07 मार्च 2020
*होली का नाम सुनकर एक बात की याद आती है कि हमे लकड़ी से होलिका दहन करना है और बाजार से रंग लाकर होली खेलना है लेकिन इसके पीछे क्या रहस्य छुपा है और कैसे होली खेलना है वे अधिकतर लोग अनजान है इसलिए लकड़ी से होली जला देते हैं और केमिकल रंगों से होली खेलना शुरू कर देते हैं।*
*इस बार कोरोना वायरस फैल रहा है तो जनता जागरूक हो गई है और प्राचीन वैदिक पद्धति से होली पर्व मनाने की मांग कर रही है।*
*रेखा बजाज लिखती है कि मीडिया सूखे रंगों से होली खेलने की सलाह देती है, सूखे रासायनिक रंगों से होली खेलने से शुष्कता, एलर्जी एवं रोमकूपों में रसायन अधिक समय तक पड़े रहने से भयंकर त्वचा रोगों का सामना करना पड़ता है इसलिये खेलें #CelebrateHoliInVedicStyle*
*कुमार ने लिखा कि कोरोना वायरस फैल रही उसको काटने के लिए वातावरण में शुद्धता करने के लिए गाय के गोबर से बने कंडे से जलाए होली तथा चंदन, गुलाब, हल्दी व आंवले आदि के रंग बनाकर प्राकृतिक रंग से होली खेले. #CelebrateHoliInVedicStyle*
*उदय मीणा लिखते है कि रासायनिक रंगों से चर्म रोग, कैंसर जैसी अनेक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होने की संभावना रहती हैं। पलाश के फूलों से बने रंगो से होली खेलें व स्वास्थ्य लाभ पाये।# CelebrateHoliInVedicStyle*
*विनय शर्मा ने लिखा कि एक रिसर्च में देशी गाय के गोबर को एक महाऔषधी सिद्ध किया है।गोबर में कीटाणुओं को दूर करने की बहुत बड़ी शक्ति होती है।अगर देशी गाय के गोबर के कंडे से होली जलायी जाए तो कोरोना जैसे एक भी वायरस वातावरण में नहीं रहेंगे और हमारा स्वास्थ्य उत्तम हो जायेगा #CelebrateHoliInVedicStyle*
*करिश्मा लिखती है कि Sant Shri Asharamji Bapu सत्संग में बताते हैं कि पलाश के फूलों से अगर होली खेली जाए तो चर्मरोग की बीमारियों से मुक्ति मिल सकती हैl #CelebrateHoliInVedicStyle*
*जयश्री ने लिखा कि आज समय की मांग है कि Sant Shri Asharamji Bapu द्वारा बताए गए #CelebrateHoliInVedicStyle जिसमें पलाश फूलों के रंग से होली उत्सव मनाना बहुत लाभदायी है क्योंकि इससे खुजली,चर्म रोग,घमौरी जैसे कई रोग भाग जाते है व और भी फायदे होते है।*
*गौरी शंकर ने लिखा कि रासायनिक रंगों से गुर्दे की बीमारी, दिमाग की कमजोरी आंखों में जलन, कैंसर, त्वचा रोग, दमा, एलर्जी जैसी खतरनाक बीमारियों का खतरा होता है।अत: #CelebrateHoliInVedicStyle*
*अस्थान पुरोहित ने बताया कि होलिका दहन के लिए गाय के गोबर से बने कंडो का उपयोग करें व होली खेलने के लिए पलाश के फूलों से बने रंगो का। ऐसी होली स्वास्थ्य लाभ के लिये वरदान स्वरूप है।#CelebrateHoliInVedicStyle*
*तनीषा आहूजा लिखती है कि होलिका दहन के लिए गाय के गोबर से बने कंडो का उपयोग करें व होली खेलने के लिए पलाश के फूलों से बने रंगो का। ऐसी होली स्वास्थ्य लाभ के लिये वरदान स्वरूप है।#CelebrateHoliInVedicStyle*
*इस तरह हैशटेग #CelebrateHoliInVedicStyle को लेकर हजारों ट्वीट हुई और भारत मे टॉप ट्रेंड भी रहा ।*
*आपको बता दे कि वातावरण अशुद्ध होने पर कोरोना जैसे भयंकर वायरस आ जाते है, अगर देशी गाय के गोबर के कंडे से होली जलाई जाएं तो कोरोना जैसे एक भी वायरस वातावरण में नही रहेगा और हमारा स्वास्थ्य उत्तम हो जायेगा जिससे देश के करोड़ो रूपये बच जाएंगे।*
*दूसरा की पलाश के रंग से खेलें होली, पलाश को हिंदी में ढाक, टेसू, बंगाली में पलाश, मराठी में पळस, गुजराती में केसूड़ा कहते हैं ।*
*केमिकल रंगों से होली खेलने से उसके पैसे चीन देश मे जायेंगे और बीमारियां भी होगी लेकिन पलाश के फूलों से होली खेलने से कफ, पित्त, कुष्ठ, दाह, वायु तथा रक्तदोष का नाश होता है। साथ ही रक्तसंचार में वृद्धि करता है एवं मांसपेशियों का स्वास्थ्य, मानसिक शक्ति व संकल्पशक्ति को बढ़ाता है ।*
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