Wednesday, September 16, 2020

बॉलीवुड का संबंध आतंकियों, हत्या, आत्महत्या, कास्टिंग काउच तक का...

16 सितंबर 2020


समाजवादी पार्टी नेता व अभिनेत्री जया बच्चन ने आरोप लगाया कि सोशल मीडिया पर फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि केवल मुट्ठी भर लोगों के कारण आप पूरे बॉलीवुड को ड्रग्स एडिक्टेड नहीं बता सकते, उनकी छवि नहीं खराब कर सकते। 




बॉलीवुड की अगर बात बदनामी की ही है, तो आतंकियों से सम्बन्ध रखने, उनकी मदद करने से ज्यादा बदनामी की बात क्या होगी? बॉलीवुड के जाने-माने नाम महेश भट्ट और उनके परिवार के सदस्यों पर यही आरोप था। मुंबई हमलों (26/11) की साजिश रचने वाले डेविड हेडली ने स्वीकारा था कि उसने भट्ट को 26/11 को दक्षिणी मुंबई की तरफ ना जाने की सलाह दी थी।

डेविड हेडली को मुंबई घुमा-घुमा कर दिखाने का आरोप महेश भट्ट के बेटे पर ही रहा है। मगर नहीं इनसे तो बदनामी नहीं होती, बदनामी तो तब होती है जब कोई इस बारे में बोल बैठे?

आतंकियों से सम्बन्ध रखने का ये पहला मामला भी नहीं था। फ़िल्मी सितारों में से कइयों की तस्वीरें भारत से भागे हुए आतंकी दाउद इब्राहीम के साथ दिखी थीं। दाउद के दिए हुए ए.के. 56 के साथ ही संजय दत्त पकड़ा गया था।

इससे क्या बदनामी हुई? नहीं, बिलकुल नहीं। बल्कि उल्टा बॉलीवुड के सितारे प्ले-कार्ड लिए हुए संजय दत्त के समर्थन में खड़े नजर आए। उस पर फिल्म बनाने वाले राजकुमार हिरानी ने इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में बताया था कि संजय दत्त 308 लड़कियों को अपने बिस्तर तक ले जाने के लिए एक अनोखा तरीका इस्तेमाल करता था। वो एक नकली कब्र पर उन्हें ले जाता और कहता कि वहाँ वो उन्हें अपनी माँ से मिलवाने लाया है! ऐसी चीज़ों को जब फिल्मों में दिखाया गया, तब भी बदनामी नहीं हुई थी।

बॉलीवुड के एक दूसरे पोस्टर-बॉय पर तो तारिकाओं से मारपीट करने का अभियोग लगातार लगता रहा है। खुद जया बच्चन की बहु, ऐश्वर्या राय बच्चन भी उसकी शिकार हो चुकी हैं।

इसके अलावा सलमान पर काले हिरण मारने का अभियोग रहा। बिश्नोई लोगों का विरोध ना झेलना पड़ता, तो अपने कुकृत्य में वो कामयाब भी होते। मुंबई में, संभवतः नशे में धुत्त होकर गाड़ी फुटपाथ पर सोए अल्पसंख्यक समुदाय के मजदूरों पर चढ़ा देने का भी उस पर मामला रहा है। पत्रकारों से मारपीट तो सलमान के लिए आम बात है, लेकिन इन सब से बदनामी कहाँ होती है? बदनामी तो तब होती है जब कोई इस बारे में बोल बैठे!

कुछ वर्षों पहले जिया खान नाम की एक युवा अभिनेत्री की आत्महत्या का मामला आया था। ऐसा तो बिलकुल नहीं है कि आत्महत्या बॉलीवुड के लिए कोई नई बात हो, मगर ये मामला इसलिए प्रकाश में आया क्योंकि जिया खान अपना लम्बा सा सुसाइड नोट छोड़ गई थी। इस नोट में आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली का नाम साफ़-साफ़ आता है।

लेकिन किसी को आत्महत्या की कगार तक पहुँचा देना भी कोई बदनामी की बात थोड़ी है? वैसे इस मामले में भी जिया खान की माँ ने आरोप लगाए थे कि महेश भट्ट ने जिया खान को अवसाद ग्रस्त और मानसिक समस्याओं से पीड़ित स्वीकारने के लिए धमकाया था।

बॉलीवुड में “कास्टिंग काउच” पर एक स्टिंग ऑपरेशन हुआ था, जिसे कई लोगों ने देखा होगा। इस मामले में जाने-माने खलनायक शक्ति कपूर भी फँसे थे। मगर इसके उजागर होने पर मामला थमा हो, “कास्टिंग काउच” बंद हो गया हो, ऐसा भी नहीं। जानी-मानी हस्ती सरोज खान ने इस मसले पर कहा था “वो कम से कम रोटी तो देती है। रेप करके छोड़ तो नहीं देते?”

वैसे तो जिस्म बेच कर रोटी का इंतजाम करना भारतीय कानूनों के हिसाब से वेश्यावृति होगा लेकिन संविधान और कानूनों को मान लें तो फिर बॉलीवुड का सेलेब्रिटी कैसा? और हाँ, ध्यान रहे कि इनसे भी कोई बदनामी नहीं होती।

असली मामला तो “तुम्हारा कुत्ता कुत्ता और मेरा कुत्ता टॉमी” वाला है। इस देश में रहकर, यहीं के नागरिकों द्वारा सर पर बिठाए जाने के कारण जो लोग खुद को सेलेब्रिटी मानते हैं, वो जब इसी देश के बारे में कहते हैं कि यहाँ रहने में डर लगता है, या ये कि यहाँ असहिष्णुता का माहौल है, तब तो वो “जिस थाली में खाया, उसी में छेद करना” भी नहीं होता। जिस थाली में खाया, उसी में छेद करना तब हो जाता है, जब बॉलीवुड में काम कर चुका कोई बोल दे कि यहाँ नशे के व्यापार और अपराधी-आतंकी तत्वों से जान पहचान रखने वालों का बोलबाला है।


बाकी हमें उम्मीद है कि जया बच्चन जी के घर में आइना भी होगा। कभी सजते-संवरते उसमें अपनी आँखों से आंखें मिला कर देखिएगा। हो सकता है कुछ शर्म बाकी हो तो वो आँखों में उतर आए। देश का क्या है, तुम्हारा कुत्ता कुत्ता और हमारा कुत्ता टॉमी सुनने के बाद भी जिस थाली में खाया उसमें छेद करने वालों को ढूँढ ही लेगा।

Official  Links:👇🏻

🔺 Follow on Telegram: https://t.me/ojasvihindustan





🔺 Pinterest : https://goo.gl/o4z4BJ

No comments:

Post a Comment