Monday, September 28, 2020

अभी का भारत तो बहुत छोटा रह गया है, भारतवर्ष के हो चुके हैं इतने टुकड़े

27 सितंबर 2020


कभी जम्बूद्वीप, भारतवर्ष और आर्यावर्त के नाम से पहचाना जाने वाले हमारे देश का नाम आज भारत और अंग्रेजों की भाषा मे इंडिया है। लेकिन आज का जो भारत हमारे पास है वो भारतवर्ष का महज एक छोटा टुकड़ा मात्र है। क्योंकि अभी जितनी भूमि भारत देश में है, उससे कई गुना ज्यादा भूमि पर अलग देश बन चुके हैं। हम आपको बता रहे हैं कैसे प्राचीन काल में विश्वगुरू रहा भारत खंड-खंड होता गया और आज सिकुड़ कर छोटा सा रह गया।




★ अफगानिस्तान-

गांधार और कंबोज प्राचीन काल के राज्य थे जहां हिंदू शासक राज करते थे। उसके बाद यहां पारसी और बौद्ध धर्म के राजाओं ने शा​सन किया। लेकिन बाद में इन भागों को मिलाकर अफगानिस्तान बना। इस देश ने अपना राष्ट्र धर्म इस्लाम बना लिया।

★ पाकिस्तान-

1947 से पहले देश भारत का ही हिस्सा था और सिंध के नाम जाना जाता था। लेकिन बाद में यह अलग देश बना जिसमें पंजाब, मुल्तान, पेशावर, बलुचिस्तान आदि भाग मिले। पाकिस्तान ने अपने देश का धर्म इस्लाम रखा। आज भारत का सबसे बड़ा दुश्मन यही देश है जो आतंक की फैक्ट्री चलाता है।

★ बांग्लादेश

1947 भारत के विभाजन के बाद बंगाल से कटकर पूर्वी पाकिस्तान बना।1949 में अवामी लीग की स्थापना हुई जिसका उद्देश्य पूर्वी पाकिस्तान को स्वायत्तता दिलाना था। 1971 - शेख़ मुजीब और अवामी लीग ने 26 मार्च को स्वतंत्रता की घोषणा कर दी। नए देश का नाम रखा गया बांग्लादेश ।

★ नेपाल-

आज नेपाल एक स्वतंत्र राष्ट्र है। कुछ सालों पहले तक यह हिंदू राष्ट्र हुआ करता था, लेकिन अब यह भी सेकुलर राष्ट्र घोषित हो चुका है। प्राचीन भारतवर्ष में नेपाल भारत का ही अखंड भाग था जिसे देवघर कहा जाता था। इसी देश में भगवान श्रीराम की पत्नी सीता का जन्म स्थल मिथिला है।

★ भूटान-

प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर भूटान भी कभी भारतीय महाजनपदों के अंतर्गत एक जनपद था और अखंड भारतवर्ष का हिस्सा था। भूटान संस्कृत के भू-उत्थान से बना शब्द है।

★ तिब्बत-

तिब्बत को त्रिविष्टप कहा जाता था जहां रिशिका और तुशारा नामक राज्य थे। आज चीन द्वारा कब्जा किया हुआ यह देश भी भारतवर्ष का अभिन्न अंग था। तिब्बत में पहले हिन्दू फिर बाद में बौद्ध धर्म प्रचारित हुआ और यह बौद्धों का प्रमुख केंद्र बन गया।

★ म्यांमार-

म्यांमार को प्राचीन भारत वर्ष में ब्रह्मदेश के नाम से पुकारा जाता था। यह देश म्यांमार प्राचीनकाल से ही भारत का ही एक उपनिवेश रहा है। हालांकि मुस्लिम शासनकाल में म्यांमार शेष भारत से कटा रहा और यहां पर स्वतंत्र राजसत्ताएं कायम हो गईं। इसके बाद ब्रिटिशों ने 1935 ई. के भारतीय शासन विधान के अंतर्गत म्यांमार को भारत से अलग कर दिया।

★ श्रीलंका-

श्रीलंका भारतीय उपमहाद्वीप के दक्षिण में हिन्द महासागर में स्थित एक बड़ा द्वीप है। यह भारत के चोल और पांड्य जनपद के अंतर्गत आता था। कालांतर में यहां के सिंहल राजा ने बौद्ध धर्म अपनाकर इसे राजधर्म घोषित कर दिया। आज श्रीलंका भारत से अलग देश है।

★ मलेशिया-

वर्तमान के मुख्‍य 4 देश मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड, वियतनाम और कंबोडिया प्राचीन भारत के मलय प्रायद्वीप के जनपद हुआ करते थे। आज ये सब देश अलग-अलग स्वतंत्र राष्ट्र हैं।

★ सिंगापुर-

प्राचीन काल भारत के ​इस हिस्से का नाम सिंहपुर था जो आज सिंगापुर हो गया। बाद में 9 अगस्त 1965 को अंग्रेजों ने सिंगापुर को एक स्वतंत्र गणतंत्र देश बना दिया।

★ थाईलैंड-

थाईलैंड का प्राचीन भारतीय नाम श्‍यामदेश है। बौद्ध धर्मावलंबियों की जनसंख्या वाला यह भू-भाग भी आज भारत से अलग राष्ट्र है।

★ इंडोनेशिया-

मलेशिया और ऑस्ट्रेलिया के बीच हजारों द्वीपों पर फैले इंडोनेशिया में मुसलमानों की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश है। हिंदू मंदिरों पटा पड़ा यह देश आज इस्लामिक राष्ट्र और भारत से अलग है। यहीं विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर भी हैं जिसे प्रम्बानन मंदिर कहते हैं।

★ कंबोडिया-

इस देश को पौराणिक काल का कंबोज देश आज कंबोडिया कहलाता है जो कभी भारत का हिस्सा था। यह पहले हिन्दू राष्ट्र रहा और फिर बौद्ध हो गया। विश्व का सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर परिसर तथा विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक कंबोडिया में स्थित है।*

★ वियतनाम-

प्राचीन भारतवर्ष में वियतनाम को चम्पा कहकर पुकारा जाता था। चम्पा के लोग चाम कहलाते थे। वर्तमान समय में चाम लोग वियतनाम और कंबोडिया के सबसे बड़े अल्पसंख्यक हैं। आज यह अपने आप में एक स्वतंत्र राष्ट्र है।

भारतीय इतिहास के अनुसार भारत के सम्राट विक्रमादित्य ने सम्पूर्ण अरब को जीतकर अपने साम्राज्य में मिलाया था।

भारत में आज जिस तरह जाति-पाति में बंट रहे हैं उससे हमारे देश को खतरा है क्योंकि हमारे देश पर राष्ट्र विरोधी ताकतों की बुरी नजरे हैं और वे हमें आपस में लड़ा रहे हैं। इनसे सावधन रहना नहीं तो बाद में हमें पछतावा होगा।

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