक्ष पर आरोप लगाया कि लड़के वाले दहेज मांग रहे थे इसलिए बारात लौटाई।*
*पैसे और टीआरपी की भूखी मीडिया ने इस मामले को खूब उछाला। सड़कछाप परिवार तोड़ू बड़ी बिंदी गैंग की औरतों को दिन रात न्यूज़ चैनलों ने बिठाकर बहस कराई गई। निशा शर्मा को नारी शक्ति का अवार्ड दिया गया।*
*स्त्री की उपासना करने वाले नेताओं, महिलावादियों ने निशा शर्मा को आदर्श नारी, दुर्गा, शक्ति इत्यादि न जाने क्या-क्या उपाधि दी। शत्रुघ्न सिन्हा ने निशा शर्मा को बीजेपी की तरफ से सम्मानित किया। महिला आयोग ने सम्मानित किया। रविश कुमार जैसे छटे हुये पत्रकारों ने निशा शर्मा की तारीफों के पुल बांध दिए। मीडिया का दवाब बढ़ने लगा। और दूल्हे यानी मुनीश दलाल को पुलिस ने दहेज मांगने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। जबकि शादी तो हुई ही नही थी।*
*मुनीश के पूरे परिवार को पुलिस ने गिरफ्तार किया। कुछ दिन मुनीश और उनका परिवार जेल में थे। मीडिया औऱ भारत के सड़कछाप लोगों ने मुनीश और उनके परिवार को खूब खरी खोटी सुनाई। केस लम्बे समय तक चला। मुनीश की बदनामी इतनी हो गयी कि उसके साथ कोई लड़की शादी करने को तैयार न हुई। यह घटना 2003 की है।*
*सन 2010 में अदालत ने इस केस में फैसला देते हुए कहा कि*
*"ये बेहद दुःखद है कि मुनीश और उनके परिवार को झूठे प्रकरण में फंसाया गया, इस झूठे केस के कारण मुनीश और उनके परिवार को लगभग 10 वर्ष तक की मानसिक यातनाएं झेलनी पड़ी, अफसोस इस बात का भी है कि मीडिया ने भी झूठे केस को खूब उछाला, ये मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल है। निशा शर्मा ने जो भी आरोप लगाये वो सब सिर्फ और सिर्फ सोची समझी साजिश थी ,क्योंकि निशा विवाह करना ही नही चाहती थी, क्योंकि उसका किसी और से अफेयर था। लिहाजा ये अदालत मुनीश और उनकी फैमिली को बाइज्जत बरी करती है"*
*रोहतक की घटना:*
*घटना नवम्बर 2014 की है। रोहतक की एक बस में एक बुजुर्ग महिला एक सीट पर बैठी हुई थी। बाकी औरते और पुरुष भी उसी बस में बैठे थे।। अचानक वो बुजुर्ग महिला अपनी सीट से उठकर बस के बाहर चली गयी क्योंकि बस रुकी हुई थी। तभी दो लड़कियां जिनका नाम पूजा और आरती था, इन्होंने बस में प्रवेश किया और बुजुर्ग महिला की सीट पर बैठ गयी।*
*तब दो लड़के जो भारतीय सेना में चयनित हुए थे उन्होंने इन दोनों लड़कियों से कहा कि इस सीट पर एक बूढ़ी अम्मा बैठी है जो अभी बस के बाहर खड़ी है। आप लोग उठ जाओ। तब इन दोनों बहनों ने उन लड़कों को न सिर्फ गाली बकी बल्कि उनके साथ मारा पीटी शुरू कर दी। चालाक लडकिया उन लड़कों पर हमला कर रही थी और एक लड़की वीडियो बना रही थी।।*
*बिकाऊ मीडिया ने रातो रात इन दोनों बदतमीज लड़कियों को हीरो बना दिया। लच्छेदार भाषण शुरू हो चुके थे। हरियाणा महिला आयोग की विवेकहीन अध्यक्ष ने लड़कियों को अगले ही दिन नारी शक्ति अवार्ड देते हुए 36000/- रुपए नगद का इनाम दिया। और बेशर्म महिला आयोग वही नही रुका, 26 जनवरी 2015 के दिन इन दोनों बदचलन लड़कियो को सम्मानित करने हेतु मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर से सिफारिश कर दी। आजतक,एबीपी न्यूज़, इंडियाTv, NDTV ,Times now, Zee न्यूज़, न्यूज़ 24...इत्यादि सभी न्यूज़ चैनल इन लड़कियों को हीरो के रूप में दिखाते रहे। लड़के बेचारे बेकसूर होकर भी विलेन बने रहे। दवाब बढ़ने लगा। लड़को के पक्ष में बस में बैठी हर महिला, हर लड़की बोल रही थी फिर भी अंजना ओम कश्यप, सुमित अवस्थी जैसे पत्रकारों ने पुरूष प्रधान समाज का विधवा विलाप किया।*
*सेना में लड़के मेहनत करके चयनित हुए थे गरीब घर के थे सेना ने तुरंत लड़कों को सेना से निकाल दिया, पुलिस ने मीडिया, महिला आयोग इत्यादि के दवाब में दूसरे ही दिन लड़को पर धारा 354 के तहत मामला दर्ज कर लिया। लड़के गिरफ्तार, नौकरी गयी, बदनामी हुई...।*
*घटना ने थोड़ा और तूल पकड़ा। हरियाणा के जाटों ने लड़को के पक्ष में आंदोलन किया। बस में बैठी महिलाएं,छात्राएं सब लड़को के पक्ष में खुलकर बोलने लगी...*
*मगर मीडिया के कान में जू न रेगी। किन्तु मुख्यमंत्री मनोहर खट्टर ने लड़कियों का सम्मान समारोह रद्द कर दिया क्योंकि वो समझ चुके थे कि लड़कियां दोषी है।*
*न्यायालय ने इस मामले में फैसला देते हुए कहा कि....*
*"दोनों लड़के पूर्णतः निर्दोष है, इन्हें एक षड्यंत्र के तहत इस मामले में फंसाया गया, मामला सीट विवाद का था मगर पुलिस ने जानबूझकर छेड़खानी का मामला दर्ज किया, लिहाजा ये अदालत दोनों लड़को को बाइज्जत बरी करती है"*
*ये अदालत का "फैसला था"...न्याय नही.... न्याय तब होता जब इन दोनों लड़कियों और पूरे मीडिया जगत को सजा मिलती। न्याय तब होता जब सेना में दोनो लड़को की फिर से भर्ती होती। बरी होने के बाद किसी भी न्यूज़ चैनल ने माफी नही मांगी।*
*फैसले के बाद भी मीडिया टस से मस न हुआ। अपनी गलती न मानते हुए बेशर्म , बिकाऊ मीडिया इस बात पर बहस कराने लगा कि क्या कोर्ट का फैसला सही है???*
*भारत के कुछ मूर्ख लोग ऐसी न्यूज़ चैंनलों की हर खबर पर यकीन कर लेते है। बिना सोचे ये भी नही सोचते कि हम भी इसी तरह बदनाम हो सकते है।*
*ज्वाला शक्ति संगठन की संयोजक काजल जादौन ने कहा है कि हर मामले में पुरुष ही गलत नहीं होते। कई बार महिलाएं कानून का दुरुपयोग कर वे पुरुषों के खिलाफ दहेज प्रताडऩा, बलात्कार आदि के मामले दर्ज करवा देती हैं।*
*जनता का कहना है कि झूठे आरोप लगाने वाली लड़कियों को सजा मिलनी चाहिए और इसमें पुलिस भी साजिस में शामिल है तो उनको भी सजा होनी चाहिए, पैसे और टीआरपी के लिए मीडिया निर्दोष पुरषों को बदनाम करती है उनपर भी सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।*
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